Class IX Hindi (B) Set-1 Term-2, 2022

Class IX Hindi (B) Set-1 Term-2, 2022

 

झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, राँची, झारखण्ड

द्वितीय सावधिक परीक्षा (2021-2022)

मॉडल प्रश्न पत्र         सेट- 1

कक्षा-9

विषय हिन्दी -'बी'

समय- 1 घंटा 30 मिनट

पूर्णांक 40

सामान्य निर्देश :-

परीक्षार्थी यथासंभव अपनी ही भाषा-शैली में उत्तर दें।

इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं। सभी खंड के प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है।

सभी प्रश्न के लिए निर्धारित अंक उसके सामने उपांत में अंकित है।

प्रश्नों के उत्तर उसके साथ दिए निर्देशों के आलोक में ही लिखें।

2 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में, 3 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 50 शब्दों में, 5 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 100 शब्दों में और 7 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में लिखें |

खंड-क (अपठित बोध)

नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए- 3x2 = 6

बचपन में ही मैंने सुना था, “खेलोगे, कूदोगे होगे खराब" । कुछ लोग आज भी सोचते हैं कि खेलने- कूदने से समय नष्ट होता है, स्वास्थ्य बनाने के लिए व्यायाम ही काफी है। परन्तु यह विचार ठीक नहीं है। खेलने से स्वास्थ्य तो बनता ही है, साथ-साथ मनुष्य कुछ ऐसे गुण भी सीखता है जिनका जीवन में विशेष महत्व है और जो व्यायाम से नहीं प्राप्त हो सकते । सहयोग से काम करना, विजय मिलने पर अभिमान न करना और हारने पर साहस न छोड़ना आदि गुण खेलों से सीखे जा सकते हैं। लोग सफलता न पाने पर साहस छोड़ देते हैं और दोबारा प्रयास नहीं करते। परन्तु अच्छा खिलाड़ी हारने के बाद भी प्रयास करता है ताकि वह फिर से जीत सके।

प्रश्न- 1- कुछ लोग आज भी खेल के बारे में क्या सोचते हैं ?

उत्तर: कुछ लोग आज भी सोचते हैं कि खेलने- कूदने से समय नष्ट होता है।

प्रश्न 2. खेल-कूद से मनुष्य क्या-क्या सीख सकता है ?

उत्तर: सहयोग से काम करना, विजय मिलने पर अभिमान न करना और हारने पर साहस न छोड़ना आदि गुण खेलों से सीखे जा सकते हैं।

प्रश्न 3. अच्छा खिलाड़ी किसे कहते हैं ?

उत्तर: जो हारने के बाद भी प्रयास करता है ताकि वह फिर से जीत सके, उसे अच्छा खिलाड़ी कहते है।

खंड-ख (व्याकरण)

निर्देशानुसार उत्तर दीजिए - 2x2 = 4

प्रश्न 4. 'यथाशक्ति का समास विग्रह करें और भेद का नाम लिखें।

उत्तर: समास विग्रह :- शक्ति के अनुसार

         अव्ययीभाव समास ।

अथवा

'धनहीन' का समास विग्रह करें और भेद का नाम लिखें।

उत्तर: धन से हीन, तत्पुरुष समास ।

प्रश्न 5 दिए गए अशुद्ध वाक्य को शुद्ध करके लिखें-

मैं आपका दर्शन करने आया हूँ।

उत्तर: मैं आपके दर्शन करने आया हूँ।

अथवा

शुद्ध गाय की घी लाओ ।

उत्तर: गाय की शुद्ध घी लाओ।

खंड-ग (पाठ्य पुस्तक)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए 6x3 = 18

प्रश्न 6. 'गीत- अगीत कविता के केन्द्रीय भाव को लिखिए।

उत्तर: गीत अगीत' कविता में कवि ने स्पष्ट किया है कि प्रेम की पहचान दिखावे में नहीं अपितु मोहन भाव से प्रेम की पीड़ा को पी जाने में है। नदी विरह के गीत गाते हुए तेज़ गति से सागर से मिलने चली जाती है। वह अपने विरह व्यथा अपने रास्ते में आने वाले पत्थरों को सुनाती है परंतु नदी किनारे उगा हुआ गुलाब मौन भाव से सोचता रहता है तथा अपने प्रेम भावो को व्यक्त नहीं करता है। तोता दिन निकलने पर मुखरित होता है परंतु तोती प्रेम भाव में डूबी मौन रहती है। प्रेम उच्च स्वर में आल्हा गाकर अपना प्रेम व्यक्त करता है परंतु प्रेमिका छिपकर उसका गीत सुनकर भी मौन रहती है।

प्रश्न 7. 'नए इलाके में शीर्षक कविता में कौन-कौन से पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है ?

उत्तर: इस कविता में पीपल का पेड़, ढहा हुआ घर, ज़मीन का खाली टुकड़ा, बिना रंग वाले लोहे के फाटक वाला मकान आदि पुराने निशानों का उल्लेख है।

प्रश्न 8 व्याख्या करें

रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय |

टूटे से फिर ना मिले,मिले गाँठ परि जाए |

उत्तर: रहीम जी कहते हैं कि क्षणिक आवेश में आकर प्रेम रुपी नाजुक धागे को कभी नहीं तोड़ना चाहिए। क्योंकि एक बार अगर धागा टूट जाये तो पहले तो जुड़ता नहीं और अगर जुड़ भी जाए तो उसमे गांठ पड़ जाती है।

अथवा

मोती, मानुष और चून के संदर्भ में पानी के महत्व को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: मोती, मनुष्य और चून में पानी के महत्व को कवि ने बेहद बारीकी से समझाने का प्रयास किया है। कवि के अनुसार मोती का पानी उतर जाने से उसकी चमक फीकी पड़ जाती है और वह अपना मूल्य खो बैठता है। ठीक उसी तरह समाज में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति का मान-सम्मान चला जाए तो उसकी नजरें हमेशा के लिए नीची हो जाती हैं। इसी तरह चून यानी आटे में पानी मिलाए बिनी रोटी बनाने की कल्पना नहीं की जा सकती।

प्रश्न 9. धर्म की आड़ पाठ के आधार पर महात्मा गांधी के धर्म संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: महात्मा गांधी के धर्म संबंधी विचार उनके सत्य और अहिंसा के सिद्धांत पर आधारित थे। वे सनातन धर्म को मानने वाले वर्ग से आते अवश्य थे पर उनके हृदय में किसी अन्य धर्म के प्रति अनास्था का भाव नहीं था। उनका मानना था कि दुनिया का प्रत्येक धर्म श्रेष्ठ है और किसी भी धर्म से भेदभाव नहीं करना चाहिए| वे दुनिया के सभी धर्मो को एकसमान मानते थे और किसी भी व्यक्ति से धर्म के आधार पर किये गए भेदभाव के खिलाफ थे|

अथवा

सर चंद्रशेखर वेंकट रामन के जीवन से प्राप्त होने वाले संदेश को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: सर चंद्रशेखर वेंकट रामन ने हमेशा ये संदेश दिया कि हम विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं की छानबीन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से करें। न्यूटन ने ऐसा ही किया था और तब जाकर दुनिया को गुरुत्वाकर्षण के बारे में पता चला था। रामन ने ऐसा ही किया था और तब जाकर दुनिया को पता चला कि समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है, कोई और क्यों नहीं। जब हम अपने आस पास घटने वाली घटनाओं का वैज्ञानिक विश्लेषन करेंगे तो हम प्रकृति के बारे में और बेहतर ढ़ंग से जान पाएँगे।

प्रश्न 10. गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया ?

उत्तर: लेखिका गिलहरी के घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले आई उसका घाव रुई से पोंछा उस पर पेंसिलिन दवा लगाई फिर उसके मुँह में दूध डालने की कोशिश की परन्तु उसका मुँह खुल नहीं सका। कई घंटे के उपचार के बाद उसने एक बूँद पानी पिया। तीन दिन के बाद उसने आँखे खोली और धीरे-धीरे स्वस्थ हुआ।

प्रश्न 11. हामिद खाँ ने खाने का पैसा लेने से इंकार क्यों किया ?

उत्तर: हामिद खाँ को गर्व था कि एक हिंदू ने उनके होटल में खाना खाया। साथ ही वह लेखक को मेहमान भी मान रहा था। वह आने वाले के शहर की हिंदू-मुस्लिम एकता का भी कायल हो गया था। इसलिए हामिद खाँ ने खाने के पैसे नहीं लिए।

खंड घ (रचना)

प्रश्न: 12. अपने छोटे भाई को नियमित अध्ययन पर बल देते हुए पत्र लिखिए | 1x5 = 5

उत्तर: डी–20

पी सी कॉलनी,

कंकर बाग,

पटना

दिनांक– 12/05/22

प्रिय अनुज,

ढेर सारा प्यार।तुम्हारा पत्र मिला और यह जान कर बहुत खेद हुआ कि इस बार तुम्हारा परीक्षा परिणाम अच्छा नहीं रहा। पढ़ाई के प्रति तुम्हारी यह लापरवाही तुम्हारे भविष्य को बर्बाद कर सकता है। तुम्हें अब अध्ययन के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है। दसवीं का परिणाम ही बच्चों का नीव बनाता है। संपूर्ण पाठ्यक्रम की एक रूपरेखा बनाकर तुम्हें निरंतर अध्ययन शील रहने की आवश्यकता है।

आशा करता हूँ कि आगामी परीक्षाओं में तुम मुझे निराश नहीं करोगे और जमकर पढ़ाई करोगे। तुमसे पिताजी को खास उम्मीदें है। थोड़ा थोड़ा ही पर प्रति दिन पढ़ाई अत्यंत आवश्यक है। यदि तुमने अच्छा करने का मन बना लिया तो तुम्हें कोई नहीं रोक सकता। मन लगाकर पढ़ाई करो और माँ पापा का नाम रोशन करो।

परिवार के सभी लोग तुम्हें ढेर सारा प्यार बोल रहे है।

तुम्हारा बडा भाई।

रमेश

अथवा

अपनी वार्षिक परीक्षा की तैयारी का वर्णन करते हुए पिताजी को पत्र लिखिए ।

उत्तर: 22 नवम्बर 2020

         प्रिय पिताजी,

         आप को मेरा प्रणाम,

                              नमस्कार पिताजी बहुत दिनों बाद आपको पत्र लिख रही हूँ पढ़ाई करते करते मुझे आपसे बात करने का मौका ही नहीं मिला इसलिए मैं आज आप को पत्र लिख रही हूँ आपने मुझे महारानी लक्ष्मी विद्यालय में दाखिला दिलवाया मैं सच्चे मन से और लगन से पढ़ाई करती हूँ मुझे परीक्षा में अच्छे गुण भी मिलते हैं आपको मैं यह बताना चाहती हूँ कि आपकी बेटी अपेक्षित और जागरूक नागरिक बन गई है और मुझे कहने में ही बहुत खुशी होती है कि मैं आप जैसी पिता के बेटी हूँ।

आपकी प्यारी बेटी

प्रश्न- 13. दिए गए संकेत बिंदु के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए | (अधिकतम 150 शब्द) 1x7 = 7

मेरा भारत महान (संकेत बिन्दु- प्रस्तावना, प्राकृतिक बनावट, इतिहास, धार्मिक सहिष्णुता एवं सौहार्द, उपसंहार)

उत्तर: प्रस्तावना: हमारा देश भारत है । हम इसकी संतान हैं । इस देश का नाम भारत क्यों पड़ा ? इसके लिए अलग – अलग मान्यताएँ हैं । ब्राह्मण पुराण के अनुसार प्रजा का भरण – पोषण करने के कारण मनु भरत कहलाए और मनु द्वारा पालित – पोषित होने के कारण यह देश भारत कहलाया । यह भी प्रचलित है कि दुष्यन्त के प्रतापी पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा ।

प्राकृतिक बनावट: भारत की प्राकृतिक बनावट व सम्पदा अद्भुत है। लगता है कि प्रकृति देवी ने स्वयं इसकी रचना की है । उत्तर में बर्फ से ढ़की हिमालय की पर्वत श्रेणियों हैं जो इस देश का मुकुट बनी हुई है । दक्षिण में हिन्द महासागर हिलोरें लेता है । ऐसा लगता है जैसे वह इस देश के चरणों को धो रहा है । हिमालय से निकलने वाली नदियों- गंगा , यमुना , ब्रह्मपुत्र , रावी , झेलम आदि सदैव जलराशि से पूर्ण रहती है और देश की धरती को शस्य श्यामल बनाती हैं । गंगा , यमुना और सतलुज के उपजाऊ मैदान दुनिया में दूसरे नहीं हैं । विभिन्न ऋतुएँ इसकी प्राकृतिक छटा को निखारती रहती है । ऐसा लगता है कि भारत देवी हमेशा अपना परिधान बदलती है और नित्य नये सुगन्धित आवरण से अपनी सज्जा करती रहती है । यह हमारा सौभाग्य है कि प्रकृति की इस क्रीड़ास्थली भारत में हमारा जन्म हुआ है।

इतिहास: हमारे देश का अतीत बहुत गौरवपूर्ण रहा है । इस देश में बड़े – बड़े ज्ञानी – ध्यानी , ऋषि – मुनि और महात्मा हुए हैं जिन्होंने दुनिया को ज्ञान सूर्य का दर्शन कराया । संसार में सभ्यता और संस्कृति का प्रवर्तन हमारे यहाँ से हुआ । हमारे देश में महावीर , गौतम बुद्ध , मर्यादा पुरुषोत्तम राम , गीतायोगी कृष्ण जैसे महापुरुष हुए । यह बड़े – बड़े कवियों- तुलसी , सूरदास , कबीर , रहीम , रसखान , बिहारी , भूषण , जयशंकर प्रसाद , मैथिलीशरण गुप्त , निराला और पंत- की जन्मभूमि रही है । हमारे देश के प्रचुर धन – धान्य से देश – विदेश सभी लाभान्वित होते रहे हैं ।

धार्मिक सहिष्णुता और सौहाद्र: यहाँ कई जातियाँ आईं और इसकी धरती पर हिलमिल गई । हमारे देश में विभिन्न जाति , वर्ण व संप्रदाय के लोग मिलकर रहते हैं । कहीं मन्दिरों के घण्टे – घड़ियाल बज रहे हैं , तो कहीं मस्जिदों में अजान दी जा रही है । यह विविध धर्मों का देश है । धार्मिक सहिष्णुता और सौहार्द का जैसा संगम यहाँ देखने की मिलता है , वैसा अन्यत्र मिलना दुर्लभ है । संसार के इतिहास में कई सभ्यताएँ पनपी और अस्त हो गई , लेकिन भारत की सभ्यता अभी तक मुखर है । इसलिए कहते हैं:—-

जिस चोटी पे पहुँचने की कल्पना, किये थे हमारे वीर जवान।

उस चोटी पर अब पहुँच चुका , मेरा देश भारत महान।।

उपसंहार: ऐसे गौरवपूर्ण देश के वासी होने के नाते हमारा कर्तव्य हो जाता है कि हम इसकी उन्नति के लिए सतत् सजग रहें । आपसी फूट और वैमनस्य की जड़ें उखाड़ कर फेंक दें । भाषा और संस्कृति के झगड़े इस देश की विरासत नहीं हैं । विदेशियों ने अपनी कूटनीति के कारण देश को खंड – खंड करना चाहा है , हमें एकता का बिगुल बजाकर भारत को संसार का शिरोमणि बनाना है ।

अथवा

अनुशासन का महत्व (संकेत बिंदु- भूमिका, अर्थ, आवश्यकता, महत्व, प्रभाव, उपसंहार)

उत्तर: भूमिका: अनुशासन ही देश को महान बनाता है. यह कथन पूर्णत सत्य है. अनुशासित नागरिक ही देश को उन्नति के पथ पर अग्रसर करते हैं. इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी देश के नागरिकों की अनुशासनहीनता ही उस देश के पतन का कारण बन जाती है. सामान्य व्यक्ति, समाज और राष्ट्र का विकास अनुशासन के द्वारा ही संभव है।

राष्ट्र का निर्माण चट्टानों तथा वृक्षों से नहीं वरन उसके नागरिकों के चरित्र से होता है।

अनुशासन का अर्थ: अनुशासन(अनु+शासन) अर्थात(आज्ञा,आदेश) के अनुसार आचरण करना. बड़ों की आज्ञा मानना, नियमों, अधिकारियों के आदेश का पालन करना अनुशासन कहलाता है. सच्चा अनुशासन वही होता है जब विद्यार्थी अपनी इच्छा से आदेशानुसार कार्यों को करता है. अनुशासन केवल विद्यालय तक ही सीमित नहीं है अभी तो इसकी आवश्यकता सभी स्थानों पर रहती है. अनुशासन दो प्रकार का होता है- आत्मिक और ब्राह्य. आत्मिक में मानव अपनी प्रेरणा से अनुशासनबद्ध होता है, जबकि दूसरे में इसका कारण भय, दंड, आदर्श आदि होते हैं. इनमें आदमी का अनुशासन ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है. प्लेटो के अनुसार “Discipline must be based on love and controlled by love” दंड को आज व्यक्तिगत विकास में बाधक माना जाने लगा है. अनुशासन को यदि आचरण मान लिया जाए तो व्यक्ति उसे आत्म प्रेरणा से ग्रहण करने लगता है।

अनुशासन की आवश्यकता: हमें अपने जीवन के हर एक क्षण अनुशासन की आवश्यकता होती है, इसलिए बचपन से अनुशासन का अभ्यास करना अच्छा है। स्व-अनुशासन का अर्थ अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग होता है जैसे कि छात्रों के लिए, इसका मतलब है कि स्वयं को अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करना और सही समय पर काम पूरा करना। हालांकि, कामकाजी व्यक्ति के लिए, इसका मतलब है कि सुबह समय पर बिस्तर से उठना, व्यायाम करना, समय पर कार्यालय जाना और नौकरी के कार्यों को ठीक से करना।

पेशेवर जीवन में, एक अनुशासित व्यक्ति वह होता है, जिसे सबसे पहले अच्छे अवसर दिए जाते हैं क्योंकि यह माना जाता है कि वह अनुशासनहीन व्यक्ति की तुलना में अधिक जिम्मेदार और अनुशासित तरीके से कार्यों को अंजाम दे सकता है। अनुशासन किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व में एक अपवाद आयाम जोड़ने में मदद करता है और उसे एक अद्वितीय व्यक्ति के रूप में उजागर करता है। जहाँ भी वह लोगों के दिमाग में सकारात्मक प्रभाव छोड़ता है।

महत्व: अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है- अनु और शासन। अनु उपसर्ग है जो शासन से जुड़ा है और जिससे अनुशासन शब्द निर्मित हुआ है। जिसका अर्थ है- किसी नियम के अधीन रहना या नियमों के शासन में रहना। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन आवश्यक है।

अनुशासन के प्रभाव: 1. अनुशासन हमारे व्यक्तित्व विकास में सहायक होता है। 2. इससे हम तनाव मुक्त रहते हैं। 3. इससे हमें समय के महत्व का पता चलता है जिससे हम अपने समय को सही तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं। 4. अनुशासन में रहने पर हम अपने साथ-साथ अपने समाज का भी विकास करते हैं। 5. अनुशासन में रहने पर हमें खुशहाली की प्राप्ति होती है। 6. यदि हम अनुशासन में रहते हैं तो हमें देखने वाले लोगों में भी अनुशासन अपनाने की इच्छा होती है। 7. अनुशासन में रहने पर हमें शिक्षा की सही प्राप्ति होती है। 8. अनुशासन से हमें उज्जवल भविष्य की प्राप्ति होती है।

उपसंहार: स्वतंत्रता के पहले बहुत-सी समस्याएँ नहीं थीं। लेकिन अब, हमारा देश भ्रष्टाचार, घूसखोरी, घोटाला, धोखेबाजी, आतंकवाद आदि-जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है। कुछ युवा भ्रमित हो चुके हैं। सिर्फ शिक्षित और अनुशासित युवा ही हमारे देश को उज्ज्वल भविष्य दे सकते हैं। अंत: यह कहना गलत नहीं होगा कि अनुशासन वह सीढ़ी है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में सफलता की ऊँचाई की ओर चढ़ सकता है। यह उसे अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है और उसे अपने लक्ष्य से भटकने नहीं देता हैं। अनुशासन ही इन समस्याओं का एकमात्र समाधान है।

अथवा

पर्यावरण प्रदूषण ( संकेत बिंदु- भूमिका, कारण, प्रभाव, उपाय, उपसंहार)

उत्तर: भूमिका: प्रदूषण आज की प्रमुख समस्या है। महानगरों में प्रदूषण इस सीमा तक बढ़ गया है कि लोगो के लिए सांस लेना भी दूभर हो गया है। यदि प्रदूषण पर समय रहते अंकुश न लगाया गया तो यह समस्या अत्यन्त भयावह रूप धारण कर लेगी। आवश्यकता इस बात की है कि लोगों को इस सम्बन्ध में सचेत एवं जागरूक किया जाए।

कारण: प्रदूषण का प्रमुख कारण है औद्योगीकरण की तीव्र गति एवं वैज्ञानिक प्रगति। जैसे-जैसे जनसंख्या वृद्धि हो रही है, वैसे-वैसे हमें अधिक कृषि उत्पादन की आवश्यकता पड़ रही है। परिणामतः जंगल काटे जा रहे हैं और खेती की भूमि का विस्तार हो रहा है। नए घरों को बनाने के लिए इमारती लकड़ी, चाहिए, जिससे वन- सम्पदा का विनाश हो रहा है। औद्योगीकरण के कारण कोयले का प्रयोग अधिक हो रहा है। जिससे आसमान में धुआँ उगलती चिमनियां वायु को प्रदूषित कर रही हैं तथा नदियों में हानिकारक रसायन मिलने से जल प्रदूषित हो रहा है।

उधर कीटनाशक दवाइयां एवं रासायनिक खादों के प्रयोग ने मिट्टी को प्रदूषित कर दिया है। पेट्रोल एवं डीजल वाहनों से निकलने वाले धुएं ने महानगरों में लोगों का सांस लेना दूभर कर दिया है परमाणु ऊर्जा से होने वाले हानिकारक रेडियोधर्मी प्रदूषण ने भी वातावरण को जहरीला बना रखा है। मशीनों के शोर ने तथा दिन भर चलने वाले यातायात के शोर ने आम आदमी की शान्ति को भंग कर दिया है।

प्रभाव: प्रदूषण से मानव जीवन पर निम्नांकित दुष्प्रभाव पड़ता है-

 (i) प्रदूषित वायु मानव की श्वसन क्रिया को क्षति पहुँचाती है। इससे दमा, निमोनिया, गले में दर्द, खाँसी के साथ ही कैंसर, मधुमेह और हृदय रोग जैसे घातक रोग होते हैं तथा हानिकारक गैसों का वायुमण्डल में अधिक मिश्रण भीषण हादसों को जन्म देता है, जिससे मनुष्य मौत के शिकार हो जाते हैं-

(ii) प्रदूषित पेय जल अनेक रोगों के कीटाणु, विषाणु मनुष्य के शरीर में पहुँचाकर रोगों को उत्पन्न कर देता है। प्रदूषित जल के सेवन से पेचिश, हैजा, अतिसार, टायफाइड, चर्मरोग; खाँसी, जुकाम, लकवा, अन्धापन, पीलिया व पेट के रोग हो जाते हैं।

(iii) गंदगी के क्षेत्रों एवं प्रदूषित चीजों पर मक्खी , मच्छर, कीड़े आदि पनपते हैं। गन्दगी युक्त वातावरण में अनेक कीटाणु पैदा होते हैं, जो मनुष्य के लिए पेचिश, तपेदिक, हैजा, आँतों के रोग, आँखों में जलन आदि रोगों हेतु उत्तरदायी होते हैं।

(iv) ध्वनि प्रदूषण का सर्वाधिक प्रभाव सुनने की शक्ति पर पड़ता है। अत्यधिक शोर से व्यक्ति बहरा हो जाता है। इसके अतिरिक्त ईससे रक्तचाप, सिरदर्द, घबराहट आदि रोग भी मनुष्य में पनप जाते हैं।

उपाय: प्रदूषण से बचने के लिए कुछ कारगर उपाय निम्नवत हो सकते हैं-

1. सरकार कानून बनाकर लोगों को प्रदूषण फैलाने से रोके तथा इन कानूनों का उल्लंघन करने पर कड़े दण्ड का प्रावधान हो ।

2. अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाए।

3. हरे पेड़ों एवं जंगलों की कटाई पर अंकुश लगाया जाए।

4. उद्योगों को प्रदूषण रोकने वाले यन्त्र लगाने पर ही लाइसेन्स दिया जाए।

5. नदियों में प्रदूषित पदार्थों को मिलाने वाले उद्योगों पर रोक लगाई जाए।

6. परमाणु रिएक्टरों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जाए जिससे रेडियो एक्टिव प्रदूषण न फैले।

7. कीटनाशक दवाइयों एवं रासायनिक खादों का उपयोग कम से कम किया जाए।

8. पेट्रोल एवं डीजल चालित वाहनों को धीरे धीरे बन्द करके सी. एन. जी. एवं बैटरी चालित वाहनो को महानगरों में चलाया जाए।

9. जन जागरण द्वारा प्रदूषण की रोकथाम हेतु सतत प्रयास किए जाएं।

उपसंहार: भारत सरकार ने प्रदूषण की रोकथाम के लिए सन 1974 एवं 1981 में कानून बनाए हैं तथा पर्यावरण मन्त्रालय भी इस दिशा में सचेष्ट है तथापि प्रदूषण की रोकथाम करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। विकास की गति को जारी रखते हुए यथासम्भव प्रदूषण से बचा जाए यही हमारा प्रयास होना चाहिए, तभी हमारी वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित हो सकेगा।

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