प्रोजेक्ट परख (तैयारी उड़ान की)
मॉडल पेपर (कक्षा-XII) सेट-1
विषय-हिन्दी (ऐच्छिक)
समय-3
घण्टा अंक-80
आवश्यक
निर्देशः-
(अ)
इस प्रश्नपत्र में कुल 52 प्रश्न होंगे।
(ब)
1 से 30 तक बहुविकल्पीय प्रश्न होंगे, जो सभी अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न 01 अंक
का निर्धारित है।
(स)
31 से 38 तक कुल 08 प्रश्न होंगे, जिनमें से किन्हीं 06 प्रश्नों को हल करना होगा।
यें सभी प्रश्न 02 अंक के अतिलघुत्तरीय प्रश्न होंगे।
(द)
39 से 46 तक कुल 08 प्रश्न लघुत्तरीय होंगे, जिनमें से किन्हीं 06 प्रश्नों को हल
करना होगा। प्रत्येक प्रश्न तीन अंक का होगा।
(य)
47 से 52 तक कुल 06 प्रश्न दीर्घ उत्तरीय होंगे, जिनमें से किन्हीं 04 प्रश्नों को
हल करना होगा। प्रत्येक प्रश्न 05 अंक के होंगे।
समूह (अ-बहुविकल्पीय प्रश्न) 30X01=30
अपठित
गद्यांशः- राजभाषा का अर्थ राजा या राज्य की भाषा है। वह भाषा जिसमें शासक या शासन
का काम होता है। राष्ट्रभाषा वह है, जिसका व्यवहार राष्ट्र के सामान्य जन करते
हैं। राजभाषा का क्षेत्र सीमित होता है। राष्ट्रभाषा सारे देश की संपर्क भाषा है।
राष्ट्रभाषा के साथ जनता का भावात्मक लगाव होता है। क्योंकि उसके साथ जनसाधारण की
सांस्कृतिक परम्परायें भी जुड़ी रहती हैं।
प्रश्न-01:- राष्ट्रभाषा के प्रमुख लक्षणों में से इनमें से कौन सा
व्यवहार नहीं है ?
(क) क्षेत्र सीमित होता है
(ख.)
सामान्य जन भाषा है
(ग)
सारे देश की संपर्क भाषा है
(घ.)
जनता की भावनात्मक तथा सांस्कृतिक भाषा है
प्रश्न-02:- राजभाषा का क्षेत्र-
क) सीमित होता है,
ख.)
विस्तृत होता है
ग)
दोनों क और ख
घ.)
कुछ भी नहीं होता
प्रश्न-०3:- राजभाषा
वह है-
क.) जिसमें शासक या शासन काम करता है.
ख)
जिसमें जनता काम करती हैं.
ग)
जिसमें मजदूर काम करते हैं
घ)
इनमें से कोई नहीं,
प्रश्न-04:-राष्ट्रभाषा क्या है ?
क.)
काम काज की भाषा है,
ख) सारे देश की संपर्क भाषा है
ग)
सिर्फ विशिष्ट लोगों की भाषा है
घ)
अधिकारी की भाषा है,
प्रश्न-05 :- राष्ट्रभाषा के साथ जनता का-
क)
सांस्कृतिक लगाव होता है
ख.) भावात्मक लगाव होता है
ग)
विचारात्मक लगाव होता है
घ)
प्रदर्शनात्मक लगाव होता है
अपठित
पद्यांशः-
हर
किरण तेरी संदेशवाहिका
पवन
गीत तेरे गाता,
तेरे
चरणों को छूने को,
लालायित
हिमगिरि का माथा !
आलोक
सृष्टि में तेरा है,
सम्पूर्ण
सृष्टि का रोम-रोम
चिर
ऋणि उपासक तेरा है।
तुझसे
ही सूर्य प्रकाशित है
अगणित
आकाश गंगाएँ
नन्हीं
बूंदे तेरे आगे.
तू
आदि-अन्त से मुक्त
काल-
अस्तित्वहीन तेरे आगे।
प्रश्न-06:- किरण किसकी संदेश वाहिका एवं पवन किसका गीत गाता है ?
क) ईश्वर
ख.)
मनुष्य
ग)
राजा
घ)
देवता
प्रश्न-07- हिमगिरि किसके चरणों को छूना चाहता है ?
क.)
किन्नर के
ख)
गन्धर्व के
ग.) ईश्वर के
घ)
धरती के
प्रश्न-08:-हिमगिरि में कौन सा समास होगा ?
क.)
द्विगु
ख) बहुब्रीहि
ग)
तत्पुरुष
घ.)
कर्मधारय
प्रश्न-09:- हिमगिरि का क्या अर्थ होता है।
क)
आकाश
ख) हिमालय
ग)
हवा
घ)
पानी
प्रश्न-10:-सम्पूर्ण सृष्टि का रोम-रोम में
कौन सा अलंकार है।
क.) यमक
ख) श्लेष
ग) उपमा
घ) अनुप्रास
पाठ आधारित गधांशः-
मेरे पिताजी फारसी के अच्छे ज्ञाता और पुरानी हिन्दी कविता
के बड़े प्रेमी थे। फारसी कवियों की उक्तियों को हिन्दी कवियों की उक्तियों के साथ
मिलाने में उन्हें बड़ा आनन्द आता था। वे रात को प्रायः रामचरितमानस और रामचन्द्रिका
घर के सब लोगों को एकत्र करके बड़े चित्ताकर्षक ढंग से पढ़ा करते थे। आधुनिक हिन्दी
साहित्य में भारतेन्दु जी के नाटक उन्हें बहुत प्रिय थे। उन्हें भी कभी-कभी सुनाया
करते थे। जब उनकी बदली हमीरपुर जिले की राठ तहसील से मिर्जापुर हुई तब मेरी अवस्था
आठ वर्ष की थी।
प्रश्न-11:- प्रस्तुत गद्यांश के लेखक कौन
है ?
क.) भारतेन्दु
ख) जयशंकर प्रसाद
ग) प्रेमचन्द
घ) रामचन्द्रशुक्ल
प्रश्न-12:-प्रस्तुत गद्यांश के शीर्षक का
नाम क्या है ?
क.) सुमिरिनी के मनके
ख) प्रेमघन की याद में
ग) प्रेमघन की छाया स्मृति
घ) लेखक की कसौटी
प्रश्न-13:-लेखक के पिता किस भाषा के अच्छे
ज्ञाता थे ?
क.) हिन्दी
ख) संस्कृत
ग) अंग्रेजी
घ) फारसी
प्रश्न-14:- लेखक के पिता प्रायः किसका पाठ
किया करते थे ?
क) रामचरित मानस व रामचन्द्रिका
ख) गीता-महाभारत
ग) कबीर के पद
घ) सूरसागर
प्रश्न-15:- हमीरपुर से मिर्जापुर लौटने पर
उस समय लेखक की अवस्था क्या थी ?
क) 4 वर्ष
ख) 8 वर्ष
ग) 12 वर्ष
घ) 16 वर्ष
पठित पद्यांश :-
अरुण यह मधुमय देश हमारा !
जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।
सरस तामरस गर्भ विभा पर नाच रही तरूशिखा मनोहर।
छिटका जीवन हरियाली पर-मंगल कुंकुम सारा !
लघु सुरधनु से पंख पसारे-शीतल मलय समीर सहारे ।
उड़ते खग जिस ओर मुँह किए समझ नीड निज प्यारा।
प्रश्न-16:- अरुण का अर्थ क्या होता है ?
क) पीला
ख) हरा
ग) लाल
घ) काला
प्रश्न-17:- "अरुण यह मधुमय देश हमारा"
में किस देश के प्राकृतिक सौन्दर्य का निरूपण किया गया है ?
क) भारतवर्ष का
ख.) यूनान का
ग) ब्रिटिश का
घ) मलय का
प्रश्न- 18:-क्षितिज का अर्थ क्या होता है
?
क) पाताल
ख) धरती
ग) आकाश
घ) समुद्र
प्रश्न-19:- अरुण यह मधुमय देश हमारा किस नाटक
से लिया गया है और किसने किससे कहा है ?
क) चन्द्रगुप्त / कार्नेलिया चन्द्रगुप्त से
ख) स्कन्धगुप्त / देवसेना स्कन्धगुप्त से
ग) चन्द्रगुप्त / कार्नेलिया अपने पिता से
घ) चन्द्रगुप्त / चन्द्रगुप्त कार्नेलिया से,
प्रश्न- 20:-चन्द्रगुप्त नाटक के लेखक कौन
हैं ?
क). उपेन्द्रनाथ अश्क
ख) प्रेमचन्द्र
ग) जयशंकर प्रसाद
घ) भारतेन्दु
प्रश्न- 21:-जयशंकर प्रसाद के नाटक प्रायः-
क.) सामाजिक है
ख) ऐतिहासिक हैं.
ग) धार्मिक है
घ) सांस्कृतिक है,
प्रश्न-22:- सरोज-स्मृति के रचनाकार कौन हैं
?
क) निरालाजी
ख) प्रसादजी
ग) भारतेन्दुजी
घ) महादेवी वर्मा
प्रश्न-23:- सूरदास की झोपड़ी के लेखक कौन
है ?
क) प्रेमचन्द
ख) भारतेन्दु
ग) हजारी प्रसाद द्विवेदी
घ) सूरदास
प्रश्न- 24:- सूरदास की झोपड़ी किस उपन्यास
से लिया गया है ?
क) कर्मभूमि
ख) रंगभूमि
ग) सेवासदन
घ) गबन
प्रश्न- 25:- अज्ञेय का वास्तविक नाम (पूरानाम)
क्या है ?
क.) हीरानन्द सच्चिदानंद वात्स्यायन
ख.) सच्चिदानन्द वात्स्यायन हीरानन्द
ग.) सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन
घ.) वात्स्यायन हीरानन्द सच्चिदानन्द
प्रश्न- 26:- रामचन्द्र शुक्ल का जन्म किस
सन् में हुआ था?
क.) 1880 ई0 में
ख) 1884 ई० में,
ग) 1889 ई०. में
घ.) 1832ई० में
प्रश्न-27:- इनमें से प्रमुख जनसंचार माध्यम
नहीं हैं-
क) प्रिंट मीडिया
ख) टी. वी.
ग) रेडियो
घ) दमा
प्रश्न-28:- भारत में पहला छापाखाना कब और
कहाँ स्थापित हुआ, किसके द्वारा?
क.) 1556, गोवा/अंग्रेजों द्वारा
ख.) 1556. मुंबई / पुर्तगालियों द्वारा
ग.) 1556. गोवा / पुर्तगालियों द्वारा
घ.) 1560. गोवा / पुर्तगालियों द्वारा
प्रश्न-29:- भरत-राम का प्रेम किसके द्वारा
लिखा गया है ?
क.) तुलसीदास
ख) सूरदास
ग) कबीरदास
घ) गुरुनानक
प्रश्न- 30:- 'बारहमासा' किसकी रचना है ?
क) नूरमुहम्मद
ख) जायसी
ग) कबीरदास
घ) रसखान
समूह (ब-अतिलघु उत्तरीय प्रश्न) - 06X02=12
प्रश्न-31:- "देवसेना के गीत" किस
नाटक से लिया गया है, तथा इस गीत के कवि कौन हैं?
उत्तर- यह गीत स्कन्दगुप्त नाटक से लिया गया है, जिसके कवि
जयशंकर प्रसादजी हैं।
प्रश्न-32:- सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला आधुनिक
हिन्दी साहित्य के किस वाद से जुड़े थे?
उत्तर- निरालाजी आधुनिक हिन्दी साहित्य के छायावाद से जुड़े
हैं।
प्रश्न-33: संवदिया पाठ के लेखक कौन हैं, और
संवदिया का अर्थ क्या है ?
उत्तर- संवदिया पाठ के लेखक फणीश्वरनाथ 'रेणु' हैं। संवदिया
का अर्थ संदेशवाहक होता है।
प्रश्न-34:- हरगोबिन किस पाठ का पात्र है,
वह किसके विषय में वर्णन करता है ?
उत्तर- हरगोबिन संवदिया पाठ का पात्र है, वह बड़ी बहुरिया
के विषय में वर्णन करता है।
प्रश्न-35: समाचार लेखन के छः ककार कौन-कौन
है ?
उत्तर- समाचार के छः ककार हैं- क्या, कौन, किसने, कहाँ, कब,
क्यों कैसे ।
प्रश्न-36:- विशेष लेखन के किन्ही छः क्षेत्रों
के नाम लिखें?
उत्तर- विशेष लेखन के छः क्षेत्र हैं- खेल, कारोबार, सिनेमा,
स्वास्थ्य, विज्ञान एवं पर्यावरण ।
प्रश्न-37:- बिस्कोहर की माटी के लेखक का नाम
क्या है, एवं बिस्कोहर की माटी से लेखक का क्या संबन्ध है?
उत्तर- बिस्कोहर की माटी के लेखक का नाम विश्वनाथ त्रिपाठी
है। लेखक का इस माटी से आत्मीय संबंध है। क्योंकि बिस्कोहर लेखक की जन्मभूमि (गाँव)
है।
प्रश्न-38:- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियों का
संग्रह किस नाम से है, और कितने भाग में है ?
उत्तर- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियों का संग्रह मानसरोवर है,
जो आठ भाग में विभक्त है।
समूह (स- लघुत्तरीय प्रश्न) 06 X 03 18
प्रश्न-39- "मैने भ्रमवश जीवनसंचित मधुकरियों
की भीख लुटाई" काव्य पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर- "मैंने भ्रमवश जीवनसंचित, मधुकरियों की भीख लुटाई"
यह काव्य-पंक्ति जयशंकर प्रसाद जी द्वारा रचित स्कन्दगुप्त नाटक से लिया गया है। स्कन्दगुप्त
नाटक का यह अंतिम गीत है, जो देवसेना के गीत के नाम से प्रसिद्ध है। इस पंक्ति में
देवसेना अपने अपूर्ण परिणय के भाव को व्यक्त करती है। वह स्कन्दगुप्त से प्रेम करती
थी, और वह अपनी यौवन की संचित पूंजी को मधुकरियों की भाँति स्कन्दगुप्त पर बिना विचार
किये सर्वस्व लुटा देती है। किन्तु स्कन्दगुप्त के द्वारा उसे मनो-वांछित परिणाम प्राप्त
नहीं होता।
प्रश्न-40:- "जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज
को मिलता एक सहारा" काव्य पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर- यह पंक्ति जयशंकर प्रसादजी के नाटक चन्द्रगुप्त का
अंश है, जिसमें कार्नेलिया अपने पिता सेल्यूकस से भारतवर्ष के प्राकृतिक सौन्दर्य का
वर्णन करती हुई दिख रही है। इस पंक्ति के माध्यम से कार्नेलिया कहना चाहती है कि भारतवर्ष
सभी की आश्रय स्थली है। यहाँ केवल पशु-पक्षी ही नहीं, अनजान लोग तक सहारा प्राप्त करते
हैं।
प्रश्न-41:- सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जी
का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।
उत्तर- सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला एक छायावादी कवि थे। उनका
जन्म बंगाल के मेदिनीपुर जिले के महिषादल गांव में हुआ था। उनका पैतृक गाँव गढ़कोला
(उन्नाव उ०प्र०) था। उनके बचपन का नाम, सूर्य कुमार था। निरालाजी का जीवन काल 1899
से 1961 ई० तक था। ये कवि के साथ साथ उपन्यासकार भी थे। इनकी प्रमुख रचनाएँ- परिमल,
गीतिका, अनामिका, सरोज स्मृति, राम की शक्ति पूजा (काव्य-संग्राह) तथा बिल्लेसुर बकरिहा
बहुचर्चित उपन्यास हुए।
प्रश्न-42- बनारस में बसन्त का आगमन कैसे होता
है और उसका शहर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- 'बनारस' कविता के कवि केदारनाथ सिंह है। बनारस में
जब बसन्त का आगमन होता है, तो चारों तरफ धीरे-धीरे धूल उड़ने लगती है जिससे लोगों के
मुँह धूल से किरकिराने लगती है। बनारस में जब बसन्त का आगमन होता है चारो तरफ उमंग
एवं उल्लास का माहौल छा जाता है।
प्रश्न-43:- "यह दीप अकेला है. पर इसको
भी पंक्ति को दे दो" काव्य पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर- "यह दीप अकेला है, पर इसको भी पंक्ति को दे दो"
में कवि अज्ञेय का भाव निहित है कि व्यक्ति का अस्तित्व समाज के बिना कुछ भी नहीं है।
यहाँ दीप व्यक्ति का प्रतीक है एवं पंक्ति समाज का ।
प्रश्न-44:- बसन्त आया किसकी कविता है, और
कवि को बसंत आगमन की सूचना कैसे मिलती है?
उत्तर- बसन्त आया कविता रघुवीर सहाय की है। वसंत आगमन की
सूचना कवि को सुबह जब जा रहे थे तो सड़क में सूखी पत्तियां जो पैरों के नीचे आकर चरमराहट
की आवाज करती है, उससे तथा कैलेंडर से प्राप्त हुई। उसने किसी बंगले के अशोक के पेड़
पर चिड़िया की आवाज सुनी, सुबह 6 बजे गर्म पानी से नहाए हवा का उसे अनुभव हुआ। इन सभी
बातों से उसे पता चला कि वसंत का आगमन हो गया है।
प्रश्न-45- तुलसी दास का संक्षिप्त जीवन परिचय
देते हुए "हारे हूँ खेल जितावहुँ मोही" कथन का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर- गोस्वामी तुलसीदास भक्तिकाल के रामाश्रयीशाखा के प्रसिद्ध
कवि हैं। इनकी प्रसिद्ध रचना रामचरितमानस जो अवधी भाषा में है। इनका जन्म 1532 ई० को
ग्राँम राजापुर, जिला बाँदा उ० प्र० में हुआ था। भरत भ्राता राम के प्रति विश्वास एवं
प्रेम व्यक्त करते है एवं कहते है कि भ्राता राम का बड़ा स्नेह रहा है। बचपन में जब
खेल में हम हार जाते थे तो मुझे विजयी घोषित कर देते थे। अर्थात राम अपने अनुजों से
विशेष स्नेह करते थे। यह पंक्ति रामचरितमानस के अयोध्याकाण्ड के 'भरत राम प्रेम' से
लिया गया है।
प्रश्न-46-अगहन मास की विशेषता बताते हुए विरहिणी
(नागमती) की व्यथा-कथा का चित्रण प्रस्तुत करें।
उत्तर- अगहन मास की यह विशेषता जायसी जी द्वारा लिखे गये
ग्रन्थ पद्मावत के अन्तर्गत 'बारहमासा' का अंश है। जिसमें राजा रत्नसेन की प्रथम रानी
नागमती के वियोग का चित्रण किया गया है। नागमती कहती है कि अगहन का महीना जो शरद ऋतु
की सूचना दे रहा है। दिन छोटे एवं रातें बड़ी होने लगी हैं। इन दिनों में दुख को सहना
और कठिन हो जाता है। विरहिणी नायिका अपने प्रियतम के पास संदेश भंवरा एवं कौआ के माध्यम
से भेजती हुई कहती है कि मेरा यह कालापन आपके विरह में आपकी प्रियतमा (नागमती) जर गयी
जिसके उठने वाली धुएँ से हुए है।
समूह (द-दीर्घ उत्तरीय प्रश्न) 04x05 = 20
प्रश्न-47-"के पतिआ लए जाएत रे मोरा पिअतम पास ।
हिए नहिं सहस असह दुख रे भेल साओन मास ||
प्रस्तुत काव्य पंक्ति की व्याख्या स्पष्ट
करते हुए कवि विद्यापति के जीवन परिचय दीजिए।
उत्तर- प्रस्तुत काव्य पंक्ति विद्यापति द्वारा लिखे गये
पदावली के विरह संवेदना भाव से लिया गया है। इस पंक्ति में विरहिणी राधा के विरह संवेदना
को व्यक्त किया गया है। सावन का महीना लगा हुआ है। विरहिणी राधा अपनी सखी से कहती है
कि ऐसा कौन है, जो उसके प्रेम-पत्र को श्री कृष्ण तक ले जाए। राधा बिल्कुल अकेली हो
गई है, ऐसा कोई भी उसे दिख नहीं रहा है जो उसके पत्र को श्रीकृष्ण तक पहुंचा सकें।
प्रश्न-48:-संवदिया की क्या विशेषता है, और
गाँववालों के मन में संवदिया के प्रति क्या अवधारणा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- 'संवदिया' के लेखक फणीश्वरनाथ रेणु है। संवंदिया अर्थात्
संदेश वाहक प्राचीन काल में संदेशवाहक को या कहारों को भेजा जाता था। तब डाक घर आदि
की व्यवस्था नहीं थी। संदेशवाहक इस कार्य में दक्ष होते थे। वह तेजगति से यथास्थान
पर पहुंचकर संदेश को यथार्थ रूप में प्रस्तुत कर देता था। इस पाठ में संवदिया का नाम
हरगोबिन है। गाँव के लोग संवदिया को प्रायः निखट्टू, कामचोर अथवा गैरजिम्मेदार व्यक्ति
मानते थे। उनके बारे में यही आमधारणा रहती थी कि जो कोई अच्छा काम नहीं कर सकता था,
वही इस व्यवस्था को अपनाता था।
प्रश्न-49-नेहरूजी के द्वारा सुनाई गई कहानी
को अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर- नेहरू जी धर्म. चर्चा के दौरान एक कहानी सुनाई। यह
कहानी फ्रांस के विख्यात लेखक अनातोले द्वारा लिखी गई है। यह कहानी इस प्रकार है-
पेरिस में एक गरीब कलाकार रहता था।
वह शहर में घूम-घूम कर अपने करतब दिखाता था। और इसी के माध्यम से अपनी आजीविका चलाता
था। यही काम करते-करते वह वृद्ध हो गया और उसे ईश्वर की याद आई। क्रिसमस का समय था।
मरियम को भेंट स्वरूप उसके पास कुछ नहीं था। उसके साथ पादरी का व्यवहार अच्छा नहीं
रहा, किन्तु जीसस उस मदारी को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया।
प्रश्न-50:- विशेष लेखन की भाषा और शैली पर
प्रकाश डालें।
उत्तर- विशेष लेखन की भाषा शैली विशेष प्रकार की होती है।
विशेष लेखन किसी खास विषय या तकनीकी क्षेत्र से जुड़े विषयों पर किया जाता है। विशेष
लेखन में भी अपनी खास शब्दावली होती है। लेखन इस तरह करना चाहिए कि रिपोर्टर को समझने
में परेशानी न हो। विशेष लेखन में समाचारों के अलावा खेल, अर्थव्यवस्था, व्यापार, सिनेमा,
या मनोरंजन जैसे विषयों पर लिखा जाता है। विशेष पत्रकारों के पास अक्सर अपने चुने हुए
क्षेत्र में तकनीकी ज्ञान या विशेषज्ञता होती है। विशेष लेखन के तहत रिपोर्टिंग के
अलावा उस विषय या क्षेत्र विशेष पर फीचर टिप्पणी साक्षात्कार, लेख, समीक्षा और स्तंभ
लेखन भी आता है।
प्रश्न-51: - पत्रकारिता के प्रमुख प्रकारों
पर प्रकाश डालिए। अथवा भारतीय संस्कृति की उपादेयता पर एक निबन्ध लिखें।
उत्तर- पत्रकारिता के प्रमुख प्रकार निम्नाकिंत् हैं-
1) खोजपरक पत्रकारिता
2.) विशेषीकृत पत्रकारिता
3) वॉचडॉग पत्रकारिता
4) एडवोकेसी पत्रकारिता
5) वैकल्पिक पत्रकारिता
इस प्रकार सभी पत्रकारिता का प्रकार हमारे लिए, हमारे समाज
एवं देश के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं।
अथवा
उत्तर -
भारतीय संस्कृति की उपादेयता पर एक निबन्ध
प्रस्तावना
भारत अपनी विविध आदतों और मान्यताओं के कारण एक विशाल
सांस्कृतिक संगम स्थल है। भले ही लोग अधिक समकालीन होते जा रहे हैं, फिर भी वे
नैतिक सिद्धांतों को कायम रखना और पारंपरिक अवकाश समारोह मनाना जारी रखते हैं। इसलिए
रामायण और महाभारत के महाकाव्य पाठ आज भी जीवित हैं।
भारतीय संस्कृति के प्रमुख आधार
भारतीय संस्कृति के प्रमुख आधार निम्नलिखित हैं-
जातीय एवं भाषाई रचना
भारत आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय जनगणना में नस्लीय या जातीय
श्रेणियों को मान्यता नहीं देता है, फिर भी यह दुनिया में जातीय रूप से सबसे विविध
आबादी में से एक है। मोटे तौर पर, भारत की जातीयताओं को उनकी भाषाई पृष्ठभूमि के
आधार पर मुख्य समूहों में विभाजित किया जा सकता है, जिनमें से दो सबसे बड़े समूह
इंडो-आर्यन और द्रविड़ियन हैं।
उदाहरण के लिए, इंडो-आर्यन जातीयता से संबंधित कई लोग देश
के उत्तरी हिस्से में रहते हैं। आमतौर पर बोली जाने वाली इंडो-आर्यन भाषाओं में
हिंदी, गुजराती, बंगाली, मराठी, उर्दू, उड़िया और पंजाबी शामिल हैं। इस बीच,
द्रविड़ जातीयता से संबंधित लोग आम तौर पर देश के दक्षिणी हिस्से में रहते हैं।
आमतौर पर बोली जाने वाली द्रविड़ भाषाओं में तमिल, कन्नड़, तेलुगु और मलयालम शामिल
हैं।
‘इंडो-आर्यन’ और ‘द्रविड़ियन’ के ये लेबल आमतौर पर भारतीय
जातीय विविधता की उत्पत्ति को वर्गीकृत करने में सहायक तरीके के रूप में काम करते
हैं, हालांकि वे जरूरी नहीं कि लोगों की व्यक्तिगत पहचान को दर्शाते हों। उदाहरण
के लिए, लोग स्वयं को ‘इंडो-आर्यन’ या ‘द्रविड़ियन’ के रूप में वर्णित करने की
संभावना नहीं रखते हैं।
इन व्यापक भाषा समूहों के भीतर, 22 प्रमुख भाषाओं और
सैकड़ों क्षेत्रीय या स्थानीय भाषाओं के लिए विशाल भाषाई विविधता मौजूद है।
अधिकांश भारतीय द्विभाषी या बहुभाषी होते हैं, वे अपनी क्षेत्रीय भाषा(भाषाओं) के
साथ-साथ एक आधिकारिक भाषा भी बोलते हैं। अंग्रेजी को एक सहायक आधिकारिक भाषा माना
जाता है जिसे अक्सर सरकारी और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए आरक्षित किया जाता है।
जो लोग एक समान पहली या मूल भाषा साझा नहीं करते हैं वे आम तौर पर हिंदी या
अंग्रेजी में संवाद करेंगे। भारत की भाषाई विविधता पर विचार करना महत्वपूर्ण है क्योंकि
कई भारतीय अपनी भाषा (विशेषकर अपनी क्षेत्रीय या स्थानीय भाषा) को पहचान का स्रोत
मानते हैं।
सामाजिक संरचना और स्तरीकरण
भारत में एक अत्यधिक स्तरीकृत पारंपरिक सामाजिक संरचना है,
जिसे अक्सर ‘जाति’ प्रणाली के रूप में जाना जाता है। ‘जाति’ शब्द ‘कास्टा’ शब्द से
आया है, जिसका उपयोग पुर्तगाली पर्यवेक्षकों द्वारा भारतीय समाज के सामाजिक
स्तरीकरण का वर्णन करने के लिए किया गया था। जाति व्यवस्था एक प्राचीन संस्था है
जिसे आम तौर पर भारतीय उपमहाद्वीप के लिए अद्वितीय माना जाता है। हालाँकि जाति
व्यवस्था को अक्सर एक ही शब्द के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाता है, लेकिन वास्तव में
जाति व्यवस्था स्तरीकरण की दो अलग-अलग अतिव्यापी प्रणालियों का प्रतिनिधित्व करती
है।
बड़े पैमाने पर जाति व्यवस्था को ‘वर्ण’ व्यवस्था के रूप
में जाना जाता है। यह समाज को चार व्यापक श्रेणियों में वर्गीकृत करता है;
ब्राह्मण (पुरोहित जाति), क्षत्रिय (कुलीन जाति), वैश्य (व्यापारी जाति) और शूद्र
(कारीगर या मजदूर जाति)। समाज के कुछ सदस्यों द्वारा वर्ण व्यवस्था को आदर्श
सामाजिक संरचना के रूप में देखा जाता था। समय के साथ, निचले स्तर की विशेष जातियों
को उच्च जातियों की तुलना में ‘कम शुद्ध’ के रूप में कलंकित किया गया, और उनके बीच
बातचीत सीमित हो गई। ‘दलितों’ (‘अछूतों’) का विचार एक आधुनिक जोड़ था। जाति
व्यवस्था से बाहर मानी जाने वाली इस श्रेणी को भारतीय समाज के सबसे निचले दर्जे और
‘सबसे कम शुद्ध’ सदस्यों के रूप में समझा जाता था।
छोटे स्तर की जाति व्यवस्था, जिसे ‘जाति’ प्रणाली के रूप
में जाना जाता है, में 2,000 से अधिक जाति श्रेणियां शामिल हैं जो किसी के जन्म के
परिवार के आधार पर उसके व्यवसाय का निर्धारण करती हैं। इन व्यवसायों या जातियों को
क्रमबद्ध किया गया है, कुछ को जाति-तटस्थ माना जाता है (जैसे कृषि या गैर-पारंपरिक
सिविल सेवा)। भारतीय संस्कृति के दैनिक सामाजिक संगठन में जाति व्यवस्था विशेष रूप
से ध्यान देने योग्य है।
अंतरजातीय संबंध
जाति व्यवस्था अब कानूनी रूप से लागू नहीं है, और जाति के
आधार पर भेदभाव गैरकानूनी है। 20वीं सदी के उत्तरार्ध में, भारतीय सरकारों ने
आर्थिक, सामाजिक और ऐतिहासिक मानदंडों के आधार पर जाति श्रेणियों को चार सामान्य
वर्गों में से एक में विभाजित किया है। जातियों के बीच असमानताओं को दूर करने के
लिए, सरकार ने सकारात्मक कार्रवाई कार्यक्रम स्थापित किए हैं, जो ऐतिहासिक रूप से
वंचित या उत्पीड़ित जातियों के लिए नौकरियां, शिक्षा छात्रवृत्ति और अन्य लाभ
आरक्षित करते हैं।
बहुत से लोग, विशेषकर शहरी क्षेत्रों और बड़े शहरों में,
स्पष्ट रूप से जाति व्यवस्था का पालन नहीं करते हैं। हालाँकि, जाति की सामाजिक
धारणाएँ भारतीय जीवन के कुछ पहलुओं पर प्रभावशाली बनी हुई हैं। उदाहरण के लिए,
जाति व्यवस्था व्यवस्थित विवाह की प्रथा के माध्यम से विवाह को सूचित करना जारी
रखती है, जो आम तौर पर मौजूदा (अक्सर जाति-आधारित) नेटवर्क के माध्यम से किया जाता
है (परिवार में रिश्ते और विवाह देखें)। ग्रामीण क्षेत्रों में जाति व्यवस्था का
अधिक सख्ती से पालन किया जाता है।
हालाँकि जाति व्यवस्था के भीतर ऊपर की ओर गतिशीलता कठिन बनी
हुई है, विभिन्न जातियों द्वारा सामाजिक व्यवस्था को बदलने और व्यवस्था को चुनौती
देने के प्रयास किए गए हैं। सामाजिक व्यवस्था पर लगातार बातचीत चल रही है, और
‘निचली’ जातियों के लोग अधिक ‘शुद्ध’ जातियों की जीवनशैली के कुछ तत्वों को अपनाकर
सामाजिक संरचना को चुनौती देने के लिए जाने जाते हैं। कुछ उदाहरणों में ‘प्रदूषण
फैलाने वाले’ या ‘अपमानजनक’ व्यवसायों से दूर रहना, शाकाहार का पालन करना और शराब
से परहेज करना शामिल है। इस बीच, कुछ जातियाँ इस बात पर ज़ोर देने के लिए जानी
जाती हैं कि जाति की स्थिति अन्य कारकों जैसे आर्थिक स्थिति, भूमि स्वामित्व और
राजनीतिक शक्ति द्वारा निर्धारित की जानी चाहिए।
हालाँकि जाति के आधार पर खुला भेदभाव बेहद असामान्य है, हर
कोई सामाजिक संरचना के बारे में सूक्ष्म जागरूकता रखता है। लोग अपनी और अपने
आस-पास के लोगों की सामाजिक स्थिति के प्रति सचेत रहते हैं। किसी की अपेक्षित
भूमिका पर सवाल उठाना या उससे भटकना अभी भी अपेक्षाकृत दुर्लभ है।
इस प्रकार, भारत के किसी व्यक्ति के साथ बातचीत करते समय,
यह ध्यान में रखना उचित है कि जाति संरचना अक्सर जन्म से ही किसी के व्यवसाय और
सामाजिक प्रतिष्ठा को व्यवस्थित रूप से निर्धारित करती है। हालाँकि किसी व्यक्ति
की जाति (बड़े पैमाने पर वर्ण व्यवस्था के अर्थ में) के बारे में पूछताछ करना
अनुचित हो सकता है, लेकिन किसी के व्यवसाय के बारे में पूछना सामाजिक रूप से
स्वीकार्य है।
उपसंहार
भारत समृद्ध संस्कृति और विरासत की भूमि है। प्राचीन
मंदिरों और स्मारकों से लेकर सुंदर कला और वास्तुकला तक, भारत में देखने और तलाशने
के लिए बहुत कुछ है। भोजन भी अविश्वसनीय रूप से विविध है, प्रत्येक क्षेत्र का
अपना अनूठा व्यंजन है।
भारतीय संस्कृति निश्चित रूप से सबसे प्राचीन और लचीली है,
लेकिन फिर भी आज की युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति को भूलकर अंग्रेजो द्वारा फैलाई गई
पश्चिमी संस्कृति का पालन कर रही है जो बड़ा ही चिंताजनक है।
निश्चित रूप से, उन जीवंत रंगों के बारे में न भूलें जो
भारतीय संस्कृति का पर्याय हैं।
प्रश्न-52: - पत्रलेखन-
(क) ग्रामीण विद्युत समस्या पर बिजली विभाग
को पत्र लिखिए।
उत्तर- ग्रामीण बिजली समस्या पर पत्र लेखन
सेवा में,
विद्युत परियोजना विभाग,
पाकुड (झारखण्ड)।
विषय :- ग्रामीण बिजली समस्या से संबन्धित ।
महोदय,
आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारे गाँव में बिद्युत की समस्या
बहुत बड़ी है। जिसके कारण हम बच्चों को पढ़ाई करने में बडी समस्या का सामना करना पडता
है।
अतः श्रीमान से विनम्र निवेदन है कि हमारे गाँव की विद्युत
समस्या को देखते हुए समाधान करने की कृपा करें। जिसके लिए हम ग्रामीणवासी आपके आभारी
रहेंगे।
दिनांक- 20.12.2024
आपका विश्वसनीय प्राथी
महेश कुमार
हिरणपुर पाकुड़।
अथवा
(ख) पुस्तकालय सुविधा हेतु विद्यालय के प्रधानाध्यापक
के नाम से पत्र लिखिए।
उत्तर -
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक महोदय,
+2 उ०वि०गोपीकान्दर, दुमका
विषय: विद्यालय पुस्तकालय सुविधाओं में सुधार
हेतु अनुरोध
माननीय महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं, [आपका नाम], कक्षा
[कक्षा] का छात्र/छात्रा हूँ। मैं विद्यालय के पुस्तकालय का नियमित उपयोग
करता/करती हूँ और मुझे पुस्तकालय की सुविधाओं का लाभ मिलता है।
मैं यह पत्र आपको विद्यालय के पुस्तकालय
सुविधाओं में सुधार के लिए लिख रहा/रही हूँ। वर्तमान में, पुस्तकालय में
[पुस्तकालय की मौजूदा समस्याएँ, जैसे पुस्तकों की कमी, पुराने पुस्तकें, बैठने की
व्यवस्था आदि] जैसी कुछ समस्याएँ हैं। इन समस्याओं के कारण छात्रों को पढ़ाई में
काफी परेशानी हो रही है।
मैं आपसे अनुरोध करता/करती हूँ कि विद्यालय
पुस्तकालय में निम्नलिखित सुधार किए जाएं:
नई पुस्तकों का संग्रह: विभिन्न विषयों पर नई
पुस्तकें खरीदकर पुस्तकालय का संग्रह बढ़ाया जाए।
पुराने पुस्तकों का रखरखाव: पुराने पुस्तकों
की मरम्मत कर उन्हें पढ़ने योग्य बनाया जाए।
अधिक बैठने की व्यवस्था: छात्रों के लिए
पर्याप्त संख्या में बैठने की व्यवस्था की जाए।
पत्रिकाओं और समाचार पत्रों की उपलब्धता:
विभिन्न पत्रिकाओं और समाचार पत्रों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
पुस्तकालय के नियमित रखरखाव: पुस्तकालय को
साफ-सुथरा रखने के लिए नियमित रूप से साफ-सफाई की जाए।
मैं आशा करता/करती हूँ कि आप मेरे इस अनुरोध
पर गंभीरता से विचार करेंगे और विद्यालय पुस्तकालय की सुविधाओं में सुधार के लिए
आवश्यक कदम उठाएंगे।
धन्यवाद।
भवदीय,
रमेश कुमार
वर्ग -12वीं
रोल नंबर- 10