New Pension Scheme (NPS) is a Hoax

नई पेंशन योजना (NPS) छलावा है

छलावा है नई पेंशन योजना (NPS)

नियुक्त सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना के स्थान पर नई पेंशन योजना लागू की गई है, जो कि सही मायने में देखा जाए तो पेंशन योजना है ही नहीं यह एक बाजारवाद पर आधारित प्रणाली है, जिसमें किसी भी प्रकार की न्यूनतम गारंटी नहीं है। पुरानी पेंशन योजना सरकारी कर्मचारी के बुढ़ापे की लाठी है, तो दूसरी ओर नई पेंशन योजना उसके साथ बहुत बड़ा छलावा है।

इसी छलावे का दुसरा पहलु था कर्मचारियों को छुनछुना देना। जिसमें झारखण्ड राज्य के एन०पी०एस० कर्मियों के लिए सरकारी अंशदान की राशि में वृद्धि करते हुए मूल वेतन एवं मंहगाई भत्ता के योग का 14 ( चौदह ) प्रतिशत राशि निर्धारित करने का फैसला लिया गया।


रिटायरमेंट पर धन वापसी और पेंशन

रिटायरमेंट के बाद यदि शिक्षक और कर्मचारी की कुल जमा धनराशि पांच लाख है तो वह पूरी धनराशि वापस ले सकता है और पेंशन बनवाने से इनकार कर सकता है। यदि यह धनराशि अधिक है तो कुल जमा का 60 फीसदी वापस मिल जाता है और 40 फीसदी के बांड शिक्षक को खरीदने होते हैं। शिक्षक को यह भी बताना होता है कि उसे कितने समय तक पेंशन चाहिए। इस आधार पर धनराशि तय हो जाती है।

मृतक आश्रितों को नौकरी मिली पर धनराशि नहीं

शिक्षक व कर्मचारियों की यदि सेवाकाल में मृत्यु हो जाती है, उनके मामलों में एनपीएस के नियम अलग है। पूर्व नियमों के तहत जो भी धनराशि एनपीएस में काटी गई है उसे परिवार को सरेंडर करना होता था। इसके बाद परिवार को पुरानी पेंशन के दायरे में लाया जाता है। वर्तमान में शिक्षक के अंश की धनराशि परिवार को लौटाई जाएगी और पुरानी पेंशन परिवार को दी जाएगी।

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इस योजना में शामिल कर्मचारी को 60 वर्ष की उम्र के पश्चात मामूली मासिक पेंशन मिलती है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में इतनी ही सेवा के बदले अच्छी मासिक पेंशन मिलती हैं। नई पेंशन योजना फायदेमंद नहीं है। इसमें कार्मिकों का पेंशन के नाम पर जमा पैसा यूटीआई, एसबीआई तथा एलआईसी के पास जाता है जो इसको शेयर मार्केट में लगाते हैं। सेवानिवृत्ति के समय जो बाजार भाव रहेगा, उसके अनुसार कार्मिक को पैसा मिलेगा। हो सकता है उसका मूलधन भी उसे ना मिले। अत यह नितान्त आवश्यक है कि सरकारी कर्मचारियों के हित में सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने वाली पुरानी पेंशन व्यवस्था को तुरंत बहाल किया जाए, ताकि सेवानिवृत्ति के बाद व्यक्ति स्वाभिमान के साथ जीवन जी सके। सरकारी कर्मचारी अधिकतम वर्षों तक सेवाएं देता है, लेकिन उसे सम्मानजनक पेंशन नहीं मिलती। दूसरी तरफ एक बार सांसद या विधायक बनने पर ही पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है। सरकार का यह दोहरा रवैया निंदनीय है। सभी सरकारी कर्मचारियों को पूर्वानुसार पेंशन मिलनी चाहिए। एक दिन सांसद, विधायक रहने पर भी उनको पेंशन मिलती है, तो कर्मचारियों को पेंशन देने में हिचक क्यों ? क्यों सरकारी कर्मचारियों को भी पुरानी योजना की तरह पेंशन मिलनी चाहिए, क्योंकि कर्मचारियों का भी परिवार है। 30-35 साल तक की सेवा देने के बाद उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने के लिए पेंशन राशि हर हालत में मिलना चाहिए। सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल करना जरूरी है। इससे कर्मचारी, राज्य और अर्थव्यवस्था तीनों को लाभ है। वर्तमान एनपीएस प्रक्रिया में कर्मचारी भय के कारण धन संग्रह करते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था में मांग घटती है। अगर पुरानी पेंशन बहाल होती है, तो इससे लाभ ही होगा।

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सेवानिवृत्ति के बाद जब शरीर साथ छोडने लगता है तब परिजन भी उसको बोझ समझ लेते हैं। पेंशन 60 वर्ष तक की गई सेवा के बदले कर्मचारी का हक होता है। सरकार को चाहिए कि वह अपने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन दे । कर्मचारियों को वृद्धावस्था के दौरान सामाजिक सुरक्षा के कानूनी अधिकार से भी वंचित करती है। इससे एकमात्र फायदा बीमा और शेयर बाजार को हुआ है।

कर्मचारियों की कमाई मार्केट रिस्क के अधीन हो जाती है। नई पेंशन में सरकारों को भी आर्थिक नुकसान हुआ है क्योंकिक्यों सारी राशि शेयर मार्केट में लगी रहती है। जो कर्मचारी असमय मौत के मुंह में समा गए, उनके परिवार ने नई पेंशन योजना के कारण कठोर आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। यदि सरकारों को लोक कल्याणकारी नीति का अनुसरण करना है, तो तत्काल पुरानी पेंशन योजना लागू करनी चाहिए

सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलना चाहिए। यह उनका वाजिब हक है। यदि केंद्र सरकार कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं करती है, तो यह 2024 में मुख्य चुनावी मुद्दा बनेगा। इसके दुष्परिणाम वर्तमान सरकार को भुगतने पड़ेंगे, क्योंकि यह मुद्दा कर्मचारियों के भविष्य से जुड़ा हुआ है।

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सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलना चाहिए। यह उनका वाजिब हक है। यदि केंद्र सरकार कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं करती है, तो यह मुख्य चुनावी मुद्दा बनेगा, यह मुद्दा कर्मचारियों के सम्मान के साथ जुड़ा है। नई पेंशन योजना लागू होने से लाखों कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान हुआ है।

दीपक कुमार

मीडिया प्रभारी दुमका

NMOPS जिन्दाबाद जिन्दाबाद 💪

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