© अर्थशास्त्र (Economics) एक मानवीय व्यवहार का विज्ञान है जिसका संबंध दुर्लभ संसाधनों का वैकल्पिक उपयोगों में इस प्रकार बटवारा करना है कि एक उपभोक्ता को अधिकतम संतुष्टि, एक उत्पादन को अधिकतम लाभ तथा संपूर्ण समाज को अधिकतम सामाजिक कल्याण की प्राप्ति हो सके।
© संसाधन
/साधन (Resources/Means) मानवीय जरूरतों की तुलना में दुर्लभ है और इनके वैकल्पिक उपयोग
हैं।
© संसाधनों
की दुर्लभता (Scarcity of
Resources) और इनके वैकल्पिक उपयोगों के कारण चयन (Choice) की समस्या पैदा होती है।
© चयन
की समस्या (Problem of Choice) जो संसाधनों की दुर्लभता के कारण उदय होती है, आधारभूत
आर्थिक समस्या (Basic Economic Problem) है।
© दुर्लभता
(Scarcity) वह स्थिति है जिसमें किसी वस्तु की माँग उसकी पूर्ति से. शून्य कीमत पर
भी अधिक होती है।
© उत्पादन,
उपभोग, निवेश तथा विनिमय प्रमुख आर्थिक क्रियाएँ हैं।
© अर्थशास्त्र
में, बाजार से अभिप्राय किसी शॉपिंग कॉम्पलेक्स से नहीं है, यह एक संयन्न या व्यवस्था
है जो वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री एवं खरीद को सुविधाजनक बनाता है।
© व्यष्टि-अर्थशास्त्र
(Microeconomics) अर्थशास्त्र की वह शाखा है जो व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों जैसे एक उपभोक्ता
अथवा एक उत्पादक,
से सबंधित आर्थिक समस्याओं (या आर्थिक मुद्दों) का अध्ययन करती है। संसाधन आवंटन की
समस्या व्यष्टि-अर्थशास्त्र का प्रमुख तत्व है।
© व्यष्टि-अर्थशास्त्र
के सिद्धांतों ( Theories) में शामिल हैं (i) माँग तथा उपभोक्ता व्यवहार का
सिद्धांत, (ii) पूर्ति तथा उत्पादक व्यवहार का सिद्धांत, (iii) उत्पादन सिद्धात जो
ये व्याख्या करते है कि आगतों के विभिन्न संयोगों पर उत्पादन की अनुक्रिया क्या
होती है, (iv) कीमत सिद्धात, जो यह व्याख्या करते हैं कि विभिन्न बाजारों में
वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतें कैसे निर्धारित होती हैं।
© समष्टि-अर्थशास्त्र
(Macroeconomics) अर्थशास्त्र की वह शाखा है जो सपूर्ण अर्थव्यवस्था से सबंधित आर्थिक
समस्याओं (या आर्थिक
मुद्दों) का अध्ययन करती है, समग्र माँग समग्र आपूर्ति, राष्ट्रीय आय और राष्ट्रीय
उत्पाद आदि कुछ महत्वपूर्ण समष्टि चर (Macro Variables) है। राष्ट्रीय आय (अथवा राष्ट्रीय उत्पाद)
का संतुलन समष्टि अर्थशास्त्र का मुख्य मुद्दा है।
© बाजार अर्थव्यवस्था (Market Economy) एक वह स्वतंत्र अर्थव्यवस्था है जिसमें बाजार में कीमत-सिगनलों के अनुसार उपभोक्ता तथा उत्पादक अपने उपभोग तथा उत्पादन के निर्णय लेते हैं। स्वहित की प्राप्ति यहाँ मुख्य उद्देश्य है।
© केद्रीय
योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था (Centrally Planned Economy। वह अर्थव्यवस्था है जिसमें उत्पादन,
उपभोग तथा निवेश से संबंधित
मुख्य निर्णय किसी केंद्रीय अधिकारी द्वारा लिए जाते हैं। यहाँ मुख्य उद्देश्य सामाजिक
कल्याण को अधिकतम करना है।
© मिश्रित
अर्थव्यवस्था (Mixed Economy) वह अर्थव्यवस्था है जिसमें उत्पादन, उपभोग तथा निवेश
संबंधी निर्णय बाजारी शक्तियों की
स्वतन्त्र अंतक्रिया पर छोड़ दिए जाते हैं।
परंतु आर्थिक क्रियाओं का नियमन सरकार द्वारा होता है ताकि व्यक्तिगत कल्याण के
साथ सामाजिक कल्याण अधिकतम हों।
© वास्तविक
अर्थशास्त्र (Positive Economics) से अभिप्राय अर्थशास्त्र में उन कथनों से है
जिनकी सत्यता की जाँच की जा सकती है।
© आदर्शात्मक अर्थशास्त्र (Normative
Economics) से अभिप्राय उन कथनों से है जिनमें सुझाव
दिए जा सकते हैं और इसलिए इनकी सत्यता की जाँच नहीं की जा सकती।
© तीन
केद्रीय समस्याएँ (Three Central Problems) है (i) क्या उत्पादन किया जाए?, (ii) कैसे उत्पादन किया जाए।
(iii) किसके लिए उत्पादन किया
जाए? कुछ अर्थशास्त्री दो अन्य समस्याओं को भी केंद्रीय समस्याएँ मानते हैं, ये हैं
(i) संसाधनों के सपूर्ण उपयोग की समस्या
तथा (ii) संसाधनों के विकास की समस्या।
© क्या
उत्पादन किया जाए (What to Produce) की समस्या आधारिक रूप से वस्तुओं एवं सेवाओं के
चयन की समस्या है जिनका उत्पादन
सीमित संसाधनों द्वारा किया जाना है।
© कैसे
उत्पादन किया जाए (How to Produce) अनिवार्य रूप से तकनीक के चयन की समस्या है। एक
अर्थव्यवस्था को श्रम गहन तकनीक
तथा पूँजी गहन तकनीक में से चयन करना पड़ता है।
© किसके
लिए उत्पादन किया जाए (For Whom to Produce) की समस्या उत्पादन या आय के वितरण की समस्या
है।
© उत्पादन
संभावना वक्र (Production Possibility Curve) दो वस्तुओं के सेट के विभिन्न
संयोगों को प्रकट करती है जिनका उत्पादन दिए हुए संसाधनों एवं दी हुई तकनीक के
द्वारा हो सकता है।
© उत्पादन
संभावना वक्र केंद्रीय समस्याओं की व्याख्या करता है (PPC helps illustrate the Central
Problems) मूलतः PPC यह प्रकट करता है कि वस्तु-X का अधिक उत्पादन वस्तु-Y को कुछ मात्रा
का त्याग करके किया जा सकता है।
© उत्पादन
संभावना वक्र मूल विदु की ओर नतोदर होता है (PPC is concave to the Origin) यह सुझाव
देता है कि वस्तु-x को
प्रत्येक अतिरिक्त इकाई की प्राप्ति के लिए वस्तु-Y का अधिक से अधिक त्याग करना
पड़ता है।
© जब
संसाधनों को वस्तु-Y से वस्तु-X के लिए विवर्तित किया जाता है (When resources are
shifted from good-Y to good-X) तब वस्तु-x के उत्पादन का लाभ होता है और वस्तु-Y के
उत्पादन की हानि होती है। वस्तु-Y के उत्पादन की हानि वस्तु-x के उत्पादन के लाभ की
अवसर लागत है।
© अवसर
लागत (Opportunity Cost) दूसरे सर्वश्रेष्ठ त्यागे गए विकल्प का मूल्य है किसी
कारक की अवसर लागत से अभिप्राय उसके दूसरे सर्वश्रेष्ठ मूल्य से है।
© सीमांत
अवसर लागत (Marginal Opportunity Cost) से अभिप्राय Y-वस्तु के उत्पादन की मात्रा में
होने वाली उस कमी से है जो
कि X-वस्तु की एक अधिक इकाई के उत्पादन के फलस्वरूप होती है, जब ससाधनों को Y से X
की ओर विवर्तित किया जाता है।
© केंद्रीय समस्याओं (Central Problem) का समाधान विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में विभिन्न प्रकार से किया जाता है। बाजार अर्थव्यवस्था में इनका समाधान बाजार शक्ति की अंतक्रिया द्वारा किया जाता है, इसे कीमत संयत्र कहते हैं। केंद्रीय योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में इनका हल किसी केद्रीय अधिकारी द्वारा किया जाता है। मिश्रित अर्थव्यवस्था में, कीमत संयत्र तथा केद्रीय अधिकारी निर्देश इकट्ठा करके इस कार्य को संपन्न करते हैं।
उपभोक्ता संतुलन स्मरण रखें (Remember an
Consumer's Equilibrium)
©
किसी
वस्तु में आवश्यकता को संतुष्ट करने की शक्ति को उपयोगिता कहा जाता है।
©
कुल
उपयोगिता एक वस्तु की सभी इकाइयों के उपभोग करने से प्राप्त होने वाली उपयोगिता का
जोड़ है।
सीमांत उपयोगिता वस्तु को एक अधिक इकाई के प्रयोग करने से प्राप्त होने वाली अतिरिक्त उपयोगिता है।
`MU_{nth}=TU_n-TU_{n-1}`
©
हासमान
सीमांत उपयोगिता का नियम व्यक्त करता है कि किसी वस्तु की मानक इकाइयों के निरंतर अधिकाधिक प्रयोग करने से
उपभोक्ता के लिए उसकी सीमांत उपयोगिता घटती जाती है।
©
उपभोक्ता
संतुलन से अभिप्राय उस स्थिति से है, जिसमें विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर अपनी दी
हुई आय व्यय करके उपभोक्ता अपनी संतुष्टि को अधिकतम करता है।
©
मुद्रा
की सीमांत उपयोगिता संतुष्टि का वह एक रुपये का बराबरी मूल्य है जो उपभोक्ता प्राप्त
करने की अपेक्षा करता है।
© एक वस्तु (मान लो वस्तु-X) की स्थिति में संतुलन तब प्राप्त होता है जब
`\frac{MU_x}{P_x}=MU_m`
© दो वस्तुओं (मान लो X और ) की स्थिति में संतुलन तब प्राप्त होता है जब
`\frac{MU_x}{P_x}=\frac{\MU_y}{\P_y}=MU_m` अथवा,
`\frac{MU_x}{MU_y}=\frac{\P_x}{\P_y}=MU_m`
© वस्तु की 'n' संख्या की स्थिति में संतुलन तब प्राप्त होता है जब