प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 11
अर्थशास्त्र (Economics)
2. आँकड़ों का संग्रह
पाठ के मुख्य बिन्दु
*
सांख्यिकीय अनुसंधान के अंतर्गत आँकड़ों का संकलन करना, उन आँकड़ों का निरीक्षण
करना और उस विश्लेषण के आधार पर निष्कर्ष निकालना एक महत्वपूर्ण चरण है।
*
आँकड़ों का अर्थ- संख्यात्मक तथ्यों से है।
*
सांख्यिकीय आंकड़े दो प्रकार के होते हैं, प्राथमिक आँकड़े और द्वितीयक आंकड़े।
*
प्राथमिक आँकड़ों को अनुसंधान की प्रक्रिया में पहली बार एकत्रित किया जाता है
जबकि द्वितीयक आंकड़े पहले से किसी दूसरे अनुसंधान के लिए एकत्रित या प्रकाशित किए
जा चुके होते हैं।
*
प्राथमिक आँकड़ों को एकत्रित करने की मुख्य विधियाँ हैं- वैयक्तिक साक्षात्कार
विधि दद्वारा, प्रश्नावली या अनुसूची के माध्यम से अथवा टेलीफोन साक्षात्कार
द्वारा।
*
द्वितीयक आँकड़ों के कई प्रकाशित अथवा अप्रकाशित स्रोत होते हैं, जैसे सरकारी
प्रकाशन, शोध, शोधकर्ताओं के प्रकाशन, पत्र-पत्रिकाएं, निजी एवं व्यावसायिक
रिपोर्ट, वेबसाइट इत्यादि।
*
किसी भी प्रकार के आँकड़ों को संकलित करने के लिए मुख्यतः दो विधिओं का प्रयोग
किया जा सकता है, वे हैं
-
जनगणना या संगणना पद्धति और
-
प्रतिचयन या प्रतिदर्श विधि
*
जनगणना विधि में समूह के प्रत्येक इकाइयों से, जिसे मद कहते हैं, आँकड़ें संग्रह
कर उनका अध्ययन किया जाता है।
*
प्रतिदर्श विधि के अन्तर्गत समूह, जिसे समग्र कहते हैं, की कुछ इकाईयों का चयन कर
लिया जाता है। इन चयनित इकाइयों से संबंधित शोध के लिए आँकड़ें एकत्रित किए जाते
हैं।
*
प्रतिदर्श विधि, जिसे प्रतिचयन विधि भी कहते हैं, की सफलता इस बात पर निर्भर करती
है कि समस्त निर्वाचित प्रतिदर्श पूरे समग्र का उचित प्रतिनिधित्व करती हो।
*
प्रतिदर्श सर्वेक्षण के अंतर्गत चुनने की मुख्यतः दो विधियाँ है
-
यादृच्छिक प्रतिचयन, जहाँ जनसंख्या की प्रत्येक इकाइयों की चुने जाने की समान
संभावना होती है, और
-
अयादृच्छिक प्रतिचयन, इसमें समष्टि की सभी इकाइयों के
चुने जाने की समान संभावनाएँ नहीं होती है और इसमें सर्वेक्षक अपनी सुविधा और
निर्णय के अनुसार निदर्शी कों चुनता हैं।
*
कुछ अन्य यादृच्छिक प्रतिदर्श
विधियों के नाम है -
-
कोटा प्रतिचयन,
-
व्यवस्थित प्रतिचयन,
-
स्तरित प्रतिचयन तथा
-
सविचार प्रतिचयन।
*
आँकड़ों के संग्रह की प्रक्रिया में प्रतिदर्श सर्वेक्षण
के अंतर्गत कुछ त्रुटियों के उत्पन्न होने की संभावना रहती है, इन्हें प्रतिचयन तथा
अप्रतिचयन त्रुटियाँ कहते हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. चर एक ऐसी मात्रा है, जिसका प्रयोग किसी गुण को मापने के लिए किया
जाता है। इसका मान विभिन्न परिस्थितियों में....... हो सकता है।
a.
स्थिर
b.
अपरिवर्तनीय
c.
एक समान
d. भिन्न-भिन्न
2. अपरिष्कृत आँकड़ों की किसी इकाई को क्या कहा जाता है?
a.
माध्यिका
b.
माध्य
c. प्रेक्षण
d.
विस्तार
3. आँकड़ें वे साधन हैं, जो सूचनाएं प्रदान कर समस्या को ………. में सहायक
होते हैं।
a.
उलझाने
b. समझने
c.
बिगाड़ने
d.
(a) और (c)दोनों
4. सांख्यिकीय आँकड़ों के मुख्यतः कितने स्रोत होते हैं?
a.
एक
b. दो
c.
ती
d.
चार
5. वह व्यक्ति जो आंकड़ा एकत्रित करता है वह........ कहलाता है।
a. शोधकर्ता
b.
उत्तरदाता
c.
(a) तथा (b) दोनों
d.
इनमें से कोई नहीं
6. गणनाकार द्वारा प्रत्यक्ष रूप से एकत्रित आँकड़ों को क्या कहा जाता
है?
a. प्राथमिक आँकड़े
b.
द्वितीयक आँकड़े
c.
तृतीयक आँकड़े
d.
(a) तथा (b) दोनों
7. प्राथमिक आँकड़े होते हैं
a.
पत्र-पत्रिकाओं से संकलित
b.
समाचार पत्रों से संकलित
c. गणनाकार द्वारा एकत्रित
d.
उपरोक्त सभी
8. जिन आँकड़ों का प्रयोग करने पर समय और धन की बचत होती है, वे हैं-
a.
प्राथमिक आँकड़ें
b. द्वितीयक आँकड़ें
c.
(a) तथा (b) दोनों
d.
इनमें से कोई नहीं
9. द्वितीयक आँकड़ें होते हैं
a.
गणनाकार द्वारा एकत्रित
b. समाचार पत्रों से संकलित
c.
(a) तथा (b) दोनों
d.
इनमें से कोई नहीं
10. पत्र-पत्रिकाओं से प्राप्त आँकड़ें या समंक हैं -
a.
प्राथमिक आँकड़ें
b. द्वितीयक आँकड़ें
c.
(a) तथा (b) दोनों
d.
इनमें से कोई नहीं
11. यदि किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा एकत्रित आँकड़ों का प्रयोग सोहन
अपनी अध्ययन के लिये करता है तो सोहन के लिए वह आँकड़ें कहलायेंगे।
a.
प्राथमिक आँकड़े
b. द्वितीयक आँकड़ें
c.
तृतीयक आँकड़ें
d.
इनमें से कोई नहीं
12. सर्वेक्षण का उदेश्य होता है -
a. आँकड़ों का संग्रहण
b.
आँकड़ों का वितरण
c.
आँकड़ों का निर्माण
d.
इनमें से कोई नहीं
13. निम्न में से कौन आँकड़ा संग्रह करने की विधि है?
a.
टेलीफोन साक्षात्कार
b.
डाक दवारा प्रश्नावली भेजना
c. (a) तथा (b) दोनों
d.
इनमें से कोई नहीं
14. सर्वेक्षण का सबसे अधिक प्रचलित साधन है-
a. साक्षात्कार अनुसूची या प्रश्नावली
b.
समाचार पत्र
c.
टेलीविजन
d.
विज्ञापन
15 . एक अच्छी प्रश्नावली के गुण हैं-
a.
प्रश्नों की संख्या सीमित होनी चाहिए
b.
प्रश्न स्पष्ट होने चाहिए
c.
प्रश्न उचित क्रम में होने चाहिए
d. उपरोक्त सभी
16. द्विविध प्रश्नों के कितने विकल्प होते है?
a. दो
b.
तीन
c.
चार
d.
अनेक
17. जिन प्रश्नों के दो से अधिक विकल्प होते हैं, वे क्या कहलाते हैं?
a.
द्विविध प्रश्न
b.
संरचित प्रश्न
c. बहुविकल्पीय प्रश्न
d.
उपरोक्त सभी
18. किसी समग्र या जनसंख्या के एक इकाई को कहा जाता है-
a.
प्रतिदर्श
b. मद
c.
समष्टि
d.
निदर्श
19. जिस सर्वेक्षण विधि के अन्तर्गत समग्र या जनसंख्या के सभी मदों
को शामिल किया जाता है, वह है-
a. जनगणना विधि
b.
प्रतिदर्श विधि
c.
(a) तथा (b) दोनों
d.
इनमें से कोई नहीं
20. जिस सर्वेक्षण विधि के अन्तर्गत समग्र या जनसंख्या के कुछ चुने
हुए मदों को शामिल किया जाता है, वह है-
a.
जनगणना विधि
b. प्रतिदर्श विधि
c.
(a) तथा (b) दोनों
d.
इनमें से कोई नहीं
21. सांख्यिकी में समष्टि शब्द का अर्थ है-
a.
प्रतिदर्श
b. समग्र
c.
साक्षात्कार
d.
सर्वेक्षण
22. आँकड़ा संग्रह करने की किस विधि के अन्तर्गत सर्वेक्षक और उत्तरदाता
के बीच प्रत्यक्ष संबंध स्थापित होता है?
a. साक्षात्कार
b.
टेलीफोन साक्षात्कार
c.
डाक द्वारा प्रश्नावली भेजना
d.
उपरोक्त सभी
23. वह रणनीति जिसके अंतर्गत एक छोटे समूह का सर्वेक्षण कर प्रश्नावली
का मूल्यांकन या परीक्षण किया जाता है
a.
वैयक्तिक साक्षात्कार
b.
टेलीफोन साक्षात्कार
c.
डाक दवारा प्रश्नावली भेजना
d. प्रायोगिक सर्वेक्षण
24. प्रायोगिक सर्वेक्षण के लाभ है-
a.
प्रश्नावली में दिये गये निर्देशों की सटीकता की जाँच होती है
b.
यह उन तत्वों का पता लगाने में सहायक होते है जो अनुसंधान में नकारात्मक प्रभाव डाल
सकते हैं
c.
यह वास्तविक सर्वेक्षण में आनेवाली लागत और समय का अनुमान लगाने सहायक होती है
d. उपरोक्त सभी
25. प्रतिदर्श/ निदर्श का अर्थ है-
a.
समग्र के सभी मदों को चुनना
b. समग्र में से कुछ प्रतिनिधि मदों को चुनना
c.
(a) तथा (b) दोनों
d.
इनमें से कोई नहीं
26. निम्न में से कौन निदर्शन या प्रतिचयन का एक प्रकार नहीं है?
a.
यादृच्छिक प्रतिचयन
b.
कोटा प्रतिचयन
c.
सविचार प्रतिचयन
d. जनगणना
27. निर्गम मतदान (एग्जिट पोल) है -
a. मतदाताओं के प्रतिदर्श से चुनाव जीतने वालों का अनुमान लगाया जाता
है
b.
परिवारों के बारे में जानकारी प्राप्त करना
c.
किसी कलाकार की लोकप्रियता के बारे में जानकारी प्राप्त करना
d.
किसी वस्तु की लोकप्रियता के बारे में जानकारी प्राप्त करना
28. गणनाकार/ अनुसंधानकर्ता द्वारा निर्णय द्वारा प्रतिदर्श इकाइयों
को अपनी सुविधा या चुना जाता है तो उसे-
a.
प्रतिचयन त्रुटि कहते हैं
b.
अप्रतिचयन त्रुटि कहते हैं
c.
यादृच्छिक प्रतिचयन कहते हैं
d. अयादृच्छिक प्रतिचयन कहते हैं
29. जो त्रुटियाँ जनगणना विधि एवं प्रतिदर्श विधि दोनों में पाई जाती
है वह है-
a.
प्रतिचयन त्रुटियाँ
b. अप्रतिचयन त्रुटियाँ
c.
(a) तथा (b) दोनों
d.
इनमें से कोई नहीं
30. जो त्रुटियाँ प्रतिदर्श आकलन और उसके जनसंख्या प्राचों के बीच के
अंतर को दर्शाता है उसे क्या कहते हैं?
a. प्रतिचयन त्रुटियाँ कहते हैं
b.
अप्रतिचयन त्रुटियाँ कहते हैं
c.
(a) तथा (b) दोनों
d.
इनमें से कोई नहीं
31. निम्न में से कौन अयादृच्छिक या अप्रतिचयन त्रुटियाँ का उदाहरण
है?
a.
अनुत्तर संबंधी त्रुटियाँ
b.
प्रतिदर्श अभिनति (पूर्वाग्रह)
c.
प्रतिचयन त्रुटियाँ
d. (a) तथा (b) दोनों
32. NSSO दद्वारा एकत्रित किए गये आँकड़ों को किस पत्रिका में प्रकाशित
किया जाता है?
a. 'सर्वेक्षण'
b.
'कुरुक्षेत्र'
c.
'सांख्यिकी'
d.
'अर्थशास्त्र'
33. राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण (NSS) की स्थापना कब की गई थी?
a.
1910
b.
1920
c.
1947
d. 1950
34. भारत की जनगणना कितने वर्षों के अंतराल में की जाती है?
a.
दो
b.
पाँच
c. दस
d.
बीस
35. CSO का पूरा नाम है-
a.
भारत का महापंजीकार
b.
भारत की जनगणना
c. केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय
d.
राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. आँकड़ों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
संख्यात्मक या मात्रात्मक तथ्यों के समूह को आँकड़े या डेटा कहते हैं।
2. अनुसंधानकर्ता द्वारा संग्रहित आँकड़ें क्या कहलाते हैं?
उत्तर-
अनुसंधानकर्ता द्वारा संग्रहित आँकड़ें प्राथमिक आँकड़ें कहलाते है।
3. प्राथमिक आँकड़ें क्या हैं?
उत्तर-
वह आँकड़ें जो अनुसंधान की प्रक्रिया में शुरू से अंत तक नये सिरे से एकत्र किए जाते
हैं, प्राथमिक आँकड़ें या प्राथमिक समंक कहलाते हैं।
4. द्वितीयक आँकड़ों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
जब अनुसंधानकर्ता स्वयं आँकड़ें एकत्रित ना करके, अपने अनुसंधान में उन आँकड़ों का
प्रयोग करता है जो पहले से किसी दूसरे व्यक्ति या संस्था द्वारा एकत्रित किया जा चुका
है तो उन आँकड़ों को द्वितीयक आँकड़ें कहते हैं।
5. किन्हीं दो द्वितीयक आँकड़ों के स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर-
दो द्वितीयक आँकड़ों के स्रोत हैं- समाचार पत्र और अर्थशास्त्रियों द्वारा लिखी गई
पुस्तकें।
6. अप्रतिदर्श त्रुटियाँ किसे कहते हैं?
उत्तर-
यह वे त्रुटियाँ जो अनुसंधानकर्ता या गणनाकार की लापरवाही, अज्ञानता, पक्षपात इत्यादि
के कारण जनगणना सर्वेक्षण और प्रतिदर्श सर्वेक्षण दोनों सर्वेक्षणों में उत्पन्न हो
सकती हैं।
7. प्रतिदर्श या निदर्श से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
किसी समग्र या जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने वाला छोटा समूह जिसके विषय में हम जानकारी
चाहते हैं, प्रतिदर्श या निदर्श कहलाता है।
8. प्रतिदर्श सर्वेक्षण के दो प्रचलित तरीक़ों के नाम लिखिए।
उत्तर-
प्रतिदर्श सर्वेक्षण के दो प्रचलित तरीक़ों के नाम हैं- यादृच्छिक प्रतिचयन और अयादृच्छिक
प्रतिचयन।
9. NSSO का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
NSSO का पूरा नाम 'राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन' है।
10. 'भारत की जनगणना' किसके द्वारा प्रस्तुत किया जाता है?
उत्तर-
'भारत की जनगणना' का संग्रहण एवं प्रकाशन 'भारत के महानिदेशक' (Registrar General
of India) द्वारा किया जाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. प्राथमिक एवं द्वितीयक आँकड़ों में क्या अंतर है?
उत्तर-
प्राथमिक आँकड़ों को अनुसंधानकर्ता या शोधकर्ता द्वारा अपने अनुसंधान के लिए पहली बार
एकत्रित किया जाता है। जबकि द्वितीयक आँकड़ें वे आंकड़े होते हैं जिनका अनुसंधानकर्ता
अपने अनुसंधान के लिए प्रयोग करता है जो पहले से दूसरे व्यक्ति या संस्था द्वारा संग्रहित
या संशोधित किया जाता है।
2. यादृच्छिक प्रतिचयन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
यादृच्छिक प्रतिचयन वह सांख्यिकी पद्धति है जिसमें जनसंख्या की प्रत्येक इकाई या व्यष्टि
का प्रतिदर्श के रूप में चुने जाने की संभावना समान होती है। जैसे, लॉटरी पद्धति द्वारा
प्रतिदर्शों का चुनाव करना।
3. अयादृच्छिक प्रतिचयन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
जब समष्टि या जनसंख्या की सभी इकाइयों के चुने जाने की समान संभावना नहीं होती है और
अनुसंधानकर्ता या सर्वेक्षक अपनी इच्छा और सुविधानुसार प्रतिदर्श का चुनाव करता है
तो यह अयादृच्छिक प्रतिचयन कहलाता हैं। जैसे- शिक्षक द्वारा विद्यालय के कुछ छात्र
एवं छात्राओं का निश्चित संख्या में चुनाव करना।
4. एक आदर्श प्रतिदर्श / निदर्श कैसा होता है?
उत्तर-
एक आदर्श प्रतिदर्श या निदर्श इस प्रकार का होना चाहिए कि वह संपूर्ण समग्र या जनसंख्या
की सभी विशेषताओं का पूर्ण प्रतिनिधित्व करें। यह तभी संभव हो सकता है जब समग्र या
समूह की प्रत्येक इकाई को प्रतिदर्श के रूप में चुने जाने का समान अवसर प्राप्त होता
है।
5. अयादृच्छिक प्रतिचयन की दो विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
अयादृच्छिक प्रतिचयन, जिसे नमूना विधि भी कहा जाता है, प्रतिचयन की वह विधि है जिसमे
प्रत्येक प्रतिनिधि मद के चुने जाने की संभावना बराबर नहीं रहती है। यह अनुसंधानकर्ता
की इच्छा, अनुभव और सुविधा पर निर्भर करता है कि वह किन प्रतिनिधि नमूनों को समग्र
से चुनाव करें। अयादृच्छिक प्रतिचयन के दो उदाहरण हैं-
i)
व्यस्थित प्रतिचयन और
ii)
कोटा प्रतिचयन।
i)
व्यवस्थित प्रतिचयन व्यवस्थित प्रतिचयन की विधि
में सबसे पहले जनसंख्या या समग्र को उनके विशेषताओं, जैसे- क्रमांक, स्थान, समय या
वर्णाक्रम में क्रमबद्ध किया जाता है। इनमें से निदर्श की पहली इकाई को यादृच्छिक पद्धति
से चुनाव करते है, शेष इकाईयाँ इस व्यवस्था के अनुसार मिलती जाती हैं। उदाहरण-किसी
कक्षा से 10 बच्चों का चुनाव करने के लिए, जिसमें छात्रों की कुल संख्या 50 है, उनके
क्रमांक के अनुसार हर पाँचवे बच्चे का प्रतिनिधि प्रतिदर्श के रूप में चुनना।
व्यवस्थित
प्रतिचयन के गुण
-
यह विधि बहुत सरल एवं सुविधाजनक है।
-
इससे प्राप्त निष्कर्ष संतोषजनक होते हैं।
व्यवस्थित
प्रतिचयन के अवगुण
-
यदि समग्र की कुछ विशेषताएं अनुसंधानकर्ता के लिए अज्ञात है तो यह विधि भ्रामक निष्कर्ष
देती है।
-
इस विधि के अंतर्गत नमूनों को छांटने के क्रम में पक्षपात की संभावना बनी रहती है।
ii)
कोटा प्रतिचयन इस विधि के अन्तर्गत समूह के मदों को उनकी
विशेषताओं के आधार पर विभिन्न वर्गों में बाँट लिया जाता है। इसके बाद संपूर्ण समग्र
में इन वर्गों के अनुपात को जानने के बाद गणनाकारों द्वारा इस अनुपात के अनुसार निदर्शी
को छाँटा जाता है। हर वर्ग से कोटा के अनुसार निदर्श चुने जाते है। उदाहरण- कक्षा के
कुछ छात्रों को चुनने के लिए अपनाई गई विधि।
कोटा
प्रतिचयन के गुण
-
यह कम खर्चीली विधि है।
-
यह विधि समय की बचत करती है।
कोटा
प्रतिचयन के अवगुण
-
इसमें भी वर्गों को सही ढंग से नहीं चुनने पर निष्कर्ष ग़लत हो सकते हैं।
-
इस विधि में भी पक्षपात की संभावना बनी रहती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. वैयक्तिक साक्षात्कार विधि क्या है? इसके गुण एवं दोषों का वर्णन
कीजिए।
उत्तर-
यह प्राथमिक आँकड़ा ज्ञात करने की एक विधि है। आँकड़ा एकत्र करने की इस पद्धति के अंतर्गत
उस व्यक्ति से आमने सामने संपर्क होता है जिनसे जानकारी प्राप्त करनी होती है। साक्षात्कारकर्ता
उत्तरदाता से सर्वेक्षण से संबंधित प्रश्न पूछता है और वांछित जानकारी एकत्रित करता
है। इस विधि से प्राप्त जानकारी प्रत्यक्ष और मौलिक होती है। व्यक्तिगत साक्षात्कार
की विधि तभी उपयोग में लाई जाती है जब शोधकर्ता सभी उत्तरदाताओं के पास जा सकता हो।
वैयक्तिक
साक्षात्कार विधि के गुण -
(i)
मनोवैज्ञानिक पद्धति व्यक्तिगत साक्षात्कार विधि
में साक्षात्कारकर्ता और उत्तरदाता के बीच व्यक्तिगत संपर्क होता है। साक्षात्कारकर्ता
को यह अवसर मिलता है कि वह उत्तरदाता की किसी भी पूछ-ताछ का जवाब दे सके और उत्तरदाता
को इस बात के लिए निवेदन कर सके कि वह विशेष महत्त्व के बिंदुओं को विस्तार से बताये।
(ii)
शुद्धता- इस विधि से प्राप्त आँकड़ों में शुद्धता अधिक
रहती है, क्योंकि व्यक्तिगत रूप से संपर्क करने पर उत्तरदाता अधिक और स्पष्ट जानकारी
प्रदान करने के इच्छुक होते हैं, जिससे अनुसंधानकर्ता द्वारा एकत्रित आँकड़ों में शुद्धता
रहती है।
(iii)
लचीली पद्धति व्यक्तिगत साक्षात्कार विधि एक लचीली प्रणाली
है, जिसमें आवश्यकतानुसार भाषा, प्रश्नों की संख्या अथवा साक्षात्कार संचालन करने की
विधि में परिवर्तन कर सकता है।
(iv)
संपूरक सूचनाएँ प्राप्त करने में समर्थ- व्यक्तिगत
साक्षात्कार के माध्यम से सूचना देने वाले व्यक्ति (उत्तरदाता) की व्यक्तिगत विशेषताओं
और उनके वातावरण के बारे में पूरी जानकारी एकत्र करना और उनमें सुधार करना संभव होता
है। अनुसं अनुसंधान की व्याख्या करते समय ऐसी जानकारियाँ बहुत उपयोगी साबित होती है।
वैयक्तिक
साक्षात्कार विधि के दोष -
(i)
अत्यधिक खर्चीली इस विधि में प्रशिक्षित गणनाकारों की आवश्यकता
होती है और समय भी अधिक लगता है। यही कारण है कि इस विधि में अधिक धन की आवश्यकता होती
है।
(ii)
व्यक्तिगत पक्षपात की संभावना- इस पद्धति द्वारा साक्षात्कारकर्ता
जो आँकड़ें एकत्रित करता है उसमें उसके व्यक्तिगत विचार भी शामिल हो सकते हैं जिससे
पक्षपात की संभावना बनी रहती है।
(iii)
गलत सूचनाओं के प्राप्ति की संभावना- शोधकर्ता की उपस्थिति
के कारण उत्तरदाता संकोचवश सूचनाओं को छुपा सकता है जिससे आँकड़ों के शुद्धता में कमी
हो सकती है।
2. संगणना विधि क्या है? इसके गुण एवं दोष क्या हैं?
उत्तर-
संगणना विधि जिसे जनगणना विधि भी कहते हैं। सर्वेक्षण की वह विधि है जिसके अंतर्गत
अनुसंधान से संबंधित समग्र या जनसंख्या के प्रत्येक मद या इकाई के संबंध में आँकड़ें
एकत्रित किए जाते हैं और इनका विश्लेषण किया जाता है। इस विधि की मुख्य विशेषता है
कि इसमें सांख्यिकी समूह के प्रत्येक व्यष्टिगत मदों का अध्ययन किया जाता है, जिससे
प्राप्त परिणामों में अधिक सटीकता और विश्वसनीय होने की संभावना रहती है। यही कारण
है कि इसे पूर्ण गणना विधि भी कहते हैं। प्रत्येक दस वर्ष में होने वाली भारत की 'जनगणना'
इसका उदाहरण है।
संगणना
विधि के गुण -
(i)
वैज्ञानिक पद्धति यह पद्धति वैज्ञानिक है क्योंकि इसमें
समग्र के प्रत्येक इकाइयों का अध्ययन किया जाता है।
(ii)
पक्षपात की कम संभावना- इस विधि में पक्षपात की संभावना
बहुत कम रहती है क्योंकि अनुसंधानकर्ता अपने सुविधानुसार मदों का चुनाव नहीं कर सकता
बल्कि सभी मंदों से संबंधित आँकड़ों को संकलित करता है।
(iii)
विस्तृत जानकारी इस विधि द्वारा समस्या से संबंधित प्रत्येक
इकाई का गणनाकार द्वारा गहन अध्ययन संभव है जिससे विस्तृत सूचनाएँ प्राप्त हो सकती
है।
(iv)
जटिल तथ्यों का अध्ययन- सांख्यिकीय अनुसंधान के अंतर्गत
जटिल तथ्यों का अध्ययन करने के लिए यह विधि सबसे उपयुक्त है, क्योंकि इसमें समष्टि
के प्रत्येक मद का विस्तारित अध्ययन किया जा सकता है।
संगणना
विधि के दोष -
(i)
खर्चीली विधि- जनगणना पद्धति महंगी है। यही कारण है
इसका प्रयोग केवल बड़ी संस्थाओं द्वारा किया जाता है।
(ii)
अधिक श्रम और समय की आवश्यकता- इस पद्धति में बड़ी संख्या
में प्रशिक्षित गणनाकारों की आवश्यकता होती है। इसमें समय भी अधिक लगता है।
(iii)
बड़े समग्र के लिए अनुपयुक्त यदि समग्र का आकार बहुत बड़ा
और विस्तृत है तो यह पद्धति उपयोगी नहीं रह जाती है।
3. प्रतिदर्श सर्वेक्षण से आप क्या समझते हैं? प्रतिदर्श या निदर्शन
विधि के दो-दो गुण और दोष लिखिए।
उत्तर-
प्रतिदर्श सर्वेक्षण का तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसमें समग्र या समूह से चुने
गए प्रतिदर्शों के आधार पर पूरे समग्र का अध्ययन किया जाता है। इसमें समग्र के प्रत्येक
इकाई का नहीं, इसके केवल प्रतिनिधि निदर्शो का अध्ययन किया जाता है और उसी आधार पर
संपूर्ण समग्र के बारे में निष्कर्ष निकाले जाते हैं। पूरी प्रक्रिया को निम्न भागों
में विभाजित किया जाता है-
-
अध्ययन के लिए समष्टि, जिसे जनसंख्या भी कहते हैं की पहचान करना
-
इस समष्टि या समग्र से प्रतिनिधि मदों का चुनाव करना
-
इन प्रतिनिधि मदों से आँकड़ा एकत्रित करना इन आँकड़ों के आधार पर समग्र के बारे में
अनुमान लगाना
प्रतिदर्श
सर्वेक्षण के गुण -
(i)
समय एवं धन की बचत प्रतिदर्श समूह से छोटा होता
है अतः कम खर्च और कम समय में पर्याप्त और विश्वसनीय सूचनाएं उपलब्ध कराता है। इसमें
परिगणकों की संख्या भी कम रहती है जिन्हें प्रशिक्षित करना सुविधापूर्ण होता है।
(ii)
व्यापक और निरंतर अनुसंधान के लिए उपयुक्त-
इस विधि के अंतर्गत प्रतिदर्श के आधार पर समग्र के बारे में जानते हैं। यही कारण है
कि जिन क्षेत्रों में लगातार और सघन अनुसंधान की आवश्यकता होती है, उसके लिए यह विधि
उपयुक्त मानी जाती है।
प्रतिदर्श
सर्वेक्षण के दोष -
(i)
प्रतिदर्श के चुनाव में कठिनाई यदि समग्र में बहुत अधिक असमानताएं
हैं तो प्रतिनिधि प्रतिदर्श चुनना संभव नहीं होता।
(ii)
भ्रामक निष्कर्ष की संभावना प्रतिनिधि प्रतिदर्शी का चुनाव
गलत हो जाने से अध्ययन में भ्रामक निष्कर्ष की संभावना बनी रहती है।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
क्र०स० | अध्याय का नाम |
अर्थशास्त्र में सांख्यिकी | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |