Class IX Hindi (B) Set-2 Term-2, 2022

Class IX Hindi (B) Set-2 Term-2, 2022

 

झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, राँची, झारखण्ड

द्वितीय सावधिक परीक्षा (2021-2022)

मॉडल प्रश्न पत्र         सेट- 2

कक्षा-9

विषय हिन्दी -'बी'

समय- 1 घंटा 30 मिनट

पूर्णांक 40

सामान्य निर्देश :-

परीक्षार्थी यथासंभव अपनी ही भाषा-शैली में उत्तर दें।

इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं। सभी खंड के प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है।

सभी प्रश्न के लिए निर्धारित अंक उसके सामने उपांत में अंकित है।

प्रश्नों के उत्तर उसके साथ दिए निर्देशों के आलोक में ही लिखें।

2 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में, 3 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 50 शब्दों में, 5 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 100 शब्दों में और 7 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में लिखें |

खंड-क (अपठित बोध)

नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए- 3x2 = 6

पक्षी और बादल

ये भगवान के डाकिये हैं

जो एक महादेश से

दूसरे महादेश को जाते हैं ।

             हम तो समझ नहीं पाते हैं

             मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ

             पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ बाँचते हैं।

हम केवल यह आँकते हैं

कि एक देश की घरती

दूसरे देश को सुगंध भेजती हैं।

प्रश्न - 1 भगवान के डाकिए कौन-कौन हैं ?

उत्तर: पंछियों और बादलों को।

प्रश्न - 2 भगवान के डाकिए क्या-क्या बाँचते हैं ?

उत्तर: कवि का कहना है कि पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं। जिस प्रकार डाकिए संदेश लाने का काम करते हैं, उसी प्रकार पक्षी और बादल भगवान का संदेश लाने का काम करते हैं। पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ भगवान के भेजे एकता और सद्भावना के संदेश को पढ़ पाते हैं। इसपर अमल करते नदियाँ समान भाव से सभी लोगों में अपने पानी को बाँटती है। पहाड़ भी समान रूप से सबके साथ खड़ा होता है। पेड़-पौधें समान भाव से अपने फल, फूल व सुगंध को बाँटते हैं, कभी भेदभाव नहीं करते।

प्रश्न - 3 हम केवल क्या आँक पाते हैं ?

उत्तर: हमारी समझ में एक बात अवश्य आती है और वो ये कि एक देश की धरती अपनी सुहानी खुशबू दूसरे देश को भेजती है। वह खुशबू चिड़ियों के पंखों पर सवार होकर ही जाती है। बादल अपने साथ दूर देश का पानी लाते हैं। इस तरह से एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर बरसता है।

खण्ड — ख (व्याकरण) 2x2 = 4

प्रश्न-4 दिए गए अशुद्ध वाक्य को शुद्ध करके लिखिए

लड़का और लड़की पढ़ती है।

उत्तर: लड़का और लड़की पढ़ते है।

अथवा

यह बात कोई को मत बताना ।

उत्तर: यह बात किसी को मत बताना।

प्रश्न – 5 'लम्बोदर' का समास - विग्रह कर भेद का नाम लिखिए |

उत्तर: समास विग्रह  लम्बा है उदर जिसका अर्थात् गणेश । बहुब्रीहि समास

अथवा

‘घर-आँगन' का समास - विग्रह कर भेद का नाम लिखिए |

उत्तर: समास विग्रह - 'घर और आँगन' होगा। द्वन्द्व समास'

खण्ड - ग (पाठ्य पुस्तक) 6x3 = 18

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-

प्रश्न – 6 कवि एक घर के पीछे या दो घर के आगे क्यों चल देता है ?

उत्तर: कवि एक घर पीछे या दो घर आगे इसलिए चल देता है क्योंकि उसे नए इलाके में उसके घर पहुँचने तक की जो निशानियाँ थी वे सब मिट चुकी थीं। उसने कई निशानियाँ बना रखी थी; जैसे - एक मंजिले मकान की निशानी बिना रंगवाला लोहे का फाटक। लेकिन इनमें से कुछ भी नहीं बचा था। प्रतिदिन आ रहे थे परिवर्तनों के कारण वह अपना घर नहीं ढूढ़ पाया। और आगे पीछे निकल जाता है।

प्रश्न–7 ‘आदमी नामा' के पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी के किन-किन रूपों का बखान करती है ?

उत्तर:  ‘आदमी नामा' के पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी के विभिन्न रूपों, जैसे- बादशाह गरीब, भिखारी, मालदार एवं अमीर, कमजोर, स्वादिष्ट और दुर्लभ भोज्य पदार्थ खाने वाला तथा दूसरे छंद में। सूखी रोटी के टुकड़े चबाने वाले व्यक्ति का वर्णन हुआ है।

अथवा

प्रकृति के साथ पशु- पक्षियों के संबंध की व्याख्या कीजिए ।

उत्तर: प्रकृति का पशु-पक्षियों के साथ गहरा रिश्ता है| पशु-पक्षी प्रकृति की उमंग के साथ उमंगित होते है| प्रकृति प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों का अनन्य सम्बन्ध है। दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। पशु-पक्षी अपने भोजन और आवास के लिए प्रकृति पर ही निर्भर करते हैं, प्रकृति पर उनका जीवन निर्भर है। कई मायनों में पशु-पक्षी प्रकृति को शुद्ध भी रखते हैं।

प्रश्न - 8 व्याख्या कीजिए-

रहिमन देखी बड़ेन को लघु न दीजिए डारि ।

जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि ।।

उत्तर: रहीम ने इस दोहे में बताया है कि हमें कभी भी बड़ी वस्तु की चाहत में छोटी वस्तु को फेंकना नहीं चाहिए, क्योंकि जो काम एक सुई कर सकती है वही काम एक तलवार नहीं कर सकती। अत: हर वस्तु का अपना अलग महत्व है। ठीक इसी प्रकार हमें किसी भी इंसान को छोटा नहीं समझना चाहिए। जीवन में कभी भी किसी की भी जरूरत पड़ सकती है। सभी अच्छा व्यवहार बनाकर रखना चाहिए।

अथवा

रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून

पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून ॥

उत्तर: इस दोहे में पानी शब्द का तीन बार प्रयोग किया गया है और इसके तीन अर्थ निकलते हैं। यहां पर पानी का पहला अर्थ मनुष्य से जोड़कर किया गया है। रहीम कहना चाहते हैं कि मनुष्य को पानी रखना चाहिए अर्थात मनुष्य को विनम्र होना चाहिए। पाने का दूसरा अर्थ मोती के चमक के संदर्भ में है। मोती अपने चमक के बगैर कुछ भी नहीं है, मोती की पहचान ही उसकी चमक है। पानी का तीसरा अर्थ यहां पर चून अर्थात आटे से जुड़ा है। बिना पानी के आटा कुछ भी नहीं है।

रहीम इस दोहे के माध्यम से कहना चाहते हैं कि जिस प्रकार मोती का चमक के बगैर कोई मोल नहीं, आटे का पानी के बगैर कोई मोल नहीं उसी प्रकार मनुष्य का सम्मान, विनम्रता तथा लज्जा के बिना कोई मोल नहीं।

प्रश्न - 9 आशय स्पष्ट कीजिए-

सर चन्द्रशेखर वेंकट रामन के लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्वपूर्ण थी ।

उत्तर: रामन जिज्ञासु प्रवृत्ति के शोधरत वैज्ञानिक थे। उन्होंने शुरुआत में सरकारी नौकरी अवश्य की, परंतु अध्ययन एवं शोध का अवसर मिलते ही उन्होंने मोटा वेतन और ढेरों सुख-सुविधाएँ त्यागकर कोलकाता विश्वविद्यालय में कम वेतन वाला पद ग्रहण कर लिया। इस प्रकार उन्होंने सुख-सुविधाओं की जगह अध्ययन-अध्यापन को महत्त्व दिया।

प्रश्न - 10 जज को वल्लभभाई पटेल की सजा के लिए आठ लाइन के फैसले को लिखने में डेढ घंटा क्यों लगा ?

उत्तर: सरदार पटेल को गिरफ़्तार करके बोरसद की अदालत में लाया गया जहाँ जज के सामने उन्होंने अपना अपराध मान लिया। परन्तु अभी भी जज के लिए फैसला करना मुश्किल था कि वह क्या फैसला दे क्योंकि अपराध तो कोई था ही नहीं और गिरफ़्तार किया गया था तो फैसला तो देना ही था। वह किस धारा के तहत और कितनी सजा सुनाएँ इसलिए उसने आठ लाइन का फैसला देने में डेढ़ घंटा लगा दिया क्योंकि सरदार पटेल ने अपराध स्वयं स्वीकार कर लिया था।

प्रश्न–11 लेखिका ने गिल्लू को क्यों और कैसे मुक्त किया ?

उत्तर: जब गिल्लू के जीवन का पहला बंसत आया तब बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक की आवाज़ करके मानो कुछ कहने लगीं। गिल्लू भी जाली के पास बैठकर अपनेपन से बाहर झाँकता रहता। तब लेखिका को लगा कि इसे मुक्त करना आवश्यक है। इसलिए कीलें निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया। ऐसे लगा कि गिल्लू ने इससे बाहर जाकर जैसे मुक्ति की सांस ली। लेखिका के हृदय में जीवों के प्रति दया का भाव था वह उनकी इच्छाओं का सम्मान करती थी। वह पशु-पक्षियों को किसी बंधन या कैद में नहीं रखना चाहती थी। जब उन्हें महसूस हुआ कि गिल्लू बाहर जाना चाहता है तो उन्होंने उसे बाहर जाने के लिए स्वयं रास्ता दे दिया।

खण्ड - घ (रचना) 1x5–5

प्रश्न -12 अपने विद्यालय के खेल-कूद दिवस के बारे में बताते हुए पिताजी को पत्र लिखिए ।

उत्तर:  पूज्यनीय पिता जी

          चरण स्पर्श

हम सब यहाँ खुश हैं और आशा करते हैं कि आप भी ईश्वर की कृपा से अच्छे होंगे।

हाल ही में हमारे स्कूल में खेल दिवस का आयोजन किया गया था, खेल दिवस पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए आसपास के सभी स्कूलों के खिलाड़ियों को आमंत्रित किया गया था। हमारे स्कूल का खेल का मैदान बहुत बड़ा है, इसलिए इस कार्यक्रम का आयोजन हमारे स्कूल ने ही किया था। हॉकी, वॉलीबॉल, क्रिकेट, फुटबॉल, टेबल टेनिस, लॉन टेनिस, कबड्डी और अन्य खेल जैसे बहुत सारे खेल भी इसमें शामिल थे जैसे लॉन्ग रन, लॉन्ग जंप, हाई जंप, जेवलिन थ्रो, हैमर थ्रो, और भी बहुत कुछ खेल आयोजित किए गए थे। .

सभी खिलाड़ियों ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया और हमारे स्कूल ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और कई स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक हासिल किया। यह घटना _____ (दिनों/सप्ताह की संख्या) तक चली। हमने खूब एन्जॉय किया, अगर आप यहां होते तो हमें और मजा आता।

आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा.

 

आपका प्रिय पुत्र

_________ (नाम)

अथवा

परीक्षा में प्रथम आने पर अपने मित्र को बधाई पत्र लिखिए।

उत्तर: पी सी कॉलनी,

         कंकड़ बाग,

          पटना

 

दिनांक– 12/06/22

प्रिय अनुराग,

बहुत दिनों से तुम्हारे पत्र की प्रतीक्षा थी। तुम्हारे पत्र न आने की वजह से मैं कुछ नाराज हो रहा था लेकिन कल तुम्हारा पत्र मिला और उसे पढ़कर मेरी सारी नाराजगी दूर हो गई। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि तुमने अपनी कक्षा मे ही नहीं बल्कि पूरे स्कूल में प्रथम आए हो। मुझे तुम्हारी सफलता पर पूरा विश्वाश था। मेरे लिए यह दिन अत्यंत सौभाग्य शाली है। मै हमेंशा तुम्हें आगे बढ़ता हुआ देखना चाहता हूँ।ईश्वर तुम्हारी संपूर्ण मनोकामनाओं को पूर्ण करें। तुम्हारी सफलता पर मैं तुम्हें हार्दिक बधाई देता हूँ। तुम्हारे उज्ज्वल भविष्य की अनंत शुभकामनाएँ।

घर में सभी बड़ों को मेरा उचित अभिवादन कहना और छोटों को मेरा प्यार।

तुम्हारा मित्र

वरुण

प्रश्न-13 दिये गए संकेत बिन्दु के आधार पर किसी एक विषय पर अधिकतम 150 शब्दों में निबन्ध लिखिए | 1x7=7

मेरा राज्य झारखण्ड (संकेत बिन्दु – परिचय, सीमा, निवासी संसाधन, संस्कृति, उपसंहार )

उत्तर: परिचय: बिहार राज्य से कटकर हमारा नया राज्य झारखंड बना है। यह बिहार के दक्षिणी भाग को अलग करके बनाया गया है। झारखंड राज्य का गठन 15 नवंबर 2000 ईस्वी को किया गया। झारखंड का अर्थ है —- झाड़ और झाड़ियों से बना क्षेत्र। अर्थात जहाँ प्रचुर मात्रा में झाड़ और झाड़ियाँ और विशाल खनिज उपलब्ध हैं, वही हमारा राज्य झारखंड है। झारखंड की धरती में कोयला अभ्रक जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। झारखंड भारत का 28 वाँ राज्य है।

सुंदर जलवायु , मनोहर वातावरण , खानों में कोयला और अभ्रक , जंगल में विभिन्न प्रकार की लकड़ी , फलों से लदे वृक्ष , फूलों पर मंडराती तितलियाँ ,शोभा-संपन्न अवर्णनीय घाटियाँ ,सुषमा की दर्शनीय नदियाँ , हरीतिमा वाले मनमोहक मैदान ,मन पर जादू- जैसा असर करने वाले पर्वत और पहाड़ , मस्त भोले -भाले निवासी से परिपूर्ण झारखंड राज्य की प्रमुख विशेषता है।

सीमा: झारखंड राज्य के उत्तर में बिहार ,दक्षिण में उड़ीसा , पूर्व में पश्चिम बंगाल और पश्चिम में छत्तीसगढ़ एवं उत्तर प्रदेश राज्य सटा हुआ है। झारखंड राज्य की लंबाई पूरब से पश्चिम की ओर 463 किलोमीटर एवं चौड़ाई उत्तर से दक्षिण की ओर 380 किलोमीटर है। झारखंड की सीमा भारत के 5 राज्यों को स्पर्श करती है। संपूर्ण झारखंड राज्य छोटा नागपुर के पठार पर अवस्थित है।

निवासी संसाधन: झारखंड की राजधानी राँची है। वहीं दुमका इसकी उपराजधानी है। राँची एक बहुत बड़ा शहरी क्षेत्र है। इसके अतिरिक्त जमशेदपुर , बोकारो , धनबाद , हजारीबाग आदि भी बड़े शहर है। झारखंड राज्य में निवास करने वाले अधिकतर लोग आदिवासी हैं। यहाँ मुंडा ,उराँव , संथाल ,कुरमी आदि प्रमुख आदिवासी जातियाँ निवास करती है। झारखंड में संथाली, हो ,मुंडारी ,बांग्ला, नागपुरी ,पंचपड़गानिया , खोरठा एवं हिंदी भाषाएँ अधिक बोली और समझी जाती है।

झारखंड की भूमि पथरीली एवं पठारी किस्म की है। यहाँ खेती लायक भूमि बहुत कम है। यहाँ धान की खेती प्रमुख रूप से की जाती है। झारखंड की भूमि में खनिज संपदा का अपार भंडार है। कोयला , अभ्रक ,लोहा , बॉक्साइट , ग्रेफाइट , यूरेनियम ,चूनापत्थर , मैग्नीज आदि प्रमुख खनिज है। इन खनिजों की प्रचुर मात्रा उपलब्ध होने के कारण यहाँ उद्योग-धंधों का जाल बिछा हुआ है। जमशेदपुर , रांची , बोकारो एवं धनबाद क्षेत्र उद्योगों के प्रमुख केंद्र है, जिसमें लोहे का सबसे बड़ा कारखाना जमशेदपुर में अवस्थित है।

संस्कृति: यहाँ आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं ,इसलिए वहां पर उनके जीवन और संस्कृति की झलक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। इसके अलावा जितिया पूजा, करमा पूजा सभी आदिवासी समाज के प्रमुख त्यौहार है।

वैसे तो झारखंड में बहुत ही भाषाएं बोली जाती है लेकिन हिंदी भाषा सभी लोग आसानी से बोल लेते हैं इसके अलावा संताली हो और मदारी भाषा वहां की प्रमुख भाषा है झारखंड में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं ,इसलिए वहां पर उनके जीवन और संस्कृति की झलक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। इसके अलावा जितिया पूजा, करमा पूजा सभी आदिवासी समाज के प्रमुख त्यौहार है।

उपसंहार: झारखंड राज्य जब से नए राज्य के रूप में बना है यह बहुत खुशी की बात रही है, परंतु नए राज्य के रूप में 20 साल होने के बाद भी यहां पर सही तरीके से विकास कार्य नहीं हो पा रहा है,जिसके कारण जनता को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही बच्चों को भी कुपोषण और बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा जरूरत हमारी सरकार को वहां पर जागरूक होने की है और इसके साथ-साथ लोगों को भी बहुत जागरूक होना पड़ेगा ।

अथवा

वृक्षारोपण का महत्व (संकेत बिन्दु – भूमिका, वृक्ष एक सुन्दर उपहार, महत्व, प्रदूषण का प्रभाव, वृक्ष काटने से हानि, उपसंहार )

उत्तर: आधुनिक समय में अंधाधुन वृक्षों की कटाई के चलते वृक्षारोपण एक आवश्यकता बन गई है। साथ ही आप उस मनोहारी दृश्य की कल्पना स्वयं कर सकते है, जहां चारों ओर अनेकों तरीके के पेड़ पौधे हो, जिन पर फूल खिले हो, उन पर तितलियां उड़ रही हो। ऐसे में इसकी जगह उजड़े हुए मैदान को देखकर किसका मन दुखी नहीं होगा। इसलिए यदि हम खुद के साथ साथ आने वाली पीढ़ी का भी उज्ज्वल भविष्य चाहते हैं, तो हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए।

यदि धरती पर मानव का अस्तित्व बरकरार है, तो वृक्ष उसका एकमात्र कारण है। वृक्ष वायु को शुद्ध बनाए रखने में सहायक है। वृक्ष  धरती पर वर्षा का स्रोत होते हैं। साथ ही वृक्षों से हमें ईधन और लकड़ी प्राप्त होती है। इतना ही नहीं वृक्षों से विभिन्न प्रकार की औषधियां, गोंद, कागज समेत पौष्टिक फलों की प्राप्ति होती है।

साथ ही ग्रीष्मकाल में वृक्ष छाया प्रदान करने में सहायक है। कई प्रकार की आवश्यक वनस्पतियों की प्राप्ति भी हमें वृक्षों के माध्यम से होती है। इसके अलावा वृक्ष पशु पक्षियों के आहार और रहने का स्थान होते हैं। साथ ही प्रकृति की रक्षा के लिए वृक्ष आवश्यक होते हैं। तो वहीं वृक्ष भूमि की उपजाऊ शक्ति बनाए रखते हैं। इसलिए हमें वृक्षारोपण को बड़े स्तर पर सफल बनाना चाहिए। ताकि हमारे आस पास का माहौल हमेशा हरा भरा बना रहे।

पेड़ों का हमारे जीवन में क्या महत्व है? इसके विषय में बताना आवश्यक नहीं है। क्योंकि यह सर्वविदित है कि धरती पर पेड़ों की वजह से ही मानव जीवन संभव हो पाया है। पेड़ जोकि ऑक्सीजन का एकमात्र स्त्रोत हैं और ऑक्सीजन को मनुष्य की प्राण वायु कहा जाता है।

ऐसे में बिना पेड़ों के मानव अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। लेकिन आधुनिकता के इस दौर में, हमने विकास के नाम पर पेड़ों का दोहन शुरू कर दिया है। जिसके कारण प्राकृतिक असंतुलन बढ़ गया है। ऐसे में वृक्षारोपण करके पेड़ों की संख्या में बढ़ोतरी करना आज हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी बन गई है।

वृक्षारोपण से तात्पर्य पेड़ लगाकर पर्यावरण का संरक्षण करने से है। यानि वृक्षारोपण करके हम ना केवल एक अच्छे नागरिक का फर्ज निभाते हैं, अपितु पर्यावरण में उपस्थित वायु को भी स्वच्छ करते हैं, जलवायु में होने वाले अनावश्यक परिवर्तन को नियंत्रित करते हैं।

साथ ही मिट्टी की उर्वरक शक्ति को बनाए रखने के लिए भी पेड़ लगाना जरूरी है। पेड़ ना केवल जीव जंतुओं को भोजन और निवास उपलब्ध करवाते हैं, बल्कि वह मानव जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता भी करवाते हैं। दूसरा, यदि हम प्रकृति में सदैव संतुलन बनाए रखना चाहते हैं तो हमें वृक्षारोपण अवश्य करना चाहिए।

इसके साथ ही पेड़ों के द्वारा मनुष्य को अनेक प्रकार के फूल, फल और औषधि प्राप्त होती है। पेड़ थके हुए व्यक्ति को शीतलता प्रदान करते हैं। पेड़ों से सुसज्जित वनों के माध्यम से धरती पर जैव विविधता बनी रहती है, इसलिए हमें वृक्षारोपण अवश्य करना चाहिए।

पेड़ हमारे वायुमंडल में मौजूद गैसों के हानिकारक प्रभाव से हमारी रक्षा करते हैं। साथ ही पेड़ ऑक्सीजन और कार्बन डाई ऑक्साइड गैसों का आदान-प्रदान करते हैं। पेड़ों के माध्यम से मौसम में ठंडक बनी रहती है, जिससे व्यक्ति को चिलचिलाती धूप और गर्मी से राहत मिलती है।

पेड़ों के माध्यम से पर्यावरण को विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों जैसे जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण आदि से छुटकारा मिलता है। ऐसे में हमें अधिक से अधिक संख्या में वृक्षारोपण करके पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य करना चाहिए।

हालांकि वृक्षारोपण करने से पहले हमें उचित स्थान और जलवायु का निर्धारण अवश्य कर लेना चाहिए। क्योंकि जब भी हम अपने घर से बाहर वृक्षारोपण करते हैं, तब हम उन पौधों पर प्रतिदिन विशेष रूप से ध्यान नहीं दे पाते हैं, इसलिए वृक्षारोपण के लिए हमें बरसात का मौसम चुनना चाहिए।

वृक्षारोपण करते समय हमें रोड डिवाइडर, सड़कों के किनारे, स्कूल, खुले मैदानों और पार्कों आदि को चुनना चाहिए। जहां पेड़ों को बढ़ने के लिए उचित जगह और खुले स्थान मिल सके। सरकार द्वारा समय समय पर वृक्षारोपण करने के लिए पखवाड़ा और अभियान चलाए जाते हैं।

ताकि आम जनमानस के सहयोग से अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगाए जा सकें। ऐसे में हमें भी एक जागरूक नागरिक की भांति अधिक से अधिक पेड़ लगाकर पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देना चाहिए।

ऐसे में यदि हम विकास के नाम पर दो पेड़ काट रहे हैं तो हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम चार पेड़ लगाएंगे। ऐसा करके ही हम अपना और आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं। कहा भी गया है कि….

पेड़ लगाओ, पर्यावरण बचाओ।

जीवन को स्वच्छ और हरा भरा बनाओ।

सचमुच, प्रकृति का बनाया हुआ एक भी पेड़ अनुपयोगी नहीं होता । वृक्षारोपण Importance of Tree Plantation हमारा एक सामाजिक कर्तव्य है। वह जीवन को स्वस्थ, सुंदर और सुखी बनाता है। प्रति वर्ष वनमहोत्सव मनाकर हमें इस योजना में जरूर सहयोग देना चाहिए। यह खुशी की बात है कि आज हम वृक्षारोपण के महत्त्व को समझने लगे हैं। आज शहरों में वृक्ष लगाओ’ सप्ताह मनाए जाते हैं। नगरपालिकाएँ भी वृक्षारोपण के कार्यक्रम को प्रोत्साहन दे रही हैं। स्व. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जन्मदिवस पर भी वृक्षारोपण करने की परंपरा चल पड़ी है और अधिकाधिक वृक्ष लगानेवाले व्यक्ति या संस्था को ‘वृक्ष मित्र’ पुरस्कार दिया जाता है। इसमें संदेह नहीं कि देश में हरेभरे वृक्ष जितने अधिक होंगे, देश का जीवन भी उतना ही हराभरा होगा। इसलिए हमें वृक्षारोपण की प्रवृत्ति को उत्साहपूर्वक अपनाना चाहिए।

अथवा

बढ़ती महँगाई ( संकेत बिन्दु - भूमिका कारण प्रभाव, सरकार के प्रयास, उपसंहार )

उत्तर: महँगाई का अर्थ है-जीवनावश्यक वस्तुओं के मूल्य में लगातार वृद्धि । रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा और मनोरंजन-ये आज के मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएँ हैं। यदि आम आदमी को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति सरलता से होती हो तो महँगाई का प्रश्न ही नहीं खड़ा होता। लेकिन ऐसा नहीं होता। विभिन्न कारणों से बाजार में चीजों के दाम बढ़ते ही जाते हैं । जब यह मूल्य वृद्धि आम आदमी की पहुँच से बाहर हो जाती है, तब उस स्थिति को महँगाई का नाम दिया जाता है। दुर्भाग्य से पिछले कई दशकों से महँगाई ने लोगों का जीना हराम कर दिया है।

महँगाई बढ़ने के अनेक कारण हैं । सूखा, बाढ़, हिमपात आदि प्राकृतिक कारणों से फसलों को जो हानि होती है उससे खाद्य-पदार्थों की कमी पैदा होती है। इस कमी कारण बाजार में अनाज, फलों और सब्जियों के दाम बढ़ जाते हैं । उत्पादन में खर्च बढ़ने पर उत्पादित वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि हो जाती है। कोयला, पेट्रोल, केरोसीन, डीजल आदि ईंधनों की मूल्य-वृद्धि से भी महँगाई बढ़ती है । युद्ध, हड़ताल, दंगे आदि के कारण बाजार में वस्तुओं की आपूर्ति पर विपरीत असर होता है और मूल्यसूचकांक ऊपर चला जाता है। महँगाई बढ़ने का प्रमुख कारण है जनसंख्या में तीव्र वृद्धि । जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में जरूरी वस्तुओं का उत्पादन नहीं होता तब महँगाई बढ़ती है। कालाबाजारी, तस्करी आदि के कारण भी मूल्यों में वृद्धि हो जाती है।

महँगाई के अनेक दुष्परिणामों को जन्म देती है। जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़ने से सामान्य जनता का जीवन निर्वाह कठिन हो जाता है । मध्यमवर्ग की समस्याएँ भयानक रूप ले लेती हैं। छाती फाड़कर काम करने पर भी गरीबों को पेटभर भोजन नहीं मिलता। सामान्य परिवारों के बच्चों को पोषक आहार न मिलने से उनका उचित विकास नहीं हो पाता। गरीब परिवार के लड़के-लड़कियों को अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ देनी पड़ती है। कन्याओं के हाथ समय पर पीले नहीं हो पाते । मध्यम वर्ग के लोग कर्ज के भार से दब जाते हैं । चोरी, रिश्वतखोरी, डकैती, तस्करी, गुंडागीरी आदि सामाजिक बुराइयों के पीछे महँगाई का ही विशेष हाथ होता है।

महँगाई पर नियंत्रण पाने के प्रयल कारगर नहीं हो पाते। सरकारी प्रयास भी हाथी के दाँत ही साबित होते हैं । फिर भी यदि सरकार, व्यापारी और जनता समझदारी से काम लें तो इस समस्या पर बहुत कुछ मात्रा में अंकुश पाया जा सकता है । वस्तुओं के उत्पादन और पूर्ति पर सरकार नजर रखे, व्यापारी कालाबाजारी से बचें और लोग सादगी तथा संयम का जीवन अपनाएँ तो मूल्य वृद्धि रोकी जा सकती है।

कहाँ है वह कृष्ण जो महँगाई के इस कालिय नाग का मर्दन कर जनता को उसके भय से मुक्त कर सके?

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