Jac Board Class 12 Hindi Core (Science/Commerce) 2023 Answer key

Jac Board Class 12 Hindi Core (Science/Commerce) 2023 Answer key

Jac Board Class 12 Hindi Core (Science/Commerce) 2023 Answer key

झारखण्ड अधिविद्य परिषद्

ANNUAL INTERMEDIATE EXAMINATION - 2023

HINDI - A ( CORE ) Science/Commerce

Total Time: 3 Hours 20 minute

Full Marks : 80

सामान्य निर्देश:

इस प्रश्न पुस्तिका में दो भाग हैं - भाग - A तथा भाग -B.

भाग- A में 40 अंक के बहुविकल्पीय प्रश्न हैं जिनके उत्तर अलग से दिये गये OMR उत्तर पत्रक पर चिह्नित करें। भाग-A के उत्तर पहले 2.00 अपराह्न से 3.35 अपराह्न तक हल करेंगे एवं इसके उपरान्त OMR उत्तर पत्रक वीक्षक को 3.35 अपराह्न पर लौटा देंगे । भाग- B में 40 अंक के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं जिनके उत्तर अलग से दिये गये उत्तर पुस्तिका पर हल करें। भाग-B के उत्तर के लिए समय 3.40 अपराह्न से 5.20 अपराह्न तक निर्धारित है ।

परीक्षार्थी परीक्षा के उपरान्त प्रश्न पुस्तिका को ले जा सकते हैं।

भाग- A

बहुविकल्पीय आधारित प्रश्न

Class-12

Sub.-Hindi-A (Core)

F.M.-40

Time-1 Hour 30 Min.

निर्देश :

1. सावधानी पूर्वक सभी विवरण OMR उत्तर पत्रक पर भरें।

2. आप अपना पूरा हस्ताक्षर OMR उत्तर पत्रक में दी गई जगह पर करें।

3. इस भाग में कुल 40 बहु-विकल्पीय प्रश्न है।

4. सभी प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 1 अंक निर्धारित है।

5. गलत उत्तर के लिए कोई अंक नहीं काटा जायेगा।

6. OMR उत्तर पत्रक के पृष्ठ 2 पर प्रदत्त सभी निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा उसके अनुसार कार्य करें।

7. प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्प दिये गये हैं । इनमें से सबसे उपयुक्त उत्तर को आप अपने OMR उत्तर पत्रक पर ठीक-ठीक गहरा काला करें। केवल नीला या काला बॉल प्वाइंट कलम का ही प्रयोग करें। पेंसिल का प्रयोग वर्जित है।

8. OMR उत्तर पत्रक पर दिये गये निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन कीजिए अन्यथा आपका OMR उत्तर पत्रक अमान्य होगा और उसका मूल्यांकन नहीं किया जायेगा ।

समूह - A

(अपठित बोध)

निर्देश: निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 1 से 4 के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए:

प्राचीन हो कि नवीन, छोड़ो रूढ़ियां जो हों बुरी,

बनकर विवेकी तुम दिखाओ, हंस जैसी चातुरी ।

प्राचीन बातें ही भली हैं, यह विचार अलीक है,

जैसी अवस्था हो जहां, वैसी व्यवस्था ठीक है ।।

मुख से न होकर, चित से देशानुरागी हो सदा,

है सब स्वदेशी बंधु, उनके दुखभागी हो सदा।

देकर उन्हें साहाय्य भरसक, सब विपत्ति-व्यथा हरो,

निज दुख से ही दूसरों के, दुख का अनुभव करो ।

1. प्रस्तुत पंक्तियों में कवि रूढ़ियों को छोड़ने के लिए क्यों कह रहा है ?

(1) रूढ़ियां समय के बदलने पर विकास में बाधा पहुंचाती हैं।

(2) ये समय के बदलने पर अधिक प्रासंगिक हो जाती हैं।

(3) ये समय के बदलने पर विकास में सहायता पहुंचाती हैं।

(4) इनमें से कोई नहीं ।

2. कवि किस पक्षी के समान चातुरी दिखाने को कहता है ?

(1) कोयल

(2) कौआ

(3) मोर

(4) हंस

3. 'मुख से न होकर चित्त से देशानुरागी हो सदा' - कथन का आशय है

(1) हमें केवल देशप्रेम की बातें ही नहीं करनी चाहिए

(2) हमें उसके लिए सार्थक प्रयास भी करनी चाहिए

(3) हमें कथनी और करनी में समानता रखने चाहिए

(4) इनमें से सभी

4. हम दूसरों की पीड़ा को कैसे महसूस कर सकते हैं ?

(1) निज दुख से

(2) निज सुख से

(3) निज क्रोध से

(4) निज स्वार्थ से

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या पांच से आठ के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए:

हमारी हिंदी संजीव भाषा है। इसी कारण इसने अरबी, फारसी आदि के संपर्क में आकर इनके तो शब्द ग्रहण किए ही हैं, अब अंग्रेजी के भी शब्दों को ग्रहण करती जा रही है। इसे दोष नहीं, गुण ही समझना चाहिए, क्योंकि अपनी इस ग्रहणशक्ति से हिंदी अपनी वृद्धि कर रही है, हास नहीं। ज्यों-ज्यों इसका प्रचार बढ़ेगा, त्यों-त्यों इसमें नए शब्दों का आगमन होता जाएगा।

क्या भाषा की विशुद्धता के किसी भी पक्षपाती में यह शक्ति है कि वह विभिन्न जातियों के पारंपरिक संबंध को न होने दे या भाषाओं की सम्मिश्रण-क्रिया में रुकावट पैदा कर दे ? यह कभी संभव नहीं। हमें तो केवल इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इस मिश्रण के कारण हमारी भाषा अपने स्वरूप को तो नहीं नष्ट कर रही - कहीं अन्य भाषाओं के बेमेल शब्दों के मिश्रण से अपना रूप तो विकृत नहीं कर रही। अभिप्राय यह है कि दूसरी भाषाओं के शब्द, मुहावरे आदि ग्रहण करने पर भी हिंदी, हिंदी ही बनी रही है। या नहीं, बिगड़कर कहीं वह कुछ और तो नहीं होती जा रही है।

5. प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक है ?

(1) हिंदी भाषा का महत्व

(2) हिंदी भाषा की विकृति

(3) हिंदी भाषा की अवनति

(4) हिंदी भाषा का अवमूल्यन

6. सजीव भाषा से क्या तात्पर्य है ?

(1) जिसने अनेक भाषाओं के शब्दों को पचा लिया है

(2) जिस भाषा में शब्द ग्रहण की शक्ति सहज है

(3) जिस भाषा में अपनी मौलिकता हो

(4) इनमें से सभी

7. हिंदी में नए शब्दों का आगमन क्यों उचित है ?

(1) शब्द भंडार समृद्ध होगा

(2) अभिव्यक्ति में मदद मिलेगी

(3) हिंदी सुगम, सहज और सर्वग्राह्य बनेगी

(4) इनमें से सभी

8. हमें अपनी हिंदी भाषा के लिए किस बात को ध्यान में रखना चाहिए ?

(1) भाषा का स्वरूप नष्ट नहीं हो

(2) भाषा में विकृति न आने पाए

(3) हिंदी सदा हिंदी ही बनी रहे

(4) इनमें से सभी

समूह - B

( अभिव्यक्ति और माध्यम )

9. टी.वी. किस प्रकार का जनसंचार माध्यम है ?

(1) दृश्य माध्यम

(2) श्रव्य माध्यम

(3) दृश्य-श्रव्य माध्यम

(4) इनमें से कोई नहीं

10. रचनात्मकता यद्यपि प्रकृति प्रदत्त है तथापि इसे किससे पोषित किया जा सकता है ?

(1) प्रशिक्षण द्वारा

(2) शिक्षा द्वारा

(3) (1) एवं (2) दोनों के द्वारा

(4) इनमें से कोई नहीं

11. फीचर में तथ्यों की प्रस्तुति का ढंग होता है -

(1) नीरस

(2) व्यापक

(3) मनोरंजक

(4) संकुचित

12. निम्न में से पत्राचार का कौन-सा प्रकार है ?

(1) व्यावसायिक

(2) सरकारी

(3) पारिवारिक

(4) इनमें से सभी

13. मंत्री, प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति द्वारा लिखी गई टिप्पणी को क्या कहते हैं ?

(1) अध्यादेश

(2) रिट

(3) सेकण्ड

(4) मिनट

14. जनसंचार का प्रमुख उद्देश्य क्या है ?

(1) जिज्ञासाओं का समाधान

(2) सूचनाओं को परस्पर बांटना

(3) विचारों की अभिव्यक्ति

(4) इनमें से सभी

15. सूचनाओं का संकलन कर संपादक तक पहुंचाने की जिम्मेदारी किसकी होती है ?

(1) खिलाड़ी

(2) लेखक

(3) संपादक

(4) पत्रकार

16. समाचार-लेखन की शैली कौन-सी है ?

(1) काव्यात्मक शैली

(2) उल्टा पिरामिड शैली

(3) संस्मरणात्मक शैली

(4) भावात्मक शैली

17. प्रत्यक्ष संवाद के बजाय किसी तकनीकी या यांत्रिक माध्यम के द्वारा समाज के एक विशाल वर्ग से संवाद कायम करना कहलाता है

(1) फीचर

(2) समाचार

(3) संचार

(4) जनसंचार

18. मीडिया का इस समय सबसे सशक्त माध्यम क्या है ?

(1) प्रिंट मीडिया

(2) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया

(3) सोशल मीडिया

(4) इनमें से कोई नहीं

समूह -C

( पाठ्यपुस्तक )

निर्देश - निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 19 से 22 के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए:

जाने क्या रिश्ता है,

जाने क्या नाता है जितना भी उड़ेलता हूं, भर-भर फिर आता है।

दिल में क्या झरना है ?

मीठे पानी का सोता है

भीतर वह, ऊपर तुम

मुसकाता चांद ज्यों धरती पर रात-भर

मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है।

19. प्रस्तुत पंक्तियों के रचयिता का नाम है

(1) गजानन माधव मुक्तिबोध

(2) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

(3) हरिवंश राय बच्चन

(4) तुलसीदास

20. कवि की हृदय में कैसे पानी का झरना है?

(1) मीठे पानी का सोता

(2) खारे पानी का सोता

(3) निर्मल पानी का सोता

(4) नमकीन पानी का सोता

21. धरती के ऊपर कौन मुसकाता रहता है?

(1) चंचल हवा

(2) सूर्य

(3) तारे

(4) चांद

22. कवि के हृदय में किसके प्रति प्रेम भरा है ?

(1) माता के प्रति

(2) भक्त के प्रति

(3) भगवान के प्रति

(4) प्रिय के प्रति

23. शारीरिक रूप से दुर्बल और पीड़ाग्रस्त कौन है?

(1) विकलांग

(2) सिपाही

(3) असैनिक

(4) नौकर

24. परिमल, अनामिका, गीतिका, नए पत्ते, अणिमा, बेला, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता, किनके कविता संग्रह हैं?

(1) महादेवी वर्मा

(2) दिनकर

(3) निराला

(4) इनमें से कोई नहीं

25. किस वर्ग के बच्चे हर प्रकार के दुखों को सहन करने की शक्ति रखते हैं?

(1) शोषित वर्ग

(2) धनी वर्ग

(3) जमींदार वर्ग

(4) व्यापारी वर्ग

26. मां किसके घरौंदों में दिए जलाती है?

(1) खुद के

(2) बच्चों के

(3) ((1) तथा (2) दोनों के

(4) इनमें से कोई नहीं

(27)  मां बच्चे को किस प्रकार कपड़े पहनाती है?

(1) हाथों में लेकर

(2) घुटनों में लेकर

(3) गोद में लेकर

(4) इनमें से कोई नहीं

निर्देश निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 28 से 31 के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए:

रात्रि की विभीषिका को सिर्फ पहलवान की ढोलक ही ललकार कर चुनौती देती रहती थी पहलवान संध्या से सुबह तक चाहे जिस ख्याल से ढोलक बजाता हो, किंतु गांव के अर्धमृत, औषधि उपचार पथ्य विहीन प्राणियों में वह संजीवनी शक्ति ही भरती थी।

28. प्रस्तुत पंक्तियां किस पाठ से ली गई है ?

(1) चार्ली चैप्लिन पानी हम सब

(2) नमक

(3) पहलवान की ढोलक

(4) बाजार दर्शन

29. रात्रि की विभीषिका को कौन चुनौती देती रहती थी?

 (1) पहलवान का तबला।

(2) पहलवान की बांसुरी

(3) पहलवान की ढोलक

(4) पहलवान का झांझर

30. पहलवान कितनी देर तक ढोलक बजाता था ?

(1) एक घंटा

(2) दो घंटे

(3) तीन घंटे

(4) संध्या से सुबह तक

31. ढोलक की आवाज किसके भीतर संजीवनी शक्ति का संचार करती थी ?

(1) शहर के लोगों

(2) गांव के लोगों

(3) बाजार के लोगों

(4) मेले के लोगों

32. निम्न में कौन-सा कथन सत्य है।

(1) जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख व प्रत्यक्ष कारण है

(2) जाति प्रथा बिल्कुल सही है

(3) इससे कोई परेशानी नहीं है

(4) इनमें से कोई नहीं

33. पहलवान लुट्टन सिंह के कितने बेटे थे ?

(1) दो बेटे

(2) तीन बेटे

(3) एक बेटा

(4) चार बेटे

34. लेखक किसके पूजा-पाठ में सहयोग करता था ?

(1) जीजी के

(2) माता के

(3) आर्य समाज के

(4) इनमें से कोई नहीं

35. पैसा खर्च करने का मुख्य स्थान क्या होता है ?

(1) बाजार

(2) घर

(3) धर्मशाला

(4) मंदिर

36. महादेवी वर्मा किस युग की कवयित्री मानी जाती हैं ?

(1) भारतेंदु युग

(2) छायावादी युग

(3) द्विवेदी युग

(4) प्रयोगवादी युग

37. यशोधर बाबू के बड़े लड़के का क्या नाम था ?

(1) आभूषण

(2) भूषण

(3) रामघर

(4) विदेहानंद

38. 'जूझ' कहानी के आधार पर बताएं कि लेखक के दादा किससे डरते थे ?

(1) पत्नी से

(2) रखमा बाई से

(3) अपने पुत्र से

(4) राव साहब से

39. लेखिका के परिवार के साथ किसका परिवार छुपने के लिए जा रहा था ?

(1) ऐन फ्रैंक का

(2) वानदान का

(3) किट्टी का

(4) इनमें से कोई नहीं

40. लेखिका के अनुसार अगली सदी आने तक किसको सम्मान मिलेगा ?

(1) इंसानों को

(2) जानवरों को

(3) औरतों को

(4) इनमें से कोई नहीं

भाग- B

विषयनिष्ठ आधारित प्रश्न

Class-12

Sub.-Hindi-A (Core)

F.M.-40

Time-1 Hour 30 Min

निर्देश

1. परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में ही उत्तर दें।

2. कुल प्रश्नों की संख्या 8 है।

3. खण्ड - A में प्रश्न है जो अनुच्छेद पर आधारित है। प्रश्न की अधिमानता 6 अंक है।

4. B में 1 प्रश्न है। प्रश्न संख्या 2 का प्रत्येक उपप्रश्न की अधिमानता 5 अंक निर्धारित है। प्रत्येक उपप्रश्न का उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में दीजिए।

5. खण्ड-C मे 4 प्रश्न ( प्रश्न संख्या 3-6) है। प्रश्न प्रत्येक 3 में प्रत्येक 5 अंक के 2 उपप्रश्न है जिनमें से किसी 1 उपप्रश्न का उत्तर लगभग 100 शब्दों में दे।

प्रश्न संख्या 4 में प्रत्येक 3 अंक के 3 उपप्रश्न है जिनमें से किन्ही 2 उपप्रश्नों के उत्तर प्रत्येक 50 शब्दों में देना है। प्रश्न संख्या 5 में प्रत्येक 3 अंक के उपप्रश्न है जिनमें से किन्ही 2 उपप्रश्नों के उत्तर प्रत्येक 50 शब्दों में देना है। प्रश्न संख्या 6 का उत्तर 50 शब्दों में देना है जिसकी अधिमान्यता 2 अंक है।

6. खण्ड -D में दो प्रश्न ( प्रश्न संख्या 7-8 ) है जिनका उत्तर प्रत्येक 50 शब्दों में देना है। प्रश्न संख्या 7 की अधिमानता 3 अंक तथा प्रश्न संख्या 8 की अधिमानता 2 अंक है।

खण्ड - A

( अपठित बोध )

1. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए: 2+2+2=6

भोजन संबंधी भूलों में सबसे बड़ी भूल बिना भूख के खाना है । बिना भूख भोजन करना अपने शरीर के साथ अपराध करना है । प्रायः लोगों का विचार है कि अधिक खाने से शरीर हृष्ट-पुष्ट होता है और कम खाने से शरीर कमजोर हो जाता है। यह धारणा बिल्कुल गलत है। अपच रोग का यह एक कारण है। मनुष्य ही ऐसा है जो भूख न लगने पर भी भोजन करता है। अन्य कोई प्राणी बिना तेज भूख लगे भोजन नहीं करता। हम जो कुछ खाते हैं, उसी से हमारे शरीर का निर्माण होता है। अतएव भोजन ऐसा होना चाहिए, जो संतुलित हो, ताजा हो और शीघ्र पच जानेवाला हो। ऐसा भोजन ही हमारे लिए लाभप्रद होता है। ऐसे भोजन से ही हम दीर्घजीवी, स्वस्थ और निरोग होते हैं।

(क) भोजन कब करना चाहिए ?

उत्तर : भोजन भूख लगने पर ही करना चाहिए।

(ख) किन लोगों में अपच का रोग अधिक होता है ?

उत्तर : भूख न लगने पर भोजन करने वाले तथा अधिक खाने वाले लोगों में अपच का रोग अधिक होता है ।

(ग) हमारा भोजन कैसा होना चाहिए ?

उत्तर : हमारा भोजन संतुलित, ताजा और शीघ्र पच जाने वाला होना चाहिए ।

खण्ड - A

( अपठित बोध )

2. निम्नलिखित में से किन्ही दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 5+5=10

(क)' देश की प्रगति में महिलाओं का योगदान के बारे में लिखिए।

उत्तर :  (क) देश की प्रगति में महिलाओं का योगदान

राष्ट्र की प्रगति में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान है। आज की महिलाएँ राष्ट्र की प्रगति के लिए पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम ही नहीं कर रही, बल्कि कई क्षेत्रों में पुरुषों से आगे भी चल रही हैं। आज कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं, जहां उच्च स्थान पर नारी कार्यरत न हो। वह कृषि, उद्योग, व्यापार, राजनीति, और समाजसेवा से लेकर वायुयान उड़ाने और अंतरिक्ष तक जा रही है। गाँव में आज महिलाएँ पंच, सरपंच एवं मुखिया के पद पर भी काम कर रही हैं।

भारत वर्ष एक सम्पन्न परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों से समृद्ध देश है, जहां महिलाओं का समाज में प्रमुख स्थान रहा है।

भारतीय महिलाएं ऊर्जा से लबरेज, दूरदर्शिता, जीवन्त उत्साह और प्रतिबद्धता के साथ सभी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं। भारत के प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के शब्दों में, "हमारे लिए महिलाएं न केवल घर की रोशनी हैं, बल्कि इस रौशनी की लौ भी हैं।" अनादि काल से ही महिलाएं मानवता की प्रेरणा का स्रोत रही हैं। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से लेकर भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले तक, महिलाओं ने बड़े पैमाने पर समाज में बदलाव के बड़े उदाहरण स्थापित किए हैं।

महिलाओं में जन्मजात नेतृत्व गुण समाज के लिए संपत्ति हैं। प्रसिद्ध अमेरिकी धार्मिक नेता ब्रिघम यंग ने ठीक ही कहा है कि "जब आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं, तो आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं। जब आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तो आप एक पीढ़ी को शिक्षित करते हैं।"

भारतीय इतिहास महिलाओं की उपलब्धि से भरा पड़ा है। आनंदीबाई गोपालराव जोशी पहली भारतीय महिला चिकित्सक रही है। सरोजिनी नायडू ने साहित्य जगत में अपनी छाप छोड़ी। हरियाणा की संतोष यादव ने दो बार माउंट एवरेस्ट फतेह किया। बॉक्सर मैरी कॉम एक जाना-पहचाना नाम है। हाल के वर्षों में, हमने कई महिलाओं को भारत में शीर्ष पदों पर और बड़े संस्थानों का प्रबंधन करते हुए भी देखा है- अरुंधति भट्टाचार्य, एसबीआई की पहली महिला अध्यक्ष, अलका मित्तल, ओएनजीसी की पहली महिला सीएमडी, सोमा मंडल, सेल अध्यक्ष, कुछ और नामचीन महिलाएं हैं, जिन्होनें विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और अभी चन्द्रयान-3 की टीम का भी नेतृत्व एक महिला ने ही किया है।

कोविड-19 के दौरान कोरोना योद्धाओं के रूप में महिला डाक्टरों, नर्सों, आशा वर्करों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व समाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी जान की प्रवाह न करते हुए मरीजों को सेवाएं दी है। कोरोना के खिलाफ टीकाकरण अभियान को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। भारत बायोटेक की संयुक्त एमडी सुचित्रा एला को स्वदेशी कोविड 19 वैक्सीन कोवैक्सिन विकसित करने में उनकी शानदार भूमिका के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया ।

निस्संदेह, आज महिलाएं और लड़कियां समाज में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक बदलाव की अग्रदूत हैं। देश की प्रगति में उनके अवदान को नजर अन्दाज नहीं किया जा सकता ।

अथवा

"पुस्तकों का महत्व पर एक निबंध लिखिए ।

उत्तर : पुस्तकें निस्संदेह मानव जाति के लिए एक वरदान हैं। पुस्तकें मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र होती हैं जो हमें अनमोल ज्ञान देती है। गीता में कहा गया है- ज्ञानात ऋते न मुक्ति अर्थात् ज्ञान के बिना मुक्ति सम्भव नहीं है। ज्ञान की प्राप्ति के मुख्यतः दो मार्ग है- सत्संगति और स्वाध्याय । तुलसीदासजी ने सत्संगति की महिमा बताते हुए कहा है- "बिन सत्संग विवेक न होई परन्तु सत्संगति की प्राप्ति रामकृपा पर निर्भर है। यदि भगवान की कृपा होगी तो व्यक्ति को सत्संगति मिलेगी । परन्तु पुस्तकें तो सर्वत्र सहजता से उपलब्ध हो जाती हैं। ज्ञान का महत्त्वपूर्ण स्रोत है-पुस्तकें। प्रत्येक मनुष्य अपनी क्षमता के अनुसार अध्ययन करके अपने ज्ञान क्षितिज का विस्तार कर सकता है।

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने पुस्तकों के महत्व पर लिखा है कि तोप, तीर, तलवार में जो शक्ति नहीं होती ; वह शक्ति पुस्तकों में रहती है। तलवार आदि के बल पर तो हम केवल दूसरों का शरीर ही जीत सकते हैं, किंतु मन को नहीं। लेकिन पुस्तकों की शक्ति के बल पर हम दूसरों के मन और हृदय को जीत सकते है। ऐसी जीत ही सच्ची और स्थायी हुआ करती है, केवल शरीर की जीत नहीं! पुस्तकों का महत्त्व अमूल्य है। अच्छी पुस्तकें मनुष्य को पशुत्व से देवत्व की ओर ले जाती हैं। मनुष्य की सात्विक वृत्तियों को जाग्रत कर उसे पथभ्रष्ट होने से बचाती हैं। श्रेष्ठ पुस्तकें मनुष्य, समाज तथा राष्ट्र का मार्गदर्शन करती हैं। इतना ही नहीं पुस्तकों का हमारे मन मस्तिष्क पर स्थाई प्रभाव पड़ता है। सच कहें तो किताबों से गुजरना दुनिया के श्रेष्ठ अनुभवों से गुजरने जैसा है। इस दुनिया में किताबें पढ़ने से बड़ा सुख शायद ही कोई हो। तभी तो किताबों को सबसे अच्छा मित्र कहा जाता है। निर्मल वर्मा के अनुसार "किताबें मन का शोक, दिल का डर या अभाव की हूक कम नहीं करतीं, सिर्फ सबकी आंख बचाकर चुपके से दुखते सिर के नीचे सिरहाना रख देती हैं।"

पुस्तकें न सिर्फ हमें जानकारियां देती है बल्कि हमारे अतीत के चलचित्र से भी रू-ब-रू करवाती है। किताबें हमारे जीवन की सबसे अच्छी साथी होती हैं। जब भी हमें उनकी आवश्यकता होती है वे हमारे लिए उपलब्ध होती है। किताबें हमारी आसपास की दुनिया को समझने, सही और गलत के बीच निर्णय लेने में हमारी मदद करती हैं। वे हमारे आदर्श, मार्गदर्शक या सर्वकालिक शिक्षक के रूप में भी हमारे जीवन में शामिल होती हैं। पुस्तकें पढ़ने से हमारे व्यक्तित्व में गुणात्मक परिवर्तन आता है। जो लोग अच्छी पुस्तकें पढ़ने में कोई रुचि नहीं रखते, वे जीवन की बहुत सी सच्चाइयों से अनभिज्ञ रह जाते हैं। महात्मा गाँधी जी ने पुस्तक पढ़ने से होने वाले लाभ को देखते हुए कहा था- “पुराना कोर्ट पहनो तथा नई पुस्तक खरीदो पुस्तकें पढ़ने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि हम जीवन में कठिन से कठिन परिस्थितियों से जूझने में भी सक्षम बन जाते हैं इन कठिन परिस्थितियों में पुस्तकें ही हमारा मार्गदर्शन करती हैं।

अधिकांश पुस्तकें मानव को ज्ञान और मनोरंजन प्रदान करती हैं।

इस संदर्भ में मैथिलीशरण गुप्त ने कहा है-

'केवल मनोरंजन ना कवि का कर्म होना चाहिए।

उसमें उचित उपदेश का भी मर्म होना चाहिए ।।

विज्ञान, वाणिज्य, कला या कानून की सभी पुस्तकें मानव के ज्ञान में संवर्धन करती हैं। उन्हें पढ़कर मानव अपने भीतर आंतरिक शक्ति का अनुभव करता है। सच तो यह है कि पुस्तकें हमारी सच्ची मार्गदर्शक हैं। वे हमें नए-नए क्षेत्रों और रहस्यों का ज्ञान तो कराती ही हैं साथ ही चिंतन-मनन के लिए बाध्य करती हैं। दुविधाग्रस्त स्थिति में श्रेष्ठ पुस्तकें मनुष्य के मन में दृढ़ संकल्प जगाती हैं, तभी तो महात्मा गाँधी जी गीता को "माँ" की संज्ञा देते थे क्योंकि वह प्रत्येक कठिन स्थिति में उनका मार्गदर्शन करती थी। पुस्तकें ऐसी हानिरहित मार्गदर्शक हैं जो दंड नहीं देतीं, नाराज नहीं होतीं, हमसे बदले में कुछ नहीं लेतीं, बल्कि अपना अमृत तत्त्व बाँटती चली जाती हैं। पुस्तकों में वो ताकत होती है जिन्हें पढ़ने पर व्यक्ति के अन्दर शिखर तक पहुंचने की तपन पैदा होती है। वे हमारे लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करती हैं साथ ही यथासमय लक्ष्य प्राप्ति में भी मददगार हैं। हममें से कई लोगों को अपने खाली समय में या सोने से पहले किताबें पढ़ने की आदत होती है क्योंकि पढ़ने से अवांछित तनाव पर काबू पाने में भी मदद मिलती है। यह हमें एक अलग ही दुनिया में ले जाती है जिसे हम सुकून की दुनिया कह सकते हैं। पुस्तकें ज्ञानार्जन में, परामर्श देने में और मार्गदर्शन करने में विशेष भूमिका निभाती हैं। लोकमान्य तिलक के शब्दों में- "मैं नरक में भी पुस्तकों का स्वागत करूँगा, क्योंकि इनमें वह शक्ति है कि जहाँ ये होंगी वहाँ स्वतः स्वर्ग बन जाएगा"। पुस्तकें हमें साहस और धैर्य प्रदान करती हैं। अन्धकार में हमारा मार्ग दर्शन कराती हैं। अच्छा साहित्य हमें अमृत की तरह प्राण शक्ति देता है। पुस्तकों को पढ़ने से जो आनन्द मिलता है वह ब्रह्मानन्द के ही समान होता है। वेद, शास्त्र, रामायण, भागवत गीता आदि ग्रन्ध हमारे जीवन की अमूल्य निधि हैं। सृष्टि के आदिकाल से आज तक ये पुस्तकें हमारा मार्ग दर्शन कर रही हैं और हमारी सांस्कृतिक विरासत को कायम रखे हुए हैं।

वर्तमान युग सूचना प्रौद्योगिकी का है। इस युग में इंटरनेट का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है, इंटरनेट के माध्यम से कहीं भी और कुछ भी पठन सामग्री कम समय में लाया पहुंचाया जा सकता है सच पूछा जाए तो इंटरनेट ने नई-नई पुस्तकों की जानकारी देकर पुस्तकों के प्रति पाठकों की रुचि को बढ़ा दिया है। पुस्तकें वास्तव में लाभप्रद तभी बनेंगी जब उनका चयन उचित तरीके से किया जाय। जिस प्रकार एक मित्र का चयन सोच समझ कर किया जाना आवश्यक है वैसे ही पुस्तकों का चयन करते समय इसके सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर पुस्तकों का संग्रह करना चाहिए

(ख) चुनाव के दिनों में बढ़ गए शोर और ध्वनि-प्रदूषण को नियंत्रित करने की अपील करते हुए थानाध्यक्ष को पत्र लिखिए।

उत्तर :

सेवा में,

थानाध्यक्ष

बुण्डू, रांची।

विषय- चुनाव के शोर और ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के संबंध में ।

महोदय,

विनम्र निवेदन है कि इन दिनों 12वीं की परीक्षाएं निकट है। हम छात्र अपने अध्ययन में व्यस्त हैं, परंतु चुनाव के चलते इन दिनों जगह जगह लाउडस्पीकरों की शोर से हमारे अध्ययन में दिक्कत हो रही है। चुनाव प्रचार के लिए सभी पार्टियां निर्बाध रूप से लाउडस्पीकर बजाए जा रहे हैं। इससे ध्वनि-प्रदूषण हो रहा है और हम एकाग्रचित होकर अध्ययन नहीं कर पा रहे हैं।

अतः हमारे क्षेत्र के हजारों छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने संबंधी आदेश जारी करें।

धन्यवाद !

भवदीय

अंकित राज बुण्डू रांची

दिनांक- 25/02/2024

(ग) संपादकीय लेखन क्या होता है ?

उत्तर : 'संपादकीय' का सामान्य अर्थ है- समाचार-पत्र के संपादक के अपने विचार। संपादक द्वारा लिखा गया लेख ही संपादकीय लेखन होता है। इस लेख में संपादक प्रतिदिन किसी सामाजिक, राजनीतिक जैसे ज्वलंत समस्या पर अपना विचार समाचार-पत्र में लिखता है। संपादकीय लेख में संपादक, समाचार पत्रों की नीति, सोच और विचारधारा को प्रस्तुत करता है ।

एक संपादक ज्वलंत समस्या या प्रमुख घटनाओं पर संपादकीय लेखन करता है। संपादकीय लेख में किसी घटना पर प्रतिक्रिया हो सकती है या किसी विषय पर अपने विचार हो सकते हैं। लेख में किसी आंदोलन की प्रेरणा हो सकती है या किसी उलझी हुई समस्या के विश्लेषण हो सकता है।

संपादकीय के लिए संपादक स्वयं जिम्मेदार होता है। अतएव संपादक को चाहिए कि वह इसमें संतुलित टिप्पणियाँ ही प्रस्तुत करे।

(घ) छात्रावास में रहने वाले अपने छोटे भाई को अपने स्वास्थ्य और पढ़ाई के विषय में सजग करते हुए एक पत्र लिखें।

उत्तर :

राँची,

24 जुलाई 2023

प्रिय अनुज,

शुभाशीष !

हम सभी घर पर सकुशल हैं आशा करते हैं कि तुम भी छात्रावास में आनंदपूर्वक होगे। बड़ी बहन होने के नाते मैं तुम्हें स्वास्थ्य एवं पढ़ाई के बारे में कुछ बातें समझाना चाहती हूँ। तुम्हें मेरी सलाह है कि छात्रावास के वे दिन दुर्लभ हैं। ये दिन लौट कर नहीं आएंगे। अतः अध्ययन का कोई अवसर चूकना नहीं। मन लगाकर पढ़ना। संपूर्ण पाठ्यक्रम की एक रूपरेखा बनाकर तुम्हें निरंतर अध्ययनशील रहने की आवश्यकता है।

एक बात और कि पढ़ाई के चक्कर में स्वास्थ्य की उपेक्षा मत करना। स्वास्थ्य ठीक रखने और प्रसन्नचित्त रहने का सर्वोत्तम उपाय खेल और व्यायाम है। समय पर पढ़ना और समय पर व्यायाम करना । उससे पढ़ाई की थकान और तनाव दूर होगा, स्पूर्ति बढ़ेगी, मन प्रसन्न होगा तथा हर काम में मन लगेगा।

एक विद्यार्थी के लिए पढ़ाई का जितना महत्त्व है उतना ही महत्त्व व्यायाम का भी है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ विचारों की उत्पत्ति होती है। स्वस्थ शरीर का भी उतना ही महत्त्व है जितना कुशाग्र बुद्धि का ।

आशा है तुम मेरे उपर्युक्त कथन के महत्व को समझोगे और कल से ही उस पर अमल करना आरंभ कर दोगे। शेष सब ठीक है।

तुम्हारी दीदी

सुशीला कुमारी

खण्ड C

(पाठ्यपुस्तक )

3. निम्नलिखित में से किसी एक का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए: 5

(क) मुझसे मिलने को कौन विकल ?

मैं होऊं किसके हित चंचल ?

यह प्रश्न शिथिल करता पद को,

भरता उर में विस्खलता है।

दिन जल्दी जल्दी ढलता है।

उत्तर :

भाव सौंदर्य- दिन के ढलने से प्राणी अपने-अपने घर आने को आतुर हैं, क्योंकि उनके घर पर कोई-न-कोई उनकी प्रतीक्षा कर रहा होता है। पर कवि के आने के इंतजार में कोई प्रतीक्षारत नहीं है, इसलिए उसके पैर शिथिल हैं।

काव्य-सौंदर्य.

(1) एकाकी जीवन बितानेवाले व्यक्ति की मनोदशा का वास्तविक चित्रण हुआ है।

(2) भाषा सरल, सहज और भावानुकूल खड़ी बोली है।

(3) 'मुझसे मिलने में अनुप्रास अलंकार मैं होऊं किसके हित चंचल में प्रश्नालंकार तथा जल्दी-जल्दी में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

(4) मुक्तक छंद है।

(5) तत्सम शब्दों का प्रयोग किया गया है।

(ख) सूत बित नारी भवन परिवारा।

होहिं जाहिं जग बारहिं बारा ।

अस बिचारि जियं जागहु ताता ।

मिलड़ न जगत सहोदर भ्राता ॥

उत्तर :

भाव सौंदर्य - प्रस्तुत काव्यांश गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित 'लक्ष्मण मूर्च्छ और राम का विलाप नामक कविता से लिया गया है। यह चौपाई लक्ष्मण जी को शक्ति बाण लगने के समय भगवान श्रीराम के विलाप के सन्दर्भ की है। प्रभु राम की दशा आज सामान्य मनुष्य की सी दशा है। अर्धरात्रि तक हनुमान नहीं आए हैं। लक्ष्मण काँ सिर गोद में लिए भगवान श्रीराम रोते हुए कहते हैं कि इस संसार मे सुत अर्थात पुत्र, वित अर्थात धन,नारि अर्थात स्त्री. भवन अर्थात घर या महल परिवार जन्म जन्म में मिलेंगे लेकिन सहोदर भाई बार-बार नहीं मिलेगा। अतः मेरे द्वारा कही गयी इस बात पर हृदय में विचार करके हे भाई लक्ष्मण! अब तुम जाग जाओ।

काव्य-सौन्दर्य

(1) कोमल पदावली युक्त अवधी भाषा है।

(2) चौपाई छंद का सुंदर निर्वाह हुआ है।

(3) श्री राम के वियोग का सुंदर, सजीव व बिंबात्मक चित्रण हुआ है।

(4) करुण रस व प्रसाद सम्पन्न भाषा है।

(5) पद में लय, तुक एवं गेयता का सुंदर समन्वय है।

(6) चित्रात्मक शैली एवं कोमलावृति है।

4. निम्नलिखित में से किन्ही दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 3+3=6

(क) छोटे चौकोने खेत को 'कागज का पत्रा' क्यों कहा गया है?

उत्तर : छोटे चौकोने खेत को कागज का पत्रा इसलिए कहा गया है क्योंकि कवि अपने कवि- कर्म को किसान के कर्म जैसा बताना चाहता है । वह अपनी कविता को खेत एवं स्वयं को किसान मानकर कागज जैसे खेत पर शब्दों द्वारा कविता का रूप देकर कविता की फसल तैयार करता है, अर्थात कवि कविता की समानता खेती करने से करना चाहता है। इसलिए, वह कागज के पत्रे को छोटा चौकोना खेत कहता है। जिस प्रकार खेत में ही बीज, जल, रसायन आदि डाले जाते हैं और उसमें से अंकुर, फल-फूल आदि उगते हैं, ठीक उसी प्रकार कागज़ के पत्रे पर ही कवि के भाव शब्द, अलंकार, रस आदि के रूप में प्रकट होते हैं।

(ख) पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है तुलसी का यह काव्य सत्य क्या इस समय का भी युग-सत्य है। तर्कसंगत उत्तर दीजिए ।

उत्तर : गोस्वामी तुलसीदास श्री राम के अनन्य भक्त थे। वे मानते थे कि दुनिया के सभी दुखों व परेशानियों से केवल श्री राम ही मुक्ति दिला सकते हैं। इसलिए वे कहते थे कि दुनिया के सभी प्राणियों के दुखों का अंत सिर्फ श्री राम की भक्ति से ही संभव है।

किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए ईश्वरीय कृपा के साथ-साथ कड़ी मेहनत की भी आवश्यकता होती है। इन दोनों के संतुलन से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। इसलिए कहा गया है कि ईश्वर भी उसी की मदद करते हैं, जो कठिन परिश्रम कर अपनी मदद आप करते हैं और आज के संदर्भ में यही सत्य है ।

(ग) 'छटपटाती छाती को भवितव्यता डराती है इस पंक्ति का भावार्थ स्पष्ट करें।

उत्तर : प्रस्तुत पंक्ति सहर्ष स्वीकारा हैकी है। यहाँ कवि को प्रिय के संयोग जनित प्रकाश अर्थात् सुखानुभूति से भविष्य की आशंकाएँ डराने लगी है। कवि कहता है कि मेरे मन में प्रिय की ममता सदा बादलों की भाँति मण्डराती रहती है। यही कोमल ममता कवि को अन्दर ही अन्दर पीड़ा भी पहुँचाती रहती है। यह सोचकर कवि की छाती अर्थात् हृदय छटपटाने लगता है कि यदि भविष्य में उसे प्रिय का प्रेम नहीं मिलेगा तो वह कैसे जी सकेगा?

प्रिय के बिना आगे के जीवन की कल्पना से कवि का हृदय छटपटाने लगता है तथा भयानक भविष्य की कल्पना से काँपने लगता है।

5. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 3+3=6

(क) भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी ? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा ?

उत्तर : भक्तिन का वास्तविक नाम लक्षमिन अर्थात् लक्ष्मी था, जिसका अर्थ है धन की देवी। लेकिन नाम के अनुसार लक्ष्मी के पास धन बिल्कुल नहीं था। वह गरीब थी, इसलिए वह अपना वास्तविक नाम छुपाना चाहती थी। लेखिका महादेवी वर्मा ने उसके गले में कंठी की माला देखकर उसका नया नामकरण किया था, क्योंकि लक्ष्मी ने अपना नाम लक्ष्मी न पुकारने की प्रार्थना लेखिका से की थी।

(ख) सफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया?

उत्तर : सफिया का भाई एक बहुत बड़ा पुलिस अफसर था। वह कानून- कायदों से भली-भांति परिचित था। वह जानता था कि लाहौरी नमक ले जाना सर्वथा गैर कानूनी है। यदि कोई व्यक्ति दूसरे देश में इसे ले जाए तो यह कानून के खिलाफ किया हुआ कार्य बन जाता है। इसलिए उसने अपनी बहन सफिया को नमक की पुड़िया ले जाने से मना कर दिया। वह नहीं चाहता था कि उसकी बहन कस्टम कार्यों की जांच में पकड़ी जाए।

(ग) शिरीष वृक्ष के आकार प्रकार का वर्णन करते हुए उसके उपयोग पर प्रकाश डालिए।

उत्तर : शिरीष तीव्र गति से बढ़ने वाला एक पर्णपाती वृक्ष है। इसके तीन प्रकार पाए जाते हैं। काला (लाल) शिरीष, पीला शिरीष एवं सफेद शिरीष शिरीष मध्यम आकार का सघन छायादार पेड़ है जो संपूर्ण भारत के गर्म प्रदेशों में एवं पहाड़ी प्रदेशों में 8 हजार फुट की ऊंचाई तक पाया जाता है। शिरीष के वृक्ष के पत्ते एक से लेकर डेढ़ इंच तक लंबे इमली के पत्तों के समान किंतु कुछ बड़े होते हैं । इसके फूल कोमल गेंद की भांति गोल और महीन रेशों से भरे हुए होते हैं। पुष्प जितने कोमल होते हैं, बीज उतने ही कठोर होते हैं। शिरीष के वृक्ष की फलियां 4 से 12 इंच तक लंबी, चपटी, पतली एवं भूरे रंग की होती है। ये वृक्ष वायुमंडल से अपना रस खींचता है, इसलिए इसे सूखा सहिष्णुं वृक्ष भी कहा जाता है।

शिरीष वृक्ष का प्रत्येक भाग रोग निरोधक क्षमता से परिपूर्ण है। इसकी छाल, फूल, पत्ते, जड़ तेल, बीज व फलियां अत्यंत कड़वे होते हैं। ये श्रेष्ठ कृमिनाशक नाशक तथा खुजली, त्वचा दोष, दमा, कीट देश, दांत विकार, कब्ज, सिरदर्द आदि अनेकानेक बीमारियों का अचूक उपचार है। यह सौंदर्य प्रसाधन के रूप में भी प्रयुक्त किया जाता है। शिरीष के वृक्ष की लकड़ी बहुउपयोगी होने के कारण कृषि उपकरणों, फर्नीचरों, सजावटी वस्तुओं, खिलौने आदि बनाने में प्रयुक्त की जाती है। यह वृक्ष आज के ग्लोबल वार्मिंग के युग में सर्वाधिक उपयोगी वृक्षों की श्रेणी में आता है।

6. फणीश्वरनाथ रेणू अथवा महाकवि तुलसीदास की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखें। 2

उत्तर : फणीश्वरनाथ रेणु की दो रचनाएं - जुलूस और मैला आँचल |

       तुलसीदास की दो रचनाएं- रामचरितमानस और विनय पत्रिका |


खण्ड - D

7. ऐन फ्रैंक कौन थी ? उसकी डायरी क्यों प्रसिद्ध है ? 3

उत्तर : ऐन फ्रैंक एक यहूदी परिवार की लड़की थी। हिटलर के अत्याचारों से उसे भी अन्य यहूदियों की तरह अपना जीवन बचाने के लिए दो वर्ष से अधिक समय तक अज्ञातवास में रहना पड़ा। इस दौरान उसने अज्ञातवास की पीड़ा, भय, आतंक, प्रेम, घृणा, हवाई हमले का डर किशोरावस्था के सपने अकेलापन, प्रकृति के प्रति संवेदना, युद्ध की पीड़ा आदि का वर्णन अपनी डायरी में किया है। यह डायरी यहूदियों के खिलाफ अमानवीय दमन का पुख्ता सबूत है। इस कारण यह डायरी प्रसिद्ध है।

अथवा

सिंधु सभ्यता साधन-संपत्र थी, पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था । कैसे ?

उत्तर : सिन्धु सभ्यता, एक साधन-सम्पन्न सभ्यता थी। प्रत्येक तरह के साधन इस सभ्यता में थे। इतना होने के बाद भी इस सभ्यता में दिखावा नहीं था। कोई बनवावटीपन या आडंबर नहीं था। उसमें राजसत्ता या धर्मसत्ता के चिह्न नहीं मिलते। वहाँ की नगर योजना, वास्तुकला, मुहरों, ठप्पों, जल-व्यवस्था, साफ-सफाई और सामाजिक व्यवस्था आदि की एकरूपता द्वारा उनमें अनुशासन देखा जा सकता है। यहाँ पर सब कुछ आवश्यकताओं से ही जुड़ा हुआ है, भव्यता का प्रदर्शन कहीं नहीं मिलता। अन्य सभ्यताओं में राजतंत्र और धर्मतंत्र की ताकत को दिखाते हुए भव्य महल, मंदिर और मूर्तियाँ बनाई गई किंतु सिन्धु घाटी सभ्यता की खुदाई में छोटी-छोटी मूर्तियाँ, खिलौने, मृदभांड, नावें मिली हैं। जो वस्तु जिस रूप में सुंदर लग सकती थी, उसका निर्माण उसी ढंग से किया गया था। इसीलिए सिंधु सभ्यता में भव्यता थी, आडंबर नही ।

8. यशोधर बाबू की पत्नी अपने पति से क्यों नाराज रहती थी ? 2

उत्तर : यशोधर बाबू की पत्नी अपने पति से नाराज रहती है क्योंकि वह अपने जीवन के सुखों को पूरे मन से भोगना चाहती है। संयुक्त परिवार में रहने के कारण उसने अनेक मौकों पर अपने मन को मारा है। वह स्वतंत्र और आधुनिक जीवन जीना चाहती है। उसे अपने पति पर क्षोभ है कि उसी ने उसे खुलकर जीने का अवसर नहीं दिया। पति ने अपने बूढ़ी चाची के समान ही उसे भी खाने- ओढ़ने को दिया। उसे पति के परंपरावादी विचारों पर बार-बार क्रोध आता है। इसलिए वह कहती है तुम्हें क्या सुर लगा जो उनका बुढ़ापा खुद ओढ़ने लगे हो ? तुम शुरू में तो ऐसे नहीं थे. शादी के बाद मैंने तुम्हें देख क्या नहीं रखा है। हफ्ते में दो-दो सिनेमा देखते थे, गज़ल गाते थे गजला" अपनी इस कुंठित अवस्था के लिए वह पशोधर बाबू को ही जिम्मेदार मानती है।

अथवा

'जूझ कहानी के लेखक को कविता लिखने की प्रेरणा कैसे मिली ?

उत्तर : जूझ कहानी के लेखक के मन में कविताएं रचना की प्रेरणा स्रोत उनके मराठी शिक्षक सौंदलगेकर रहे हैं। लेखक, मराठी शिक्षक की कला व कविता सुनाने की शैली से काफी प्रभावित हुआ । उसे महसूस हुआ कि कविता लिखने वाले भी हमारे जैसे मनुष्य ही होते हैं । कविता रस, लय, छंद के आधार पर गाई जाती है। कविता सुनाने की कला - ध्वनि, गति, चाल आदि सीखने के बाद लेखक को लगा कि वह अपने आसपास, अपने गांव, अपने खेतों से जुड़े कई दृश्यों पर कविता बन सकता है। वह भैंस चराते-चराते फसलों या जंगली फूलों पर तुकबंदी करने लगा। वह हर समय कागज व पेंसिल रखने लगा। वह कविता लिखकर अध्यापक को दिखाने लगा। इस प्रकार लेखक के मन में कविता लिखने के प्रति रुचि उत्पन्न हुई ।

JCERT/JAC Hindi Core प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

आरोह भाग -2

काव्य - खंड

1.

हरिवंशराय बच्चन -आत्मपरिचय ,एक गीत

2.

आलोक धन्वा-पतंग

3.

कुँवर नारायण-कविता के बहाने,बात सीधी थी पर

4.

रघुवीर सहाय-कैमरे में बंद अपाहिज

5.

गजानन माधव मुक्तिबोध-सहर्ष स्वीकारा है

6.

शमशेर बहादुर सिंह-उषा

7.

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'-बादल राग

8.

तुलसीदास-कवितावली (उत्तर कांड से),लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप

9.

फिराक गोरखपुरी-रुबाइयाँ,गज़ल

10.

उमाशंकर जोशी-छोटा मेरा खेत,बगुलों के पंख

11.

महादेवी वर्मा-भक्तिन

गद्य - खंड

12.

जैनेन्द्र कुमार-बाज़ार दर्शन

13.

धर्मवीर भारती-काले मेघा पानी दे

14.

फणीश्वरनाथ रेणु-पहलवान की ढोलक

15.

विष्णु खरे-चार्ली चैप्लिन यानी हम सब

16.

रज़िया सज्जाद ज़हीर-नमक

17.

हजारी प्रसाद द्विवेदी-शिरीष के फूल

18.

बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर-श्रम विभाजन और जाति-प्रथा,मेरी कल्पना का आदर्श समाज

वितान भाग- 2

1.

मनोहर श्याम जोशी -सिल्वर वैडिंग

2.

आनंद यादव- जूझ

3.

ओम थानवी- अतीत में दबे पाँव

4.

ऐन फ्रैंक- डायरी के पन्ने

अभिव्यक्ति और माध्यम

1.

अनुच्छेद लेखन

2.

कार्यालयी पत्र

3.

जनसंचार माध्यम

4.

संपादकीय लेखन

5.

रिपोर्ट लेखन

6.

आलेख लेखन

7.

पुस्तक समीक्षा

8.

फीचर लेखन

Solved Paper 2023

Arts Paper,

Science/Commerce Paper

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