
प्रश्न :- गुडविन के व्यापार चक्र मॉडल की व्याख्या करिए।
यह हिक्स के व्यापार चक्र मॉडल से कैसे भिन्न है?
उत्तर :- गुडविन का व्यापार चक्र मॉडल एक अरेखीय
(nonlinear) मॉडल है। इसकी मुख्य विशेषता रेखीय उपभोग फलन C = αY + C0 जहां α = उपभोग-आय अनुपात एवं शुद्ध निवेश, पूंजी स्टॉक में परिवर्तन की दर के बराबर
है तथा C0 = स्वायत्त उपभोग है। यह शुद्ध
(net) निवेश (1) वास्तविक पूंजी K और इच्छित पूंजी `\overline K` के बीच
समायोजन का परिणाम हैं जहां इच्छित पूंजी `\overline K`= βY + a जहां β त्वरक है। `\overline K` उत्पादन के समानुपाती होता है। त्वरक का प्रयोग
शुद्ध निवेश की व्याख्या के लिए किया जाता है। शुद्ध निवेश में परिवर्तन उत्पादन
में परिवर्तन से उत्पन्न होता है जो पूंजी के इच्छित स्तर को परिवर्तित करता है।
जिससे त्वरक, जो अरेखीय (nonlinear) है, उत्पादन में परिवर्तन पर निवेश की
अप्रत्यक्ष निर्भरता उत्पन्न करता है।
गुडविन शुद्ध निवेश के लिए तीन संभावनाओं को दर्शाता
है :
(1)
जब `\overline K`> K, शुद्ध निवेश में परिवर्तन
की दर बढ़ेगी जिससे पूंजी वस्तु उद्योगों के लिए प्रणाली (अर्थव्यवस्था) पूर्ण क्षमता
उत्पादन पर शिफ्ट हो जाएगी।
(2) जब `\overline K`= K तो यह स्थिति प्रतिस्थापन मांग को पूरा करके कायम की जाती है तथा शुद्ध निवेश
को शून्य रख कर, अर्थात I = 0, जहां `\overline K`= K
(3) जब K > `\overline K` समायोजन एक विशेष बेकार पूंजी
दर (scrappage rate-K2) के होने पर होता है।
चक्रीय पथ (Cyclical Path)
चक्रीय गति के पथ की व्याख्या के लिए K₁ = (`\overline K` >
K) पूंजी वस्तु क्षमता उत्पादन दर
और
K2 (= K> `\overline K`) बेकार पूंजी की दर मान लेते
हैं।
प्रणाली का चक्रीय पथ निम्न
प्रकार से वर्णित किया जा सकता है :
K = `\overline K` की
स्थिति से प्रारंभ करने पर, जहां उत्पादन का संतुलन स्तर `Y=\frac1{1-\alpha}\left(C_0+1\right)` है और स्वायत्त निवेश I = a तकनीकी वृद्धि कारक
(technological growth factor) है जिससे यह प्रणाली एक संतुलन पथ पर आगे बढ़ जाती
है। यह पथ हिक्स मॉडल की EE रेखा के अनुरूप है। परन्तु हिक्स स्वायत्त निवेश में
धीमी वृद्धि पर विचार करता है, जबकि गुडविन का मॉडल इच्छित पूंजी में वृद्धि पर
आधारित है जो निरन्तर होने वाले तकनीकी परिवर्तन का परिणाम होती है। जब कभी संतुलन
से विचलन होता है तो यह प्रणाली पुनः संतुलन की ओर नहीं जाएगी और संतुलन पथ के
आस-पास निरन्तर उतार-चढ़ाव होगा। मान लो कि `\overline K` = K तो इच्छित पूंजी स्टाक अधिक होने से निवेश में वृद्धि होती है और गुणक एवं
त्वरक की प्रेरक शक्तियां आर्थिक प्रणाली को आगे की ओर धकेलेंगी। विस्तार
(expansion) की इस अवस्था के दौरान, मूल्यह्मस की स्थिर दर दी होने पर, शुद्ध
निवेश उत्पादन में परिवर्तन के अनुपात में बढ़ रहा है। चूंकि गुडविन मॉडल का त्वरक
अरेखीय है इसलिए निवेश का बढ़ाना, उत्पादन में वृद्धि से नहीं बल्कि पूंजी के
वास्तविक स्टॉक (K) और इच्छित स्टाक `\overline K` के बीच
अन्तर से संबंधित होता है, जो अन्तर उत्पादन में परिवर्तन की दर द्वारा निर्धारित
होता है। निवेश संबंध के निरंतर होने के कारण, इस अवस्था के प्रारंभ होने से निवेश
तत्काल चरम (extreme) स्थिति में धकेल दिया जाता है। इस प्रकार विस्तार एक ऐसी
स्थिति है जहां `I=\frac{dk}{dt}=K_1` है, जो
उत्पादन में अधिक वृद्धि को कम कर देता है। यह कमी त्वरक को असतत् (discontinuous)
कर देती है। विस्तार (expansion)
में `\overline K`> K होता है परंतु चोटी (peak) पर K = `\overline K` जो `\overline K` में वृद्धि की दर में कमी के कारण होता है।
जब एक बार इच्छित पूंजी, `\overline K` वास्तविक
पूंजी K से आगे हो जाती है तो पूंजी का इच्छित स्टॉक
`\overline K` बेकार
पूंजी (scrappage) या प्रतिस्थापन (replacement) दर के बराबर होगा। इस प्रकार, `\overline K` में
कमी होने से इसी दर से पूंजी स्टॉक में भी कमी होती है। परिणामस्वरूप, आर्थिक प्रणाली
संकुचन पथ (contraction path) पर नीचे की ओर गिरती है।
संकुचन
अवस्था में K > `\overline K` होता
है तथा K एवं `\overline K` के बीच
के अन्तर को K2 की दर
द्वारा समाप्त करना होता है। परन्तु उसी समय इच्छित पूंजी `\overline K` तकनीकी
वृद्धि कारक, a द्वारा बढ़ती रहती है। गुडविन के अनुसार, K और `\overline K` के बीच का अन्तर अतिरिक्त क्षमता के प्रतिस्थापन (replace) करने
की असफलता और पूंजी-प्रयोगकारी नवप्रवर्तनों (capital using innovations) के स्थिर
गति में होने से समाप्त किया जा रहा है। इस प्रकार संकुचन पथ अर्थव्यवस्था को I =-
K2 के
निम्नतर चरम बिन्दु पर धकेल देता है।
जब अर्थव्यवस्था. निम्न मोड़ बिन्दु (lower
turning point) पर K = `\overline K` पहुंच
जाती है तो इच्छित पूंजी, `\overline K` के
स्तर को बढ़ाना होता है। ऐसा स्थिर तकनीकी वृद्धि कारक a के प्रोत्साहन द्वारा संभव होता है। इस प्रकार `\overline K`> K होने पर, विस्तार फिर प्रारंभ हो जाता है। जब तक
तकनीकी प्रगति होती रहती है, अर्थव्यवस्था निम्न मोड़ बिन्दु पर अटकी नहीं रह सकती
है। वास्तव में, तीव्र तकनीकी प्रगति इस बिन्दु को शीघ्र ला देगी और अर्थव्यवस्था
जल्दी विस्तार करेगी। हिक्स मॉडल के विपरीत गुडविन का चक्र (cycle), शिखर
(ceiling) या तल (floor) स्तरों के साथ नहीं रेंगता है बल्कि यह उन स्तरों से
उछलता है। तेजी, और मंदी दोनों अपने संकुचन और पुनरुत्थान (recovery) शीघ्र स्वयं
ही लाते हैं। यदि वृद्धि कारक (a) तकनीकी परिवर्तन में नहीं पाया जाता तो पूंजी स्टॉक
में कोई शुद्ध निवेश नहीं होगा और अर्थव्यवस्था विस्तार की अपेक्षा, दीर्घकाल तक संकुचन
(contraction) अवस्था में रहेगी, क्योंकि पूंजी की दी हुई मात्रा का ह्रास होने
में पूंजी निर्माण की अपेक्षा, अधिक समय लगता है। ऐसी स्थिति में व्यापार चक्र
एकतरफा नियमित होंगे जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है।

विस्तार
अवस्था के प्रारंभ में `\overline K` अचानक
OA स्तर तक बढ़ता है तथा K भी बढ़कर उसके बराबर हो जाता है। जब K = `\overline K` होता
है तो अपकर्ष (downswing) या संकुचन
प्रारंभ होता है और `\overline K` कम
होकर OB के स्तर तक पहुंच जाता
है तथा K भी कम होकर इस स्तर पर `\overline K` से मिल
जाता है। तकनीकी परिवर्तन में वृद्धि कारक न होने से K को`\overline K` के बराबर होने में अधिक समय लगता है।
गुडविन चक्र में दो विशेषताएं पाई जाती हैं :
(1) विस्तार अवस्था में `\overline K` > K तथा संकुचन अवस्था में K >`\overline K`;
(2) प्रत्येक चक्र (cycle) का शिखर पर `\overline K` का समान स्तर OA होता है जो `\overline K` के
गर्त (trough) में समान स्तर OB से छोटा है तथा K का `\overline K` के बराबर होने पर अधिक समय को व्यक्त करता है। देखिए
OA स्तर पर ऊपर की बिन्दुकित (dotted) रेखाएं और OB
स्तर पर नीचे की बिन्दुकित रेखाएं।
दूसरी ओर, यदि वृद्धि कारक को शामिल कर लिया जाता है
तो `\overline K` प्रत्येक
चक्र (cycle) के साथ बढ़ता चला जाता है और विस्तार अवस्था में K को `\overline K` से अधिक होने में दीर्घ समय
लगता है। जब अर्थव्यवस्था नीचे की ओर गति करती है तो वृद्धि कारक होने से संकुचन अवस्था
छोटी होती जाती है। इस प्रकार, जब वृद्धि कारक व्यापार चक्र को प्रभावित करते हैं तो
बाद के शिखर (peaks) तथा गर्त (troughs) पहले के शिखर और गर्त की अपेक्षा अधिक ऊंचे
होंगे। इसे चित्र में दर्शाया गया है जो ऊपर और नीचे की बिन्दुकित (dotted) रेखाओं
से स्पष्ट होता है।
चित्र
में aa रेखा तकनीकी वृद्धि कारक को व्यक्त करती है और यह हिक्स के EE पथ के अनुरूप
है, जहां
K =`\overline K` = a
है। `\overline K` की ऊपरी और निचली सीमा को बिन्दुकित (dotted) पथ
द्वारा दर्शाया गया है। P शिखर को और T गर्त को व्यक्त करते हैं, जहां K=`\overline K` = a है। चित्र में विस्तार
(TP) की अपेक्षा संकुचन (PT) कम होते जाते हैं।
सीमाएं
(Limitations)
गुडविन द्वारा प्रस्तुत व्यापार चक्र मॉडल में निम्न
कमियां हैं:
(1) अवास्तविक प्रकृति (Unrealistic Character) -
चित्र में पूंजी के इच्छित स्टॉक को आयातकार खण्डों द्वारा दर्शाया गया है जो
अवास्तविक है। इस चित्र के अनुसार इच्छित पूंजी स्टॉक का स्तर कुछ समय के बाद
स्थिर हो जाता है और विस्तार की अपेक्षा मंदी अधिक लंबी होती है जो सही नहीं है।
इन्हें पश्चताओं (lags) को लाकर तथा तकनीकी प्रगति में वृद्धि कारक को शामिल कर
आसानी से दूर किया जा सकता है।
(2) त्वरक सिद्धांत की
कमियां (Drawbacks of Acceleration Principle) - गुडविन का मॉडल त्वरक सिद्धांत पर आधारित
है। मान्यता से संबंधित त्वरक सिद्धांत की यह कमी कि उत्पादन का वर्तमान स्तर
भविष्य में भी कायम रखा जाएगा, सही नहीं है।
(3) पूंजी वस्तु उद्योगों
की स्थिर उत्पादकीय क्षमता (Fixed Productive Capacity of Capital Goods
Industries) - यह मॉडल मानता है कि पूंजी वस्तु उद्योगों की उत्पादकीय क्षमता का
एक विशिष्ट स्तर होता है परन्तु वास्तव में दीर्घकाल में इन उद्योगों की उत्पादक
क्षमता को पर्याप्त रूप से घटाया या बढ़ाया जा सकता है।
(4) पुनरुत्थान एक धीमी
प्रक्रिया (Recovery a Slow Process)- गुडविन का माॅडल दर्शाता है कि आर्थिक प्रणाली
जैसे ही उच्चतम या न्यूनतम बिन्दु को स्पर्श करती है वैसे ही वह शिखर या गर्त से
वापस पीछे मुड़ती है। परन्तु आनुभविक प्रमाण इसके विपरीत है जिसके अनुसार सुस्ती
और पुनरुत्थान अत्यधिक धीमी गति से हो सकते हैं, जैसा प्रो० हिक्स ने भी कहा है।
यद्यपि गुडविन के मॉडल में अनेक कमियां हैं, फिर भी
यह व्यापार चक्र के अन्तर्जात (endogenous) विश्लेषण में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता
है।
गुडविन तथा हिक्स के मॉडलों
में अन्तर (Differences between Goodwin and Hicks Models)
गुडविन का मॉडल हिक्स के मॉडल से निम्न प्रकार से
भिन्न है:
1. हिक्स का मॉडल केवल यह दर्शाता है कि
अर्थव्यवस्था में चक्र कैसे होते हैं परन्तु गुडविन का मॉडल एक वास्तविक चक्र के
समय पथ की रूपरेखा प्रदर्शित करता है।
2. हिक्स का रेखीय (linear) मॉडल है जिसमें चक्र
(cycle) के शिखर (ceiling) और तल (floor) पर मिलने से यह अरेखीय (non-linear) हो
जाता है। जबकि गुडविन का मॉडल प्रारंभ से अन्त तक अरेखीय है।
3. अपने मॉडल में हिक्स, वृद्धि और चक्रों का संयोग
करता है परन्तु वृद्धि को स्वायत्त निवेश पर निर्भर रखता है। परन्तु गुडविन के
अनुसार, वृद्धि तकनीकी परिवर्तनों पर निर्भर करती है जिनसे अर्थव्यवस्था की
उत्पादकीय क्षमता में निरंतर वृद्धि होती है।
4. हिक्स का संतुलन पथ. EE स्वायत्त निवेश में
निरंतर वृद्धि पर पर आधारित है, परन्तु गुडविन का वृद्धि पथ aa इच्छित पूंजी (K) में
वृद्धि पर आधारित है जो निरंतर तकनीकी परिवर्तन होने के कारण होती है।

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