13. जैव-भू-रासायनिक चक्र (Bio-Geo-Chemical Cycle)

13. जैव-भू-रासायनिक चक्र (Bio-Geo-Chemical Cycle)
13. जैव-भू-रासायनिक चक्र (Bio-Geo-Chemical Cycle)
जैव-भू-रासायनिक चक्र (Bio-Geo-Chemical Cycle) प्रश्न : जैव-भू-रासायनिक चक्र (Bio-Geo-Chemical Cycle) का अभिप्राय क्या है? इसके कितने प्रकार हैं? इस पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये। उत्तर : जीव से भूमि में और भूमि से जीवों के मध्य रासायनिक पदार्थों या यौगिकों का आदान-प्रदान निरंतर चलता रहता है। जीव और भूमि के बीच रासायनिक पदार्थों या यौगिकों के आदान-प्रदान के इसी चक्र को पारिभाषिक शब्दावली में जैव-भू-रासायनिक चक्र (Bio-Geo-Chemical Cycle) कहा जाता है। हमें यह भलीभाँति मालूम है कि पौधे अपने विकास के लिए सौर ऊर्जा, जल तथा कार्बनडायऑक्साइड के अतिरिक्त मिट्टी से रासायनिक पदार्थों अर्थात् खनिजों को प्राप्त करते हैं। पौधे और प्राणी विभिन्न पोषण स्तरों से होते हुए वे खनिज जीवों के नष्ट होने के बाद पुनः मिट्टी में मिल जाते हैं। ऊर्जा का उपयोग जब जीव एक बार कर लेते हैं तो वह पुनः उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं होती। लेकिन खनिज उपभोग कर लिए जाने के बाद भी अन्य माध्यमों से अन्य के लिए उपलब्ध हो जाते हैं अर्थात् खनिजों को पौधे बार-बार सोखते हैं और इन पौधों या उत्पादकों को जब दूसरे जीव खाते हैं तो ये रासायन…