Class 12 Hindi Elective Model Paper Solution 2023-24

Class 12 Hindi Elective Model Paper Solution 2023-24

झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद राँची (झारखण्ड)

प्रतिदर्श प्रश्न पत्र (2023-2024)

पूर्णाक: 80    कुल समय : 3 घंटे

हिंदी ऐच्छिक

सामान्य निर्देश:-

परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में उत्तर दें।

सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।

• कुल प्रश्नों की संख्या 52 है।

प्रश्न 1 से 30 तक बहविकल्पिय प्रश्न हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प दिए गए हैं। सही विकल्प का चयन कीजिये। प्रत्येक प्रश्न के लिए एक अंक निर्धारित है।

• प्रश्न संख्या 31 से 38 तक अति लघु उत्तरीय प्रश्न है। जिसमे से किन्ही 6 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक निर्धारित है।

• प्रश्न संख्या 39 से 46 तक लघु उत्तरीय प्रश्न है। जिसमे से किन्ही 6 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक निर्धारित है।

• प्रश्न संख्या 47 से 52 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न है। किन्हीं 4 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक निर्धारित है।'

अपठित बोध

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें -

विज्ञान की प्रगति से आधुनिक सुख-साधनों में पर्याप्त वृद्धि हुई है। इन साधनों के उपयोग से मानव बुद्धि कुंठित हो गई है। इसके असंतुलित उपभोग से मनुष्य का शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य विकृत हो गया है। मनुष्य के सामने एक विकट समस्या है कि इन विकट परिस्थितियों में जीवन में वास्तविक और स्थायी सुख उपलब्ध कराने के लिए क्या उपाय किए जाएँ? एक ही रास्ता दिखाई पड़ता है भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति में संतुलित सामंजस्य स्थापित करना। यही एक सर्वोत्तम उपलब्ध औषधि है जिसके बल पर विज्ञानजनित समाज में व्याप्त अनेकानेक बुराइयों से मुक्ति मिल सकती है।

1. विज्ञान की प्रगति से किसमें वृद्धि हुई है?

A. मानव-बुद्धि में

B. आधुनिक सुख-साधनों में

C. मानसिक स्वास्थ्य में

D. शारीरिक स्वास्थ्य में

2. विज्ञान की प्रगति हमारे लिए चिंता का कारण क्यों है?

A. इससे मानव-बुद्धि कुंठित हो गई है

B. शारीरिक स्वास्थ्य में गिरावट आई है

C. मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट आई है

D. ये सभी

3. उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।

A. स्थायी सुख

B. वैज्ञानिक प्रगति व अध्यात्मवाद

C. विद्यार्थी जीवन में अनुशासन

D. विज्ञानजनित उपलब्धि

4. विज्ञानजनित बुराइयों से मुक्ति कैसे मिल सकती है?

A. वैज्ञानिक प्रगति से

B. आधुनिक सुख-साधनों के उपयोग से

C. भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति में संतुलित सामंजस्य स्थापित करके

D. आधुनिक जीवन-शैली अपनाकर

निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें -

चढ़ रही थी धूप

गर्मियों के दिन

दिवा का तमतमाता रूप;

उठी झूलसाती हुई लू

रूई का ज्यों जलती हुई भू

गर्द चिनगी छा गई

प्रायः हुई दोपहर

वह तोड़ती पत्थर।

5. कवि किस ऋतु की चर्चा कर रहा है?

A. शीत ऋतु

B. वर्षा ऋतुयनेतृत्व

C. वसंत ऋतु

D. ग्रीष्म ऋतु ।

6. यहाँ 'वह' है -

A. एक स्त्री

B. एक पुरुष

C. एक बच्चा

D. एक वृद्ध

7. उपर्युक्त पद्यांश के लिए सबसे उपयुक्त शीर्षक होगा -

A. रुई

B. चिनगी

C. तोड़ती पत्थर

D. दोपहर

8. यहाँ 'पत्थर' किसका प्रतीक है -

A. स्वतंत्रता

B. कठिनाई

C. शौर्य

D. साहस

रचनात्मक लेखन तथा अभिव्यक्ति और माध्यम

निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीजिए -

9. प्राप्त संदेश का कूट वाचन कौन करता है?

A. प्राप्तकर्ता

B. संदेश वाहक

C. संदेश प्रसारक

D. इनमें से कोई नहीं

10. 'लाइव' शब्द का अर्थ है?

A. जिसका सीधा प्रसारण होता है

B. जिसका बाद में प्रसारण होता है

C. जिसका पहले प्रसारण हो चुका है

D. इनमें से कोई नहीं

11. सबसे ऊपर बाईं ओर प्रेषक (पत्र भेजने वाले) का नाम व पता लिखा जाता है। ऐसे किस पत्र में लिखा जाता है?

A. प्रार्थना-पत्र

B. कार्यालयी-पत्र

C. संपादकीय पत्र

D. व्यक्तिक-पत्र

12. फ़ीचर से संबंधित निम्न में से कौन-सा कथन सही नहीं है?

A. फ़ीचर में लेखक अपने विचार डाल सकता है।

B. फ़ीचर लेखन का एक तय ढाँचा या फार्मूला होता है।

C. फ़ीचर का मुख्य उद्देश्य मनोरंजन करना है।

D. फ़ीचर आमतौर पर समाचार, रिपोर्ट से बड़े होते हैं।ध नेतृत्व

13. निम्न में से कौन सा कार्य संपादक का नहीं है?

A. निष्पक्ष भाव से समाचार छपवाना

B. प्रथम पृष्ठ पर छपने वाली खबरों के बारे में निर्णय लेना

C. क्षेत्र से खबरें इकट्ठा करना

D. निश्चित समय पर समाचार पत्र छपवाना

14. जनसंचार माध्यमों का प्रमुख कार्य क्या है?

A. लोगों का मार्गदर्शन करना

B. मनोरंजन करना

C. सूचना देना और शिक्षित करना

D. ये सभी

15. भारत में प्रकाशित होने वाला पहला अखबार कौन-सा था?

A. बंगाल गज़ट

B. उदन्त मार्तंड

C. अमर उजाला

D. प्रताप

16. कम से कम शब्दों में तत्काल महज सूचना देना टेलीविजन समाचार के किस चरण के अंतर्गत आता है?

A. फोन-इन

B. लाइव

C. फ्लैश न्यूज़

D. एंकर-विजुअल

पाठ्यपुस्तक

निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें -

चढ़कर मेरे जीवन-रथ पर,

प्रलय चल रहा अपने पथ पर।

मैंने निज दुर्बल पद-बल पर,

उससे हारी-होड़ लगाई।

17. प्रस्तुत पंक्तियों के रचयिता कौन हैं?

A. जयशंकर प्रसाद

B. तुलसीदास

C. रघुवीर सहाय

D. सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

18. इस पद्यांश का प्रतिपाद्य है -

A. देवसेना की खुशी

B. देवसेना की प्रेम-पीड़ा

C. देवसेना का देशप्रेम

D. देवसेना का उत्साह

19. इस पदयांश में कौन-सा अलंकार नहीं है?

A. रूपक अलंकार

B. यमक अलंकार

C. अनुप्रास अलंकार

D. मानवीकरण अलंकार

20. प्रस्तुत पंक्तियाँ किस नाटक से ली गई है?

A. स्कंदगुप्त

B. चन्द्रगुप्त

C. ध्रुवस्वामिनी

D. अजातशत्रु

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें -

"और कितना कड़ा करूँ दिल?... माँ से कहना, मैं भाई-भाभियों की नौकरी करके पेट पालूँगी। बच्चों की जूठन खाकर एक कोने में पड़ी रहूँगी, लेकिन यहाँ अब नहीं..... अब नहीं रह सकूँगी।..... कहना, यदि माँ मुझे यहाँ से नहीं ले जायेगी तो मैं किसी दिन गले में घड़ा बाँधकर पोखरे में डूब मरूँगी। बथुआ-साग खाकर कब तक जीऊँ? किसलिए.... किसके लिए ?"

21. प्रस्तुत पंक्तियाँ किस पाठ से उधृत हैं?

A. दूसरा देवदास

B. जहाँ कोई वापसी नहीं

C. कच्चा चिट्ठा

D. संवदिया

22. यहाँ वक्ता कौन है?

A. हरगोबिन

B. बड़ी बहुरिया

C. मोदिआइन

D. गुल मुहम्मद आगा

23. 'यदि माँ मुझे यहाँ से नहीं ले जायेगी तो मैं किसी दिन गले में घड़ा बाँधकर पोखरे में डूब मरूँगी।' -यहाँ वक्ता का कौन-सा भाव प्रकट हुआ है?

A. खुशी

B. उत्साह

C. व्याकुलता

D. डर

24. यहाँ श्रोता कौन है?

A. हरगोबिन

B. बड़ी बहुरिया

C. मोदिआइन

D. गुल मुहम्मद आगा

निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीजिए -

25. 'यह दीप अकेला' कविता में 'दीप' किसका प्रतीक है?

A. मन का

B. व्यक्ति का

C. समाज का

D. देश का

26. कौशल्या किसे देखने के लिए राम से पुनः अयोध्यापुरी वापस आने का निवेदन करती हैं ?

A. दुखी अश्वों को

B. राजा दशरथ को

C. माता सुभद्रा को

D. प्रजा को

27. 'चार हाथ' लघुकथा किस के शोषण को उजागर करती है?

A. मजदूरों की

B. स्त्रियों की

C. बच्चों की

D. अध्यापकों की

28. 'दूसरा देवदास' कहानी में घटनाएँ किस शहर में घटती हैं?

A. हरिद्वार

B. बद्रीनाथ

C. बनारस

D. इलाहाबाद

29. 'सूरदास की झोपड़ी' शीर्षक पाठ किस उपन्यास का अंश है?

A. गबन

B. रंगभूमि

C. गोदान

D. प्रेमाश्रम

30. लेखक ने खाऊ उजाडू सभ्यता किसे कहा है?

A. खूब खाना-पीना और एक स्थान से उजड़ कर दूसरे स्थान पर बस जाने को

B. जीवन मूल्यों को ताक पर रखकर विकास की अंधी दौड़ में शामिल होने को

C. बढ़ते हुए धार्मिक अंधविश्वास को

D. घटती हुई आस्था को

निम्नलिखित में से किन्ही छह प्रश्नों के उत्तर दें- 2x6=12

(31) वसंत आगमन की सूचना कवि को कैसे मिली?

उत्तर - कवि फुटपाथ पर चलते हुए प्रकृति में आए परिवर्तनों को देखता है, तब उसे ज्ञात होता है कि वसंत आ गया है। उसे चिड़िया के कूक, पेड़ों से गिरे पीले पत्ते तथा गुनगुनी ताज़ा हवा वसंत के आगमन की सूचना देते हैं।

(32) कवि जायसी ने बारहमासा में किस विषय की अभिव्यक्ति की है?

उत्तर - जायसी रचित 'बारहमासा' कविता में नागमती नायिका की व्यथा-कथा चित्रित है। बारहमासा में नागमती के वियोग वर्णन की कथा है।

(33) रामचन्द्र शुक्ल अथवा तुलसीदास की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखें।

उत्तर -

रामचन्द्र शुक्ल - 1. सूरदास 2. त्रिवेणी

तुलसीदास- 1. रामचरितमानस 2. विनय-पत्रिका

(34) लेखक ने धर्म का रहस्य जानने के लिए घड़ी के पुर्जे का दृष्टांत क्यों दिया है?

उत्तर - लेखक ने धर्म का रहस्य जानने के लिए घड़ी के पुर्ज़ें का दृष्टांत दिया है क्योंकि जिस तरह घड़ी की संरचना जटिल होती है, उसी प्रकार धर्म की सरंचना समझना भी जटिल है।

(35) लेखक के अनुसार कुटज के जीवन से हमें क्या सीख मिलती है?

उत्तर - जीवन में हर कठिन परिस्थितियों का सामना धैर्य और साहस से करना चाहिए।

(36) 'दूसरा देवदास' कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर - इस कहानी के पात्र संभव अपने प्रेमिका पारो से मिलने के लिए बहुत व्याकुल रहता हैं जिस तरह शरतचन्द्र के नाटक में ' देवदास ' में अपनी पारो से मिलने कि लिए व्याकुल रहता है । अत: इस कहानी को शीर्षक ' दूसरा देवदास ' सार्थक है।

(37) प्रभाष जोशी ने अपना पाठ 'अपना मालवा खाऊ उजाडू सभ्यता में' के माध्यम से लोगों को पर्यावरण के प्रति सचेत किया है, कैसे?

उत्तर - इस बहाने लेखक ने खाऊ-उजाडू जीवन पद्धति के द्वारा पर्यावरण विनाश की पूरी तस्वीर खीची है जिससे मालवा भी नहीं बच सका है। आधुनिक औद्योगिक विकास ने हमें अपनी जड़-जमीन से अलग कर दिया है सही मायनों में हम उजड़ रहे हैं। लेखक ने पर्यावरणीलय सरोकारों को आम जनता से जोड़ दिया है तथा पर्यावरण के प्रति लोगों को सचेत किया है।

(38) मालवा में अब पहले जैसी बरसात के न होने के क्या कारण हैं?

उत्तर - इस बात के बहुत से कारण हैं-

(क) औद्योगिकरण ने पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया है। इसके कारण पर्यावरण में भयंकर बदलाव देखने को मिले हैं। इसने जल, थल तथा भूमि प्रदूषण को बढ़ावा दिया है।

(ख) वायुमण्डल में कार्बन डाईऑक्साइड गैस की अधिकता के कारण भी मौसम पर प्रभाव पड़ रहा है। यह गर्म होती है, जिसके कारण वायुमण्डल और ओजन परत को नुकसान पहुँच रहा है।

(ग) पेड़ों की अत्यधिक कटाई के कारण भी मालवा धरती उज़डने लगी है।

निम्नलिखित में से किन्ही छह प्रश्नों के उत्तर दें- 3X6=18

(39) कार्नेलिया के गीत में भारत की किन विशेषताओं का वर्णन किया गया है?

उत्तर - कार्नेलिया का गीत कविता में प्रसाद जी ने भारत की निम्नलिखित विशेषताओं की ओर संकेत किया है -

(i) भारत देश मिठास से भरा हुआ।

(ii) यहाँ अनजान लोगों को भी सहारा दिया जाता है।

(iii) यहाँ के पेड़-पौधों की सुंदरता अत्यधिक मनोहर व आकर्षक है।

(iv) यहाँ हमेशा हरियाली छाई रहती है, जिससे लोगों को जीवन का संदेश मिलता है।

(v) पक्षी भी यहाँ की धरती और आकाश को पसंद करते है।

(vi) भारत के लोगों की आँखों में सबके लिए करुणा की भावना रहती है।

(vii) यहाँ लहरों को भी किनारा मिल जाता है।

(40) वसंत आगमन की सूचना कवि को कैसे मिली?

उत्तर -

(i) कवि जब सुबह के छह बजे सड़क के फुटपाथ पर चला जा रहा है, तब उसने प्रकृति में कुछ परिवर्तन महसूस किया।

(ii) उसे किसी बँगले के अशोक के पेड़ पर बैठी चिड़िया के कुहुकने का मीठा स्वर सुनाई पड़ा।

(iii) सड़क के किनारे खड़े घने वृक्षों से गिरे हुए पीले-पीले सूखे पत्ते उसके पाँव के नीचे दबकर .चरमर. की आवाज करने लगे।

(iv) गरमाहट ली हुई ताजी हवा फिरकी-सी नाचती हुई आई और चली गई।

(v) इस तरह फुटपाथ पर चलते-चलते ही इन परिवर्तनों पर ध्यान देने से कवि को यह सूचना मिल गई कि वसंत आगमन हो गया है।

(41). कोयल और भौंरों के कलरव का नायिका पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर - कोयल की मीठी कूक और भौंरों की मधुर झंकार को सुनकर नायिका अपने हाथों से अपने कान बंद कर लेती है। इसका कारण है कि ये ध्वनियाँ नायिका को प्रियतम का स्मरण कराती हैं। नायिका प्रिय की वियोगावस्था को झेलती-झेलती दु:खी हो गई है। अब उसे ये ध्वनियाँ सहन नहीं होतीं। ये ध्वनियाँ उद्दीपन का काम करती हैं और नायिका की विरह-व्यथा की ओर बढ़ा देती है।

(42). बड़ी बहुरिया का संवाद हरगोबिन क्यों नहीं सुना सका?

उत्तर - बड़ी बहुरिया उस गाँव की लक्ष्मी थी। अपने गाँव की लक्ष्मी की दशा दूसरे गाँव में जाकर सुनाना उसे अपमान लगा। उसे यह सोचकर बहुत शर्म आई की उसके गाँव की लक्ष्मी इतने कष्ट झेल रही है और गाँव अब तक कुछ नहीं कर पाया। उनके रहते हुए उनके गाँव की लक्ष्मी किसी और गाँव से सहायता माँगे, यह तो गाँववालों के लिए डूब मरने वाली बात है। अतः वह बड़ी बहुरिया का संवाद सुना नहीं सका।

(43) रोगी बालक के प्रति गांधी जी का व्यवहार किस प्रकार का था?

उत्तर - सेवाग्राम आश्रम में एक बालक चिल्ला रहा था-‘मैं मर रहा हूँ, बापू को बुलाओ। मैं मर जाऊँगा, बापू को बुलाओ। लड़के का पेट फूला हुआ था। वह बहुत बेचैनी का अनुभव कर रहा था। बापू जी की उस समय जरूरी मीटिंग चल रही थी। आखिरकार गाँधीजी मीटिंग को बीच में छोड़कर उस रोगी बालक के पास जा पहुँचे। वे उसके पास जाकर खड़े हो गए। उनकी नजर बालक के फूले हुए पेट की ओर गई। उन्होंने उसके पेट पर हाथ फेरा और बोले-‘ईख पीता रहा है। इतनी ज्यादा पी गया। तू तो पागल है।’ फिर गाँधीजी ने उसे सहारा देकर उठाया और कहा कि मुँह में उँगली डालकर कै कर दो। लड़का नाली के किनारे बैठ गया। गाँधीजी उसकी पीठ पर हाथ रखकर झुके रहे। थोड़ी ही देर में उसका पेट हल्का हो गया और हाँफता हुआ बैठ गया। गाँधीजी ने उससे खोखे में जाकर चुपचाप लेटने को कहा। उन्होंने आश्रमवासी को कोई हिदायत भी दी। गाँधीजी का उस रोगी बालक के प्रति व्यवहार अत्यंत सहानुभूतिपूर्ण था।

(44). औद्योगीकरण ने पर्यावरण का संकट पैदा कर दिया है, क्यों और कैसे?

उत्तर - औद्योगीकरण ने पर्यावरण का संकट पैदा कर दिया है, यह पूरी तरह सच है। औद्योगीकरण करने के लिए आम लोगों की जमीन अधिग्रहित की गई। उनको उजाड़ा गयां। वहाँ के परिवेश को नष्ट किया गया। इस औद्योगीकरण में मनुष्य ही नहीं उजड़ा बल्कि उसका परिवेश भी उजड़ गया। इससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ा। औद्योगीकरण के कारण जो उद्योग स्थापित किए गए उन्होंने अपने धुएँ से भी पर्यावरण को प्रदूषित किया। इन कारखानों से निकलने वाले कचरे ने पर्यावरण का संकट पैदा किया।

(45) सूरदास के प्रति जगधर के मन में ईर्ष्या-भाव किस तरह और क्यों जागा?

उत्तर - जगधर जब भैरों के घर यह पता करने पहुँचा कि सूरदास के घर आग किसने लगवाई है, तो उसे पता लगा कि भैरों ने ही सूरदास के घर आग लगवाई थी। इसके साथ ही उसने सूरदास की पूरे जीवन की जमापूँजी भी हथिया ली है। यह राशि पाँच सौ रुपए से अधिक की थी। जगधर को भैरों के पास इतना रुपया देखकर अच्छा न लगा। वह जानता था कि यह इतना रुपया है, जिससे भैरों की जिंदगी की सारी कठिनाई पलभर में दूर हो सकती है। भैरों की चांदी होते देख, उससे रहा न गया। वह मन-ही-मन भैरों से ईर्ष्या करने लगा। लालच उसके मन में साँप की भांति फन फैलाए खड़ा हो गया। भैरों के इतने रुपए लेकर आराम से जिंदगी जीने के ख्याल से ही वह तड़प उठता। भैरों की खुशी उसके लिए दुख का कारण बन गई थी।

(46) फूल केवल गंध ही नहीं देते, दवा भी करते हैं, कैसे?

उत्तर - फूल गंध तो देते ही हैं, इसके साथ-साथ वे दवा का काम भी करते हैं। कमल, कोइयाँ, हरसिंगार आदि के फूल मनभावन गंध बिखेरते हैं। पीली सरसों खेतों में तेल की गंध तैरा देते हैं। बिसनाथ के गाँव में ‘भरभंडा’ सूू होता है। इसे सत्यानाशी भी कहते हैं। यह फूल दवा का काम भी करता है। आँखें आ जाने (दुखने पर) माँ उसका दूध आँख में लगाती है। वह ठीक हो जाती है। नीम के फूल और पत्ते चेचक के रोगी के पास रखे जाते हैं। इससे वह ठीक रहता है। बेर का फूल सूँघने से बरें-ततैये का डंक झड़ जाता है। इस प्रकार कई फूल दवा का काम भी करते हैं।

निम्नलिखित में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 05X3=15

(47) 'झारखंड की संस्कृति' अथवा 'जीवन में खेलों का महत्व पर एक निबंध लिखिए।

झारखंड की संस्कृति

झारखंड अपने सांस्कृतिक सांस्कृतिक करतबों के लिए प्रसिद्ध है। झारखंड एक नवगठित राज्य है, जिसे बिहार से अलग किया गया है। इस प्रकार, पश्चिम बंगाल और बिहार से विभिन्न लोगों का स्थानांतरण देखा गया, उनके व्यक्तिगत सांस्कृतिक लक्षण बरकरार रहे। इस प्रकार आदिवासी संस्कृति का यह समूह झाड़खंड की संस्कृति को समृद्ध करता है। संगीत, त्यौहार, हस्तशिल्प, नृत्य और अन्य मुख्य सांस्कृतिक तत्व भोजन और झारखंडियों की जीवन शैली उपरोक्त उद्घोषणा को पुष्ट करते हैं।

झारखंड के त्यौहार - झारखंड की संस्कृति प्रचुर त्योहारों के अपने समृद्ध खजाने के बिना कहीं नहीं है। सरहुल, करमा, सोहराई, बदना, टुसू, ईद, क्रिसमस, होली, दशहरा, आदि त्योहार झारखंड में मस्ती और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

सरहुल - सरहुल बसंत के समय मनाया जाता है जब जनजातियाँ गाँव के देवताओं को खुश करती हैं और उनकी सुरक्षा और सुरक्षा की माँग करती हैं। फूल सरहुल को प्रसाद के रूप में दिया जाता है; यह दोस्ती और भाईचारे का भी प्रतीक है। आदिवासी पुजारी इन फूलों को गांव के हर घर में भेजते हैं।

बादा-बांदा 'कार्तिक अमावस्या' के दौरान आयोजित एक लोकप्रिय त्योहार है। जानवरों को समाज में उनके योगदान को स्वीकार करने और उनकी विनाशकारी गुणवत्ता को शांत करने के लिए पूजा जाता है। इस त्योहार के गीत ओहरी के रूप में लोकप्रिय हैं।

टूसु-टुसू को 'पौष' के महीने के आखिरी दिन में सर्दियों के मौसम में फसल के समय मनाए जाने वाले आम त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस त्यौहार से संबंधित अनुष्ठान और रीति-रिवाजों को स्थानीय रूप से बनाए रखा जाता है।

हल पुहनाया - 'माघ' के महीने के पहले दिन, हल पुहनाया एक सर्दियों का त्योहार है जो जुताई की शुरुआत का जश्न मनाता है। यह दिन सौभाग्य और भाग्य संचय करने के लिए समय का प्रतीक है। रोहिन संभवतः सबसे महत्वपूर्ण लोक त्योहार है। यह लैंडिंग क्षेत्र में बुवाई के बीज के विकास का प्रतीक है। इस उत्सव के अवसर पर कोई नृत्य या गीत नहीं रचा जाता है। जनजातियों के बीच लोकप्रिय एक और त्योहार भगत परब है, जो भक्तों के लिए त्योहार है। यहाँ जनजातियाँ 'बुद्ध बाबा' की पूजा करती हैं और इसे वसंत के अंत में या ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत में मनाया जाता है।

झारखंड का संगीत और नृत्य - लोक संगीत और नृत्य झारखंड की संस्कृति का हिस्सा और पार्सल हैं। आदिवासी समुदायों के सरल और विनम्र आबादी विभिन्न सामाजिक समस्याओं और कठिनाइयों से ग्रस्त हैं जो उनके 'देसी-संगीत शैलियों में एक अभिव्यक्ति पाते हैं। 'झुमर' शब्द 'झुम' से लिया गया है जिसका अर्थ है बोलना। हालांकि इन गीतों की सामग्री विविध है, वे आमतौर पर प्रेम और रोमांस के विषय पर आधारित हैं। अखरिया डोमकच, दोहारी डोमकच, जनानी झुमर नृत्य, मर्दाना झुमर, फगुवा, उडसी, पावस, डेधरा, पहलसांझा, अधारतिया, विनसरिया, प्रातकली, झुमता आदि कुछ लोक संगीत हैं। इन्हें अक्सर संगीत वाद्ययंत्र जैसे सिंगा, बाँसुरी, अरबांसी, और साहनाई में गाया जाता है। रूंगटू घासी राम, घासी महंत कुछ प्रख्यात संगीतकार हैं जो इस भारतीय राज्य से उभरे हैं।

झारखंड का भोजन - हम झारखंड की संस्कृति को इस क्षेत्र के व्यंजनों के कुछ प्रकाश को फेंकने के बिना नहीं जान सकते। झारखंड के लोगों के मुख्य खाद्य पदार्थ गेहूं और चावल हैं। मुख्य रूप से सरसों के तेल का उपयोग खाना पकाने के माध्यम के रूप में किया जाता है। इस क्षेत्र को विभिन्न प्रकार की सब्जियों के पर्याप्त विकास से पोषण मिलता है। ये, फिर से, झारकइंडियों द्वारा विभिन्न तरीकों से पकाया जा रहा है। एक नियमित भोजन में दाल, चावल, फुल्का (रोटी), तरकारी (सब्जी) और आचार (अचार) शामिल होते हैं। प्रत्येक सीजन अपने साथ विभिन्न फलों और सब्जियों की बढ़ती है और यह झारखंडियों ने खुले हाथों में इन मौसमों के उपहारों को शामिल किया है।

"जीवन में खेलों का महत्त्व"

खेल अनेक प्रकार के होते हैं। कुछ खेल मैदान में खेले जाते हैं, कुछ घरों में और कुछ जल में। क्रिकेट, वॉली बॉल, फुटबॉल, कबड्डी, पोलो, हॉकी आदि खेल मैदान में खेले जाते हैं और कैरम, लूडो, शतरंज आदि प्रायः घरों में खेले जाते हैं । बैडमिंटन, टेनिस आदि मैदान में भी खेले जाते हैं, इनडोर स्टेडियम में भी

खेल का महत्त्व अनेक दृष्टियों से है। पहली बात तो यह कि इसमें भाग-दौड़ करने से शरीर चुस्त-दुरुस्त होता है और चपलता आती है जो कि स्वस्थ रहने के लिए अत्यावश्यक है। दूसरी बात यह है कि खेल से प्रतियोगिता की भावना पैदा होती है जो जीवन में भी जरूरी है। तीसरी बात यह है कि इससे परस्पर सहयोग की. भावना उत्पन्न होती है और त्याग की भावना का भी विकास होता है क्योंकि खिलाड़ी अपने लिए ही नहीं, पूरी टीम के लिए खेलता है और कभी अपने नगर, राज्य और देश के लिए भी। उसका सम्मान स्थान या देश से भी जुड़ जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि खेल से समय और आत्म-नियंत्रण का भाव उत्पन्न होता है।

स्पष्ट है कि खेल का हमारे जीवन में, व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए, महत्त्वपूर्ण स्थान है। यही कारण है कि राज्य सरकारें इस पर ध्यान देने लगी हैं। राष्ट्रीय स्तर पर खेल नीति बनने लगी है। इसके फलस्वरूप खेल धीरे-धीरे व्यवसाय का रूप लेने लगे हैं। क्रिकेट, टेनिस और फुटबॉल के खिलाड़ी करोड़ों का वारा-न्यारा करने लगे हैं। क्रिकेट, टेनिस में जीत-हार पर जुआबाजी होने लगी है और खिलाड़ी जीत और हार के लिए पैसे लेने लगे हैं। कुछ खिलाड़ी तो जीत के लिए नशीली दवाएँ भी लेते हैं। यह दुःखद स्थिति है और खेल-भावना के विपरीत और शर्मनाक है। वस्तुतः खेलों को खेल के

रूप में, स्वास्थ्य एवं जीवन विकास की सीढ़ी के रूप में ही लेना चाहिए । इसी में इसकी सार्थकता है।

(48) एक अच्छे संपादक की विशेषताओं का उल्लेख करें।

उत्तर- समाचार पत्र में जो कुछ छपता है उसका चयन और नियंत्रण करने वाला व्यक्ति संपादक कहलाता है

एक अच्छे संपादक में निम्नलिखित विशेषताएं हैं —

(1) निष्पक्ष दृष्टिकोण- सम्पादक का दृष्टिकोण निष्पक्ष होना चाहिए। सम्पादक यदि किसी विचारधारा का पक्षधर होता है तो वह अपनी विचारधारा से विभिन्न विषयों के साथ न्याय नहीं कर सकेगा। वह समाचार पत्र के स्वामियों और अन्य लोगों के विचारों में सामंजस्य तभी स्थापित कर सकेगा जब वह तटस्थ भाव से वस्तुओं को देखेगा।

(2) विषद ज्ञान- संपादक को विभिन्न विषयों का विशद ज्ञान होना चाहिए। तभी वह विभिन्न विषयों पर टिप्पणी कर सकेगा। इसके साथ-साथ संपादक को तकनीक का ज्ञान भी होना चाहिए क्योंकि आज के युग में समाचार पत्रों के प्रकाशन में नई-नई तकनीक आ रही है जिनके प्रयोग से समाचार पत्र को आकर्षक व प्रभावी बनाया जा सकता है।

(3) नेतृत्व क्षमता- सम्पादक अपने समाचार पत्र का मुखिया होता है। उसके साथ उप संपादक, सह संपादक, संवाददाता, टेक्नीशियन, समाचार पत्र के विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारी काम करते हैं। उन सबको साथ लेकर चलना और उनसे अच्छा काम करवाना संपादक का कार्य है | सभी कर्मचारियों से सफलतापूर्वक काम करवाने के लिए नेतृत्व क्षमता का होना अनिवार्य है।

(4) भाषा-ज्ञान- संपादक को उस भाषा का अच्छा ज्ञान होना चाहिए जिस भाषा में वह समाचार पत्र प्रकाशित होता है। उस भाषा के व्याकरण व शब्दकोश की व्यापक जानकारी होने पर ही सम्पादक एक आकर्षक और प्रभावी संपादकीय लिख सकेगा और दूसरे लेखकों के द्वारा लिखे गए लेखों की भली प्रकार जांच कर सकेगा।

(5) मधुरता व विनोद-प्रियता- संपादक की वाणी में मधुरता और स्वभाव में विनोद-प्रियता होनी चाहिए ताकि संपादन जैसे गंभीर कार्य को वह सरल बना सके और कार्यालय के कर्मचारियों के साथ उसके अच्छे संबंध स्थापित हो सकें ।

(6) कुशल प्रबंधक- संपादक का कार्य केवल संपादकीय लिखना और दूसरे लेखकों द्वारा लिखे गए लेखों की जांच करना ही नहीं है बल्कि समाचार पत्र के प्रकाशन से जुड़े हुए प्रत्येक कार्य का प्रबंधन करना भी है। अत: सम्पादक के लिए एक अच्छा प्रबंधक होना अति आवश्यक है।

(7) धैर्यवान- समाचार पत्र के प्रकाशन का कार्य एक जटिल कार्य है। अतः संपादक का धैर्यवान होना आवश्यक है। समाचार पत्र समाज को प्रभावित करते हैं इसलिए उस में छपने वाली प्रत्येक सामग्री पर गहनता से विचार करना आवश्यक है। जल्दबाजी में लिया गया कोई भी निर्णय समाज के लिए खतरनाक हो सकता है । गलत सामग्री प्रकाशित करने पर समाचार पत्र की छवि धूमिल हो सकती है।

(49) दैनिक समाचार पत्र के संपादक को बढ़ते प्रदूषण एवं अनियंत्रित पेड़-पौधों की कटाई के बारे में पत्र लिखते हुए समाधान का अनुरोध करें।

उत्तर-

सेवा में,

सम्पादक,

प्रभात खबर, राँची।

महोदय,

आपके प्रतिक्षित पत्र के माध्यम से हम नामकुम क्षेत्र के निवासी आपका ध्यान इस क्षेत्र में प्रदूषण तथा अनियंत्रित पेड़-पौधों की कठाई की ओर आकृष्ट करना चाहते हैं। इस क्षेत्र में पिछले कई माह से पेड़ों की कटाई बेरोक-टोक जारी है। इसके परिणामस्वरूप सम्पूर्ण क्षेत्र वृक्षविहीन हो गया है। इससे पर्यावरण पर भी गंभीर प्रभाव पड़ा है।

वाहनों से निकलने वाले धुंए के कारण वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ा है। इससे लोगों का स्वास्थ्य भी प्रभावित हुआ है।

अगर प्रदूषण एवं वृक्षों की अनियंत्रित कटाई को समय रहते रोका नहीं गया तो इस क्षेत्र के लोगों का जीवन दुर्लभ हो जाएगा।

अतः हम प्रार्थना करते हैं कि इस दिशा में उचित कदम उठाये जाएँ।.

भवदीय,

दिनांक 14 फरवरी, 2020

नामकुम क्षेत्र के निवासी

(50) समाचार लेखन से आप क्या समझते हैं? इसकी कौन-कौन-सी विशेषताएँ हैं?

उत्तर- जिस लेखन कला के अंतर्गत समाचारों को लिखने की क्रिया पूरी की जाती है उसे समाचार घटनाओं और विषय-वस्तु से संबंधित बातों को लिखा जाता है जो कि समाचार के रूप में होता है। समाचारों को पढ़कर पाठक वस्तु स्थिति से अवगत होते हैं। समाचार को सुनकर और पढ़कर उसके संबंध में जानकारी प्राप्त होती है।

समाचार लेखन की विभिन्न विशेषताएँ होती हैं जो निम्नलिखित हैं -

(i) घटनाओं से संबंधित विषय-वस्तु को समाचार में लिखा जाता है।

(ii) भाषा सरल रखा जाता है। जिससे कि पाठक को समाचार पढ़ने पढ़कर उसकी सभी बातों की सही जानकारी प्राप्त हो सके।

(iii) पैराग्राफ को आकर्षक ढंग से लिखना चाहिए। जब एक बात पूरी होकर समाप्त हो जाए तो पैराग्राफ बदलकर दूसरी बात को लिखा जाता है।

(iv) जहाँ तक प्रयत्न यह करना चाहिए कि सच्चाई के साथ घटनाओं को समाचार में दर्ज करना चाहिए।

(v) समाचार लिखते समय वैसी भाषा का प्रयोग किया जाता है जो समझने में आसान होती है।

(vi) समाचार लेखन का काम करते समय यह ध्यान रखा जाता है कि घटनाओं से संबधित विषय-वस्तु को आवश्यकता पड़ने पर प्रमाणित किया जा सके।

निम्नलिखित में से किसी एक की सप्रसंग व्याख्या कीजिए -05

(51) ऊँचे तरुवर से गिरे

बड़े-बड़े पियराए पत्ते

कोई छः बजे सुबह जैसे गरम पानी से नहाई हो-

खिली हुई हवा आई, फिरकी सी आई, चली गई।

उत्तर - सन्दर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ हिन्दी के नए कवि रघुवीर सहाय द्वारा रचित कविता 'वसन्त आया' से ली गई हैं। यह कविता हमारी पाठ्य-पुस्तक 'अन्तरा भाग-2' में संकलित है।

प्रसंग : वसन्त ऋतु आने पर कोयल कूकने लगती है, पतझड़ के कारण पीले और सूखे पत्ते पेड़ों से झड़ने लगते हैं और हवा में भी कुछ-कुछ गर्मी महसूस होने लगती है। कवि ने इन पंक्तियों में वसन्त के आगमन पर होने वाले इन्हीं परिवर्तनों का वर्णन किया है

व्याख्या : कवि कहता है कि जैसे मेरी बहन मधुर स्वर में मुझे 'दा' (दादा) कहकर बुलाती है, ठीक इसी प्रकार किसी बंगले के अशोक वृक्ष पर कोई चिड़िया (संभवतः कोयल) मधुर स्वर में कूकने लगी। यही नहीं सड़क किनारे बने लाल बजरी के रास्ते पर वृक्षों के पीले, सूखे पत्ते पतझड़ के कारण झड़कर नीचे गिरे हुए थे जो मेरे पैरों तले कुचले जाकर चरमराने लगे थे।

सूखे पत्तों की यह आवाज जैसे यह घोषित कर रही थी कि वसन्त आ गया है। सुबह की हवा में अब ठंडक न होकर हल्की गरमाहट थी। वह उसी प्रकार की लग रही थी जैसे गरम पानी से नहाकर आई हो। बस थोड़ी देर के लिए हवा आई और फिरकी के समान घूमकर चली गई। कल फुटपाथ पर चलते-चलते मैंने जान लिया कि वसन्त ऋतु आ गई है तभी तो ये सारे परिवर्तन हुए हैं।

विशेष :

1. कवि ने इस कविता में प्रतिपादित किया है कि अब लोग प्रकृति से जुड़ाव अनुभव नहीं करते। वसन्त के आगमन की सूचना उन्हें कलेण्डर से मिलती है। ऑफिस में वसन्त पंचमी को छुट्टी होती है।

2. जैसे बहन 'दा' कहती है, खिली हुई हवा फिरकी-सी आई में उपमा अलंकार है। चिड़िया की बोली बहन की बोली की तरह मीठी लग रही है।

3. कोई छः बजे सुबह जैसे गरम पानी से नहाई हो में उत्प्रेक्षा अलंकार है।

4. भाषा में देशज (आंचलिक) शब्दों का प्रयोग है; यथा - कुऊकी, बजरी, चुरमुराए, पियराए, नहाई आदि। फुटपाथ जैसे अंग्रेजी शब्द भी प्रयुक्त हैं। तद्भव शब्दों वाली भाषा प्रयुक्त है।

(52) सखि अनकर दुःख दारुन रे जग के पतिआए।

मोर मन हरि हर लए गेल रे अपनो मन गेल।

उत्तर - प्रसंग : प्रस्तुत पद आदिकाल के प्रसिद्ध कवि विद्यापति द्वारा रचित ‘पदावली’ से अवतरित है। इसे विरह शीर्षक से लिया गया है। इसमें नायिका की विरहावस्था का मार्मिक चित्रण किया गया है। नायिका का प्रियतम गोकुल को छोड़कर मधुपुर (मधुरा) जा बसा है। उसे कार्तिक मास में उसके लौट आने की संभावना है।

व्याख्या : सावन मास चल रहा है। विरहिणी राधा अपनी सखी से कह रही है-हे सखि! ऐसा कौन व्यक्ति है जो प्रियतम तक मेरा पत्र ले जाएगा। सावन का महीना है। मेरा हृदय वियोग के असह्ग दु:ख को सह नहीं पा रहा है। प्रिय के बिना इस सूने घर में मुझसे एकाकी नहीं रहा जाता। हे सखि! ऐसा कौन व्यक्ति है जो दूसरे के कठोर दुःख पर विश्वास कर सके। श्रीकृष्ण मेरे मन को हरकर अपने साथ ले गए हैं और उनका मन भी उंज साथ चला गया है अर्थात् उनका ध्यान मेरी ओर नहीं रहा। वे गोकुल को छोड़कर मथुरा में जा बसे हैं। इस प्रकार उन्होंने कितना ही अपयश ले लिया है। कवि विद्यापति कहते हैं-हे सुंदरी! प्रिय के आने की आशा रखो। इसी कार्तिक मास में तुम्हारे प्रियतम तुम्हारे पास आ जाएँगे।

विशेष :

• इस पद की नायिका प्रोषितपतिका है।

• प्रिय-वियोग में सावन मास कष्टकर प्रतीत होता है।

• ‘हरि हर’ में यमक अलंकार है।

• ‘सखि ‘पतिआए’ में अप्रस्तुत प्रशंसा है।

• प्रस्तुत पद में औत्सुक्य और दैन्य भावों की प्रबलता है।

• ‘धनि धरु’, ‘मोर मन’ में अनुप्रास अलंकार है।

• भाषा : मैथिली।

• रस : वियोग श्रृंगार रस।

JCERT/JAC Hindi Core प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

आरोह भाग -2

काव्य - खंड

1.

हरिवंशराय बच्चन -आत्मपरिचय ,एक गीत

2.

आलोक धन्वा-पतंग

3.

कुँवर नारायण-कविता के बहाने,बात सीधी थी पर

4.

रघुवीर सहाय-कैमरे में बंद अपाहिज

5.

गजानन माधव मुक्तिबोध-सहर्ष स्वीकारा है

6.

शमशेर बहादुर सिंह-उषा

7.

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'-बादल राग

8.

तुलसीदास-कवितावली (उत्तर कांड से),लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप

9.

फिराक गोरखपुरी-रुबाइयाँ,गज़ल

10.

उमाशंकर जोशी-छोटा मेरा खेत,बगुलों के पंख

11.

महादेवी वर्मा-भक्तिन

गद्य - खंड

12.

जैनेन्द्र कुमार-बाज़ार दर्शन

13.

धर्मवीर भारती-काले मेघा पानी दे

14.

फणीश्वरनाथ रेणु-पहलवान की ढोलक

15.

विष्णु खरे-चार्ली चैप्लिन यानी हम सब

16.

रज़िया सज्जाद ज़हीर-नमक

17.

हजारी प्रसाद द्विवेदी-शिरीष के फूल

18.

बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर-श्रम विभाजन और जाति-प्रथा,मेरी कल्पना का आदर्श समाज

वितान भाग- 2

1.

मनोहर श्याम जोशी -सिल्वर वैडिंग

2.

आनंद यादव- जूझ

3.

ओम थानवी- अतीत में दबे पाँव

4.

ऐन फ्रैंक- डायरी के पन्ने

अभिव्यक्ति और माध्यम

1.

अनुच्छेद लेखन

2.

कार्यालयी पत्र

3.

जनसंचार माध्यम

4.

संपादकीय लेखन

5.

रिपोर्ट लेखन

6.

आलेख लेखन

7.

पुस्तक समीक्षा

8.

फीचर लेखन

Solved Paper 2023

Arts Paper,

Science/Commerce Paper

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