6.पारिस्थितिकी तंत्र की सामान्य संकल्पना (General Concept of an Ecosystem)

6.पारिस्थितिकी तंत्र की सामान्य संकल्पना (General Concept of an Ecosystem)
6.पारिस्थितिकी तंत्र की सामान्य संकल्पना (General Concept of an Ecosystem)

6.पारिस्थितिकी तंत्र की सामान्य संकल्पना (General Concept of an Ecosystem)

प्रश्न : पारिस्थितिकी तंत्र की सामान्य संकल्पना पर प्रकाश डालिये।

पारिस्थितिकी तंत्र क्या है? विभिन्न पर्यावरण वैज्ञानिकों ने पारिस्थितिकी तंत्र की किस प्रकार व्याख्या की है?

विभिन्न परिभाषाओं के संदर्भ में पारिस्थितिकी तंत्र को स्पष्ट कीजिये।

पारिस्थितिकी तंत्र से आप क्या समझते हैं? तर्क पूर्ण उत्तर दीजिये।

उत्तर : जीव-समूह एक दूसरे से अलग-अलग होकर नहीं रह सकते। जीव पर्यावरण विशेष में जन्मते और पनपते हैं। पर्यावरण ही जीवन धारणा की उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है तथा इसके निमित्त उन्हें पदार्थ और ऊर्जा प्रदान करता है। पर्यावरण जीवों के लिए जीवनानुकूल परिस्थितियाँ और अवसर भी उपलब्ध कराता है। जीवों की प्रजातियाँ और इसका भौतिक (अजैविक) पर्यावरण जिनमें पदार्थों (रासायनिक तत्त्वों) और) ऊर्जा प्रवाह का चक्र चलता रहता है 'पारिस्थितिकी तंत्र' कहलाता है।

'पारिस्थितिकी तंत्र' शब्द का प्रथम प्रयोग ए. जी. टैनस्ले ने 1935 ई. में किया था। उन्होंने 'पारिस्थितिक तंत्र' को परिभाषित करते हुए लिखा था- "पर्यावरण के सभी जैविक और अजैविक कारकों की समेकित अन्तः क्रियाओं के प्रतिफल स्वरूप जो 'तंत्र' विकसित हुआ, उसे ही पारिस्थितिकी तंत्र कहा जाता है।" (The system resulting from the integration of all the living and non-living factors of the environment) इस प्रकार टैनस्ले की पारिस्थितिकी तंत्र की परिभाषा में न केवल जीव या जैविक समूह अन्तर्विष्ट है अपितु पर्यावरण की सृष्टि के सम्पूर्ण भौतिक घटक (factors) भी शामिल है। इस मत को ध्यान में रखते हुए हम पृथ्वी की कल्पना एक वृहदाकार 'पारिस्थितिकी तंत्र' के रूप में कर सकते हैं। इसी वृहदाकार पारिस्थितिकी तंत्र के अन्तर्गत जैविक एवं अजैविक अवयव परस्पर क्रिया और प्रतिक्रिया करने रहते हैं जो इसमें संरचनात्मक और क्रियात्मक परिवर्तनों के कारण बनते हैं। विशाल पारिस्थितिक तंत्र को समग्रता में एक साथ समझना कठिन होता है। अतः अध्ययन की सुविधा के लिए इसके छोटे-छोटे कृत्रिम विभाजन किये गये हैं।

पारिस्थितिक तंत्र को टैनस्ले के अतिरिक्त अन्य अनेक विद्वानों ने परिभाषित किया है जिनमें सी. सी. पार्क, चार्ल्स एच. साउथविक, ई, वी, ओडम. एस एन. स्ट्राहलर, पी. हारोट्ट एवं आर. एल. लिण्डमैन प्रमुख हैं। इनकी परिभाषाओं को उद्धत करते हुए पारिस्थितिकी तंत्र को स्पष्टता के साथ परिभाषित करने की चेष्टा की जा रही है।

सी. सी. पार्क की दृष्टि में क्षेत्र विशेष के समस्त प्राकृतिक जीवों एवं तत्त्वों के सकल योग को 'पारिस्थितिकी तंत्र' कहते हैं। इस प्रकार पारिस्थितिकी तंत्र को भौतिक भूगोल के दृष्टिगत निकाय के आधारभूत उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है (The ecosystem is the sum of all natural organisms and substances within a certain area and it can be viewed as a basic example of an open system in physical geography.)

ई. पी. ओडम के अनुसार "पारिस्थितिकी तंत्र एक ऐसी इकाई है जिसके अन्तर्गत क्षेत्र विशेष के सभी जीव-समूह भौतिक पर्यावरण के साथ अन्तः क्रिया में रत रहते हैं। पारिस्थितिकी तंत्र के अन्तर्गत ऊर्जा का प्रवाह सुस्पष्ट संरचना, जैव विविधता एवं पदार्थ-चक्र की ओर संचारित रहता है" (An ecosystem is any unit that includes all organisms in a given area, interacting with the physical environment, so that a flow of energy leads to a clearly defined structure biotic diversity, and material cycles within the ecosystem.)

पारिस्थितिकी तंत्र को समझने में चार्ल्स साउथविक की परिभाषा भी सहायक है "An ecosystem is any spatial or organizational unit which includes living organism and non-living substances interacting to produce an exchange of material between the living and non-living parts." अर्थात् पारिस्थितिकी तंत्र स्थानिक अथवा एक संगठित इकाई है जिसके अन्तर्गत जीव-मण्डल (biosphere) और अजैविक पदार्थ (aboitic) एक दूसरे से अन्तःक्रिया करते रहते हैं। इस अन्तः क्रिया के फलस्वरूप जीव-समूह एवं अजैविक अवयवों के बीच पदार्थों का आदान-प्रदान होता रहता है।

ए. एन. स्ट्राहलर के मतानुसार पारिस्थितिकी तंत्र ऐसे घटकों का समूह है जो जीव-समूहों के साथ परस्पर अन्तः क्रिया करता रहता है। इस अन्तःक्रिया के फलस्वरूप पदार्थों तथा ऊर्जा का निवेश होता रहता है। इसी निवेश से जैविक संरचना का निर्माण होता है। (Ecosystem as the total assemblage of components entering into the interactions group of organisms)

पी. हागेट की परिभाषा में भी लगभग यही बात दुहरायी गयी है 'पारिस्थितिकी तंत्र ऐसी पारिस्थितिकी व्यवस्था है जिसमें पादप तथा जीव-जन्तु अपने पर्यावरण से आहार-श्रृंखला द्वारा परस्पर सम्बद्ध रहते हैं। (Ecosystems are ecological systems in which plants and animal, are linked to their environment through a series of food chains)

आर. एल. लिंडमैन ने क्षेत्र-विशेष, काल-विशेष और इकाई-विशेष के अन्तर्गत भौतिक, रासायनिक, जैविक प्रक्रमों से निर्मित तंत्र को पारिस्थितिकी तंत्र कहा है (The term ecosystem applies to any sytstem composed of physical, chemical biological processes within a specific time, unit of any magnitude)

निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि पारिस्थितिकी तंत्र जीव-मण्डल (biosphere) की लघुतम इकाई है जिसमें जीवन-संधारण की समस्त विशेषताएँ सन्निहित होती हैं।

पारिस्थितिकी तंत्र प्राकृतिक पोषण समूह, खनिज पदार्थों, पौयों, पशुओं और उनके अपनिले का ऐसा समूह है जो खाद्य, पोषक तत्त्वों एवं ऊर्जा के प्रवाह के साथ अभिन्न रूप से जुदा हुआ है। यह प्रवाह एक अवयव से दूसरे अवयव में चलता रहता है। तालाब, झरने, समुद्र, मरुभूमि (रेगिस्तान), नगर और तृणभूमि आदि सभी पारिस्थितिकी तंत्र के ही उदाहरण हैं। पारिस्थितिकी तंत्र का आकार परिवर्तनशील होता है अर्थात् स्थानों के अंतर से इसके आकार तक में भिन्नता हो सकती है। एक पारिस्थितिकी तंत्र मात्र कुछ वर्ग सेंटीमीटर तक सीमित हो सकता है जबकि दूसरे का विस्तार कई किलोमीटर तक हो सकता है। लघु आकार के पारिस्थितिकी तंत्र के उदाहरण के रूप में सूक्ष्म जीवाणुओं (microbial mats) को प्रस्तुत किया जा सकता है जबकि दूसरे के उदाहरण के रूप में उष्णकटिबंधीय वनों को देखा जा सकता है।

पारिस्थितिकी तंत्र के संदर्भ में यह बात महत्त्वपूर्ण है कि पारिस्थितिकी तंत्र की भौतिक संरचना अर्थात आकार, आकृति, सीमागत विविधता, आदि महत्त्वपूर्ण नहीं है प्रत्युत उनमें ऊर्जा का प्रवाह और रासायनिक तत्त्वों के वक्रों के प्रक्रम का अस्तित्व ही महत्त्वपूर्ण होता है।

उपर्युक्त विवेचन इस तथ्य की ओर संकेत करता है कि पारिस्थितिक तंत्र वास्तव में प्रकृति में विद्यमान एक ऐसी व्यवस्था है जो स्थान एवं काल-सापेक्ष है। इसी स्थान एवं कालगत सापेक्षता के परिप्रेक्ष्य में जैविक एवं अजैविक संघटक अपनी पारस्परिक अन्तः क्रियाओं के द्वारा अनेक विशिष्टताओं को प्रकट करते हैं। पारिस्थितिकी तंत्र का अस्तित्व ऊर्जा प्रवाह पर निर्भर होता है और यह प्रवाह निरंतर बना रहता है। पारिस्थितिकी तंत्र के अन्तर्गत ऊर्जा का उत्सर्जन (निर्गमन) एक सुनिश्चित अनुपात में हुआ करता है। अनुपात की यही सुनिश्चितता प्रकृति में संतुलन का कारण है। इसे ही पारिस्थितिकी तंत्र की संतुलन अवस्था कहा जाता है। किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र में उदाहरण स्वरूप तालाब में जीयों की विद्यमानता (existence) एवं विनाश प्रकृति के नियमानुसार होता है। लेकिन तालाब में जिस स्त्रोत से पानी आता है उसे अवरुद्ध कर देने पर पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन आ जायेगा। इसी कारण पारिस्थितिकी तंत्र को क्षेत्रीय ईकाई में पर्यावरण और जैविक अन्तर्सम्बन्धों का संतुलन कहा जाता है। जैव-मण्डल (biosphere) में जैविक (living) एवं अजैविक (non-living) तत्त्वों के बीच के परस्पसम्बन्धों का कार्यात्मक संतुलन ही पारिस्थितिक तंत्र है।

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