12th Sanskrit 11. उद्भिज्ज परिषद् (वृक्षों की सभा) JCERT/JAC Reference Book

12th Sanskrit 11. उद्भिज्ज परिषद् (वृक्षों की सभा) JCERT/JAC Reference Book
12th Sanskrit 11. उद्भिज्ज परिषद् (वृक्षों की सभा) JCERT/JAC Reference Book
11. उद्भिज्ज परिषद् (वृक्षों की सभा) अधिगम प्रतिफलानि 1. पाठ्यपुस्तकागतान् गद्यपाठान् अवबुध्य तेषां सारांशं वक्तुं लेखितुं च समर्थः अस्ति । (पुस्तक में आए हुए गद्य पाठों को समझकर उनका सारांश बोलने और लिखने में समर्थ होते हैं।) 2. तदाधारितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतेन वदति लिखति च । (उनपर आधारित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में बोलते और लिखते हैं।) 3. अपठितगद्यांशं पठित्वा तदाधारितप्रश्नानामुत्तरप्रदाने सक्षमः अस्ति । (अपठित गद्यांश को पढ़कर उसपर आधारित प्रश्नों के उत्तर देने में सक्षम होते हैं।) पाठपरिचयः - प्रस्तुत पाठ 'उद्भिज्ज-परिषद् पण्डित हृषीकेश भट्टाचार्य की निबन्ध पुस्तक 'प्रबन्ध मञ्जरी' से संक्षिप्त करके लिया गया है। उद्भिज्ज शब्द का अर्थ है- वृक्ष और परिषद् का अर्थ है सभा। इस शब्द का अर्थ हुआ 'वृक्षों की सभा।' इस सभा के सभापति हैं अश्वत्थ -पीपल। सभापति अश्वत्थ के भाषण के माध्यम से वृक्षों के प्रति मानवीय व्यवहार का वर्णन किया गया है। वे अपने भाषण में मानवों पर बड़े ही व्यंग्यपूर्ण प्रहार करते हैं। पाठसारांशः- सभी प्रकार के वृक्षों की सभा लगी हुई है। सभा के सभापति…