गुमला जिला 12th प्री-बोर्ड
विषयः - अर्थशास्त्र
भाग -A बहुविकल्पीय प्रश्न (01×30-30)
1. 'अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है' किसने कहा ?
A>
मार्शल
B> एडम स्मिथ
C>
पॉल सेम्युलसन
D>
माल्थस
2. किस बाजार संरचना में एक फर्म के लिए औसत आय और सीमान्त आय बराबर
होती है ?
A>
एकाधिकार
B>
अतिअल्पकाल
C> पूर्ण
प्रतियोगिता
D>
दीर्घकाल
3. किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के उपभोग से प्राप्त उपयोगिता क्या
कहलाती है?
A>
कुल उपयोगिता
B>
औसत उपयोगिता
C> सीमान्त
उपयोगिता
D>
सीमान्त आगम
4. उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन करने पर किस लागत में परिवर्तन नहीं
होता है ?
A>औसत
स्थिर लागत
B>
औसत परिवर्ती लागत
C>
सीमान्त लागत
D> कुल स्थिर लागत
5. एक पूर्णप्रतियोगी फर्म के संतुलन के लिए निम्न में से कौन सा विकल्प
सही है ?
A> MR=MC
B>MR-MC
C>MR-MC-1
D>
इनमें से कोई सभी
6. निम्न में से कौन सा कथन सत्य है।
A>
TC=TVC-TPC
B>
TC=TVC X TFC
C> TVC=TC-TFC
D>
TFC= TVC+TC
7. उत्पादन सम्भावना वक्र का ढाल गिरता है।
A> बायें से दायें
B>
दायें से बायें
C>नीचे
से ऊपर
D.
इनमें से कोई नहीं
8. 'द जेरनल थ्योरी ऑफ इम्प्लॉइमेन्ट इन्टरेस्ट एण्ड मनी नामक पुस्तक
के लेखक कौन है ?
A>
अल्फ्रेड मार्शल
B>
एडम स्मिथ
C> जे.एम. केन्स
D>
जे. एन. केन्स
9. द्ववयाधिकार में विक्रेताओं की कितनी संख्या होती है ?
A>1
B>
4
C>
3
D> 2
10 दो साधन श्रम (L) और (K) के लिए उत्पादन फलन Q=5L+3K है। श्रम और
पूंजी की 100 इकाई के रोजगार से वस्तु की --------- अधिकतम मात्रा का उत्पादन हो सकता
है ?
A>
500
B>
300
C> 800
D>
600
11. यदि किसी वस्तु की मांग रेखा मात्रा अक्ष (X अक्ष) के समांतर है
तो वस्तु की मांग की कीमत लोच का मान क्या होगा ?
A> अनन्त (∞)
B>
1 से कम
C>
1से अधिक
D>
शून्य
12. निम्नलिखित में से किसका मान ऋणात्मक हो सकता है ?
A>औसत
उपयोगिता
B>
औसत लागत
C>कुल
उपयोगिता
D. सीमान्त उपयोगिता
13. उत्पति के साधनों की 5 इकाईयों के प्रयोग से किसी वस्तु की 24 तथा
उत्पति के 6 इकाइयों के प्रयोग से 30 इकाइयों का उत्पादन होता है तो सीमांत उत्पादन
का मान क्या होगा ?
A>
24 इकाई
B>
30 इकाई
C>
5 इकाई
D>6 इकाई
14. माँग का नियम लागू होने का कारण है-
A>सीमान्त
उपयोगिता ह्मस नियम
B>
आय प्रभाव
C>
प्रतिस्थापन प्रभाव
D> इनमें से सभी
15. उपभोक्ता की सर्वाधिक संतुष्टि के लिए
A> वस्तु की सीमान्त उपयोगिता उसके मूल्य के समान होनी चाहिए
B>
वस्तु की सीमान्त उपयोगिता उसके मूल्य से अधिक होनी चाहिए
C>
सीमान्त उपयोगिता और मूल्य का कोई संबंध नहीं है।
D>
इनमें से कोई नहीं
16. MPC+MPS= ------
A>
0
B>
b
C>1
D>
अनन्त
17. उपभोग फलन C=A+bY. में प्रेरित उपभोग है।
A>
A
B>
b
C>
C
D> bY
18. निम्नलिखित में से कौन सा मुद्रा का मुख्य कार्य है ?
A>विनिमय का माध्यम
B>
सम्पत्ति की तरलता
C>
मूल्य संचय
D>
साख का आधार
19. गुणक को निम्नलिखित में किस सूत्र द्वारा व्यक्त किया जा सकता है-
A>
K=∆S/∆I
Β> K= ΔΥ/ΔΙ
C>
K=I-S
D> इनमें से कोई नहीं
20. भुगतान शेष का घटक है।
A>चालू
खाता
B>
पूँजी खाता
C>A एवं B दोनों
D>
इनमें से कोई नहीं
21. तीन क्षेत्रीय मॉडल में निम्नलिखित में कौन शामिल है ?
A>
परिवार
B>
फर्म
C>सरकार
D> उपर्युक्त सभी
22. जनता का बैंक कौन सा है ?
A>व्यापारिक बैंक
B>
केन्द्रीय बैंक
C>A
एवं B दोनों
D>
इनमें से कोई नहीं
23. सरकार के कर राजस्व के अन्तर्गत निम्नलिखित में कौन शामिल है।
A>
आय कर
B>
निगम कर
C>
सीमा शुल्क
D> उपर्युक्त सभी
24. राजकोषीय नीति के उद्देश्य क्या है
A>
उत्पादन एंव रोजगार में वृद्रि
B>
विदेशी विनिमय दर की स्थिरता
C>
मूल्य स्थिरता
D> इनमें सभी
25. अप्रत्यक्ष करों में से अनुदान को घटाने से प्राप्त होता है-
A>
शुद्ध सरकारी आय
B>
शुद्ध राष्ट्रीय आय
C> शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
D>
शुद्ध प्रत्यक्ष कर
26. गुणक सम्बन्ध बतलाता है-
A>
आय तथा व्यय में
B>
व्यय तथा विनियोग में
C>विनियोग तथा आय में
D>
बचत तथा विनियोग में
27. जब कुल व्यय और कुल प्राप्तियाँ बराबर हो तो उसे कहतें हैं-
A> संतुलित बजट
B>
राजस्व घाटा
C>
बजट व्यय
D>
राजस्व प्राप्तियाँ
28. व्यापार शेष= -------?
A> दृश्य वस्तुओं के निर्यात - दृश्य वस्तुओं के आयात
B>
अदृश्य वस्तुओं के निर्यात - अदृश्य वस्तुओं के आयात
C>
दृश्य मदों के आयात - अदृश्य मदों के निर्यात
D>
इनमें से कोई नहीं
29. यदि उपयोग की सीमांत प्रवृति 0.5 है तो कर गुणक का मान क्या होगा
?
A>
-1
B>
1
C>
0.5
D> 2
30. खुली तथा मुक्त अर्थव्यवस्था में विनिमय दर कौन निश्चित करता है।
A>
सरकार
B>विश्व
बैंक
C> मांग तथा पूर्ति
D>इनमें
से कोई नहीं
भाग - B विषयनिष्ठ आधारित प्रश्न 2×6=12
प्रश्न संख्या 1-8 अति लधु उत्तरीय प्रकार के है। इनमें से किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दीजिए
1. व्यष्टि अर्थशास्त्र की परिभाषा दें ।
उत्तर-
गार्डनर एक्ले के अनुसार," व्यष्टि अर्थशास्त्र, उद्योगों, उत्पादों और
फर्मों मे कुल उत्पादन के विभाजन तथा प्रतिस्पर्धी उद्योगों के लिए साधनों के वितरण
का अध्ययन है। यह आय वितरण की समस्या का अध्ययन करता है। यह विशेष वस्तुओं तथा सेवाओं
के मूल्य निर्धारण से सम्बंधित है।"
2. मॉग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मेयर्स के अनुसार," वस्तु की मांग उन मात्राओं का एक कार्यक्रम है जिन्हें
क्रेता सभी संभव कीमतों पर किसी एक समय मे तत्काल खदीदने के इच्छुक होते है।"
3. बाजार से आप क्या समझते है।
उत्तर-
"बाजार एक ऐसा संयंत्र है जिसके द्वारा क्रेताओं तथा विक्रेताओं को इकट्ठा किया
जाता है, इसका स्थान निश्चित होना जरूरी नहीं है।"
4. कुल उपयोगिता क्या है।
उत्तर-
उपभोक्ता द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तु की सभी इकाइयों से प्राप्त उपयोगिता के संपूर्ण
योग को कुल उपयोगिता कहते हैं।
TU
= ΣMU
5. राष्ट्रीय आय को परिभाषित करें।
उत्तर-
राष्ट्रीय आय का अर्थ है एक देश के सभी निवासियों द्वारा एक वर्ष की अवधि में अर्जित
कुल साधन (कारक) आय का जोड़।
`NY=\sum_{i=1}^nFY_i`
यहां NY = राष्ट्रीय आय , ∑ = कुल जोड़ , FY = कारक आय ( मजदूरी ,लगान , व्याज , लाभ ) , n = एक देश के सभी सामान्य निवासी।
6. मौद्रिक नीति क्या है।
उत्तर-
प्रो. हैरी जॉनसन के अनुसार," मौद्रिक नीति का तात्पर्य उस नीति से है जिसके द्वारा
केंद्रीय बैंक सामान्य आर्थिक नीति के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए मुद्रा की पूर्ति
को नियंत्रित करता है।"
7. वस्तु विनिमय प्रणाली से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
विनिमय की वह प्रणाली, जिसमें विनिमय के साधन के रूप में मुद्रा का प्रयोग नहीं होकर,
वस्तु का प्रयोग होता है, वस्तु विनिमय प्रणाली के नाम से जानी जाती है।
8. सरकारी बजट की परिभाषा दें ?
उत्तर-
सरकारी बजट एक वित्तीय वर्ष ( अप्रैल 1 से मार्च 31 तक ) की अवधि के दौरान सरकार की
प्राप्तियों ( आय ) तथा सरकार के व्यय के अनुमानों का विवरण होता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न - प्रश्न संख्या 9-10 में से किन्हीं छ. प्रश्नों के उत्तर दीजिए
9. एकाधिकार की परिभाषा दें तथा इसकी किन्ही तीन विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर-
अंग्रेजी के मोनोपोली शब्द का अर्थ एक विक्रेता से होता है अंग्रेजी के मोनो का अर्थ
है एक और पोली का अर्थ है विक्रेता।
अतएव
एकाधिकार बाजार की वह स्थिति है जिसमें किसी वस्तु या सेवा का केवल एक ही उत्पादक होता
है तथा उस वस्तु का कोई निकटतम प्रतिस्थापन नहीं होता।
विशेषताएं
1.
एक विक्रेता तथा अधिक क्रेता :- एकाधिकार में एक ही फार्म होती है परंतु वस्तु के
क्रेता काफी संख्या में होते हैं जिसके फलस्वरूप वस्तु की कीमत को कोई एक क्रेता प्रभावित
नहीं कर सकता।
2.
नई फर्मों के प्रवेश पर बाधायें :- प्राय एकाधिकारी उद्योग में नई फर्मों के प्रवेश
पर कुछ बाधाएं या प्रतिबंध होते हैं जैसे पेटेंट अधिकार।
3.
निकटतम स्थानापन्न का अभाव :- एक विशुद्ध एकाधिकारी फर्म वह है जो ऐसी वस्तु का
उत्पादन कर रही है जिसका कोई प्रभावशाली स्थानापन्न नहीं होता।
10. व्यावसायिक बैंक के किन्हीं तीन कार्य बतलाएँ।
उत्तर-
"व्यावसायिक बैंक व वित्तीय संस्था है जो लोगों के रुपये को अपने पास जमा के रूप
में स्वीकार करती हैं और उनको उपभोग अथवा निवेश के लिए उधार देती है।"
व्यवसायिक
बैंकों के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं -
1.
जमा प्राप्त करना :- व्यवसायिक बैंकों का एक मौलिक कार्य
जनता से जमा प्राप्त करना है। जनता से प्राप्त जमा पर बैंक कुछ ब्याज भी देते हैं तथा
इसी जमा की रकम को अधिक ब्याज की दरों पर कर्ज दे कर मुनाफा प्राप्त करते हैं।
व्यवसायिक
बैंक तीन प्रकार के खातों में रकम जमा करते हैं
(क)
स्थायी जमा खाता (ख) चालू खाता (ग) बचत बैंक खाता
2.
ऋण देना :- व्यवसायिक बैंक खातों में जो जमा की रकम
प्राप्त करते हैं उसे विभिन्न उत्पादक कार्यों के लिए अपने ग्राहकों को ऋण के रूप में
देते हैं। विभिन्न खातों में जमा रकम पर चुकाई गई ब्याज की राशि एवं ऋणों से प्राप्त
ब्याज की राशि का अंतर ही बैंक का मुनाफा होता है। बैंक निम्न प्रकार से ऋण देते हैं
-
(a)
अधिविकर्ष (b) नकद साख (c) ऋण एवं अग्रिम (d) विनिमय बिलों अथवा हुण्डियो का बट्टा
करना तथा (e) याचना तथा अल्प सूचना ऋण
3.
सामान्य उपयोगिता सम्बन्धी कार्य :- बैंक के सामान्य
उपयोगिता संबंधी कार्य निम्न है - (a) विदेशी विनिमय का क्रय विक्रय (b) बहुमूल्य वस्तुओं
की सुरक्षा (c) साख प्रमाण पत्र एवं अन्य साख पत्रों को जारी करना (d) ग्राहकों को
दूसरे की साख के बारे में जानकारी देना (e) व्यावसायिक सूचना तथा आर्थिक आंकड़े एकत्रित
करना (f) वित्तीय मामलों के संबंध में सलाह देना (g) मुद्रा को एक स्थान से दूसरे स्थान
पर भेजने की सुविधा।
11. उत्पादन फलन क्या है।
उत्तर-
वाटसन के शब्दों में,"एक फर्म के भौतिक उत्पादन और उत्पादन के भौतिक कारको के
संबंध को उत्पादन फलन कहा जाता है।"
Qx
= f ( L, K )
जहां , Qx = x वस्तु का भौतिक उत्पादन , L = श्रम की भौतिक
इकाइयां ,
K = पूंजी की भौतिक इकाइयां , f = फलन
12. किसी वस्तु की मांग को प्रभावित करने वाले कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
मांग को प्रभावित या निर्धारित करने वाले तत्त्व
(1)
आय में परिवर्तन :- जब लोगों की आय बढ़ जाती है तो उनकी
क्रय शक्ति बढ़ जाती है और वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है ।आय के घटने से कम वस्तुओं
की मांग होने लगती है।
(2)
मूल्य में परिवर्तन :- सामान्यता कीमत के कम होने
पर वस्तुओं की मांग बढ़ती है और कीमत के बढ़ जाने पर वस्तुओं की मांग घट जाती है।
(3)
जनसंख्या में परिवर्तन :- जनसंख्या के बढ़ने पर समस्त
वस्तुओं की पहले की तुलना में मांग बढ़ जाती है और जनसंख्या के घट जाने पर मांग कम
हो जाती है।
(4)
जलवायु तथा मौसम में परिवर्तन :- वर्षा के मौसम में छाते
तथा बरसाती की मांग होती है । जाड़ा में ऊनी कपड़ों की तथा गर्मी में कूलर ,ठंडे पेय
पदार्थों की मांग बढ़ती है।
(5)
अनुमान में परिवर्तन :- जब किसी कारण से भविष्य
में किसी वस्तु के न मिलने का अनुमान होने लगता है तो अधिक कीमत पर भी अधिक मांग होती
है।
(6)
आय के वितरण में परिवर्तन (7) आदत , रुचि एवं फैशन में परिवर्तन (8) विज्ञापन
13. उत्पादन संभावना वक्र क्या हैं।
उत्तर-
एक ऐसा वक्र जो दिए हुए साधनों तथा तकनीक द्वारा दो वस्तुओं के उत्पादनों की वैकल्पिक
संभावनाओं को प्रकट करता है, उत्पादन संभावना वक्र कहलाता है।
14. समग्र मांग के घटकों को लिखिए।
उत्तर-
समग्र मांग के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं -
1.
निजी उपभोग व्यय (C) :- इसमें देश के
गृहस्थो/परिवारो द्वारा एक लेखा वर्ष में, सभी वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए की गई
मांग को शामिल किया जाता है।
2.
निजी निवेश मांग (I) :- इससे अभिप्राय निजी
निवेशकर्ताओं द्वारा पूंजी पदार्थों की खरीद पर करने वाले व्यय से है।
3 सरकारी
व्यय (G) :- इसमें सरकारी उपभोग में व्यय तथा
सरकारी निवेश व्यय दोनों शामिल होते हैं। सरकारी उपभोग व्यय से अभिप्राय है
सैन्य/सुरक्षा प्रयोग के लिए वस्तुओं के उपभोग की खरीद पर खर्च/सरकारी निवेश व्यय से
अभिप्राय है सड़कों,डैमो तथा पुलो के निर्माण पर किया जाने वाला व्यय।
4.
शुद्ध निर्यात (X -M) :- विदेशियों द्वारा
हमारी वस्तु के लिए किए गए व्यय को अर्थव्यवस्था में कुल व्यय (समग्र मांग)
मे जोड़ा जाता है, जबकि आयात पर किए जाने वाले व्यय को घटाया जाता है। अतः X
- M (शुद्ध निर्यात) को समग्र मांग (AD) में जोड़ा जाता है।
अतः
समग्र मांग के प्रमुख तत्त्व है -
AD
= C + I + G + ( X- M) [ खुली अर्थव्यवस्था में ]
or,
AD = C + I [ बन्द अर्थव्यवस्था में ]
जहां
, AD = समग्र मांग , C = निजी उपभोग व्यय , I = निजी निवेश व्यय ,
G
= सरकारी व्यय, X - M = शुद्ध निर्यात
15. मुद्रा
के किन्ही तीन मुख्य कार्यों का वर्णन करें
उत्तर- प्रो. किनले ने मुद्रा के कार्यो
को निम्नलिखित तीन वर्गो में विभाजित किया है -
(A)
प्राथमिक
या मुख्य कार्य
:- इसे
आधारभूत अथवा मौलिक कार्य भी कहते हैं।
मुद्रा
के मुख्य कार्य दो है
-
1.
विनिमय
का माध्यम
:- वस्तु
विनिमय प्रणाली की एक मुख्य कठिनाई यह थी कि उनमें आवश्यकताओ के दोहरे संयोग का अभाव
पाया जाता था। मुद्रा ने इस कठिनाई को दूर कर दिया है। आज किसी वस्तु को बेचकर मुद्रा
प्राप्त कर ली जाती है और उस मुद्रा से आवश्यकतानुसार बाजार में वस्तुएं खरीदी जाती
है। अर्थात मुद्रा विनिमय का माध्यम है।
2.
मूल्य
का मापक
:- मुद्रा
लेखे की इकाई के रूप में मूल्य का मापदंड करती है लेखे की इकाई से अभिप्राय यह है कि
प्रत्येक वस्तु तथा सेवा का मूल्य मुद्रा के रूप में मापा जाता है। मुद्रा के द्वारा
सभी वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य अथवा कीमतों को मापा जा सकता है तथा व्यक्त किया जा
सकता है।
(B)
गौण
अथवा सहायक कार्य
:- इस
श्रेणी में उन कार्यों को सम्मिलित करते हैं जो प्राथमिक कार्यों के सहायक है। इसमें
निम्न कार्य है
-
1.
स्थगित
भुगतानो का मान
:- जिन
लेन-देनो का भुगतान तत्काल न करके भविष्य के लिए स्थगित कर दिया जाता है उन्हें स्थगित
भुगतान कहा जाता है। मुद्रा को स्थगित भुगतानो का मान इसलिए माना गया है क्योंकि - (क) अन्य किसी वस्तु की तुलना में
इसका मूल्य स्थिर रहता है
(ख)
इसमें सामान्य स्वीकृति का गुण पाया जाता है (ग) अन्य वस्तुओं की तुलना में यह अधिक टिकाऊ है (घ) स्थगित भुगतानो के मान के रूप
में कार्य करके मुद्रा पूंजी निर्माण में सहायक होती है।
2.
मूल्य
का संचय
:- मुद्रा
के मूल्य संचय से अभिप्राय यह है कि मुद्रा को वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए खर्च करने
का तुरंत कोई विचार नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी आय का कुछ भाग भविष्य के लिए बचाता
है। इसे ही मूल्य का संचय कहा जाता है। मुद्रा के रूप में मूल्य का संचय करना सरल होता
है क्योंकि
(क) मुद्रा को सब लोग स्वीकार कर
लेते हैं
(ख)
मुद्रा के मूल्य में अधिक कमी या वृद्धि नहीं होती है (ग) मुद्रा का संग्रह सरलता से
किया जा सकता है
(घ) मुद्रा के रूप में बचत करने
में बहुत कम स्थान की आवश्यकता होती है।
3. मूल्य का हस्तांतरण :- मुद्रा मूल्य के हस्तांतरण
का कार्य करती है,
क्योंकि
इसके माध्यम से कोई व्यक्ति अपनी क्रय शक्ति दूसरे को दे सकता है अथवा एक स्थान पर
अपनी अचल संपत्ति को बेच कर दूसरे स्थान पर संपत्ति खरीद सकता है।
(C)
आकस्मिक
कार्य
:- मुद्रा
के आकस्मिक कार्य निम्नलिखित है
(a)
सामाजिक
आय का वितरण
(b) साख
निर्माण का आधार
(c) अधिकतम
संतुष्टि का माप
(d) राष्ट्रीय
आय का वितरण
(e) शोधन
क्षमता की गारंटी
(f) पूंजी
की तरलता में वृद्धि।
16. पूर्ति क्या है ? पूर्ति के नियम बतलाएँ।
उत्तर-
किसी वस्तु की उस मात्रा से लगाया जाता है,
जिसे को विक्रेता
'एक निश्चित समय'
तथा 'एक
निश्चित कीमत' पर
बाजार में बेचने के लिए तैयार रहते हैं।
प्रो. डुली के शब्दों में," पूर्ति का नियम बताता है कि
जितनी कीमत अधिक होगी उतनी ही पूर्ति अधिक होती है और कीमत कम होने पर पूर्ति कम हो
जाती है।"
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न - संख्या 17-21 में से किन्ही चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
17. पैमाने के प्रतिफल की अवधारणा को चित्र सहित समझाइए ।
उत्तर- पैमाने का प्रतिफल दीर्घकालीन उत्पादन फलन
को प्रदर्शित करता है।साधनों के पैमाने में परिवर्तन के फलस्वरुप उत्पादन में जो परिवर्तन
होता है उसे पैमाने का प्रतिफल कहते हैं।
उत्पादन के साधनों के निरपेक्ष इकाई में
इस प्रकार वृद्धि की जाए कि साधनों का अनुपात स्थिर रहे तो इसका अर्थ होता है कि पैमाने
में वृद्धि की गई है।
इस
रेखा चित्र में OR उत्पादन की रेखा है। यह बताता है कि इसके प्रत्येक
बिंदु पर साधन का अनुपात स्थिर रहता है।
`\frac{AK_1}{OK_1}=\frac{BK_2}{OK_2}`
अर्थात
सभी साधनों को X गुना बढ़ाया जाए तो साधनों का अनुपात स्थिर होगा।
पैमाने
के प्रतिफल के नियम
(1)
पैमाने का वृद्धिमान प्रतिफल :- उत्पादन के सभी साधनों
को जिस अनुपात में बढ़ाया जाता है उत्पादन में अगर उससे अधिक अनुपात में वृद्धि हो
तो उसे पैमाने का विद्धिमान प्रतिफल कहा जाता है।
Y = f ( a, b, c.........)
जहां
, Y = उत्पादन f = फलन a,b,c............= साधन
Xα.y = f (na,nb,nc...........)
अगर
वस्तु α >1 हो तो यह पैमाने
का वृद्धिमान प्रतिफल प्रदर्शित करेगा। रेखा चित्र में हर अगले सम उत्पाद वक्र
(IQ) के बीच की दूरी क्रमशः घटती जाती है जो दर्शाता है कि साधन जिस अनुपात में बढ़ता
है उत्पादन उससे अधिक अनुपात में बढ़ता है।
BC<AB<OA
पैमाने के वृद्धिमान प्रतिफल के कारण :-
a.
तकनीकी बचत
b.
श्रम संबंधी बचत
c.
वित्तीय बचत
d.
विपणन मितव्ययिता
e.
शोध,प्रयोग एवं विज्ञापन से लाभ
(2)
पैमाने के स्थिर प्रतिफल :- जिस अनुपात में साधनों
को बढ़ाया जाता है ठीक उसी अनुपात में उत्पादन में वृद्धि होती है तो इसे पैमाने का
स्थिर प्रतिफल करते हैं।
Xα.y
= f (na,nb,nc...........)
अगर वस्तु α =1 हो तो यह पैमाने का स्थिर प्रतिफल प्रदर्शित करेगा।
चित्र
में हर अगले सम उत्पाद वक्र की दूरी समान रहती है जो दर्शाता है कि जिस अनुपात में
साधन लगता है उत्पादन उसी अनुपात में होता है।
OA=AB=BC
पैमाने
के स्थिर प्रतिफल के कारण :-
A.
आंतरिक एवं बाह्य बचत आंतरिक एवं बाह्य हानियों के बराबर होता है।
B.
एक फार्म के विस्तार से कुछ सीमा तक पैमाने के बढ़ते प्रतिफल की अवस्था के बाद पैमाने
के स्थिर प्रतिफल की एक लम्बी अवस्था होती है।
C.
कॉब-डग्लस उत्पादन फलन :- कॉब-डग्लस के अनुसार अधिकांश
उद्योगों पर लंबे समय तक पैमाने के स्थिर प्रतिफल लागू होता है।
Q
= K La C1-a
= K (gL)a (gC)1-a
= K gaLa g1-aC1-a
= ga+1-a K La C1-a
= g (KLa C1-a)
= g (Q)
इस प्रकार साधनों को g गुणा बढ़ाने से उत्पादन भी g गुणा बढ़ता है जो पैमाने के स्थिर प्रतिफल को दर्शाता है।
(3) पैमाने का ह्रासमान प्रतिफल :- जिस अनुपात में साधनों में वृद्धि की जाती है उसे कम अनुपात में जब उत्पादन में वृद्धि होती है तो उसे पैमाने का ह्रासमान प्रतिफल कहते हैं।
Xα.y = f(na,nb,nc...........)
अगर वस्तु α < 1 हो तो यह पैमाने का स्थिर प्रतिफल प्रदर्शित करेगा।
चित्र
में हर अगले सम उत्पाद वक्रो की दूरी क्रमशः बढ़ती जाती है। जो दर्शाता है कि जिस अनुपात
में साधनों को लगाया जाता है उत्पादन उससे कम अनुपात में बढ़ता है
OA<AB<BC
ह्रासमान
प्रतिफल के कारण :-
A.
पैमाने का घटता हुआ प्रतिफल
B.
प्राकृतिक साधनों की स्थिर मात्रा
C.
आंतरिक एवं बाह्य हानियां
अथवा
केन्द्रीय बैंक के कार्यों को बतलाएँ।
उत्तर-
डी. कॉक के शब्दों में," केंद्रीय बैंक का बैंक है जो देश की मौद्रिक तथा बैंकिंग
प्रणाली के शिखर पर होता है"
भारत
का केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है जिसकी स्थापना 1 अप्रैल 1935 ई. को की गई।
एक
केंद्रीय बैंक द्वारा किए जाने वाले मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं
1.
मुद्रा जारी करना :- वर्तमान समय में संसार के प्रत्येक
देश में नोट (मुद्रा ) छापने का एकाधिकार केवल केंद्रीय बैंक को ही प्राप्त होता है
और केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए गए नोट सारे देश में असीमित विधिग्राह्म के रूप में
घोषित होते हैं
2.
सरकार का बैंक :- केंद्रीय बैंक सभी देशों में सरकार
के बैंकर, एजेंट एवं वित्तीय परामर्शदाता के रूप में कार्य करते हैं। सरकार बैंकर के
रूप में यह सरकारी विभागों के खाते रखता है तथा सरकारी कोषों की व्यवस्था करता है।
यह सरकार के लिए उसी प्रकार कार्य करता है जिस प्रकार व्यवसायिक बैंक अपने ग्राहकों
के लिए करते हैं। आवश्यकता पड़ने पर सरकार को बिना ब्याज के ऋण दिया जाता है।
3. बैंकों का बैंक
:- केंद्रीय बैंक देश के अन्य बैंकों के लिए बैंक का कार्य करता है। केंद्रीय बैंक
अन्य बैंकों के नगद कोष का कुछ भाग अपने पास जमा के रूप में रखता है, ताकि ग्राहकों
की मांग होने पर वह उनके धन की अदायगी कर सके।
4.
बैंको का निरीक्षण :- बैंकों का बैंक होने के
कारण केंद्रीय बैंक वाणिज्य बैंकों का निरीक्षण भी करता है। इसके लिए उसे ये कार्य
करने होते हैं - (a) वाणिज्यिक बैंकों को लाइसेंस जारी करना (b) देश के विभिन्न भागों
तथा विदेशों में वाणिज्यिक बैंकों की शाखाएं खुलवा कर उनका विस्तार करना (c) वाणिज्यिक
बैंकों का विलयन तथा (d) बैंको का परिसमापन
5.
अन्तिम ऋणदाता 6. देश के विदेशी मुद्रा कोषों का संरक्षण 7. समाशोधन गृह का कार्य
8. साख मुद्रा का नियंत्रण 9. आंकड़े इकट्ठा करना 10. अन्य कार्य - (a) कृषि वित्त
(b) अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा सम्मेलन (c) मुद्रा तथा बिल बाजार (d) फटे पुराने नोट वापिस
लेना।
18. अर्थव्यवस्था में आय के वृताकार प्रवाह के दो क्षेत्रीय मॉडल की
व्याख्या कीजिए।
उत्तर- दो क्षेत्रकीय अर्थव्यवस्था में केवल दो क्षेत्र - फर्म व परिवार होते हैं। परिवार फर्मों को परिवार फर्मों को साधन सेवाएं प्रदान करते हैं, बदले में फार्म साधन सेवाओं का भुगतान परिवारों को करती है। इसी प्रकार फर्म परिवारों को वस्तुएं और सेवाएं प्रदान करती है तथा परिवार वस्तुओं और सेवाओं का भुगतान फर्म को करते हैं। परिवार उत्पादक क्षेत्र को भूमि, श्रम, पूंजी तथा उद्यम प्रदान करते हैं। फर्म परिवारों को मजदूरी, लगान, व्याज व लाभ के रूप में भुगतान करती है। इसे निम्न प्रकार दर्शा सकते हैं।
अथवा
व्यापारिक बैंक के कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
"व्यावसायिक बैंक व वित्तीय संस्था है जो लोगों के रुपये को अपने पास जमा के रूप
में स्वीकार करती हैं और उनको उपभोग अथवा निवेश के लिए उधार देती है।"
व्यवसायिक
बैंकों के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं -
1.
जमा प्राप्त करना :- व्यवसायिक बैंकों का एक मौलिक कार्य
जनता से जमा प्राप्त करना है। जनता से प्राप्त जमा पर बैंक कुछ ब्याज भी देते हैं तथा
इसी जमा की रकम को अधिक ब्याज की दरों पर कर्ज दे कर मुनाफा प्राप्त करते हैं।
व्यवसायिक
बैंक तीन प्रकार के खातों में रकम जमा करते हैं
(क)
स्थायी जमा खाता (ख) चालू खाता (ग) बचत बैंक खाता
2.
ऋण देना :- व्यवसायिक बैंक खातों में जो जमा की रकम
प्राप्त करते हैं उसे विभिन्न उत्पादक कार्यों के लिए अपने ग्राहकों को ऋण के रूप में
देते हैं। विभिन्न खातों में जमा रकम पर चुकाई गई ब्याज की राशि एवं ऋणों से प्राप्त
ब्याज की राशि का अंतर ही बैंक का मुनाफा होता है। बैंक निम्न प्रकार से ऋण देते हैं
-
(a)
अधिविकर्ष (b) नकद साख (c) ऋण एवं अग्रिम (d) विनिमय बिलों अथवा हुण्डियो का बट्टा
करना तथा (e) याचना तथा अल्प सूचना ऋण
3.
सामान्य उपयोगिता सम्बन्धी कार्य :- बैंक के सामान्य
उपयोगिता संबंधी कार्य निम्न है - (a) विदेशी विनिमय का क्रय विक्रय (b) बहुमूल्य वस्तुओं
की सुरक्षा (c) साख प्रमाण पत्र एवं अन्य साख पत्रों को जारी करना (d) ग्राहकों को
दूसरे की साख के बारे में जानकारी देना (e) व्यावसायिक सूचना तथा आर्थिक आंकड़े एकत्रित
करना (f) वित्तीय मामलों के संबंध में सलाह देना (g) मुद्रा को एक स्थान से दूसरे स्थान
पर भेजने की सुविधा।
4.
एजेन्सी के कार्य :- बैंक अपने ग्राहकों के एजेण्ट के रूप
में कार्य करते हैं जिन्हें एजेन्सी के कार्य कहा जाता है। इसमे निम्नलिखित प्रमुख
है - (a) प्रतिभूतियों का क्रय विक्रय (b)
ग्राहकों की ओर से भुगतान का काम करना (c) ग्राहकों के लिए भुगतान प्राप्त करना
(d) चेक एवं अन्य साख पत्रों के भुगतान को इकट्ठा करना (e) प्रतिनिधि के समान कार्य
करना (f) ग्राहकों की ओर से विनिमय बिलों को स्वीकार करना।
19. वस्तु विनिमय प्रणाली क्या है? वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों
का वर्णन करें।
उत्तर-
जब एक वस्तु का विनिमय प्रत्यक्ष रूप में दूसरी वस्तु से होता है तो उसे वस्तु विनिमय
कहा जाता है। अन्य शब्दों में, वस्तु विनिमय प्रणाली उस प्रणाली को कहा जाता है जिसमें
वस्तु का लेन-देन वस्तु से किया जाता है।
वस्तु
विनिमय प्रणाली की निम्नलिखित कमियाँ हैं
1.
आवश्यकताओं के दोहरे संयोग का अभाव-वस्तु विनिमय के लिए
आवश्यक है कि एक व्यक्ति की आवश्यकता की वस्तु दूसरे व्यक्ति के पास हो और जो वस्तु
दूसरा व्यक्ति चाहता है, वह पहले के पास हो। दूसरे शब्दों में, पहले व्यक्ति की वस्तु
की पूर्ति, दूसरे की माँग की वस्तु हो और दूसरे व्यक्ति की। पूर्ति की वस्तु, पहले
व्यक्ति के माँग की वस्तु हो। जब तक आवश्यकताओं को इस प्रकार का दोहरा संयोग नहीं होता,
वस्तु की लेन-देन नहीं हो सकती। उदाहरण के लिए यदि किसी के पास जूता है, परन्तु वह
उसके बदले में गेहूँ तैयार नहीं तो विनिमय संभव नहीं है।
2.
सामान्य लेखा इकाई का अभाव-वस्तु विनिमय प्रणाली में
भिन्न-भिन्न वस्तुओं का मूल्य जानने के लिए और तुलना करने के लिए कोई सर्वमान्य मापक
नहीं है। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति गेहूँ का लेन-देन करना चाहता है तो उसे गेहूं
का मूल्य कपड़े के रूप में (1 किलो गेहूँ = 1 मीटर कपड़ा), दूध के रूप में (1 किलो
गेहूँ = 2 लीटर दूध) आदि बाजार में उपलब्ध हर वस्तु के रूप में पता होना चाहिए। यह
अत्यन्त कठिन कार्य है।
3.
स्थगित भुगतान के मानक का अभाव-वस्तु विनिमय व्यवस्था में
वस्तुओं का भविष्य में भुगतान करने में कठिनाई होती है। इस प्रणाली में ऐसी कोई इकाई
नहीं होती जिसे स्थगित/भविष्य भुगतान के मानक के रूप में प्रयोग कर सकें। वस्तुओं के
रूप में भावी भुगतानों का वस्तुओं के रूप में भुगतान किया जाए तो इसमें कई कठिनाइयाँ
उत्पन्न होती हैं। जैसे भविष्य में दी जानेवाली वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता को लेकर
विवाद, भविष्य में भुगतान की वस्तु पर असहमति, अनुबंध की अवधि के दौरान वस्तु के अपने
मूल्यमान में उतार-चढ़ाव का जोखिम जिससे एक को लाभ तथा दूसरे को हानि होने की संभावना
रहती है। उदाहरण के लिए कीमत X ने 10 वर्ष के लिए अपना रथ श्रीमान Y को दिया। 10 वर्ष
बाद वह वही रथ नहीं लौटा सकता, क्योंकि वे पुराने हो गए। यदि वह नया रथ लौटाता है तो
गुणवत्ता पहले वाले रथ से अधिक भी हो सकती है और कम भी।
4.
मूल्य संचय का अभाव-यहाँ मूल्य को संचय वस्तुओं
के रूप में हो सकता है, परन्तु मूल्य को वस्तुओं के रूप में संचित करने में निम्नलिखित
कठिनाइयाँ हैं|
a.
मूल्य को वस्तुओं के रूप में संचित करने में अधिक स्थान की आवश्यकता पड़ती है।
b.
वस्तुएँ नाशवान होती हैं।
c.
वस्तुओं के मूल्य में अंतर आ जाता है।
d.
वस्तुओं को रखे हुए भी मूल्यहास होता है। उदाहरण के लिए यदि एक व्यक्ति अपनी बेटी के
विवाह के लिए मूल्य का संचय करना चाहता है तो वह क्या संचय करेगा? क्या वह बारातियों
का भोजन बनवाकर रख देगा? क्या वह फर्नीचर खरीदकर रख देगा?
5.
अन्य कठिनाइयाँ-
a.
वस्तु विनिमय में ऐसी वस्तुओं के लेन-देन में बहुत कठिनाई आती है जिसका विभाजन और उपविभाजन
नहीं हो सकता। मान लो 1 बैल = 100 किलो गेहूँ परन्तु बैल का मालिक केवल 50 किलो गेहूं
खरीदना चाहता है तो वह आधा बैल नहीं दे सकता।
b.
वस्तु विनिमय प्रणाली के अन्तर्गत यदि कोई व्यक्ति एक स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान
पर जाना चाहता है तो वह अपने धन को दूसरे स्थान पर ले जाने में असमर्थ हो सकता है।
जैसे कोई अपने खेत एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं ले जा सकता।
अथवा
संतुलित बजट आधिक्य बजट तथा घाटे के बजट की व्याख्या करें ।
उत्तर-
बजट की तीन श्रेणियाँ होती हैं संतुलित बजट, बचत बजट और घाटे का बजट। प्रत्येक का विवरण
इस प्रकार से है
1.
संतुलित बजट-सरकार का वह बजट जिसमें सरकार की अनुमानित
प्राप्तियाँ (राजस्व व पूँजी) सरकार के अनुमानित व्यय के बराबर दिखाई गई हों, संतुलित
बजट कहलाता है।
उदाहरण
के लिए, सरलता के लिए मान लीजिए कि सरकार के राजस्व (आय) का एकमात्र स्रोत एकमुश्त
कर है। यदि कर राजस्व, सरकारी व्यय के बराबर है तो यह संतुलित बजट कहलाएगा।
सांकेतिक
रूप में संतुलित बजट वह है जिसमें
संतुलित
बजट : अनुमानित प्राप्तियाँ = अनुमानित व्यय
परंपरावादी
(Classical) अर्थशास्त्री सदा संतुलित बजट के पक्षधर रहे हैं परंतु केञ्ज व आधुनिक
अर्थशास्त्री इससे सहमत नहीं रहे। उनके मत में संतुलित बजट के कुल व्यय (सरकारी तथा
निजी व्यय), पूर्ण रोज़गार की अवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक व्यय से कम रहता है।
इसलिए सरकार ने इस अंतराल को भरने के लिए अपना व्यय बढ़ाना चाहिए अर्थात् घाटे का बजट
अपनाना चाहिए।
असंतुलित
बजट वह बजट है जिसमें सरकार का अनुमानित व्यय, सरकार की अनुमानित प्राप्तियों से कम
या अधिक दिखाया गया हो। असंतुलित बजट के दो रूप हो सकते हैं-सरकारी व्यय या तो सरकारी
प्राप्तियों से अधिक है या कम है।
2.
बचत (आधिक्यपूर्ण) बजट-जब बजट में सरकार की प्राप्तियाँ
सरकार के खर्चों से अधिक दिखाई जाती हैं तो उस बजट को बचत का बजट,कहते हैं। दूसरे शब्दों
में, बचत बजट उस स्थिति का प्रतीक है जब सरकार का राजस्व, सरकार के व्यय से अधिक होता
है। सांकेतिक रूप में
बचत
बजट = अनुमानित सरकारी प्राप्तियाँ > अनुमानित सरकारी व्यय
आधिक्यपूर्ण
(बचत) बजट दर्शाता है कि सरकार अधिक मुद्रा उगाह रही है और आर्थिक प्रणाली में उससे
कम मुद्रा डाल रही है। फलस्वरूप समग्र माँग (Aggregate Demand) गिरने लगती है जिससे
कीमत स्तर भी गिरने लगता है। अतः मंदी या अवस्फीतिक (Deflation) की स्थिति में, बचत
बजट से बचना चाहिए (अर्थात् घाटे का बजट अपनाना चाहिए)। हाँ तेजी व स्फीतिकारी
(Inflationary) स्थिति में बचत का बजट लाभकारी व उचित माना जाता है।
3.
घाटे का बजट-जब बजट में सरकारी व्यय, सरकारी प्राप्तियों
से अधिक दिखाया जाता है तो उस बजट को घाटे का बजट कहते हैं। दूसरे शब्दों में, घाटे
के बजट में सरकारी व्यय, सरकार की आय से अधिक होता है। सांकेतिक रूप में
घाटे
का बजट = अनुमानित सरकारी प्राप्तियाँ < अनुमानित सरकारी व्यय
विकासशील
अर्थव्यवस्था के लिए घाटे के बजट के दो विशेष लाभ हैं-
*
यह आर्थिक संवृद्धि की गति को बढ़ाता है और
*
यह लोगों के कल्याणकारी कार्यक्रम को लागू करने में सहायक है।
साथ
ही घाटे के बजट के दोष भी हैं; जैसे-
*
यह सरकार की अनावश्यक और फिजूलखर्ची को बढ़ाता है और
*
इससे वित्तीय और राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न होने का डर बना रहता है।
संक्षेप
में, तेजी (निरंतर बढती हुई कीमतों की स्थिति में बचत वाला बजट और मंदी (कीमतों और
रोजगार स्थिति में घाटे वाला बजट अपनाना चाहिए।
20. एक फर्म की कुल स्थिर लागत कुल परिवर्ती (परिवत्तनर्शील) लागत तथा
कुल लागत क्या है ? वे किस प्रकार संबंधित है ?
उत्तर
- कुल लागत (TC): इससे हमारा अभिप्राय उन सभी लागतों से हैं जिसका सम्बन्ध
एक वस्तु के उत्पादन से है। यह किसी वस्तु के उत्पादन पर किए गए कुल व्यय का योग है।
कुल
स्थिर लागत (TFC): इससे हमारा अभिप्राय
उन लागतों से हैं जो विभिन्न उत्पादन स्तरों पर एक-समान रहती हैं।
कुल
परिवर्ती लागत (TVC): इससे हमारा अभिप्राय
उन लागतों से हैं जो उत्पादन में परिवर्तन के साथ-साथ परिवर्तित होती हैं।
कुल
लागत (TC), कुल स्थिर लागत (TFC), कुल परिवर्ती लागत (TVC) के बीच संबंध:
कुल
लागत को दो भागों में बाँटा जाता हैं : कुल स्थिर लागत तथा कुल परिवर्तनशील लागत।
कुल
लागत (TC), कुल स्थिर लागत (TFC) तथा कुल परिवर्ती लागत (TVC) का योग है। अर्थात्
कुल
लागत (TC) = कुल परिवर्तनशील लागत (TFC) + कुल परिवर्ती लागत (TVC)
कुल लागत (TC), कुल स्थिर लागत (TFC), कुल परिवर्ती लागत (TVC) वक्र को संलग्न चित्र द्वारा भी दर्शा सकते है;
परिवर्ती
अनुपातों के नियम के कारण कुल परिवर्ती लागत वक्र(TVC) उलटे 'S' आकार
का होता है जो मूल बिंदु से आरम्भ होता है। इसी प्रकार कुल लागत वक्र
(TC) भी उलटे 'S' आकार का होता है जो स्थिर लागत के स्तर से आरम्भ होता
है। कुल स्थिर लागत (TFC) ऊपरी लागत हैं, जो उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर
स्थिर रहती है। इसलिए कुल स्थिर लागत वक्र 'X' अक्ष के समानांतर एक आड़ी रेखा
है।
अथवा
माँग की रेखा नीचे दाहिनी ओर क्यों गिरती है ?
उत्तर
- माँग की रेखा नीचे दाहिनी ओर गिरने के निम्नलिखित कारण है -
(1)
सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम :- वस्तु की सीमांत उपयोगिता
(MU) के ही आधार पर कोई व्यक्ति किसी वस्तु की कीमत देना चाहता है। अधिक MU पर अधिक
कीमत तथा मांग , जबकि कम MU पर कम कीमत तथा मांग होती है। चूॅकि MU रेखा ऊपर से नीचे
झुकी रहती है इसलिए मांग की रेखा भी ऊपर से नीचे दाहिनी ओर झुकी रहती है।
(2)
आय प्रभाव :- एक वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने के फलस्वरूप
खरीददार की वास्तविक आय में परिवर्तन होने के कारण वस्तु की मांगी गई मात्रा में होने
वाले परिवर्तन को आए प्रभाव कहा जाता है ।
अगर
कीमत अधिक हो जाती है तो उपभोक्ता की उस वस्तु के रूप में वास्तविक आय घट जाती है जिससे
मांग घट जाती है।
(3)
सम-सीमांत उपयोगिता नियम :- प्रत्येक वस्तु की मात्रा
अधिक खरीदने से उसकी सीमांत उपयोगिता कम हो जाती है। इसलिए उपभोक्ता उस वस्तु की अधिक
मात्रा तभी खरीदेगा जब उस वस्तु की कीमत कम होकर सीमांत उपयोगिता के बराबर हो जाएगी।
इससे स्पष्ट होता है कि कीमत कम होने पर वस्तु की अधिक मात्रा खरीदी जाएगी तथा कीमत
बढ़ने पर कम मात्रा खरीदी जाएगी।
(4)
उपभोक्ता की संख्या में परिवर्तन :- प्रो. मेयर्स ने
इस तथ्य को स्पष्ट किया है ।जब किसी वस्तु के मूल्य में कमी होती है तो उसके क्रेताओं
की संख्या में वृद्धि हो जाती है; अतः वस्तु की बाजार मांग बढ़ जाती है । इसके विपरीत
जब किसी वस्तु का मूल्य बढ़ जाता है तो बहुत से क्रेता जिनकी आय कम होती है, इस वस्तु
का क्रय बंद कर देते हैं। अतः वस्तु की मांग घट जाती है।
21. आर्थिक समस्या क्या है। अर्थव्यवस्था की तीन मुख्य केन्द्रीय समस्याएँ
बतलाएं ।
उत्तर
- प्रो. एरिक रोल के शब्दों में, “आर्थिक समस्या निश्चित रूप से चयन की आवश्यकता से
उत्पन्न होने वाली समस्या है, जिसमें वैकल्पिक उपयोग वाले सीमीत संसाधनों का प्रयोग
किया जाता है।
अर्थव्यवस्था
की तीन मुख्य केन्द्रीय समस्याएँ-
(क)
क्या उत्पादन किया जाए :- इस अर्थव्यवस्था में उत्पादकों का उद्देश्य अधिकतम
लाभ कमाना होता है। अत: उत्पादक केवल उन्हीं वस्तुओं का उत्पादन करते हैं जिनकी मांग
पूर्ति की अपेक्षा अधिक होती है । मांग अधिक होने से इन वस्तुओं की कीमत भी अधिक होगी
और पूंजीपतियों को अधिक लाभ प्राप्त होगा।
(ख)
कैसे उत्पादन किया जाए:- उत्पादक उसी तकनीक का प्रयोग
करता है जिसकी लागत कम हो।
(ग)
किसके लिए उत्पादन किया जाए:- जिन की राष्ट्रीय आय में
हिस्सा अधिक होगी, उन्हीं लोगों के लिए अर्थव्यवस्था में उत्पादन किया जाएगा । क्योंकि
आय ही प्रभावपूर्ण मांग को बढ़ाती है
अथवा
यदि आय स्तर 1000 करोड़ रू० है। तथा MPC 0.50 है तो 200 करोड़ रू०
के निवेश की वृद्धि करने पर अर्थव्यवस्था की आय में कुल कितनी वृद्धि होगी ?
उत्तर
- यदि आय स्तर 1000 करोड़ रू०
MPC
= 0.50
∆I
= 200 करोड़ रू०
`K=\frac1{1-MPC}=\frac1{1-0.5}=2`
`K=\frac{\Delta Y}{\Delta I}`
`2=\frac{\Delta Y}{\200}`
∆Y
= 400
कुल आय में वृद्धि = 1000 + ∆Y = 1000+400 = 1400 करोड़ रू०
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
अध्याय
व्यष्टि अर्थशास्त्र
समष्टि अर्थशास्त्र
अध्याय 1
अध्याय 2
अध्याय 3
अध्याय 4
अध्याय 5
अध्याय 6
Solved Paper 2023
अध्याय | व्यष्टि अर्थशास्त्र | समष्टि अर्थशास्त्र |
अध्याय 1 | ||
अध्याय 2 | ||
अध्याय 3 | ||
अध्याय 4 | ||
अध्याय 5 | ||
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Solved Paper 2023 |