विलियमसन का उपयोगिता अधिकतमीकरण मॉडल (Williamson's Utlity Maximisation Model)

विलियमसन का उपयोगिता अधिकतमीकरण मॉडल (Williamson's Utlity Maximisation Model)

विलियमसन का उपयोगिता अधिकतमीकरण मॉडल (Williamson's Utlity Maximisation Model)

प्रश्न - विलियमसन के प्रबंधकीय उपयोगिता अधिकतम करने के मॉडल की व्याख्या करें। यमॉडल फर्म के संतुलन की व्याख्या कैसे करता है?

विलियमसन ने लाभ अधिकतमीकरण परिकल्पना के विपरीत उपयोगिता अधिकतमीकरण परिकल्पना पर आधारित मॉडल का विकास किया है। इस मॉडल को प्रबन्धकीय विवेक सिद्धान्त (Managerial Discretion Theory) के नाम से भी जाना जाता है।

शेयरधारकों एवं प्रबन्धकों के दो अलग-अलग समूह होते हैं। शेयरधारक अपने निवेश पर अधिकतम प्रतिफल चाहते हैं, ताकि लाभ अधिक हो सके। प्रबन्धक इस बात में अभिरुचि रखते हैं कि प्रबन्धकीय उपयोगिता अधिकतम हो अर्थात् प्रबन्धक अपने स्टाफ की संख्या और उन पर किए जाने वाले व्यय एवं अन्य विवेकाधीन निधियों में किए जाने वाले व्यय में भी रुचि रखते हैं। अधिकतम उपयोगिता के अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए प्रबन्धक फर्मों के संसाधनों को तीन तरह से दिशा निर्देश देते हैं :

(1) वह अपने स्टाफ और उनके वेतन में वृद्धि करना चाहता है।

(2) अपनी उपयोगिता को अधिकतम करने के लिए प्रबन्धक सुन्दर लड़कियों को निजी सचिव बनाने, कम्पनी कारों, अधिक से अधिक टेलीफोनों तथा कर्मचारियों के लिए अन्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने में लग जाते हैं। विलियमसन ने ऐसे खर्चों को 'प्रबन्धन-शिथिलता' (Management Slack) माना है।

(3) प्रबन्धक एक विवेकाधीन कोष (discretionary funds) की स्थापना करना चाहता है ताकि वह अपनी इच्छित कम्पनी परियोजना में अग्रिम निवेश कर सके अथवा उसको विशाल बना सके। विवेकाधीन निवेश अथवा लाभ वह राशि है जो कि कर और शेयरधारकों को लाभांश देने के उपरान्त फर्म के प्रभावी नियन्त्रण के लिए प्रबन्धक के पास शेष रहती है।

प्रबन्धक के उपयोगिता फलन को निम्नवत् व्यक्त किया जा सकता है :

U = ¦(S, M, D)

जहां, U = उपयोगिता फलन, S = स्टाफ व्यय, M = प्रबन्धन शिथिलता तथा D = विवेकाधीन निवेश ।

ये निर्णय चर (S, M. D) धनात्मक उपयोगिता प्रदान करते हैं तथा फर्म सदा उनके मूल्य का चयन S 0, M ≥ 0, D 0 प्रतिबन्धशर्त के अधीन करती है। विलियमसन घटती सीमान्त उपयोगिता का नियम लागू होना मानता है अतः S, M और D प्रत्येक में वृद्धि की जाती है तो वे प्रबन्धक की उपयोगिता में थोड़ी वृद्धि करते हैं।

इसके अतिरिक्त, विलियमसन कीमत (P) को उत्पादन (X), स्टॉफ व्यय (S) और वातावरण की स्थिति जिसे वह मांग परिवर्तन पैरामीटर (demand shift parameter) (E) मानता है, के फलन के रूप में स्वीकार करता है। अर्थात्

यह सम्बन्ध निम्नलिखित प्रतिबन्धों के अधीन कार्य करता है :

(क) मांग फलन ऋणात्मक ढाल वाला है, `\frac{\partial P}{\partial Y}<0`

(ख) स्टाफ व्यय फर्म की वस्तु की मांग बढ़ाने में सहायक है, `\frac{\partial P}{\partial S}>0`

(ग) मांग परिवर्तन पैरामीटर (E) में वृद्धि से मांग बढ़ती है, `\frac{\partial P}{\partial E}>0`

ये सम्बन्ध बताते हैं कि X के लिए मांग P के साथ ऋणात्मक रूप से सम्बन्धित है जबकि S और E के साथ धनात्मक रूप से सम्बन्धित है। जब मांग में वृद्धि होती है तब उत्पादन और स्टॉफ पर व्यय भी बढ़ेंगे जो फर्म की लागतों को बढ़ा देंगे और फलस्वरूप कीमत बढ़ेगी और विलोमशः भी।

अपने मॉडल को औपचारिक स्वरूप प्रदान करने के लिए विलियमसन चार विभिन्न प्रकार के लाभों की बात करते हैं : वास्तविक लाभ, रिपोर्टेड लाभ, न्यूनतम आवश्यक लाभ तथा विवेकाधीन लाभ।

यदि R = आगम (revenue), C = सकल उत्पादन लागत (total production costs) तथा T = कर (taxes), तो वास्तविक लाभ,

ΠA = R - (C+S)

यदि प्रबन्धात्मक आय (M) को वास्तविक लाभों में से घटा दिया जाए तो रिपोर्टेड लाभ,

ΠR = ΠA -M = R-C-S-M

न्यूनतम आवश्यक लाभ, 16. टैक्स भुगतान के पश्चात् लाभो वे फर्म के शेयरों को अपने पास रख सकें। विवेकाधीन लाभ (D) वे होते हैं जो प्रबन्धक के पास कर और शेयरधारकों को लाभांश देने के उपरान्त बचते हैं। इस तरह,

D = ΠRΠ0

विलियमसन के उपयोगिता अधिकतमीकरण मॉडल को निम्न चित्र की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है। विलियमसन के उपयोगिता अधिकतमीकरण मॉडल को चित्र द्वारा व्यक्त करने के लिए, सरलता के लिए यह मान लिया जाता है कि

W = ¦ (S, D)

विवेकाधीन लाभों (D) को अनुलम्ब अक्ष पर और स्टाफ व्यय (S) को क्षैतिज अक्ष पर चित्र-3 में मापा गया है।

विलियमसन का उपयोगिता अधिकतमीकरण मॉडल (Williamson's Utlity Maximisation Model)

चित्र-3 में FC सम्भाव्यता वक्र है जो प्रबन्धक को प्राप्य D और S के संयोगों को दर्शाता है। इसे लाभ-स्टॉफ वक्र भी कहते हैं। UU1 और UU₂ वक्र प्रबन्धक के उपयोगिता वक्र हैं जो D और S के संयोगों को दिखाते हैं। जब हम लाभ-स्टाफ वक्र पर बिन्दु F से ऊपर की ओर गति करते हैं, तो लाभ और स्टाफ व्यय दोनों बढ़ते हैं जब तक कि बिन्दु P नहीं पहुंच जाता है। फर्म के लिए P लाभ अधिकतमीकरण का बिन्दु है, जहां SP अधिकतम लाभ का स्तर है जब OS स्टाफ व्यय किए जाते हैं, परन्तु फर्म का सन्तुलन तब होता है जब प्रबन्धक का उच्चतम वक्र UU₂ और FC वक्र एक-दूसरे को M बिन्दु पर स्पर्श करते हैं। इस बिन्दु M पर प्रबन्धक की उपयोगिता अधिकतम हो जाती है। विवेकाधीन लाभ OD = (S,M) अधिकतमीकरण लाभों SP से कम हैं, परन्तु स्टाफ पारिश्रमिक (emoluments) OS₁ अधिकतम हो जाता है। विलियमसन यह बताता है कि कर, व्यावसायिक स्थितियों में परिवर्तन, आदि कारक सम्भाव्यता वक्र को प्रभावित करके इष्टतम स्पर्श बिन्दु, जैसे चित्र में M₁ को शिफ्ट कर सकते हैं। इसी प्रकार स्टॉफ, उसके पारिश्रमिक, शेयरहोल्डरों के लाभों में परिवर्तन, आदि घटक उपयोगिता फलन की आकृति परिवर्तित करके इष्टतम स्थिति को शिफ्ट कर सकते हैं।

समीक्षात्मक मूल्यांकन

विलियमसन का उपयोगिता अधिकतमीकरण मॉडल बॉमोल (Baumol) के विक्रय अधिकतमीकरण मॉडल से श्रेष्ठ है, क्योंकि यह बॉमोल के सिद्धान्त में उपस्थित तत्वों की विवेचना करता है। बॉमील की तरह विलियमसन विक्रय अधिकतमीकरण को एक एकल मापदण्ड के रूप में नहीं मानता, बल्कि इसे प्रबन्धक का एक साधन मानता है जिससे कि स्टाफ और उसकी आय को बढ़ाया जा सके। यह व्याख्या अधिक वास्तविक है।

विलियमसन मॉडल में लाभ अधिकतमीकरण मॉडल की तुलना में उत्पादन अधिक और कीमत तथा लाभ कम होते हैं। जैसा कि सिलबर्सटन ने इंगित किया है कि विलियमसन का मॉडल पूर्ण अथवा विशुद्ध प्रतियोगिता की स्थितियों में सामान्य लाभ अधिकतमीकरण मॉडल के परिणामों को सुरक्षित रखता है।

इसके अतिरिक्त विलियमसन का मॉडल अनेक आनुभविक प्रमाणों द्वारा समर्थित है।

कमियां-इस मॉडल की प्रमुख कमियां इस प्रकार हैं :

1. विलियमसन मॉडल सम्भाव्यता वक्र की व्युत्पत्ति के आधार को स्पष्ट नहीं करता।

2. इस मॉडल में, उपयोगिता वक्र में स्टाफ और प्रबन्धक के पारिश्रमिकों को एकीकृत कर दिया गया है। इस प्रकार प्रबन्धक के गैर-आर्थिक और आर्थिक लाभों को मिला देने से उपयोगिता फलन अस्पष्ट हो जाता है।

3. यह मॉडल अल्पाधिकार परस्पर निर्भरता और अल्पाधिकार स्पर्द्धा पर विचार नहीं करता।

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