12th Hindi Core आरोह भाग -II 5. गजानन माधव मुक्तिबोध- सहर्ष स्वीकारा है

12th Hindi Core आरोह भाग -II 5. गजानन माधव मुक्तिबोध- सहर्ष स्वीकारा है

12th Hindi Core आरोह भाग -II 5. गजानन माधव मुक्तिबोध- सहर्ष स्वीकारा है


प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 12

Hindi Core

5. गजानन माधव मुक्तिबोध- सहर्ष स्वीकारा है

पाठ्य पुस्तक के प्रश्न - अभ्यास

प्रश्न-1. टिप्पणी कीजिए:

गरबीली गरीबी, भीतर की सरिता बहलाती सहलाती आत्मीयता, ममता के बादल।

उत्तर-

(क) गरबीली गरीबी-

इसका बहुत गहरा अर्थ है। प्रायः गरीब आदमी अपनी गरीबी से परेशान तथा हताश रहता है। निराशा उसके चारों तरफ कायम रहती है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते है जो गरीब होते हुए भी स्वाभिमानी होते हैं। कवि उन्हीं लोगों में से एक है। उन्हें अपनी गरीबी पर हीनता या ग्लानि नहीं बल्कि गर्व होती है। अतः उसने गरीबी को गरबीली गरीबी कहा है यानि अभावग्रस्त मगर सम्मान पूर्ण ज़िंदगी |

(ख) भीतर की सरिता-

व्यक्ति के मन के भीतर जन्म लेने वाली कोमल भावनाओं को कवि ने “भीतर की सरिता का नाम दिया है। तात्पर्य प्रेम रूपी भावना से है। यह प्रेम हृदय के अंदर नदी के समान प्रवाहित होता है। जैसे नदी मनुष्य के जीवन का पालन-पोषण करती है, वैसे ही प्रेम की भावना मनुष्य का तथा उसके आपसी संबंधों का पालन- पोषण करती है।

(ग) बहलाती, सहलाती, आत्मीयता -

जब व्यक्ति किसी से बहुत अधिक प्रेम करता हैं तो वह उसे विपरीत परिस्थितियों में धैर्य दिलाने की कोशिश करता है। उससे प्रेमपूर्ण व्यवहार कर उसकी परेशानियों को दूर करने का प्रयास करता है। लेकिन इन पंक्तियों में कवि के इस व्यवहार के प्रति शिकायती भाव भी स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है। कवि को हर समय प्रेमिका की बहलाने और सहलाने वाला व्यवहार पसंद नहीं आता होगा।

(घ) ममता के बादल-

ममता का अर्थ है- अपनत्व या स्नेह जिसके साथ अपनत्व हो जाता है, उसके लिए सब कुछ न्योछावर किया जाता है। कवि की प्रियतमा उससे अत्यधिक स्नेह करती है। उसके स्नेह से कवि अंदर तक भीग जाता है।

प्रश्न- 2. इस कविता में और भी टिप्पणी योग्य पद-प्रयोग हैं। ऐसे किसी एक प्रयोग का अपनी ओर से उल्लेख कर उस पर टिप्पणी करें।

उत्तर- मीठे पानी का सोता टिप्पणी योग्य पद-प्रयोग है। इसमें कवि ने - अपने हृदय के अंदर स्रेह तथा प्रेम की भावनाओं को मीठे पानी का सोता कहा है। उसने सेह तथा प्रेम भावनाओं की तुलना झरने से की है।

प्रश्न- 3 . व्याख्या कीजिए।

जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है

जितना भी उड़ेलता हूँ, भर-भर फिर आता है

दिल में क्या झरना है?

मीठे पानी का सोता है

भीतर वह, ऊपर तुम

मुसकाता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर

मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है।

उपर्युक्त पंक्तियों की व्याख्या करते हुए यह बताइए कि यहाँ चाँद की तरह आत्मा पर झुका चेहरा भूलकर अंधकार- अमावस्या में नहाने की बात क्यों की गई है?

उत्तर - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह भाग -2' में संकलित कवि गजानन माधव मुक्तिबोध की कविता सहर्ष स्वीकारा है से लिया गया है। कविता के इस अंश में कवि अपने भीतर बैठे ह की गंभीरता का वर्णन कर रहे हैं।

उपरोक्त पंक्तियों में कवि अपने प्रिय से कहते हैं कि मेरे और तुम्हारे बीच में क्या संबंध है। मैं इसे समझ नहीं पा रहा हूं। मैं जितना भी तुम्हारे प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करता हूँ उतना ही मेरा हृदय पुनः प्रेम से भर जाता है और अब तो ऐसा लगने लगा है जैसे मेरे दिल में प्रेम के मीठे पानी का कोई सोता (झरना) बह रहा हो। अर्थात कवि का हृदय प्रिय के प्रेम से हरदम भरा रहता हैं। जिस तरह आसमान में चमकते हुए चांद की चांदनी रात भर धरती पर छाई रहती है। ठीक उसी तरह उनके प्रिय के खिलते हुए चेहरे की मुस्कुराहट उन पर हरदम छाई रहती है, जो उनको खुशी व प्रेरणा देती रहती हैं।

यहां कवि द्वारा चाँद की तरह आत्मा पर झुका चेहरा भूलकर अंधकार अमावस्या में नहाने की बात इसलिये कही गई है क्योंकि कवि का व्यक्तित्व अपने प्रिय के प्रेम से पूरी तरह प्रभावित हैं। और उनके जीवन में जो कुछ भी है वह सब उनके प्रिय के कारण ही है। इसीलिए वो अपने प्रिय के प्रेम के प्रभाव से बाहर निकलने के लिए, यथार्थ के धरातल में अपना खुद का अस्तित्व खोजने के लिए उन्हें भूल जाना चाहते हैं।

4. तुम्हें भूल जाने की

दक्षिण ध्रुवी अंधकार- अमावस्या

शरीर पर, चेहरे पर अंतर में पा लूँ मैं

झेलूँ मैं, उसी में नहा लूँ मैं

इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित

रहने का रमणीय यह उजेला अब

सहा नहीं जाता है।

नहीं सहा जाता है।

(क) यहाँ अंधकार- अमावस्या के लिए क्या विशेषण इस्तेमाल किया गया है उससे विशेष्य में क्या अर्थ जुड़ता है?

(ख) कवि ने व्यक्तिगत संदर्भ में किस स्थिति को अमावस्या कहा है?

(ग) इस स्थिति से ठीक विपरीत ठहरने वाली कौन-सी स्थिति कविता में व्यक्त हुई है? इस वैपरीत्य को व्यक्त करने वाले शब्द का व्याख्यापूर्वक उल्लेख करें।

(घ) कवि अपने संबोध्य (जिसको कविता संबंधित है कविता का तुम) को पूरी तरह भूल जाना चाहता है, इस बात को प्रभावी तरीके से व्यक्त करने के लिए क्या युक्ति अपनाई है? रेखांकित अंशों को ध्यान में रखकर उत्तर दें।

उत्तर-

(क) "दक्षिण ध्रुवी" विशेषण "अंधकार अमावस्या" के लिए प्रयोग किया है। दक्षिण ध्रुव पर 6 महीने के दिन और 6 महीने की रात होती है और उस 6 महीने की रात में भी अमावस की रात और अधिक काली व अंधेरी होती है। कवि भी मानते हैं कि अपने प्रिय को भूलने के बाद उनका जीवन भी उन काली अंधेरी रातों की तरह ही हो जायेगा। यानी उनके जीवन की सारी खुशियां खत्म हो जाएंगी।

(ख) कवि ने व्यक्तिगत संदर्भ में दुख के समय को अमावस्या कहा है। जिस प्रकार अंधकार पूरे संसार को ढक लेता है, वैसे ही अपने प्रिय व उनकी यादों को भूलने के बाद उनका जीवन अमावस्या की अंधेरी रातों की तरह हो जायेगा।

(ग) अमावस्या पानि काली अंधेरी रात और ठीक इसके विपरीत "रमणीय उजेला पानि सुंदर उजला प्रकाश जिस तरह अमावस्या दुःख और अवसाद का प्रतीक हैं ठीक उसी प्रकार "रमणीय उजेला प्रसन्नता व खुशी प्रदान करने वाली भावनाएं हैं। ये दोनों स्थितियों सुख और दुख को व्यक्त करती है।

(घ) कवि ने अपनी बात को प्रभावी तरीके से व्यक्त करने के लिए दक्षिण ध्रुव की अमावस्या के अंधकार का प्रयोग किया है कवि अपने प्रिय व उसकी यादों को भूलने के लिए उस घने अँधेरे में खो जाना चाहता है।

प्रश्न-5. बहलाती सहलाती आत्मीयता बरदाश्त नहीं होती है और कविता के शीर्षक सहर्ष स्वीकारा है' में आप कैसे अंतर्विरोध पाते हैं। चर्चा कीजिए।

उत्तर- इसके अंदर व्याप्त अंतर्विरोध हम इस प्रकार पाते हैं। एक तरफ कवि अपनी प्रेमिका के आत्मीय संबंध से सुखी दिखाई देता है। उसे लगता है कि प्रेमिका का आत्मीयपन उसके जीवन में समा चुका है। उसके चेहरे मात्र से ही अपने जीवन को प्रकाशित मानता है। लेकिन दूसरे ही पल वह प्रेमिका की आत्मीयता को सह नहीं पाता। उसे प्रेमिका का अधिक बहलाना और सहलाना अखरने लगता है। उसे यह व्यवहार कष्ट देता है। लेकिन इसके बिना वह जी भी नहीं पाता। इस प्रकार की स्थिति को ही अंतर्विरोध कहते हैं। जहाँ किसी चीज़ के बिना मनुष्य रह नहीं सकता और फिर उससे कष्ट भी पाता है।

(अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर) दीर्घत्तरीय प्रश्न

प्रश्न- 1. निम्नलिखित काव्यांशों का सौंदर्यबोध बताइए?

(क) गरबीली गरीबी यह ये गंभीर अनुभव सब

यह विचार वैभव सब

दृढ़ता यह, भीतर की सरिता यह अभिनव सब

मौलिक है, मौलिक है इसलिए कि पल-पल में जो कुछ भी जाग्रत है अपलक है

संवेदन तुम्हारा !!

उत्तर-

प्रसंग-

प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह-भाग-2' में संकलित, कवि गजानन माधव मुक्तिबोध की कविता सहर्ष स्वीकारा है। से लिया गया है। कविता के इस अंश में कवि ने अपने प्रिय को संबोधित करते हुए कहा है कि उसने जीवन के हर सुख-दुख को सहर्ष स्वीकार किया है।

व्याख्या-

यहां पर कवि अपनी गर्व से युक्त गरीबी से भरी जिंदगी के बारे में बात करते हुए कह रहे हैं कि उन्हें अपनी गरीबी या अभावग्रस्त जिंदगी पर भी गर्व है और इस जिंदगी को जीते हुए उन्होनें जो कुछ भी सीखा है या गंभीरता से अनुभव किया है। उनके विचारों में जो सुंदरता और व्यक्तित्व में दृढ़ता आयी हैं। उनके मन के भीतर जो प्रेम रूपी नदी बह रही हैं। यह सब कुछ नया है। यह सब कुछ मौलिक है यानि उनके पास अच्छा या बुरा, दुःख या सुख जो भी है। वो सब उनका अपना है, वास्तविक है।

कवि आगे कहते हैं कि प्रत्येक क्षण में जो कुछ भी मेरे अंदर जाग्रत हैं. निरंतर हैं वो सब कुछ तुम्हारे ही प्रेम के कारण है। अर्थात कवि ने अपने जीवन में जो कुछ भी पाया है। वह सब उनके प्रिय की प्रेरणा का ही फल है।

विशेष-

भाषा साहित्यक खड़ी बोली है। गरबीली गरीबी, विचार- वैभव ", 'मौलिक है, मौलिक है में अनुप्रास अलंकार है। साथ में मुक्तक छंद का प्रयोग किया गया है। विचार-वैभव और भीतर की सरिता में रूपक अलंकार और पल-पल में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। कविता में श्रृंगार रस हैं।

(ख) सचमुच मुझे दंड दो कि हो जाऊँ

पाताली अँधेरे की गुहाओं में विवरों में

धुएँ के बादलों में बिलकुल मैं लापता

लापता कि वहाँ भी तो तुम्हारा ही सहारा है!!

इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है

या मेरा जो होता-सा लगता है, होता सा संभव है

सभी वह तुम्हारे ही कारण के कार्यों का घेरा है, कार्यों का वैभव है

अब तक तो जिंदगी में जो कुछ था, जो कुछ है

सहर्ष स्वीकारा है

इसलिए कि जो कुछ मेरा है

वह तुम्हें प्यारा है।

उत्तर-

प्रसंग-

प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह-भाग -2' में संकलित कवि गजानन माधव मुक्तिबोध की कविता सहर्ष स्वीकारा है से लिया गया है। कविता कि इस अंश में कवि अपने प्रिय के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं।

व्याख्या-

उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि मेरी हार्दिक इच्छा है कि मैं तुम्हारी स्मृति रूपी पाताली गुफाओं में खो जाऊं। भले ही वह दंड पाकर मुझे कष्ट होगा फिर भी मैं तुम्हारे विस्मृति रूपी धुऐं के बादलों मैं खो जाना चाहता है। लेकिन इन बादलों में भी मुझे तुम्हारा ही सहारा मिल रहा है। अर्थात यहां भी मैं अनुभव कर रहा हूँ कि मेरे जीवन में जो भी प्रकाश विद्यमान है, सभी कुछ तुम्हारे कारण संभव हुआ है। अतः मैं हर स्थिति को तुम्हारी खुशी के लिए सहर्ष स्वीकार करता हूँ।

विशेष-

भाषा साहित्यक खड़ी बोली है। मुक्तक छंद का प्रयोग किया गया हैं। "दंड दो" में अनुप्रास अलंकार हैं। "लापता कि वहाँ भी तो तुम्हारा ही सहारा है में विरोधाभास अलंकार है। कारण के कार्यों सहर्ष स्वीकारा है में अनुप्रास अलंकार है। "होता सा" में उपमा अलंकार है।

2. गजानन माधव मुक्तिबोध का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।

उत्तर: गजानन माधव मुक्तिबोध का जन्म 13 नवंबर 1917 में (ग्वालियर) मध्य प्रदेश में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा उज्जैन में हुई थी। मुक्तिबोध अत्यंत अध्ययन शील थे। उन्होंने अंग्रेजी, फ्रेंच तथा रूसी उपन्यासों के साथ जासूसी उपन्यासों, वैज्ञानिक उपन्यासों विभिन्न देशों के इतिहास तथा विज्ञान विषयक साहित्य का गहन अध्ययन किया। वह तार सप्तक के पहले कवि थे। मुक्तिबोध अस्तित्व वादी विचारधारा के समर्थक थे। उनकी संवेदना एवं ज्ञान का दायरा बहुत व्यापक है। गहन विचार- शीलता और विशिष्ट भाषा- शैली के कारण उनके साहित्य की एक अलग पहचान है। उनका पूरा जीवन संघर्षों तथा विरोधों से भरा रहा है। उन्होंने मार्क्सवादी विचारधारा का अध्ययन किया जिसका असर उनकी कविताओं पर दिखाई देता है।

इन्होंने कविता के साथ-साथ चिंतन, कहानी निबंध, आलोचना, इतिहास आदि विधाओं में भी साहित्य सृजन किया।

इनका निधन 11 सितंबर 1964 हबीबगंज (भोपाल) में हो गया।

उनकी प्रमुख रचनाएं कुछ इस प्रकार है-

कविता संग्रह - चांद का मुंह टेढ़ा है, भूरी भूरी खाक धूल तथा तार सप्तक में रचनाएं प्रकाशित।

कहानी संग्रह - काठ का सपना, विपात्र, सतह से उठता आदमी ।

आलोचना- कामायनी एक पुनर्विचार नई कविता का आत्म संघर्ष, नए साहित्य का सौंदर्यशास्त्र ।

आत्मकथा- एक साहित्यिक की डायरी |

इतिहास- भारत इतिहास और संस्कृति । ।

सम्पूर्ण रचना- मुक्तिबोध रचनावली (छह खंडों में) -

काव्य- सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्नोत्तर

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

1. गरबीली गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सब

यह विचार - वैभव सब

दृढ़ता यह भीतर की सरिता यह अभिनव सब

मौलिक है, मौलिक है।

प्रश्न- (क) 'गरीबी' के लिए 'गरबीली' विशेषण के प्रयोग से कवि का क्या आशय है ? स्पष्ट कीजिए ?

(ख) 'भीतर की सरिता क्या है? 'मौलिक है, मौलिक है 'के' दोहराव से कथन में क्या विशेषता आ गई है।

(ग) काव्यांश की भाषा पर संक्षिप्त टिपण्णी कीजिए ?

उत्तर-

(क) कवि ने गरीबी के लिए गरबीली विशेषण का प्रयोग किया है। गरबीली से तात्पर्य स्वाभिमान' से है। वह गरीबी को महिमामंडित करना चाहता है। उसे अपनी गरीबी भी प्रिय है।

(ख) " भीतर की सरिता का अर्थ है- कवि के हृदय की असंख्य कोमल भावनाएँ। कवि के मन में प्रिया के प्रति अनेक भावनाएँ उमड़ती रहती हैं मौलिक है, मौलिक है' के दोहराव से कवि अनुभूतियों की गहनता व्यक्त करता है।

(ग) कवि ने गरबीनी, गंभीर आदि विशेषणों का सुंदर प्रयोग किया है। भीतर की सरिता लाक्षणिक प्रयोग है। विचार वैभव में अनुप्रास अलंकार है। भावानुकूल तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली में सशक्त अभिव्यक्ति है।

लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न-1 'सहर्ष स्वीकारा है- कविता में कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर- कवि ने इस कविता में अपने जीवन के समस्त खट्टे-मीठे अनुभवों, कोमल, तीखी अनुभूतियों और सुख-दुःख की स्थितियों को इसलिए स्वीकारा है. क्योंकि वह अपने किसी भी क्षण को अपने प्रिय से न केवल जुड़ा हुआ अनुभव करता है, अपितु हर स्थिति को उसी की देन मानता है।

प्रश्न-2 कवि अपनी प्रेमिका से अलग क्यों होना चाहता है?

उत्तर- कवि को अपने भविष्य की चिंता है। उसे आभास होता है कि आगे क्या होगा। उसे यह विश्वास नहीं है कि उसे उसकी प्रेमिका जीवनसाथी के रूप में मिल भी पाएगी या नहीं। अतः वह उसकी आत्मीयता, सांत्वना को सहन नहीं कर पाता।

प्रश्न 3. “सहर्ष स्वीकारा है" में कवि ने जिस चाँदनी को स्वयं सहर्ष स्वीकारा था, उससे मुक्ति पाने के लिए वह अंग-अंग में अमावस की चाह क्यों कर रहा है ?

अथवा

"सहर्ष स्वीकारा है" कविता में कवि प्रकाश के स्थान पर अंधकार की कामना क्यों करता है ?

उत्तर- कवि मानते हैं कि उनके प्रिय के प्रेम की छाँव उनके ऊपर हर पल रहती हैं जो उन्हें चारों तरफ से घेरे रहती हैं और वो अपने जीवन में प्राप्त सभी उपलब्धियों का प्रेरणा स्रोत भी अपने प्रिय को ही मानते हैं। उन्हें लगता हैं कि वो स्वयं कुछ भी कर पाने में सक्षम नहीं है और उनकी अंतरात्मा भी कमजोर और क्षमताहीन हो गई है।

इसी वजह से कवि का हृदय अपराधबोध की भावना से ग्रसित हो जाता है। और कवि अपने प्रिय की अत्यधिक आत्मयीता, संवेदनशीलता, भावात्मक लगाव के दायरे से बाहर निकल कर यथार्थ के धरातल में जीना चाहते हैं। अपना स्वयं का अस्तित्व ढूँढ़ना चाहते हैं। अपने प्रिय से अलग होने की पीड़ा को अपने अंग - अंग में महसूस करना चाहते हैं जो उनके लिए आमावस के गहरे अंधकार के समान ही है।

प्रश्न-4. मुक्तिबोध की कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कवि ने किसे सहर्ष स्वीकारा था और आगे चलकर वह उसी को क्यों भुला देना चाहता है?

उत्तर- इस कविता में कवि ने अपने जीवन में घटित हर घटना को सहर्ष स्वीकारा किया था। क्योंकि उन सब से उनका प्रिय जुड़ा हुआ था। मगर आगे चल कर उनके प्रिय का प्रभाव उनके व्यक्तित्व पर हावी हो गया। अपने प्रिय से मिलने वाली अत्यधिक संवेदनशीलता, आत्मयीता, स्नेह व ममता ने उनको अक्षम व कमजोर बना दिया था।

इसीलिए बाद में कवि अपने प्रिय से दूर होना चाहते है और अपनी जिंदगी को स्वयं अपने बलबूते पर जीना चाहते हैं। अपने व्यक्तित्व में दृढ़ता लाना चाहते हैं।

प्रश्न-5. कवि के जीवन में ऐसा क्या क्या है जिसे उसने सहर्ष स्वीकारा है" ?

उत्तर- कवि ने अभावग्रस्त मगर गर्व से भरी गरीबी, जीवन में आयी सुखद व दुखद अनुभूतियों, खट्टे-मीठे अनुभव, मन में आये सुंदर विचार, व्यक्तित्व में आयी दृढ़ता, हृदय में उपजी कोमल भावनाओं को सहर्ष स्वीकार किया है। क्योंकि यह सब उनके प्रिय से जुड़ा हुआ है।

प्रश्न-6. “सहर्ष स्वीकारा है" कविता में कवि का संबोध्य कौन है ?

उत्तर- "सहर्ष स्वीकारा है" कविता में कवि का संबोध्य उनका अज्ञात प्रिय (पत्नी या प्रेयसी) है। क्योंकि कविता में कवि ने अपने उस रहस्यमय प्रिय को सीधे-सीधे संबोधित नहीं किया है। हाँ, कविता के आधार पर यह कहा जा सकता हैं कि कवि अपने प्रिय से गहरे रूप में जुड़े हुए हैं।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

1. कवि ने अपने जीवन में क्या-क्या स्वीकार किया है?

उत्तर- कवि ने अपने जीवन में गर्वयुक्त गरीबी गंभीर अनुभव, विचार- वैभव, दृढ़ता आदि को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया है।

2. कवि को गरीबी कैसी लगती है और क्यों?

उत्तर- कवि को गरीबी गर्वीली लगती है क्योंकि उसे गरीबी भी उसके प्रेरणास्रोत प्रेमिका द्वारा प्राप्त हुई है।

3. कवि के भीतर कौन पीड़ा पहुँचाती है ?

उत्तर: कवि के भीतर ममता के बादल की मँडराती हुई कोमलता पीड़ा पहुँचाती है।

4. कवि की आत्मा कैसी हो गई ?

उत्तर: कवि की आत्मा कमज़ोर और अक्षम हो गई है।

5. अब कवि को क्या बरदाश्त नहीं होती?

उत्तर: अब कवि को बहलाती, सहलाती आत्मीयता बरदाश्त नहीं होती।

6. कवि किससे दंड की प्रार्थना करते हैं और क्यों ?

उत्तर: कवि प्रभु से दंड की प्रार्थना करते हैं क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में उन्हें भूलने की भूल की है।

7. कवि के व्यक्तिगत संदर्भ में किसे 'अमावस्या' कहा गया है?

उत्तर- कवि के व्यक्तिगत संदर्भ में प्रतिकूल परिस्थितियों एवं पीड़ा को अमावस्या कहा गया है। कवि के जीवन में अपार दुख एवं समस्याओं ने उसे चारों तरफ से घेर लिया था।

8. 'रमणीय उजेला' क्या है और कवि उसके स्थान पर अंधकार क्यों चाह रहा है ?

उत्तरः रमणीय उजेला से तात्पर्य प्रिय की कृपा का प्रतिफल है जो सुख, आनंद से परिपूर्ण है।

9. "तुम से ही परिवेष्टित आच्छादित' - यहाँ 'तुम' कौन है? आप ऐसा - क्यों मानते हैं?

उत्तरः यहाँ तुम कवि का प्रिय है। कवि ने कविता अपने प्रिय को संबोधित करके कही है।

10. दक्षिणी ध्रुव एवं अंधकार से क्या तात्पर्य है

उत्तर- दक्षिणधुवी एवं अंधकार से तात्पर्य दुखों, पीड़ाओं एवं समस्याओं से है।

11. कवि कहाँ लापता होना चाहता है ?

उत्तर- कवि अंधेरी गुफाओं में लापता होना चाहता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तरी

1. मुक्तिबोध का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

क. 13 नवंबर सन् 1917 ग्वालियर

ख. 13 नवंबर सन् 1916 भोपाल

ग. 13 नवंबर सन् 1911 उज्जैन

घ. 13 नवंबर सन् 1918 बनारस

2. मुक्तिबोध की मृत्यु कब और कहाँ हुई थी?

क. 11 सितंबर सन् 1964 दिल्ली

ख. 11 सितंबर सन् 1965 लखनऊ

ग. 11 सितंबर सन् 1964 भोपाल

घ. 11 सितंबर सन् 1970 प्रयाग

3. "सहर्ष स्वीकारा है' का शाब्दिक अर्थ है-

क. दुःख के साथ है

ख. खुशी के साथ है

ग. खुशी से अपनाया है।

घ. इनमें से कोई नहीं

4. मुक्तिबोध को किस युग का कवि माना जाता है-

क. आधुनिक प्रयोगवादी युग

ख. छायावादी युग

ग. द्विवेदी युग

घ. ये सभी

5. भूरि-भूरि खाक धूल, चाँद का मुँह टेढ़ा है, कविता संग्रह है-

क. मुक्तिबोध

ख. निराला

ग. बच्चन

घ. दिनकर

6. कवि ने किसको सहर्ष स्वीकार किया है-

क. लाभ-हानि

ख. अच्छा-बुरा

ग. सुख-दुःख

घ. कोई नहीं

7. कवि अपने प्रेरक व्यक्तित्व किसको मानता है ?

क. माँ

ख. बहन

ग. प्रेमिका

घ. ये सभी

8. कवि किसको भुला देना चाहता है--

क. अपने प्रेरक को

ख. भाई को

ग. पिता को

घ. माँ को

9. कवि चाहकर भी किसको नहीं भूल सकता है-

क. प्रणेता को

ख. प्रेमिका को

ग. ईश्वर को

घ. पत्नी को

10. बहलाती सहलाती आत्मीयता कैसी आत्मीयता है ?

क. संदेशपूर्ण

ख. सांत्वना देने वाली

ग. दुःखद

घ. विचार प्रदान करने वाला

11. 'ममता के बादल' कैसे बादल होते हैं?

क. वर्षा के

ख. आँधी के

ग. प्रेम के

घ. गर्जना के

12. कवि ने अंधकार को कैसा कहा है?

क. दक्षिणी ध्रुवी

ख. उत्तरी ध्रुवी

ग. पूर्वी ध्रुवी

घ. पश्चिमी ध्रुवी

13. कवि से क्या नहीं सहा जाता है?

क. गहन अंधकार

ख. रमणीय उजाला

ग. धूप में खड़ा होना

घ. शोर-शराब

14. 'सहर्ष स्वीकारा है' में ग़रीबी को माना गया है ?

क. कष्टकारी

ख. रंगीली

ग. गरबीली

घ. श्राप

15. 'पाताली अँधेरे की गुहाओं में विवरों में यहाँ विवरों का अर्थ है-

क. बादल

ख. बिल

ग. गुफा

घ. शिविर

16. 'सहर्ष स्वीकारा है' कविता में कवि ने अपनी प्रियतमा के चेहरे की तुलना किससे की है?

क. कमल से

ख. आने से

ग.चाँद से

घ. आकाश से

17. 'सहर्ष स्वीकारा है' कविता के अनुसार ममता के बादल की मंडराती कोमलता कहाँ पिराती है ?

क. बाहर

ख. भीतर

ग. बीच

घ. सर्वत्र

18. 'सहर्ष स्वीकारा है' कविता में बहलाती सहलाती आत्मीयता क्या नहीं होती है?

क. बर्दाश्त

ख. फालतू

ग. जहरीली

घ. कम

19. भीतर की सरिता का अर्थ है-

क. मनोभाव

ख. अशांति

ग. क्रांति

घ. जमीनी नदी 

JCERT/JAC Hindi Core प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

आरोह भाग -2

काव्य - खंड

1.

हरिवंशराय बच्चन -आत्मपरिचय ,एक गीत

2.

आलोक धन्वा-पतंग

3.

कुँवर नारायण-कविता के बहाने,बात सीधी थी पर

4.

रघुवीर सहाय-कैमरे में बंद अपाहिज

5.

गजानन माधव मुक्तिबोध-सहर्ष स्वीकारा है

6.

शमशेर बहादुर सिंह-उषा

7.

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'-बादल राग

8.

तुलसीदास-कवितावली (उत्तर कांड से),लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप

9.

फिराक गोरखपुरी-रुबाइयाँ,गज़ल

10.

उमाशंकर जोशी-छोटा मेरा खेत,बगुलों के पंख

11.

महादेवी वर्मा-भक्तिन

गद्य - खंड

12.

जैनेन्द्र कुमार-बाज़ार दर्शन

13.

धर्मवीर भारती-काले मेघा पानी दे

14.

फणीश्वरनाथ रेणु-पहलवान की ढोलक

15.

विष्णु खरे-चार्ली चैप्लिन यानी हम सब

16.

रज़िया सज्जाद ज़हीर-नमक

17.

हजारी प्रसाद द्विवेदी-शिरीष के फूल

18.

बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर-श्रम विभाजन और जाति-प्रथा,मेरी कल्पना का आदर्श समाज

वितान भाग- 2

1.

मनोहर श्याम जोशी -सिल्वर वैडिंग

2.

आनंद यादव- जूझ

3.

ओम थानवी- अतीत में दबे पाँव

4.

ऐन फ्रैंक- डायरी के पन्ने

अभिव्यक्ति और माध्यम

1.

अनुच्छेद लेखन

2.

कार्यालयी पत्र

3.

जनसंचार माध्यम

4.

संपादकीय लेखन

5.

रिपोर्ट लेखन

6.

आलेख लेखन

7.

पुस्तक समीक्षा

8.

फीचर लेखन

Solved Paper 2023

Arts Paper,

Science/Commerce Paper

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