झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, राँची (झारखंड)
Jharkhand Council of Educational Research and Training, Ranchi
(Jharkhand)
द्वितीय सावधिक परीक्षा - 2021 2022
Second Terminal Examination - 2021-2022
मॉडल प्रश्नपत्र
Model Question Paper
सेट-1 (Set-1)
वर्ग- 11 | विषय- इतिहास | पूर्णांक-40 | समय - 1:30 घंटे |
सामान्यनिर्देश (General Instructions) -
→ परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में उत्तर दीजिए |
→ कुल प्रश्नों की संख्या 19 है।
→ प्रश्न संख्या 1 से प्रश्न संख्या 7 तक अति लघुत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर अधिकतम एक वाक्य में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक निर्धारित है।
→ प्रश्न संख्या 8 से प्रश्न संख्या 14 तक लघुत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं 5 प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 50 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक निर्धारित है।
→ प्रश्न संख्या 15 से प्रश्न संख्या 19 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक निर्धारित है।
अतिलघुउतरीय
1. द लास्ट सपर
चित्र किसने बनाया था ?
उत्तर: इटली के महान आर्टिस्ट
लिओनार्दो दा विंची ने ही बनाया था।
2. कोलम्बस अमेरिका
कब पहुँचा था?
उत्तर: 12 अक्टूबर, 1492
3. पुनजार्गरण
शब्द की उत्पत्ति किस शब्द से हुई?
उत्तर: पुनजार्गरण शब्द की
उत्पत्ति फ्रांसीसी शब्द 'रिनैशां' से हुई
है जिसका अर्थ 'पुनर्जन्म' होता है।
4. एजटेक संस्कृति
की राजधानी कहाँ थी?
उत्तर: एजटेक संस्कृति की राजधानी
टेनोच्टिलन थी।
5. वाटर फ्रेम
का आविष्कार किसने किया था?
उत्तर: इस मशीन का आविष्कार
रिचर्ड ऑर्कराइट ने 1769 ई० में किया था।
6. केन्द्र बैंक
ऑफ इंगलैंड की स्थापना कब हुई?
उत्तर: इसकी स्थापना पार्लिमेंट
के एक विशिष्ट कानून द्वारा सन् 1844 में हुई थी।
7. मेजी पुनर्स्थापना
कब हुई?
उत्तर: जापान में 1868 में
मेजी पुर्नस्थापना का कार्य सम्पन्न हुआ।
लघुउतरीय प्रश्न
8. इटली के नगरों
का पुनरुत्थान कैसे हुआ?
उत्तर: 14वीं शताब्दी से
17वीं शताब्दी के अन्त तक यूरोप के अनेक देशों में नगरों की संख्या बढ़ने लगी तथा एक
विशेष प्रकार की नगरीय संस्कृति का विकास होने लगा। बारहवीं शताब्दी में मंगोलों और
चीन के बीच व्यापार बढ़ने से इटली के नगरों का मुख्य रूप से पुनरुत्थान हुआ ।
9. मानवतावाद
से आप क्या समझते है?
उत्तर: मानवतावाद मानव मूल्यों
और चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने वाला अध्ययन, दर्शन या अभ्यास का एक दृष्टिकोण है।
10. एजटेक, इंका
तथा माया सभ्यता में क्या समानताएँ थी?
उत्तर: 1. यूरोपियनों के समान
ये लोग सोने और चांदी को विशेष महत्व नहीं देते थे।
2. इन तीनों सभ्यताओं में सामूहिक
स्वामित्व की प्रथा थी।
3. यहां बड़े-बड़े मंदिर बनाए
गए।
4. एजटेक, इंका तथा माया सभ्यताओं को अक्सर एक-दूसरे
के साथ मिलकर पढ़ाया जाता था।
11. औद्योगिक
क्रांति सर्वप्रथम इंगलैंड में क्यो हुआ?
उत्तर: औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम
इंगलैंड में होने के निम्नलिखित कारण है :-
1. इंग्लैंड में संसाधनों की भरपूर मात्रा थी।
2. तकनीकी व वैज्ञानिक क्षेत्र
में व्यापक विकास एवं नए-नए आविष्कार, जैसे- वाष्प इंजन, फ्लाइंग शटल, स्पिनिंग जेनी
आदि।
3. सस्ता श्रम।
4. इंगलैण्ड के लोग खगोल विज्ञान
और गणित में निपुण थे।
5. इंगलैण्ड के पास निपुण इंजिनियर
थे।
12. औद्योगिक
क्रांति के समय हुए पांच प्रमुख आविष्कार और इसके आविष्कारक का नाम बताएँ।
उत्तर:
आविष्कार |
आविष्कारक |
वर्ष |
रेल इंजन |
जॉर्ज स्टीफेन्सन |
1814 ई. |
भाप शक्ति |
न्यू कॉमन व जेम्स वाट |
1663-1729 ई. |
जिन |
एली व्हिटने |
1792 ई. |
स्टीमर |
हेनरी बेल |
1812 ई. |
सिलाई मशीन |
एलिहास हो |
1846 ई. |
टेलीफोन |
ग्राहम वेल |
1876 ई. |
13. कोरिया ने
1997 में विदेशी मुद्रा संकट का सामना किय प्रकार किया?
उत्तर: कोरियाई वित्तीय संस्थानों
ने अपने अल्पकालिक दायित्वों का सामना करने में मदद के लिए कोरियाई सरकार ने अपने सीमित
विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग किया।
1. एशियाई वित्तीय संकट वित्तीय
संकट का एक दौर था जो पूर्वी एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में जुलाई 1997 में फैला
|
2. इस संकट के कारन दुनियाभर
में आर्थिक मंदी की संभावना जन्म लेने लगी |
3. कोरियाई वित्तीय संस्थानों
ने अपने अल्पकालिक दायित्वों का सामना करने में मदद के लिए कोरियाई सरकार ने अपने सीमित
विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग किया।
14. भारत की
खोज में वास्कोडिगामा की क्या भूमिका रही ?
उत्तर: 1498 ई. में वास्को
डी गामा ने अब्दुल मनीद नामक गुजराती पथ प्रदर्शक की सहायता से कालीकट तक की यात्रा
की और इसके बाद से हिंद महासागर पर पुर्तगालियों का आधिपत्य स्थापित हो गया । कालीकट
के शासक जमोरिन ने वास्कोडिगामा का स्वागत किया । लेकिन कालीकट के समुद्री तटों पर
पहले से ही व्यापार कर रहे अरबों ने इसका विरोध किया। विरोध का कारण आर्थिक ही था अंततः
वास्कोडिगामा जिस मसालों को लेकर वापस स्वदेश लौटा वह पूरी यात्रा की कीमत के साठ गुना
दामों पर बिका परिणामतः इस लाभकारी घटना ने पुर्तगाली व्यापारियों को भारत आने के लिए
आकर्षित किया ।
पूरब के साथ व्यापार करने के
लिए इंडिया नामक कंपनी की स्थापना पुर्तगालियों ने की । वास्कोडिगामा 1502 में दूसरी
बार भारत आया । इसके बाद पुर्तगालियों का भारत में निरंतर आगमन शुरू हो गया । पुर्तगालियों
की पहली फैक्ट्री कालीकट में स्थापित हुई जिसे जमोरिन द्वारा बाद में बंद कर दिया गया
। 1503 ई. में काली मिर्च और मसालों के व्यापार पर एकाधिकार प्राप्त करने के उद्देश्य
से पुर्तगालियों ने कोचीन के पास अपनी पहली व्यापारिक कोठी बनाई। इसके बाद कन्नूर में
1505 में पुर्तगालियों ने अपनी दूसरी फैक्ट्री बनाई ।
पुर्तगाली वायसराय फ्रांसिस्को
डी अल्मीडा (1505 से 1509) भारत में पहला पुर्तगाली वायसराय बन कर आया। उसने भारत पर
प्रभुत्व स्थापित करने के लिए मजबूत सामुद्रिक नीति का संचालन किया जिसे ब्लू वाटर
पॉलिसी या शांत जल की नीति के रूप जाना जाता है। 1508 में वह चौल के युद्ध में गुजरात
के शासक से संभवतः परास्त हुआ किंतु 1509 में उसने महमूद बेगड़ा मिश्र तथा तुर्की शासकों
के समुद्री बेड़े को पराजित किया तथा दीव पर अधिकार कर लिया | दीव पर कब्जे के बाद
पुर्तगाली हिंद महासागर में सबसे अधिक शक्तिशाली बन गए। पुर्तगाली गोवा दमन और दीव
पर 1961 ई. तक शासन करते रहे ।
दीर्घउतरीय प्रश्न
15. पुनर्जागरण
के उदय और विकास का कारण बताएँ
उत्तर: पुनर्जागरण का शाब्दिक
अर्थ होता है ", फिर से जगाना।" पं. नेहरू के शब्दों मे पुनर्जागरण का अर्थ
है " विद्या, कला, विज्ञान, साहित्य और यूरोपीय भाषाओं का विकास।"
पुनर्जागरण के उदय के कारण
यूरोप मे पुनर्जागरण एक आक्स्मिक
घटना नही थी। मानवीय,जीवन के सभी क्षेत्रों मे धीरे-धीरे होने वाली विकास की प्रक्रिया
का परिणाम ही पुनर्जागरण की पृष्ठभूमि थी। यूरोप मे आधुनिक मे पुनर्जागरण के निम्म
कारण थे-
1. कुस्तुनतुनिया का पतन: पन्द्रहवीं
शताब्दी की महत्वपूर्ण घटना 1453 मे कुस्तुनतुनिया के रोमन साम्राज्य के पतन से सम्पूर्ण
यूरोप मे हलचल मच गयी। तुर्को ने कुस्तुनतुनिया पर कब्जा कर लिया। तुर्कों के अत्याचारों
से बचने के लिए वहां पर बसे हुए ग्रीक विद्वानों, साहित्यकारों तथा कलाकारो ने भागकर
इटली मे शरण ले ली। वहां पहुंचर विद्वानों का यूरोप के अन्य विद्वानों से हुआ। इस सम्पर्क
के परिणामस्वरूप यूरोप व उसके अन्य आसपास के देशो मे पुनर्जागरण की धारा अत्यधिक वेग
के साथ बढ़ने लगी।
2. धर्मयुद्धो का प्रभाव: मध्यकाल
मे ईसाइयों एवं मुसलमानों मे अनेक धार्मिक संघर्ष हुए। दोनों मे सांस्कृतियो का आदान-प्रदान
भी हुआ। मुस्लिम विद्वानों के स्वतंत्र विचारो का प्रभाव ईसाइयों पर पड़ा। अरबो के
अंकगणित तथा बीजगणित आदि विषय यूरोप मे प्रचलित हुए। मुसलमानों के आक्रमणों का सामाना
करने के लिए यूरोप के राष्ट्रो मे आपसी सम्बन्ध घनिष्ठ होने लगे। यूरोप मे रोमन पोंप
तथा सम्राटों के संघर्षों के कारण धीरे-धीरे लोगों की पोप तथा धर्म पर श्रद्धा कम होने
लगी। इसी के परिणामस्वरूप धर्म सुधार आन्दोलन ने जोर पकड़ लिया।
3. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ने भी पुनर्जागरण के उदय मे महत्वपूर्ण योगदान दिया। यूरोप
के व्यापारी चीन और भारत तथा अन्य देशों मे पहुंचने लगे। व्यापार की उन्नति से यूरोप
का व्यापारी-वर्ग समृद्ध हो गया एवं व्यापार एक देश से दूसरे देश मे प्रगति कर बैठा।
4. नये वैज्ञानिक अविष्कार:
व्यापार के विकास से अधिक धन एकत्र हुआ। अतिशेष धन नये अविष्कारो को क्रियान्वित करने
मे सहायक हुआ। पुनर्जागरण के लिए आवश्यक था कि नए विचारों का प्रचार-प्रसार हो। इसके
लिए कागज तथा मुद्रणालय के अविष्कार ने सबसे महत्वपूर्ण कार्य किया।
5. नवीन भौगोलिक खोजों का प्रभाव:
नवीन भौगोलिक खोजो मे यूरोप के साहसी नविकों मे से पुर्तगाल, स्पेन, फ्रांस तथा हालैण्ड
के नाविकों ने अमेरिका, अफ्रीका, भारत, आस्ट्रेलिया आदि देशो को जाने के मार्गों का
पता लगाया। इससे व्यापार वृद्धि के साथ उपनिवेश स्थापना का कार्य हुआ। इन देशों मे
यूरोप के धर्म एवं संस्कृति के प्रसार का मौका मिला।
6. सामंतवाद का पतन: सामंतवाद
का पतन पुनर्जागरण का महत्वपूर्ण कारण था। सामंतवाद के रहते हुए पुनर्जागरण के बारे
मे कल्पना भी नही की जा सकती है। सामंतवाद के पतन के कारण लोगों को स्वतंत्र चिन्तन
करने तथा उद्योग धंधे, व्यापार, कला और साहित्य आदि के विकास के समुचित अवसरों की प्राप्ति
हुई।
7. मानववादी दृष्टिकोण का विकास:
ज्ञान के नये क्षेत्रों के विकास ने मानववादी दृष्टिकोण को विकसित किया। मानववादी दृष्टिकोण
के विचारकों मे डच लेखक " एरासमस " ने ईसाई धर्म की कमजोरियों को जनता के
सामने रखा। उसने आम इंसान को महत्व दिया।
8. औपनिवेशक विस्तार: पुनर्जागरण
के कारण धीरे-धीरे यूरोप के राज्यों मे औपनिवेशिक साम्राज्य की स्थापना की भावना जाग्रत
हुई। इससे यूरोपीय सभ्यता तथा संस्कृति का प्रसार अन्य राष्ट्रों मे होने लगा।
पुनर्जागरण का विकास
1. व्यक्तिवाद का विकास : मानववादी
विचारधार व्यक्तिवादी थी। उन्होंने विनम्रता के गुणों को बताया। वे भौतिकवादी थे। उनके
जीवन मे नैतिकता का कोई मूल्य नही था। उन्होंने जीवन के सुखों को अधिक महत्व दिया।
शक्ति हेतु संघर्ष मे नैतिकता का कोई मूल्य नही है। उपनिवेशों मे भी भौतिकतावादी और
उपयोगितावादी संस्कृति का प्रचार किया।
2. धर्म सुधार आन्दोलन का उदय:
कथोलिक चर्च मे इस समय तक अनेक दोष उत्पन्न हो चुके थे। पोप और पादरियों ने अपनी असीमित
प्रभाव वृद्धि और जनता को अपने आधीन बनाये रखने के लिये अनेक झुठे व अनैतिक तरीके अपना
रखे थे। उन पर बाइबिल पढ़ने के लिये भी प्रतिबंध था। जनता को इनके चाहे आदेश सत्य हो
या असत्य, सभी का पालन श्रद्धा से करना पड़ता था। शिक्षा, ज्ञान, तर्क एवं विज्ञान
के प्रसार ने सामान्य जनता को सत्य से परिचित करवाया जिससे यूरोप के सभी देशों मे धर्म-सुधार
की मांग होने लगी तथा इसके लिये आंदोलन और संघर्ष होने लगे। अनेक देशों मे प्रोटेस्टेंट
चर्च बनने लगे और इसी की प्रतिक्रिया मे धर्म सुधार आन्दोलन भी हुआ।
3. कलात्मक विकास: इस काल मे
कला के सभी रूप का विकास हुआ जैसे-- स्थापत्यकला, मूर्तिकला, चित्रकला इत्यादि। यूरोप
मे पुनर्जागरण की चेतना जीवन के प्रत्येक क्षेत्र मे नया रंग और नया जीवन लेकर उदित
हुई। पुनर्जागरण का मुख्य संबंध जीवन की भावनात्मक अर्थात् मनुष्य की चेतना और उसकी
सांस्कृतिक अभिव्यक्ति से था। अतः पुनर्जागरण काल मे सांस्कृतिक क्षेत्र मे भी नयापन
आया। जिस तरह साहित्य के क्षेत्र मे यूरोप मे अभिरूचि बढ़ी, उसी तरह कला के क्षेत्र
मे भी नयापन दिआई देता है। कलाकार तथा शिल्पकारों ने प्राचीन ललित कलाओं से प्रेरित
होकर कला के क्षेत्र मे नये आदर्श तथा नये प्रतिमान खड़े किये।
4. लोक भाषा और राष्ट्रीय भाषा
का विकास: लोक भाषा और राष्ट्रीय साहित्य का विकास हुआ। शासको ने भी लोक भाषा को प्रोत्साहित
किया।
5. वैज्ञानिक अन्वेषण: वैज्ञानिक
दृष्टिकोण का विकास पुनर्जागरण का कारण भी था और परिणाम भी। वैज्ञानिक अविष्कारों का
होना पुनर्जागरण की महत्वपूर्ण विशेषता भी थी और पुनर्जागरण का प्रभाव भी था।
अन्धविश्वासों, धुर्त और चालाक
धर्म के ठेकेदारो तथा उनके द्वारा निर्मित अनैतिक, अनुचित सिद्धांत, विचार और व्यवहार
की पोल खोलने का कार्य वैज्ञानिको ने किया। विज्ञान से समाज के चिंतन, विचार, साहित्य,
परम्परा, आदर्श राजनीति और संस्कृति मे भी परिवर्तन हुए।
6. प्राचीन रोमन एवं यूनानी
साहित्य का पुनर्स्थापना: सांस्कृतिक पुनरुत्थान की विशेषता यह थी कि नवीन जागरण से
यूरोप मे रोमन और यूनानी साहित्य का अध्ययन हुआ। मध्य युग मे प्राचीन साहित्य का अध्ययन
हुआ, लेकिन मध्ययुगीन विद्धानो का दृष्टिकोण अत्यंत सीमित और संकुचित था। वे कैथोलिक
सिद्धांतों पर ज्यादा देते थे। मध्य युग मे प्राचीन साहित्य को मूल शुद्ध रूप मे प्रस्तुत
नही किया गया। इस युग मे लेटिन लेखक वर्जिल, सिसो और सीजर थे। आधुनिक युग मे यूनानी
ग्रंथों का अनुभव किया गया, जिसमे अरस्तु और प्लेटो आदि यूनानी लेखक लोकप्रिय थे।
16. नवीन मार्गों
की खोज में पुर्तगाल और स्पेन के योगदान का उल्लेख करें ?
उत्तर: पन्द्रहवीं शताब्दी
में आईबेरियाई प्रायद्वीप अर्थात् स्पेन और पुर्तगाल के लोगों ने नवीन मार्गों से सम्बन्धित
खोज यात्राओं में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। स्पेन और पुर्तगाल ने ही 15वीं
शताब्दी में सबसे पहले अटलांटिक महासागर के पार जाने का साहस किया। इसके अनेक महत्त्वपूर्ण
कारण निम्नलिखित थे—
1. स्पेन और पुर्तगाल की भौगोलिक
स्थिति ने उन्हें अटलांटिक पारगमन की प्रेरणा दी। इन देशों का अटलांटिक महासागर पर
स्थित होना उनके लिए अटलांटिक पारगमन का प्रथम महत्त्वपूर्ण कारण बना।
2. 1139 ई० में पुर्तगाल स्पेन
से अलग होकर एक स्वतंत्र राज्य बन गया था। स्वतंत्र हो जाने के बाद पुर्तगाल ने मछुवाही
एवं नौकायन के क्षेत्र में विशेष प्रवीणता प्राप्त कर ली थी। पुर्तगाली मछुआरे एवं
नाविक अत्यधिक साहसी थे और उनकी सामुद्रिक यात्राओं में विशेष अभिरुचि थी।
3. पुर्तगाली शासक प्रिन्स
हेनरी ने, जो 'नाविक हेनरी' (Sailor Henry) के नाम से प्रसिद्ध हुआ, नाविकों को जलमार्गों
द्वारा नए-नए स्थानों की खोज के लिए प्रोत्साहित किया। उसने पश्चिमी अफ्रीका की तटीय
यात्रा आयोजित की तथा 1415 ई० में सिउटा पर आक्रमण किया। तत्पश्चात् पुर्तगालियों ने
अनेक अभियान आयोजित करके अफ्रीका के बोजाडोर अन्तरीप में अपना व्यापार केन्द्र स्थापित
कर लिया। उसने नाविकों के प्रशिक्षण के लिए एक प्रशिक्षण स्कूल की भी स्थापना की। पुर्तगाली
नाविक बार्थोलोमियोडायज़ द्वारा 1486 ई० में दक्षिणी अफ्रीका के अन्तरीप की खोज की
गई जिसे पुर्तगाली शासक जॉन ने 'उत्तमाशा अन्तरीप' (Cape of Good Hope) का नाम दिया।
1487 ई० में पुर्तगाली नाविक कोविल्हम ने भारत के मालाबार तट पर पहुँचने में सफलता
प्राप्त की।
4. इसी प्रकार स्पेनवासियों
ने नाविक कोलंबस को भारत की खोज के लिए धन से यथासंभव सहायता की। भारत जाने के पूर्वी
मार्ग पर 1453 ई० में तुर्कों का अधिकार हो गया था। अतः कोलंबस ने अटलांटिक सागर से
होकर भारत पहुँचने का प्रयास किया और इस प्रकार अनजाने ही में वह अमरीका को खोज निकालने
में समर्थ हो गया।
17. अमेरिका
की खोज में कोलम्बस की क्या भूमिका रही?
उत्तर: कोलम्बस ने आर्थिक सहायता
प्राप्त करने का प्रयास किया और इससे भी लगभग निराश हो गया था। अन्त में 5 वर्षों के
प्रयास के बाद उसे सफलता मिली। रानी ईसाबेला द्वारा उसकी योजना स्वीकार कर ली गई। अगस्त,
1492 ई. में तीन जहाजों के साथ कोलम्बस ने स्पेन के पालोस बन्दरगाह से पश्चिम की ओर
प्रस्थान किया। लगभग दो महीनों की कठिन यात्रा के पश्चात् वह पश्चिमी द्वीप समूह के
टापू पर उतरा। निकट के द्वीपों की उसने यात्रा की। उसे विश्वास था कि उसने भारत को
खोज लिया था। इन टापुओं को उसने इण्डीज और यहाँ के निवासियों को इण्डियन कहा। उसने 1498 ई. में तीसरी यात्रा की । वह दक्षिणी
अमेरिका के उस स्थान पर पहुँचा जिसे आजकल वेनेजुएला कहते हैं। उसने 1502 ई. की चौथी
यात्रा में होन्डूरस खोजा। उसकी 1506 ई. में मृत्यु हुई और इस समय तक उसे यही विश्वास
रहा कि उसने भारत की खोज की। 1492 में जब कोलंबस ने नईदुनिया अमेरिका की खोज कर ले
तो इसका पूरी दुनिया में बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा।
अमेरिका की खोज करने के बाद
कोलंबस अपने साथ स्पेन में कई सारा धन और खाद्य पदार्थ ले गया और इसके बाद स्पेन ने
लगातार अमेरिका की सभी देश में अपने उपयोग स्थापित कर लिए और अमेरिका से खाद्य पदार्थ
को विदेशों में आयात किया।
स्पेन के उपनिवेश को देखकर
इंग्लैंड ने भी अमेरिका में अपने उपनिवेश स्थापित करने शुरू कर दिए लेकिन प्रथम विश्व
युद्ध का अमेरिकन उपनिवेश में सबसे ज्यादा असर पड़ा। प्रथम विश्व युद्ध में स्पेन की
हार हुई जिसके कारण अमेरिकन उपनिवेश से उसका महत्व कम हो गया और बिट्रेन का अमेरिकन
उपनिवेश में महत्व बढ़ गया इसी दौरान बिट्रेन भारत में चाय का उत्पादन करके अमेरिका
भेजने लगा और अमेरिका से गुलाम बनाकर अमेरिका ले जाए जाने लगे।
अमेरिका की खोज के बाद दुनिया
में कई खोज हुई, ऑस्ट्रेलिया देश की खोज, भारत देश की खोज, ब्राजील देश की फौज आदि।
18. औद्योगिक
क्रांति के समय किये गये अविष्कारों की दिलचस्प विशेषताएँ क्या थी?
उत्तर: इस अवधि के अधिकतर आविष्कार
वैज्ञानिक ज्ञान के अनुप्रयोग की बजाय दृढ़ता, रूचि, जिज्ञासा तथा भाग्य के बल पर हुए।
1. कपास उद्योग क्षेत्र में
जान के तथा जेम्स हारग्रीब्ज जैसे कुछ आविष्कारक बुनाई और बढ़ईगिरी से परिचित थे। परंतु
रिचर्ड आर्कराइट एक नाई था और बालों की विग बनता था।
2. सैम्युअल क्रांपटन तकनीकी
दृष्टि से कुशल नहीं था।
3. एडमंड कार्टराइट ने साहित्य;
आयुर्विज्ञान और कृषि का अध्ययन किया था। प्रारंभ में उसकी इच्छा पादरी बनने की थी।
वह यांत्रिकी के बारे में बहुत कम जानता था।
4. दूसरी ओर भाप के इंजनों
के क्षेत्र में थॉमस सेवरी एक सैन्य अधिकारी था। इन सबमें अपने- अपने आविष्कार के प्रति
कुछ संगत ज्ञान अवश्य था।
परंतु सड़क निर्माता जान मैकऐडम;
जिसने व्यक्तिगत रूप से सड़कों की सतों का सर्वेक्षण किया था और उनके बारे में योजना
बनाई थी; अंधा था। नहर निर्माता जेम्स विंडले लगभग निरक्षर था। शब्दों की वर्तनी के
बारे में उनका ज्ञान इतना कमजोर था कि वह 'नौ चालन' (Navigation) शब्द की सही वर्तनी
कभी न बता सका। परन्तु उसमें गजब की स्मरण शक्ति और एकाग्रता थी।
19. पश्चिमी
शक्तियों द्वारा पेश की गई चुनौतियों का सामना छींग राजवंश कैसे किया?
उत्तर: पाश्चात्य ताकतों द्वारा
पेश की गई चुनौतियों से दो-चार होने के लिए छींग राजवंश ने निम्नलिखित उपायों का सहारा
लिया
1. चीन को उपनिवेशीकरण से बचाने
के लिए चीन की व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना नितांत आवश्यक था। अतः उसने आधुनिक प्रशासन,
नयी सेना और शिक्षा के लिए नयी नीतियों का निर्माण किया।
2. संवैधानिक सरकार की स्थापना
हेतु स्थानीय विधायिकाओं के गठन की तरफ ध्यान आकृष्ट किया गया। प्रशासकों का विचार
था कि एक संवैधानिक रूप से चुनी हुई सरकार की पश्चिमी ताकतों द्वारा प्रस्तुत की गई
चुनौतियों से भली-प्रकार से निपट सकती है।
3. जनसामान्य द्वारा राष्ट्रीय
जागरूकता उत्पन्न करने के प्रयास किए गए। लियांग किचाऊ जैसे सुप्रसिद्ध चीनी विचारकों
का विचार था कि चीनियों में राष्ट्रीयता की भावना उत्पन्न करके ही चीन पश्चिम का सफलतापूर्वक
विरोध कर सकता था। उनके मतानुसार अंग्रेज़ व्यापारियों के हाथों भारतीयों की हार का
मुख्य कारण भारतीयों में एकता और राष्ट्रीयता की भावना का अभाव था। अतः चीनी विचारकों
ने जनसामान्य को उपनिवेश बनाए गए देशों के नकारात्मक उदाहरणों से परिचित कराने का अहम
कार्य किया। 18वीं शताब्दी में पोलैंड का विभाजन एक दृष्टांत बन गया। सर्वविदित है
कि 1890 के दशक में चीन में 'पोलैंड' शब्द का प्रयोग एक क्रिया स्वरूप-टू पोलैंड रूस'
(बोलान वू) अर्थात् 'हमें विभाजित करने' – किया जाने लगा।
4. जनसाधारण की परंपरागत सोच
को बदलने की कोशिश की गई क्योंकि बुद्धिजीवी वर्ग का मानना था कि | परंपरागत सोच को
बदलकर ही चीन का विकास संभव है। उल्लेखनीय है कि उस समय चीन की प्रमुख विचारधारा कन्फ्यूशियसवाद
से ओतप्रोत थी।
5.1890 के दशक में जिन विद्यार्थियों
को जापान में अध्ययन हेतु भेजा गया था उन्होंने जापान के नए विचारों से रभावित होकर
चीन में गणतंत्र स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।।
6. सरकारी पदों की नियुक्ति
में योग्यता को आधार बनाया गया। 1905 ई० में रूसजापान युद्ध के बाद दीर्घकाल से प्रचलित
चीनी परीक्षा प्रणाली को समाप्त कर दिया गया। परंपरागत परीक्षा प्रणाली में साहित्य
पर बल दिया जाता था। फलतः यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लिए बाधक थी।
7. सैन्य-शक्ति को मजबूत बनाने
के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण सुधार किए गए। सेना को अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित
किया गया।