झारखण्ड
शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, राँची (झारखण्ड)
द्वितीय
सावधिक परीक्षा (2021 2022)
मॉडल
प्रश्न पत्र सेट - ( 2 )
कक्षा-9 |
विषय - हिन्दी (ए) |
समय- 1 घंटा 30 पूर्णांक 40 मिनट |
पूर्णांक-40 |
सामान्य
निर्देश:-
→
परीक्षार्थी यथासंभव अपनी ही भाषा शैली में उत्तर दें |
→ इस
प्रश्न पत्र के तीन खण्ड हैं | सभी खण्ड के प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य
→ सभी
प्रश्न के लिए निर्धारित अंक उसके सामने उपांत में अंकित है।
→ प्रश्नों
के उत्तर उसके साथ दिए निर्देशों के आलोक में ही लिखें|
→
2 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में, 3 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 50 शब्दों में, 5 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 100 शब्दों में
एवं 6 अंक के प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों मे दें |
खंड - क (अपठित बोध)
नीचे दिए गए पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए :- 3x2 = 6
हम जंग न होने देंगे |
विश्व शांति के हम साधक हैं, जंग न होने देंगे |
कभी न खेतों में फिर खूनी खाद फलेगी,
खलिहानों में नहीं मौत की फसल खिलेगी |
आसमान फिर कभी न अंगारा उगलेगा,
एटम में नागासाकी फिर नहीं जलेगी,
युद्धविहीन विश्व का सपना भंग न होने देंगे |
जंग न होने देंगे |
कफ़न बेचने वालों से कह दो चिल्लाकर,
दुनिया जान गयी है उनका असली चेहरा,
कामयाब उनकी चालें हम न होने देंगे |
जंग न होने देंगे |
हमें चाहिए शांति जिंदगी हमको प्यारी,
हमें चाहिए शांति, सृजन की है तैयारी |
हमने छेड़ी जंग भूख से, बीमारी से,
आगे आकर हाथ बटाए दुनिया सारी |
हरी भरी धरती को खूनी रंग न लेने देंगे |
जंग न होने देंगे |
प्रश्न 1. निम्न शब्दों के एक- एक पर्यायवाची शब्द लिखें :-
(क) आसमान (ख) विश्व
उत्तर: (क) आसमान :- आकाश, नभ
(ख) विश्व:- संसार, जगत
प्रश्न 2. उपर्युक्त पद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक दें।
उत्तर: "जंग न होने देंगे "
प्रश्न 3. हम सभी किसके साधक हैं ?
उत्तर: हम सभी विश्व शांति के साधक है।
खण्ड – ख (पाठ्यपुस्तक)
प्रश्न 4. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दें :- 4x3 = 12
(क) “मेघ आए” शीर्षक कविता में प्रकृति के जिन गतिशील क्रियाओं का वर्णन कवि ने किया है, उनका उल्लेख करें।
उत्तर: मेघ के आने पर हवा तेज चलने लगती है। तेज हवा से पेड़ झूमने लगते हैं, दरवाजे और खिड़कियाँ खुलने बंद होने लगती हैं, लताएँ डोलने लगती हैं, नदी में हलचल होने लगती और तालाब में भी उथल- पुथल होने लगता है। इसके अलावा आसमान में बिजली चमकने लगती है।
(ख) कवि माखनलाल चतुर्वेदी को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही थी ?
उत्तर: कवि माखनलाल चतुर्वेदी को कोयल से ईर्ष्या का मुख्य कारण कोयल की स्वतंत्रता से है । वह आकाश में स्वतंत्रता में उड़ान भर रही है और कवि जेल की काल कोठरी में बंद है। कोयल गाकर अपने आनंद को प्रकट कर सकती है पर कवि के लिए तो रोना भी एक बड़ा गुनाह है जिसके लिए उसे दंड भी मिल सकता है।
(ग) बालिका मैना के चरित्र की कौन कौन सी विशेषताओं को आप अपनाना चाहेंगे और क्यों ?
उत्तर: बालिका मैना के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हम अपनाना चाहेंगे:
1. पैतृक धरोहर और देशप्रेम की भावना |
2. निर्भय तथा आत्मबलिदान की भावना ।
3. वह एक साहसी तथा वाक् चतुर बालिका थी।
4. भावुकता और तर्कशीलता।
(घ) लेखिका महादेवी वर्मा ने अपनी माँ के व्यक्तित्व के किन किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?
उत्तर: लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है :-
1. उन्हें हिंदी तथा संस्कृत का अच्छा ज्ञान था।
2. वे धार्मिक स्वभाव की महिला थीं।
3. वे पूजा-पाठ किया करती थीं तथा ईश्वर में आस्था रखती थीं।
4. लेखिका की माता अच्छे संस्कार वाली महिला थीं तथा वह लिखा भी करती थीं।
(ङ) ब्रजभूमि के प्रति कवि रसखान का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है?
उत्तर: कवि को ब्रजभूमि से गहरा प्रेम है। वह इस जन्म में ही नहीं, अगले जन्म में भी ब्रजभूमि का वासी बने रहना चाहता है। ईश्वर अगले जन्म में उसे ग्वाला बनाएँ, गाय बनाएँ, पक्षी बनाएँ या पत्थर बनाएँ - वह हर हाल में ब्रजभूमि में रहना चाहता है।
(च) लेखिका महादेवी वर्मा के छात्रावास के परिवेश की चर्चा अपने शब्दों में करें।
उत्तर: लेखिका के छात्रावास में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई सभी धर्मों की लड़कियां रहती थी। इनमें मराठी, हिंदी, उर्दू, अवधी, बुंदेली आदि अनेक भाषाएं बोलने वाली लड़कियां थी। इस प्रकार से धर्म और भाषा का भेद होते हुए भी उनकी पढ़ाई में कोई कठिनाई नहीं आती थी। सब हिंदी में पढ़ते थे। उन्हें उर्दू भी पढ़ाई जाती थी परंतु आपस में वे अपने भाषा में बातचीत करती थीं। सबमें परस्पर बहुत प्रेम-भाव था। आपस में सभी बातचीत करती थी।
प्रश्न 5. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए :- 3 x 2 = 6
(क) माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था ?
उत्तर: पूरे टिहरी शहर को सिर्फ़ वही माटी देती आ रही थी। उसका घर शहर से दूर था जिस कारण वह प्रात:काल निकल जाती थी। वहाँ पूरा दिन माटीखान से माटी खोदती व शहर में विभिन्न स्थानों में फैले घरों तक माटी को पहुँचाती थी। माटी ढोते-ढोते उसे रात हो जाती थी। इसी कारण उसके पास समय नहीं था कि अपने अच्छे या बुरे भाग्य के विषय में सोच पाती अर्थात् उसके पास समय की कमी थी जो उसे सोचने का भी वक्त नहीं देती थी।
(ख) “रीढ़ की हड्डी" शीर्षक एकांकी में कथावस्तु के आधार पर आप किसे मुख्य पात्र मानते हैं ? और क्यों ?
उत्तर: कथावस्तु के आधार पर तो हमें उमा ही इस एकांकी की मुख्य पात्र लगती है। पूरी एकांकी ही उमा के इर्द-गिर्द घूमती है। लेखक समाज की सड़ी गली मानसिकता को उमा के माध्यम से व्यक्त करना चाहता है। उसका सशक्त व्यक्तित्व सारे पात्रों पर भारी पड़ता हुआ दिखाई देता है। उसके समकक्ष कोई भी ठहरता नहीं है। जिस स्वाभिमान से वह अपने पक्ष को शंकर, गोपाल प्रसाद व रामस्वरुप के आगे रखती है सब के होंठ सिल जाते हैं और कथा का प्रयोजन समाज में महिलाओं को अपने अधिकारों व सम्मान के प्रति जागरूक करना सिद्ध हो जाता है।
(ग) माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है ?
उत्तर: माटी वाली दिन भर मेहनत करने के बाद इतना नहीं कमा पाती थी वह अपना और अपने बीमार पति का पेट भर सके। माटीवाली का रोटियों का हिसाब लगाना उसकी मजबूरी, फटेहाली और गरीबी को दर्शाता है।
खण्ड - ग (रचना) 1 x 5 = 5
प्रश्न 6. अपने मुहल्ले की सफाई हेतु नगर निगम अधिकारी को प्रार्थना पत्र लिखें।
उत्तर:
सेवा में,
श्रीमान नगरपालिका अध्यक्ष महोदय जी,
नगर निगम
जिला .......
विषय - वार्ड या मोहल्ले में गंदगी कि सफाई एवं कीटनाशक का छिड़काव हेतु आवेदन पत्र |
महोदय जी,
सनम्र निवेदन है कि मैं वार्ड या मोहल्ले ....... का निवासी हूं यह पर कुछ समय से नियमित रूप से सफाई का काम नहीं हो रहा है जिससे कि मोहल्ले या वार्ड में अत्यधिक गंदगी हो चुकी है। जिसके कारण मक्खियां मच्छर आदि बहुत अधिक हो चुके हैंइस वजह से गांव तथा वार्ड में गंभीर बीमारी फैलने का खतरा अत्यधिक हो चुका है।
अतः महोदय जी से निवेदन है, कि कृपया वार्ड या मोहल्ले की नालियों तथा कूड़े कचरे आदि की उचित व्यवस्था करके सफाई कराने की कृपा करें। एवं कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके मच्छरों एवं मक्खियों को शीघ्र से शीघ्र समाप्त करने की कृपा करें। इस असीम कृपा के लिए मैं तथा वार्ड वासी आपके सदा आभारी रहेंगे।
धन्यवाद
आवेदक
नाम.........
पता ........
अथवा
वार्षिक परीक्षा में प्रथम आने पर अपने छोटे भाई को बधाई देते हुए एक पत्र लिखिए।
उत्तर: 203 , शिवाजी पार्क
सिटी लाइट
सुरत -395007
दिनांक - 5 जून 2016
प्रिय अनुज
शुभाशीष , तुम्हारा पत्र मिला । पढकर समाचार ज्ञात हुआ। यह जानकर खुशी हुई कि तुम परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किए हो। यह सब तुम्हारे परिश्रम का फल है । इसके लिए तुम्हें बहुत बहुत बधाईयाँ । साथ ही मुझे तुमसे यह उम्मीद है कि तुम इसी तरह आगे भी सफलता प्राप्त करते रहोगे । तुमने पूरे परिवार का सम्मान बढाया है । मम्मी-पापा एवं दादा-दादी की ओर से आशीर्वाद।
तुम्हारी अग्रजा
शिवांगी अग्रवाल
प्रश्न 7. दिए गए संकेत बिंदु के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 150 शब्दों में निबंध लिखें | 1 x 6= 6
बिरसा मुंडा ( संकेत - परिचय, बाल्यावस्था एवं शिक्षा, अंग्रेजो से संघर्ष, उपसंहार )
उत्तर:
परिचय: झारखण्ड राज्य के राँची जिले में एक आदिवासी समुदाय रहता है। इस समुदाय का नाम ‘मुण्डा समुदाय’ है। मुण्डा समुदाय के लोग मुण्डारी बोली बोलते है। बिरसा मुण्डा ‘मुण्डा समुदाय’ के महान एवं वीर क्रांतिकारी थे। इनका जन्म राँची जिले अड़की प्रखंड के उलीहातू गाँव में 15 नवम्बर 1875 ई० में हुआ था।
बाल्यावस्था एवं शिक्षा: इनकी प्रारंभिक शिक्षा चाईबासा मध्य विद्यालय में हुई । ये उच्च शिक्षा नहीं प्राप्त कर सके । बचपन से ही बिरसा क्रांतिकारी विचारों के बालक थे । वे सदा न्याय का पक्ष लेकर खड़े हो जाते थे । न्याय का साथ देना इनका स्वभाव था । वे बहुत बहादुर और साहसी थे । बचपन में वे खूब बाँसुरी बजाते थे । अपने से बड़ों का खूब आदर करते थे । बच्चों के प्रति उनके हृदय में गहरा प्यार था ।
अंग्रेजों से संघर्ष: जंगल की ठीकेदारी को लेकर अंग्रेजों से बिरसा भगवान का झगड़ा हो गया । आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए उन्होंने आदिवासियों को संगठित किया । ‘ माइल ‘ पहाड़ी पर अंग्रेजों और आदिवासियों के बीच भयानक लड़ाई हुई । इस लड़ाई में आदिवासियों की हार हुई । भगवान बिरसा को अंग्रेजों ने पकड़कर जेल में डाल दिया । कुछ दिनों तक जेल में रहने के बाद जेल से छूट गए । जेल से निकलते ही बिरसा भगवान ने फिर विद्रोह कर दिया । आदिवासियों का नेतृत्व बिरसा भगवान ने किया । बिरसा भगवान फिर पकड़े गए । जेल में बिरसा भगवान का स्वास्थ्य खराब हो गया । अस्वस्थ अवस्था में ही उनकी मृत्यु जेल में 9 जून 1900 ई ० में हो गई ।
उपसंहार: बिरसा भगवान महान क्रांतिकारी थे । आदिवासी समाज को दुर्गुणों से बचाना चाहते थे । वे आदिवासियों के हक की लड़ाई जीवन भर लड़ते रहे । आज वे हमारे बीच नहीं हैं , पर उनका नाम सदा अमर रहेगा । आदिवासी उनकी पूजा भगवान की तरह करते हैं । इस दुनिया में उसी का नाम अमर होता है , जो अपने समाज और राष्ट्र के लिए अपना जीवन अर्पित कर देते हैं ।
अथवा
खेल कूद का महत्व ( संकेत बिंदु - खेलों का महत्व, खेल और चरित्र, खेल भावना का विकास, उपसंहार )
उत्तर: खेलों का महत्व: हमारी शिक्षा पद्धति में अन्य विषयों के साथ ही खेलकूद का भी समावेश किया जाता है। वस्तुतः खेल मनोरंजन और शक्ति के सम्पूरक हैं। खेलों से खिलाड़ियों का शरीर स्वस्थ तथा मजबूत बनता है, उनके शरीर में चुस्ती, स्फूर्ति और शक्ति आती है। खेलने से शारीरिक एवं बौद्धिक विकास होता है। खेलों में भाग लेने से मानसिक तनाव कम हो जाता है, शरीर के पूर्ण स्वस्थ होने से उसमें रोग–निरोधक क्षमता आ जाती है।
खेल और चरित्र: विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में खेलकूद की सुविधाएँ इसीलिए उपलब्ध कराई जाती हैं, ताकि युवकों के व्यक्तित्व का निर्माण हो सके। स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन में स्वस्थ आत्मा निवास करती है। खेलों में भाग लेने से जहाँ शारीरिक क्षमता की वृद्धि होती है, वहाँ व्यक्ति के चरित्र का भी विकास होता है । वह अन्याय, शोषण, उत्पीड़न एवं अनाचार का साहस और दृढ़ता से मुकाबला कर सकता है। महापुरुषों के जीवन पर दृष्टि डालें, तो श्रीराम, श्रीकृष्ण, अर्जुन, महाराणा प्रताप, शिवाजी, स्वामी विवेकानन्द आदि सब शक्तिशाली थे। वे किसी–न–किसी प्रकार की शारीरिक विद्या एवं कौशल में प्रवीण थे। इसी कारण वे यशस्वी बने। अस्वस्थ व्यक्ति तो स्वयं के लिए बोझ होता है। अतएव व्यक्तित्व के निर्माण के लिए खेलों का विशेष महत्व है।
खेल भावना का विकास: खेलों में भाग लेने से ऐसी भावना का विकास होता है, जिससे आदमी सुख और दःख में एकसमान रहता है। खेल–भावना के कारण हार और जीत को सहजता से लिया जाता है तथा परस्पर मैत्री भावना का विकास होता है। खेलों से ओजस्वी एवं उदात्त स्वभाव के साथ सहजता का गुण आ जाता है। प्रतिस्पर्धा बढ़ने से लक्ष्य प्राप्त करने की भावना इससे बढ़ती है।
उपसंहार: जीवन में खेलों का विशेष महत्त्व है। मानसिक एवं शारीरिक विकास सन्तुलित होता रहे, इसी बात को ध्यान में रखकर विद्यार्थियों को खेलकूद एवं व्यायाम आदि का शिक्षण–प्रशिक्षण दिया जाता है। व्यक्तिगत जीवन से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक खेलों से जो लाभ मिलता है, उससे खेलों का महत्त्व स्वतः ज्ञात हो जाता है।
अथवा
परोपकार का महत्व (संकेत बिंदु - भूमिका, अर्थ, महत्व, उपसंहार)
उत्तर: भूमिका: समाज में परोपकार से बढकर कोई धर्म नहीं होता, यह ऐसा काम है जिसके द्वारा शत्रु भी मित्र बन जाता है।यदि शत्रु पर विपत्ति के समय उपकार किया जाए ,तो वह सच्चा मित्र बन जाता है| विज्ञान ने आज इतनी उन्नति कर ली है कि मरने के बाद भी हमारी नेत्र ज्योति और अन्य कई अंग किसी अन्य व्यक्ति के जीवन को बचाने का काम कर सकते है।
इनका जीवन रहते ही दान कर देना महान उपकार है। परोपकार के द्वारा ईश्वर की समीपता प्राप्त होती है। मानव जीवन में इसका बहुत महत्व होता है। ईश्वर ने प्रकृति की रचना इस तरह से की है कि आज तक परोपकार उसके मूल में ही काम कर रहा है। परोपकार प्रकृति के कण-कण में समाया हुआ है। जिस तरह से वृक्ष कभी भी अपना फल नहीं खाता, नदी अपना पानी नहीं पीती, सूर्य हमें रोशनी देकर चला जाता है, उसी प्रकार से प्रकृति अपना सर्वस्व हमको दे देती है। वह हमें इतना कुछ देती है लेकिन बदले में हमसे कुछ भी नहीं लेती।
अर्थ: परोपकार दो शब्दों से मिलकर बना है, पर + उपकार। इसका का अर्थ होता है दूसरों का अच्छा करना और दूसरों की सहयता करना। किसी की मदद करना ही परोपकार कहा जाता है।
परोपकार की भावना ही मनुष्यों को पशुओं से अलग करती है, नहीं तो भोजन और नींद तो पशुओं में भी मनुष्य की तरह पाई जाती हैं। अच्छा कर्म करने वालों का न यहां और ना ही परलोक में विनाश होता है।
अच्छा कर्म करने वाला दुर्गति को प्राप्त नहीं होता है। दुसरो की मदद करने वाला सच्चा वही व्यक्ति है, जो प्रतिफल की भावना न रखते हुए मदद करता है। मनुष्य होने के नाते हमारा यह नैतिक कर्तव्य बन जाता है कि हम सब मनुष्यता का परिचय दें। मनुष्य ही मनुष्यता की रक्षा कर सकता है। इस कार्य के लिए कोई दूसरा नहीं आ सकता।
महत्व: जीवन में परोपकार का बहुत महत्व है। समाज में परोपकार से बढकर कोई धर्म नहीं होता। ईश्वर ने प्रकृति की रचना इस तरह से की है कि आज तक परोपकार उसके मूल में ही काम कर रही है।
परोपकार प्रकृति के कण-कण में समाया हुआ है। जिस तरह से वृक्ष कभी भी अपना फल नहीं खाता है, नदी अपना पानी नहीं पीती है, सूर्य हमें रोशनी देकर चला जाता है। परोपकार एक उत्तम आदर्श का प्रतीक है। पर पीड़ा के समान कुछ भी का अधम एवं निष्कृष्ट नहीं है।
उपसंहार: परोपकारी मानव किसी बदले की भावना अथवा प्राप्ति की आकांक्षा से किसी के हित में रत नहीं होता। वह इंसानियत के नाते दूसरों की भलाई करता है। “सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया “ के पीछे भी परोपकार की भावना ही प्रतिफल है।
परोपकार सहानुभूति का पर्याय है। यह सज्जनों की विभूति होती है, परोपकार मानव समाज का आधार होता है। परोपकार के बिना सामाजिक जीवन गति नहीं कर सकता। हर व्यक्ति का धर्म होना चाहिए कि वह एक परोपकारी बने। दूसरों के प्रति अपने कर्तव्य को निभाएं और कभी-भी दूसरों के प्रति हीन भावना ना रखे।
प्रश्न 8. विद्यालय के द्वारा साईकिल वितरण होने पर छात्रों में उत्साह का वातावरण है | इस विषय पर दो मित्रों के बीच हुए संवाद को लिखें। 1x5=5
उत्तर:
राजू:- अरे भाई मोहन, कब आये तुम विद्यालय?
मोहन:- अभी 10 मिनट पहले पहुँचा हूँ भाई
राजू:- मोहन तुम्हे पता है, हम सभी को खुशखबरी मिलने वाली है।
मोहन:- कैसी खुशखबरी! भाई
राजू:- अरे भाई हमलोगो को विद्यालय से साइकिल मिलने वाला है।
मोहन:- अरे हां दोस्त मेरे वर्ग शिक्षक ने बताया । मैं तो बहुत खुश हूं।
राजू:- हां, अब हमलोग रोज साइकिल से विद्यालय आयेंगे। बहुत मजा आएगा।
मोहन:- हाँ, भाई हमलोग रोजाना साथ में साइकिल से अब आया करेंगे।
अथवा
दीपावली के त्योहार की तैयारी हेतु माँ और बेटी के बीच के संवाद को लिखें।
उत्तर:
बेटी:- माँ इस बार दीपावली हम कैसे मनाएँगे ?
माँ:- इस बार हम दीपावली बहुत अच्छे से मनाएँगे। लेकिन उससे पहले हमें बहुत सारे काम करने हैं।
बेटी:- माँ इस साल मैं मिठाइयाँ बनाने में तुम्हारी मदद करूँगी। बहुत सारी मिठाइयाँ जैसे- गुलाब जामुन, रसगुल्ला आदि हमलोग बनाएँगे।
माँ:- तुम पिताजी को लाइट्स सजाने में मदद करना ।
बेटी:- ठीक है, माँ मैं कई तरह की रंगोली भी बनाऊँगी।
माँ:- हमलोग बहुत सारे काम करेंगे और हमारी दीवाली को बहुत ही खास बनाएँगे। हम दोनों दीवाली पर कई तरह के पटाखे भी जलाएँगे।
बेटी:- हाँ, हमें बहुत मज़ा आएगा।