झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, राँची
Model Question Paper 2024-25
Class X Science कक्षा -X विज्ञान
Max. Marks: 80 Time Allowed: 3 hours
सामान्य निर्देशः
i. इस प्रश्न पत्र में 4 खंडों में कुल 46 प्रश्न हैं।
ii. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। हालाँकि, कुछ प्रश्नों में
आंतरिक विकल्प दिया गया है। एक छात्र से अपेक्षा की जाती है कि वह इनमें से केवल एक
प्रश्न का उत्तर दे।
iii. खंड A में 30 वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न हैं, जिनमें
से प्रत्येक 1 अंक का है।
iv. खंड B में 6 अति लघु प्रश्न हैं, जिनमें से प्रत्येक
02 अंक का है।
v. खंड C में 6 लघु उत्तरीय प्रकार के प्रश्न हैं, जिनमें
से प्रत्येक 03 अंक का है।
vi. खंड D में 4 दीर्घ उत्तरीय प्रकार के प्रश्न हैं, जिनमें
से प्रत्येक 05 अंक का है।
खंड-A Section-A
प्रश्न 1 - 30 में से प्रत्येक के लिए दिए गए चार विकल्पों
में से सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन करें और लिखें। गलत उत्तर के लिए कोई नकारात्मक अंकन नहीं है।
1. निम्नलिखित
में से कौन सी अभिक्रिया ऊष्माशोषी अभिक्रिया है?
(a) कोयले का जलना
b) वनस्पति पदाथों का खाद में
अपघटन
c) बसन की प्रक्रिया
d) कैल्शियम
कार्बोनेट का अपघटन करके त्वरित चुना और कार्बन डाइऑक्साइड बनाना
2. नमी वाले
दिन हाइड्रोजन क्लोराइड गैस तैयार करने के दौरान, गैस को आमतौर पर कैल्शियम क्लोराइड
युक्त गार्ड ट्यूब से गुजारा जाता है। गार्ड ट्यूब में लिए गए कैल्शियम क्लोराइड की
भूमिका है
a) उत्सर्जित गैस को अवशोषित
करना
b) गैस को नम करना
c) गैस से नमी
को अवशोषित करना
d) उत्सर्जित गैरा से क्लोरीन
आयनों को अवशोषित करना
3. निम्नलिखित
में से कौन सा समजातीय श्रेणी में नहीं देखा जाता है?
a) रासायनिक
गुणों में परिवर्तन
b)–CH2 और 14u आणविक
द्रव्यमान में अंतर
c) भौतिक गुणों में क्रमिकता
d) समान कार्यात्मक समूह
4. निम्नलिखित
में से कौन सी द्विविस्थापन अभिक्रिया है?
(i) Pb + CuCl₂ →
PbCl₂ + Cu
(ii) Na₂ SO4+ BaCl₂→ BaSO4 + 2NaCl
(iii) C + O2 →
CO2
(iv) CH4+ 2O2
→
CO2+ 2H2O
(a) (i) और (iv)
(b) केवल
(ii)
(c) (i) और (ii)
(d) (iii) और (iv)
5. जल का विद्युत
अपघटन एक अपघटन अभिक्रिया है। जल के विद्युत अपघटन के दौरान मुक्त होने वाली हाइड्रोजन
और ऑक्सीजन गैसों का मोल अनुपात है।
(a) 1:1
(b) 2:1
(c) 4:1
(d) 1:2
6. एक जलीय घोल
लाल लिटमस घोल को नीला कर देता है। निम्नलिखित में से किस घोल को अधिक मात्रा में मिलाने
से यह परिवर्तन उलट जाएगा?
(a) बेकिंग पाउडर
(b) चूना
(c) अमोनियम हाइड्रॉक्साइड
घोल
(d) हाइड्रोक्लोरिक
एसिड
7. बेकिंग पाउडर
का एक घटक सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट है, दूसरा घटक है
(a) हाइड्रोक्लोरिक एसिड
(b) टार्टरिक
एसिड
(c) एसिटिक एसिड
(d) सल्फ्यूरिक एसिड
8. धातुओं को
खींचकर पतले तार में बदलने की क्षमता को क्या कहते हैं
(a) तन्यता
(b) आघातवर्धनीयता
(c) ध्वनिमय
(d) चालकता
9. निम्नलिखित
में से कौन आयनिक यौगिक नहीं है?
(i) KCI (ii) HCl (iii)
CCI4 (iv) NaCl
(a) (i) और (ii)
(b) (ii) और
(iii)
(c) (iii) और (iv)
(d) (i) और (iii)
10. निम्नलिखित
में से किस यौगिक में – OH कार्यात्मक समूह है?
(a) ब्यूटेनोन
(b) ब्यूटेनॉल
(c) ब्यूटेनोइक अम्ल
(d) ब्यूटेनल I
11. यौगिक
CH3 -CH2 -CHO का नाम है
(a) प्रोपेनल
(b) प्रोपेनोन
(c) इथेनॉल
(d) इथेनल
12. आहार नली
के किरा भाग में भोजन का अंतिम पाचन होता है?
(a) आमाशय
(b) मुख गुहा
(c) बड़ी आंत
(d) छोटी आंत
13. श्वसन के
दौरान गैसों का आदान-प्रदान यहाँ होता है
(a) श्वसनली और स्वरयंत्र
(b) फेफड़ों
के एल्वियोली
(c) एल्वियोली और गले
(d) गले और स्वरयंत्र
14. मस्तिष्क
के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
(1) मस्तिष्क का मुख्य सोचने
वाला भाग पश्च मस्तिष्क है। (ii) श्रवण, गंथ, स्मृति, दृष्टि आदि के केंद्र अग्र मस्तिष्क
में स्थित हैं। (ii) लार, उल्टी, रक्तचाप जैसी अनैच्छिक क्रियाएँ पश्च मस्तिष्क में
स्थित मेडुला द्वारा नियंत्रित होती हैं। (iv) सेरिबैलम शरीर की मुद्रा और संतुलनको
नियंत्रित नहीं करता है।
(a) (i) और (ii)
(b) (i), (ii) और (iii)
(c) (ii) और
(iii)
(d) (iii) और (iv)
15. बेमेल जोडी
का चयन करें
(a) एड्रेनालाईनः
पिट्यूटरी ग्रथि
(b) टेस्टोस्टेरोनः व्षण
(०) एस्ट्रोजनः अंडाशय
(d) थायरोक्सिनः थायरॉयड ग्रंथि
16. एक फूल में,
नर और मादा युग्मक (अंकुरण कोशिकाएँ) उत्पन्न करने वाले भाग है
(a) पुंकेसर और परागकोश
(b) तंतु और वर्तिकाग्र
(c) परागकौश
और अंडाशय
(d) पकेसर और वर्तिका
17. अमीबा, स्पाइरोगाइरा
और यीस्ट में प्रजनन की एक सामान्य विशेषता यह है कि
(a) वे अलैंगिक
रूप से प्रजनन करते हैं
(b) वे सभी एककोशिकीय हैं
(c) वे केवल लैंगिक रूप से
प्रजनन करते है
(d) ये सभी बहुकोशिकीय हैं
18. नीचे दी
गई सूची में से उस लक्षण का चयन करें जिसे अर्जित किया जा सकता है लेकिन विरासत में
नहीं मिलता
(a) आँखों का रंग
(b) त्वचा का रंग
(c) शरीर का
आकार
(d) बालों की प्रकृति
19. प्राकृतिक
चयन द्वारा प्रजातियों के विकास का सिद्धांत दिया गया था
(a) मेंडल
(b) डार्विन
(c) मॉर्गन
(d) लैमार्क
20. निम्नलिखित
में से कौन सा कथन सत्य है?
(a) एक उत्तल
लेंस में 4 डायोप्टर शक्ति होती है जिसकी फोकस दूरी 0.25 मीटर होती है
(b) एक उत्तल लेंस में-4 डायोप्टर
शक्ति होती है जिसकी फोकस दूरी 0.25 मीटर होती है
(c) एक अवतल लेंस में 4 डायोप्टर
शक्ति होती है जिसकी फोकस दूरी 0.25 मीटर होती है
(d) एक अवतल लेंस में -4 डायोप्टर
शक्ति होती है जिसकी फोकरा दूरी 0.25 मीटर होती है
21. निम्नलिखित
में से किसमें, अनंत पर रखी गई वस्तु का प्रतिबिंब अत्यधिक छोटा और बिंदु आकार का होगा?
(a) केवल अवतल दर्पण
(b) केवल उत्तल दर्पण
(c) केवल उत्तल लेंस
(d) अवतल दर्पण,
उत्तल दर्पण, अवतल लेंस और उत्तल लेंस
22. एक व्यक्ति
2 गीटर से अधिक दूरी पर रखी वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख सकता है। इस दोष को
निम्न क्षमता 1 23. के लेस का उपयोग करके ठीक किया जा सकता है
(a) + 0.5 D
(b) -0.5 D
(c)+0.2 D
(d)-0.2 D
23. प्रकाश की
निम्नलिखित में से कौन सी घटनाएं इंद्रधनुष के निर्माण में शामिल हैं?
(a) परावर्तन, अपवर्तन और विक्षेपण
(b) अपवर्तन, विक्षेपण और पूर्ण
आंतरिक परावर्तन
(c) अपवर्तन,
विक्षेपण और आंतरिक परावर्तन
(d) विक्षेपण, प्रकीर्णन और
पूर्ण आंतरिक परावर्तन
24. 1/5 Ω वाले पांच प्रतिरोधकों का उपयोग करके कौन सा न्यूनतम प्रतिरोध बनाया
जा सकता है?
(a) 1/5 Ω
(b) 1/25 Ω
(c) 1/10 Ω
(d) 25 Ω
25. प्रतिरोधकता
नहीं बदलती यदि
(a) पदार्थ बदल दिया जाए
(b) तापमान बदल दिया जाए
(c) प्रतिरोधक
का आकार बदल दिया जाए
(d) पदार्थ और तापमान दोनों
बदल दिए जाएं
26. गलत कथन
चुने
(a) फ्लेमिंग का दायाँ हाथ
का नियम प्रेरित चारा की दिशा जानने का एक सरल नियम है
(b) दायाँ हाथ का अंगूठा नियम
धारा ले जाने वाले चालको के कारण चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने के लिए उपयोग
किया जाता है
(c) प्रत्यक्ष और प्रत्यावर्ती
धाराओं के बीच अंतर यह है कि प्रत्यक्ष धारा हमेशा एक विशा में बहती है, जबकि प्रत्यावर्ती
धारा समय-समय पर अपनी दिशा उलट देती है
(d) भारत में,
एसी (प्रत्यावर्ती धारा) हर 1/50 सेकंड के बाद दिशा बदलती है
27. घरेलू उपकरणो
को शॉर्ट सर्किट या ओवरलोडिंग से बचाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण
सुरक्षा विधि है
(a) अर्थिग (भूसंपर्कन)
(b) फ्यूज का
उपयोग
(c) स्टेबलाइजर का उपयोग
(d) इलेक्ट्रिक मीटर का उपयोग
28. जल विद्युत
सयत्र में
(a) संग्रहित
जल की स्थितिज ऊर्जा को विद्युत में परिवर्तित किया जाता है
(b) संग्रहितजल की गतिज ऊर्जा
को स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है
(c) जल से विद्युत निकाली जाती
है
(d) विद्युत उत्पन्न करने के
लिए जल को भाप में परिवर्तित किया जाता है
29. वे जीव जो
विकिरण ऊर्जा का उपयोग करके अकार्बनिक यौगिको से कार्बोहाइड्रेट का सक्नेषण करते हैं,
उन्हे कहा जाता है
(a) अपघटक
(b) उत्पादक
(c) शाकाहारी
(d) मांसाहारी
30. ‘चिपको आंदोलन
द्वारा दिया गया महत्वपर्ण सदेश
(क) वन संरक्षण
प्रयासों में समुदाय को शामिल करना
(ख) वन सरक्षण प्रयासों में
समुदाय की अनदेखी करना
(ग) विकासात्मक गतिविधियों
के लिए वन वृक्षों को काटना
(घ) सरकारी एजेंसियों को वनों
में वृक्षों को नष्ट करने का आदेश देने का निर्विवाद अधिकार है
खंड-B Section-B
प्रश्न संख्या 31 से 36 अति लघु उत्तरीय प्रश्न हैं
31. प्रकृति
में साधारण नमक के दो मुख्य स्रोतों की सूची बनाएं? दो यौगिको के नाम बताएँ जहाँ साधारण
नमक को कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है?
उत्तर- सामान्य नमक के प्राकृतिक
स्रोत:
1. समुद्र जल (Seawater):-
मुख्य तत्व: सोडियम
(Sodium, Na) और क्लोरीन (Chlorine, Cl)
समुद्र के पानी में सोडियम
क्लोराइड (NaCl) होता है, जिसे वाष्पित करके नमक निकाला जाता है।
2. खनिज नमक (Rock Salt /
Halite):
मुख्य तत्व: सोडियम
(Sodium, Na) और क्लोरीन (Chlorine, Cl)
यह खनिज रूप में पृथ्वी की
सतह के भीतर पाया जाता है और खनन के द्वारा निकाला जाता है।दो यौगिको के नाम जहाँ सामान्य
नमक का उपयोग कच्चे माल के रूप में:
1. सोडियम हाइड्रॉक्साइड
(Caustic Soda, NaOH):
मुख्य तत्व: सोडियम
(Sodium, Na) और ऑक्सीजन (Oxygen, O)
सामान्य नमक से सोडियम हाइड्रॉक्साइड
(NaOH) विद्युत अपघटन द्वारा प्राप्त किया जाता है।2. सोडियम बाइकार्बोनेट (Baking
Soda, NaHCO₃):
मुख्य तत्व: सोडियम
(Sodium, Na), हाइड्रोजन (Hydrogen, H), कार्बन (Carbon, C) और ऑक्सीजन (Oxygen,
O)
सामान्य नमक से सोडियम बाइकार्बोनेट
(NaHCO₃) तैयार किया जाता है।
32. कार्बन यौगिकों की संख्या अन्य सभी तत्वों द्वारा
मिलकर बनाए गए यौगिकों से अधिक है। दो कारण बताकर इस कथन की पुष्टि करें।
उत्तर- कार्बन यौगिकों की संख्या
अधिक होने के दो कारण:
1. चार बंध बनाने की क्षमता: कार्बन
4 बंध बना सकता है, जिससे यह कई प्रकार के यौगिक बना सकता है।
2. अनेक रूपों में पाया जाता
है:
कार्बन के विभिन्न रूप (जैसे हीरा, ग्रेफाइट) होते हैं, जो यौगिकों की विविधता को बढ़ाते
हैं।
33. मध्यम क्रियाशीलता
वाली एक धातु का नाम बताइए तथा सल्फाइड अयस्क से इस धातु के निष्कर्षण के तीन मुख्य
चरण लिखिए
उत्तर- मध्यम क्रियाशीलता वाली
धातु:- जिंक (Zinc)
सल्फाइड अयस्क से जिंक के निष्कर्षण
के तीन मुख्य चरण:
1. भट्टी में गर्म करना: जिंक
सल्फाइड (ZnS) को हवा में गर्म किया जाता है, जिससे जिंक ऑक्साइड (ZnO) और सल्फर डाइऑक्साइड
(SO₂) बनता है।
2ZnS+3O₂→2ZnO+2SO₂
2. जिंक ऑक्साइड का कार्बन
से ह्रास: जिंक ऑक्साइड (ZnO) को कार्बन (C) के साथ गर्म किया जाता
है, जिससे जिंक (Zn) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂)
बनता है।
ZnO+C→Zn+CO₂
3. शुद्धिकरण
(Purification): प्राप्त जिंक को फ्रैडरिक प्रक्रिया (Fractional
distillation) या इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा शुद्ध किया जाता है।
34. उत्सर्जन
क्या है? एककोशिकीय जीव अपना अपशिष्ट कैसे बाहर निकालते हैं?
उत्तर- उत्सर्जन: यह
वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा जीव अपने शरीर से अवांछनीय या हानिकारक अपशिष्ट पदार्थों
को बाहर निकालते हैं।
एककोशिकीय जीवों द्वारा अपशिष्ट
निकालने की प्रक्रिया: एककोशिकीय जीव जैसे परामेसीयम या एमीबा अपनी
कोशिका झिल्ली के माध्यम से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालते हैं। यह प्रक्रिया स्नातन
(exocytosis) द्वारा होती है, जिसमें अपशिष्ट पदार्थ कोशिका झिल्ली से बाहर निकलते
हैं।
35. प्रत्येक
के दो कार्य लिखें (a) वृषण (b) अंडाशय
उत्तर- (a) वृषण
(Testes) के दो कार्य:
1. वीर्य का उत्पादन: वृषण
में शुक्राणु (sperm) का निर्माण होता है।
2. लिंग हार्मोन का उत्पादन:
वृषण में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन होता है, जो पुरुष लक्षणों के विकास और
यौन क्रिया को नियंत्रित करता है।
(b) अंडाशय (Ovaries) के दो
कार्य:
1. अंडाणु का उत्पादन: अंडाशय
में अंडाणु (egg) का निर्माण होता है।
2. महिला हार्मोन का उत्पादन:
अंडाशय में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन होता है, जो मासिक धर्म
चक्र और गर्भधारण को नियंत्रित करते हैं।
36. हमें अपने
वनों का संरक्षण क्यों करना चाहिए? वनों की कटाई के लिए जिम्मेदार दो कारकों की सूची
बनाए
उत्तर-
1. जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित
करना: वन वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके जलवायु को स्थिर रखते हैं।
2. जैव विविधता का संरक्षण:
वन में विभिन्न प्रकार के पौधे, जानवर और सूक्ष्मजीव रहते हैं, जो पारिस्थितिकी तंत्र
के संतुलन को बनाए रखते हैं।
3. मिट्टी का संरक्षण: वन मिट्टी
के कटाव को रोकते हैं और भूमि की उर्वरता बनाए रखते हैं।
4. वृक्षों से संसाधन प्राप्त
करना: वनों से लकड़ी, औषधियाँ, रेजिन, खाद्य पदार्थ आदि प्राप्त होते हैं।
वनों की कटाई के लिए जिम्मेदार
दो कारक:-
1. कृषि के लिए भूमि का प्रयोग:
बढ़ती जनसंख्या और कृषि के विस्तार के लिए वन क्षेत्रों की clearing की जाती है।
2. वाणिज्यिक उद्देश्यों के
लिए लकड़ी की मांग: उद्योगों द्वारा लकड़ी, रेजिन, और अन्य वन उत्पादों की बढ़ती मांग
के कारण वनों की कटाई होती है।
खंड- C Section-C
प्रश्न संख्या 37 से 42 लघु उत्तरीय प्रश्न हैं
37. एक चाइना
डिश में 2 ग्राम सिल्वर क्लोराइड लिया जाता है और चाइना डिश को कुछ समय के लिए सूरज
की रोशनी में रखा जाता है। इस मामले में आपका अवलोकन क्या होगा? इसमें शामिल रासायनिक
प्रतिक्रिया को संतुलित रासायनिक समीकरण के रूप में लिखे। रासायनिक प्रतिक्रिया के
प्रकार की पहचान करें।
उत्तर- यदि 2 ग्राम सिल्वर
क्लोराइड (AgCl) को सूरज की रोशनी में रखा जाता है, तो इसे देखकर यह स्पष्ट होगा कि
सिल्वर क्लोराइड का रंग धीरे-धीरे बदलने लगेगा। सूरज की रोशनी में सिल्वर क्लोराइड
टूट कर सिल्वर (Ag) और क्लोरीन गैस (Cl₂)
में बदल जाएगा, जिससे काले रंग के सिल्वर का रूप दिखाई देगा। यह प्रक्रिया सूर्य विकिरण
(photolysis) द्वारा होती है।
रासायनिक प्रतिक्रिया:
2AgCl (s) →
2Ag (s) + Cl2 (g)
• यह
प्रतिक्रिया फोटोलाइसिस (Photolysis) कहलाती है, क्योंकि यह सूरज की रोशनी के प्रभाव
से होती है।
• रासायनिक
प्रतिक्रिया का प्रकार: यह एक विघटन प्रतिक्रिया (Decomposition reaction) है, जिसमें
एक पदार्थ (AgCl) दो सरल पदार्थों (Ag और Cl₂)
में टूट जाता है।
38. क्रमशः तनु
HCL और NaOH विलयन युक्त दो परखनलियों A और B में नीला लिटमस विलयन डाला गया है। किस
परखनली में रंग परिवर्तन देखा जाएगा? रंग परिवर्तन बताएँ और उसका कारण बताएँ।
उत्तर- रंग परिवर्तन:
परखनली A (HCl विलयन): नीला
लिटमस विलयन में लाल रंग में बदल जाएगा।
परखनली B (NaOH विलयन): नीला
लिटमस विलयन में नीला रंग बरकरार रहेगा या हल्का नीला हो सकता है।
कारण:
• HCl
(हाइड्रोक्लोरिक एसिड) एक अम्लीय विलयन है। अम्ल लिटमस कागज को लाल रंग में बदलता है
क्योंकि अम्ल में H⁺ आयन
होते हैं जो लिटमस कागज के रंग को बदलते हैं।
• NaOH
(सोडियम हाइड्रॉक्साइड) एक क्षारीय विलयन है। क्षार लिटमस कागज को नीला बनाए रखता है
क्योंकि इसमें OH⁻ आयन
होते हैं जो लिटमस कागज का रंग बनाए रखते हैं।
इसलिए, परखनली A में लिटमस
कागज लाल हो जाएगा, जबकि परखनली B में लिटमस का रंग नीला रहेगा।
39. चित्र की
सहायता से साबुन की सफाई क्रिया को समझाइए।
उत्तर- चित्र:
साबुन की सफाई क्रिया को इस
चित्र की मदद से निम्नलिखित तरीके से समझा जा सकता है:
साबुन के अणु की संरचना:1.साबुन
का अणु दो हिस्सों से बना होता है:
• जलसंगत
सिरा (Hydrophilic head): यह सिरा पानी को आकर्षित करता है।
• जलविरक्त
पूंछ (Hydrophobic tail): यह सिरा पानी से दूर रहता है और तेल या गंदगी को आकर्षित
करता है।
2. साबुन का कार्य:
• जब
साबुन पानी में घुलता है, तो यह सोडियम आयन (Na⁺) और साबुन अणुओं में टूट जाता है।
• साबुन
के अणुओं की जलविरक्त पूंछ गंदगी (तेल और चिकनाई) से चिपक जाती है, जबकि जलसंगत सिरा
पानी की ओर रहता है।
3. माइसेल
(Micelle) का निर्माण:
• साबुन
के अणु गंदगी को घेर लेते हैं और एक गोलाकार संरचना बनाते हैं जिसे माइसेल कहते हैं।
• माइसेल
में गंदगी साबुन की जलविरक्त पूंछ द्वारा अंदर कैद हो जाती है, और जलसंगत सिरा पानी
के संपर्क में रहता है।
4. गंदगी हटाना:
• साबुन
के इन माइसेल के कारण गंदगी पानी में घुल जाती है और धोने पर आसानी से हट जाती है।
• इस
प्रकार, साबुन गंदगी और तेल को पानी के साथ निकाल देता है।
40. मेंडल के
प्रयोग से कैसे पता चलता है कि लक्षण स्वतंत्र रूप से विरासत में मिलते हैं?
उत्तर- मेंडल के प्रयोग में
F1 पीढी के सभी पौधे लंबे थे तथा पुनः जब F1 पीढी के दो पौधों का संकरण किया गया तब
F2 पीढ़ी के पौधे या तो लंबे या बौने थे। लंबे तथा बौने का अनुपात 3-1 था। कोई भी पौधा
बीच की ऊँचाई का नहीं था। अर्थात् लंबे/बौनेपन का लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते
हैं।
41. 10 Ω, 15Ω, और 20Ω के तीन प्रतिरोधक एक परिपथ में श्रेणीक्रम में जुड़े हुए हैं। यदि
15Ω, प्रतिरोधक में विभव गिरावट (विभवांतर) 3V है, तो परिपथ में धारा और
10Ω, प्रतिरोधक में विभव गिरावट ज्ञात कीजिए।
उत्तर- समाधान:
• कुल प्रतिरोध की गणना:
श्रृंखला परिपथ में कुल प्रतिरोध
Rtotal सभी प्रतिरोधकों का योग होता है:
Rtotal=R1+R2+R3
यहां,
R1=10 Ω
R2=15 Ω
R3=20 Ω
R2=15Ω पर
विभव गिरावट V2=3V
तो,
Rtotal=10 Ω+15 Ω+20 Ω=45 Ω
• धारा की गणना:
ओम के नियम के अनुसार,
V=I⋅R
यहां, V2=3V और
R2=15Ω दिया गया है। हम धारा 𝐼 की गणना करेंगे:
I= 𝑉2/R2
I= 3V/15V=0.2A=200mA
इसलिए, परिपथ में धारा 𝐼=0.2A (या 200mA) है।
• प्रत्येक प्रतिरोधक पर विभव
गिरावट की गणना:
अब हम 10Ω और
20Ω के
प्रतिरोधकों पर विभव गिरावट (V1 और V3) की गणना करेंगे। ओम के
नियम का उपयोग करते हुए:
V=I⋅R
𝑅1=10Ω प्रतिरोधक
पर विभव गिरावट:
𝑉1=𝐼.R1=0.2A×10Ω=2V
𝑅3=20Ω प्रतिरोधक
पर विभव गिरावट:
𝑉3 =𝐼.R3=0.2A×20Ω=4V
• समीकरण की जाँच:
कुल विभव गिरावट का योग:
𝑉total=V1+V2+V3
𝑉total =2V+3V+4V=9V
अंतिम उत्तर:
परिपथ में धारा: 𝐼=0.2A (या 200 mA)
10Ω प्रतिरोधक
पर विभव गिरावट: V1=2V
42. एकसमान चुम्बकीय
क्षेत्र में रखे धारावाही चालक द्वारा अनुभव किये गये बल की दिशा निर्धारित करने के
लिए प्रयुक्त नियम का नान, विवरण तथा उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए
उत्तर-
इस नियम के अनुसार जब हम अपने
बाएं हाथ की तर्जनी, मध्यमा तथा अंगूठे को इस प्रकार फैलाते हैं कि यह तीनों एक दूसरे
के परस्पर लंबवत हों तब यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा चालक में प्रवाहित
विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करती हो तो अंगूठा चालक की गति की दिशा अथवा चालक
पर आरोपित बल की दिशा की ओर संकेत करेगा।विद्युत मोटर, विद्युत जनित्र, ध्वनि विस्तारक
यंत्र, माइक्रोफोन तथा विद्युत मापक यंत्र कुछ ऐसी युक्तियां है जिनमें विद्युत धारावाही
चालक तथा चुंबकीय क्षेत्रों का उपयोग होता है।
43. दिए गए अभिक्रियाओं
को उदाहरणों सहित समझाइए:-
(a) (i) हाइड्रोजनीकरण
अभिक्रिया
उत्तर- हाइड्रोजनीकरण
(Hydrogenation) अभिक्रिया एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें किसी अणु में हाइड्रोजन
(H₂) जोड़ा जाता है। यह आमतौर
पर अवशिष्ट और असंतृक्त यौगिकों, जैसे अल्केन्स और अल्कीन्स, को संतृप्त यौगिकों में
बदलने के लिए उपयोग की जाती है। हाइड्रोजनीकरण अभिक्रिया का मुख्य उद्देश्य वसा या
तेलों को ठोस रूप में बदलना है, जिसे सामान्यत: खाद्य उद्योग में किया जाता है।
हाइड्रोजनीकरण के उदाहरण:
1. अल्कीन का हाइड्रोजनीकरण:
जब एथीलीन (C₂H₄) का हाइड्रोजनीकरण किया जाता है, तो हाइड्रोजन गैस (H₂) के साथ प्रतिक्रिया करने पर यह एथेन (C₂H₆) में परिवर्तित हो जाता है। यह एक साधारण उदाहरण है।
यहां, एथीलीन (C₂H₄), जो एक अल्कीन है, हाइड्रोजन
गैस (H₂) के साथ प्रतिक्रिया करके
एथेन (C₂H₆), एक संतृप्त हाइड्रोकार्बन,
में बदल जाता है। निकेल (Ni) एक कैटेलिस्ट के रूप में कार्य करता है।
हाइड्रोजनीकरण के उपयोग:
• खाद्य
उद्योग: हाइड्रोजनीकरण का सबसे सामान्य उपयोग खाद्य उद्योग में होता है, जहां वनस्पति
तेलों को मार्जरीन या घी में बदलने के लिए किया जाता है। इससे तेलों का स्थायित्व बढ़ता
है और उन्हें ठोस रूप में परिवर्तित किया जाता है।
• रासायनिक
उद्योग: रासायनिक उद्योग में हाइड्रोजनीकरण का उपयोग विभिन्न रासायनिक यौगिकों को तैयार
करने के लिए किया जाता है, जैसे कि एथेनोल, हेक्सेन, और अन्य हाइड्रोकार्बन।
• ईंधन
उद्योग: हाइड्रोजनीकरण का उपयोग पेट्रोलियम से प्राप्त अवशिष्टों को साफ करने और उनकी
गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किया जाता है।
(a) (ii) ऑक्सीकरण
अभिक्रिया
उत्तर- ऑक्सीकरण अभिक्रिया
(Oxidation Reaction) एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें किसी पदार्थ को ऑक्सीजन (O₂) मिलती है या फिर वह किसी
अन्य पदार्थ से इलेक्ट्रॉन खोता है। इसे सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि ऑक्सीकरण
का मतलब होता है किसी पदार्थ का ऑक्सीजन से संयोजन करना या उसकी ऑक्सीकरण अवस्था में
वृद्धि करना (जैसे इलेक्ट्रॉन का नुकसान)। ऑक्सीकरण अभिक्रिया आमतौर पर पर्यावरण में
पाए जाने वाली प्रक्रिया है और इसे कई महत्वपूर्ण रासायनिक प्रक्रियाओं में देखा जा
सकता है, जैसे श्वसन (Respiration), दहन (Combustion) और जंग (Rusting) आदि।
ऑक्सीकरण अभिक्रिया की सामान्य
विशेषताएँ:
1. ऑक्सीजन का जुड़ना: जब
किसी रासायनिक यौगिक में ऑक्सीजन जुड़ती है, तो उसे ऑक्सीकरण कहा जाता है।
2. इलेक्ट्रॉन का नुकसान: जब
किसी रासायनिक यौगिक के अणु या आयन इलेक्ट्रॉन खोते हैं, तो उसे भी ऑक्सीकरण माना जाता
है।
उदाहरण 1: दहन
(Combustion)
एक सामान्य उदाहरण है जलने
की प्रक्रिया, जिसमें किसी पदार्थ के साथ ऑक्सीजन मिलकर ऊर्जा (उष्मा और प्रकाश) उत्पन्न
करती है।
उदाहरण:
• मिथेन
(CH₄) का दहन: CH4+2O2
→CO2+2H2O
• इसमें,
मिथेन (CH₄)
के कार्बन (C) के साथ ऑक्सीजन (O₂)
जुड़कर कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂)
उत्पन्न कर रहा है, और इसमें ऑक्सीकरण हो रहा है। मिथेन के कार्बन परमाणु ने इलेक्ट्रॉन
खो दिए हैं और उसकी ऑक्सीकरण अवस्था बढ़ी है।
उदाहरण 2: धातु का जंग लगना
(Rusting of Iron)
धातु (विशेषकर लोहा) का जंग
लगना एक सामान्य ऑक्सीकरण अभिक्रिया है, जिसमें लोहे के साथ ऑक्सीजन और पानी मिलकर
लोहे के ऑक्साइड (जंग) का निर्माण करते हैं।
उदाहरण:
• लोहे
का जंग लगना: 4Fe+3O2+6H2O→4Fe(OH)3
• इस
प्रक्रिया में, लोहे के अणु ऑक्सीजन से ऑक्सीकरण करते हैं और लोहे का ऑक्साइड (जंग)
बनता है। यहां लोहे के अणु ने इलेक्ट्रॉन खोए हैं और इसकी ऑक्सीकरण अवस्था बढ़ी है।
उदाहरण 3: श्वसन
(Respiration)
जीवों में श्वसन की प्रक्रिया
भी एक ऑक्सीकरण अभिक्रिया है, जिसमें कार्बोहाइड्रेट्स (जैसे ग्लूकोज) का ऑक्सीकरण
करके ऊर्जा (ATP) प्राप्त की जाती है।
उदाहरण:
• ग्लूकोज
का ऑक्सीकरण: C₆H₁₂O₆+6O2→6CO2+6H2O+ऊर्जा
(ATP)
• इस
अभिक्रिया में ग्लूकोज (C₆H₁₂O₆) और ऑक्सीजन (O₂) मिलकर कार्बन डाइऑक्साइड
(CO₂), पानी (H₂O) और ऊर्जा का उत्पादन करते
हैं। यहां ग्लूकोज के कार्बन और हाइड्रोजन ने इलेक्ट्रॉन खोए हैं, यानी यह ऑक्सीकरण
हुआ है।
(b) साबुन और
अपमार्जको की उनकी संरचना और कठोर जल में सफाई किया के आधार पर तुलना कीजिए।
उत्तर- साबुन और अपमार्जक
(डिटर्जेंट) दोनों ही सफाई के लिए उपयोग किए जाते हैं, लेकिन इनकी संरचना और कार्यप्रणाली
में फर्क होता है।
1. संरचना (Structure)
साबुन:
साबुन एक रासायनिक पदार्थ है जो फैटी ऐसिड (चर्बी) और आल्कली (जैसे सोडियम हाइड्रॉक्साइड)
से बनता है। इसमें दो हिस्से होते हैं:
• एक
हिस्सा जो पानी में घुलता है (हाइड्रोफिलिक)।
• दूसरा
हिस्सा जो तेल और गंदगी को आकर्षित करता है (हाइड्रोफोबिक)।
अपमार्जक (डिटर्जेंट): अपमार्जक
भी सफाई के लिए होते हैं, लेकिन ये सिंथेटिक (कृत्रिम) होते हैं। इसमें भी दो हिस्से
होते हैं:
• एक
हिस्सा जो पानी से जुड़ता है।
• दूसरा
हिस्सा जो गंदगी और तेल को आकर्षित करता है।
2. कठोर जल में सफाई
(Cleaning in Hard Water)
साबुन और कठोर जल:
• कठोर
जल में कैल्शियम (Ca²⁺)
और मैग्नीशियम (Mg²⁺)
आयन होते हैं। जब साबुन इनसे मिलता है, तो यह जंग (असॉल्यूबल साबुन) बना देता है, जिससे
सफाई ठीक से नहीं हो पाती। इसलिए, साबुन कठोर जल में अच्छा काम नहीं करता।
अपमार्जक और कठोर जल:
• अपमार्जक
कठोर जल में बहुत अच्छे से काम करते हैं, क्योंकि वे जंग नहीं बनाते। यह गंदगी को अच्छे
से हटाते हैं और सफाई करते हैं।
3. सफाई की क्षमता
(Cleaning Power)
• साबुन:
साबुन मुलायम जल में अच्छे से काम करता है, लेकिन कठोर जल में यह कम प्रभावी होता है।
• अपमार्जक:
अपमार्जक कठोर जल में भी अच्छे से काम करता है, क्योंकि यह जंग नहीं बनाता और सफाई
बेहतर होती है।
4. पर्यावरण पर प्रभाव
(Environmental Impact)
• साबुन:
साबुन पर्यावरण के लिए कम हानिकारक होता है क्योंकि यह जैविक रूप से टूट सकता है
(biodegradable)।
• अपमार्जक:
कुछ अपमार्जक पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकते हैं, लेकिन ज्यादातर अपमार्जक भी जैविक
रूप से टूटने वाले होते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion):
• साबुन
मुलायम जल में बेहतर काम करता है, लेकिन कठोर जल में यह कम प्रभावी होता है।
• अपमार्जक
कठोर जल में भी अच्छे से सफाई करता है और जंग नहीं बनाता।
• इसलिए,
कठोर जल में सफाई के लिए अपमार्जक बेहतर होते हैं।
(c) साइक्लोहेक्सेन
की संरचना बनाइए।
उत्तर- साइक्लोहेक्सेन (C₆H₁₂) एक हेक्सागोनल (छह-कोणीय)
संरचना वाला हाइड्रोकार्बन है। यह एक साइक्लिक अलेक्लेन (संतृप्त हाइड्रोकार्बन) है
जिसमें छह कार्बन परमाणु एक वलय (लूप) में जुड़े होते हैं और प्रत्येक कार्बन परमाणु
पर एक हाइड्रोजन परमाणु जुड़ा होता है।
साइक्लोहेक्सेन की संरचना निम्नलिखित रूप में होती है:-
44. (a) हरे
पौधों में पाए जाने वाले पोषण के प्रकार की व्याख्या कीजिए और इस प्रक्रिया का नाम
बताइए। इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक नई सामग्रियों की सूची बनाइए। उल्लिखित प्रक्रिया
के लिए रासायनिक समीकरण दीजिए
उत्तर- हरे पौधों में पोषण
की प्रक्रिया “प्रकाश संश्लेषण” (Photosynthesis) कहलाती है। यह प्रक्रिया पौधों, शैवाल
और कुछ बैक्टीरिया में होती है, जिसमें वे सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड
(CO₂) और पानी (H₂O) से ग्लूकोज (C₆H₁₂O₆) और ऑक्सीजन (O₂) उत्पन्न करते हैं। इस प्रक्रिया
से पौधे अपनी वृद्धि और ऊर्जा के लिए भोजन तैयार करते हैं।
प्रकाश संश्लेषण के प्रकार:
प्रकाश
संश्लेषण दो मुख्य चरणों में होता है:
1.प्रकाश-निर्भर प्रतिक्रिया
(Light-dependent reactions):
यह प्रतिक्रिया पौधों के पत्तियों
में स्थित क्लोरोप्लास्ट के थायलाकोइड झिल्ली में होती है। इसमें सूर्य की ऊर्जा को
अवशोषित कर पानी से ऑक्सीजन (O₂)
और ऊर्जा (ATP और NADPH) उत्पन्न होती है।
2. प्रकाश-स्वतंत्र प्रतिक्रिया
(Light-independent reactions) या कैल्विन चक्र (Calvin cycle):
इस प्रक्रिया में प्रकाश की
आवश्यकता नहीं होती और यह स्टोमाता (chloroplasts’ stroma) में होती है। इसमें CO₂ का उपयोग करके ग्लूकोज (C₆H₁₂O₆) जैसी कार्बोहाइड्रेट्स का
निर्माण होता है।
आवश्यक सामग्रियां:
प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया
के लिए निम्नलिखित सामग्रियों की आवश्यकता होती है:
1. सूर्य का प्रकाश
(Sunlight)
2. पानी (H₂O)
3. कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂)
4. क्लोरोफिल
(Chlorophyll) — यह एक हरा रंगद्रव्य है जो सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करता है।
रासायनिक समीकरण:
प्रकाश संश्लेषण की रासायनिक
समीकरण निम्नलिखित है:
6CO₂+ 6H₂O +प्रकाशऊर्जा →
C₆H₁₂O₆ + 6O₂
यह समीकरण दर्शाता है कि:
• छह
अणु कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂)
और छह अणु पानी (H₂O)
का उपयोग सूर्य की ऊर्जा से किया जाता है।
• इस
प्रक्रिया से एक अणु ग्लूकोज (C₆H₁₂O₆) और छह अणु ऑक्सीजन (O₂) उत्पन्न होते हैं।
(b) इस प्रक्रिया
के दौरान होने वाली तीन घटनाएँ लिखिए।
उत्तर- प्रकाश संश्लेषण के
दौरान होने वाली तीन घटनाएँ:
1. प्रकाश पर निर्भर प्रतिक्रिया
(Light-dependent reactions):
यह प्रक्रिया तब होती है जब
सूर्य का प्रकाश पौधे की पत्तियों में स्थित क्लोरोप्लास्ट में अवशोषित होता है। इसमें
प्रकाश ऊर्जा का उपयोग करके जल को तोड़ा जाता है और ऑक्सीजन (O₂) की रिहाई होती है।
2. प्रकाश-स्वतंत्र प्रतिक्रिया
(Light-independent reactions) या कैल्विन चक्र:
यह प्रक्रिया प्रकाश के बिना
होती है। इसमें कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करके ग्लूकोज (C₆H₁₂O₆) जैसा कार्बोहाइड्रेट बनता
है। इस प्रक्रिया को कैल्विन चक्र कहा जाता है।
3. ATP और NADPH का निर्माण:
प्रकाश पर निर्भर प्रतिक्रिया
में ATP (Adenosine Triphosphate) और NADPH (Nicotinamide Adenine Dinucleotide
Phosphate) का उत्पादन होता है। ये दोनों ऊर्जा-युक्त अणु कैल्विन चक्र में कार्बन
डाइऑक्साइड को ग्लूकोज में परिवर्तित करने में सहायक होते हैं।
इस प्रकार, प्रकाश संश्लेषण
पौधों के लिए जीवनदायिनी प्रक्रिया है, जो न केवल उनका पोषण सुनिश्चित करती है, बल्कि
वातावरण में ऑक्सीजन का उत्पादन भी करती है, जो सभी जीवों के लिए आवश्यक है।
45. (a) वायु
से किसी माध्यम में प्रवेश करने पर प्रकाश की चाल वायु में उसके मान की आधी हो जाती
है। वायु के सापेक्ष उरा माध्यम का अपवर्तनांक ज्ञात कीजिए?
उत्तर- जब प्रकाश एक माध्यम
से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है, तो उसकी गति बदल जाती है। प्रकाश की गति का परिवर्तन
उस माध्यम के अपवर्तनांक (refractive index) से संबंधित होता है।
अपवर्तनांक (Refractive
Index) का सूत्र: n = c/v
जहाँ:
n= अपवर्तनांक (refractive
index)
c = प्रकाश की गति (जो वायु
में होती है या निर्वात में, लगभग 3×108 m/s
v = उस माध्यम में प्रकाश की
गति
जानकारी:
जब प्रकाश वायु से दूसरे माध्यम
में प्रवेश करता है, तो उसकी गति वायु में उसकी गति के आधी हो जाती है।इसका मतलब है,
vmedium = vair/2जहाँ
vair = वायु में प्रकाश की गति और vmedium = दूसरे माध्यम में
प्रकाश की गति।
समाधान:
वायु में प्रकाश की गति
vair≈c है।
तो, vmedium =
c/2
अब, हम इस दूसरे माध्यम का
अपवर्तनांक nmedium निकाल सकते हैं:
nmedium = c/vmedium
= c\c\2 = 2
वह माध्यम जिसका अपवर्तनांक
2 है।
(b) अपवर्तनांक
n1 के पदार्थ से बनी कांच की एक स्लैब को अपवर्तनांक n2 के माध्यम
में रखा गया है। स्लैब पर एक प्रकाश किरण आपतित होती है। कांच की स्लैब से निकलने वाली
प्रकाश किरणों का पथ बनाएं, यदि
(i) n1
> n₂ (ii) n₁=n₂ (iii) n1 <n₂
उत्तर- जब कांच की स्लैब (जिसका
अपवर्तनांक n1 है) को किसी माध्यम (जिसका अपवर्तनांक n₂ है) में रखा जाता है और उस
पर प्रकाश की एक किरण आपतित होती है, तो प्रकाश की किरण के पथ में अपवर्तन
(refraction) इस पर निर्भर करेगा कि n1 और n₂ के बीच क्या अंतर है। इसके
आधार पर तीन प्रमुख स्थितियाँ दी गई हैं:
जब n1 > n₂
जब n₁=n₂
जब n1 <n₂
1. जब n1 >
n₂ (कांच का अपवर्तनांक
n1 माध्यम के अपवर्तनांक n₂ से
अधिक है):
• जब
प्रकाश कांच में प्रवेश करता है, तो उसका गति कम हो जाती है क्योंकि कांच का अपवर्तनांक
n1 अधिक है।
• जब
वह कांच से बाहर निकलता है (जिसका अपवर्तनांक n₂ है, जो कांच से कम है), तो उसकी गति बढ़ जाती
है।
• इसका
मतलब है कि प्रकाश किरण कांच से बाहर निकलते समय मोड़ेगी और बाहर की दिशा में फैल जाएगी,
क्योंकि अब वह कम अपवर्तनांक वाले माध्यम में आ रही है।
पथ:
आपतित प्रकाश किरण कांच में
प्रवेश करने के बाद कांच की सतह पर मोड़ जाएगी, और कांच से बाहर निकलते वक्त वह अधिक
फैल जाएगी।
2. जब n₁=n₂ (कांच का अपवर्तनांक
और माध्यम का अपवर्तनांक समान हैं):
• जब
कांच और माध्यम का अपवर्तनांक समान होते हैं, तो प्रकाश की गति दोनों ही माध्यमों में
समान होती है।
• इस
स्थिति में प्रकाश की दिशा में कोई बदलाव नहीं होता है। जब वह कांच से बाहर निकलता
है, तो वह उसी दिशा में रहेगा।
पथ:
प्रकाश की किरण सीधी दिशा में
जाएगी। कोई मोड़ या परिवर्तन नहीं होगा।
3. जब n1 <
n₂ (कांच का अपवर्तनांक
n1 माध्यम के अपवर्तनांक n₂ से
कम है):
• जब
कांच में प्रकाश की गति अधिक होती है (क्योंकि कांच का अपवर्तनांक n1 कम है), तो जब
वह कांच से बाहर
• निकलता
है, वह उच्च अपवर्तनांक वाले माध्यम n₂ में
प्रवेश करता है, जिससे उसकी गति घट जाती है।
• इसका
परिणाम यह होगा कि प्रकाश किरण कांच से बाहर निकलते समय कांच की दिशा में मुड़ेगी,
क्योंकि उच्च अपवर्तनांक वाले माध्यम में उसका गति कम हो जाएगा।
पथ:
प्रकाश की किरण कांच से बाहर
निकलते समय कांच की ओर **मुड़ जाएगी**। इसका कारण यह है कि कांच का अपवर्तनांक कम है
और माध्यम का अपवर्तनांक अधिक है।
सारांश:
• जब
n1 > n₂:
प्रकाश किरण कांच से बाहर निकलते समय बाहर की दिशा में फैलती है।
• जब
n₁=n₂: प्रकाश की किरण सीधी दिशा
में निकलती है, कोई अपवर्तन नहीं होता।
• जब
n1 <n₂:
प्रकाश किरण कांच से बाहर निकलते समय कांच की ओर मुड़ती है।
46. (क) आयोडीन
युक्त नमक का उपयोग क्यों उचित है? हमारे आहार में आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारी
का नाम बताइए और उसका एक लक्षण बताइए।
उत्तर- आयोडीन युक्त नमक का
उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि आयोडीन शरीर के लिए आवश्यक एक प्रमुख सूक्ष्म पोषक
तत्व है। यह थायरॉयड ग्रंथि को ठीक से कार्य करने के लिए आवश्यक होता है। थायरॉयड ग्रंथि
द्वारा उत्पन्न थायरॉयड हार्मोन (T3 और T4) शरीर की मेटाबोलिज्म दर, विकास, और ऊर्जा
के स्तर को नियंत्रित करते हैं। अगर शरीर में आयोडीन की कमी हो, तो थायरॉयड हार्मोन
का उत्पादन कम हो सकता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएँ हो सकती हैं। आयोडीन
युक्त नमक का उपयोग आयोडीन की कमी को रोकने का एक सरल और प्रभावी तरीका है।
आहार में आयोडीन की कमी से
होने वाली बीमारी का नाम और उसका लक्षण:
• बीमारी का नाम: गोलू (Goiter) गोलू
थायरॉयड ग्रंथि का आकार बढ़ जाने से होता है। यह एक सामान्य बीमारी है जो आयोडीन की
कमी के कारण होती है। आयोडीन की कमी से थायरॉयड हार्मोन का उत्पादन नहीं हो पाता और
थायरॉयड ग्रंथि बढ़ जाती है।
• लक्षण:
गोलू के लक्षणों में गले के सामने सूजन (गोलू का बढ़ना) दिखाई देती है। इसके अलावा,
शरीर में थकान, वजन बढ़ना, कमजोरी, और ठंड का अधिक अनुभव करना जैसी समस्याएँ भी हो
सकती हैं।
(ख) शरीर में
तंत्रिका आवेग किस प्रकार यात्रा करते हैं?
उत्तर- तंत्रिका आवेगों
की यात्रा का तरीका: तंत्रिका आवेग (नर्व इम्पल्स) तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन्स)
के माध्यम से यात्रा करते हैं। ये आवेग विद्युत रासायनिक संकेत होते हैं जो तंत्रिका
तंतु के माध्यम से तंत्रिका प्रणाली में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचते हैं। तंत्रिका
आवेगों की यात्रा निम्नलिखित प्रक्रिया के द्वारा होती है:
1. न्यूरॉन (तंत्रिका कोशिका):
तंत्रिका
आवेग न्यूरॉन के डेंड्राइट्स (प्राप्ति शाखाएँ) से शुरू होता है, जो संकेतों को अन्य
न्यूरॉन्स से प्राप्त करते हैं। डेंड्राइट्स के माध्यम से संकेत न्यूरॉन के साइटोप्रास्म
(कोशिका द्रव) तक पहुंचते हैं और फिर एक्सोन (न्यूरॉन का लम्बा तंतु) की दिशा में यात्रा
करते हैं।
2. एक्सोन (Axon): एक्सोन
में तंत्रिका आवेग तेजी से विद्युत संकेत के रूप में यात्रा करता है। यह आवेग एक न्यूरॉन
से दूसरे न्यूरॉन, मांसपेशी, या अंग तक पहुंचने के लिए यात्रा करता है।
3. सिनेप्स (Synapse): जब
तंत्रिका आवेग एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन या अंग तक पहुंचने के लिए अंतिम बिंदु
(जैसे सिनेप्स) पर आता है, तो यह विद्युत संकेत रासायनिक संकेत में बदल जाता है। इस
रासायनिक संकेत के द्वारा, एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन तक संकेत स्थानांतरित होता
है। यह प्रक्रिया न्यूरोट्रांसमीटर (जैसे ऐसिटाइलकोलिन) के माध्यम से होती है।
4. अंतिम प्रभाव: जब
तंत्रिका आवेग मांसपेशियों या अंगों तक पहुंचता है, तो वह मांसपेशी में संकुचन
(muscle contraction) या अन्य आवश्यक प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है।
इस प्रकार, तंत्रिका आवेगों
की यात्रा एक जटिल, लेकिन तेज़ और प्रभावी प्रक्रिया है, जो शरीर के विभिन्न हिस्सों
में तंत्रिका संकेतों को प्रसारित करने में मदद करती है।
Question Solution
Class 10 Social Science Jac Model Paper 2024-25
Class 10 Hindi (A) Jac Model Paper Solution 2024-25
10th Hindi Jac Model Question Solution,2022-23