प्रश्न :- ऐरो की असंभवता या असम्भावना सिद्धांत की
आलोचनात्मक व्याख्या करें?
उत्तर :- बर्गसन (Bergson) ने अपने सामाजिक कल्याण फलन में
दिखाया है कि वैकल्पिक आर्थिक स्थितियों का सामाजिक श्रेणीकरण केवल उपयोगिता की
ऐसी अन्तर्वेयक्तिक तुलनाएँ करके ही किया जा सकता है। के.जे. ऐरो ने अपने
"सामाजिक चुनाव एवं व्यक्तिगत मूल्य" (Social Choice and Individual
Values) में दिखाया है कि यदि व्यक्तिगत अधिमान संगत भी हों, तब भी सामाजिक कल्याण
फलन उपलब्ध करना असम्भव है।
कसौटियाँ
(1) असम्बद्ध विकल्पों से स्वतंत्रता (Independence of irrelevant alternatives) - सामाजिक
चुनावों का असंबद्ध विकल्पों से स्वतन्त्र होना जरूरी है। दूसरे शब्दों में कहा जा
सकता है कि यदि किसी एक विकल्प का बहिष्कार कर दिया जाए, तो उससे अन्य विकल्पों के
श्रेणीकरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
(2) गैर-डिक्टेटराना (Non-dictatorship) सामाजिक चुनाव डिक्टेटराना नहीं होने
चाहिए। वे समाज के भीतर किसी एक व्यक्ति द्वारा आरोपित न किए जाएँ।
(3) ना-आरोपण (Non-imposition) रीति-रिवाजों द्वारा अथवा समाज के बाहर से सामाजिक चुनावों
का आरोपण नहीं होना चाहिए। वे व्यक्तिगत अधिमानों से ही व्युत्पन्न हों।
(4) व्यक्तिगत अधिमानों की अनुक्रियाशीलता (Responsiveness to individual preferences)- सामाजिक
चुनावों का व्यक्तिगत अधिमानों से सीधा संबंध होना चाहिए।
(5) सामूहिक विवेकशीलता (Collective rationality) सभी संभव विकल्प सामाजिक चुनाव
से व्युत्पन्न होने चाहिए जो आगे विवेकशीलता पर आधारित हों। इस क्रमबद्धता को दो
शर्तें अवश्य पूरी करनी चाहिए:
(i) संगति और
(ii) सकर्मकता।
संगति का संबंध इस आवश्यकता से है कि व्यक्तियों के अधिमान
पूरी तरह परिभाषित होते हैं, अर्थात् प्रत्येक विकल्प दूसरे प्रत्येक के संबंध में
श्रेणीबद्ध किया जाता है। । दूसरी शर्त यह है कि सामाजिक चुनावों को सकर्मकता की
शर्त पूरी करनी चाहिए। यदि एक व्यक्ति Y की अपेक्षा X को और Z की अपेक्षा Y को
प्राथमिकता देता है तो वह Z की अपेक्षा X को प्राथमिकता दे। इस प्रकार, व्यक्तिगत
अधिमानों की तरह, सामाजिक अधिमान भी पूर्णतया क्रमबद्ध होने चाहिए।
सामाजिक चुनाव असंगत अथवा अप्रजातान्त्रिक है क्योंकि कोई
भी मतदान प्रणाली इन पाँचों शर्तों को पूरा
नहीं होने देती। इसे ऐरो असंभवता प्रमेय (Arrow Impossibility Theorem) कहा जाने
लगा है।
मान लीजिए कि समाज में A, B, C नाम के तीन व्यक्ति हैं।
उन्हें तीन वैकल्पिक स्थितियों का श्रेणीकरण करने को कहा गया है। वे अपना मत देते
समय प्रथम चुनाव सूचित करने को 3 का अंक, दूसरा चुनाव सूचित करने को 2 का अंक और
तीसरा सूचित करने को 1 का अंक लिखते हैं। मान लीजिए उनके मतदान का ढंग वह है जो
नीचे तालिका में दिखाया गया है।
तालिका
व्यक्ति |
वैकल्पिक स्थितियाँ |
||
|
X |
Y |
Z |
A |
3 |
2 |
1 |
B |
1 |
3 |
2 |
C |
2 |
1 |
3 |
इस तालिका से पता चलता है कि प्रत्येक व्यक्ति के अधिमान संगत हैं। A नामक व्यक्ति Y की अपेक्षा X को, Z की अपेक्षा Y को और इसलिए Z की अपेक्षा X को अधिमान देता है। B नामक व्यक्ति Z की अपेक्षा Y को, X की अपेक्षा Z को और इसलिए X की अपेक्षा Y को अधिमान देता है। C नामक व्यक्ति X की अपेक्षा Z को, Y की अपेक्षा X को और इसलिए Y की अपेक्षा Z को अधिमान देता है, परन्तु बहुमत मतदान से असकर्मक सामाजिक ढाँचे प्राप्त होते हैं। A तथा C नामक दो व्यक्ति Y की अपेक्षा X को प्राथमिकता देते हैं। A तथा B नामक दो व्यक्ति Z की अपेक्षा Y को प्राथमिकता देते हैं। फिर, B तथा C नामक व्यक्ति X की अपेक्षा Z को प्राथमिकता देते हैं। अतः अधिकांश व्यक्ति (बहुमत) Y की अपेक्षा X को और Z की अपेक्षा Y को और इसलिए X की अपेक्षा Z को भी प्राथमिकता देते हैं। इसे चित्र में व्यक्त किया गया है जो बहु-नुकीला ढाँचा (multiple-peaked pattern) दर्शाता है।
इस प्रकार ऐरो स्पष्ट करता है कि मतदान की प्रजातन्त्रीय
प्रक्रिया के प्रयोग से परस्पर विरोधी कल्याण कसौटियाँ बनती हैं। इस प्रकार, यदि एक
भी शर्त का अभाव हो, तो सामाजिक
कल्याण फलन को सूत्रबद्ध करना संभव नहीं है।
आलोचनाएँ (Criticisms)
सैम्यूल्सन, लिट्टल तथा अन्य कल्याण अर्थशास्त्रियों ने ऐरो
के सामान्य असंभवता प्रमेय की आलोचना की है।
(1) बहुमत मतदान ढाँचा अवास्तविक (majority voting pattern unrealistic) - फिर, ऐरो का प्रमेय
बहुमत मतदान के ढाँचे पर आधारित है जो कि मतदान प्रणाली की संभाव्यता पर ध्यान नहीं
देता जिसमें सर्वसम्मत्ति की जरूरत है और जो मतों के क्रय-विक्रय तक की अनुमति देता
है।
(2) सामाजिक चुनाव एकमात्र विकल्प नहीं (Social choice not the only alternative) -
बोमोल ने स्पष्ट किया है कि ऐरो
की जरूरतें उसकी अपेक्षा अधिक कड़ी हैं जैसे वे पहले-पहल देखने में प्रतीत होत्ती हैं
और कि असंगत अथवा "अप्रजातन्त्रात्मक" चुनाव करना ही एकमात्र विकल्प नहीं
है।
(3) गणितीय राजनीति (Mathematical politics) सैम्यूल्सन का मत है कि ऐरो ने
एक ऐसे "राजनैतिक व्यवस्था फलन" की असंभवता सिद्ध की है जो अपने निकट लाए
जाने वाले किन्हीं अन्तर्वेर्वैयक्तिक भेदों का समाधान कर सकेगा और साथ ही कुछ तर्कसंगत
एवं वांछनीय स्वयं-सिद्ध सिद्धान्तों को भी संतुष्ट करेगा।
(4) अन्तवैयक्तिक तुलनाओं का हल नहीं (No solution to interpersonal comparisons) - मिशन के अनुसार,
एक संतोषजनक सामाजिक कल्याण फलन की खोज में ऐरो उपयोगिता की अन्तर्वैयक्तिक तुलना की
समस्या को सुलझाने में असफल रहता है। बहुमत व्यक्ति Y की अपेक्षा X को प्राथमिकता देते
हैं, तब X के पक्ष में बहुमत निर्णय का मतलब है कि ४ की अपेक्षा X को प्राथमिकता केवल
उपयोगिता को अधिकतम करने के उद्देश्य से दी जाती है तथा एक व्यक्ति का चुनाव दूसरे
व्यक्ति की तुलना में समान उपयोगिता का होता है।
(5)
सामाजिक कल्याण फलन से संबद्ध नहीं (Not related to
social welfare function) – लिट्टल के अनुसार, ऐरो के नकारात्मक निष्कर्षों की कल्याण
अर्थशास्त्र में कोई संगति नहीं है। उसका असंभवता प्रमेय केवल निर्णय करने की प्रक्रिया
से संबंधित है।
इन
आलोचनाओं के बावजूद ए.के. सेन (A.K. Sen) का सुनिश्चित मत है कि "ऐरो का निष्कर्ष
न केवल व्यक्तिगत मूल्यों के संयोजन के ऐसे तरीकों पर जैसे कि बहुमत निर्णयों का तरीका-लागू
होता है, अपितु किसी भी ऐसे तरीके पर भी लागू होता है जिसकी हम कल्पना कर सकें। प्रमेय
पूर्ण रूप से सामान्य है और इसी में इसकी सुन्दरता तथा महत्ता निहित है। हम इस बात
में स्वतन्त्र हैं कि हम अधिमानों के संयोजन का कोई भी तरीका चुन लें।”
कल्याण अर्थशास्त्र के राजनीतिक पहलू (Political Aspects of Welfare Economics)
हाल के वर्षों में अर्थशास्त्रियों ने उस ढंग की जाँच करने
में रुचि ली है जिसके द्वारा राजनीतिक संस्थाएँ सामाजिक कल्याण संबंधी व्यक्तिगत
विचारों को समन्वित करने का कार्य कर रही हैं। इन अध्ययनों से पता चला है कि मतदान
विधियाँ कैसे समन्वय का कार्य करती हैं। एन्थोनी डाउन्स (A. Downs) तथा बुकैनन
(Buchanan) और टुलॉक (Tullock) उन अर्थशास्त्रियों में प्रमुख हैं जिन्होंने
लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के मतदान-नमूनों को तैयार किया है।
स्थानीय, राज्य अथवा राष्ट्रीय स्तर पर दल के कार्यकर्ता
अथवा मतदाता के रूप में राजनीतिक भागीदारी के द्वारा व्यक्ति, कल्याण बढ़ाने वाले
कार्यों में अपना योगदान दे सकता है।
राजनीतिक भागीदारी को नीचे के चित्र में पेरेटो इष्टतमता के रूप में चित्रित किया जा सकता है।
मान लें दो व्यक्ति A और B हैं जिन्हें सरकार द्वारा दो
वस्तुएँ X तथा Y एक निश्चित मात्रा में दी गई हैं। Oa उपभोक्ता A का मूल और Ob
उपभोक्ता B का मूल स्थान है। इस रेखाचित्र की दो धुरियों Oa तथा Ob की अनुलंब
भुजाएँ वस्तु Y और क्षैतिज भुजाएँ वस्तु X को दर्शाती हैं। A उपभोक्ता के उदासीनता
मापचित्र को A1, A2 तथा A3 वक्रों द्वारा तथवा B
के मापचित्र को B1, B2 और B3 वक्रों द्वारा
दर्शाया गया है। मान लें कि दोनों व्यक्ति बिन्दु E पर हैं। यह परेटो इष्टतमता की
स्थिति नहीं है क्योंकि दोनों उदासीनता वक्रों A1 तथा B1 की
ढलान समान नहीं है। अतः उन्हें E स्थान से P,Q अथवा R पर लाने
के लिए सरकार के किसी भी पुनर्गठन को दोनों उपभोक्ता अपनी सर्वसम्मति प्रदान करेंगे। ऐसी राजनीतिक कार्रवाई
प्रत्येक स्थिति में परेटो इष्टतम होगी।
माले लें A और B दो व्यक्तियों की बजाय
दो समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा समूह A में समूह B-की अपेक्षा अधिक मतदाता
हैं। कोई पुनर्गठन जो उन्हें A1 और B₁ वक्रों के क्षेत्र के भीतर E स्थान
से किसी ओर स्थानांतरित कर देता है और ऐसी स्थिति में पुनः परेटो इष्टतम होगा जिसे
दोनों समूहों से सर्वसम्मत समर्थन प्राप्त होगा।
यदि किसी सरकारी कार्रवाई से अधिकांश लोग संतुष्ट होते हैं तो भी कुछ लोग असन्तुष्ट भी होंगे जिसके कारण परेटो इष्टतमता की स्थिति सम्भव नहीं होगी।
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