झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण
परिषद्, राँची (झारखंड)
Jharkhand Council of Educational Research
and Training, Ranchi
(Jharkhand)
द्वितीय सावधिक परीक्षा - 2021 2022
Second Terminal Examination - 2021-2022
मॉडल प्रश्नपत्र
Model Question Paper
सेट-1 (Set-1)
वर्ग- 11 |
विषय- अर्थशास्त्र |
पूर्णांक-40 |
समय - 1:30 घंटे |
सामान्यनिर्देश (General Instructions) -
→ परीक्षार्थी
यथासंभव अपने शब्दों में उत्तर दीजिए |
→ कुल
प्रश्नों की संख्या 19 है।
→ प्रश्न
संख्या 1 से प्रश्न संख्या 7 तक अति लघुत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों
के उत्तर अधिकतम एक वाक्य में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 2
अंक निर्धारित है।
→ प्रश्न
संख्या 8 से प्रश्न संख्या 14 तक लघुत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं 5 प्रश्नों
के उत्तर अधिकतम 50 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 3
अंक निर्धारित है।
→ प्रश्न
संख्या 15 से प्रश्न संख्या 19 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं तीन
प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न
का मान 5 अंक निर्धारित है।
खंड-
A अति लघुत्तरीय प्रश्न
निम्नलिखित
में से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
1. एक कारखाने
में औसत मजदूरी का पता लगाने के लिए कौन सा औसत उपयुक्त होगा ?
उत्तर: माध्य
2. माध्य विचलन
का एक दोष लिखिए।
उत्तर: माध्य विचलन में सभी
पदों को धनात्मक मान लेते हैं। इसे निकालने में बीजगणित चिन्ह (+ व -) को छोड़ दिया
जाता है।
3. लेस्पेयर
कीमत सूचकांक का सूत्र लिखिए।
उत्तर: प्रो. लैस्पियरे ने आधार-वर्ष की मात्रा (q0) को दोनों वर्षों के लिये भार (Weight) माना हैं। सूत्रानुसार,
`P_{01}=\frac{\Sigma P_1q_0}{\Sigma P_0q_0}\times100`
P1 = चालू वर्ष का मूल्य ; P0 = आधार वर्ष का मूल्य ; q0 = आधार वर्ष की मात्रा
4. चिरकालिक
निर्धन किसे कहा जाता है?
उत्तर: ऐसा निर्धन जो बहुत
समय से निर्धन है निरंतर निर्धन और गैर निर्धन के बीच झूलता रहता है चिरकालिक निर्धनता
कहलाता है।
5. मानव पूँजी
क्या है?
उत्तर: देश के व्यक्तियों में
निहित कौशल एवं उत्पादकीय ज्ञान के स्टॉक को मानव पूँजी कहते हैं ।
6. ग्रामीण साख
के किन्हीं दो स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर: ग्रामीण साख के प्रमुख स्रोत हैं:
1. सहकारी समितियां
2. भूमि विकास बैंक
7. 'ग्रेट लीप
फॉरवर्ड' का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर: महान् प्रगति उछाल’
(Great Leap Forward: GLF) 1958 ई० में चीन में आरम्भ किया गया। इसका प्रमुख उद्देश्य
बड़े पैमाने पर देश का औद्योगीकरण करना था।
इस अभियान के
प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे
1. समष्टि स्तर पर औद्योगीकरण
को प्रोत्साहित करना।
2. लोगों को अपने घरों के पिछवाड़े,
खाली स्थानों पर उद्योग लगाने को प्रोत्साहित करना।
3. ग्रामीण क्षेत्रों में सामूहिक
खेती’ (commune) को प्रोत्साहित करना।
खंड-B
लघूत्तरीय प्रश्न
निम्नलिखित
में से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए
8. समांतर माध्य
के गुण और दोषों को लिखिए।
उत्तर: समान्तर माध्य के गुण
1. यह समझने एवं गणना करने
में सरल होता है।
2. माध्य सम्पूर्ण श्रेणी का
प्रतिनिधि होता है।
3. इसका मूल्य हमेशा निश्चित
होता है, यह व्यक्तिगत पक्षपात से प्रभावित नहीं होता है। 4. इसका प्रयोग बीजगणितीय
गणनाओं में किया जाता है।
5. तुलना के लिए यह एक अच्छा
आधार है।
6. माघ्य की गणना करने में आंकड़ों को व्यवस्थित करना
आवश्यक नहीं है।
7. यह एक परिकल्पित मूल्य है,
जबकि माध्यिका और बहुलक स्थिति संबंधी मूल्य होते हैं।
8. यह प्रतिदर्श के परिवर्तनों
से बहुत कम प्रभावित होता है।
9. यह एक आदर्श औसत की प्राय: सभी शर्तों को पूरा करता है।
समान्तर माध्य के
दोष
1.यह कभी-कभी भ्रामक और असंगत
परिणाम देता है।
2. समांतर माध्य में सीमांत
मूल्य का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।
3. समान्तर माध्य की गणना किसी
एक मूल्य की कमी से ज्ञात नहीं किया जा सकता है।
4. समान्तर माध्य वह मूल्य हो सकता है, जिसका श्रेणी
में कोई अस्तित्व न हो। उदाहरण के लिए 4 , 8 तथा 9 का औसत 7 होता है तो श्रेणी में
नहीं है।
5. समान्तर माध्य की गणना केवल
अवलोकनों द्वारा नहीं किया जा सकता है। इसमें गणितीय गणनाओं की आवश्यकता पड़ती है।
6. इसे पक्षपात वाला औसत कहा जाता है क्योंकि इसपर बड़े मूल्यों का अधिक एवं छोटे मूल्यों का कम प्रभाव पड़ता है।
9. माध्य विचलन
से आप क्या समझते हैं? माध्यिका से माध्य विचलन ज्ञात करने के सूत्र को लिखिए।
उत्तर: माध्य विचलन श्रेणी
के किसी माध्य (जैसे माध्य, माध्यिका, बहुलक) से ज्ञात किए गए मूल्यों का समांतर माध्य है। माध्य विचलन किसी श्रेणी
के समस्त मूल्यों के विचलनों का माध्य है।
10.धनात्मक और
ऋणात्मक सहसंबंध को उपयुक्त प्रकीर्ण रेखाचित्र से स्पष्ट कीजिए |
उत्तर: इस रीति के अनुसार, ग्राफ पेपर पर दोनों चरों को बिन्दुओं के
रूप में प्रकट किया जाता है। भुजाक्ष (X-axis) पर समय, स्थान आदि को लिया जाता है तथा
कोटि-अक्ष (Y-axis) पर श्रेणी के मूल्यों को अंकित किया जाता है। प्राप्त बिन्दुओं
को मिला देने से वक्र प्राप्त हो जाता है।
यदि सभी बिंदु बायी ओर के निचले कोने से दाहिनी ओर ऊपर वाले कोने तक एक सरल व सीधी रेखा के रुप में आ जाते तो धनात्मक सहसंबंध होगा।
यदि सभी बिंदु बायी ओर के ऊपर वाले कोने से दाहिनी ओर नीचे वाले कोने तक एक सरल व सीधी रेखा के रुप में आ जाते तो ऋणात्मक सहसंबंध हो
यदि दोनों रेखाएँ एक ही अनुपात में बढ़ती हैं तो उच्च स्तरीय धनात्मक सहसंबंध होगा।
यदि दोनों रेखाएँ समान गति से विपरीत दिशा में उच्चावचन करती हैं तो उच्च स्तरीय ऋणात्मक सहसंबंध होगा।
यदि रेखाओं में
इस प्रकार की किसी प्रवृत्ति का आभास नहीं मिलता तो दोनों श्रेणियों में कोई संबंध
नहीं होगा।
11. आधार अवधि
के किन्हीं तीन वांछित गुणों को लिखिए।
उत्तर: दो अवधियों में से जिस
अवधि के साथ तुलना की जाती है, उसे आधार-अवधि के रूप में जाना जाता है। आधार अवधि में
सूचकांक का मान 100 होता है। एक आधार वर्ष के वांछित गुण इस प्रकार हैं:
1. आधार वर्ष बहुत
छोटा या बहुत लंबा नहीं होना चाहिए - गणना
के उद्देश्य से यह या तो एक महीने से कम या एक वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए।
2. आधार वर्ष बहुत
निकट या बहुत दूर का नहीं होना चाहिए - सांख्यिकीविद चालू वर्ष की
स्थितियों की तुलना आधार वर्ष की स्थितियों से करते हैं। इसलिए, यदि आधार वर्ष चालू
वर्ष से बहुत दूर है, तो तुलना अर्थहीन हो जाती है। इसी तरह, यदि आधार वर्ष चालू वर्ष
के बहुत निकट है, तो तुलना स्वाद, वरीयताओं, फैशन आदि में परिवर्तन को पकड़ने में विफल
रहती है। इस प्रकार, एक सार्थक तुलना करने के लिए, आधार वर्ष या तो बहुत दूर् नहीं
होना चाहिए। या चालू वर्ष के बहुत करीब।
3. आधार वर्ष का
चयन इस प्रकार किया जाना चाहिए कि उसके लिए डेटा उपलब्ध हो- उस
विशेष वर्ष को आधार वर्ष मानने के लिए एक वर्ष का डेटा उपलब्ध होना चाहिए। यह निष्कर्ष,
निष्कर्ष निकालने और तुलना करने में सक्षम बनाता है।
4. आधार अवधि को
लगातार अद्यतन किया जाना चाहिए - स्वाद, वरीयताओं और फैशन में
बदलाव के कारण आधार वर्ष को लगातार अद्यतन किया जाना चाहिए; तुलना भ्रामक या अनिर्णायक
हो जाती है।
12. 'काम के
बदले अनाज कार्यक्रम के अर्थ को स्पष्ट कीजिए |
उत्तर:
‘यह कार्यक्रम 14 नवम्बर, 2004 में देश के सबसे पिछड़े 150 जिलों में लागू किया गया
था। यह कार्यक्रम उन सभी ग्रामी निर्धनों के लिए है, जिन्हें मजदूरी पर रोजगार की आवश्यकता
है और जो अकुशल शारीरिक काम करने के इच्छुक हैं। इसके लिए राज्यों को खाद्यान्न निःशुल्क
उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
इसका उद्देश्य देश के आठ राज्यों
नामित- गुजरात, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान
और उत्तराखंड के सूखा प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी रोजगार द्वारा खाद्य सुरक्षा
प्रदान करना है। खाद्य अनाज केंद्रीय सरकार द्वारा इन आठ राज्यों को उपलब्ध कराए जाते
हैं। मजदूरी राज्य सरकार द्वारा आशिक रूप से नकद और खाद्य अनाजों के रूप में दी जा
सकती है।
13. भौतिक पूँजी
और मानव पूँजी में कोई तीन अंतर लिखिए |
उत्तर:
भौतिक पूंजी |
मानव पूंजी |
1. भौतिक पूंजी वे मूर्त परिसम्पत्तियाँ होती हैं जो मानव के द्वारा बनाई जाती हैं और जिन्हें उत्पादन में प्रयोग किया जाता है। |
1. मानव पूंजी वे अमूर्त विशेषताएँ होती हैं जो मानव, उत्पादन करने के लिए स्वयं में उत्पन करता है, जैसे ज्ञान, कौशल आदि। |
2. भौतिक पूंजी को आसानी से बाजार मे बेचा जा सकता है। |
2. मानव पूंजी की सेवाओं को बेचा जाता है। |
3. भौतिक पूंजी को इसके निर्माता से अलग किया जा सकता है। |
3. मानव पूंजी को इसके निर्माता या स्वामी से अलग नहीं किया जा सकता है। |
4. भौतिक पूंजी देशों के बीच गतिशील होती |
4. मानव पूंजी की गतिशीलता राष्ट्रीयता तथा संस्कृति के द्वारा प्रतिबंधित होती है। |
5. भौतिक पूंजी निरंतर प्रयोग के कारण या तकनीक में परिवर्तन के कारण समय के साथ बेकार हो जाती है। |
5. हालांकि मानव पूंजी में भी आयु के बढ़ने के साथ क्षरण होता है मगर इसे शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं की सहायता से बेहतर किया जा सकता है। |
6.उदाहरण: मशीनरी,कंप्युटर,इमारतें, आदि। |
6. उदाहरण: शिक्षक, डॉक्टर, आदि । |
14. तनवा
(TANWA) परियोजना क्या है? स्पष्ट कीजिए
उत्तर: कृषि में तमिलनाडु महिलायों
द्वारा TANWA नामक एक परियोजना तमिलनाडु में शुरू हुई। इस परियोजना के तहत महिलाओं
को नवीनतम कृषि तकनीक में प्रशिक्षित किया जाता है। यह महिलाओं को कृषि उत्पादकता और
पारिवारिक आय की वृद्धि के लिए सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करती है।
थिरूचिरापल्ली में एंथोनीअम्मल द्वारा संचालित प्रशिक्षित महिला समूह कृमिखाद बनाकर
बेच रही है और इस कार्य से आय कमा रही है। अनेक कृषक महिला समूह अतिलघु साख व्यवस्था
का सहारा लेकर अपने सदस्यों की बचतों को बढ़ावा देने में सक्रिय हैं। इस प्रकार संचित
बचत का प्रयोग कर वे पारिवारिक कुटीर उद्योग गतिविधियाँ जैसे मशरूम की खेती, साबुन
तथा गुड़िया बनाने आदि अनेक प्रकार के आय बढ़ाने वाले कार्यों को प्रोत्साहित कर रही
हैं ।
खंड-C
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
निम्नलिखित
में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए |
15. X तथा Y के बीच सहसंबंध गुणांक को परिकलित कीजिए और उनके संबंध पर टिप्पणी कीजिए-
X |
-3 |
-2 |
-1 |
1 |
2 |
3 |
Y |
9 |
4 |
1 |
1 |
4 |
9 |
उत्तर :-
X |
Y |
X2 |
Y2 |
XY |
-3 |
9 |
9 |
81 |
-27 |
-2 |
4 |
4 |
16 |
-8 |
-1 |
1 |
1 |
1 |
-1 |
1 |
1 |
1 |
1 |
1 |
2 |
4 |
4 |
16 |
8 |
3 |
9 |
9 |
81 |
27 |
ΣX=-6+6=0 |
ΣY=28 |
ΣX2=28 |
ΣY2=196 |
ΣXY=36-36=0 |
r = `(sumXY - ((sumX)(sumY))/N)/(sqrt(sumX^2 - (sumX)^2/N) sqrt(sumY^2 - (sumY)^2/N))`
= `(0 - ((0) (28))/6)/(sqrt(28 - (0)^2/6)sqrt(196 - (28)^2/6))`
r = 0 (सहसंबंध की अनुपस्थिति)
जब दो श्रेणियों
में परस्पर आश्रिता बिल्कुल न हो तो उस स्थिति को सहसंबंध का अभाव कहते हैं। ऐसी स्थिति
में r = 0 होता है।
16. निम्नलिखित
आँकड़ा से माध्यिका की गणना कीजिए-
वर्ग अंतराल |
0-10 |
10-20 |
20-30 |
30-40 |
बारंबारता |
5 |
6 |
7 |
2 |
उत्तर :-
C.I |
ƒ |
cƒ |
0-10 |
5 |
5 |
10-20 |
6 |
11 |
20-30 |
7 |
18 |
30-40 |
2 |
20 |
| `\Sigma\f=20` |
|
Median lise between ( 10 – 20 ) in class interval
⸫ l1 = 10, l2 = 20, ƒ = 6, c = 5, m = 10
Median = `L_1+\frac{L_2-L_1}ƒ\left(m-c\right)`
= `10+\frac{20-10}{6}(10-5)`
= `10+\frac{10}{6}(5)=10+\frac{50}{6}`= 10+8.3
Median = 18.3
17 निर्धनता
के प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिए |
उत्तर :- भारत में निर्धनता
के कारण। भारतीय अर्थव्यवस्था एक विकासशील अर्थव्यवस्था है। अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं
की भाँति भारतीय अर्थव्यवस्था भी गरीबी के दुश्चक्र में फंसी है। भारत में निर्धनता
के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं
(अ) आर्थिक कारण
1. अल्प विकास
:-
भारत में निर्धनता का सर्वप्रमुख कारण देश का अल्प विकास है। यद्यपि गत 56 वर्षों में
हम योजनाबद्ध आर्थिक विकास के मार्ग पर अग्रसर हैं तथापि हमारे विकास की गति बहुत धीमी
रही है। धीमे आर्थिक विकास के कारण राष्ट्रीय आय में वांछित वृद्धि नहीं हो सकती है।
2. आय तथा धन के
वितरण में असमानता :- भारत में आय व धन का वितरण असमान है। रिजर्व
बैंक के एक अनुमान के अनुसार समस्त राष्ट्रीय आय का लगभग 30% भाग जनसंख्या के 10% धनी
लोगों को प्राप्त होता है, जबकि जनसंख्या के 20% निर्धन वर्ग को राष्ट्रीय आय का केवल
8% भाग ही प्राप्त हो पाता है। ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में शहरी क्षेत्र में आय वितरण
की असमानता और भी अधिक है।
3. अपर्याप्त विकास
दर :-
भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर निम्न है। योजनाकाल में औसत विकास दर लगभग 3.5% रही
है जिसने गरीबी की जड़ों को और अधिक गहरी कर दिया है।
4. जनसंख्या की उच्च
वृद्धि-दर :- भारत में जनसंख्या वृद्धि की दर अर्थव्यवस्था की विकास दर
की तुलना में ऊँची रही है। इसका दुष्परिणाम यह है कि प्रति व्यक्ति आय व उपभोग कम हो
जाता है, अभावे पनपने लगते हैं, जीवन-स्तर में ह्रास होता है और निर्धनता व्यापक रूप
धारण कर लेती
5. बेरोजगारी :- देश में निरन्तर बढ़ती हुई बेरोजगारी ने निर्धनता
को और अधिक व्यापक बनाया है। बेरोजगारी के बढ़ते रहने से निर्धनता अधिक संचयी रूप धारण
करती जा रही है। वर्तमान में 3 | करोड़ से भी अधिक लोग बेरोजगार हैं।
6. प्रादेशिक असंतुलन
तथा असमानताएँ :- असंतुलित प्रादेशिक विकास के साथ-साथा निर्धनता
का वितरण भी असमान हो गया है; उदाहरण के लिए उड़ीसा (ओडिशा) में 66.4%, त्रिपुरा में
59.7%, बिहार व मध्य प्रदेश में 57.5% जनसंख्या निर्धनता रेखा से नीचे जीवन व्यतीत
कर रही है, जबकि पंजाब में केवल 15.1% तथा हरियाणा में 24.8% जनसंख्या निर्धनता के
स्तर से नीचे
7. स्फीतिक दबाव
:-
भारत में सामान्य कीमत स्तर बढ़ता रहा है। कीमतों के बढ़ने पर मुद्रा की क्रय-शक्ति
कम हो जाती है और वास्तविक आय गिर जाती है। इसके फलस्वरूप समाज में निम्न तथा मध्यम
आय वर्ग के लोगों की निर्धनता बढ़ जाती है।
8. पूँजी की कमी
:-
भारत में प्रति व्यक्ति आय का स्तर निम्न है, जिससे बचत कर्म होती है और पूँजी-निर्माण
दर भी कम रहती है। पूँजी की प्रति व्यक्ति निम्न उपलब्धता और पूँजी-निर्माण की निम्न
दर ने देश में निर्धनता को जन्म दिया है।
9. औद्योगीकरण का
निम्न स्तर :- कृषि तथा विनिर्माणी क्षेत्र में परम्परागत उत्पादन तकनीकों
ने प्रति व्यक्ति उत्पादकता के स्तर को नीचा बनाए रखा है, जिसके कारण गरीबी और अधिक
गहने हुई है।
(ब) सामाजिक कारण
आर्थिक कारणों के अतिरिक्त
सामाजिक कारण भी निर्धनता को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुए हैं। भारत में विद्यमान सामाजिक
ढाँचे में बँधे रहने के कारण लोग जान-बूझकर निर्धनता से चिपके हुए हैं। सामाजिक सम्मान
एवं प्रतिष्ठा की झूठी महत्त्वाकांक्षा ने लोगों को
अपव्ययी बना दिया है। जनसाधारण
में व्याप्त निक्षरता, भाग्यवादिता, धार्मिक रूढ़िवादिता व अन्धविश्वास ने गरीबी को
बढ़ाया है। जातिवाद एवं संयुक्त परिवार प्रणाली ने लोगों को अकर्मण्य बनाया है और उन्हें
आधुनिक तकनीक का प्रयोग करने से रोका है और सामाजिक संस्थाओं ने श्रम को अगतिशील बनाकर
उनकी प्रगति में बाधा डाली है।
(स) राजनीतिक कारण
देश की लम्बी दासता ने अर्थव्यवस्था
को गतिहीन बना दिया था। विदेशी शासकों ने देश में आधारभूत उद्योगों के विकास में कोई
रुचि नहीं ली। उनकी ‘वि-औद्योगीकरण की नीति (Policy of Deindustrialization) ने देश
के औद्योगिक आधार को कमजोर बना दिया। देश में सामन्तशाही प्रथा पनपी, जिसने कृषकों
को भरपूर शोषण किया। उनकी नीति ने एक ओर जमींदारों को जन्म दिया और दूसरी ओर भूमिहीन
किसानों को। फलत: उनके शोषण के साथ-साथ निर्धनता भी बढ़ती चली गई।
18.जैविक कृषि
क्या है? यह धारणीय विकास को किस प्रकार बढ़ावा देती है ?
उत्तर: जैविक कृषि का अर्थः
जैविक कृषि प्राकृतिक रूप से खाद्यान्न उगाने की प्रक्रिया है। यह विधि रासायनिक उर्वरक
और विषजन्य कीटनाशकों के प्रयोग की अवहेलना करती है।
धारणीय विकास का अर्थ: यह वह
विकास है जो वर्तमान पीढ़ी के विकास के लिए भावी पीढ़ी की गुणवत्ता को प्रभावित नहीं
करता। यह संसाधनों के प्रयोग को निषेध नहीं करता परंतु उनके उपयोग को इस तरह प्रतिबंधित
करने का लक्ष्य रखता है कि वे भविष्य पीढ़ी के लिए बचे रहें । जैविक कृषि तथा धारणीय
विकास के अर्थ से यह स्पष्ट है कि यदि जैविक कृषि किसी प्रकार के रासायनिक उर्वरक,
विषजन्य कीटनाशक आदि का प्रयोग नहीं कर रही तो यह भूमि क्षरण में योगदान नहीं करेगी।
यह महँगे कृषि आदानों जैसे संकर बीज, रासायनिक उर्वरक, कीटनाशकों आदि को स्थानीय स्तर
पर उत्पादित जैविक आदान विकल्पों से प्रतिस्थापित करते हैं। यदि भूमि का क्षरण नहीं
हो रहा तो यह एक पर्यावण अनुकूल कृषि विधि है। अतः यह धारणीय विकास को बढ़ावा देती
है।
19. पर्यावरण
के कार्यों की व्याख्या कीजिए |
उत्तर: पर्यावरण शब्द फ्रांसीसी
शब्द ‘इन्वीरोनर’ से लिया गया है जिसका अर्थ है पूरा परिवेश।
परिभाषा:- पर्यावरण वास्तव
में बाह्य परिस्थितियों का परिवेश है जो मनुष्य, पशु या पौधे के विकास, उसके रहन-सहन
एवं कार्य करने की स्थिति आदि को प्रभावित करता है। रॉस:-पर्यावरण को किसी बाह्य बल
के रूप में परिभाषित कर सकते हैं जो हमें प्रभावित करता है।
पर्यावरण निम्नलिखित चार कार्य
करता है :
1. पर्यावरण संसाधनों की पूर्ति
करता है - यह संसाधनों की पूर्ति करता है, जिसमें नवीकरणीय तथा गैर- नवीकरणीय दोनों
प्रकार के संसाधन शामिल होते हैं। नवीकरणीय संसाधन वे हैं, जिनका उपयोग संसाधन के क्षय
या समाप्त होने की आशंका के बिना किया जा सकता है, अर्थात् संसाधनों की पूर्ति निरंतर
बनी रहती है। नवीकरणीय संसाधनों के उदाहरण वनों में पेड़ और समुद्र में मछलियाँ हैं।
ग़ैर-नवीकरणीय योग्य संसाधन वे हैं, जोकि निष्कर्षण और उपयोग से समाप्त हो जाते हैं।
उदाहरण के लिए जीवाश्म ईंधन आदि।
2. पर्यावरण जीवन धारण का सहायक
है- पर्यावरण के अंतर्गत सूर्य, मिट्टी, जल एवं वायु को समाहित किया जाता है। जो मानव
जीवन के स्थायित्व के लिए महत्त्वपूर्ण उपादान है। पर्यावरण की धरण क्षमता का अर्थ
है संसाधनों का निष्कर्षण इसके पुनर्जनन की दर से अधिक नहीं है और उत्पन्न अवशेष पर्यावरण
की समावेशन क्षमता के भीतर है। पर्यावरण की धारण क्षमता जीवन धारण में सहायक है। पर्यावरण
की धारण क्षमता की अनुपस्थिति का अर्थ-जीवन की अनुपस्थिति है।
3. पर्यावरण अपशिष्टों को आत्मसात
करता है - उत्पादन एवं उपभोग की गतिविधियाँ अपशिष्टों का सृजन करती हैं। ये प्राय:
कूड़े के रूप में पाई जाती हैं। पर्यावरण कूड़े को समाहित कर लेता है।
4. पर्यावरण जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है - वातावरण के अंतर्गत नदियाँ, समुद्र, पर्वत, मरुस्थल, वन आदि को शामिल किया जाता है। मनुष्य इस वातावरण का आनंद उठाता है जिससे जीवन की गुणवत्ता बढ़ती है।