खण्ड क ( अति लघु उत्तरीय प्रश्न )
किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर
दें।
1. 10, 12,
8, 11, 12, 9, 8 तथा 5 का समांतर माध्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर: 10, 12, 8, 11, 12, 9, 8, 5 =75
ΣX = 75 n = 8 X̅ = ?
Mean (`\overline X`)=`\frac{\Sigma X}N=\frac{75}8=9.375`
2. माध्य विचलन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर: किसी श्रृंखला के किसी
माध्य के निकाले गए विचलनों के जोड़ के समांतर माध्य को माध्य विचलन कहा जाता है।
3. भारित कीमत
सूचकांक क्या है ?
उत्तर: भारित मूल्य अनुपात
विधि में, भार निर्धारण हेतु आधार वर्ष के कुल व्यय का अनुपात अथवा प्रतिशत व्यय को
आधार मानकर सूचकांक ज्ञात किया जाता है। सामान्यतया चालू वर्ष की अपेक्षा आधार वर्ष
भार को वरीयता दी जाती है ।
4. मनरेगा अधिनियम
कब लागू हुआ ?
उत्तर: फरवरी, 2006 को मनरेगा
5. किस प्रकार
की जनसंख्या को पूँजी कहा जाता है ?
उत्तर: मानव संसाधन (HUMAN
RESOURCES)वह अवधारणा है जो जनसंख्या को अर्थव्यवस्था पर दायित्व से अधिक परिसंपत्ति
के रूप में देखती है। शिक्षा प्रशिक्षण और चिकित्सा सेवाओं में निवेश के परिणाम स्वरूप
जनसंख्या मानव संसाधन के रूप में बदल जाती है। मानव संसाधन उत्पादन में प्रयुक्त हो
सकने वाली पूँजी है।
6. सांसद आदर्श
ग्राम योजना की शुरुआत कब हुई ?
उत्तर: 11 अक्तूबर, 2014 को
लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्म दिवस की वर्षगाँठ के अवसर पर सांसद आदर्श ग्राम योजना
की गई थी।
7. चीन में एक
संतान की नीति कब लागू की गई थी ?
उत्तर: 1979
खण्ड-ख ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर
दें।
8. निम्नलिखित
आँकड़ा में किसी गाँव में खेतिहर परिवारों की जोतों को दर्शाया गया है। खेतिहर परिवारों
की औसत जोतों का परिकलन कीजिए:
जोत का आकार (एकड़ में) |
30 |
40 |
50 |
60 |
70 |
80 |
(खेतिहर परिवारों की संख्या) |
2 |
4 |
6 |
5 |
2 |
1 |
X |
ƒ |
A = 30 (dx) |
ƒdx |
30 |
2 |
0 |
0 |
40 |
4 |
10 |
40 |
50 |
6 |
20 |
120 |
60 |
5 |
30 |
150 |
70 |
2 |
40 |
80 |
80 |
1 |
50 |
50 |
|
Σƒ = 20 |
|
Σƒdx = 440 |
इस तरह से गांव में औसत जोत
का आकार 52 एकड़ है।
9. लॉरेंज वक्र
का प्रयोग कब किया जा सकता है ?
उत्तर: लॉरेंज वक्र अपकिरण
को मापने की रेखागणितीय विधि ( Graphic Method ) है । इस वक्र का प्रतिपादन अमेरिका
के सुप्रसिद्ध अर्थ – सांख्यिकीकार ( Economic Statistician ) डॉ ० मैक्स ओ लॉरेंज
( Dr. Max O’Lorenz ) ने धन और आय की विषमता का अध्ययन करने के लिए किया था । उनके
नाम पर ही इसे लॉरेंज वक्र कहते हैं । आजकल इस वक्र का प्रयोग आय , धन , मजदूरी, गरीबी
, लाभ , पूँजी तथा उत्पादन आदि के वितरण का अध्ययन करने के लिए भी किया जाता है ।
10. ऋणात्मक
सहसंबंध की संकल्पना को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए
उत्तर: जब किसी वस्तु, समूह
अथवा घटना के किसी एक चर के मान में वृद्धि होने से दूसरे साहचर्य चर के मान में कमी
आती है अथवा उसके मान में कमी होने से दूसरे साहचर्य चर के मान में वृद्धि होती है
तो इन दोनों चरों के बीच पाए जाने वाले इस प्रतिकूल सम्बंध को ऋणात्मक सहसंबंध कहते
हैं।
उदाहरणार्थ किसी गैस का समान
तापक्रम पर दाब बढ़ने से उसका आयतन कम होना अथवा दाब कम होने से उसका आयतन बढ़ना, गैस
के दो चरों-दाब और आयतन के बीच ऋणात्मक सहसंबंध है।
11. सूचकांक
किसे कहते हैं ? मात्रा सूचकांक कीमत सूचकांक से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर: सूचकाक एक विशेष प्रकार
का माध्य है जो किसी समय अथवा स्थान के आधार पर सम्बन्धित चरों के समूह में होने वाले
सापेक्षिक परिवर्तनों को मापता है । इसमें किसी एक समय के मूल्यों को 100 मानकर दूसरे
समय के मूल्यों का प्रतिशत ज्ञात किया जाता है और इन प्रतिशतों की माध्य निकाली जाती
है। प्रतिशतों की यह माध्य ही सूचकांक या निर्देशांक कहलाता है। प्रो. ब्लेयर के शब्दों
में, “सूचकांक विशिष्ट प्रकार के माध्य होते हैं ।"
कीमत सूचकांक
– जब दो अवधियों में हुए कीमत में परिवर्तन को ज्ञात करना हो तो जिस सूचकांक का प्रयोग
करते हैं, उसे कीमत सूचकांक कहते हैं।
मात्रा सूचकांक - जब दो अवधियों में हुए मात्रा में परिवर्तन को जानना हो तो जिस सूचकांक का प्रयोग करते हैं, उसे मात्रा सूचकांक कहते हैं।
सभी विधियों में p और q को
अन्तः परिवर्तित करके कीमत सूचकांक को मात्रा सूचकांक में बदला जा सकता है।
12. महात्मा
गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर: राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार
गारंटी अधिनियम 2005 (2 अक्टूबर 2009 को, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम
2005 में, नरेगा से मनरेगा में अधिनियम के नामकरण को बदलने के लिए एक संशोधन किया गया
था।), एक भारतीय श्रम कानून और सामाजिक सुरक्षा उपाय है जिसका उद्देश्य’ कार्य करने
का अधिकार ‘है।
इसका लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों
में रोज़गार की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की
रोज़गार प्रदान करने के लिए हर परिवार के लिए है, जिनके वयस्क सदस्य अकुशल मैनुअल काम
करते हैं।
अधिनियम पहली बार पी.व्ही.
द्वारा 1991 में प्रस्तावित किया गया था। नरसिंह राव 2006 में, इसे संसद में अंत में
स्वीकार किया गया और भारत के 625 जिलों में कार्यान्वित किया गया। इस पायलट अनुभव के
आधार पर, एनआरईजीए को 1 अप्रैल, 2008 से भारत के सभी जिलों में शामिल करने के लिए तैयार
किया गया था। इस क़ानून को सरकार द्वारा “दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे महत्वाकांक्षी
सामाजिक सुरक्षा और सार्वजनिक कार्य कार्यक्रम” कहा जाता है। विकास रिपोर्ट 2014, विश्व
बैंक ने इसे “ग्रामीण विकास का तारकीय उदाहरण” कहा।
मनरेगा को “एक वित्तीय वर्ष
में कम से कम 100 दिनों की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों
में आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, जिसके लिए प्रत्येक
परिवार के वयस्क सदस्यों को अकुशल मैनुअल काम करने के लिए स्वयंसेवा किया गया था।”
मनरेगा का एक और उद्देश्य है टिकाऊ संपत्तियां (जैसे सड़कों, नहरों, तालाबों, कुओं)
का निर्माण करें आवेदक के निवास के 5 किमी के भीतर रोजगार उपलब्ध कराया जाना है, और
न्यूनतम मजदूरी का भुगतान करना है। यदि आवेदन करने के 15 दिनों के भीतर काम नहीं किया
गया है, तो आवेदक बेरोजगारी भत्ता के हकदार हैं। इस प्रकार, मनरेगा के तहत रोजगार एक
कानूनी हकदार है।
मनरेगा को मुख्य रूप से ग्राम
पंचायत (जीपी) द्वारा लागू किया जाना है। ठेकेदारों की भागीदारी प्रतिबंधित है। जल
संचयन, सूखा राहत और बाढ़ नियंत्रण के लिए आधारभूत संरचना बनाने जैसे श्रम-गहन कार्यों
को प्राथमिकता दी जाती है।
आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने
और ग्रामीण संपत्तियों को बनाने के अलावा, एनआरईजीए पर्यावरण की रक्षा, ग्रामीण महिलाओं
को सशक्त बनाने, ग्रामीण शहरी प्रवास को कम करने और सामाजिक इक्विटी को बढ़ावा देने
में मदद कर सकता है।
13. टीकाकरण
और सामाजिक आयुर्विज्ञान में क्या अंतर है ?
उत्तर: टीकाकरण- किसी बीमारी के विरुद्ध प्रतिरोधात्मक
क्षमता (immunity) विकसित करने के लिये जो दवा खिलायी/पिलायी या किसी अन्य रूप में
दी जाती है उसे टीका (vaccine) कहते हैं तथा यह क्रिया टीकाकरण (Vaccination) कहलाती
है।
सामाजिक आयुर्विज्ञान- इस बात
का अध्ययन करना कि सामाजिक एवं आर्थिक स्थितियाँ स्वास्थ्य, रोग एवं चिकित्सा को किस
प्रकार प्रभावित करतीं है। उस प्रकार की स्थिति पैदा करना जिससे अधिक स्वस्थ समाज का
निर्माण किया जा सके।
14. 'कुटुंब
श्री' कार्यक्रम से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर: कुटुंब
श्री केरल सरकार की ओर से शुरू की गई एक पहल है। ये संस्था गरीबों और महिलाओं
के सशक्तिकरण के लिए काम करती है। इसका गठन 1997 में किया गया था। इस संस्था में केवल
महिलाएं ही काम करती हैं। कुटुंब का अर्थ होता है परिवार और श्री का अर्थ होता है महिला।
इन दो शब्दों को जोड़कर इस संस्था का नाम रखा गया है।
‘कुटुम्ब श्री’ एक बचत बैंक
है जिसकी स्थापना सरकारी बचत एवं साख सोसायटी के रूप में गरीब महिलाओं के लिए की गई
थी।
खण्ड - ग ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )
किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर
दें।
15. निम्नलिखित आँकड़ा से X तथा Y के बीच सहसंबंध गुणांक की गणना कीजिए तथा परिणाम का निर्वाचन कीजिए:
X |
18 |
21 |
22 |
19 |
20 |
17 |
Y |
14 |
15 |
18 |
16 |
12 |
13 |
उत्तर:
X |
Y |
X2 |
Y2 |
XY |
18 |
14 |
324 |
196 |
252 |
21 |
15 |
441 |
225 |
315 |
22 |
18 |
484 |
324 |
396 |
19 |
16 |
361 |
256 |
304 |
20 |
12 |
400 |
144 |
240 |
17 |
13 |
289 |
169 |
221 |
ΣX=117 |
ΣY=88 |
ΣX2=2299 |
ΣY2=1314 |
ΣXY=1728 |
r = `(sumXY - ((sumX)(sumY))/N)/(sqrt(sumX^2 - (sumX)^2/N) sqrt(sumY^2 - (sumY)^2/N))`
= `(1728 - ((117) (88))/6)/(sqrt(2299 - (117)^2/6)sqrt(1314 - (88)^2/6))`
=`(1728 - 10296/6)/(sqrt(2299 - 13689/6)sqrt(1314 - 7744/6))`
=`(1728 - 1716)/(sqrt(2299 - 2281.5)sqrt(1314 - 1290.66))`
=`12/(sqrt17.5 sqrt(23.34))` =`12/((4.18) (4.83))` =`12/20.1894`
r = 0.59 (यह मध्यम परिमाणीय सहसम्बंध है।)
16. निम्नलिखित
आँकड़ा से समांतर माध्य की गणना कीजिए:
वर्ग अंतराल |
0-10 |
10 - 20 |
20-30 |
30 - 40 |
बारंबारता |
4 |
6 |
7 |
3 |
उत्तर:
C.I |
Ƒ |
MV x |
A =5 dx |
i = 10 dxI |
ƒdxI |
0-10 |
4 |
5 |
0 |
0 |
0 |
10-20 |
6 |
15 |
10 |
1 |
6 |
20-30 |
7 |
25 |
20 |
2 |
14 |
30-40 |
3 |
35 |
30 |
3 |
9 |
|
Σƒ = 20 |
|
|
|
ΣƒdxI = 29 |
17. भारत में
निर्धनता के कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: भारत में निर्धनता के
कारण निम्न है-
भारत में निर्धनता के कारण
सामाजिक राजनीतिक ऐतिहासिक और आर्थिक सभी प्रकार के हैं:-
1. भारत में निर्धनता के ऐतिहासिक
कारण: भारत लम्बे समय तक विदेशी शासकों के शासन में रहा जिनकी
रूचि भारत का शोषण करने की रही विकास कभी उनका उद्देश्य नहीं रहा इसलिये भारत की जनता
गरीब रह गयी। जो भारत कभी सोने की चिडि़या कहलाता था। विदेशी आक्रमणकारियों ने देश
के सारे संसाधनों को लूट लिया। देश का सारा सोना बाहर चला गया और गरीब हो गए।
2. भारत में निर्धनता के राजनीतिक
कारण: स्वतन्त्रता के बाद देश के राजनेताओं ने भारत के सर्वांगीण
विकास के प्रयास सच्चे मन से नहीं किये। लोगों का वोटर के रूप में प्रयोग किया और सत्ता
में आने पर वास्तविक दायित्व भूल गये। राजनैतिक इच्छा शक्ति के अभाव के कारण देश की
आर्थिक स्थिति कमजोर रह गयी।
3. भारत में निर्धनता के सामाजिक
कारण: परम्पराएँ, कुप्रथाएँ, आराम पसंदगी, सामाजिक विषमताएं भेदभाव,
पूर्वाग्रह, जातिवाद सामाजिक कारक भी लोगों की गरीबी के कारण होते हैं जो न सिर्फ रोजगार
के अवसरों को वरन कुल आय को भी प्रभावित करते हैं। गरीबी का सबसे बड़ा कारण अति जनसंख्या
है। भारत की सामाजिक प्रथाएं दहेज प्रथा, धार्मिक उन्माद, अंध विश्वास तथा अशिक्षा
गरीबी का बड़ा कारण है।
4. भारत में निर्धनता के आर्थिक
कारण: निर्धनता एक आर्थिक समस्या है प्रमुख आर्थिक कारण हैं:-
→ जनसंख्या वृद्धि
→ आवश्यक वस्तुओं के मूल्य
स्तर में वृद्धि
→ बेरोजगारी
→ तकनीक और कौशल कर अभाव
→ प्रशिक्षण संस्थानों
की कमी
→ सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों
कर अभाव
→ उद्योगों का अभाव
18. ग्रामीण साख व्यवस्था में स्वयं सहायता समूह (SHG) के महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: बांग्लादेश में
1970 के दशक के दौरान गरीब और समाज के निम्न तबके के लोगों के जीवन में आर्थिक समस्याओं
के समाधान हेतु ‘स्वयं सहायता समूह’ की अवधारणा को ‘बांग्लादेश ग्रामीण बैंक’ के रूप
में जीवंत रूप प्रदान करने वाले नोबल पुरस्कार विजेता प्रो. मोहम्मद यूनुस का योगदान
अविस्मरणीय है। आज भी ‘स्वयं सहायता समूह’ बहुत प्रासंगिक है।
भारत में आर्थिक उदारीकरण
(1991-92) के दौरान स्वयं सहायता समूहों को विशेष प्रोत्साहन दिया गया तथा इस प्रक्रिया
में नाबार्ड की भूमिका प्रमुख रही। वहीं भारत की नौंवीं पंचवर्षीय योजना
(1997-2002) के दौरान स्वयं सहायता समूहों को जमीनी-स्तर पर विकासात्मक योजनाओं के
कार्यान्वयन में उपयोग में लाया गया।
→ विगत कुछ वर्षों में
देखा जाए तो इसमें महिलाएँ बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं जिससे समाज में उनकी स्थिति
में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है।
→ स्वयं सहायता समूहों
के सदस्य अपने नियमित बचत से एक कोष बना लेते हैं और उस कोष का उपयोग आपातकालीन स्थिति
में अपने सामूहिक उद्देश्य के कार्य हेतु करते हैं।
→ स्वयं सहायता समूह अपने
कोष के पैसे से ग्रामीण आधारित सूक्ष्म या लघु उद्योग की शुरूआत भी करते हैं जिससे
रोजगार के नये अवसर सृजित होते हैं।
→ इन समूहों में से ही
किसी को नेतृत्व दे दिया जाता है जो सारे प्रबंधन का कार्य करता है।
→ इन समूहों को बैंकों
द्वारा धन दिया जाता है, जिससे वित्तीय लेन-देन में आसानी होती है।
→ स्वयं सहायता समूहों
के निर्माण होने से दूसरे संस्थानों पर वित्तीय निर्भरता कम हो जाती है।
19. वैश्विक
उष्णता क्या है ? वर्तमान समय में वैश्विक उष्णता एक गंभीर पर्यावरण मुद्दा क्यों है
?
उत्तर: वायुमंडल में ग्रीन
हाउस गैसों (मीथेन, कार्बन डाय ऑक्साइड, ऑक्साइड और क्लोरो-फ्लूरो-कार्बन) के बढ़ने
के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में होने वाली बढ़ोतरी को वैश्विक
उष्णता कहा जाता है। गत शताब्दी में पृथ्वी के तापमान में 0.6°C वृद्धि हुई
है। इसमें से अधिकतर वृद्धि पिछले तीन दशकों में ही हुई है ।
वैज्ञानिकों का मानना है कि
तापमान में इस वृद्धि से पर्यावरण में हानिकारक परिवर्तन होते हैं जिसके परिणामस्वरूप
विचित्र जलवायु परिवर्तन होते हैं। इसके फलस्वरूप ध्रुवीय हिम टोपियों और अन्य जगहों,
जैसे हिमालय की हिम चोटियों का पिघलना बढ़ जाता है। कई वर्षों बाद इससे समुद्र तल का
स्तर बढ़ेगा जो कई समुद्र तटीय क्षेत्रों को जलमग्न कर देगा।
वैश्विक उष्णता के निम्नांकित
प्रभाव हो सकते हैं -
1. अन्न उत्पादन कम होगा
2. भारत में होने वाली मौसमी
वर्षा पूर्ण रूप से बन्द हो सकती है
3. मरुभूमि का क्षेत्र बढ़ सकता
है
4. एक-तिहाई वैश्विक वन समाप्त
हो सकते हैं
5. भीषण आँधी, चक्रवात तथा
बाढ़ की संभावना बढ़ जाएगी
6. 2050 ई० तक एक मिलियन से
अधिक पादपों एवं जन्तुओं की जातियाँ समाप्त हो जाएँगी।
वर्तमान समय में वैश्विक उष्णता
एक गंभीर पर्यावरण मुद्दा इसलिए बनी हुई है ।
वैश्विक उष्णता को निम्नलिखित
उपायों द्वारा नियन्त्रित किया जा सकता है
1. जीवाश्म ईंधन के प्रयोग
को कम करना
2. ऊर्जा दक्षता में सुधार
करना
3. वनोन्मूलन को कम करना
4. मनुष्य की बढ़ती हुई जनसंख्या
को कम करना
5. जानवरों की विलुप्त हो रही
प्रजातियों को संरक्षित करना
6. वनों का विस्तार करना
7. वृक्षारोपण को बढ़ावा देना।