प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 11
अर्थशास्त्र (Economics)
3. आँकड़ों का संगठन
पाठ के मुख्य बिन्दु
*
वर्गीकरण अपरिष्कृत आँकड़ों को क्रमबद्धता प्रदान करता है।
*
वर्गीकरण बहुमूल्य श्रम और समय को बचाता है।
*
आँकड़ों का वर्गीकरण जब समय के अनुसार किया जाता है तो, उसे कालानुक्रमिक वर्गीकरण
कहते हैं।
*
आँकड़ों का वर्गीकरण जब गुणों के आधार पर किया जाता है तो, उसे गुणात्मक वर्गीकरण
कहते हैं। जैसे - राष्ट्रीयता, साक्षरता, लिंग, धर्म तथा वैवाहिक स्थिति आदि।
*
आँकड़ों का वर्गीकरण जब ऊंचाई, भार, आयु, आय तथा छात्रों
के अंक आदि मात्रात्मक विशेषताओं के आधार पर किया जाता है तो, उसे मात्रात्मक वर्गीकरण
कहते हैं।
*
संतत चर के मान पूर्णांक या भिन्नात्मक हो सकते हैं परंतु विविक्त चर के मान केवल
पूर्ण संख्या ही होते हैं।
*
बारंबारता वितरण यह प्रदर्शित करता है कि किसी चर के विभिन्न मान संगत वर्ग की
बारंबारताओं सहित किस प्रकार विभिन्न वर्गों में कैसे वितरित किए जाते हैं।
*
प्रेक्षणों के वर्गीकरण की ऐसी विधि जिसमें किसी वर्ग की ऊपरी वर्ग सीमा के बराबर
प्रेक्षण को उस वर्ग में न रखकर अगले वर्ग में रखा जाता है, अपवर्जी विधि कहलाता
है।
*
प्रेक्षणों के वर्गीकरण की ऐसी विधि जिसमें ऊपरी वर्ग सीमा तथा निम्न वर्ग सीमा को
एक ही वर्ग में रखा जाता है, समावेशी विधि कहलाता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. अपरिष्कृत आँकड़ों को क्रमबद्ध कैसे कर सकते हैं?
a.
संग्रह के दद्वारा
b.
प्रस्तुतीकरण के द्वारा
c. वर्गीकरण के द्वारा
d.
सारणीयन के द्वारा
2. अपरिष्कृत आँकड़ों को संक्षिप्त एवं बोधगम्य बनाया जा सकता है -
a.
तुलना के द्वारा
b.
संग्रह के द्वारा
c.
प्रस्तुतीकरण के द्वारा
d. वर्गीकरण के द्वारा
3. आँकड़ों को जब समयावधि के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है क्या कहलाता
है -
a.
मात्रात्मक वर्गीकरण
b.
भौगोलिक वर्गीकरण
c. कालानुक्रमिक वर्गीकरण
d.
गुणात्मक वर्गीकरण
4. गेहूँ की उपज भारत के किस राज्य में सबसे अधिक होती है यह किस प्रकार
का वर्गीकरण होगा
a.
गुणात्मक वर्गीकरण
b.
काल-श्रेणी वर्गीकरण
c. स्थानिक वर्गीकरण
d.
मात्रात्मक वर्गीकरण
5. लिंग के आधार पर भारतीय जनसंख्या को पुरुष एवं महिला दो वर्गों में
विभाजित करना, निम्न में से किस वर्गीकरण का उदाहरण है?
a.
मात्रात्मक वर्गीकरण
b.
कालिक वर्गीकरण
c.
स्थानिक वर्गीकरण
d. गुणात्मक वर्गीकरण
6. ऊँचाई, भार, आयु, छात्रों के अंक आदि विशेषता के आधार पर वर्गीकरण
कहलाता है -
a. मात्रात्मक वर्गीकरण
b.
गुणात्मक वर्गीकरण
c.
कालिक वर्गीकरण
d.
स्थानिक वर्गीकरण
7. गणित के प्राप्तांकों का वर्गीकरण क्या कहलायेगा?
a.
गुणात्मक वर्गीकरण
b.
स्थानिक वर्गीकरण
c.
कालानुक्रम वर्गीकरण
d. मात्रात्मक वर्गीकरण
8. परिवर्तन के आधार पर चर को कितने वर्गों में वर्गीकृत कर सकते हैं
-
a.
एक
b. दो
c.
तीन
d.
चार
9. अपरिष्कृत आँकड़ों को मात्रात्मक चर में कैसे वर्गीकृत किया जा सकता
है
a.
वर्गीकरण
b.
सारणीयन
c. बारंबारता वितरण
d.
प्रस्तुतीकरण
10. बारंबारता वितरण सारणी में प्रत्येक वर्ग किससे घिरा होता है?
a.
निम्न वर्ग सीमा
b.
उच्च वर्ग सीमा
c. वर्ग सीमा
d.
मध्य बिंदु
11. वर्ग 20-30,40-50 में निम्न वर्ग सीमा कौन-कौन सी है?
a.
30, 50
b.
20, 30
c.
40, 50
d. 20, 40
12. उच्च वर्ग सीमा तथा निम्न वर्ग सीमा के बीच का अंतर कहलाता है
-
a.
मध्य बिंदु
b.
बारंबारता वितरण
c. वर्ग-अंतराल
d.
परास
13 . वर्ग चिह्न या वर्ग मध्य बिंदु का सूत्र है-
a.
उच्च वर्ग सीमा निम्न वर्ग सीमा
b.
उच्च वर्ग सीमा निम्न वर्ग सीमा
c. (उच्च वर्ग सीमा निम्न वर्ग सीमा) / 2
d.
उच्च वर्ग सीमा निम्न वर्ग सीमा / 2
14. वर्ग 10-20 तथा 30-40 में उच्च वर्ग सीमा कौन-कौन सी है?
a.
10, 20
b.
10, 30
c.
20, 30
d. 20, 40
15. किसी बारंबारता वितरण का आलेखीय प्रस्तुतीकरण कहलाता है
a.
बारंबारता वितरण
b. बारंबारता वक्र
c.
बारंबारता सारणी
d.
वर्ग-अंतराल
16. चरों के उच्चतम एवं न्यूनतम प्रेक्षणों के बीच का अंतर होता है
-
a.
वर्ग मध्य बिंदु
b.
वर्ग सीमा
c.
वर्ग अंतराल
d. परास
17. निम्न में परास का सूत्र होगा -
a.
वर्गों की संख्या + (वर्ग-अंतराल)
b.
वर्गों की संख्या (वर्ग-अंतराल)
c. वर्गों की संख्या × (वर्ग-अंतराल)
d.
वर्गों की संख्या (वर्ग-अंतराल)
18. यदि परास 60 है और वर्ग-अंतराल 10 है तो, वर्गों की संख्या होगी
-
a.
10
b. 6
c.
600
d.
60
19. यदि वर्गों की संख्या 2 हो, तथा वर्ग-अंतराल 50 हो, तब परास होगा
-
a. 100
b.
25
c.
75
d.
60
20. समावेशी विधि के अंतर्गत -
a.
किसी वर्ग की निम्न वर्ग सीमा के मूल्य को शामिल किया जाता है
b.
किसी वर्ग की उच्च वर्ग सीमा के मूल्य को शामिल किया जाता है
c. किसी वर्ग की निम्न तथा उच्च वर्ग सीमाओं के मूल्य के मानों को शामिल
किया जाता है
d.
किसी वर्ग की निम्न वर्ग सीमा के मूल्य को शामिल नहीं किया जाता है
21. अपवर्जी विधि के अंतर्गत -
a.
किसी वर्ग की उच्च वर्ग सीमा को वर्ग-अंतराल में समावेशित करते हैं
b.
किसी वर्ग की मध्य-बिंदु को वर्ग-अंतराल में समावेशित नहीं करते हैं
c.
किसी वर्ग की निम्न वर्ग सीमा को वर्ग-अंतराल में समावेशित नहीं करते हैं
d. किसी वर्ग की निम्न वर्ग सीमा को वर्ग-अंतराल में समावेशित करते
हैं
22. अपवर्जी विधि में 05 अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी को किस वर्ग
में रखा जाएगा?
a.
0-5
b. 5-10
c.
10-15
d.
15-20
23. 1-10, 11-20, 21-30 यह किस प्रकार के वर्ग-अंतराल के उदाहरण है
-
a.
वर्ग-अंतराल
b.
आवृत्ति वितरण
c.
वर्ग सीमा
d. समावेशी वर्ग-अंतराल
24. यदि किसी वर्ग में मिलान चिन्ह 7 है तो, उसे किस प्रकार लिखेंगे -
उत्तर-
d
25. मिलान चिन्हों की गणना कितनी संख्याओं के समूह में की जाती है?
a.
2
b.
4
c. 5
d.
10
26. यदि कोई विद्यार्थी 42 अंक प्राप्त करता है तो मिलान चिन्ह किस
वर्ग में लगाया जाएगा
a.
50-60
b.
30-40
c. 40-50
d.
20-30
27. दो चरों के बारंबारता वितरण को किस नाम से जानते हैं
a.
एक विचर वितरण
b. द्विचर चर वितरण
c.
बहुचर वितरण
d.
इनमें से कोई नहीं
28. अपरिष्कृत आँकड़ों के संबंध में निम्न कथनों में से सही कथन का
चयन कीजिए।
a.
अपरिष्कृत आँकड़ों से निष्कर्ष निकलना आसान होता है
b.
अपरिष्कृत आँकड़े प्रायः छोटे होते हैं
c. अपरिष्कृत आँकड़े अव्यवस्थित होते हैं
d.
इनमें से सभी
29. आँकड़ों के गुणात्मक वर्गीकरण का आधार क्या होता है?
a.
समय
b.
भौगोलिक स्थान
c. विशेष गुण
d.
मात्रा
30. आँकड़ों के कालिक वर्गीकरण का आधार क्या होता है?
a. समय
b.
भौगोलिक स्थान
c.
विशेष गुण
d.
मात्रा
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. वर्गीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
वर्गीकरण अपरिष्कृत आँकड़ों को संक्षिप्त एवं बोधगम्य बनाता है।
2. संतत चर किसे कहते हैं?
उत्तर-
ऐसे चर जो निरंतर बढ़ते रहते हैं संतत चर कहलाते हैं।
3. विविक्त चर किसे कहते हैं?
उत्तर-
विविक्त चर में केवल निश्चित मान हो सकते हैं। इसके मान केवल परिमित उछाल से बदलते
हैं।
4. परास होता है?
उत्तर-
चरों के उच्चतम एवं न्यूनतम मानों के बीच का अंतर परास होता है।
5. अपवर्जी विधि क्या है?
उत्तर-
अपवर्जी विधि में किसी वर्ग की निम्न वर्ग सीमा को उस वर्ग में शामिल किया जाता है,
उच्च वर्ग सीमा को नहीं।
6. समावेशी विधि से क्या समझते हैं?
उत्तर-
समावेशी विधि में किसी वर्ग में उच्च वर्ग सीमा तथा निम्न वर्ग सीमा दोनों को शामिल
किया जाता है।
7. संतत चर का दो उदाहरण दें?
उत्तर-
आयु, ऊंचाई।
8. परिवार का आकार किस चर का उदाहरण है?
उत्तर-
विविक्त चर।
9. वर्ग-अंतराल होता है?
उत्तर-
किसी वर्ग के उच्च वर्ग सीमा तथा निम्न वर्ग सीमा का अंतर, वर्ग-अंतराल होता है।
10. बारंबारता वक्र क्या है?
उत्तर-
किसी बारंबारता वितरण का आलेखीय प्रस्तुतीकरण।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. चर क्या है? एक संतत तथा विविक्त चर के बीच भेद कीजिए?
उत्तर-
चर से अभिप्राय उस मात्रा से है जिसका प्रयोग किसी वस्तु अथवा व्यक्तियों के किसी गुण
को मापने के लिए किया जाता है। जिसके मूल्य परिवर्तनशील होते हैं। उदाहरण स्वरूप विभिन्न
वर्षों में खाद्यान्नों का उत्पादन एक समान नहीं रहा है, वर्ष दर वर्ष फसलों के उत्पादन
में परिवर्तन आता रहा है।
संतत
चर संतत चर का कोई भी संख्यात्मक मान हो सकता है यह पूर्णांक मान (1,2,3,- -), भिन्नात्मक
मान (1/2,2/3, 3/4, -) तथा वे मान जो यथातथ भिन्न नहीं है (√2=1.414,√3=1.732,-) हो
सकते हैं। संतत चर निरंतर चलते रहता है। जैसे किसी व्यक्ति की आयु, ऊँचाई आदि। उदाहरण
स्वरूप किसी छात्र की ऊंचाई 50 120 सेंटीमीटर तक बढ़ता है तो उसके ऊंचाई के मान इसके
बीच आने वाले सभी मान हो सकते हैं।
विविक्त
चर विविक्त चर में केवल निश्चित मान हो सकते हैं। इसके मान केवल परिमित उछाल से बदलते
हैं। यह उछाल एक मान से दूसरे मान के बीच होते हैं। परंतु इसके बीच में कोई मान नहीं
होते हैं। जैसे- किसी कक्षा में छात्रों की संख्या। इसमें केवल पूर्ण संख्या होते हैं,
कोई भिन्नात्मक मान जैसे 0.5 नहीं हो सकता है।
2. आँकड़ों के वर्गीकरण में प्रयुक्त अपवर्जी तथा समावेशी विधियों की
व्याख्या कीजिए?
उत्तर-
अपवर्जी विधि इस विधि के अंतर्गत किसी वर्ग की उच्च वर्ग-सीमा को छोड़ देते
हैं तथा निम्न वर्ग-सीमा को शामिल कर लिया जाता है। इस विधि के अनुसार कोई प्रेक्षण
(मूल्य) जो उच्च वर्ग-सीमा के बराबर है उसे उस वर्ग में शामिल न करके अगले वर्ग में
शामिल किया जाता है। दूसरी ओर यदि प्रेक्षण निम्न वर्ग-सीमा के बराबर होती है, तब उसे
उस वर्ग में शामिल कर लिया जाता है। उदाहरण स्वरूप प्रेक्षण (मूल्य) 40 वर्ग 30-
40 की उच्च वर्ग सीमा के बराबर है तथा वर्ग 40-50 के निम्न वर्ग-सीमा के भी बराबर है।
इन दोनों वर्गों में प्रेक्षण को वर्ग 40-50 में रखेंगे।
समावेशी
विधि - समावेशी विधि में किसी वर्ग-अंतराल की दोनों
वर्ग सीमाओं उच्च वर्ग सीमा तथा निम्न वर्ग सीमा दोनों को शामिल किया जाता है। उदाहरणस्वरूप
-0-4,5-9 आदि।
3. वर्गीकृत आँकड़ों में सूचना की क्षति का क्या अर्थ है?
उत्तर-
बारंबारता वितरण के रूप में आँकड़ों के वर्गीकरण में एक दोष पाया जाता है। यह अपरिष्कृत
आँकड़ों को संक्षिप्त एवं बोधगम्य तो बनाता है पर विस्तृत विवरण नहीं प्रकट हो पाते
हैं। अपरिष्कृत आँकड़ों को वर्गीकृत करने में सूचना की क्षति होती है। यद्यपि आँकड़ों
के वर्गीकरण द्वारा संक्षिप्त करने पर पर्याप्त जानकारी मिल जाती है। लेकिन एक बार
जब आँकड़ों को वर्गों में वर्गीकृत कर दिया जाता है तब व्यष्टि प्रेक्षणों (विशिष्ट
मूल्य) का आगे सांख्यिकीय परिकलनों में कोई महत्व नहीं होता है। उदाहरणस्वरूप किसी
बारंबारता सारणी के अंतर्गत 6 प्रेक्षण 20, 28, 28, 28, 23, 25 हैं, इसलिए इन आँकड़ों
को वर्ग 20 30 में रखा जाता है। तब उस वर्ग की बारंबारता 6 होती है न की उन प्रेक्षणों
के वास्तविक मूल्य। इस वर्ग के सभी मानों को उस वर्ग के वर्ग अंतराल के मध्य बिंदु
अर्थात् (20+30)/2 = 25 मान लिया जाता है। आगे की सांख्यिकीय परिकलनों के लिए मध्य
बिंदु व को ही आधार बनाया जाता है न कि व्यष्टि प्रेक्षणों के मूल्यों को, यही बात
सभी वर्गों के लिए लागू होती है।
इस
प्रकार प्रेक्षणों के वास्तविक मान के स्थान पर मध्य बिंदु के प्रयोग से पर्याप्त मात्रा
में सूचनाओं की क्षति होती है।
4. क्या अपरिष्कृत आँकड़ों की अपेक्षा वर्गीकृत आँकड़े बेहतर होते हैं?
उत्तर-
वर्गीकरण के द्वारा अपरिष्कृत आँकड़ों को संक्षिप्त एवं बोधगम्य बनाया जाता है। व्यवस्थित
आँकड़ों से आसानी से संख्या का विश्लेषण किया जा सकता है। वर्गीकरण करने से बहुमूल्य
श्रम एवं समय की बचत होती है तथा काम करने में आसानी हो जाती है, जब एक प्रकार की विशेषता
वाले तत्वों को एक ही वर्ग में रखा जाता है तो वह बिना किसी कठिनाई के ढूंढने, तुलना
करने तथा निष्कर्ष निकालने योग्य हो जाते हैं। उदाहरण स्वरूप जनगणना प्रत्येक 10 वर्षों
में होती है, जनगणना के आँकड़ें बहत विशाल एवं विखंडित होते हैं उनसे कोई भी अर्थपूर्ण
निष्कर्ष निकालना कठिन कार्य है। लेकिन जब जनगणना के उन्हीं आँकड़ों को लिंग, शिक्षा,
वैवाहिक स्थिति, पेशे के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है, तब भारत की जनसंख्या की प्रकृति
एवं संरचना आसानी से समझ में आ जाती है। इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि अपरिप अपरिष्कृत
आँकड़ों की अपेक्षा वर्गीकृत आँकड़े बेहतर होते हैं।
5. एकल विचर एवं द्विचर बारंबारता वितरण के बीच अंतर बताइए?
उत्तर-
एकल चर के बारंबारता वितरण को एक विचर बारंबारता वितरण कहा जाता है। जैसे किसी छात्र
के प्राप्तांक। दद्विचर- यदि आँकड़ों का संबंध दो चरों से होता है तो उसे द्विचर कहते
हैं, जैसे किसी परिवार के आय तथा व्यय का ब्यौरा ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. बारंबारता वितरण से क्या समझते हैं? इसमें आँकड़ों को किस प्रकार
से व्यवस्थित किया जाता है? समझाइये।
उत्तर-
बारंबारता वितरण अपरिष्कृत आँकड़ों को एक मात्रात्मक चर में वर्गीकृत करने का एक सामान्य
तरीका है। यह दिखाता है कि किसी चर के विभिन्न मान विभिन्न वर्गों में, वर्गों के बारंबारताओं
के साथ कैसे वितरित किए जाते हैं। उदाहरणस्वरूप छात्रों द्वारा प्राप्त गणित के प्राप्तांकों
के 5 वर्ग हैं। 0-10, 10-20, 20-30, 30-40, 40-50। वर्ग-बारंबारता पद का अर्थ है कि
एक विशेष वर्ग में मानों की संख्या। उदाहरण के लिए मान लेते हैं कि 30, 37, 34,
30, 35, 39 तथा 32 छात्रों के गणित के प्राप्तांक हैं। इन्हें वर्ग 30-40 में रखेंगे।
इस प्रकार से वर्ग 30-40 की बारंबारता 7 होगी।
•
बारंबारता वितरण सारणी में प्रत्येक वर्ग, वर्ग सीमाओं दवारा घिरा होता है। वर्ग में
यह सीमाएँ दो छोरों पर होती हैं।
•
इसमें न्यूनतम मान को निम्न वर्ग सीमा तथा उच्चतम मान को उच्च वर्ग सीमा कहते हैं।
उदाहरण के लिए वर्ग 20 30 में वर्ग सीमाएं 20 एवं 30 हैं इसकी निम्न वर्ग सीमा 20 और
उच्च वर्ग सीमा 30 है।
•
वर्ग अंतराल उच्च वर्ग सीमा तथा निम्न वर्ग सीमा के बीच का अंतर होता है। वर्ग
30-40 के लिए वर्ग अंतराल 10 होगा। दोनों वर्ग सीमाओं का अंतर।
•
वर्ग मध्य बिंद किसी वर्ग का मध्य मान होता है। इसे निम्नलिखित तरीके से निकाला जा
सकता है वर्ग मध्य बिंदु = (उच्च वर्ग सीमा निम्न वर्ग सीमा) / 2
•
प्रत्येक वर्ग का वर्ग मध्य बिंदु एक वर्ग के प्रतिनिधित्व के लिए प्रयुक्त किया जाता
है। जब अपरिष्कृत आँकड़ों को वर्गों में समूहित कर दिया जाता है तब आगे की गणनाओं में
व्यष्टि प्रेक्षणों का प्रयोग नहीं किया जाता है बल्कि इसकी जगह मध्य बिंदु का प्रयोग
किया जाता है।
वर्ग |
बारंबारता |
निम्न
वर्ग सीमा |
उच्च
वर्ग सीमा |
मध्य
बिंदू |
0-10 |
1 |
0 |
10 |
5 |
10-20 |
8 |
10 |
20 |
15 |
20-30 |
6 |
20 |
30 |
25 |
30-40 |
7 |
30 |
40 |
35 |
40-50 |
2 |
40 |
50 |
45 |
2. समावेशी विधि को अपवर्जी विधि में कैसे समायोजित कर सकते हैं? समझाइए।
समावेशी विधि के अन्तर्गत आँकड़ा सारणी द्वारा दिखाया गया है -
वर्ग |
बारंबारता |
0-9 |
5 |
10-19 |
8 |
20-29 |
6 |
30-39 |
10 |
0-9 |
15 |
उत्तर-
समावेशी विधि को अपवर्जी विधि में निम्नलिखित तरीके से समायोजित कर सकते हैं -
•
सबसे पहले द्वितीय वर्ग की निम्न सीमा और प्रथम वर्ग की उच्च सीमा के बीच अंतर पता
करते हैं। इस सारणी के तहत् द्वितीय वर्ग की निम्न सीमा 10 और प्रथम वर्ग की उच्च सीमा
9 के बीच अंतर 1 है (10 - 9 = 1) ।
•
प्राप्त किए गए अंतर 1 को 2 से विभाजित करेंगे (अर्थात् ½ = 0.5) ।
• सभी वर्गों की निम्न सीमाओं को प्राप्त किया मान
से घटाएंगे (निम्न वर्ग सीमा - 0.5)।
•
सभी वर्ग के उच्च सीमा को प्राप्त किया मान से जोड़ेंगे (उच्च वर्ग सीमा + 0.5)।
• समायोजन के पश्चात् नई बारंबारता सारणी की प्राप्ति
होती है।
•
वर्ग सीमाओं में समायोजन के पश्चात् मध्य बिंदु का मान निम्नलिखित तरीके से निकालते
हैं -
समायोजित
वर्ग मध्य बिंदु = (समायोजित उच्च वर्ग सीमा + समायोजित निम्न वर्ग सीमा) /2
समायोजित
करने के बाद बारंबारता वितरण सारणी
वर्ग |
बारंबारता |
मध्य
बिंदु |
0.5-9.5 |
5 |
5 |
9.5-19.5 |
8 |
15 |
19.5-29.5 |
6 |
25 |
29.5-39.5 |
10 |
35 |
39.5-49.5 |
15 |
45 |
3. निम्नलिखित आँकड़ों का प्रयोग करते हुए जो 50 परिवारों के भोजन पर
मासिक व्यय को दिखलाती है-
1904 |
1559 |
3473 |
1735 |
2760 |
2041 |
1612 |
1753 |
1855 |
4439 |
5090 |
1085 |
1823 |
2346 |
1523 |
1211 |
1360 |
1110 |
2152 |
1183 |
1218 |
1315 |
1105 |
2628 |
2712 |
4248 |
1812 |
126 |
1183 |
1171 |
1007 |
1180 |
1953 |
1137 |
2048 |
2025 |
1583 |
1324 |
2621 |
3676 |
1397 |
1832 |
1962 |
2177 |
2575 |
1293 |
1365 |
1146 |
3222 |
1396 |
(a)
भोजन पर पारिवारिक व्यय का परास ज्ञात कीजिए?
(b)
परास को वर्ग-अंतराल की उचित संख्याओं में विभाजित करें तथा व्यय का बारंबारता वितरण
प्राप्त करें?
(c)
उन परिवारों की संख्या पता कीजिए जिनका भोजन पर मासिक व्यय -
(i)
₹2000 से कम है।
(ii)
₹3000 से अधिक है।
(iii)
₹1500 और ₹2500 के बीच है।
उत्तर-
(a)
परास = चरों का उच्चतम मान - चरों का न्यूनतम मान = 5090-1007 = 4083
(b). बारंबारता वितरण सारणी
(i)
भोजन पर ₹2000 से कम मासिक खर्च करने वाले परिवारों की संख्या = 20 + 13 = 33
(ii)
भोजन पर ₹3000 से अधिक मासिक खर्च करने वाले परिवारों की संख्या = 2+1+2+1 = 6
(iii) भोजन पर ₹1500 तथा ₹2500 के बीच मासिक खर्च करने वाले परिवारों की संख्या = 13 + 6 = 19
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
क्र०स० | अध्याय का नाम |
अर्थशास्त्र में सांख्यिकी | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |