Samuelson Trade Cycle (सैम्युलसन व्यापार चक्र)

Samuelson Trade Cycle (सैम्युलसन व्यापार चक्र)

प्रो. पाॅल. . सैम्युलसन ने व्यापार चक्र के सिद्धान्त का प्रतिपादन अपने एक लेख 'Interaction between the Multiplier Analysis and Principle fo Acceleration' में किया है। सैम्युअलसन के अनुसार, व्यापार चक्र की पूर्ण व्याख्या गुणक तथा त्वरक की अंतर्क्रियाओं द्वारा ही की जा सकती है। केन्ज़ का व्यापार चक्र सिद्धान्त केवल गुणक पर निर्भर करता है। परन्तु गुणक तथा त्वरक की अंतर्क्रिया व्यापार चक्र सिद्धान्त के लिए अधिक महत्वपूर्ण है।

गुणक क्रिया में विनियोग कारण है और आय(उत्पादन) परिणाम है। गुणक उपभोग व्यय में निहित है और त्वरक विनियोग व्यय में, उपभोग व्यय में उपभोग की सीमांत प्रवृत्ति (MPC) पर निर्भर है जबकि विनियोग व्यय पूंजी उत्पाद अनुपात पर निर्भर है।

निवेश से स्वायत्त (स्वतंत्र) वृद्धि से उत्पादन एवं आय में वृद्धि होगी, जिससे उपयोग में वृद्धि होगी अब यदि अर्थव्यवस्था पूरी क्षमता से उपयोग हो रहा हो रहा हो तब त्वरक सिद्धांत के अनुसार उपभोग में वृद्धि से प्रेरित निवेश में वृद्धि होगी, जिससे उत्पादन और आय में पुनः वृद्धि होगी। इस प्रकार गुणक- त्वरक की परस्पर क्रिया से आय में परिवर्तन होता रहेगा।

मान्यताएं

प्रो. सैम्युलसन का गुणक-त्वरक अन्तक्रिया सिद्धांत निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित है -

1. वर्तमान समय की आय (राष्ट्रीय आय) उपभोग व्यय प्रेरित निवेश व्यय और सरकारी व्यय का परिणाम है।

2. उपभोक्ता आय अधिक करने के पश्चात ही उपभोग वस्तुओं पर खर्च करते हैं। अतः वर्तमान समय का उपभोग पिछली अवधि की आय पर निर्भर करता है।

3. उपभोग स्तर के बढ़ने (घटने) पर पूंजी स्टॉक में वृद्धि (कमी) होती है। उत्पादकों द्वारा पूंजी वस्तुओं में किया जाने वाला विनियोग उपभोग मांग में वृद्धि का एक मिश्रित अनुपात है।

4. पूंजी स्टॉक में हुई वृद्धि निवेश मात्रा को बढ़ाती है।

5. पूंजी वस्तुओं के संदर्भ में अर्थव्यवस्था पूर्ण उत्पादन क्षमता पर कार्यरत है जो भी उत्पादन होता है वह सब बिक जाता है।

6. अर्थव्यवस्था में एक अवधि काल में उपभोग की सीमांत प्रवृत्ति(MPC) तथा त्वरक अनुपात स्थिर रहते हैं।

7. अर्थव्यवस्था में श्रम पर्याप्त मात्रा में विद्यमान है।

8. सरकारी व्यय आय परिवर्तनो से स्वतंत्र है।

प्रो. सैम्युलसन के व्यापार चक्र में निम्न समीकरण हैं-

C = bYt-1 ----------(1)

Consumption depends on income of the previous period the constant 'b' is the marginal propensity to consume (MPC)

It = IIt + IIIt --------(2)

where

IIt = Induced Investment (प्रेरित निवेश)

IIIt = Autonomous Investment (स्वायत्त निवेश)

and It = Total Investment (कुल निवेश)

Autonomous investment which is public expenditure is assumed constant. Thus

IIIt = G ----------(3)

Induced investment depends upon the Variation in the demand for Consumption goods

IIt = K (Ct - Ct-1 )-------(4)

The equation Condition is

Yt = Ct + It ------(5)

Yt = bYt-1 + KCt - KCt-1 +G

Yt = bYt-1 + K bYt-1 - K bYt-2 +G

Yt = bYt-1 (1+ K) - K bYt-2 +G

Yt - bYt-1 (1+ K) + K bYt-2  = G -----(6)

Try Ȳ for all Y

Ȳ - bȲ (1+ K) + K bȲ = G

Ȳ {1- b(1+K) +Kb} = G

Ȳ {1 – bK + Kb} = G

Ȳ `=\frac G{1-b}`---------(7)
The valu of equilibrium income is Thus obtained by applying the valu of multiplier
`\frac1{1-b}` to the Autonomous investment G.

The corresponding homogeneous eqution of eqution (6) is

Yt - bYt-1 (1+ K) + K bYt-2  = 0 -----(8)

Try λt as a Solution

λt - bλt-1 (1+ K) + K bλt-2  = 0

λt-2 [ λ2 – bλ(1+K) + Kb] = 0

λ2 – bλ(1+K) + Kb = 0 ---------(9)

We Apply the Stability Conditioned

          1 - b(1+K) + Kb > 0

or.         1- b -Kb + Kb > 0

                         1- Kb > 0

          1 +b (1+K) + Kb > 0

All eqution (10) is

The first eqution is satisfeid because of which is MPC is always less than 1. The third eqution is satisfeid because L.H.S is a sum of all positive Quantites. The cruciel inequality condition is than the 2nd one . Thus

We may say that the stability condition is

               1- Kb > 0

or,           1 > Kb 

or,           Kb < 1

or,           b < `\frac1{K}` -------(11)

Note :- Y ® Ȳ

 b < `\frac1{K}` (Demped or Stable or Convergent )

b > `\frac1{K}` (Explosive or Unstable or Divargent)

The discriminent of equation (9) is

= b2 – 4ac

= b2(1+K)2 – 4Kb

>=< b2(1+K)2 >=< 4Kb

>=< b >=< `\frac{4K}{\left(1+K\right)^2}` -----(12)

Note :- Δ > 0 or Δ = 0 (Roots Real, Monotonic) , Δ < 0 ( Roots Complex, Oscillatory)

Putting to gether eqution (11) and (12) we have all the possible cases which has been plothed in fig.

In fig. are plothed b = `\frac{4K}{\left(1+K\right)^2}` (The curve OPS) and the fuction b = `\frac1{K}` (The curve PQ) Since b<1 we are inetercted onlyin. That part of the positive quadrant. Which is below the broken line four regions are than indivicluated

Δ > 0 Roots Real, and Distinct Monotonic

Δ = 0 Roots Real, and Equal Monotonic

Δ < 0 Roots Complex or imaginary or Oscillatory

Region A: Every point in this region lies above b = `\frac{4K}{\left(1+K\right)^2}` and also below b = `\frac1{K}` Thus b < `\frac1{K}` and b > `\frac{4K}{\left(1+K\right)^2}` the stability condition is satisfied and roots are real. The result is Monotonic damped

Region B: Every point in this region lies below  b = `\frac{4K}{\left(1+K\right)^2}` and also below  b = `\frac1{K}` Thus b < `\frac1{K}` and b < `\frac{4K}{\left(1+K\right)^2}` the stability condition is satisfied and roots are Complex. The result is damped oscillation

Region C: Every point in this region lies above b = `\frac{4K}{\left(1+K\right)^2}` and also below b = `\frac1{K}` Thus b > `\frac1{K}` and b < `\frac{4K}{\left(1+K\right)^2}` the stability condition is not satisfied and roots are Complex. The result is Explosive oscillation

Region D: Every point in this region lies above b = `\frac{4K}{\left(1+K\right)^2}` and also above b = `\frac1{K}` Thus b > `\frac1{K}` and b > `\frac{4K}{\left(1+K\right)^2}` the stability condition is not satisfied and roots are real. The result is Monotonic Explosive

विशेषताएं

प्रो. सैम्युलसन के गुणक-त्वरक अन्तक्रिया सिद्धांत प्रमुख विशेषताऐ निम्नलिखित हैं-

1. व्यापार चक्र की वैज्ञानिक व्याख्या- व्यापार चक्रो के ऐसे सिद्धांत जो अर्थव्यवस्था के आन्तरिक कारणों को व्यापार चक्र का जनक मानते हैं उनकी तुलना में प्रो. सैम्युलसन का गुणक-त्वरक अन्तक्रिया सिद्धांत व्यापार चक्र की सर्वाधिक संतोषप्रद एवं वैज्ञानिक व्याख्या प्रस्तुत करता है।

2. उपभोक्ताओं एवं उत्पादकों के संबंधित व्यवहार का परिणाम- प्रो. सैम्युलसन के अनुसार व्यापार चक्र उपभोक्ताओं एवं उत्पादकों के संबंधित व्यवहार का परिणाम है।

3. अवमन्दित एवं प्रतिमन्दित चक्र- प्रो. सैम्युलसन की व्याख्या के अनुसार व्यवहार में जो कुछ चक्र कभी अवमन्दित होते हैं और कुछ चक्र प्रतिमन्दित। इसमें कुछ चक्र अपेक्षाकृत अधिक अवधि के तथा अधिक तीव्र होते हैं और कुछ कम अवधि के कारण कमजोर विस्तार वाले होते हैं।

4. अर्थव्यवस्था में स्थिरता (Stability) बनाएं रखने के लिए उचित मार्गदर्शन।

5. व्यापार चक्र के उपयोगी उपकरणों का आविष्कार- प्रो. कुरिहारा के अनुसार "सीमांत उपभोग प्रवृत्ति की धारणा पर आधारित गुणक विश्लेषण से मिलकर ही त्वरक नियम व्यापार चक्र के उपयोगी उपकरणों के रूप में तथा व्यापार चक्र नीति के मार्गदर्शन के रूप में कार्य करता है"

आलोचनाएं

यद्यपि प्रो. सैम्युलसन के व्यापार चक्र सिद्धांत का काफी महत्व है फिर भी उनके सिद्धांत की निम्न आलोचनाएं की जाती है।

1. यान्त्रिक क्रिया- इस सिद्धांत के अध्ययन से ऐसा प्रतीत होता है कि अर्थव्यवस्था का संचालन मशीन की भांति होता है। गुणक एवं त्वरक उसके कलपुर्जे हैं जो निर्जीव और एक निश्चित क्रम में कार्य करता है किंतु वास्तविकता इससे भिन्न है। वास्तविक अर्थव्यवस्था इतनी जटिल है कि उसके संचालन का क्रमबद्ध विवरण देना कठिन है।

2. तकनीकी सिद्धांत- यह सिद्धांत तकनीकी अवधारणाओं में इतना गर्भित है कि मानवीय आर्थिक और मनोवैज्ञानिक अवधारणाओं के लिए सिद्धांत में कोई स्थान नहीं है। इस मॉडल में गुणक-त्वरक को इतना अधिक तकनीकी रूप दे दिया गया है कि उन्हें प्रभावित करने वाले गैर तकनीकी कारणों को छोड़ दिया गया है।

3. मौद्रिक शक्तियों की उपेक्षा- इस सिद्धांत की व्याख्या केवल वास्तविक शक्तियों के रुप में की गई है और मौद्रिक शक्तियों का इसमें कोई महत्व नहीं है, किन्तु आधुनिक अर्थशास्त्री प्रो. मिल्टन फ्रीडमैन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अर्थव्यवस्था की आय उत्पादन और कीमत स्तर को निर्धारित करने में मुद्रा का महत्वपूर्ण स्थान है।

4. विकासशील अर्थव्यवस्था में सिद्धांत का लागू ना होना- प्रो. हिक्स के अनुसार इस सिद्धांत में जिन चक्रों की व्याख्या की गई है वह प्रवृत्ति हीन अर्थव्यवस्था में स्थिर स्तर के ऊपर नीचे प्रदोलन करते हैं यह वास्तविक नहीं है, क्योंकि अर्थव्यवस्था प्रवृत्तिहीन नहीं होती बल्कि संवृद्धि की प्रक्रिया में रहती है।

5. अवास्तविक मान्यताऐ- इस सिद्धांत में यह मान लिया गया है कि उपभोग की सीमांत प्रवृत्ति और त्वरक स्थिर है, परन्तु वास्तव में वे आय के स्तर के साथ-साथ परिवर्तित होते हैं। अतः यह सिद्धांत अव्यवहारिक है।

6. व्यापार चक्र का सिद्धांत नहीं- आधुनिक आर्थिक चिंतक ग्रीनहट एवं जैकसन ने निष्कर्ष दिया है कि प्रो. सैम्युलसन का गुणक विश्लेषण और त्वरक सिद्धांत की अन्तक्रिया व्यापार चक्र के किसी सिद्धांत का प्रतिपादन नहीं करता बल्कि गुणक-त्वरक प्रभावों की अन्तक्रिया का एक विश्लेषण मात्र है।

निष्कर्ष- उपयुक्त त्रुटियों एवं कमियों के होते हुए भी या कहना उचित होगा की सैम्युलसन का गुणख-त्वरक अन्तक्रिया सिद्धांत अर्थव्यवस्था में कार्यरत शक्तियों को समझने के लिए एक अत्यंत ही सरल विश्लेषण प्रस्तुत करता है जो व्यवहारिक जीवन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

यहां सिद्धांत सामान्यता तीन वर्षीय व्यापार चक्र की व्याख्या करने के लिए प्रयुक्त होता है।

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