Class 11 Economics अध्याय 2. भारतीय अर्थव्यवस्था (1950-90) Question Bank-Cum-Answer Book

Class 11 Economics अध्याय 2. भारतीय अर्थव्यवस्था (1950-90) Question Bank-Cum-Answer Book

Class 11 Economics अध्याय 2. भारतीय अर्थव्यवस्था (1950-90) Question Bank-Cum-Answer Book

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 11

अर्थशास्त्र (Economics)

2. भारतीय अर्थव्यवस्था (1950-90)

पाठ के मुख्य बिन्दु

* स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में आर्थिक प्रणाली के रूप में मिश्रित अर्थव्यवस्था अपनाई गई जिसमें समाजवाद और पूँजीवाद की सर्वश्रेष्ठ विशेषताओं को शामिल किया गया है।

* मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों का सहअस्तित्व होता है।

* भारत में आर्थिक नियोजन की शुरुआत वर्ष 1950 में योजना आयोग के गठन के साथ हुआ ।

* आर्थिक नियोजन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अर्थव्यवस्था में उपलब्ध संसाधनों को ध्यान में रखते हुए आर्थिक विकास के लक्ष्यों को एक निश्चित समय में प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार से प्रयत्न करती है।

* भारत में सभी आर्थिक योजनाओं को पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से लागू किया गया, उसके लक्ष्य थे; आर्थिक संवृद्धि, आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता और समानता।

* अब तक कुल बारह पंचवर्षीय योजनाएं लागू की जा चुकी हैं।

* सांख्यिकीविद् प्रशांतचन्द्र महालनोबिस को भारतीय योजनाओं का निर्माता माना जाता है।

* योजना काल में विभिन्न भू-सुधार नीतियों और हरित क्रांति के कारण कृषि क्षेत्र का विकास हुआ और देश खाद्यान्नों के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया।

* हरित क्रांति के लिए उत्तरदायी कारण हैं, HYV बीज, कृषि प्रौद्योगिकी का विकास, सिंचाई सुविधाओं का प्रयोग तथा उर्वरक एवं कीटनाशकों का उचित उपयोग।

* सरकार द्वारा छोटे किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि क्षेत्र में आर्थिक सहायता देना शुरू किया, जिसे कृषि सहायिकी कहा जाता है।

* कृषि में कई क्रांतिकारी परिवर्तनों के बावजूद कृषि पर जनसंख्या का भार कम नहीं हुआ।

* औदयोगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए औदयोगिक नीति प्रस्ताव के अंतर्गत निजी क्षेत्र एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों का विकास हुआ।

* औद्योगिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रों का बड़ा योगदान रहा। परंतु कुछ अर्थशास्त्रियों ने इसकी कड़ी आलोचना की, यह कहा गया कि इस क्षेत्र की उपस्थिति ने भारतीय उद्योगों को कुशल एवं दक्ष नहीं बनने दिया।

* इस काल की व्यापार नीति को अंतर्मुखी व्यापार नीति के रूप में जाना जाता है।

* भारत के व्यापार नीति में देश के घरेलू उद्योगों के संरक्षण के लिए आयात-प्रतिस्थापन एवं एवं निर्यात- प्रोत्साहन की नीतियों को अपनाया गया, जिसके अंतर्गत विदेशी प्रतिस्पर्धा से देशी फर्मों की रक्षा की जाती है।

* पंचवर्षीय योजनाओं ने भारत की अर्थव्यवस्था की प्रगति में उल्लेखनीय योगदान दिया।

* वर्ष 1950 से 1990 तक का आर्थिक विकास महत्वपूर्ण है, परंतु भारतीय अर्थव्यवस्था को और अधिक सफल बनाने के लिए वर्ष 1991 में एक नई आर्थिक नीति की शुरुआत की गई।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. भारत में योजना आयोग की स्थापना कब हुई थी?

a. 1940

b. 1947

c. 1950

d. 1951

2. भारत की पंचवर्षीय योजनाओं के सामान्य लक्ष्य थे-

a. उच्च संवृद्धि दर एवं निजीकरण

b. वैश्वीकरण और समानता

c. उच्च संवृद्धि दर, निजीकरण, वैश्वीकरण और आत्मनिर्भरता

d. उच्च संवृद्धि दर, अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता और समानता

3. किस प्रकार की आर्थिक प्रणाली में उत्पादित वस्तुओं का वितरण क्रेताओं की क्रय शक्ति के आधार पर किया जाता है?

a. मिश्रित अर्थव्यवस्था

b. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था

c. समाजवादी अर्थव्यवस्था

d. बाज़ार अर्थव्यवस्था

4. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की एक मुख्य विशेषता इनमें से कौन है?

a. उत्पत्ति के साधनों पर समाज का नियंत्रण

b. उत्पत्ति के साधनों पर सरकार का नियंत्रण

c. उत्पत्ति के साधनों पर पूँजीपति का नियंत्रण

d. उत्पत्ति के साधनों पर समाज और पूँजीपति दोनों का बराबर नियंत्रण

5. किस प्रकार की आर्थिक प्रणाली में निजी संपत्ति का कोई स्थान नहीं होता है?

a. मिश्रित अर्थव्यवस्था

b. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था

c. समाजवादी अर्थव्यवस्था

d. बाज़ार अर्थव्यवस्था

6. आर्थिक योजना इनमें से किसकी व्याख्या नहीं करता हैं?

a. किसी देश के आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए कौन से लक्ष्यों को निर्धारित किया जाये, इसकी व्याख्या करता है

b. किसी देश के राजनीतिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए कौन से लक्ष्यों को निर्धारित किया जाये, इसकी व्याख्या करता है

c. किसी देश के कृषि एवं उद्योगों के विकास को आगे बढाने के लिए कौन से लक्ष्यों को निर्धारित किया जाये, इसकी व्याख्या करता है

d. किसी देश के संसाधनों का प्रयोग किस प्रकार किया जाना चाहिए, इसकी व्याख्या करता है

7. परिप्रेक्ष्यात्मक योजना का अर्थ है-

a. वार्षिक योजना

b. अल्पकालिक योजना

c. दीर्घकालिक योजना

d. पंचवर्षीय योजना

8. सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी में निरंतर वृद्धि किसका सूचक है?

a. केवल रोजगार में वृद्धि का

b. केवल शिक्षा में वृद्धि का

c. आधारिक संरचना में विकास का

d. आर्थिक संवृद्धि का

9. इन कथनों में से गलत कथन का चुनाव करें

a. द्वितीय पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि करना था

b. द्वितीय पंचवर्षीय योजना पी सी महालनोबिस के मॉडल पर आधारित थी

c. द्वितीय पंचवर्षीय योजना अर्थशास्त्री हेरोड-डोमर के मॉडल पर आधारित थी

d. द्वितीय पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल 1 अप्रैल 1956 से 31 मार्च 1961 था

10. किस सांख्यिकीविद् को 'भारतीय योजना का निर्माता' माना जाता है?

a. जवाहरलाल नेहरू

b. अमर्त्य सेन

c. पी सी महालनोबिस

d. डॉ राजेंद्र प्रसाद

11. पी सी महालनोबिस ने किस संस्था की स्थापना की थी?

a. भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आई.एस.आई.)

b. भारतीय रिज़र्व बैंक (आर.बी.आई)

c. योजना आयोग

d. जीवन बीमा निगम (एल.आई.सी.)

12. सांख्यिकी से संबंधित एक प्रतिष्ठित जर्नल का नाम क्या है?

a. सांख्य

b. अर्थशास्त्र

c. संख्या

d. विकास

13. भारत में "किसान को भूमि" नीति किस विचारधारा पर आधारित है?

a. सरकार को भूमि का स्वामी बना दिया जाए तो वे कृषि उत्पादन बढ़ाने में अधिक रुचि लेंगे।

b. जमींदारों को भूमि का स्वामी बना दिया जाए तो वे कृषि उत्पादन बढ़ाने में अधिक रुचि लेंगे ।

c. उद्योगपत्तियों को भूमि का स्वामी बना दिया जाए तो वे कृषि उत्पादन बढ़ाने में अधिक रुचि लेंगे ।

d. किसानों को भूमि का स्वामी बना दिया जाए तो वे कृषि उत्पादन बढ़ाने में अधिक रुचि लेंगे ।

14. भू-सुधार के अंतर्गत अपनाए जाने वाली नीति इनमें से कौनसी है?

a. बिचौलियों का उन्मूलन

b. भूमि की अधिकतम सीमा का निर्धारण

c. चकबंदी

d. उपरोक्त सभी

15. कृषि उत्पादकता की दृष्टि से भारतीय नियोजन काल का कौन-सा दशक सर्वाधिक सफल माना जाता है?

a. 1960 का दशक

b. 1970 का दशक

c. 1980 का दशक

d. 1990 का दशक

16. किस नीति का उद्देश्य कुछ लोगों में भू स्वामित्व के संकेंद्रण को कम करना था ?

a. औद्योगिक नीति

b. कृषि मूल्य नीति

c. लगान का नियमन

d. भू सीमा का निर्धारण

17. हरित क्रांति के अंतर्गत एच.वाई.भी. बीजों का लाभ सबसे पहले किस फसल को मिला?

a. धान

b. गेहूँ

c. मकई

d. बाजरा

18. हरित क्रांति के पहले चरण (1965-75) में एच.वाई.भी. बीजों का प्रयोग किन राज्यों तक सीमित रहा था?

a. पश्चिम बंगाल और केरल

b. बिहार, राजस्थान और उत्तर प्रदेश

c. पंजाब, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु

d. पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु

19. हरित क्रांति प्रौद्योगिकी का मुख्य जोखिम क्या था?

a. छोटे और बड़े किसानों के बीच असमानताएं घटने की सम्भावनाएं थी

b. छोटे और बड़े किसानों के बीच असमानताएं बढ़ने की सम्भावनाएं थी

c. कृषि उत्पादन घटने की संभावना थी

d. किसानों दवारा बाजार में बेचा जाने वाला विपणित अधिशेष घटने की संभावना थी

20. किसानों को बाजार दर से कम मूल्य पर कृषि आगतों की पूर्ति की जाती है तो उससे क्या कहा जाता है?

a. कृषि प्रौद्योगिकी

b. कृषि सहायिकी

c. कृषि विपणन

d. गहन कृषि

21. औद्योगिक नीति प्रस्ताव, 1956 के अंतर्गत भारतीय उद्योगों को कितने वर्गों में वर्गीकृत किया गया था?

a. दस

b. पाँच

c. तीन

d. दो

22. औद्योगिक नीति प्रस्ताव, 1956 को……….का आधार बनाया गया था।

a. प्रथम पंचवर्षीय योजना

b. द्वितीय पंचवर्षीय योजना

c. तृतीय पंचवर्षीय योजना

d. चतुर्थ पंचवर्षीय योजना

23. सरकार की औद्योगिक लाइसेंस नीति का मुख्य उद्देश्य क्या था?

a. क्षेत्रीय समानता को बढ़ावा देना

b. क्षेत्रीय असमानता को बढावा देना

c. निजी क्षेत्र को लाइसेंस पद्धति के माध्यम से राज्य के नियंत्रण में रखना

d. (a) और (c) दोनों

24. 1956 के औद्योगिक नीति में सार्वजनिक क्षेत्र के अन्तर्गत कितने उ‌द्योगों को सम्मिलित किया गया जिन पर मुख्य रूप से राज्य का एकाधिकार प्राप्त था?

a. 12

b. 15

c. 17

d. 20

25. सार्वजनिक उद्यमों का स्वामित्व इनमें से किसके पास होता है?

a. सरकार के पास

b. निजी व्यक्तियों या संस्थाओं के पास

c. पूँजीपतियों के पास

d. व्यवसायियों के पास

26. 1955 में गठित कर्वे समिति को किस नाम से जाना जाता है?

a. ग्राम एवं लघु उद्योग समिति

b. सार्वजनिक एवं निजी उद्योग समिति

c. सार्वजनिक उद्योग समिति

d. निजी उद्योग समिति

27. 1950 में लघु औद्योगिक इकाई में निवेश की अधिकतम सीमा क्या थौ?

a. 2 लाख रुपये

b. 5 लाख रुपये

c. 10 लाख रुपये

d. कोई अधिकतम सीमा नहीं थी

28. लघु उद्योग की मुख्य समस्या है कि-

a. यह बड़े उ‌द्योगों की अपेक्षा श्रम प्रधान होते हैं और यह अधिक रोजगार का सृजन करते हैं

b. यह बड़े उद्योगों की तरह एक ही स्थान पर केंद्रित न होकर सारे देश में फैले होते हैं

c. यह बड़े उद्योगों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते

d. यह कृषि पर जनसंख्या का दबाव कम करता है

29. निम्नलिखित में से कौन भारत में लघु उद्योग की विशेषता नहीं है?

a लघु उद्योग श्रम प्रधान होते हैं

b. लघु उद्योग में उत्पादन की लागत बहुत कम होती है

c. लघु उद्योग आय और धन का समान वितरण करने में सहायक है

d. लघु उद्योग वृहद उद्योगों के पूरक होते हैं

30. जब किसी वस्तु का विदेशों से आयात करने के बदले घरेलू उत्पादन द्वारा उसकी पूर्ति की जाती है तो उसे क्या कहते हैं?

a. आयात प्रतिस्थापन

b. निर्यात प्रतिस्थापन

c. आयात संरक्षण

d. (b) और (c) दोनों

31. भारत की व्यापार नीति की दृष्टि से प्रथम सात पंचवर्षीय योजनाओं की क्या विशेषता थी?

a. बहिर्मुखी व्यापार-नीति

b. अंतर्मुखी व्यापार-नीति

c. मुक्त व्यापार-नीति

d. कोई स्पष्ट नीति नहीं थी

32. जब घरेलू उत्पादक द्वारा किसी वस्तु की आयात करने की अधिकतम सीमा को सरकार द्वारा तय कर दिया जाता है तो उसे क्या कहते हैं?

a. प्रशुल्क

b. कर

c. कोटा

d. सहायिकी

33. आयातित वस्तुओं पर लगने वाला कर क्या कहलाता है?

a. विक्रय कर

b. उत्पाद कर

c. प्रशुल्क

d. मनोरंजन कर

34. भारत में 12 वीं पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल क्या था?

a. 1 अप्रैल, 1951 31 मार्च, 1956

b. 1 अप्रैल, 2012 31 मार्च, 2017

c. 1 अप्रैल, 1980 31 मार्च, 1985

d. 1 अप्रैल, 1969 31 मार्च, 1974

35. किस संस्थान ने योजना आयोग का स्थान लिया है?

a. केंद्रीय आर्थिक आयोग

b. केंद्रीय सूचना आयोग

c. भारतीय विधि आयोग

d. नीति आयोग

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. आर्थिक नियोजन का क्या अर्थ है?

उत्तर- आर्थिक नियोजन का अभिप्राय किसी देश के संसाधनों को ध्यान में रखते हुए एक निश्चित समय अवधि में आर्थिक विकास, विभिन्न लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न नीतियों एवं कार्यक्रमों का निर्माण करना होता है।

2. भारत के संदर्भ में आर्थिक संवृद्धि का क्या तात्पर्य है?

उत्तर- भारत के संदर्भ में आर्थिक संवृद्धि का तात्पर्य वस्तुओं और सेवाओं का अधिक उत्पादन करना है, जिससे भारत के नागरिक अधिक संवृद्धि और विविधतापूर्ण जीवन यापन कर सके।

3. विक्रय अधिशेष क्या है?

उत्तर- किसानों दवारा उनके उत्पादन का वह भाग जो बाजार में बेचा जाता है विक्रय अधिशेष कहलाता है।

4. हरित क्रांति के अंतर्गत उच्च पैदावार वाले बीजों को क्या कहा जाता है?

उत्तर- हरित क्रांति के अंतर्गत उच्च पैदावार वाले बीजों को एच. वाई. वी. (HYV) बीज कहते हैं।

5. कृषि सहायिकी का क्या तात्पर्य है?

उत्तर- कृषि सहायिकी, जिसे आर्थिक अनुदान भी कहा जाता है, सरकार द्वारा किसानों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता हैं।

6. भूमि सुधार किसे कहते हैं?

उत्तर- भूमि सुधार का तात्पर्य उन दीर्घस्थायी एवं संस्थागत परिवर्तनों से है जो भूमि से संबंधित कानूनों में परिवर्तन करते हैं।

7. लघु उद्योग किसे कहते हैं?

उत्तर- लघु उद्योगों के अंतर्गत वे औ‌द्योगिक इकाईयाँ आती है जो अपना उत्पादन छोटे पैमाने पर करते हैं तथा श्रम प्रधान होते हैं।

8. 1951 में देश की व्यावसायिक ढांचे में कृषि क्षेत्र का क्या योगदान था ?

उत्तर- 70.1 प्रतिशत था।

9. 1990-91 में देश की व्यावसायिक ढांचे में कृषि क्षेत्र का क्या योगदान था?

उत्तर- 66.8 प्रतिशत था।

10. आयात-प्रतिस्थापन नीति का मुख्य उद्देश्य क्या है?

उत्तर- आयात-प्रतिस्थापन नीति का मुख्य उद्देश्य विदेशों से वस्तुओं के आयात के बदले उन वस्तुओं की पूर्ति घरेलू उत्पादन द्वारा किया जाना है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. मिश्रित अर्थव्यवस्था क्या है?

उत्तर- मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषता यह होती है कि इसमें समाजवाद और पूँजीवाद दोनों आर्थिक प्रणालियों के गुण पाए जाते हैं। इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों का सह अस्तित्व पाया जाता है। एक ओर निजी क्षेत्र लाभ अधिकतम के उद्देश्य से काम करती है और दूसरी ओर सार्वजनिक क्षेत्र सामाजिक कल्याण के लिए काम करता है। मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र उन वस्तुओं और सेवाओं की पूर्ति करता है, जिनकी बाजार में मांग रहती है। सरकारी अथवा सार्वजनिक क्षेत्र उन वस्तुओं और सेवाओं को उपलब्ध करवाता है, जिन्हें सामाजिक कल्याण के लिए आवश्यक समझा जाता है।

2. औ‌द्योगिक नीति से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- देश में औद्योगीकरण के विकास के लिए सहायक जो नीतियां और कार्यक्रम बनाए जाते हैं, उन्हें औद्योगिक नीति के नाम से जाना जाता है। देश के औदयोगिक विकास से उत्पादन और रोजगार बढ़ते हैं, जो आर्थिक विकास के लिए सहायक सिद्ध होते हैं। औद्योगिक नीति एक विस्तृत अवधारणा है, जो उद्योगों के संचालन और विकास के लिए उचित मार्गदर्शन और सुनिश्चित रुपरेखा प्रदान करती है।

3. स्वतंत्रता के बाद, भारत में भू-सुधार के लिए अपनाई गई नीतियाँ कौन-सी थी?

उत्तर- भारत में भू-सुधार के अंतर्गत अपनाई गई प्रमुख नीतियां थी-

i) बिचौलियों (मध्यस्थों) का उन्मूलन- किसानों को भूमि का स्वामित्व मिला। किसानों को भूमि का स्वामित्व मिलने से वे अधिक उत्पादन के लिए प्रेरित हुए।

ii) भूमि की उच्चतम सीमा का निर्धारण- इस नीति का उद्देश्य भूमि के संकेंद्रण को रोककर भूमि के उचित प्रयोग को बढ़ावा देना था।

(iii) चकबंदी- इसका अर्थ छोटे और बिखरे खेतो को एक भूखंड के रूप में पुनर्गठित करने की प्रक्रिया से है। इस नीति के लागू होने से कृषि की लागत कम हुई और किसान सुविधाजनक तरीके से उत्पादन करने लगे।

4. भारतीय अर्थव्यवस्था में लघु उद्योगों का क्या महत्व है?

उत्तर- वैसे उद्‌योग जो छोटे पैमाने पर उत्पादन करते हैं, लघु उदयोग कहलाते हैं। सामान्यतः लघु उदयोग की परिभाषा इस उदयोग में किए जाने वाले निवेश की अधिकतम सीमा के आधार पर दिया जाता है, जो वर्तमान में 1 करोड़ तक की है। भारत में कई कारणों से लघु उद्योगों को महत्व दिया जाता है, जो निम्नलिखित हैं-

i) रोजगार का स्रोत- लघु उद्योगों का सबसे महत्वपूर्ण फायदा यह है कि यह श्रम प्रधान होते हैं, जिससे स्वरोजगार और परिवारों के सभी सदस्यों को रोजगार के मौके प्रदान करने का माध्यम माना जाता है।

ii) कृषि पर जनसंख्या के दबाब को कम करने में सहायक- भारतीय कृषि पर जनसंख्या का बहुत अधिक दबाव है। यहाँ की कृषि भूमि छोटे-छौटे टुकड़ों में बंटी है, जिस कारण, किसानों के लिए कृषि एक लाभदायक व्यवसाय नहीं बन पाता है। लघु उद्योग किसानों को एक सहायक आय प्राप्ति का साधन उपलब्ध कराता है।

iii) प्रादेशिक समानता को बढ़ावा देने में सहायक- भारी उद्द्योगों में क्षेत्र विशेष में विकसित होने की प्रवृत्ति पाई जाती है, जिससे आर्थिक विकास असंतुलित हो जाता है। कुटीर उधोग पूरे देश में छोटे-छोटे इकाइयों में फैलै रहते हैं, प्रादेशिक समानता बढ़ती है।

iv) विदेशी मुद्रा प्राप्त करने में सहायक लघु उद्योग के अंतर्गत कई प्रकार के कलात्मक वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है जो विदेशों में बहत प्रसिद्ध है। इन वस्तुओं की मांग अधिक होने कै कारण, इन वस्तुओं का निर्यात किया जाता है।

5. औद्योगिक लाइसेंसिंग पद्धति का क्या अर्थ है? भारत में लागू औद्योगिक लाइसेंसिंग पद्धति का मुख्य उद्देश्य क्या था?

उत्तर- औदयोगिक लाइसेंसिंग पद्धति से तात्पर्य उन नियमों और विधानों से है, जिनके द्वारा किसी औद्योगिक इकाई को चालू करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करना पड़ता है। यह एक प्रशासनिक और कानूनी प्रक्रिया होती है, जो किसी केंद्र अथवा राज्य सरकार द्वारा संचालित की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य यह होता है कि संयंत्र की स्थापना के लिए स्थान, सुरक्षा, पर्यावरण प्रभाव, उत्पाद की गुणवत्ता, आपूर्ति श्रृंखला, अनुबंध समझौते और वित्तीय प्रशासन आदि के मानकों और नियमों का पालन किया जाए। ऐसे लाइसेन्सिंग प्रक्रिया आम तौर पर विभिन्न उद्योगों जैसे लघु उद्योग, फैक्टरी, प्लांटों, एअरपोर्ट और सीमांचल क्षेत्र आदि में लागू होते हैं।

भारत में सन 1951 में औद्योगिक लाइसेंसिंग पद्धति लागू की गई थी। यह व्यापार और उद्योगों को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई थी। इस पद्धति के तहत, उद्योगों को एक लाइसेंस प्राप्त करना था और उन्हें नियंत्रित क्षेत्रों में केवल सीमित संख्या में उत्पादन करने की अनुमति दी जाती थी। भारत में औद्योगिक लाइसेंसिंग पद्धति का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय समानता को बढ़ावा देना था।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. भारतीय नियोजन के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिये।

उत्तर- भारतीय योजना के प्रमुख चार उदेश्य हैं- संवृद्धि आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता तथा समानता। प्रत्येक योजना में सभी उद्देश्यों को समान महत्व नहीं दिया गया है, क्योंकि साधन सीमित है। प्रत्येक योजना में कुछ प्राथमिक उद्देश्यों को चुना जाता है। किनतु इन उद्देश्यों में कोई अंतर्विरोध नहीं होता है। इन उद्देश्यों की व्याख्या निम्न हैं-

i) संवृद्धि- इसका अर्थ है देश में वस्तुओं और सेवाओं की उत्पादन क्षमता में वृद्धि। इसका अभिप्राय उत्पादक पूँजी के अधिक भंडार या परिवहन, बैंकिंग आदि सहायक सेवाओं का विस्तार या उत्पादक पूँजी तथा सेवाओं की दक्षता में वृद्धि से है। आर्थिक उत्पाद (जी.डी.पी.) में निरंतर वृद्धि है।

ii) आधुनिकीकरण- आधुनिकीकरण का अर्थ उत्पादन में वृद्धि के लिए नई प्रौद्योगिकी के प्रयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य सामाजिक दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना भी है। जैसे यह स्वीकार करना कि महिलाओं का अधिकार भी पुरुषों के समान होना चाहिए।

iii) आत्मनिर्भरता- इसका अर्थ है उन वस्तुओं के आयात से बचना जिनका उत्पादन देश में सम्भव था। इस नीति का उद्देश्य विशेषकर खाद्यान के लिए अन्य देशों पर निर्भरता को कम करना था।

iv) समानता- केवल संवृद्धि, आधुनिकीकरण एवं आत्मनिर्भरता के द्वारा ही जनसामान्य के जीवन में सुधार नहीं आ सकता। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि आर्थिक संवृद्धि के लाभ देश के निर्धनों को भी सुलभ हो। अतः संवृद्धि, आधुनिकीकरण एवं आत्मनिर्भरता के साथ समानता भी महत्वपूर्ण है।

2. हरित क्रांति पर एक टिप्पणी लिखिए।

उत्तर- हरित क्रांति (Green Revolution) भारत में 1960 के दशक में शुरू होने वाली एक कृषि आन्दोलन थी। इसके द्वारा भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया और कृषि उत्पादन को बढ़ावा मिला। हरित क्रांति के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं-

i) कृषि के क्षेत्र में वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति- हरित क्रांति के आरंभ से पहले, कृषि उत्पादन और उत्पादकता में काफी अवसाद था। हालांकि, इसके आने के साथ-साथ नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों की सुविधाओं का उपयोग करने से, खेती में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। इसने कृषि में उत्पादकता को बढ़ाया है और किसानों की आय को बढ़ाया है।

ii) उन्नत बीजों का उपयोग हरित क्रांति में एक महत्वपूर्ण योगदान है उन्नत बीजों का उपयोग। ये बीज अधिक उत्पादन देते हैं। ये बीज उच्चतम मानकों को प्राप्त करने में मदद करते हैं जो कीमतों और व्यावसायिक क्षमता में सुधार प्रदान करती है।

iii) कृषि तकनीकों का उपयोग हरित क्रांति में, आधुनिक कृषि तकनीकों का व्यापक उपयोग होता है। ये तकनीकें बागवानी, खेती और पशुपालन में प्रगति करने में मदद करती हैं। उच्चतम स्तर की मशीनों का उपयोग करके, किसानों को समय और श्रम की बचत होती है और उन्हें अधिक उत्पादन प्राप्त होता है। re

iv) सरकारी समर्थन हरित क्रांति के लिए सरकारी समर्थन भी महत्वपूर्ण है। सरकार समर्थन के माध्यम से, किसानों को सब्सिडी, ऋण, नवीनतम तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहन और अन्य सहायता मिलती हैं।

उपरोक्त कारणों से स्पष्ट होता है कि हरित क्रांति का उद्देश्य उच्चतम उत्पादकता, उच्चतम गुणवत्ता और खाद्यान्न सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद करना है।

हरित क्रांति के सकारात्मक प्रभावों में शामिल हैं:-

i) खाद्य सुरक्षा- हरित क्रांति के बाद, खाद्य उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई और भारत आज खाद्य सुरक्षा में स्वावलंबी हो गया है।

ii) आर्थिक विकास हरित क्रांति ने छोटे किसानों को आर्थिक रूप से सुधार कार्यक्रम की ओर उन्मुख किया। यह उन्हें अधिक आय देने में मदद करता है और ग्रामीण क्षेत्रों में असमानताओं को कम करने में मदद करता है।

iii) निर्यात को बढ़ावा हरित क्रांति के बाद, कृषि उत्पादों की निर्यात में वा में वृद्धि हुई और भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई।

हरित क्रांति के नकारात्मक प्रभावों में शामिल हैं:

i) महँगी प्रौद्योगिकी और महँगे उन्नत बीज हरित क्रांति के दौरान, उच्च प्रौद्योगिकी के साथ उच्च उपजाऊ बीजों का उपयोग किया गया था। यह छोटे किसानों के लिए महंगा और प्रयोगशाला में परीक्षण उपलब्ध न होने के कारण उनकी वाणिज्यिक उपज पर निर्भरता को बढ़ा रहा है।

ii) भौगोलिक सम्प्रवेश- हरित क्रांति के कारण कृषि उत्पादन केंद्रों में विपणन और बाहरी गतिविधियों का उत्थान हुआ। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या बढ़ी और जिससे छोटे किसानो को परेशानियों का सामना करना पड़ा।

iii ) जल और वातावरण संबंधित समस्याएं- हरित क्रांति ने भूमि, जल, और वातावरण की समस्याएं उत्पन्न की। अधिक उत्पादन के लिए ज्यादा खाद और पानी की आवश्यकता थी, जिसने पानी और जल आपूर्ति संसाधनों में अभाव पैदा किया। इसके अलावा, उच्च उत्पादन वाले कृषि आगतों के अधिक इस्तेमाल ने भूमि प्रदूषण को भी बढ़ाया।

भारतीय अर्थव्यवस्था में हरित क्रांति एक महत्वपूर्ण पहलू थी, जिसने खाद्य सुरक्षा को बढ़ाया और कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया। हालांकि, कुछ नकारात्मक प्रभावों के साथ, जिनका प्रबंधन संभव है, हरित क्रांति ने भारतीय कृषि को समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाया।

3. 1990 के दौरान औद्योगिक विकास की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।

उत्तर- 1950 से 1990 के दौरान भारत के औद्योगिक विकास की आलोचनात्मक व्याख्या करने के लिए, कुछ प्रमुख तत्व विवेचित किए जाने चाहिए, जो इस प्रकार हैं:-

i) सार्वजनिक क्षेत्रों के उद्यमों का क्षेत्रीय केंद्रीकरण- इस दौरान भारत ने प्रदेशों के आधार पर योजनाओं को विकसित करने का दावा किया गया। इसके परिणामस्वरूप, अनेक उपयोगी उद्योग क्षेत्रों के बजाय केंद्रीय और राज्य सरकारों दद्वारा आरम्भ किए गए औदयोगिक परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया। इससे अव्यवस्थित और विपरीत प्रतिस्पर्धा बढ़ी, क्योंकि सरकारी संगठन अक्सर अपारदर्शिता और भ्रष्टाचार के कारण संक्रमित रहते थे।

ii) लाइसेंस एवं परमिट व्यवस्था द्वारा अत्यधिक सरकारी नियंत्रण- व्यापारियों और उद्यमियों को लाइसेंस प्राप्त करने के लिए संबंधित मंत्रालयों के पदाधिकारियों के साथ संपर्क स्थापित करने में अत्यधिक कठिनाइयों एवं विलंब का सामना करना पड़ता था। यह भी औदयोगिक विकास को प्रभावित करता था। इस कारण से, उद्यमियों में कौशल की कमी, संसाधनों का अपव्यय और तकनीकी विकास की कमी, इस क्षेत्र में विकास को धीमा कर देती थीं।

iii) अंतर्मुखी व्यापार नीति- तीसरा महत्वपूर्ण प्रमुख तत्व यह रहा कि इस काल में भारत की व्यापार नीति अंतर्मुखी होने के कारण एक सशक्त निर्यात नीति का अभाव बना रहा, जिस कारण देश में उत्पादित वस्तुओं की गुणवत्ता एवं विविधता में सुधार की कोई प्रेरणा नहीं मिल सकी। इसके लिए उद्योगों को उचित संसाधन, फंड और कौशल प्रदान करने के लिए भारतीय सरकार को अपनी नीतियों को समायोजित और सकारात्मक बनाने की आवश्यकता थी। इसके बजाय, व्यापार नीति की अकुशलता ने 1950 से 1990 के दौरान भारत का औद्योगिक विकास धीमा बनाये रखा।

iv) विदेशी प्रतिस्पर्धा से संरक्षण- कुछ उद्योगों में तो विकास की कुछ प्रकार की प्रगति देखी गई, लेकिन उनका प्रभाव सामान्य जनता तक नहीं पहुंचा, इसके विपरीत उन्हें उन घटिया वस्तुओं काँ ऊंची कीमतों पर खरीदना पड़ता था जिसका उत्पादन देश के उत्पादक करते थे। इन सब कारणों से भारतीय उद्योग में दक्षता का अत्यधिक अभाव देखा गया।

इस सब कारणों से 1950-90 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में औद्योगिक विकास भीषण परिस्थितियों से जूझती रही। 

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

क्र०स०

अध्याय का नाम

अर्थशास्त्र में सांख्यिकी

1.

परिचय

2.

आँकड़ों का संग्रह

3.

आँकड़ों का संगठन

4.

आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण

5.

केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप

6.

सहसंबंध

7.

सूचकांक

8.

सांख्यिकीय विधियों के उपयोग

भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास

1.

स्वतंत्रता के पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था

2.

भारतीय अर्थव्यवस्था (1950-90)

3.

उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण एक समीक्षा

4.

भारत में मानव पूँजी का निर्माण

5.

ग्रामीण विकास

6.

रोजगार संवृद्धि, अनौपचारीकरण एवं अन्य मुद्दे

7.

पर्यावरण और धारणीय विकास

8.

भारत और उसके पड़ोसी देशों के तुलनात्मक विकास अनुभव

Jac Board Class 11 Economics (Arts) 2023 Answer key

Jac Board Class 11 Economics (Sci._Comm.) 2023 Answer key

Post a Comment

Hello Friends Please Post Kesi Lagi Jarur Bataye or Share Jurur Kare