आंकड़ों के
प्रस्तुतीकरण
में
तथ्यों
को
इस
रुप
में
इस
प्रकार
सरल, संक्षिप्त
और
व्यवस्थित
किया
जाता
है
कि
सामान्य
व्यक्ति
को
आसानी
से
समझकर
उचित
परिणाम
निकाल
सके।
आंकड़ों
को
मुख्य
रुप
से
तीन
रुपों
में
दर्शाया
जा
सकता
है -
(A) सारणीयन
(B) चित्रमय प्रस्तुतीकरण
(C) बिन्दु रेखीय
प्रस्तुतीकरण
(A) सारणीयन
आंकड़ों को
पंक्तियों (Rows) तथा
स्तम्भों
(Columns) में व्यवस्थित रूप
में क्रमबद्ध करने की क्रिया
को
सारणीयन
कहते
हैं।
ब्लेयर के
अनुसार," सारणीयन
आंकड़ों
की
स्तंभों
एवं
पंक्तियों
में
क्रमानुसार
व्यवस्था
है।"
वर्गीकरण और सारणीयन में अन्तर
वर्गीकरण |
सारणीयन |
वर्गीकरण में आंकड़ों को उनके
गुणों के
आधार पर
वर्गीकृत किया
जाता है। वर्गीकरण,सारणीयन पर आधारित नहीं है। |
वर्गीकरण के बाद
आंकड़ों का
सारणीयन किया
जाता है।
सारणीयन, वर्गीकरण पर
आधारित है। |
वर्गीकरण में आंकड़ों को उनकी
समानता और
असमानता के
अनुसार विभिन्न वर्गों में बांटा
जाता है। |
सारणीयन में वर्गीकृत वर्गों को
रेखाओं द्वारा विभिन्न स्तम्भों व पंक्तियों में प्रस्तुत किया जाता
है। इस
दृष्टि से
सारणीयन वर्गीकरण की यन्त्रात्मक प्रक्रिया है। |
वर्गीकरण सांख्यिकीय विश्लेषण की एक
विधि है। |
सारणीयन आंकड़ों को
प्रस्तुत करने
की एक
प्रक्रिया है। |
वर्गीकरण के अंतर्गत आंकड़ों को
वर्गों व उपवर्गों में बांटा
जाता है। |
सारणीयन के अन्तर्गत आंकड़ों को
शीर्षकों व
उप-शीर्षकों में
प्रस्तुत किया
जाता है। |
वर्गीकरण में प्रतिशत, अनुपात आदि नहीं दिखाते जाते हैं। |
सारणीयन में प्रतिशत,
अनुपात आदि
को दिखाया जा सकता
है। |
सारणीयन के उद्देश्य
1. जांच के उद्देश्य
को स्पष्ट करना।
2. कॉलमों एवं पंक्तियों
में प्रस्तुतीकरण द्वारा आंकड़ों की मुख्य विशेषताओं को बतलाना।
3. तुलना के लिए सुविधा
प्रदान करना।
4. सांख्यिकीय आंकड़ों को
व्यवस्थित करना।
5. समस्या के अध्ययन के लिए पृष्ठभूमि
तैयार करना।
6. समस्या का संक्षेप
में तथा अधिक सरलता के साथ वर्गीकरण करना।
7. परिणाम निकालने के
लिए सुविधा प्रदान करना।
8. आंकड़ों को चित्र, ग्राफ, चार्ट
आदि के रूप में प्रस्तुत करने के लिए सरल बनाना।
सारणीयन के लाभ /महत्त्व/ अथवा गुण
1. सारणीयन आंकड़े को सरल और आसानी
से समझने योग बना देती है।
2. यह आंकड़ों को
संक्षिप्त और स्थायी रूप से प्रस्तुत करती है।
3. आंकड़ों को सारणी में प्रस्तुत करने
से समस्या सरल बन जाती है।
4. सारणी की सहायता
से आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है।
5. सारणी से समय और स्थान की बचत होती
है।
6. इनका प्रभाव स्थायी
होता
है।
एक आदर्श या एक अच्छी सारणी की विशेषता या मुख्य लक्षण
1. सारणी संक्षिप्त
एवं सरल होनी चाहिए जिससे आवश्यक जानकारी प्राप्त हो सके।
2. सारणी स्पष्ट एवं
आकर्षक होनी चाहिए।
3. सारणी में आंकड़े
सुव्यवस्थित हो जिससे तुलना करने में सुविधा हो।
4. सारणी विश्वसनीय होनी चाहिए।
5. सारणी का
अनावश्यक वर्गीकरण नहीं होना चाहिए।
6. सारणी में मापों
की इकाइयां स्पष्ट रूप से प्रस्तुत की जानी चाहिए, जैसे - वजन किलोग्राम
में तथा कीमत रुपयों में।
7. सारणी में उचित शीर्षक, उप-शीर्षक, स्तम्भ-शीर्षक एवं उद्गम होना चाहिए।
सारणी
के अंग
1. सारणी संख्या :- प्राय: सारणी की
संख्या अधिक होने के कारण सारणी संख्या देना परमावयश्यक हो जाता है।
इससे सारणी को आसानी से पहचाना जा सकता है।
2. शीर्षक :- सारणी
में शीर्षक निश्चित रूप से दिया जाना चाहिए, जो संक्षिप्त एवं स्पष्ट हो।
3.उप-शीर्षक तथा पंक्ति शीर्षक :- खानों के
शीर्षक
को
उप-शीर्षक
तथा
पंक्ति
के
शीर्षक
को
पंक्ति
शीर्षक
के
रुप
में
जाना
जाता है।
4. हेड नोट :- सारणी
के
शीर्षक
के
नीचे
को
हेड
नोट
कहते
हैं, जो
सारणी
में
दी
गई
संख्याओं को बतलाता है।
5. सारणी का मुख्य भाग
:- यह सारणी का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। सम्पूर्ण सूचनाएं
इसी भाग में प्रस्तुत की जाती है। इसके आकार और प्रकार की रचना
आंकड़ों के आकार और स्वभाव के अनुसार की जाती है।
6. टिप्पणी :- यह
सारणी
के नीचे रखी जाती है, जो कुछ विशेष मदों को स्पष्ट
करती है। यह विभिन्न चिन्हों द्वारा पहचानी
जाती है।
7. आंकड़ों का स्रोत :- यह
प्राय: सारणी के
नीचे रखा जाता है। द्वितीयक आंकड़े सारणी
में प्रस्तुत करते समय प्रकाशन का स्थान, संस्करण एवं प्रकाशक को दर्शाया जाता है।
सारणी के अंगों को नीचे स्पष्ट किया गया है।
सारणी क्रमांक.............
शीर्षक
सारणी के प्रकार
(A) उद्देश्य के आधार पर
:- उद्देश्य के आधार पर सारणीयां निम्न दो प्रकार
की होती है-
1. सामान्य उद्देश्य वाली
सारणी :- ऐसी सारणी का कोई विशेष उद्देश्य नहीं होता, जैसा क्रांक्सटन
व
कांउडेन
ने कहा है ," सामान्य उद्देशय वाली सारणी
का प्राथमिक तथा एकमात्र उद्देश्य समंको को इस प्रकार
रखना होता है कि व्यक्तिगत पद पाठक द्वारा शीघ्र ढूंढे जा सके।" जनगणना
रिपोर्ट तथा अन्य सरकारी प्रकाशनों में इस प्रकार की सारणीयों का काफी प्रयोग होता
है।
2. विशेष उद्देश्य वाली सारणी
:- ये सारणीयां किसी विशेष
उद्देश्य की पूर्ति के लिए सामान्य उद्देश्य वाली
सारणियों
की सहायता से तैयार की जाती है। क्रांक्सटन तथा
कांउडेन
के
शब्दों
में," संक्षिप्त सारणी जो सामान्यतया आकार में अपेक्षाकृत छोटी होती है, किसी एक निष्कर्ष
अथवा कुछ निकट संबंध वाले निष्कर्षों को अधिक प्रभावपूर्ण ढंग से रखने के लिए तैयार
की जाती है।" संक्षिप्त सारणी को ही विशेष उद्देश्य वाली सारणी कहते हैं।
सामान्य उद्देशय वाली सारणी
बनाते समय (1) अधिकतर माध्य, प्रतिशत, अनुपात, गुणक आदि का प्रयोग
किया जाता है; (2) अनावश्यक समंको को
छोड़ दिया जाता है और (3) विस्तृत आंकड़ों को
संक्षिप्त रूप देकर उन्हें पुनर्गठित किया जाता
है।
(B) बनावट के आधार पर :-
बनावट के अनुसार सारणीयन दो प्रकार की हो सकती है :
1. सरल सारणी :- इसमें केवल एक ही गुण की तुलना की जाती है और इस प्रकार की सारणी में केवल दो ही भाग होते है, उनके उपविभाग नहीं। सरल सारणी का नमूना नीचे दिया गया है :
(क) द्विगुणी सारणी :- जब किसी
सारणी
द्वारा
दो
प्रकार
की
सूचना
प्राप्त
होती
है
तो
वह
द्विगुण
सारणी
कहलाती
है।
द्विगुण
सारणी
में
दो
उप-सहसंयोजक
भाग
होते
हैं।
(ख) त्रिगुणी सारणी :- इस सारणी में तीन गुणों को प्रस्तुत किया जाता है। इसका नमूना निम्न हैं :
इस सारणी में बालक एवं बालिकाओं के वर्ग के तथा वर्ग के में बांटकर उनके अंक दिये गये है। अतः यह त्रिगुणी सारणी है।
(ग) बहुगुणी सारणी :- इस प्रकार की सारणी में आंकड़ों के अनेक गुणों पर एक साथ ही प्रकाश डाला जाता है। इस प्रकार की सारणी आंकड़ों की तीन से अधिक विशेषताओं को प्रकट करती है। बहुगुणी सारणी का नमूना नीचे दिया जा रहा है :
1. मौलिक सारणी :- इसे प्राथमिक या मौलिक समंको की सहायता से नये सिरे से बनाया
जाता है। इसमें समंक मौलिक रूप
में ही दिखाये जाते हैं। इसको वर्गीकरण
सारणी भी कहा जाता है।
2. व्युत्पन्न सारणी :- इसमें समंको को उनके मौलिक रूप में प्रस्तुत न करके समंको की सहायता से प्राप्त किए हुए माध्य, प्रतिशत, अनुपात आदि के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।