प्रो. जॉन वान न्यूमैन एवं
आस्कर मोरगेन्स्टर्न ने अपनी पुस्तक "The Theory of Games and Economic
Behaviour' में जोखिमी चुनावों से प्रत्याशित उपयोगिताओं (Expected utilities) की
गणन संख्या (Cardinal) माप विधि का विकास किया। इस तरह के जोखिमी चुनाव जुए, लाटरी
टिकटों, आदि के सम्बन्ध में पाए जाते हैं। इसके लिए उन्होंने एक उपयोगिता सूचकांक
की रचना की जिसे N - M उपयोगिता सूचकांक कहा जाता है।
मान्यताएं
उपयोगिता माप की N-M विधि
निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित है :
(1) व्यक्ति जोखिम अथवा
अनिश्चितता की दशा में अपनी प्रत्याशित उपयोगिता को अधिकतम बनाने का प्रयास करता
है।
(2) उपभोक्ता के चुनाव
सकर्मक (Transitive) होते हैं। यदि वह जीत (पुरस्कार) B की अपेक्षा जीत A को तथा
जीत C की अपेक्षा जीत B को अधिमान देता है तो वह C की अपेक्षा A को अधिमान देगा।
(3) यदि लॉटरी के टिकट
समान पुरस्कार प्रदान करने वाले हैं तो व्यक्ति लॉटरी के उन टिकटों को अधिमान देगा
जिन पर जीतने की सम्भाविता अधिक होगी।
(4) शून्य तथा । के बीच कुछ
प्रायिकता (Probability) P इस तरह होती है (O<P<1) कि व्यक्ति निश्चित
पुरस्कार A और लॉटरी के टिकटों द्वारा प्रदान किए जाने वाले पुरस्कार C तथा
पुरस्कार B की क्रमशः प्रायिकता P तथा 1 - P के बीच तटस्थ रहता है।
(5) अनिश्चित चुनावों के
सम्भावित संयोगों को व्यक्ति पूर्णतया आदेशित (order) कर सकता है।
(6)
अनिश्चितता अथवा जोखिम की दशा में व्यक्ति की अपनी कोई उपयोगिता अथवा अनुपयोगिता नहीं होती।
N-M उपयोगिता सूचकांक (The N-M Utility Index)
प्रो. न्यूमैन मोरगेन्स्टर्न ने उपयोगिता को मापने हेतु निम्नलिखित विधि का सुझाव दिया :
उन्हीं के शब्दों में
"मान लीजिए तीन स्थितियां (Events) C, A तथा B हैं, जिनके लिए व्यक्ति के अधिमान का क्रम वही है जैसा कि पूर्व में उल्लिखित है। अब शून्य और 1 के बीच α एक ऐसी वास्तविक संख्या है कि A उतनी ही वांछनीय है जितनी B के लिए सम्भाविता 1- α के परिवर्तन से बनी स्थिति और C के लिए सम्भाविता a की शेष सम्भाविता की स्थिति। तब हम B पर C के अधिमान से B पर A के अनुपात के संख्यात्मक आगणन हेतु α के प्रयोग का सुझाव देते हैं।"
N-M
के उपर्युक्त सुझाव के अनुसार सूत्र रूप में इसे व्यक्त किया जा सकता है :
A =
B (1-α) +
α C
यहां α घटना
(event) के घटित होने की सम्भाविता है। यदि सम्भाविता α के स्थान पर P को प्रति- स्थापित कर दिया जाए तो समीकरण इस तरह होगा :
A =
B (1-P)+P-C
मान्यताओं के दिए होने पर
उपर्युक्त सूत्र की सहायता से उपभोक्ता के गणनावाचक उपयोगिता सूचकांक (cardinal
utility index) की रचना की जा सकती है।
मान लीजिए, तीन स्थितियां
पूर्वोक्त क्रम में C, A तथा B हैं। इसमें स्थिति A निश्चित है, स्थिति C की
सम्भाविता P तथा B की सम्भाविता (1 - P) है। यदि तीनों की उपयोगिताएं क्रमशः U
(A), U (C) तथा U (B) हों तो उपयोगिता सूचकांक सूत्र को निम्नवत् प्रदर्शित किया
जा सकता है :
U(A) = P.U(C) + (1 - P)
U(B)
चूंकि उपभोक्ता उपयोगिता
को अधिकतम बनाने का प्रयास करेगा अतः निश्चित स्थिति A की उपयोगिता अवश्य ही P के
उस मूल्य के बराबर होनी चाहिए जो स्थितियों C तथा B की सम्भावित उपयोगिता है।
N-M समीकरण के आधार पर
उपयोगिता सूचकांक के निर्माण हेतु हमें C तथा B घटनाओं (events) को काल्पनिक
उपयोगिता मूल्य संख्याओं के रूप में प्रदान करने होंगे। यद्यपि ये उपयोगिता अंक
शुद्ध रूप से काल्पनिक (arbitrary) होते हैं फिर भी अपेक्षाकृत अधिक अधिमान वाली
स्थिति को अधिक उपयोगिता मूल्य प्रदान किया जाता है।
मान लीजिए कि C की
उपयोगिता = 100 यूटिल, B की उपयोगिता = 0 यूटिल तथा P का मूल्य = 415 है, तब
`=80+\frac{1}5(0)`
= 80
अतः इस स्थिति में
उपयोगिता सूचकांक हैं,
स्थिति |
U(A) |
U(B) |
U(C) |
1 |
80 |
0 |
100 |
उसी तरह B तथा C घटनाओं को अनुमानित (अथवा काल्पनिक) उपयोगिता अंक प्रदान कर
U(A) के लिए विभिन्न संख्यात्मक मूल्यों की गणना की जा सकती है।
इस तरह, उपरोक्त प्रक्रिया
के आधार पर U(A), U(C), तथा U(B), आदि के मूल्य ज्ञात किए जा सकते हैं और
जोखिमयुक्त अथवा उपयोगिता सम्भाविता की दो काल्पनिक स्थितियों से प्रारम्भ करके
समस्त सम्भव संयोगों के पूर्ण N-M उपयोगिता सूचकांक का निर्माण किया जा सकता है।
मूल्यांकन
N-M उपयोगिता सूचकांक जोखिमपूर्ण
चुनावों के अन्तर्गत गणना संख्या उपयोगिता का संकल्पनात्मक माप प्रस्तुत करता है।
इसका उपयोग जुआ खेलने व लाटरी टिकटों, आदि से सम्बन्धित दो या अधिक विकल्पों के
सम्बन्ध में भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है कि उनमें से किसे जुआरी अथवा
खिलाड़ी अधिक अधिमान देता है।
N-M उपयोगिता सूचकांक की
इस आधार पर आलोचना की जाती है कि यह उपयोगिता के प्रत्याशित अथवा सम्भावित मूल्यों
पर आधारित है। यह मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता को गणनात्मक संख्या द्वारा मापने की
विधि प्रदान करता है, परन्तु यह इस तथ्य की ओर संकेत नहीं करता कि मुद्रा की
सीमान्त उपयोगिता बढ़ती है अथवा घटती है। इस दृष्टि से उपयोगिता माप की यह विधि
अधूरी है।
उपयोगिता माप की N-M विधि
जो जोखिमपूर्ण चुनाव करने वाले व्यक्ति की क्रियाओं का विश्लेषण करती है वह
नवप्रतिष्ठित गणनावाचक उपयोगिता दृष्टिकोण से भिन्न है। यह लम्बाई अथवा भार के माप
की तरह नहीं है। न ही यह वस्तुओं एवं सेवाओं से प्राप्त अन्तर्दर्शी सन्तुष्टि
अथवा आनन्द की तीव्रता की मापक है जैसा कि नवप्रतिष्ठित उपयोगिता विश्लेषण में
होता है।
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