Class 12 Sociology Jac Board 2024 Answer key

Class 12 Sociology Jac Board 2024 Answer key

Class 12 Sociology Jac Board 2024 Answer key

झारखण्ड अधिविद्य परिषद्

ANNUAL INTERMEDIATE EXAMINATION - 2024

SOCIOLOGY Arts (Optional)

19.02.2024

Total Time: 3 Hours 15 minute

Full Marks: 80

सामान्य निर्देश

1. इस प्रश्न-पुस्तिका में दो भाग भाग-A तथा भाग-B हैं।

2. भाग-A में 30 अंक के बहुविकल्पीय प्रश्न तथा भाग-B में 50 अंक के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं।

3. परीक्षार्थी को अलग से उपलब्ध कराई गई उत्तर-पुस्तिका में उत्तर देना है।

4. भाग-A इसमें 30 बहुविकल्पीय प्रश्न हैं जिनके 4 विकल्प (A, B, C तथा D ) हैं। परीक्षार्थी को उत्तर-पुस्तिका में सही उत्तर लिखना है। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है। गलत उत्तर के लिए कोई अंक काटा नहीं जाएगा।

5. भाग-B इस भाग में तीन खण्ड खण्ड-A, B तथा C हैं। इस भाग में अति लघु उत्तरीय, लघु उत्तरीय तथा दीर्घ उत्तरीय प्रकार के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं। कुल प्रश्नों की संख्या 22 है।

खण्ड-A प्रश्न संख्या 31-38 अति लघु उत्तरीय हैं। किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का है। ।

खण्ड-B प्रश्न संख्या 39-46 लघु उत्तरीय हैं। किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दें।

खण्ड-C प्रश्न संख्या 47-52 दीर्घ उत्तरीय हैं। किन्हीं 4 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 5 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दें।

6. परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में ही उत्तर दें।

7. परीक्षार्थी परीक्षा भवन छोड़ने के पहले अपनी उत्तर-पुस्तिका वीक्षक को अनिवार्य रूप से लौटा दें।

8. परीक्षा समाप्त होने के उपरांत परीक्षार्थी प्रश्न-पुस्तिका अपने साथ लेकर जा सकते हैं।

Part-A (बहुविकल्पीय प्रश्न)

प्रश्न संख्या 1 से 30 तक बहुविकल्पीय प्रकार हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प हैं। सही विकल्प चुनकर उत्तर पुस्तिका में लिखें। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है। 1 x 30 = 30

1. 'सांस्कृतिक बिलम्बना' का सिद्धांत किसने दिया ?

(A) दुर्खीम

(B) मैक्स वेबर

(C) कार्ल मार्क्स

(D) ऑगबर्न

2. ताना भगत आन्दोलन संबंधित है

(A) पिछड़ी जाति से

(B) दलित से

(C) जनजातिओं से

(D) इनमें से सभी

3. जनजाति जीवन में 'गोतुल' प्रतिनिधित्व करता है

(A) युवा संगठन का

(B) परम्पराबादी नेता का

(C) विवाह के स्वरूप का

(D) क्षेत्रीय देवता का

4. सोरोरेट क्या है ?

(A) साली विवाह

(B) बहुपत्नी विवाह

(C) देवर विवाह

(D) बहुपति विवाह

5. धार्मिक जीवन का प्रारंभिक स्वरूप का सिद्धांत किसने दिया ?

(A) क्युबर

(B) फ्रेजर

(C) जॉनसन

(D) दुखींम

6. समाजशास्त्र की स्थापना किस वर्ष हुई ?

(A) 1798

(B) 1838

(C) 1818

(D) 1828

7. आत्महत्या का सिद्धांत किसने दिया ?

(A) मेकाइवर एवं पेज

(B) मैक्स वेबर

(C) टॉनीज

(D) दुर्खीम

8. किसने कहा "समाजशास्त्र सामाजिक सम्बन्ध का जाल है" ?

(A) मैक्स वेबर

(B) सोरोकिन

(C) कूले

(D) मेकाइवर एवं पेज

9. भारत में कितने प्रतिशत राष्ट्रीय आय कृषि से प्राप्त होती है ?

(A) 28%

(B) 30%

(C) 29%

(D) 40%

10. महिला आंदोलन का आधार क्या रहा है ?

(A) महिला शिशु हत्या

(B) सामाजिक कुप्रथा

(C) सती प्रथा

(D) नारीवाद

11. सर्वप्रथम किसने 'सोशल कन्ट्रोल' पद का प्रयोग किया ?

(A) कॉम्ट

(B) रॉस

(C) मेकाइबर

(D) कूले

12. हरित क्रांति संबंधित है

(A) राजनीति से

(B) धर्म से

(C) संस्कृति से

(D) कृषि से

13. 'मेक इन इण्डिया' का उद्देश्य क्या है ?

(A) आत्मनिर्भर भारत

(B) आर्थिक विकास

(C) आधुनिक मशीनों का प्रयोग

(D) इनमें से सभी

14. किसने कहा 'मनुष्य एक सामाजिक प्राणि है' ?

(A) कॉम्ट

(B) अरस्तू

(C) प्लेटो

(D) सुकरात

15. 'सरहुल' किस राज्य का एक प्रसिद्ध पर्व है ?

(A) तमिलनाडु

(B) पंजाब

(C) असम

(D) झारखंड

16. ब्रह्म समाज की स्थापना कब हुई ?

(A) 1828

(B) 1830

(C) 1829

(D) 1839.

17. राष्ट्रवाद का अर्थ है

(A) सामान्य सामाजिक पृष्ठभूमि

(B) साम्राज्य जाति पृष्ठभूमि

(C) सामान्य भौगोलिक पृष्ठभूमि

(D) इनमें से कोई नहीं

18. किस राज्य में साक्षरता दर सबसे ज्यादा है ?

(A) बिहार

(B) उत्तर प्रदेश

(C) केरल

(D) पंजाब

19. 'प्रत्यक्षवाद' की अवधारणा किसने दी ?

(A) दुर्खीम

(B) अगस्त कॉम्ट

(C) सी०एच० कूले

(D) मैक्स वेबर

20. चिपको आन्दोलन संबंधित है

(A) भूमि से

(B) जल से

(C) वृक्ष से

(D) वायु से

21. भूमंडलीकरण की विशेषता क्या है ?

(A) सार्वभौमिकता

(B) सजातीयता

(C) एकीकरण

(D) इनमें से सभी

22. परियोजना कार्य के जनक कौन हैं ?

(A) डब्ल्यू०एच० किलपैट्रिक

(B) डी० मार्शल

(C) ए०ओ० ह्यूम

(D) इनमें से कोई नहीं

23. वर्ग-संघर्ष का सिद्धान्त किसने दिया ?

(A) कार्ल मार्क्स

(B) रिजले

(C) मेकाइवर

(D) फ्रेजर

24. हरित क्रान्ति किस राज्य में ज्यादा सफल रही ?

(A) गुजरात

(B) पंजाब

(C) असम

(D) बिहार

25. उपनिवेशवाद किस सोच का प्रतिफल है ?

(A) साम्राज्यवाद

(B) समाजवाद

(C) मानवतावाद

(D) अन्तरराष्ट्रीयतावाद

26. आदिवासी महासभा का संगठन था

(A) उराँव का

(B) मुण्डा का

(C) संथाल का

(D) इनमें से कोई नहीं

27. नई राष्ट्रीय जनसंख्या नीति कब घोषित की गई ?

(A) 1999

(B) 2000

(C) 2001

(D) 2002

28. निम्न में से कौन-सी आदिवासी समाज मातृ प्रधान है ?

(A) गारो

(B) मुण्डा

(C) संथाल

(D) इनमें से कोई नहीं

29. भारतीय अर्थव्यवस्था का मॉडल किस प्रकार की है ?

(A) पूँजीवादी

(B) मिश्रित

(C) समाजवादी

(D) साम्यवादी

30. 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में प्रति 1000 पुरुष पर स्त्रियों की संख्या है

(A) 967

(B) 947

(C) 933

(D) 955

भाग-B (विषयनिष्ठ प्रश्न )

Section - A (अति लघु उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दें। 2 x 6 = 12

31. जनसांख्यिकी क्या है ?

उत्तर - जनसांख्यिकी शब्द ग्रीक शब्द 'डेमोस' और 'ग्राफी' से लिया गया है जिसका अर्थ है 'जनसंख्या' और 'विज्ञान'। इस प्रकार, जनसांख्यिकी मानव जनसंख्या का वैज्ञानिक अध्ययन है।

32. पंचायती राज की तीन इकाइयाँ क्या हैं ?

उत्तर - त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम पंचायत (ग्राम स्तर पर), पंचायत समिति (मध्यवर्ती स्तर पर) और ज़िला परिषद (ज़िला स्तर पर) शामिल हैं।

33. अछूत क्या है ?

उत्तर - जो किसी कारणवश छूने योग्य ना हो। इंसानो में किसी अन्य व्यक्ति को या समूह को अछूत (छूने योग्य ना ) मानने का व्यवहार विश्व में आता जाता रहा है।

34. बाजार को परिभाषित करें ।

उत्तर- प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एडम स्मिथ ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'द वेल्थ ऑफ नेशन्स' में बाजार को परिभाषित करते हुए लिखा है- "बाजारी अर्थव्यवस्था व्यक्तियों में वस्तुओं के आदान-प्रदान या सौदों का एक लम्बा क्रम है जो अपनी क्रमबद्धता के कारण स्वतः एक कार्यशील एवं स्थिर व्यवस्था की स्थापना करती है।"

35. संस्कृतिकरण क्या है ?

उत्तर - संस्कृतिकरण की व्याख्या करते हुये डॉ. एम. एन. श्रीनिवास (M.N. Srinivas) ने अपनी पुस्तक 'Social Change in Modern India' में लिखा है, "संस्कृतिकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई निम्न हिन्दू जाति या कोई जनजाति अथवा अन्य समूह किसी उच्च और प्रायः द्विज जाति की दिशा में अपने रीति-रिवाज, कर्मकाण्ड, विचारधारा और जीवन पद्धति को बदलता है।"

36. धार्मिक अल्पसंख्यक क्या है ?

उत्तर - किसी देश, प्रान्त या क्षेत्र की जनसंख्या में जिस धर्म के मानने वालों की संख्या कम होती है उस धर्म को अल्पसंख्यक धर्म तथा उसके अनुयायीयों को धार्मिक अल्पसंख्यक कहा जाता है।

37. संप्रदायवाद क्या है ?

उत्तर - सांप्रदायिकता शब्द का अर्थ है - धार्मिक समुदाय में भिन्नता । अर्थात किसी धर्म विशेष को महत्व देकर शेष समुदाय के हृदय में उस धर्म विशेष के प्रति नकरात्मक विचार उत्पन्न करना ।

38. दबाव समूह क्या है ?

उत्तर - 'दबाव समूह' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग प्रसिद्ध राजनीतिशास्त्री पी. ओडीगार्ड ने सन् 1928 में अपनी पुस्तक 'दबावों की राजनीति' में किया। दबाव समूहों के संदर्भ में कहा जा सकता है कि जब कोई संगठन अपने सदस्यों के हितों की पूर्ति के लिए राजनीतिक सत्ता को प्रभावित करता है और उनकी पूर्ति के लिए दबाव डालता है तो उस संगठन को 'दबाव समूह' कहते हैं।

खण्ड – B (लघु उत्तरीय प्रश्न )

किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दें। 3 x 6 = 18

39. बिरसा आंदोलन से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर - बिरसा आंदोलन 19वीं शताब्दी के अंत में भारत के झारखंड क्षेत्र में हुए एक आदिवासी विद्रोह का नाम है। यह आंदोलन 1895 से 1900 तक चला और इसका नेतृत्व बिरसा मुंडा नामक एक युवा आदिवासी नेता ने किया था।

आंदोलन के कारण:

☞ जमीन का हड़पना: अंग्रेजों और जमींदारों द्वारा आदिवासियों की जमीनों का हड़पना आंदोलन का मुख्य कारण था।

☞ शोषण: आदिवासियों को अंग्रेजों और जमींदारों द्वारा क्रूरतापूर्वक शोषित किया जाता था।

☞ धार्मिक उत्पीड़न: ईसाई मिशनरियों द्वारा आदिवासियों का धार्मिक उत्पीड़न भी आंदोलन का एक कारण था।

आंदोलन के प्रमुख घटनाक्रम:

1895: बिरसा मुंडा ने 'उलगुलान' (क्रांति) का आह्वान किया।

1897: बिरसा मुंडा को पहली बार गिरफ्तार किया गया।

1898: बिरसा मुंडा ने 'जंगली राज' की स्थापना की।

1899: बिरसा मुंडा को दूसरी बार गिरफ्तार किया गया और उन्हें जेल में डाल दिया गया।

1900: बिरसा मुंडा की जेल में मृत्यु हो गई।

आंदोलन के परिणाम:

☞ भूमि सुधार: आदिवासियों को उनकी कुछ जमीनें वापस मिलीं।

☞ शोषण में कमी: अंग्रेजों और जमींदारों द्वारा आदिवासियों के शोषण में कुछ कमी आई।

☞ धार्मिक स्वतंत्रता: आदिवासियों को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार मिला।

40. धर्मनिरपेक्षता क्या है ?

उत्तर - धर्मनिरपेक्षता का अर्थ किसी के धर्म का विरोध करना नहीं है बल्कि सभी को अपने धार्मिक विश्वासों एवं मान्यताओं को पूरी आज़ादी से मानने की छूट देता है। धर्मनिरपेक्ष राज्य में उस व्यक्ति का भी सम्मान होता है जो किसी भी धर्म को नहीं मानता है।

41. ग्रामीण और नगरीय समाज के बीच अंतर बताएँ ।

उत्तर - ग्रामीण और नगरीय समाज के बीच अंतर:

1. जनसंख्या घनत्व:

ग्रामीण: कम जनसंख्या घनत्व, खुले स्थान, और प्रकृति से घिरा हुआ।

नगरीय: उच्च जनसंख्या घनत्व, सीमित खुली जगह, और इमारतों से घिरा हुआ।

2. व्यवसाय:

• ग्रामीण: कृषि, पशुपालन, और छोटे उद्योग मुख्य व्यवसाय हैं।

• नगरीय: सेवा क्षेत्र, उद्योग, व्यापार, और कार्यालय मुख्य व्यवसाय हैं।

3. जीवनशैली:

• ग्रामीण: धीमी गति, सामाजिक, और पारंपरिक जीवनशैली।

• नगरीय: तेज़ गति, व्यक्तिवादी, और आधुनिक जीवनशैली।

4. सामाजिक संरचना:

• ग्रामीण: मजबूत पारिवारिक संबंध, जाति व्यवस्था, और सामाजिक समूहों का प्रभाव।

• नगरीय: कम पारिवारिक संबंध, विविधता, और व्यक्तिवाद का प्रभाव।

5. शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं:

• ग्रामीण: शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी।

• नगरीय: बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं।

6. सुविधाएं और बुनियादी ढांचा:

• ग्रामीण: कम सुविधाएं, खराब बुनियादी ढांचा, और कम मनोरंजन के विकल्प।

• नगरीय: बेहतर सुविधाएं, अच्छा बुनियादी ढांचा, और मनोरंजन के अनेक विकल्प।

7. पर्यावरण:

• ग्रामीण: स्वच्छ और हरा-भरा वातावरण।

• नगरीय: प्रदूषित वातावरण।

8. सांस्कृतिक गतिविधियां:

• ग्रामीण: त्योहारों, परंपराओं, और लोक कलाओं का महत्व।

• नगरीय: आधुनिक कला और संस्कृति का महत्व।

42. माल्थस के जनसंख्या सिद्धांत पर चर्चा करें।

उत्तर - थॉमस रॉबर्ट माल्थस एक अंग्रेजी अर्थशास्त्री और जनसांख्यिकीविद् थे। उन्होंने 1798 में "एन एसे ऑन द प्रिंसिपल ऑफ पॉपुलेशन" (जनसंख्या के सिद्धांत पर एक निबंध) नामक पुस्तक प्रकाशित की। इस पुस्तक में, उन्होंने तर्क दिया कि जनसंख्या ज्यामितीय अनुपात में बढ़ती है (1, 2, 4, 8, 16), जबकि आजीविका के साधन अंकगणितीय अनुपात में बढ़ते हैं (1, 2, 3, 4, 5)। इसका मतलब है कि जनसंख्या अंततः आजीविका के साधनों से अधिक हो जाएगी, जिससे गरीबी, भुखमरी, और बीमारी जैसी समस्याएं पैदा होंगी।

43. भारतीय समाज पर उपनिवेशवाद के प्रभावों का वर्णन करें ।

उत्तर - भारत प्राचीनकाल से ही एक उन्नत, समृद्धशाली व सांस्कृतिक परम्पराओं का देश रहा है। इसकी आर्थिक सम्पन्नता, संस्कृति व आध्यात्मिक उन्नति ने सदा अन्य देशों को अपनी ओर आकृष्ट किया है। इसी कारण 17वीं शताब्दी में भारत में अनेक यूरोपीय शक्तियाँ व्यापार करने हेतु आकर्षित हुईं। पूँजीवाद के प्रसार के साथ औपनिवेशिक व्यापारियों का उद्देश्य केवल खरीद-फरोख्त द्वारा मुनाफा ही नहीं वरन् पूँजी और प्रौद्योगिकी का उपयोग कर उत्पादन बढ़ाना और जहाँ तक सम्भव हो कच्चा माल प्राप्त कर माल तैयार करना था।

आरम्भ में यूरोपवासियों के भारत आने का उद्देश्य धन की प्राप्ति, व्यापार में वृद्धि और ईसाई मत का प्रचार करना था जो आगे चलकर राजनैतिक प्रसार व साम्राज्यवाद में बदल गया। उपनिवेशवाद के परिणामस्वरूप भारत की सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक व्यवस्थाओं को अत्यधिक क्षति पहुँची। उन्होंने भारत की सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक व्यवस्थाओं को पूर्ण रूप से नष्ट-भ्रष्ट कर दिया।

44. संचार माध्यम तथा सामाजिक परिवर्तन पर प्रकाश डालें ।

उत्तर-

(i) विचारों और मनोवृत्तियों में परिवर्तन - प्रत्येक समाज और संस्कृति के विकास के लिए यह जरूरी होता है कि समय की माँग के अनुसार लोगों के विचारों, दृष्टिकोण और मनोवृत्तियों में परिवर्तन होता रहे। जब हम टेलीविजन और रेडियो के विभिन्न कार्यक्रमों या फिल्मों के कथानक के द्वारा परम्परागत अन्धविश्वासों और दुर्बल वगों के शोषण से सम्बन्धित दुष्परिणामों को देखते हैं तो धीरे-धीरे हमारे विचार अपने आप बदलने लगते हैं। आज भारतीय समाज में बेकार की रूढ़ियों, कर्मकाण्डों, जाति व्यवस्था के असमानताकारी नियमों, तरह-तरह की कुप्रथाओं और समाज में स्त्रियों की प्रस्थिति के बारे में हमारे विचार जिस तेजी से बदल रहे हैं, वे किसी-न-किसी रूप में जन संचार के साधनों से ही प्रभावित हैं।

(ii) आधुनिकीकरण को प्रोत्साहन - आधुनिकीकरण एक ऐसी दशा है जिसमें व्यवहार के परम्परागत तरीकों की जगह समानता और स्वतन्त्रता पर आधारित व्यवहारों को अधिक महत्व मिलने लगता है। प्रौद्योगिक विकास, धर्मनिरपेक्षता और तर्कपूर्ण विचार आधुनिकीकरण की विशेषताएँ हैं। आधुनिकीकरण को प्रक्रिया अलौकिक विश्वासों की जगह लौकिक या सांसारिक जीवन की सफलताओं को अधिक महत्व देती है। आज दुनिया के सभी समाज आर्थिक और सामाजिक विकास के द्वारा आधुनिकीकरण की ओर बढ़ने का प्रयत्न कर रहे हैं। जन संचार के साधन लोगों को यह बताते हैं कि वर्तमान युग में किस तरह के व्यवहार अधिक उपयोगी हैं। बच्चे अपने जीवन के आरम्भ से ही जब बड़े-बड़े अभिनेताओं, खिलाड़ियों और कलाकारों को कुछ विशेष ढंग से व्यवहार करते हुए देखते हैं तो वे उन व्यवहारों से सम्बन्धित मूल्यों और मनोवृत्तियों को जल्दी ही ग्रहण कर लेते हैं।

(iii) सामाजिक समानता में वृद्धि- भारतीय समाज का विकास तभी सम्भव है जब यहाँ सभी तरह के सामाजिक, धार्मिक विभेदों को कम-से-कम किया जा सके। समाचार-पत्र और पत्रिकाओं के लेख एक ऐसी तर्क बुद्धि विकसित करते हैं जिनमें मानवतावाद का अधिक महत्व होता है। फिल्मों में यह दिखाया जाता है कि सामन्तवादी तरीके किस तरह हमारी प्रगति में बाधक है? विभिन्न वर्गों के उत्पीड़न को देखकर हम स्वयं यह समझने लगते हैं कि हमें अपने व्यवहारों में किस तरह का परिवर्तन लाना चाहिए ? उत्पादकों और मजदूरों के बीच सहयोग बढ़ाने में भी जन संचार के साधन उपयोगी भूमिका निभाते हैं।

(iv) समाज सुधार में योगदान-किसी समाज में जब तरह-तरह की सामाजिक समस्याएँ बढ़ने लगती हैं तो उन्हें दूर करने में जन संचार के साधन उपयोगी भूमिका निभाते हैं। भारतीय समाज में स्वतन्त्रता के बाद तरह-तरह की वैवाहिक कुरीतियों, स्त्रियों के शोषण, दलित जातियों के साथ असमानताकारी व्यवहारों, अन्धविश्वासों और पारिवारिक विघटन से सम्बन्धित बहुत-सी समस्याएँ थीं। जन संचार के साधनों के द्वारा लोगों को इन समस्याओं के दुष्परिणामों से अवगत कराया गया। इसी के फलस्वरूप लोगों की मनोवृत्तियों में इस तरह परिवर्तन होने लगा जिससे काफी सीमा तक इन समस्याओं का समाधान करना सम्भव हो सका।

(v) नियोजित परिवर्तन का आधार हमारे समाज में स्वतन्त्रता के बाद जब नियोजित रूप से सामाजिक और आर्थिक विकास के प्रयत्न करना आरम्भ किए गए तो शुरू में इसके सामने अनेक बाधाएँ आने लगीं। अशिक्षा और परम्परागत जीवन के कारण सामान्य लोग किसी भी परिवर्तन को सन्देह की निगाह से देखते हैं। इस दशा में जन संचार के साधन ही व्यवहार के नए ढंगों की उपयोगिता को स्पष्ट करके विकास कार्यक्रमों में लोगों के सहभाग को बढ़ाने में मदद करते हैं। भारत में परिवार नियोजन कार्यक्रम और सामाजिक कानूनों को भी जन संचार के द्वारा ही अधिक प्रभावपूर्ण बनाना सम्भव हो सका।

45. भूमंडलीकरण के सकारात्मक परिणामों की विवेचना करें ।

उत्तर - भूमंडलीकरण, विभिन्न देशों के बीच सीमाओं को कम करने और एक दूसरे के साथ जुड़ने की प्रक्रिया, अनेक सकारात्मक परिणाम लाता है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण परिणामों का वर्णन निम्नलिखित है:

आर्थिक विकास:

☞ व्यापार और निवेश में वृद्धि: भूमंडलीकरण से विभिन्न देशों के बीच व्यापार और निवेश में वृद्धि होती है, जिससे देशों की अर्थव्यवस्थाओं को मजबूती मिलती है।

☞ रोजगार के अवसरों में वृद्धि: व्यापार और निवेश में वृद्धि से देशों में रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होती है।

☞ प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण: भूमंडलीकरण से विकसित देशों से विकासशील देशों में प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण होता है, जिससे विकासशील देशों की उत्पादकता और आर्थिक विकास में वृद्धि होती है।

☞ उपभोक्ताओं के लिए बेहतर विकल्प: भूमंडलीकरण से उपभोक्ताओं को विभिन्न देशों में उत्पादित विभिन्न प्रकार के उत्पादों और सेवाओं के बेहतर विकल्प उपलब्ध होते हैं।

सांस्कृतिक आदान-प्रदान:

☞ सांस्कृतिक विविधता का सम्मान: भूमंडलीकरण से विभिन्न देशों की संस्कृतियों के बीच आदान-प्रदान होता है, जिससे सांस्कृतिक विविधता का सम्मान बढ़ता है।

☞ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भूमंडलीकरण से विभिन्न देशों के बीच सहयोग बढ़ता है, जिससे वैश्विक समस्याओं का समाधान करने में मदद मिलती है।

☞ शिक्षा और ज्ञान का प्रसार: भूमंडलीकरण से शिक्षा और ज्ञान का प्रसार होता है, जिससे लोगों का जीवन स्तर बेहतर होता है।

☞ पर्यावरण संरक्षण: भूमंडलीकरण से पर्यावरण संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ता है।

राजनीतिक प्रभाव:

☞ लोकतंत्र का प्रसार: भूमंडलीकरण से लोकतंत्र और मानवाधिकारों का प्रसार होता है।

☞ शांति और सुरक्षा: भूमंडलीकरण से विभिन्न देशों के बीच शांति और सुरक्षा बढ़ती है।

☞ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका: भूमंडलीकरण से अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका बढ़ती है, जो वैश्विक समस्याओं का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

46. भारत में जनसंख्या वृद्धि के परिणामों को उजागर करें ।

उत्तर - भारत में तीव्र गति से हो रही जनसंख्या वृद्धि ने अनेक समस्याओं को जन्म दिया है, यद्यपि भारत सरकार ने परिवार नियोजन कार्यक्रम का संचालन तथा आर्थिक विकास को विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से गति देकर विशेषकर शिक्षित समाज में जनसंख्या वृद्धि को काफी हद तक नियन्त्रित करने का प्रयास किया है, परन्तु इनका प्रभाव ग्रामीण, अति पिछड़े व दलित समाजों में न्यूनतम होने के कारण जनसंख्या वृद्धि को सन्तुलित करने में असफल रही। इसके अतिरिक्त मुस्लिम वर्ग में परिवार नियोजन को न अपनाने के कारण भी यह समुदाय जनसंख्या वृद्धि के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

जनसंख्या वृद्धि के प्रभावस्वरूप सार्वजनिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे-सामाजिक, आर्थिक, नैतिक व प्रशासनिक क्षेत्रों में अनेक समस्याएँ पनी । इसके प्रभाव को हम निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं-

(1) वस्तुओं की माँग-पूर्ति में असन्तुलन - जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि होने के कारण वस्तुओं की माँग अधिक होती है और उस अनुपात में पूर्ति न होने पर माँग और पूर्ति के बीच असन्तुलन की स्थिति पैदा हो जाती है परिणामतः देश में महँगाई अधिक बढ़ जाती है।

(2) राष्ट्रीय एवं प्रति व्यक्ति आय में कमी - जनाधिक्य की स्थिति में आय का अधिकांश भाग भरण पोषण पर खर्च हो जाने के कारण आय की शुद्ध बचत बहुत कम होती है, फलतः राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय का स्तर निम्न हो जाता है। भारत में राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय की कमी का प्रमुख कारण जनसंख्या वृद्धि ही है।

(3) बेरोजगारी में वृद्धि - जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि के कारण श्रमशक्ति का उचित प्रयोग नहीं हो पाता। यह स्थिति संसाधनों की कमी तथा पूँजी के अभाव के कारण उत्पन्न होती है। श्रम शक्ति का सही उपयोग न होने की दशा में बेरोजगारी की समस्या खड़ी हो जाती है। भारत में आज बेरोजगारी सबसे गम्भीर समस्याओं में से एक है, जो कि अनेक समस्याओं की जननी है।

(4) सामाजिक विघटन और अपराध में वृद्धि - अधिक जनसंख्या होने के कारण परिवार और समाज में सन्तुलन का अभाव हो जाता है। समाज गरीबी, बेकारी व अशिक्षा की समस्याओं से ग्रसित होकर सामाजिक विघटन की ओर अग्रसर होने लगता है। सामाजिक विघटन की यह दशा अपराध को बढ़ावा देती है।

(5) प्रवास की समस्या - देश में हो रही अधिक जनसंख्या वृद्धि के कारण लोगों के लिए पर्यावरण के अनुकूल प्रवास की समस्या पैदा हो गयी है। आज भारत के बड़े-बड़े महानगरों व औद्योगिक नगरों में लोगों के लिए पर्याप्त सुविधायुक्त निवास का अभाव हो गया है। जिसके कारण अनेक लोग गन्दी बस्तियों व चालों में रहकर जीवन-यापन कर रहे हैं, जो देश की दयनीय स्थिति को दर्शाती है।

(6) समाजीकरण का अभाव - जनाधिक्य की स्थिति में बच्चों का समुचित समाजीकरण नहीं हो पाता। शिक्षा, आवासीय सुविधाओं और सन्तुलित आहार न मिलने की दशा में बच्चों का समुचित शारीरिक और मानसिक विकास नहीं होता। ऐसी दशा में बच्चे युवा होने पर अपने मार्ग से भटक जाते हैं और शराब, नशाखोरी तथा आपराधिक गतिविधियों की ओर आकर्षित हो जाते हैं।

(7) बुनियादी सुविधाओं का अभाव - बुनियादी सुविधाओं का विकास उतनी तेजी से नहीं हो रहा है। जितनी तीव्र गति से जनसंख्या वृद्धि हो रही है। परिणामस्वरूप बुनियादी सुविधाओं जैसे-शिक्षा,स्वास्थ्य, परिवहन, संचार एवं आवास आदि का लाभ सभी को प्राप्त नहीं हो पा रहा है। जनसंख्या का एक बड़ा वर्ग इन सुविधाओं से वंचित जीवन व्यतीत करने के लिए विवश है। इसका देश के विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

इस प्रकार स्पष्ट है कि जनसंख्या में हो रही तीव्र वृद्धि के कारण जहाँ देश एक ओर आर्थिक विकास और उन्नति के क्षेत्र में पिछड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर अशिक्षा, बेकारी, निर्धनता, रहन-सहन की समस्या तथा बढ़ते अपराध के कारण समाज में अनेक विकृतियों का जन्म हुआ है। इसी अन्तर्द्वन्द्व के कारण आज भारत उस गति से विकास की ओर अग्रसर नहीं हो पा रहा है जिस हिसाब से उसके पास प्राकृतिक संसाधनों का भण्डार है।

खण्ड – C (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दें। 5 x 4 = 20

47. वर्ग क्या है ? वर्ग व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन करें।

उत्तर - वर्ग सामाजिक स्तरीकरण का एक रूप है, जिसमें सामाजिक समूहों को उनके आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक शक्ति के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। यह एक गतिशील प्रणाली है, जिसमें सदस्य ऊपर या नीचे जा सकते हैं, और विभिन्न वर्गों के बीच संबंधों में बदलाव हो सकता है।

वर्ग व्यवस्था समाज में एक पदानुक्रमित व्यवस्था होती है, जिसमें विभिन्न वर्गों को शक्ति, धन, प्रतिष्ठा और अवसरों के आधार पर क्रमबद्ध किया जाता है। यह व्यवस्था सामाजिक गतिशीलता को सीमित करती है और विभिन्न वर्गों के बीच असमानता को बढ़ावा देती है।

वर्ग व्यवस्था की विशेषताएं:

☞ आर्थिक स्थिति: वर्ग मुख्य रूप से आर्थिक स्थिति, जैसे आय, संपत्ति, शिक्षा और व्यवसाय के आधार पर परिभाषित होते हैं।

सामाजिक स्थिति: वर्ग सामाजिक प्रतिष्ठा, जीवन शैली, सामाजिक संबंधों और सांस्कृतिक मूल्यों में भी भिन्न होते हैं।

राजनीतिक शक्ति: वर्गों के पास राजनीतिक शक्ति और प्रभाव में भी भिन्नता होती है। उच्च वर्ग के पास आम तौर पर अधिक राजनीतिक शक्ति होती है, जबकि निम्न वर्ग के पास कम होती है।

सामाजिक गतिशीलता: वर्ग व्यवस्था सामाजिक गतिशीलता को सीमित करती है। उच्च वर्ग में प्रवेश करना मुश्किल होता है, और निम्न वर्ग से बाहर निकलना भी मुश्किल होता है।

असमानता: वर्ग व्यवस्था सामाजिक असमानता को बढ़ावा देती है। उच्च वर्ग के पास अधिक अवसर, धन और शक्ति होती है, जबकि निम्न वर्ग के पास कम होती है।

48. नगरीकरण की परिभाषा दें और भारत में नगरीकरण के सामाजिक परिणामों की विवेचना करें।

उत्तर - डेविस के अनुसार, “नगरीकरण एक निश्चित प्रक्रिया है, परिवर्तन का वह चक्र है जिससे कोई समाज कृषक से औद्योगिक समाज में परिवर्तित होता है।” बर्गेल के अनुसार, “ग्रामीण क्षेत्रों को नगरीय क्षेत्र में बदलने की प्रक्रिया को ही हम नगरीकरण कहते हैं।”

नगरीकरण की भारत के सामाजिक परिणाम

1. शिक्षा का प्रसार – भारत में शिक्षितों की संख्या बढ़ रही है, क्योंकि स्थान-स्थान पर विद्यालय खुलते जा रहे हैं। शिक्षा के इस व्यापक प्रसार से अन्धविश्वास में कमी, सामाजिक जीवन की अधिक गहरी समझ, विचारों का आदान-प्रदान, उद्योगों का विकास, कृषि की उन्नति, व्यापार में विकास आदि सभी कुछ हो रहा है।

2. सभ्यताओं का संगम – नगरों में विभिन्न जातियों, प्रदेशों, सम्प्रदायों आदि के लोग रहते हैं। विदेशों से भी लोगों का आवागमन होता रहता है। इस प्रकार रहन-सहन के तरीकों, भाषाओं और विचारों के मिश्रण से रहन-सहन में परिवर्तन होता रहता है। भारत के अनेक भागों में यह लक्षण परिलक्षित हो रहा है। फलस्वरूप स्थाने-विशेष की मूल संस्कृति में भी परिवर्तन हो जाती है।

3. संचार के साधनों का प्रसार – नगरीकरण के साथ संचार के साधनों में भी परिवर्तन होता है। भारत के अनेक ग्रामीण क्षेत्रों में रेलों, बसों, तार, टेलीफोन आदि की सुविधाओं का व्यापक प्रसार हुआ। इससे नये विचारों का प्रसार एवं विभिन्न विचारधाराओं का तीव्र मिश्रण सम्भव हो सका है।

4. अपराध-प्रवृत्ति का प्रसार – शहर में आवास की सुविधाओं का अभाव रहता है, जनसंख्या अधिक रहती है, धनलोलुपता अधिक पायी जाती है, इसलिए लोगों में नैतिकता का अभाव होता है। झूठ, घूस, चोरी, छल-कपट, मिलावट, शराबखोरी, जुआ, डकैती, हत्या आदि भाँतिभाँति के अपराध सामाजिक जीवन पर हावी होते जा रहे हैं और उसे नारकीय बना रहे हैं। नगरीकरण के साथ-साथ मानव को मूल्य कम और धन का महत्त्व अधिक बढ़ता जा रहा है।

5. बीमारियों का प्रसार – स्वास्थ्य-विभाग की व्यवस्थाओं के बावजूद भी घनी जनसंख्या, तंग, अँधेरी, बदबू तथा सीलन से युक्त बस्तियों, खुली हवा का अभाव, खाद्य पदार्थों में तरह-तरह की मिलावट, अवैध एवं मुक्त यौनसम्बन्ध तथा अनियमित रहन-सहन से नगरीकरण के साथ रोगों का भी काफी प्रसार होता है।

6. रहन-सहन में कृत्रिमता – नगरीकरण के प्रभाव से गाँवों का स्वाभाविक एवं प्राकृतिक जीवन कृत्रिम रूप ग्रहण करने लगता है। कोल्ड स्टोरेज की सब्जियाँ, दवाओं से युक्त गेहूँ, पॉलिश किया हुआ चावल, रँगी हुई दाल, कृत्रिम वनस्पति घी एवं मक्खन, सेन्ट डाला हुआ कडूवा तेल, टिन में बन्द अन्य खाद्य सामग्रियों का प्रयोग करते हैं। वस्त्रों में सूती, ऊनी व रेशमी वस्तुओं के स्थान पर बनावटी रेशों के वस्त्र; जैसे-टेरीलीन, नायलॉन आदि; का प्रयोग किया जाता है।

7. स्वास्थ्य में गिरावट, किन्तु जीवनावधि में वृद्धि-रहन – सहन की अनियमितता तथा अशुद्ध वस्तुओं के सेवन आदि के कारण नगरीकरण से लोगों के सामान्य स्वास्थ्य में गिरावट आती है। किन्तु चिकित्सा की उत्तम पद्धतियों में रोगों का निराकरण भी हो जाता है, और नगर में रहने वाला भारतीय कमजोर, किन्तु अधिक लम्बा जीवन जीता है।

8. नशीले द्रव्यों के सेवन में वृद्धि – नगरीकरण के प्रभाव से लोगों में शराब, अफीम, एल० एस० डी०, मारिजुआना, हीरोइन, भाँग आदि के सेवन की प्रवृत्ति बढ़ती है, क्योकि नगरीय जीवन में तनाव से शान्ति प्राप्त करने हेतु नशीले द्रव्यों का सेवन आवश्यक बन जाता है। इनके साथ-साथ नींद प्राप्त करने के लिए सोने की गोलियों का प्रयोग भी बढ़ता है।

9. भौतिकवाद की प्रधानता – नागरिक प्रभाव के कारण भारतीय समाज के आदर्शवादी सिद्धान्त तिरोहित होने लगे हैं। लोगों का ध्यान आत्मिक विकास के स्थान पर भौतिक सुख सम्पन्नता प्राप्त करने पर अधिक रहने लगा है। इससे पारस्परिक संघर्ष, ईष्र्या-द्वेष, वैमनस्य, प्रतियोगिता को बढ़ावा मिला है और तनाव-चिन्ता में वृद्धि हुई है।

49. दबाब समूह और राजनीतिक दल में अंतर स्पष्ट करें ।

उत्तर - राजनीतिक दल एवं दबाव समूह में निम्न आधारों पर अंतर को स्पष्ट किया जा सकता है -

1. राजनीतिक दल दबाव समूह की अपेक्षा अधिक विशाल संगठन है। राजनीतिक दल के कार्यक्रम होते हैं, जबकि दबाव समूह के सामने मुख्य उद्देश्य समूह के हितों की रक्षा करना होता है। दबाव समूह का कार्यक्रम सीमित तथा प्रभाव का क्षेत्र भी संकुचित होता है।

2. राजनीतिक दल का सर्वप्रथम और घोषित उद्देश्य शासन सत्ता पर नियंत्रण प्राप्त करना होता है। इसके विपरीत दबाव समूह शासन शक्ति प्राप्त करने का प्रयास नहीं करते हैं।

3. राजनीतिक दल खुद अपने लिये सत्ता पाना चाहते हैं, जबकि दबाव समूह औपचारिक रूप में शासन से बाहर रहकर शासन को प्रभावित करने की चेष्टा में लगे रहते हैं।

4. राजनीतिक दल का संबंध राष्ट्रीय हित की सभी समस्याओं और प्रश्नों से होता है। अतः स्वाभाविक रूप से उनका अत्यधिक व्यापक कार्यक्रम होता है। लेकिन दबाव समूह एक विशेष वर्ग के हितों का ही प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए दबाव समूहों का कार्यक्रम सीमित एवं संकुचित होता है।

5. राजनीतिक दल अपने उद्देश्यों की पूर्ति के पश्चात् भी समाप्त नहीं होते, जबकि दबाव समूह अपने हितों या उद्देश्यों की पूर्ति के पश्चात् समाप्त हो जाते हैं।

6. राजनीतिक दल अनिवार्य रूप से औपचारिक संगठन होते हैं लेकिन दबाव समूह औपचारिक रूप से संगठित या असंगठित दोनों ही स्थितियों में हो सकते हैं। कई बार शक्तिशाली दबाव समूह भी असंगठित स्थिति में होते हैं।

7. राजनीतिक दलों से यह आशा की जाती है कि वे अपने उद्देश्य प्राप्ति के लिये केवल संवैधानिक साधनों को ही अपनायेंगे, लेकिन दबाव समूह जरूरत पड़ने पर संवैधानिक और असंवैधानिक व अनैतिक सभी प्रकार के साधन अपना सकते हैं।

8. राजनीतिक दल सामाजिक व राजनीतिक कार्यक्रम पर आधारित होते हैं, उनके उद्देश्य व कार्य बहुमुखी होते हैं, जबकि विचारधारा व कार्यक्रम की दृष्टि से दबाव समूह राजनीतिक दल की अपेक्षा अधिक संयुक्त और सताजीय समूह होते हैं। दबाव समूह उन्हीं व्यक्तियों का गुट होता है जिनके समान हित व रुचि होती है।

50. दलित आन्दोलन के परिणामों की विवेचना करें।

उत्तर - दलित आन्दोलन ने भारतीय समाज को कई महत्वपूर्ण बदलावों से गुजरना पड़ा है। यहाँ कुछ प्रमुख परिणामों का उल्लेख किया गया है:

सामाजिक:

☞ अस्पृश्यता का उन्मूलन: दलित आन्दोलन का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम अस्पृश्यता प्रथा का उन्मूलन रहा है। 1949 में भारत के संविधान में अस्पृश्यता को गैरकानूनी घोषित किया गया।

☞ सामाजिक न्याय: दलित आन्दोलन ने सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष किया है। इसके फलस्वरूप, शिक्षा, रोजगार और राजनीति में दलितों के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू की गई।

☞ दलित चेतना का विकास: दलित आन्दोलन ने दलितों के बीच आत्म-सम्मान और चेतना का विकास किया है। दलितों ने अपनी पहचान को स्वीकार करना और अपने अधिकारों के लिए लड़ना सीखा है।

राजनीतिक:

☞ राजनीतिक प्रतिनिधित्व: दलित आन्दोलन ने दलितों के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व में वृद्धि की है। आज, कई दलित नेता विभिन्न राजनीतिक दलों में महत्वपूर्ण पदों पर हैं।

☞ दलित राजनीतिक दलों का उदय: दलित आन्दोलन ने दलित राजनीतिक दलों के उदय को जन्म दिया है। ये दलितों के हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनकी आवाज को मजबूत करते हैं।

आर्थिक:

☞ आर्थिक सशक्तिकरण: दलित आन्दोलन ने दलितों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए काम किया है। सरकार द्वारा दलितों के लिए विभिन्न आर्थिक योजनाएं और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

☞ शिक्षा और रोजगार में अवसरों में वृद्धि: दलित आन्दोलन ने शिक्षा और रोजगार में दलितों के लिए अवसरों में वृद्धि की है। आज, पहले की तुलना में अधिक दलित शिक्षित हैं और अच्छे रोजगार प्राप्त कर रहे हैं।

सांस्कृतिक:

☞ दलित साहित्य और कला का विकास: दलित आन्दोलन ने दलित साहित्य और कला के विकास को बढ़ावा दिया है। दलित लेखक और कलाकार अपनी कहानियों और अनुभवों को साझा कर रहे हैं।

☞ दलित इतिहास और संस्कृति का पुनरुत्थान: दलित आन्दोलन ने दलित इतिहास और संस्कृति के पुनरुत्थान में योगदान दिया है। दलित अपनी जड़ों से जुड़ रहे हैं और अपनी विरासत को गर्व से स्वीकार कर रहे हैं।

हालांकि, दलित आन्दोलन के सामने अभी भी कई चुनौतियां हैं। जातिवाद और भेदभाव अभी भी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। दलितों को शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं में समान अवसर नहीं मिल पाते हैं। दलित महिलाओं पर अत्याचार और हिंसा की घटनाएं भी सामने आती हैं।

51. परिवार क्या है ? भारत में कितने प्रकार के परिवार पाए जाते हैं ?

उत्तर - परिवार एक सामाजिक इकाई है जिसमें रक्त संबंध, विवाह या गोद लेने के आधार पर सदस्यों का समूह शामिल होता है। यह समूह भावनात्मक, आर्थिक और सामाजिक सहायता प्रदान करता है और बच्चों के पालन-पोषण और सामाजिकरण के लिए जिम्मेदार होता है।

भारत में परिवार के प्रकार

भारत में विभिन्न प्रकार के परिवार पाए जाते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:

1. संयुक्त परिवार: इस प्रकार के परिवार में कई पीढ़ियां एक साथ रहती हैं, जिसमें दादा-दादी, माता-पिता, बच्चे और उनके विवाहित बच्चे शामिल होते हैं। संयुक्त परिवार में सदस्यों के बीच घनिष्ठ संबंध होते हैं और वे एक-दूसरे का समर्थन करते हैं।

2. एकल परिवार: इस प्रकार के परिवार में केवल माता-पिता और उनके अविवाहित बच्चे शामिल होते हैं। एकल परिवार आमतौर पर शहरी क्षेत्रों में अधिक पाए जाते हैं।

3. विस्तारित परिवार: इस प्रकार के परिवार में संयुक्त परिवार और एकल परिवार के बीच का मिश्रण होता है। इसमें दादा-दादी, माता-पिता, बच्चे, उनके विवाहित बच्चे और उनके बच्चे शामिल हो सकते हैं।

4. एकल-माता-पिता परिवार: इस प्रकार के परिवार में केवल एक माता-पिता और उनके बच्चे शामिल होते हैं। यह परिवार तब बनता है जब माता-पिता का तलाक हो जाता है, उनमें से एक की मृत्यु हो जाती है, या वे अकेले बच्चे को गोद लेते हैं।

5. पुनर्गठित परिवार: इस प्रकार के परिवार में कम से कम एक माता-पिता का पिछले विवाह से बच्चे होते हैं। यह परिवार तब बनता है जब माता-पिता का तलाक हो जाता है और वे फिर से शादी करते हैं, या जब वे किसी अकेले माता-पिता से शादी करते हैं।

6. दत्तक परिवार: इस प्रकार के परिवार में माता-पिता ने एक या अधिक बच्चों को गोद लिया है।

7. समलिंगी परिवार: इस प्रकार के परिवार में दो समान लिंग के व्यक्ति होते हैं जो एक साथ रहते हैं और बच्चों का पालन-पोषण करते हैं।

8. अविवाहित जोड़ों का परिवार: इस प्रकार के परिवार में दो व्यक्ति बिना शादी किए एक साथ रहते हैं और बच्चों का पालन-पोषण करते हैं।

52. जाति एवं वर्ग के बीच अंतर स्पष्ट करें ।

उत्तर - जाति एवं वर्ग में निम्नलिखित अंतर पाए जाते हैं-

⦁  स्थायित्व में अंतर-वर्ग में सामाजिक बंधन स्थायी व स्थिर नहीं रहते हैं। कोई भी सदस्य अपनी योग्यता से वर्ग की सदस्यता परिवर्तित कर सकता है। जाति में सामाजिक बंधन अपेक्षाकृत स्थायी व स्थिर हैं। जाति की सदस्यता किसी भी आधार पर बदली नहीं जा सकती।

⦁  सामाजिक दूरी में अंतर-वर्ग में अपेक्षाकृत सामाजिक दूरी कम पाई जाती है। कम दूरी के कारण ही विभिन्न वर्गों में खान-पान इत्यादि पर कोई विशेष प्रतिबंध नहीं पाए जाते हैं। विभिन्न जातियों में, विशेष रूप से उच्च एवं निम्न जातियों में अपेक्षाकृत अधिक सामाजिक दूरी पाई जाती है। इस सामाजिक दूरी को बनाए रखने हेतु प्रत्येक जाति अपने सदस्यों पर अन्य जातियों के सदस्यों के साथ खान-पान, रहन-सहन इत्यादि के प्रतिबंध लगाती है।

⦁  स्वतंत्रता की मात्रा में अंतर-वर्ग में व्यक्ति को अपेक्षाकृत अधिक स्वतंत्रता रहती है। इसलिए वर्ग को ‘खुली व्यवस्था’ भी कहा जाता है। जाति व्यवस्था में व्यक्ति पर खान-पान, विवाह आदि से संबंधित अपेक्षाकृत कहीं अधिक बंधन होते हैं। जाति इन्हीं बंधनों के कारण बंद व्यवस्था’ कही जाती है।

⦁  प्रकृति में अंतर-वर्ग में मुक्त संस्तरण होता है अर्थात् व्यक्ति वर्ग परिवर्तन कर सकता है। जाति में बाद में संस्तरण होता है अर्थात् जाति का परिवर्तन नहीं किया जाता है।

⦁  सदस्यता में अंतर-वर्ग की सदस्यता व्यक्तिगत योग्यता, जीवन के स्तर एवं हैसियत आदि पर आधारित होती है। ज्ञाति की सदस्यता जन्म से ही निश्चित हो जाती है।

⦁  चेतना में अंतर-वर्ग के सदस्यों में वर्ग चेतना रहती है। जाति के सदस्यों में यद्यपि अपनी जाति के प्रति चेतना तो पाई जाती है परंतु किसी प्रतीक के प्रति चेतना की आवश्यकता नहीं होती।

⦁  राजनीतिक अंतर-वर्ग की व्यवस्था प्रजातंत्र में अपेक्षाकृत अधिक बाधक नहीं है। जाति व्यवस्था प्रजातंत्र में अपेक्षाकृत बाधक है। जाति असमानता पर आधरित है, जबकि प्रजातंत्र समानता के मूल्यों पर आधरित व्यवस्था है।

⦁   व्यावसायिक आधार पर अंतर-वर्गों में परंपरागत व्यवसाय पर जोर नहीं दिया जाता और न ही विभिन्न वर्ग परंपरागत व्यवसायों से संबंधित है। इसके विपरीत, जाति में परंपरागत व्यवसाय पर विशेष जोर दिया जाता है। परंपरागत रूप से प्रत्येक जाति का एक निश्चित व्यवसाय होता था। यह व्यवसाय पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होता रहता था और इसे बदलना सरल नहीं था।

⦁  संस्तरण में अंतर-वर्ग में मुक्त संस्तरण होता है अर्थात् व्यक्ति अपना वर्ग परिवर्तित कर सकता है। इसके विपरीत, जाति एक बंद संस्तरण है जिसमें किसी भी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। जो व्यक्ति जिस जाति में जन्म लेता है, जीवन भर उसे उसी जाति का सदस्य बनकर रहना पड़ता है।

खण्ड अ- भारतीय समाज

1. भारतीय समाज- एक परिचय

2. भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना

3. सामाजिक संस्थाएँ - निरंतरता एवं परिवर्तन

4. बाजार एक सामाजिक संस्था के रूप में

5. सामाजिक विषमता और बहिष्कार के स्वरूप

6. सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियाँ

खंड ब - भारत में सामाजिक परिवर्तन एवं विकास

1. संरचनात्मक परिवर्तन

2. सांस्कृतिक परिवर्तन

3. भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

4. ग्रामीण समाज में विकास एवं परिवर्तन

5. औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास

6. भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन

7. जनसंपर्क और सामाजिक परिवर्तन

8. सामाजिक आंदोलन

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