11-13 District Planning Policy, Supreme Court's decision All join TGT teachers as they are, case Soni Kumari case.

11-13 जिला नियोजन नीति, सुप्रीम कोर्ट का फैसला सभी ज्वाइन TGT टीचर यथावत, मामला सोनी कुमारी केस।

ब्रेकिंग :- 11-13 जिला नियोजन नीति, सुप्रीम कोर्ट का फैसला सभी ज्वाइन TGT टीचर यथावत, मामला सोनी कुमारी केस।

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के इस फैसले को सही ठहराया है, जिसमें हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के 2016 की नियोजन नीति को असंवैधानिक ठहराते हुए रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट के फैसले को खूंटी व सिमडेगा के शिक्षकों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गयी थी।

11-13 जिला नियोजन नीति गलत:- #सुप्रीम_कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में 11-13 जिला को समाहित करते हुए नए सिरे से स्टेट मेरिट लिस्ट बनाने की बात कही। अब 11 जिला के अभ्यर्थी 13 जिला में तथा 13 जिला के अभ्यर्थी 11 जिला में नियुक्त हो सकते है। फिर से रिजल्ट जारी होने के बाद नयी सीनियरटी लिस्ट बन जाएगी। बाकी जिनका नहीं हो पाया है वो दुसरे जिले में भी एडजस्ट होंगे।

नियोजन नीति 2016 केस में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की SLP, नियुक्तियां सुरक्षित, नयी मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश

13 अनुसूचित जिलों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया रद्द करने के झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल SLP पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुना दिया है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए  SLP को खारिज कर दिया है और अदालत ने  2016 नियोजन नीति के तहत हुई नियुक्तियों को सुरक्षित रखने का आदेश किया हैं. साथ ही नयी मेरिट लिस्ट जारी करने का भी आदेश दिया है. बता दें कि 22 मई को सभी पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस बी भी नागारत्न की बेंच ने यह आदेश पारित किया है.

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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को गलत करार दिया था

झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को पूर्व की नीति के अनुसार नियुक्त लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और झारखंड हाई कोर्ट के आदेश को खारिज करने की मांग की गई थी. राज्य सरकार द्वारा लागू नियोजन नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखण्ड हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार के फैसले को गलत करार दिया था. हाईकोर्ट की तीन न्यायधीशों की बृहद खण्डपीठ ने सर्वसम्मति से यह आदेश पारित किया था.

हाई कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से फैसला देते हुए कहा कि सरकार की यह नीति संविधान के प्रविधानों के अनुरूप नहीं है। इस नीति से एक जिले के सभी पद किसी खास लोगों के लिए आरक्षित हो जा रहे हैं। जबकि शत-प्रतिशत आरक्षण किसी भी चीज में नहीं दिया जा सकता। जस्टिस एचसी मिश्र, जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस दीपक रौशन की अदालत ने इस नीति को लागू करने के लिए जारी अधिसूचना को भी निरस्त कर दी थी। अदालत ने राज्य के 13 अनुसूचित जिलों में शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया को रद करते हुए इन जिलों में फिर से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था। जबकि 11 गैर अनुसूचित जिलों में जारी नियुक्ति प्रक्रिया को बरकरार रखा था। उक्त आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। अदालत ने नियुक्ति हुए करीब पांच हजार शिक्षकों की नियुक्ति पर पूर्व में रोक लगा दी थी।

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गैर अनुसूचित जिलों के लोगों को नौकरी के लिये अयोग्य माना गया था

बता दें कि अब तक सरकार की नियोजन नीति में अनुसूचित जिलों में गैर अनुसूचित जिलों के लोगों को नौकरी के लिये अयोग्य माना गया था. जबकि अनुसूचित जिलों के लोग गैर अनुसूचित जिले में नौकरी के लिए आवेदन कर सकते थे. लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब झारखंड के किसी भी जिले का निवासी राज्य के किसी एक जिले से नौकरी के लिए आवेदन दे सकता है.

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