झारखंड
शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, राँची (झारखंड)
द्वितीय
सावधिक परीक्षा 2021 2022
मॉडल
प्रश्न पत्र
सेट-
3 (Set-3)
वर्ग-9 |
विषय- सामाजिक विज्ञान |
पूर्णांक 40 |
समय- 1 घंटा 30मिनट। |
सामान्य
निर्देश- ( General Instruction)
परीक्षार्थी
यथा संभव अपने शब्दों में उत्तर दें।
कुल
प्रश्नों की संख्या 19 है।
प्रश्न
संख्या 1 से प्रश्न संख्या 7 तक अतिलघुउत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं पाँच
प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक निर्धारित
है।
प्रश्न
संख्या 8 से प्रश्न संख्या 14 तक लघुउत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं 5
प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 50 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक
निर्धारित है।
प्रश्न
संख्या 15 से प्रश्न संख्या 19 तक दीर्घउत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं तीन
प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक
निर्धारित है।
खण्ड - अ - अतिलघुउत्तरीय प्रश्न
1. धुरी शक्तियों में मुख्यता
कौन-कौन देश शामिल थे?
उत्तर:
जर्मनी, जापान, इटली ।
2. 'स्लीपर' से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
रेल की पटरी के आर-पार लगे लकड़ी के तख्ते जो पटरियों को उनकी जगह पर रोके रखते हैं
उसे स्लीपर कहते हैं ।
3. निर्धनता रेखा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
यह निर्धनता का संकेतक है यानी यह आय का एक ऐसा स्तर है जिसमें बड़ी मुश्किल से गुजारा
हो पाता है।
4. सार्वजानिक वितरण प्रणाली से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सार्वजनिक वितरण प्रणाली वह प्रणाली है जिसके अन्तर्गत भारतीय खाद्य निगम द्वारा एकत्रित
अनाज को उचित मूल्य वाली दुकानों के माध्यम से समाज के सबसे अधिक निर्धनों में वितरित
किया जाता है।
5. भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन कब किया गया?
उत्तर:
12 अक्टूबर, 1993
6. शिक्षा का अधिकार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
वर्ष 2002 में 86 वें संवैधानिक संशोधन से शिक्षा के अधिकार को संविधान के भाग-
III में एक मौलिक अधिकार के तहत शामिल हैं।
7. मानसून में विराम से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
मानसून में विराम का अर्थ है वह शुष्क समय जिसमें वर्षा नहीं होती।
खण्ड ब- लघुउत्तरीय प्रश्न
8. नात्सी लोग यहूदियों से घृणा क्यों करते थे?
उत्तर:
नात्सी जर्मनी में सबसे बुरा हाल यहूदियों का हुआ यहूदियों के प्रति नात्सियों की दुश्मनी
का एक आधार यहूदियों के प्रति ईसाई धर्म में मौजूद परंपरागत घृणा भी थी। ईसाइयों का
आरोप था कि ईसा मसीह को यहूदियों ने ही मारा था। ईसाइयों की नजर में यहूदी आदतन हत्यारे
और सूदखोर थे। मध्यकाल तक यहूदियों को जमीन का मालिक बनने की मनाही थी । ये लोग मुख्य
रूप से व्यापार और धन उधार देने का धंधा करके अपना गुजारा चलाते थे। वे बाकी समाज से
अलग बस्तियों में रहते थे जिन्हें घेटो यानी दड़बा कहा जाता था ।
9. औपनिवेशिक काल में व्यावसायिक खेती का क्यों विस्तार हुआ? दो कारण
बताएँ?
उत्तर:
उस काल को जब अंग्रेजों ने यहाँ अपना शासन किया, उसे औपनिवेशिक काल कहते हैं। इस काल
में खेती का खूब विस्तार हुआ जिसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं-
(क)
अंग्रेजों ने व्यावसायिक फसलों, जैसे पटसन, गन्ना, गेहूँ और कपास का खूब विस्तार किया
क्योंकि इनकी खेती से अधिक आय प्राप्त होने की सम्भावना रहती थी।
(ख)
इंग्लैंड के कारखानों को कच्चा माल चाहिए था इसलिए भी इन व्यावसायिक फसलों की पैदावार
को बढ़ावा दिया गया ।
10. शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में कैलोरी की आवश्यकता
अधिक क्यों है?
उत्तर:
चूँकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग अधिक शारीरिक कार्य करते हैं अतएव शहरी
इलाकों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में कैलोरी आवश्यकता अधिक समझी जाती है।
11. किसी आपदा के दौरान खाद्य सुरक्षा कैसे प्रभावित होती हैं?
उत्तर:
निस्संदेह भूकम्प, बाढ़, सूखा, सुनामी, फसलों की व्यापक बर्बादी के कारण हुए अकाल जैसी
आपदा के दौरान खाद्य सुरक्षा प्रभावित होती है। यदि कोई आपदा, जैसे- बाढ़ आती है, तो
खाद्यान्नों का कुल उत्पादन एवं आपूर्ति कम हो जाती है। इससे प्रभावित क्षेत्रों में
खाद्य की कमी उत्पन्न हो जाती है। खाद्य की कमी से खाद्यान्नों की कीमतें बढ़ जाती है।
कुछ लोग ऊँची कीमतों पर खाद्य नहीं खरीद पाते हैं। स्थिति तब और गंभीर हो जाती है तब
ऐसी आपदा अति व्यापक क्षेत्र एवं लंबी अवधि के लिए आती है। इससे भुखमरी की स्थिति उत्पन्न
हो जाती है। यदि यह भुखमरी व्यापक स्तर पर होती है तो यह अकाल का रूप ले लेती है। अकाल
के दौरान भुखमरी से बड़ी संख्या में लोगों की जानें जाती हैं। प्रभावित क्षेत्रों में
दूषित जल एवं सड़े हुए खाद्य के प्रयोग तथा खाद्य के अभाव में होने वाली कमजोरी के
कारण शारीरिक प्रतिरोधी क्षमता में कमी होने से विनाशकारी महामारी फैल जाती है।
12. लोकतंत्र में चुनाव कि आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
किसी लोकतंत्र के लिए एक ऐसी व्यवस्था अपेक्षित होती है जिसके द्वारा जनता नियमित समयांतराल
में अपने प्रतिनिधियों को चुन सकती है तथा यदि चाहे तो उनको बदल भी सकती है। यह व्यवस्था
चुनाव कहलाती है। इसलिए प्रतिनिधि लोकतंत्र में चुनावों को आवश्यक समझा जाता है। चुनाव
में मतदाता बहुत से विकल्प बना सकते हैं-
(क)
वे अपने लिए कानूनों को बनाने वाले का चयन कर सकते हैं।
(ख)
वे सरकार बनाने और मुख्य फैसलों को लेने वाले को चुन सकते हैं।
(ग)
उस दल को चुन सकते हैं जिसकी नीतियाँ सरकार और कानून-निर्माण में मार्गदर्शक बनेंगी।
13. मानवाधिकार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
मानव अधिकार विश्वभर में मान्य व्यक्तियों के वे अधिकार हैं जो पूर्ण शारीरिक, मानसिक
और आध्यात्मिक विकास के लिए अत्यावश्यक हुआ है। इन अधिकारों का उद्भव मानव की अंतर्निहित
गरिमा है। विश्व निकाय ने 1948 में मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा को अंगीकार और
उद्घोषित किया ।
14. उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वनों का वर्णन करें और उनके मुख्य वृक्ष
का नाम लिखें.
उत्तर:
उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन- भारत में सबसे बड़े क्षेत्र में फैले हुए वन हैं। इन्हें
मानसूनी वन भी कहते हैं और ये उन क्षेत्रों में विस्तृत हैं जहाँ 70 cm से 200 cm तक
वर्षा होती है। इस प्रकार के वनों में वृक्ष शुष्क ग्रीष्म ऋतु में छः से आठ सप्ताह
के लिए अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं ।
जल
की उपलब्धि के आधार पर वन इन वनों को आर्द्र तथा शुष्क पर्णपाती वनों में विभाजित किया
जाता है। इनमें से आर्द्र या नम पर्णपाती वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ
100cm-200 cm तक वर्षा होती है। अतः ऐसे वन देश के पूर्वी भागों, उत्तरी-पूर्वी राज्यों,
हिमालय के गिरिपद प्रदेशों, झारखण्ड, पश्चिमी उड़ीसा, छत्तीसगढ़ तथा पश्चिमी घाटों
के पूर्वी ढालों में पाए जाते हैं। सागोन इन वनों की सबसे प्रमुख प्रजाति है । बाँस,
साल, शीशम, चंदन, खैर, कुसुम, अर्जुन तथा शहतूत के वृक्ष व्यापारिक महत्व वाली प्रजातियाँ
हैं।
शुष्क
पर्णपाती वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ वर्षा 70 cm से 100 cm के बीच होती
है। ये वन प्रायद्वीपीय पठार के ऐसे वर्षा वाले क्षेत्रों, उत्तर प्रदेश तथा बिहार
के मैदानों में पाए जाते हैं। विस्तृत क्षेत्रों में प्रायः सागोन, साल, पीपल तथा नीम
के वृक्ष उगते हैं।
खण्ड - स- दीर्घउत्तरीय प्रश्न
15. वन संरक्षण के उपायों का वर्णन करें।
उत्तर:
वन एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संपदा हैं। ये देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते
हैं। अतः वन-संरक्षण के लिए निम्नांकित उपाय अपनाकर, वन समस्या का हल किया जा सकता
है-
(क)
वनों की अंधाधुंध कटाई पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है।
(ख)
अति चराई पर रोक लगाई जाए।
(ग)
वनों से वृक्ष काटने पर उनके स्थान पर वृक्षारोपण करना आवश्यक है।
(घ)
वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए, क्षेत्रों का निर्धारण करना चाहिए ।
(ङ)
वन क्षेत्रों को संरक्षित करने की नितांत आवश्यकता है ।
(च)
लकड़ी के ईंधन का उपयोग कम-से-कम हो, उसके लिए पूरक साधनों का विकास किया जाए।
(छ)
वनों को हानिकारक कीड़े मकोड़ों, बीमारियों, आग आदि से सुरक्षित रखा जाए।
(ज)
वनों की उपयोगिता और उसकी महता की जानकारी के लिए जनचेतना व जनजागरण पैदा किया जाए।
16. किसी देश के आर्थिक विकास और निर्धनता उन्मूलन के बीच एक गहरा संबंध
है"। इस कथन की व्याख्या करें ।
उत्तर:
'नर्धनता उन्मूलन भारत की आर्थिक विकास राणनीति का एक प्रमुख उद्देश्य रहा है। सरकार
की वर्तमान निर्धगता-निरोधी रणनीति मोटे तौर पर दो कारकों- (क) आर्थिक संवृद्धि को
प्रोत्साहन और (ख) लक्षित निर्धनता-निरोधी कार्यक्रमों पर निर्भर है।
1980
के दशक के आरंभ तक समाप्त हुए 30 वर्ष की अवधि के दौरान प्रतिव्यक्ति आय में कोई वृद्धि
नहीं हुई और निर्धनता में भी अधिक कमी नहीं आई। 1950 के दशक के आरंभ में आधिकारिक निर्धनता
अनुमान 45 प्रतिशत का था और 1980 के दशक के आरंभ में भी वही बना रहा। 1980 के दशक से
भारत की आर्थिक संवृद्धि दर विश्व में सबसे अधिक रही। संवृद्धि दर 1970 के दशक के करीब
3.5 प्रतिशत के औसत से बढ़कर 1980 और 1990 के दशक में 6 प्रतिशत के करीब पहुँच गई।
विकास की उच्च दर ने निर्धनता को कम करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए
यह स्पष्ट होता जा रहा है कि आर्थिक संवृद्धि (विकास) और निर्धनता उन्नगूलन के बीच
एक घनिष्ठ संबंध है। आर्थिक संवृद्धि अवसरों को व्यापक बना देती है और मानव विकास में
निवेश के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराती है। यह शिक्षा में निवेश से अधिक आर्थिक प्रतिफल
पाने की आश में लोगों को अपने बच्चों को लड़कियों सहित स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित
करती है। तथापि, यह संभव है कि आर्थिक विकास से सृजित अवसरों से निर्धन लोग प्रत्यक्ष
लाभ नहीं उठा सके। इसके अतिरिक्त कृषि क्षेत्रक में संवृद्धि अपेक्षा से बहुत कम रही।
निर्धनता पर इसका प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा क्योंकि निर्धन लोगों का एक बड़ा भाग गाँव में
रहता है और कृषि पर आश्रित है।
17. भारत के चुनाव प्रणाली के विभिन्न घटकों का वर्णन करें?
उत्तर:
भारत के चुनाव प्रणाली के विभिन्न घटक-
(
क ) चुनाव की घोषणा करना- चुनाव की प्रक्रिया चुनाव की घोषणा और उसके लिये तिथियाँ
निर्धारित करने से शुरू हो जाती है। चुनाव और उसकी तिथियाँ की घोषणा निर्वाचन आयोग
द्वारा होती हैं।
(ख)
प्रत्याशियों का चयन चुनाव में सफलता का ध्यान रख कर विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने
प्रत्याशियों का चयन करते है। राजनीतिक दलों द्वारा खड़े किए गए प्रत्याशियों के चुने
जाने के अवसर अधिक होते हैं इसलिए प्रत्याशी स्वतंत्र खड़े होने का प्रयत्न नहीं करते।
(ग)
नामांकन पत्र भरना, उनकी जाँच, प्रत्याशियों द्वारा नाम वापस लेना तथा मतदान पत्रों
का छापना- एक निर्वाचन तिथि तक विभिन्न प्रत्याशी अपना नामांकन पत्र भरते है। तब निर्वाचन
आयोग द्वारा उनकी जाँच होती है। फिर प्रत्याशियों को अपना नाम वापस लेने का समय दिया
जाता है और तब जाकर निर्वाचन आयोग द्वारा मतदान पत्र छापे जाते हैं।
(घ)
चुनाव चिह्नों का बाँटना- प्रमुख राजनीतिक दलों के अतिरिक्त चुनाव में खड़े होने वाले
छोटे-छोटे मोटे दलों एवं स्वतंत्र खड़े होने वाले प्रत्याशियों को चुनाव चिह्न बाँटे
जाते हैं ताकि उन्हें पहचानने में वोटरों को सुविधा रहे।
(ङ)
राजनीतिक दलों द्वारा घोषणा-पत्रों का जारी करना- तब विभिन्न प्रमुख राजनीतिक दल अपना-अपना
घोषणा पत्र जारी करते हैं ताकि वोटर उनकी नीतियों को समझ सकें और उचित मूल्यांकन के
पश्चात् अपना वोट दे सकें।
(च)
मतदान मतों की गणना तथा परिणामों की घोषणा- तब निश्चित तिथि, निश्चित स्थान और निश्चित
समय पर मतदान होता है और वोटर अपनी इच्छानुसार वोट डालते हैं। मतदान के पश्चात् मतों
की पेटियाँ एक निश्चित स्थान पर पहुँच जाती है और वोटों की गिनती के पश्चात् परिणामों
की घोषणा कर दी जाती है ।
18. प्राकृतिक वनस्पति को प्रभावित करने वाले कारकों कि चर्चा करें
।
उत्तर:
प्राकृतिक वनस्पति को प्रभावित करने वाले कारक-
(क)
तापमान -- तापमान की गिरावट वनस्पति के प्रकार व विकास पर प्रभाव डालती है और इसे उष्ण
कटिबंधीय से उपोष्णकटिबंधीय तथा अलपाइन में परिवर्तित कर देती है। तापमान की कमी का
प्रभाव हिमालय की ढलानों और 915 मी० से अधिक ऊँची पहाड़ियों पर पड़ता है।
(ख)
सूर्य की रोशनी - सूर्य की रोशनी के कारण वृक्ष गर्मियों में तेजी से बढ़ते हैं। अक्षांश,
ऊँचाई, मौसम तथा दिन की कालावधि का सूर्य की रोशनी की विविधता पर प्रभाव पड़ता है।
(ग)
वर्षा – अग्रवर्ती दक्षिण-पश्चिम मानसून तथा निर्वतमान उत्तर-पूर्वी मानसून के फलस्वरूप
वर्षा होती है। भारी वर्षा के कारण सघन वनस्पति उगती है।
(घ)
मृदा - दलदली वन, स्वैप तथा रेतीले तटीय वन जैसे क्षेत्रों पर होने वाली वनस्पति की
किस्म वहाँ की मृदा संबंधी परिस्थितियों पर निर्भर करती है ।
(ङ)
भू-आकृति- इनका वनस्पति पर बहुत प्रभाव पड़ता है। मैदानों, पठारों और पर्वतों पर भिन्न-भिन्न
प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं ।
19. भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित नेशनल पार्क को चिन्हित करें-
क. सिमलीपाल
ख. मानस
ग. काजीरंगा