12th Sanskrit 3. बालकौतुकम् JCERT/JAC Reference Book
12th Sanskrit 3. बालकौतुकम् JCERT/JAC Reference Book 3.
बालकौतुकम् अधिगम-प्रतिफलानि 1. संस्कृतनाट्यांशानां संवादानां उचितो च्चारणं करोति । (संस्कृत नाटकों के संवादों का उचित उच्चारण करते हैं।) 2. तेषां भावानुरूपं शारीरिकक्रियाकलापान् प्रदर्शयति । (उनके भाव के अनुरूप शारीरिक क्रियाकलाप करते हैं) 3. तदाधारितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतेन वदति लिखति
च । (उनपर आधारित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में लिखते और बोलते
हैं।) पाठपरिचयः प्रस्तुत पाठ करुण रस के अनुपम चितेरे महाकवि भवभूति विरचित"
उत्तररामचरितम्" नामक प्रसिद्ध नाटक के चतुर्थ अंक से संकलित किया गया है। इसमें
चन्द्रकेतु द्वारा रक्षित राजा राम के अश्वमेधीय अश्व को देखकर आश्रम के बालकों में
उत्पन्न कौतूहल तथा लव द्वारा घोड़े को आश्रम में ले जाकर बाँधने की घटना का मार्मिक
चित्रण किया गया है। पाठसारांश:- राजा राम द्वारा निर्वासिता भगवती सीता के जुड़वाँ पुत्रों
लव एवं कुश का महर्षि वाल्मीकि के द्वारा पालन-पोषण किया गया, उन्हें शस्त्रों एवं
शास्त्रों की शिक्षा दी गयी तथा स्वरचित रामायण के सस्वर गान का अभ्यास कराया गया।
महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में अतिथि रूप में पधारे राजर्षि जनक, कौसल्या एव…