12 GEOGRAPHY
Dumka Model Set 1. (2025-26) Answer Key
सामान्य
निर्देश
*
इस प्रश्न पुस्तिका में दो भाग A तथा B है।
*
भाग A में 25 बहुविकल्पीय प्रश्न है जो एक अंक स्तरीय
हैं।
*
भाग B में खंड A, B तथा C हैं।
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खंड A अति लघु उत्तरीय प्रश्न है जो एक अंक स्तरीय हैं।
*
खंड B लघु उत्तरीय प्रश्न है जो तीन अंक स्तरीय हैं।
*
खंड C दीर्घ उत्तरीय प्रश्न है जो पांच अंक स्तरीय हैं
भाग - A बहुविकल्पीय प्रश्न । 1*25
1. भूगोल (Geography) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया
A.
अरस्तू
B.
फ्रेडरिक रेटजेल
C. इरेटास्थनीज
D.
चार्ल्स डार्विन
2. जियोग्राफिया जेनरेलिस पुस्तक के लेखक कौन हैं ?
A.
बकल
B.
डार्विन
C.
रेटजेल
D बर्नहार्ड वारेनियस
3. सर्वाधिक लिंगानुपात वाला देश है-
A.
चीन
B लाटविया
C.
कनाडा
D.
फ्रांस
4. निम्न में कौन सा आयु वर्ग कार्यशील जनसंख्या के अंतर्गत आता है?
A.
0 से 14 वर्ष
B. 15 से 59 वर्ष
C.
60 से 80 वर्ष
D.
इनमें से कोई नहीं
5. निम्न में कौन एकल कृषि नहीं है-
A.
डेयरी कृषि
B. मिश्रित कृषि।
C.
रोपण कृषि।
D.
वाणिज्य अनाज कृषि
6.. बुशमैन कहां के निवासी हैं
A.
कनाडा।
B.
कांगो।
C.
इक्वेडोर।
D. कालाहारी
7. जर्मनी का रूर क्षेत्र किस लिए प्रसिद्ध है?
A. कोयला
B.
तांबा
C.
चूनापत्थर
D.
पेट्रोलियम
8. निम्न में कौन सा चतुर्थक क्रियाकलाप के घटक है
A..
कृषि एवं खनन
B.
उद्योग एवं विनिर्माण
C. शिक्षा, सूचना, शोध प्रबंध
D.
व्यापार एवं वाणिज्य
9. कील नहर स्थित है
A.
ब्रिटेन में
B. जर्मनी में
C.
बेल्जियम में
D.
रूस में
10. सड़कों की सर्वाधिक लंबाई किस देश में है?
A.
चीन
B.
भारत
C.
फ्रांस
D. संयुक्त राज्य अमेरिका
11.2011 में भारत की जनसंख्या कितनी थी?
A.102.8
करोड़।
B.128.7
करोड़।
C.118.2
करोड़
D.121.2 करोड़
12. निम्न में कौन सा नगर नदी तट पर अवस्थित नहीं है?
A.
आगरा
B. भोपाल
C.
पटना
D.
कोलकाता
13. किसी झील के किनारे बसा गांव किस प्रतिरूप में आएगा?
A.
रेखीय
B. वृताकार
C.
नाभिक
D.
तारा
14. झूमिंग कृषि कहां की जाती है?
A.
उत्तर प्रदेश
B.
पंजाब
C.
बिहार
D. असम
15. निम्न में प्राचीन शहर कौन सा है?
A. पटना
B.
रांची
C.
मुंबई
D.
दुर्गापुर
16. भारत की सर्वाधिक प्रदूषित नदी कौन है?
A.
गंगा
B. यमुना
C.
नर्मदा
D.
गोदावरी
17. निम्न में कौन लौह धात्विक खनिज है?
A.
तांबा
B. मैंगनीज
C.
बॉक्साइट
D.
चांदी
18. भारत का सबसे पुराना तेल क्षेत्र कौन सा है?
A. डिगबोई
B.
अंकलेश्वर
C.
बॉम्बेहाई
D.
अहमदाबाद
19. नेवेली कोयला क्षेत्र किस राज्य में है?
A.
महाराष्ट्र
B.
गुजरात
C. तमिलनाडु
D.
झारखंड
20. प्रथम पंचवर्षीय योजना की अवधि थी-
A. 1951 से 1956
B.
1956 से 1961
C.
1947 से 1952
D.1950
से 1955
21. सीमा सड़क संगठन कब बनाया गया?
Α.
1950
Β.1960
C.1970
D.1980
22. भारत की पहली रेलगाड़ी किस वर्ष चली थी?
A.1850
B.1851
C.1852
D.1853
23. निम्न में कौन अम्ल वर्षा का एक प्रमुख कारण है?
A.
जल प्रदूषण
B. वायु प्रदूषण
C.
ध्वनि प्रदूषण
D.
भूमि प्रदूषण
24. औद्योगीकरण से कौन सा प्रदूषण होता है?
A.
जल प्रदूषण
B.
वायु प्रदूषण
C.
भूमि प्रदूषण।
D. इनमें से सभी
25. स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना की लंबाई कितनी है?
A. 5804 किलोमीटर
B.
5640 किलोमीटर
C.
5846 किलोमीटर
D.
4658 किलोमीटर
खंड-A भाग B
अति लघुउत्तरीय प्रश्न 01 अंकस्तरीय
किन्ही
सात प्रश्नों के उत्तर दें।
26. "मानव भूतल की उपज है" यह कथन किसका है?
उत्तर - एलेन चर्चिल सेम्पल
27. प्राथमिक क्रियाकलाप को परिभाषित करें।
उत्तर - उत्तर- प्राथमिक अथवा प्रारम्भिक व्यवसाय वे हैं
जिनके द्वारा मानव प्राकृतिक संसाधनों का प्रत्यक्ष उपयोग करता है। प्राथमिक
क्रियाएँ प्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण पर निर्भर होती हैं।
प्राथमिक क्रियाओं के अन्तर्गत आखेट व भोजन संग्रह,
पशुचारण, मछली पकड़ना, वनों से लकड़ी काटना, कृषि व खनन कार्य प्रमुख रूप से
सम्मिलित होते हैं।
28. भूमध्यसागरीय सागर के कृषि के दो मुख्य फसलों के नाम लिखें।
उत्तर - अंगूर और जैतून
29. प्रवास के एक अपकर्ष कारक लिखें।
उत्तर - बेहतर नौकरी के अवसर, अच्छी शिक्षा, बेहतर जीवन
स्तर, स्वास्थ्य सुविधाएं और सुरक्षा।
30. प्रशासनिक शहर किसे कहते हैं?
उत्तर - वे नगर जिनमें राष्ट्रीय सरकारों के प्रशासनिक
विभागों के मुख्यालय हों उनको प्रशासनिक नगर कहा जाता है।
31. भूमध्यसागरीय कृषि के दो फसलों के नाम लिखें।
उत्तर - भूमध्यसागरीय कृषि में मुख्यतः, बाग, अंगूर, अनाज,
सब्जी की खेती की जाती है।
32. बाढ़ क्या है?
उत्तर - बाढ़ का अर्थ है 'बहना' अर्थात् अत्यधिक बारिश होने
के कारण जब नदियों, तालाब, झील, तथा समुद्र के जलस्तर में वृद्धि हो जाती है, वही
स्थिति को बाढ़ कहते है।
33. पर्यटन क्या है?
उत्तर - पर्यटन एक ऐसी यात्रा है जो व्यापार की बजाय
आमोद-प्रमोद के उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए की जाती है।
34. किन्ही दो पेय फसलों के नाम लिखें।
उत्तर - चाय और कॉफी
खंड- B लघु उत्तरीय प्रश्न 03 अंक स्तरीय
किन्हीं
6 प्रश्नों के उत्तर दें।
35. चलवासी पशुचारण का वर्णन करें।
उत्तर - चलवासी
पशुचारण सहारा के अर्द्ध-शुष्क और शुष्क प्रदेशों में, मध्य एशिया और भारत के कुछ भागों
जैसे राजस्थान तथा जम्मू और कश्मीर में प्रचलित है। इस प्रकार की कृषि में पशुचारक
अपने पशुओं के साथ-साथ चारे और पानी के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर निश्चित मार्गों
से घूमते हैं। पशुचारक मुख्यतः भेड़, ऊँट, मवेशी, याक और बकरियाँ पालते हैं। ये पशुचारकों
और उनके परिवारों के लिए दूध, मांस, ऊन, खाल और अन्य उत्पाद उपलब्ध कराते हैं।
36. नव नियतिवाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर - नवनियतिवाद की संकल्पना में यह बताया गया कि प्रकृति एवं
मानव दोनों श्रेष्ठ है और दोनों ही एक-दूसरे के पूरक है। मानव के बिना प्रकृति
अपने आप में अर्थहीन है जबकि प्रकृति के बिना मानव का अस्तित्व संभव नहीं है।
37. पाइपलाइन परिवहन के लाभ लिखें?
उत्तर - पाइप लाइनों द्वारा जल, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि तरल
एवं प्रवाही पदार्थों का लम्बी दूरी तक परिवहन अत्यधिक सुविधापूर्वक एवं सक्षम ढंग
से किया जाता है।
38. जल प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- जल प्रदूषण का सर्वाधिक प्रभाव मानव पर ही पड़ता है।
प्रदूषित जल के कारण विभिन्न संक्रामक रोग तथा अन्य खतरनाक रोग; यथा- हैजा, आंतों
के कृमि, पीलिया, अतिसार, मियादी बुखार, पेचिस आदि हो जाते हैं। हमारे देश में
होने वाले संचारी रोगों में लगभग 25 प्रतिशत रोग जलजनित होते हैं।
39. कुटीर एवं लघु उद्योग में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर - कुटीर एवं लघु उद्योगों में निम्नलिखित अंतर है
कुटीर उद्योग |
लघु उद्योग |
1.
कुटीर उद्योग में दस्तकार स्वयं
व उसके परिवार के सदस्य कार्य करते हैं। |
1.
लघु उद्योग में मजदूर लगाए जाते
हैं तथा मशीनों को चलाने के लिए ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है। |
2.
अधिकांश उत्पादन घर में ही खप
जाता है तथा बहुत कम अधिशेष बचता है। |
2.
समस्त उत्पादन बाजार में बेचा जाता है। |
3.
कुटीर उद्योगों में स्थानीय कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है। |
3.
लघु उद्योगों में स्थानीय कच्चे माल के कम पड़ने पर वह बाहर से मंगाया जाता है। |
4.
जो थोड़ा-बहुत अधिशेष बचता है वह स्थानीय बाजार में बेचा जाता है। |
4.
लघु उद्योगों का उत्पाद स्थानीय बाजार के साथ-साथ दूर-दराज के बाजारों में भी बेचा
जाता है। |
40. आधारभूत उद्योग को उदाहरण सहित समझाएं।
उत्तर - आधारभूत उद्योग वह होते हैं जिनका उत्पाद अन्य उद्योगों के
लिए कच्चा माल प्रदान करता है।
मुख्य उदाहरण: लोहा और इस्पात उद्योग, पेट्रोलियम रिफाइनरी,
रसायन उद्योग, सीमेंट उद्योग। ये उद्योग देश की आर्थिक और औद्योगिक विकास की नींव
होते हैं।
41. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रमुख आधार क्या है?
उत्तर - अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रमुख आधार निम्नलिखित हैं:
1. संसाधनों
का असमान वितरण: विभिन्न देशों में प्राकृतिक संसाधनों का वितरण समान नहीं होता।
जैसे मध्य पूर्व के देश तेल के लिए प्रसिद्ध हैं, जबकि जापान जैसे देश प्राकृतिक
संसाधनों की कमी रखते हैं। इसलिए देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार होता
है।
2. विशेषज्ञता
और दक्षता: विभिन्न देश कुछ उत्पादों या सेवाओं में विशेषज्ञ होते हैं। उदाहरण के
लिए, भारत सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में दक्ष है जबकि जर्मनी मशीनरी निर्माण
में माहिर है। इस विशेषज्ञता के कारण देशों के बीच व्यापार होता है।
3. आर्थिक
लाभ: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से देशों को लागत में कमी और अधिक लाभ मिलता है।
उदाहरण के लिए, भारत सस्ते कपड़े का उत्पादन करके उसे अन्य देशों में निर्यात करता
है।
4. विविधता
और प्रतिस्पर्धा: व्यापार से उपभोक्ताओं को विभिन्न विकल्प मिलते हैं, जिससे
प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार आता है।
42. वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर - वर्षा जल संग्रहण से आशय वर्षा जल संग्रहण
वह तकनीक है जिसके द्वारा धरातल अथवा भूमिगत जलभृत में वर्षा जल एकत्रित एवं संगृहीत
किया जाता है अर्थात् वर्षा जल संग्रहण का तात्पर्य भूमिगत जल की क्षमता को बढ़ाना
है। वर्षा का जल जहाँ गिरता है, वहीं उसका उपयोग करना वर्षा जल संग्रहण कहलाता है।
भारत में वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता-
भारत में वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता निम्न कारणों से है-
(i) वर्षा जल संग्रहण धरातलीय व भूमिगत
जल की उपलब्धता में वृद्धि कर भूमिगत जल के स्तर को बढ़ाना है साथ ही इससे भूमिगत जल
ऊर्जा में बचत होती है।
(ii) फ्लोराइड और नाइट्रेटस जैसे संदूषकों
को कम करके अवमिश्रण भूमिगत जल की गुणवत्ता को बढ़ाता है।
(iii) मृदा अपरदन तथा बाढ़ों को नियन्त्रित
करने में सहयोग मिलता है।
(iv) वर्षा जल संग्रहण विधि को जलभृतों
के पुनर्भरण के लिए उपयोग किया जाता है तो इससे तटीय क्षेत्रों में सागर के लवणीय जल
का प्रवेश रुक जाता है।
(v) वर्षा जल संग्रहण घरेलू उपयोग के
लिए भूमिगत जल पर मानवीय समुदाय की निर्भरता को कम करता है।
(vi) भारत के अधिकांश नगरों में जल
की माँग जल की आपूर्ति की तुलना में काफी बढ़ चुकी है। वर्षा जल संग्रहण से नगरों में
जल की बढ़ती माँग को काफी सीमा तक पूरा किया जा सकता है।
खंड- C दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 05 अंक स्तरीय
किन्ही
चार प्रश्नों के उत्तर दें
43. ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों का वर्णन करें।
उत्तर - जिन स्रोतों का उपयोग मनुष्य अपनी ऊर्जा
की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए लंबे समय से करता चला आ रहा है।
• इन स्रोतों का भंडार सीमित है तथा ये
अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत हैं।
• इन ऊर्जा स्रोतों के उपयोग से प्रदूषण
होता है।
• कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि
परंपरागत ऊर्जा स्रोत के उदाहरण हैं।
44. गेहूं अथवा कॉफी उत्पादन के लिए आवश्यक अनुकूल दशाओं का वर्णन करें।
उत्तर -
गेहूं उत्पादन
गेहूँ की खेती के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएँ हैं :
(i) बोने के समय वायुमंडलीय तापमान कम होना चाहिए। उस समय
का तापमान लगभग 15°C से 18°C तक रहना चाहिए अधिक तापमान रहने के कारण इसके नाजुक
पौधे सूर्य की तीव्र धूप से सूख जाते हैं।
(ii) वार्षिक वर्षा 50-75 सेमी. की आवश्यकता पड़ती है। कम
वर्षा वाले क्षेत्रों में जहाँ सिंचाई की सुविधा है वहाँ गेहूँ की खेती की जाती
है।
(iii) गेहूँ की खेती के लिए उपजाऊ दोमट मिट्टी की आवश्यकता
होती है। (iv) गेहूँ की फसल पकते समय सूर्य की खिली धूप की आवश्यकता होती है। (v)
गेहूँ की खेती के लिए समुचित उर्वरक की आवश्यकता होती है।
(vi) बोने एवं फसल की कटाई से लेकर दौनी करने में कृषि
यंत्रों का उपयोग किया जाता है।
गेहूँ के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र- (क) पंजाब, (ख) हरियाणा,
(ग) उत्तर प्रदेश, (घ) बिहार ।
कॉफी उत्पादन
भारत में कहवा की खेती का विधिवत् आरम्भ 1830 ई० से हुआ था।
इसका प्रथम बाग मैसूर राज्य (अब कर्नाटक) में लगाया गया था। आवश्यक भौगोलिक दशाएँ
– कहवा की खेती के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएँ निम्नलिखित होती हैं
1. तापमान – कहवा के उत्पादन के लिए औसत वार्षिक तापमान 15°
से 18° सेग्रे आवश्यक होता है। कहवे का पौधा अधिक धूप को सहन नहीं कर पाता। इसी
कारण इसे छायादार वृक्षों के साथ उगाया जाता है।
2. वर्षा – कहवे के लिए 150 से 200 सेमी वर्षा पर्याप्त
रहती है। जिन क्षेत्रों में वर्षा का वितरण समान होता है, वहाँ 300 सेमी वर्षा
पर्याप्त रहती है। सामान्यतया इसकी खेती 900 मीटर से 1,800 मीटर की ऊँचाई वाले
भागों में छायादार वृक्षों के साथ की जाती है। इसके लिए वनों से साफ की गयी भूमि
अधिक उपयुक्त रहती है, क्योंकि इसमें उपजाऊ तत्त्व अधिक मिले रहते हैं।
3. मिट्टी – कहवे के लिए दोमट एवं ज्वालामुखी उद्गार से
निकली लावा से निर्मित मिट्टी अधिक उपयुक्त रहती हैं, जिनमें क्रमशः जीवांश एवं
लोहांश मिले होते हैं। कर्नाटक, तमिलनाडु एवं केरल राज्यों की लैटेराइट मिट्टियों
में कहवे का उत्पादन किया जाता है।
4. मानवीय श्रम – कहवे के पौधों को लगाने, निराई-गुड़ाई
करने, बीज तोड़ने, सुखाने, पीसने आदि कार्यों के लिए पर्याप्त संख्या में सस्ते
एवं कुशल श्रमिकों की आबश्यकता पड़ती है। इन कार्यों के लिए बच्चे एवं स्त्रियाँ
श्रमिक अधिक उपयुक्त रहते हैं।
उत्पादक क्षेत्र – भारत के प्रमुख कहवा उत्पादक राज्य
कर्नाटक, तमिलनाडु व केरल हैं। आन्ध्र प्रदेश में भी विगत वर्षों में कहवे के
बागान लगाये गये हैं।
• कर्नाटक – देश में सर्वप्रथम कहवा उत्पादन इसी राज्य में
हुआ था। कुर्ग, चिकमगलूर, हसन, शिमोगा, दक्षिणी कर्नाटक प्रमुख उत्पादक जिले हैं।
कर्नाटक का देश के कहवा उत्पादन में प्रथम स्थान है। देश के कुल उत्पादन का 56%
भाग यहीं पैदा होता है।
• केरल – यहाँ वायनाद, इदुकी, कोट्टायम अर्नाकुलम, पालघाट,
क्विलोन, अलप्पी प्रमुख कहवा उत्पादक जिले हैं। तमिलनाडु – यहाँ मदुरै,
तिरुनेलवेली, नीलगिरि, कोयम्बटूर, सलेम प्रमुख कहवा उत्पादक जिले हैं।
• आन्ध्र प्रदेश – यहाँ का विशाखापत्तनम् जिला मुख्य कहवा
उत्पादक स्थान है।
45. देश के आर्थिक विकास में रेल परिवहन के महत्व का वर्णन करें।
उत्तर - भारतीय रेलों का महत्व यातायात के विभिन्न साधनों में रेलों
का महत्व सर्वाधिक है। इसको निम्न प्रकार समझा जा सकता है-
(1) अधिकांश रेलमार्ग उन क्षेत्रों में बनाये गये हैं जो
बहुत उपजाऊ और घने बसे हैं क्योंकि ऐसे ही क्षेत्रों में यात्री और माल ढोने को
मिलता है। इसी कारण रेलों का विस्तार विशाल मैदान में अधिक मिलता है।
(2) रेलें देश के समुद्रतटीय बन्दरगाहों को भीतरी औद्योगिक
व व्यापारिक नगरों से जोड़ती हैं। विदेशों से आयातित माल भीतरी भागों में वितरण
करने तथा विदेशों को माल निर्यात करने में सहयोग देती हैं। कच्चा माल क्षेत्रों,
कारखानों व बाजार क्षेत्रों को परस्पर जोड़ती हैं।
(3) रेलों ने देश में छुआछूत, प्रादेशिक और साम्प्रदायिक
भावनाओं और सामाजिक संगठन पर प्रभाव डाला है। इनके कारण लोगों में गतिशीलता,
भ्रमणप्रियता और मनोरंजन की भावनायें बढ़ गई हैं।
(4) रेलों ने देश के सुदूर क्षेत्रों को एक-दूसरे के पड़ौस
में लाकर बिठा दिया है।
(5) रेलों के कारण अकाल के भयानक परिणामों से छुटकारा मिला
है।
(6) रेलें बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों या दैवी विपत्ति के समय माल
व अनाज पहुँचाने में भारी मदद करती हैं।
(7) किसानों को उन्नत बीजों, खाद एवं उन्नत कृषि यन्त्रों
की प्राप्ति होने लगी है। उनकी उपज दूर-दूर की मण्डियों में पहुँचने लगी है। कृषि
का रूप व्यापारिक होता जा रहा है।
(8) औद्योगिक उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चा माल, कोयला,
खनिज, तेल, श्रम आदि को जुटाने में रेलों का बहुत बड़ा योगदान है।
(9) अन्य सभी प्रचलित व विस्तृत साधनों में रेलें सबसे
सस्ते यातायात साधन हैं। भारत में यात्री किराया एशिया के देशों में सबसे कम है।
(10) शीघ्र खराब होने वाली वस्तुओं का उत्पादन बढ़ गया है,
क्योंकि रेलों द्वारा उन्हें कम समय में ही इच्छित स्थानों पर ले जाया जाता है।
(11) रेलमार्गों ने अनेक नई बस्तियों को जन्म दिया है तथा
अनेक रेल बस्तियाँ नगर व महानगर के रूप में विकसित हो गई हैं।
(12) भारत जैसे विशाल देश का सुदृढ़ प्रशासन एवं सुरक्षा
रेलों द्वारा ही सम्भव हो सका है। भारतीय रेल का एशिया में प्रथम एवं विश्व में
दूसरा स्थान है। 1950-51 में रेलमार्ग 53,596 किमी. था जो 31 मार्च, 2005 को बढ़कर
63,500 किमी. और 31 मार्च, 2015 को 66,000 किमी. हो गया है। इसमें विद्युत्
रेलमार्ग 22,200 किलोमीटर है।
46. खनिज एवं ऊर्जा संरक्षण के उपाय लिखें।
उत्तर - खनिज संरक्षण : खनिजों का मितव्ययीतपूर्ण और सुनियोजित
उपयोग अर्थात् खनिज संरक्षण ।
खनिज संरक्षण के उपाय:
उचित टेक्नोलॉजी का उपयोग: खनिज प्राप्त करने के लिए उचित
टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाये तो ही खनिजों का बिगाड़ रोक सकते है ।
पुन: चक्र: लोहा, तांबा, एल्युमिनियम, कलई के अनुपयोगी
वस्तुओं का दुबारा से उपयोग में लेना चाहिए ।
खनिजों का वैकल्पिक उपयोग: कम मात्रावाले खनिजों के विकल्प
खोजने चाहिए । विद्युत के स्थान पर सौर ऊर्जा का उपयोग, ताँबे के स्थान पर
एल्युमिनियम का उपयोग, पैट्रोल के स्थान पर CNG का उपयोग करना चाहिए ।
बिन परंपरागत साधनों का उपयोग: जल, सौर, पवन, बायोगैस जैसे
बिन परंपरागत स्रोतों का उपयोग करना चाहिए ।
स्थाई विकास: पर्यावरण की गुणवत्ता बनाए रखकर भविष्य की
पीढ़ी को शुद्ध पर्यावरण की भेट देना । प्रदूषण मुक्त पर्यावरण के प्रयत्न करना ।
खनिजों के अनुमानित भण्डार निश्चित हो उसके बाद उसका
आयोजनपूर्वक उपयोग हो तो उसका लंबे समय तक उपयोग हो सकता है । जो खनिज अधिक है
उनका बारंबार और भरपूर उपयोग करना चाहिए।
ऊर्जा संरक्षण के उपाय –
• मोटरसाइकिल, स्कूटी या कार का प्रयोग तभी करें जब बहुत
आवश्यक हो।
• जब आवश्यकता न हो तो पंखे, बल्ब व अन्य विद्युत उपकरणों
के स्विच को बन्द कर दें।
• जहाँ तक सम्भव हो, थोड़ी दूर जाने के लिए पैदल चलें या
साइकिल से जाएँ। ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए भी हितकर है।
• यदि सम्भव हो तो सोलर कुकर, सोलर लालटेन व सोलर पम्प आदि
का प्रयोग करें।
• सामान्य बिजली के बल्बों के स्थान पर सी०एफ०एल० (Compact
Fluorescent Lamp) अथवा ” एल०ई०डी० (Light Emitting Diode) का उपयोग करने से
अपेक्षाकृत अधिक प्रकाश मिलता है और ऊर्जा की बचत होती है।
• भोजन बनाने से पहले दाल, चावल आदि पदार्थों को कुछ समय तक
भिगोकर रखना चाहिए एवं ढककर पकाना चाहिए।
47. ध्वनि प्रदूषण के स्रोतों एवं इसके दुष्प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर - विश्व स्वास्थ्य से के अनुसार अवांछित
और अप्रिय आवाज ही शोर है जो मानव के दिन-प्रतिदिन के क्रिया-कलापों होता है।
राय के अनुसार, "अनिच्छित ध्वनि
जो मानवीय सुविधा, स्वास्थ्य एवं गतिशीलता में व्यवा करती है, उसे ध्वनि प्रदूषण कहा
जाता है।"
ध्वनि प्रदूषण के स्रोत - ध्वनि प्रदूषण
के निम्न दो स्रोत हैं-
(1) प्राकृतिक एवं (2) मानवीय।
प्राकृतिक स्रोतों के अन्तर्गत बादलों
की गरज (गरगराहट), बिजली की कड़क, तीव्र हवाएँ. झंझावात, तड़ित झंझा, टॉरनेडो, उच्च
जलप्रपात, ज्वालामुखी, भूकम्प, उच्च तीव्रता वाली वर्षा, सा आदि हैं।
मानवीय स्रोतों अधिक खतरनाक हैं जिनका
विवरण नीचे दिया जा रहा है-
(1) यातायात वाहन - वर्तमान समय में
बढ़ते यातायात के साधन ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख स्कूटर, मोटर साइकिल, कार, ट्रक, रेल,
हवाई जहाज तथा जेट आदि सभी ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न मोटर साइकिल तथा स्कूटर से 80 से
110 डेसीबल, रेल से 90-110 डेसीबल तथा हवाई जहाज से 140 डेसीबल ध्वनि उत्पन्न होती
है। बस स्टेण्ड, रेलवे स्टेशन तथा हवाई अड्डा आदि पर ध् बहुत रहता है।
(2) मनोरंजन स्थल-प्रायः मनोरंजन के
सभी स्थलों पर ध्वनि प्रदूषण होता है। सिनेमाघर, नाचघर, होटल इत्यादि में ध्वनि प्रदूषण
होता है। इन सभी स्थानों पर संवाद, संगीत तथा गीत इतः बजाए एवं गाए जाते हैं कि वहाँ
ठहरना मुश्किल हो जाता है।
वर्तमान समय में रॉक संगीत, पॉप संगीत
ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाने में अग्रणी होते जा र सुनने से मस्तिष्क में तनाव बढ़ने लगता
है।
(3) शिक्षण संस्थाएँ छात्र-छात्राओं
की बढ़ती जनसंख्या के कारण उनका जमाव शिक्षण में भी अधिक होता है अतः सभी शिक्षण संस्थाएँ
प्रदूषण के केन्द्र बनते जा रहे हैं। यहाँ तेजी से पर 80 से 90 डेसीबल (डी. बी.) ध्वनि
प्रदूषण होता है। इन संस्थाओं में घण्टे बजना, साइरन सामान्य बात है। साइरन बजने से
140 से 150 डेसीबल तक ध्वनि प्रदूषण होता है।
शिक्षण संस्थाओं में होने वाले चुनाव,
स्नेह सम्मेलन एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के ध्वनि प्रदूषण होता है। इन आयोजनों
पर लाउडस्पीकर तथा अन्य ध्वनि प्रदूषणकारी उपयोग में ला
(4) घरेलू ध्वनि प्रदूषण घरों में भी
ध्वनि प्रदूषण होता है। घरों में तेजी से रेडियो एवं चलाना, फोन का आना तथा उस पर बात
करना, प्रेशर कुकर, कपड़े धोने की मशीन तथा मसाले मशीन आदि भी ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न
करते हैं। सामान्य बातचीत में 60 डेसीबल तथा टेलीफोन एवं कपड़े धोने की मशीन से 70
डेसीबल ध्वनि प्रदूषण होता है। जब तेजी से किवाड़ बन्द कि या कोई सामान तेजी से गिरता
है तो उससे भी ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न होता है। घरों में जनरेटरों से भी ध्वनि प्रदूषण
होता है।
ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव
मानव के लिए उपयोगी समस्त सहायक उपकरण
या वाहन आदि ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करते हैं जिससे मानव जीवन खतरे में पड़ जाता है।
इसका प्रभाव निम्न प्रकार से पड़ता है-
(1) अप्रत्याशित ध्वनि प्रदूषण के कारण
निद्रा में व्यवधान पड़ता है। वैज्ञानिकों ने प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया कि 30 डेसीबल
के शोर से निद्रा टल जाती है। 75 डेसीबल की ध्वनि से टेलीफोन वार्ता प्रभावित होती
है तथा 90 डेसीबल से अधिक ध्वनि से स्वाभाविक निद्रा में लीन व्यक्ति जाग जाता है।
(2) ध्वनि प्रदूषण से बहरापन बढ़ता
है। इससे बोलने में व्यवधान पड़ता है तथा चिड़चिड़ापन होता है। अधिक चिड़चिड़ेपन के
कारण मानसिक विकृतियाँ उत्पन्न होती हैं।
(3) श्रवण सम्बन्धी प्रभावों में श्रवण
क्रियाविधि में होने वाली कमियों को सम्मिलित किया जाता है। परीक्षणों द्वारा पाया
गया कि अधिक देर तक उच्च तीव्रता वाली ध्वनि सुनने से कान के परदे फट जाते हैं। 90
डेसीबल से अधिक ध्वनि लोगों की श्रवण-शक्ति को क्षीण कर देती है।
(4) ध्वनि प्रदूषण से मनोवैज्ञानिक
प्रभाव भी पड़ते हैं। अधिक ध्वनि प्रदूषण के कारण मानव तथा जानवरों में अनेक प्रकार
के आचार-व्यवहार सम्बन्धी परिवर्तन देखे गए है। अनावश्यक झुंझलाहट एवं चिड़चिड़ेपन
के कारण कार्यक्षमता का ह्रास होता है।
(5) ध्वनि प्रदूषण के कारण हृदय रोग
भी हो जाता है। ध्वनि के कारण आमाशय में अम्ल स्रावण घट जाता है जिससे पाचन क्रिया
पर विपरीत असर पड़ता है। इससे मानवीय चिन्तन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ध्वनि प्रदूषण
के कारण ही उत्तेजना, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, आँखों में तनाव, माँसपेशियों में खिचाव,
पाचन तन्य में अव्यवस्था, मानसिक तनाव, श्वेत कोशिकाओं का कम होना, रक्त में कोलेस्ट्रोल
का बढ़ना तथा गैस्ट्रिक अल्सर पैदा होते हैं।
(6) ध्वनि प्रदूषित पर्यावरण में कार्य
करने से व्यक्ति में चिड़चिड़ापन बढ़ता है तथा थकान जल्दी आ जाती है जिससे कारखानों
में कार्य करने वाले व्यक्तियों के कारण कई बार दुर्घटनाएँ भी हो जाती हैं।
(7) ध्वनि प्रदूषण के कारण वन्य जीवों
की प्रजनन क्षमता कम हो जाती है। जिन अभयारण्यों के समीप ध्वनि अधिक होती है, वहाँ
पक्षी आना बन्द कर देते हैं।
(8) ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव इमारतों
तथा प्राचीन स्मारकों पर भी देखा गया है। जब अधिक ध्वनि के कारण कम्पन उत्पन्न होता
है तो इमारतें कमजोर हो जाती है। मध्य प्रदेश में खजुराहो में स्थित मन्दिरों में दरारें
वहाँ बोइंग विमान के कारण बतायी जाती हैं।
स्पष्ट है कि ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव
विभिन्न रूपों में देखा जा सकता है। ध्वनि के प्रभावों हुए डॉ. सैमुअल रोजन नामक वैज्ञानिक
ने कहा कि "आप चाहे शोर (ध्वनि) को क्षमा कर आपकी धमनियाँ नहीं करेंगी।"
48. दिए गए विश्व मानचित्र पर निम्न को दर्शाएं
(क)
सिंगापुर।
(ख)
मेक्सिको की खाड़ी।
(ग)
मालागासी
(घ)
लाटविया
(इ)
ग्रीनलैंड
उत्तर –