झारखण्ड
शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, राँची, झारखण्ड
द्वितीय
सावधिक परीक्षा (2021-2022)
मॉडल
प्रश्न पत्र
सेट- 3
कक्षा-9 |
विषय हिन्दी -'बी' |
समय- 1 घंटा 30 मिनट |
पूर्णांक 40 |
सामान्य
निर्देश :-
→ परीक्षार्थी
यथासंभव अपनी ही भाषा-शैली में उत्तर दें।
→ इस
प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं। सभी खंड के प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है।
→
सभी प्रश्न के लिए निर्धारित अंक उसके सामने उपांत में
अंकित है।
→ प्रश्नों
के उत्तर उसके साथ दिए निर्देशों के आलोक में ही लिखें।
→ 2
अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में, 3 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 50
शब्दों में, 5 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 100 शब्दों में और
7 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में लिखें
खंड-क (अपठित बोध)
नीचे
दिए गए काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर
दीजिए- 3x2 = 6
जो
बीत गई सो बात गई |
जीवन
में एक सितारा था
माना
वह बेहद प्यारा था
वह
डूब गया तो डूब गया |
अंबर
के आनन को देखो
कितने
इसके तारे टूटे
कितने
इसके प्यारे छूटे
जो
छूट गए फिर कहाँ मिले
पर
बोलो टूटे तारों पर
कब
अंबर शोक मनाता है ?
जो
बीत गई सो बात गई ।
प्रश्न - 1. कवि ने अंबर के आनन को देखने की बात क्यों की है ?
उत्तर:
कवि ने " अंबर के आनन" को इसलिए देखने को कहा कि वह अपने बेहद प्यारे तारे
को टूटे हुए देखकर भी निर्विकार रहता है। अतः मनुष्य को अपने दुःखों को याद करके शोक
मनाना अच्छी बात नहीं है। मनुष्य को निर्विकार चित्त का ही अधिकार होना चाहिए ।
प्रश्न - 2. सितारे के डूबने पर कवि क्या प्रेरणा देता है ?
उत्तर:
मनुष्य को भी प्रकृति से सीख लेनी चाहिए कि जो छूट गया है उसे जाने दो। दुःख का मूल
कारण ही मोह है। जो बात खत्म हो गई है उसपर निरंतर शोक करना व्यर्थ है। तभी मनुष्य
जीवन सार्थक होगा।
प्रश्न 3. उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखें।
उत्तर:
जो बीत गई सो बात गई
अथवा
मुल्ला
नसीरुद्दीन को अरब के सुल्तान हमेशा अपने साथ रखते थे। उनकी हाजिर जवाबी सुल्तान को
बहुत भाती थी | वह सदा दूसरों को हँसाते थे। वे कहते थे एक मुसकराहट से हम दूसरे व्यक्ति
के मुख पर मुसकराहट ला सकते हैं। अनजान को भी अपना बना सकते हैं। हँसना, मुस्कराना
मनुष्य का प्राकृतिक स्वभाव है। नन्हा शिशु बिना किसी कारण के मुसकुराता है। उसकी हँसी
निर्मल और स्वार्थहीन होती है | लेकिन जैसे-जैसे शिशु बाल्यावस्था से किशोरावस्था की
ओर बढ़ता है, उसकी हँसी कम होती जाती है। युवावस्था आते-आते चेहरे पर तनाव अपनी जगह
बनाने लगता है। फिर मुस्कान ईद का चाँद बन जाती है। एक शेर है- खुल के हँसना तो सबको
आता है, लोग तरसते हैं इक बहाने को।' लोगों को वह बहाना ही नहीं मिल पाता जिसकी वजह
से वे हँसें और मुस्कुराएँ । काम की अधिकता और समय सीमा वाले लक्ष्य तनाव को बढ़ावा
देते हैं लेकिन यदि मुस्कराते रहें तो तनाव को पराजित कर सकते हैं। मुस्कुराने वाला
व्यक्ति सकारात्मक सोच वाला होता है।
प्रश्न 1. मुल्ला नसीरुद्दीन किस बात के लिए जाने जाते थे ?
उत्तर:
हाजिर जवाबी और दूसरों को हंसाने के लिए।
प्रश्न - 2 छोटे बच्चों के स्वभाव में कौन-सी विशेष बात होती है?
उत्तर:
उसकी हँसी निर्मल और स्वार्थहीन होती है
प्रश्न - 3. बचपन, किशोरावस्था और जवानी में क्या अंतर आने लगता है?
उत्तर:
उसकी हँसी कम होती जाती है।
खण्ड-ख' (व्याकरण) 2x2-4
प्रश्न - 4. 'रसोईघर' का समास विग्रह करें और भेद का नाम लिखें |
उत्तर:
समास विग्रह = रसोई के लिए घर
समास भेद = तत्पुरुष समास
अथवा
' माता-पिता' का समास विग्रह करें और भेद का नाम लिखें |
उत्तर:
समास विग्रह = माता और पिता
समास भेद = द्वंद्व समास
प्रश्न - 5. दिए गए अशुद्ध वाक्य को शुद्ध करके लिखें :
मैं सोमवार के दिन अपने गाँव जाऊँगा
उत्तर:
मैं सोमवार को अपने गाँव जाऊँगा।
अथवा
हिमालय बहुत उच्च पर्वत है।
उत्तर:
हिमालय बहुत ऊंचा पर्वत है।
खण्ड 'ग' (पाठ्य पुस्तक)
निम्नलिखित
प्रश्नों के उत्तर दीजिए :- 6 x 3 = 18
प्रश्न- 6 खूशबू रचते हैं हाथ कविता को लिखने का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
इस कविता को लिखने का मुख्य उद्देश्य समाज के उपेक्षित मजदूर वर्ग की दयनीय दशा की
ओर ध्यान आकर्षित करना है। कवि का उद्देश्य यह है कि जो समाज हमारे लिए सुन्दर-सुन्दर
वस्तुओं का निर्माण करती है वो स्वयं इस प्रकार का उपेक्षित जीवन जीने के लिए मजबूर
क्यों है? इस कविता के द्वारा कवि श्रमिकों की इसी दयनीय दशा को सुधारना चाहता है।
वह चाहता है कि इनके रहने की दशा को स्वास्थ्यप्रद बनाया जाए। इनके गली-मोहल्ले की
उचित साफ़-सफ़ाई का प्रबंध किया जाए। साथ ही इन्हें इनके काम के लिए इतनीमज़दूरी तो
मिलनी ही चाहिए जिससे वे ठीक प्रकार रह सकें।
प्रश्न- 7. 'आदमीनामा कविता के आधार पर आदमी की प्रवृत्तियों का उल्लेख
कीजिए ।
उत्तर:
'आदमी नामा’ कविता में मनुष्य की जिन मानवीय और अनुकरणीय प्रवृत्तियों का उल्लेख किया
गया है, उनमें मुख्य हैं-
क.
आदमी धार्मिक स्थानों का निर्माण करवाता है।
ख.
आदमी दूसरों को धार्मिक ज्ञान देता है।
ग.
आदमी दूसरों से प्रेम करता है।
घ.
आदमी दूसरों की करुण पुकार सुनकर उसकी मदद के लिए दौड़ा जाता है।
प्रश्न- 8. ‘गीत-अगीत’ कविता के प्रथम छंद में वर्णित प्रकृति चित्रण
को लिखिए |
उत्तर:
कविता के प्रथम छंद में नदी के बहने से जो दृश्य उत्पन्न होता है उसका कवि ने मनोहारी
वर्णन किया है। नदी विरह के गीत गाते हुए बड़ी तेजी से बह रही है। ऐसा लगता है जैसे
नदी किसी के बिछड़ने के दुःख में दुखी होते हुए गीत गाते हुए बड़ी तेजी से बह रही है।
ऐसे में लगता है कि वह अपना दुःख कम करने के लिए किनारों से कुछ कहती हुई बहती जा रही
है। कवि कहता है कि किनारे के पास में ही एक गुलाब चुपचाप यह सब देख रहा है और अपने
मन में सोच रहा है कि यदि भगवान ने उसे भी बोलने की शक्ति दी होती तो वह भी पूरी दुनिया
को अपने सपनों के गीत सुनाता । झरना भी बह- बह कर गीत गा रहा है और गुलाब किनारे पर
चुपचाप खड़ा है।
अथवा
भाव स्पष्ट कीजिए:- ' जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि' ।
उत्तर:
हमें कभी भी बड़ी वस्तु की चाहत में छोटी वस्तु को फेंकना नहीं चाहिए, क्योंकि जो काम
एक सुई कर सकती है वही काम एक तलवार नहीं कर सकती। अत: हर वस्तु का अपना अलग महत्व
है। ठीक इसी प्रकार हमें किसी भी इंसान को छोटा नहीं समझना चाहिए। जीवन में कभी भी
किसी की भी जरूरत पड़ सकती है। सभी अच्छा व्यवहार बनाकर रखना चाहिए।
प्रश्न- 9. रामन की खोज 'रामन प्रभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए |
उत्तर:
जब एक वर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुजरती है तो उसके वर्ण
में परिवर्तन आ जाता है। एक वर्णीय प्रकाश की किरण के फोटॉन जब तरल ठोस रवे से टकराते
हैं तो उर्जा का कुछ अंश खो देते हैं या पा लेते हैं दोनों स्थितियों में रंग में बदलाव
आता है। इसी को 'रामन् प्रभाव' कहा गया है।
अथवा
लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए ?
उत्तर:
लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना ऐसी होनी चाहिए, जिसमें दूसरों का कल्याण निहित हो।
यह भावना पवित्र आचरण और मनुष्यता से भरपूर होनी चाहिए। इसके अलावा प्रत्येक व्यक्ति
को अपना धर्म चुनने, पूजा-पाठ की विधि अपनाने की छूट होनी चाहिए। इसमें हस्तक्षेप नहीं
करना चाहिए। धार्मिक भावना पशुता को समाप्त करने के साथ मनुष्यता बढ़ाने वाली होनी
चाहिए।
प्रश्न- 10. लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या-क्या
करता था ?
उत्तर:
लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू उनके पैरों तक आकर सर्र से परदे पर चढ़
जाता और फिर उसी तेजी से उतरता। उसका यह दौड़ने का क्रम तब तक चलता जब तक लेखिका उसे
पकड़ने के लिए न दौड़ती।
प्रश्न- 11. हामिद को लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था
?
उत्तर:
लेखक ने हामिद को कहा कि वह बढ़िया खाना खाने मुसलमानी होटल जाते हैं। वहाँ हिंदू-मुसलमान
में कोई फर्क नहीं किया जाता है। हिंदू-मुसलमान दंगे भी न के बराबर होते हैं। पाकिस्तान
में हिंदू-मुसलिम संबंधों में अंतर था। उनमें बहुत दूरियाँ थी। इसलिए हामिद को लेखक
की बातों पर विश्वास नहीं हुआ। वह अपनी आँखों से यह सब देखना चाहता था।
खण्ड 'घ' (रचना) 1x5=5
प्रश्न- 12. आप विद्यालय की ओर से पर्वतारोहण के लिए जाना चाहते हैं।
अतः छात्रावास में रहते हुए अनुमति हेतु अपने पिताजी को पत्र लिखिए ।
उत्तर:
सुरभि बत्रा
847, सैक्टर 14
भोपाल
13
जून, 2022
पूजनीय
पिताजी
सादर
चरण स्पर्श!
आशा
है आप सानंद होंगे। मैं भी यहाँ अत्यंत प्रसन्न हैं। आपके आशीर्वाद से मेरी पढ़ाई ठीक
चल रही है।
पिताजी,
आपने मेरी पढ़ाई को ध्यान में रखते हए मुझे पर्वतीय यात्रा पर जाने से मना किया है।
परंतु मेरा मन यात्रा पर ही है। मेरी सारी सहेलियाँ यात्रा पर जा रही हैं। इसलिए मझे
लगता है कि मैं उनके बिना यहाँ अकेली और उदास महसूस करूंगी। शायद उन दिनों घर आने की
सोचूँ।
जहाँ
तक पढ़ाई की बात है, अभी परीक्षाएँ संपन्न हुई हैं। अगला सत्र छुट्टियों के बाद शुरू
होगा। अतः मेरा आपसे फिर से आग्रह है कि मुझे यात्रा पर जाने की अनुमति प्रदान करें।
मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि इस कारण अपनी पढ़ाई पर आँच नहीं आने दूँगी।
आपकी
अनुमति की प्रतीक्षा में-
आपकी बिटिया
सुरभि
अथवा
अपने बड़े भाई के विवाह में आमंत्रण के लिए मित्र को पत्र लिखिए ।
उत्तर:
बसंत कुंज
40, बाज़ार मार्केट
कानपुर
14/06/2022
प्रिय
मित्र संजीव,
सादर
नमस्कार,
तुम्हें यह जन कर बहुत खुशी होगी की मेरे
भाई राजीव का शुभविवाह 27/3/2021 को होना निश्चित हुआ है। बारात बस द्वारा प्रातः
4 बजे लखनऊ के लिए प्रस्थान करेगी। विवाह की इस शुभबेला पर तुम सपरिवार आमंत्रित हो।
कृपया निश्चित तिथि से एक-दो दिन पूर्व आ जाना, जिससे हम सब मिलकर विवाह के उत्सव का
आनंद ले सके।
विवाह
से संबन्धित कार्यक्रम साथ मे संलग्न है।
तुम्हारा मित्र,
रमेश शर्मा
प्रश्न
- 13. दिए गए संकेत बिन्दु के आधार पर किसी एक विषय पर अधिकतम 150 शब्दों में निबंध
लिखिए:- 1x7 = 7
आदर्श विद्यार्थी (संकेत बिन्दु :- भूमिका, विद्याध्ययन की ललक, स्वरूप
जीवन, सदाचारी- विवेकशील एवं विनम्र, उपसंहार )
उत्तर:
भूमिका: आदर्श अर्थात् हर प्रकार से अच्छा , सभी प्रकार के मानवीय गुणों वाला
व्यक्ति । इस प्रकार का आदमी बन पाना सरल नहीं होता । आदर्श आदमी बनने के लिए शुरू
से ही तैयारी करनी पड़ती है । इस तैयारी का सम्बन्ध क्योंकि आदमी की शिक्षा-दीक्षा
से भी है , इस दृष्टि से कहा जा सकता है कि आज जो आदर्श विद्यार्थी है , वही कल का
आदर्श आदमी या नागरिक भी बन सकता है । आदर्श विद्यार्थी कैसा और कौन होता है , अथवा
हो सकता है , इस प्रश्न पर कई तरह से विचार किया जाता और किया जा रहा है । विद्यार्थी
क्योंकि पढ़ने लिखने वाले , औसतन कम आयु वाले व्यक्ति को कहा जाता है , अत : पहले हम
इसी दृष्टि से देखें और विचार करेंगे कि आदर्श विद्यार्थी कौन और कैसा हुआ करता है
।
विद्याध्ययन
की ललक: एक आदर्श छात्र नई चीजें सीखने के लिए उत्सुक रहता है। वह
कक्षा में सवाल पूछने में संकोच नहीं करता। एक आदर्श छात्र भी पुस्तकों को पढ़ने और
इंटरनेट पर सर्फ करने के अपने तरीके से अलग-अलग चीज़ों के बारे में अपने ज्ञान को बढ़ाने
के लिए तत्पर रहता है।
अच्छा
और आदर्श विद्यार्थी वहीं होता है , जो राजनीति करके अपनी रोटी – रोज़ी चलाने वाले
बनावटी राजनेताओं के चक्कर में नहीं फँसा करता ! राजनीति के नाम पर होने वाली चोंचलेबाजी
और तोड़ – फोड़ से दूर रहता है । इस प्रकार की कार्यवाहियों को अपनी तथा साथियों की
शिक्षा में बाधक नहीं बनने देता । न स्वयं भटका करता है , न दूसरों को भटकाया करता
है !
स्वरूप
जीवन: आदर्श विद्यार्थी सादगी का महत्त्व समझता है । स्वयं तो
सीधा – सादा और सरल जीवन व्यतीत करता ही है , दूसरों को भी प्रेरणा दिया करता है ।
वह समय का भी बड़ा पाबन्द होता है । एक – एक पल से ही हमारा जीवन बनता है , ऐसा जानते
हुए वह हमेशा समय का सदुपयोग किया करता है । कहा जा सकता है कि घड़ी की सुइयाँ उसका
आदर्श बन जाया करती हैं ! कुल मिलाकर अच्छा या आदर्श विद्यार्थी वही हो सकता . जो हर
मूल्य पर पानवीय अच्छाइयों को मान देता और उनका उचित निर्वाह किया करता है।
सदाचारी-
विवेकशील एवं विनम्र: विद्यार्थी को विद्यार्थी इसीलिए कहा जाता है
कि वह अनेक प्रकार की विद्याएँ ग्रहण करने की इच्छा रखता है । सो कहा जा सकता है कि
बाकी सब प्रकार की बेकार की बातों को भुलाकर जो विद्यार्थी अपना तन – मन विद्या का
अध्ययन करने के लिए अर्पित कर दिया करता है , वही आदर्श हुआ करता है । आदर्श विद्यार्थी
विद्याओं का अध्ययन तो मन लगा कर किया ही करता है , अपने गुरुजनों , संगी – साथियों
, सहपाठियों के प्रति भी आदर और सम्मान का भाव रखता ।
वह
हर प्रकार के नियमों , विधियों को कर्त्तव्य मान कर पालन करने वाला भी हुआ करता है
। उसके लिए जीवन का एक – एक पल कीमती होता है । वह उसका सदुपयोग करके हर कदम पर सफलता
की सीढ़ियाँ चढ़ता जाता है । किसी भी व्यक्ति या विद्यार्थी के लिए आदर्श बनने के लिए
विद्याध्ययन के साथ – साथ और बहुत सारी बातों का – ऐसी बातों का कि जिनका सम्बन्ध उसकी
शिक्षा और आयु के साथ ही रहता है , ध्यान रखना भी आवश्यक हुआ करता है ।
उपसंहार: आज
का हमारा जीवन एवं समाज जिस तरह की कठोर – विषम परिस्थितियों से गुज़र रहा है , चारों
तरफ जिस प्रकार हर स्तर पर भ्रष्टाचार का राज पनप रहा है , उन सब के रहते आदर्श बन
पाना , आदों का निर्वाह कर पाना सरल कार्य नहीं ! फिर भी सत्य यही है कि आदर्श बनकर
, आदर्शों की रक्षा करके ही जीवन , समाज और राष्ट्र की रक्षा हो सकती है , अन्य कोई
उपाय नहीं !
अथवा
बेरोजगारी समस्या और समाधान (संकेत बिन्दु :- भूमिका, अर्थ, कारण, समस्या,
दुष्परिणाम, समाधान)
उत्तर:
भूमिका: स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे देश को कई समस्याओं से दो-चार होना
पड़ा है। इन समस्याओं में मूल्य वृद्धि, जनसंख्या वृद्धि, प्रदूषण, भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी
आदि प्रमुख हैं। इनमें बेरोजगारी का सीधा असर व्यक्ति पर पड़ता है। यही असर व्यक्ति
के स्तर से आगे बढ़कर देश के विकास में बाधक सिद्ध होता है।
अर्थ:
‘रोज़गार’ शब्द में ‘बे’ उपसर्ग और ‘ई’ प्रत्यय के मेल से ‘बेरोज़गारी’ शब्द बना है,
जिसका अर्थ है वह स्थिति जिसमें व्यक्ति के पास काम न हो अर्थात जब व्यक्ति काम करना
चाहता है और उसमें काम करने की शक्ति, सामर्थ्य और योग्यता होने पर भी उसे काम नहीं
मिल पाता है। यह देश का दुर्भाग्य है कि हमारे देश में लाखों-हज़ारों नहीं बल्कि करोड़ों
लोग इस स्थिति से गुजरने को विवश हैं।
कारण: बेरोज़गारी
बढ़ने के कई कारण हैं। इनमें सर्वप्रमुख कारण हैं- देश की निरंतर बढ़ती जनसंख्या। इस
बढ़ती जनसंख्या के कारण सरकारी और प्राइवेट सेक्टर द्वारा रोज़गार के जितने पद और अवसर
सृजित किए जाते हैं वे अपर्याप्त सिद्ध होते हैं। परिणामतः यह समस्या सुरसा के मुँह
की भाँति बढ़ती ही जाती है। बेरोज़गारी बढ़ाने के अन्य कारणों में अशिक्षा, तकनीकी
योग्यता, सरकारी नौकरी की चाह, स्वरोज़गार न करने की प्रवृत्ति, उच्च शिक्षा के कारण
छोटी नौकरियाँ न करने का संकोच, कंप्यूटर जैसे उपकरणों में वृद्धि, मशीनीकरण, लघु उद्योग-धंधों
का नष्ट होना आदि है।
इनके
अलावा एक महत्त्वपूर्ण निर्धनता भी है, जिसके कारण कोई व्यक्ति चाहकर भी स्वरोज़गार
स्थापित नहीं कर पाता है। हमारे देश की शिक्षा प्रणाली भी ऐसी है जो बेरोजगारों की
फौज़ तैयार करती है। यह शिक्षा सैद्धांतिक अधिक प्रयोगात्मक कम है जिससे कौशल विकास
नहीं हो पाता है। ऊँची-ऊँची डिग्रियाँ लेने पर भी विश्वविद्यालयों और कालेजों से निकला
युवा स्वयं को ऐसी स्थिति में पाता है जिसके पास डिग्रियाँ होने पर भी काम करने की
योग्यता नहीं है। इसका कारण स्पष्ट है कि उसके पास तकनीकी योग्यता का अभाव है।
समस्या: बेरोजगारी
किसी भी देश अथवा समाज के लिए अभिशाप होती है। इससे एक ओर निर्धनता, भुखमरी तथा मानसिक
अशान्ति फैलती है तो दूसरी ओर युवकों में आक्रोश तथा अनुशासनहीनता को भी प्रोत्साहन
मिलता है। चोरी, डकैती, हिंसा, अपराध-वृत्ति एवं आत्महत्या आदि अनेक समस्याओं के मूल
में एक बड़ी सीमा तक बेरोजगारी ही जिम्मेदार है। बेरोजगारी एक ऐसा भयंकर विष है, जो
सम्पूर्ण देश के आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन को दूषित कर देता है।
दुष्परिणाम: कहा
गया है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। बेरोज़गार व्यक्ति खाली होने से अपनी शक्ति
का दुरुपयोग असामाजिक कार्यों में लगाता है। वह असामाजिक कार्यों में शामिल होता है
और कानून व्यवस्था भंग करता है। ऐसा व्यक्ति अपना तथा राष्ट्र दोनों का विकास अवरुद्ध
करता है। ‘बुबुक्षकः किम् न करोति पापं’ भूखा व्यक्ति कौन-सा पाप नहीं करता है अर्थात
भूखा व्यक्ति चोरी, लूटमार, हत्या जैसे सारे पाप कर्म कर बैठता है। अत: व्यक्ति को
रोज़गार तो मिलना ही चाहिए।
समाधान:
1. जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि बेरोजगारी का मूल कारण है, अतः इस पर नियन्त्रण बहुत
आवश्यक है। जनता को परिवार नियोजन का महत्त्व समझाते हुए उसमें छोटे परिवार के प्रति
चेतना जाग्रत करनी चाहिए।
2.
शिक्षा को व्यवसाय प्रधान बनाकर शारीरिक श्रम को भी उचित महत्त्व दिया जाना चाहिए।
3.
कुटार उद्योगों के विकास की आर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
4.
देश में व्यापक स्तर पर औद्योगिकीकरण किया जाना चाहिए। इसके लिए विशाल उद्योगों की
अपेक्षा लघस्तरीय उद्योगों को अधिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
5.
मुख्य उद्योगों के साथ-साथ सहायक उद्योगो का भी विकास किया जाना चाहिए, जैसे- दृषि
के साथ पशुपालन तथा मुर्गीपालन आदि। सहायक उद्योगों का विकास करके ग्रामीणजनों को बेरोजगारी
से मुक्त कराया जा सकता है।
6.
देश में बेरोजगारी को दूर करने के लिए राष्ट्र निर्माण सम्बन्धी विविध कार्यों का विस्तार
किया जाना चाहिए। सड़कों का निर्माण, रेल-परिवहन का विकास, पुल निर्माण तथा वृक्षारोपण
जैसे कार्यों पर बल दिया जाना चाहिए।
अथवा
मोबाइल फोन ( संकेत बिन्दु : प्रस्तावना, मोबाइल फोन का स्वरूप, विविध
लाभ और हानियाँ, उपयोग में सावधानियाँ, उपसंहार )
उत्तर:
प्रस्तावना: मोबाइल फोन एक वरदान हैं क्योंकि इनका उपयोग कई उपयोगी उद्देश्यों
के लिए किया जाता है। फिर भी, इस तथ्य से भी कोई इनकार नहीं कर सकता है कि मोबाइल फोन
के रूप में उपयोगी गैजेट कभी-कभी कष्टप्रद और परेशान कर सकता है।
मोबाइल
फोन का स्वरूप: मोबाइल फोन के आविष्कार से पहले रेडियो का अविष्कार
हुआ था जिसके कारण ही मोबाइल फोन का आविष्कार की नींव पड़ी और इससे पहले टेलीफोन का आविष्कार हुआ जिस को एक केबल से
जोड़ने पर ही हम बात कर पाते थे लेकिन समय बीतने के साथ ही पहले मोबाइल का आविष्कार
हुआ.
पहले
मोबाइल फोन का आविष्कार 1973 में मोटोरोला नाम की कंपनी ने किया था जिसको John F.
Mitchell और Martin Cooper ने मिलकर बनाया था.
Mobile
Phone का महत्व है वर्तमान में इतना भर चुका है कि आज दुनिया की दो-तिहाई आबादी मोबाइल
फोन से कनेक्टेड है इसका मतलब पूरी दुनिया में 500 करोड़ से भी ज्यादा लोग मोबाइल फोन
का इस्तेमाल करते है. जिसमें से 100 करोड़ तो हमारे भारत देश के लोग ही है.
वर्तमान
में तो मोबाइल को पीछे छोड़ते हुए मोबाइल की जगह Smartphone ने ले ली है जिसकी हमारे
देश में सालाना ग्रोथ 16% की दर से बढ़ रही है. एक रिसर्च कंपनी इमाक्रेटर के अनुसार
हमारे देश में साल 2018 के अंत तक स्मार्टफोन यूजर की संख्या 33.7 करोड़ से भी ज्यादा
होगी.
विविध लाभ और हानियाँ:
लाभ:
(1) मोबाइल फोन से हम दुनिया के किसी भी व्यक्ति से बिना उसके पास जाएं बात कर सकते
है.
(2)
मोबाइल फोन को व्यापार में केलकुलेटर के रूप में उपयोग में लिया जा सकता है.
(3)
इसका उपयोग करके हम एक दूसरे को संदेश भेज सकते है.
(4)
मोबाइल फोन से हम फोटो और वीडियो भी बना सकते है.
(5)
इसे हम इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं जिसे हम इंटरनेट पर उपलब्ध सभी जानकारियों को
देख और पढ़ सकते है.
(6)
Mobile Phone कंप्यूटर में होने वाले लगभग सभी कार्य कर देता है.
(7)
मोबाइल फोन बहुत ही छोटा उपकरण है जो कि हमारे जेब में आसानी से आ जाता है जिसके कारण
हम किसी भी जगह इसका उपयोग कर सकते है।
(8)
इससे हम किसी भी वस्तु व्यक्ति के बारे में या फिर अन्य कोई जानकारी तुरंत प्राप्त
कर सकते है.
(9)
मोबाइल फोन को अब महिलाओं की सुरक्षा के लिए भी उपयोग में लिया जाने लगा है इसमें एक
बटन दबाते हैं परिचितों के पास एक संदेश पहुंच जाता है जिसे वे लोग उन्हें बचाने के
लिए जल्दी पहुंच सकते है.
(10)
अगर हम कोई नए शहर या देश में जाते है तो वह अगर हम भटक जाते है तो इसकी सहायता से
हम मैप और अपनी करंट लोकेशन देख सकते है.
(11)
इसकी सहायता से इंटरनेट पर नए दोस्त बना सकते है और साथ ही अपने दोस्तों और परिचितों
के साथ जुड़े रह सकते है जिससे हम हर पल की जानकारियों सभी लोगों को एक साथ दे सकते
है.
(12)
इसके उपयोग से घंटों के काम चुटकियों में हो जाते है.
(13)
आजकल तो इसके उपयोग से हम पैसों का लेन-देन भी कर सकते है जिसके कारण हमें बैंक में
जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है.
(14)
मोबाइल फोन से हम घर बैठे ऑनलाइन शॉपिंग कर सकते हैं और कोई भी सामान अपने घर में मंगवा
सकते हैं बिना किसी दुकान पर जाएं।
हानि:
(1)
मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल से आंखे कमजोर होने लगती है जिससे भविष्य में कम दिखाई
देने की समस्या उत्पन्न हो सकती है.
(2)
Mobile Phone के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण काम में मन नहीं लगता और बार-बार ध्यान भटकता
है.
(3)
स्मार्ट फोन के इस्तेमाल से विद्यार्थियों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि विद्यार्थी
पूरे दिन इसी में मनोरंजन के लिए संगीत और गेम खेलता रहता है जिससे बार बार उसका ध्यान
स्मार्ट फोन की तरफ ही जाता है.
(4)
इसके ज्यादा इस्तेमाल से यादाश्त भी कमजोर होती है क्योंकि हम सब कुछ मोबाइल में ही
सेव कर लेते हैं और याद रखने की कोशिश नहीं करते है इससे हमारी यादाश्त कमजोर होने
लग जाती है.
(5)
आजकल ज्यादातर लोग Smartphone की लत लगने के कारण बार-बार अपना मोबाइल चेक करते रहते
है यह एक तरह की बीमारी है जो कि दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है.
(6)
मोबाइल फोन के कारण दुर्घटनाएं भी अधिक घटित होने लगी है क्योंकि लोग वाहन चलाते समय
मोबाइल पर बातें करते रहते है जिससे उनका ध्यान सड़क से हट जाता है और दुर्घटना घट
जाती है।
(8)
मोबाइल से ज्यादा बातें करने पर इसमें से रेडिएशन निकलता रहता है जो कि हमारे स्वास्थ्य
के लिए हानिकारक है.
(9)
स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से समय की बर्बादी होती है क्योंकि लोग जब किसी को फोन
करने के लिए अपना फोन चेक करते है तो फोन करने के बाद भी 10 से 15 मिनट तक उसका इस्तेमाल
करते रहते है जिससे समय की बर्बादी होती है।
उपयोग में सावधानियाँ:
(1) दिन भर के कार्य की सूची बनाएं – अगर आप अपने मोबाइल का इस्तेमाल ज्यादा करते है
तो आपको 1 दिन पहले ही अपने कार्य का शेड्यूल बना लेना चाहिए जिसके कारण आप समय पर
कार्य कर पाएंगे और स्मार्टफोन से दूर रहेंगे.
(2)
घड़ी का इस्तेमाल करें – वर्तमान में ज्यादातर लोग मोबाइल का इस्तेमाल अलार्म के रूप
में भी करने लगे हैं लेकिन मोबाइल का इस्तेमाल अलार्म के रूप में करने से हम सुबह उठते
ही मोबाइल हाथ में ले लेते हैं और दिन की शुरुआत मे ही हमारा आधा से एक घंटा मोबाइल
को इस्तेमाल करने में खराब हो जाता है इसलिए हमें अलार्म के लिए घड़ी का इस्तेमाल करना
चाहिए.
(3)
मोबाइल से फालतू की एप्लीकेशन हटाए – अक्षरा मोबाइल में फालतू की एप्लीकेशन डाल कर
रखते हैं जिसके कारण हम पूरे दिन उनके नोटिफिकेशन पढ़ते रहते हैं और उन्हीं को चलाने
में बिजी रहते हैं जिसके कारण हम किसी और को वक्त नहीं दे पाते हैं और साथ में अपना
समय भी फालतू कार्य में व्यतीत करते है.
(4)
सोशल मीडिया पर कम समय बिताएं – वर्तमान में ज्यादातर लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल
मोबाइल से ही करते हैं और एक छोटा सा नोटिफिकेशन आने पर ही सोशल मीडिया की साइट खोल
कर उस पर कई घंटे बिता देते है.
(5)
काम करते समय पुश नोटिफिकेशन बंद रखें – जब भी आप कोई जरूरी कार्य कर रहे हो या फिर
अपने ऑफिस में हो तो अपने मोबाइल का पुश नोटिफिकेशन बंद रखे जिससे आपका ध्यान मोबाइल
की तरफ नहीं जाएगा और आप अपना कार्य समय पर और सही ढंग से कर पाएंगे.
(6)
अपने परिवार वालों के साथ बातचीत करें – स्मार्ट फोन आने के बाद लोगों ने अपने परिवार
वालों से बातचीत करना ही बंद कर दिया है. याद करें कि आपने अंतिम बार अपने पूरे परिवार
के साथ कब बात की थी शायद आपको याद नहीं आ रहा होगा क्योंकि आप पूरा दिन स्मार्टफोन
चलाने में ही बिजी रहते हैं इसलिए आज भी करने की घर पर कम से कम स्मार्टफोन का इस्तेमाल
करेंगे.
(7)
घर आने पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल ना करें – ऑफिस जाने के बाद घर में अपने स्मार्टफोन
का इस्तेमाल ना करें क्योंकि इसके कारण आप अपनी परिवार वालों को टाइम नहीं दे पाते
हैं और रिश्तो में एक से दूरियां बढ़ती हैं इसलिए घर पर फोन का इस्तेमाल कम करें.
(8)
बच्चों के साथ टाइम बिताएं – आजकल के अभिभावक बच्चों के साथ बहुत ही कम टाइम बिताते
है क्योंकि वे ज्यादातर समय मोबाइल फोन चलाने में ही बिजी रहते हैं और बच्चों को भी
मोबाइल फोन दिला देते हैं जिससे बच्चे भी मोबाइल फोन चलाते रहते है इससे बच्चों पर
बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है आपको अपने बच्चों को भी पूरा टाइम देना चाहिए उनसे बातचीत
करनी चाहिए.
(9)
सुबह शाम घूमने जाएं – सुबह शाम घूमने का प्रण करें जिससे आपको वातावरण की सुंदरता
देखने को मिलेगी और कुछ समय के लिए आप स्मार्टफोन से दूर रहेंगे जिससे आपका मन भी शांत
होगा और साथ में शरीर भी तंदुरुस्त रहेगा.
उपसंहार:
Mobile Phone का अगर सही से इस्तेमाल किया जाए तो यह किसी वरदान से कम नहीं है लेकिन
अगर इसका अत्यधिक इस्तेमाल किया जाए तो यह बीमारियों का घर है और आपको दुनिया से अलग
कर देता है. यह उसी प्रकार हैं जिस प्रकार अगर हम किसी चीज का लिमिट में इस्तेमाल करते
है तो वह हमारे लिए उपयोगी है और अगर उसका इस्तेमाल हम ज्यादा करने लग जाए तो वह हमारे
लिए नुकसानदायक हो जाता है यह बात हर चीज पर लागू होती है.
मोबाइल फोन का इस्तेमाल करें और इससे कुछ सीखें लेकिन इसको अपनी जिंदगी ना बनाएं.