झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्,राँची
वार्षिक
इन्टरमीडिएट परीक्षा - 2024
मॉडल
प्रश्न पत्र
Class-12 |
Sub.
Economics |
Time
- 3 Hours |
Full
Marks- 80 |
सामान्य
निर्देश:-
•
परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में उत्तर दें।
•
सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
•
कुल प्रश्नों की संख्या 52 है।
•
प्रश्न 1 से 30 तक बहुविकल्पिय प्रश्न हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प दिए गए हैं।
सही विकल्प का चयन कीजिये। प्रत्येक प्रश्न के लिए 01 अंक निर्धारित है।
•
प्रश्न संख्या 31 से 38 तक अति लघु उत्तरीय प्रश्न है।
जिसमे से किन्ही 6 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान 2
अंक निर्धारित है।
•
प्रश्न संख्या 39 से 46 तक लघु उत्तरीय प्रश्न है। जिसमे
से किन्ही 6 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक
निर्धारित है।
•
प्रश्न संख्या 47 से 52 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न है।
किन्हीं 4 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक
निर्धारित है।
1. निम्नलिखित में से किस वक्र से संसाधनों के उत्तम विनिधान से दो
वस्तुओं की अधिकतम संभावित उत्पाद संयोग को दर्शाया जा सकता है?
(a)
समोत्पाद रेखा
(b)
माँग वक्र
(c)
कुल उत्पाद वक्र
(d) उत्पादन संभावना वक्र
2. निम्न में से किस प्रश्न का संबंध व्यष्टि अर्थशास्त्र से है? कूटों
का प्रयोग करते हुए सही विकल्प का चयन कीजिए।
i.
बाज़ार में किसी वस्तु की कीमत का निर्धारण कैसे होता है?
ii.
देश में संसाधनों का विनिधान कैसे हो?
iii.
एक फर्म का कुल निर्गत स्तर क्या है?
iv.
एक देश में वस्तुओं की कीमतें क्यों बढ़ती हैं?
(a)
i, ii and iv
(b)
i, iii, and iv
(c)
ii and iv
(d) I and iii
3. निम्न में से किस इकाई में उपयोगिता को मापा जा सकता है?
(a)
किलोमीटर
(b)
लीटर
(c)
ग्राम
(d) रुपया
4. यदि किसी वस्तु की माँग की कीमत लोच का मान 2 है तो उस वस्तु की
माँग होगी-
(a)
पूर्णतया लोचदार
(b) लोचदार
(c)
शून्य लोचदार
(d)
इकाई लोचदार
5. एक उपभोक्ता का अधिमान एकदिष्ट होता है। इस मान्यता के आधार पर एक
उपभोक्ता दो वस्तुओं के निम्न बंडलों में से किन बंडलों पर उदासीन होगा?
A
(3, 4), B (6, 7), C (1, 2), D (5, 2)
(a)
A and B
(b)
A and C
(c) A and D
(d)
B and D
6. निम्न में से पूरक वस्तुओं का एक उदाहरण है-
(a)
चाय और कॉफी
(b) कलम और स्याही
(c)
कलम और जूत्ते
(d)
रसगुल्ला और गुलाब जामुन
7. सामान्यतः एक औसत उत्पाद वक्र का आकार होता है?
(a)
एक सरल रेखा
(b)
'U' आकार का
(c)
अतिपरवलीय
(d) उल्टे 'U' आकार का
8. पैमाने का स्थिर प्रतिफल के उत्पादन फलन में यदि साधनों को दुगुना
वृद्धि की जाती है तो उत्पादन में वृद्धि --------होगी।
(a)
4 गुणा
(b)
1 गुणा
(c) 2 गुणा
(d)
3 गुणा
9. निम्नलिखित चित्र में आयत OABC का क्षेत्रफल क्या दर्शाता है।
(a)
कुललागत
(b)
औसत लागत
(c)
औसत स्थिर लागत
(d) कुल स्थिर लागत
10. पूर्णप्रतियोगी बाज़ार में फर्मों की संख्या होती है-
(a)
2
(b)
1
(c)
अल्प
(d) अत्यधिक
11. एक पूर्णप्रतियोगी फर्म के संतुलन की शर्त निम्न में से कौन-सी
है?
(a)
MR=MC तथा MR वक्र, MC वक्र को ऊपर से काटे
(b
) MR=MC तथा MR वक्र, MC वक्र को नीचे से काटे
(c)
MR=MC तथा MC वक्र, MR वक्र को ऊपर से काटे
(d) MR=MC तथा MC वक्र, MR वक्र को नीचे से काटे
12. एक फर्म के द्वारा वस्तु की कीमत में 10% की वृद्धि करने पर उसकी
पूर्ति की मात्रा 15% बढ़ जाती है तो वस्तु की पूर्ति होगी-
(a)
पूर्णतया लोचदार
(b)
इकाई लोचदार
(c)
शून्य लोचदार
(d) लोचदार
13. निम्नलिखित कथन और कारण के संबंध में कौन सा विकल्प सही है?
कथन
(A) : किसी वस्तु पर इकाई कर लगने से फर्म का पूर्ति वक्र बायीं ओर सरक जाता है।
कारण
(R) : किसी वस्तु पर इकाई कर लगने से फर्म की सीमांत लागत बढ़ जाती है।
(a)
A सही है लेकिन R गलत है।
(b)
A गलत है लेकिन R सही है।
(c) दोनों A और R सही है तथा R, की सही व्याख्या है।
(d)
दोनों A और R सही है तथा R, की सही व्याख्या नहीं है।
14. किसी वस्तु की माँग में वृद्धि होने से संतुलन कीमत पर क्या प्रभाव
पड़ता है?
(a) संतुलन कीमत में वृद्धि होती है।
(b)
संतुलन कीमत में कमी होती है।
(c)
संतुलन कीमत अपरिवर्तित रहती है।
(d)
संतुलन कीमत शून्य हो जाती है।
15. बाज़ार में माँग आधिक्य की स्थिति कब उत्पन्न होती है? जब-
(a)
D = S
(b)
S>D
(c) D>S
(d)
D-S = 0
16. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा
कथन सत्य है?
(a) उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व
(b)
उत्पादन का उद्देश्य जन कल्याण
(c)
सरकार का पूर्ण हस्तक्षेप
(d)
श्रमिकों की सेवा का क्रय-विक्रय संभव नहीं
17. मान लिया जाए एक देश में 2 लाख व्यक्ति रोजगार में संलग्न हैं तथा
10 हजार व्यक्ति कार्य करने को इच्छुक हैं लेकिन उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है तो
देश में बेरोजगारी की दर क्या होगी?
(a)
2%
(b)
10%
(c) 5%
(d)
20%
18. अर्थशास्त्र की भाषा में निवेश शब्द से क्या अभिप्राय है?
(a)
शेयर का क्रय
(b)
जमीन का क्रय
(c)
बीमा योजना में मुद्रा खर्च करना
(d) पूँजीगत वस्तुओं के स्टॉक में वृद्धि
19. आय के चक्रीय प्रवाह के दो क्षेत्रक मॉडल में कारक सेवाओं का प्रवाह
किस दिशा होता है?
(a)
फर्म से फर्म की ओर
(b) परिवार से फर्म की ओर
(c)
परिवार से परिवार की ओर
(d)
फर्म से परिवार की ओर
20. सरकार द्वारा भुगतान की गई वृद्धा पेंशन की राशि निम्नलिखित में
से किस समुच्चय का एक भाग होती है?
(a)
GDP
(b)
GNP
(c)
राष्ट्रीय आय
(d) वैयक्तिक आय
21. निम्नलिखित में से विनिमय का एक सर्वमान्य माध्यम कौन सा है?
(a)
चेकबुक
(b)
बंधपत्र
(c)
डिमांड ड्राफ्ट
(d) मुद्रा
22. ब्याज दर में वृद्धि का मुद्रा की नकदी माँग में क्या प्रभाव होता
है?
(a)
मुद्रा की नकदी माँग में वृद्धि होती है
b) मुद्रा की नकदी माँग में कमी होती है।
(c)
मुद्रा की नकदी माँग अपरिवर्तित रहती है
(d)
मुद्रा की नकदी माँग शून्य हो जाती है
23. अर्थव्यवस्था में मुद्रा की पूर्ति को बढ़ाने के लिए एक केन्द्रीय
बैंक के द्वारा अपनाए गए निम्न उपाय हैं। निम्न कूटों का प्रयोग करते हुए सही विकल्प
का चयन कीजिए।
a.
बैंक दर में कमी
b.
प्रतिभूतियों की बिक्री
c.
कोष अनुपात में कमी
(a)
a and b
(b)
b and c
(c) a and c
(d)
a, b and c
24. निम्नलिखित में से किस कर को कागजी कर कहा जाता है?
(a)
आयकर
(b)
निगम कर
(c) संपत्ति कर
(d)
सीमा शुल्क
25. निम्नलिखित में से प्रत्यक्ष कर का एक उदाहरण कौन सा है?
(a)
उत्पादन कर
(b)
उत्पाद कर
(c) निगम कर
(d)
सेवा कर
26. यदि आय में परिवर्तन से उपभोक्ता का उपभोग व्यय अपरिवर्तित रहता
है तो इस स्थिति में MPC का मान क्या होगा?
(a)
1 से अधिक
(b)
1
(c) 0
(d)
0 से कम
27. निम्न में से समग्र माँग का एक घटक नहीं है-
(a)
उपभोग व्यय
(b)
निवेश व्यय
(c)
निवल निर्यात
(d) वित्तीय परिसंपत्तियों पर व्यय
28. कुल निर्गत में परिवर्तन तथा स्वायत निवेश में परिवर्तन का अनुपात
क्या कहलाता है?
(a)
सीमांत की उपभोग प्रवृत्ति
(b)
बचत की औसत प्रवृत्ति
(c) गुणक
(d)
सीमांत की औसत प्रवृत्ति
29. विदेशी विनिमय दर क्या है?
(a)
वस्तु की वस्तु में कीमत
(b)
वस्तु की मुद्रा में कीमत
(c)
मुद्रा की वस्तु में कीमत
(d) देशी मुद्रा की विदेशी मुद्रा में कीमत
30. वस्तुओं एवं सेवाओं के अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन के संतुलन को क्या
कहा जाता है?
(a)
बाज़ार संतुलन
(b)
उपभोक्ता संतुलन
(c) व्यापार संतुलन
(d)
भुगतान संतुलन
अति-लघूत्तरीय प्रश्न (2 अंकीय)
निम्नलिखित में से किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
31. अवसर लागत, उत्पादन संभावना वक्र को कैसे प्रभावित करती है?
उत्तर-
उत्पादन संभावना वक्र (पीपीसी) एक ग्राफ
है जो अवसर लागत की अवधारणा को दर्शाता है। जैसे-जैसे हम पीपीसी के साथ एक बिंदु
से दूसरे बिंदु पर जाते हैं, वैसे-वैसे एक वस्तु के उत्पादन की अवसर लागत बढ़ती जाती
है क्योंकि हम दूसरी वस्तु का अधिक से अधिक त्याग करते हैं।
32. 'उपभोक्ता का अधिमान एकदिष्ट होता है।' इस कथन से क्या तात्पर्य
है?
उत्तर-
एकदिष्ट अधिमान का अर्थ है कि उपभोक्ता
एक वस्तु की कम मात्रा की तुलना में अधिक मात्रा को सदा अधिक पसंद करता है। इसका अर्थ
है कि अनाधिमान वक्र की प्रवणती नीचे की ओर है। यदि उपभोक्ता के एकदिष्ट अधिमान है
तो वह संयोजन (4, 5) से अधिक संयोजन (5, 5) या (4, 6) को करेगा।
33. यदि किसी वस्तु की कीमत में 5% की कमी करने से उसकी माँग मात्रा
में 8% की वृद्धि हो जाती है तो वस्तु की माँग की कीमत लोच ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
मांग की लोच = मांग में प्रतिशत परिवर्तन/ मूल्य में प्रतिशत परिवर्तन
मांग की लोच =`\frac{8\%}{5\%}`
अतः मांग की लोच = 1.6 होगी।
34. सीमांत लागत और औसत लागत को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
औसत लागत- कुल उत्पादन लागत को उत्पादित इकाइयों से भाग लेकर औसत लागत ज्ञात किया जाता है।
औसत लागत = `\frac{TC}{Unit\of\Produce}`
सीमांत
लागत -एक अतिरिक्त इकाई का उत्पादन करने से लागत में जितनी वृद्धि होती है उसे उस इकाई विशेष की सीमांत लागत कहा जाता है।
MC = TCn – TCn-1
35. समष्टि अर्थशास्त्र की दृष्टि से अर्थव्यवस्था के चार क्षेत्रकों
के नाम लिखिए।
उत्तर- समष्टि अर्थशास्त्र में अर्थव्यवस्था को परिवार, फर्म, सरकार और बाह्य क्षेत्रक इन चार क्षेत्रकों के संयोग के रूप में देखा
जाता है ।
36. वर्तमान समय में डिजिटल विनिमय के किन्हीं चार साधनों को लिखिए।
उत्तर-
नेट बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड,UPI(यूनिफाइड
पेमेंट्स इंटरफेस)
37. खुली अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- खुली अर्थव्यवस्था से तात्पर्य ऐसे देश से है जहां देश
के अंदर और बाहर वस्तुओं, सेवाओं और पूंजी का मुक्त प्रवाह होता है।
38. सरकारी बजट को परिभाषित कीजिए
उत्तर-
सरकारी बजट एक वित्तीय वर्ष (अप्रैल
1 से मार्च 31 तक)
की अवधि के दौरान सरकार की प्राप्तियों
(आय) तथा सरकार के व्यय
के अनुमानों का विवरण होता है।
लघूत्तरीय प्रश्न (3) अंकीय)
निम्नलिखित में से किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
39. सीमांत उपयोगिता किसे कहते हैं? रेखाचित्र से स्पष्ट कीजिए कि जब
सीमांत उपयोगिता शून्य होती है तब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है।
उत्तर-
सीमांत उपयोगिता - किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उपभोग बढ़ाने पर कुल उपयोगिता
में जितन वृद्धि होती है उसे वस्तु की सीमांत उपयोगिता कहते हैं।
MU = TUn - TUn-1
कुल उपयोगिता तथा सीमांत उपयोगिता में संबंध
मात्रा | कुल उपयोगिता | सीमांत उपयोगिता | वर्णन |
0 | 0 | - | आरंभिक उपयोगिता |
1 | 8 | 8-0 =8 | |
2 | 14 | 14-8 =6 | |
3 | 18 | 18-14 =4 | धनात्मक उपयोगिता |
4 | 20 | 20-18 =2 | |
5 | 20 | 20-20 =0 | शून्य उपयोगिता |
6 | 18 | 18-20 =-2 | ऋणात्मक उपयोगिता |
चित्र और तालिका से निम्न बातें स्पष्ट है -
i. जब सीमांत उपयोगिता गिरती है तब कुल उपयोगिता में घटती दर पर वृद्धि होती है।
ii. जब सीमांत उपयोगिता शून्य होती है तब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है।
iii. जब सीमांत उपयोगिता ऋणत्मक होती है तब कुल उपयोगिता गिरना शुरू हो जाती है।
40. यदि एक फर्म का उत्पादन फलन Q = L0.5 K0.5
है। तो श्रम (L) की 36 तथा पूँजी (K) की 49 इकाई के नियोजन से वस्तु की कितनी इकाई
का अधिकतम उत्पादन संभव है?
उत्तर-
Q = L0.5 K0.5
`Q=36^\frac5{10}\times49^\frac5{10}`
`Q=36^\frac1{2}\times49^\frac1{2}`
`Q=\sqrt{36}\times\sqrt{49}`
Q = 6 x 7 = 42 इकाई
41. बाजार संतुलन से आप क्या समझते हैं? रेखाचित्र से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- बाजार संतुलन से अभिप्राय बाजार की उस दशा से है जिसमें वस्तु की मांग व आपूर्ति बराबर होती है। कीमत बढ़ाने व घटाने वाली शक्तियां शांत हो जाती है। इसे निम्न सारणियों द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं
तालिका से
सेब की कीमत | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 |
मांग की मात्रा | 90 | 80 | 70 | 60 | 50 |
आपूर्ति की मात्रा | 50 | 60 | 70 | 80 | 90 |
उपर्युक्त तालिका से जब सेब की कीमत ₹20 प्रति किलो है, उस दशा में मांग और पूर्ति 70 किलो है।
चित्र में DD मांग वक्र तथा SS आपूर्ति वक्र है। दोनों E बिंदु पर बराबर होते हैं। अतः बाजार में संतुलन कीमत OP(20 तथा मांग और पूर्ति की मात्रा OQ(70) है।
संतुलन कीमत निर्धारण में मांग और पूर्ति दोनों का बराबर योगदान है।
42. किसी वस्तु की पूर्ति को प्रभावित करने वाले किन्हीं तीन कारकों
की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- प्रो.
डुली के शब्दों में," पूर्ति
का नियम बताता है कि जितनी कीमत अधिक होगी उतनी ही पूर्ति
अधिक होती है और
कीमत कम होने पर पूर्ति कम हो जाती है।"
पूर्ति वक्र को प्रभावित करने वाले कारक
1. वस्तु की कीमत-
वस्तु की पूर्ति और कीमत के बीच सीधा
संबंध होता है।
2. संबंधित वस्तुओं
की कीमत- अन्य वस्तुओं
की कीमत में होने वाली वृद्धि के फलस्वरुप वे
फर्मों के लिए अधिक लाभदायक हो जाएगी।
इसके फलस्वरूप फर्म उनकी अधिक पूर्ति करेंगी ।
इसके विपरीत जिस वस्तु की कीमत में वृद्धि नहीं होती वह अपेक्षाकृत
कम लाभदायक होगी। इसलिए फर्म
उसकी पूर्ति कम करेगी।
3. फर्मो की संख्या-
किसी वस्तु की बाजार पूर्ति फर्मों
की संख्या पर भी निर्भर करती है। फर्मों की
संख्या अधिक होने पर पूर्ति अधिक होती है तथा संख्या कम रहने पर पूर्ति कम।
4. फर्म के उद्देश्य-
यदि फर्म का उद्देश लाभ को अधिकतम करना है तो केवल अधिक
कीमत पर ही अधिक पूर्ति की जाएगी, इसके
विपरीत यदि फर्म का उद्देश्य बिक्री या रोजगार को अधिकतम करना है तो वर्तमान पर भी
अधिक पूर्ति की जाएगी।
5. तकनीक में परिवर्तन- उत्पादन तकनीक में सुधार होने के फलस्वरूप प्रति
इकाई उत्पादन लागत में कमी होती है तथा लाभ में वृद्धि
होती है। इसके
फलस्वरूप पूर्ति में वृद्धि होती है।
6. सरकारी नीति- अप्रत्यक्ष करों में वृद्धि होने के फलस्वरूप सामान्यत
पूर्ति कम होती है। इसके विपरीत
अनुदानो के कारण पूर्ति में वृद्धि होती है।
43. सकल घरेलू उत्पाद को परिभाषित कीजिए। यह सकल राष्ट्रीय उत्पाद से
किस प्रकार संबंधित है?
उत्तर- सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product = GDP) – किसी अर्थव्यवस्था की घरेलू सीमा में एक वर्ष में उत्पादित सभी अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्य, जिसमें विदेशियों द्वारा हमारे देश में अर्जित की गयी आय को जोड़ा जाता है तथा हमारे देशवासियों द्वारा विदेशों में अर्जित की गयी आय को शामिल नहीं किया जाता, वह सकल घरेलू उत्पाद कहलाता है।
GDP = GNP – (निर्यात मूल्य — आयात मूल्य)
सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product = GNPMP) – एक अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत एक वर्ष में उत्पादित सभी अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का बाजार मूल्य तथा विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय का योग, सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहलाता है।
GNPMP = बाजार कीमत पर GDP + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सकल
घरेलू उत्पाद के साथ विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय की राशि को भी सम्मिलित किया
जाता है।
44. 'आवश्यकता के दोहरे संयोग' की समस्या को मुद्रा किस प्रकार दूर
करती है? उदाहरण से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
वस्तु
विनिमय तभी सम्भव होता है जबकि दो व्यक्ति आपस में एक-दूसरे की वस्तु लेने के लिए
तैयार हों। ऐसा संयोग हमेशा मिलना सम्भव नहीं होता है यदि एक व्यक्ति के पास गेहूँ
अपनी आवश्यकता से अधिक है और उसे चने की आवश्यकता है तो उसे ऐसे व्यक्ति को
ढूँढ़ना होगा जिसके पास चने अपनी आवश्यकता से ज्यादा हों तथा जो बदले में गेहूं
लेने के लिए तैयार हो। ऐसा संयोग मिलना बहुत कठिन होता है। यदि ऐसा संयोग नहीं
मिलता तो वस्तु विनिमय सम्भव नहीं है।
मुद्रा द्वारा वस्तु विनिमय प्रणाली के दोषों का निराकरण-मुद्रा के
प्रादुर्भाव ने वस्तु विनिमय प्रणाली के दोषों को पूरी तरह दूर कर दिया है तथा विनिमये
कार्य को बहुत सरल बना दिया है। अब उपभोक्ताओं को दोहरे संयोग की आवश्यकता नहीं है।
कोई भी व्यक्ति अपनी अतिरिक्त वस्तु को बाजार में बेचकर मुद्रा प्राप्त कर सकता है
तथा उस मुद्रा से अपनी आवश्यकता की वस्तु प्राप्त कर सकता है।
45. सरकारी बजट के उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
सरकारी बजट एक वित्तीय वर्ष की अवधि के दौरान सरकार की
प्राप्तियों (आय)
तथा सरकार के व्यय के अनुमानों का विवरण होता है।
सरकारी बजट के उद्देश्य
(1)
आय तथा संपत्ति का पुनः वितरण-
संपत्ति और आय का समान बटवारा सामाजिक न्याय का प्रतीक
है जो कि भारत जैसे किसी भी कल्याणकारी राज्य का मुख्य उद्देश्य होता है।
(2)
संसाधनों का पुनः आवंटन-
अपनी बजट संबंधी नीति द्वारा देश की सरकार संसाधनों का
आवंटन इस प्रकार करती है जिससे अधिकतम लाभ तथा सामाजिक कल्याण के बीच संतुलन
स्थापित किया जा सके
(3)
आर्थिक स्थिरता-
अर्थव्यवस्था में तेजी और मंदी के चक्र चलते हैं। सरकार
अर्थव्यवस्था को इन व्यापार चक्रों से सुरक्षित रखने के लिए
सदा वचनबद्ध होती है। सरकार
आर्थिक स्थिरता की स्थिति को प्राप्त करने का प्रयत्न करती है।
(4) सार्वजनिक उद्यमों का प्रबंध-
सरकार के बजट संबंधी नीति से ही
यह प्रकट
होता है कि वह किस प्रकार सार्वजनिक उद्यमों के
माध्यम से विकास की गति को तीव्र करने
के लिए उत्सुक है। प्राय:
सार्वजनिक उद्यमो को
उन क्षेत्रों में लगाने का प्रयत्न
किया जाता है जहां प्राकृतिक एकाधिकार पाया जाता है।
46. यदि अर्थव्यवस्था में स्वायत व्यय (स्वायत उपभोग एवं स्वायत निवेश)
(A) 40 करोड़ रुपये, उपभोग की सीमांत प्रवृत्ति 0.6 तथा आय (Y) का स्तर 1000 करोड़
रुपये हैं तो समग्र माँग की गणना कीजिए। क्या अर्थव्यवस्था संतुलन में है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
-
आय
का स्तर (y) = 1000 करोड़
स्वायत
व्यय (A) = 40 करोड़
सीमांत
उपभोग प्रवृत्ति (C) = 0.6
समग्र
माँग (Y) =A + Cy
= 40 + 0.6(1000)
= 640 करोड़
चूँकि
वर्तमान आय का स्तर ₹1000 करोड़ है जो प्रत्याशित समस्त माँग में है 360 करोड़ अधिक
है तो वह स्थिति अधिपूर्ति की होगी। इसलिए अर्थव्यवस्था संतुलन में नहीं है।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न (5 अंकीय)
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
47. माँग की कीमत लोच को परिभाषित कीजिए। माँग की कीमत लोच को (a) प्रतिस्थापक
वस्तु की उपलब्धता तथा (b) वस्तु के वैकल्पिक प्रयोग, किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - प्रो. बोर्डिंग के अनुसार," किसी वस्तु के मूल्य में प्रतिशत परिवर्तन के फलस्वरूप उसकी मांग मात्रा में
जो प्रतिशत परिवर्तन होता है उसे मांग की लोंच कहते हैं।"
(a)
निकट प्रतिस्थापन वस्तुओं की उपलब्धता-जिस
वस्तु की जितनी अधिक निकट प्रतिस्थापन वस्तुएँ बाजार में उपलब्ध होती हैं उसकी माँग
-लोच उतनी ही ज्यादा होती है। पेप्सी, कोक, थम्स अप आदि एक-दूसरे की निकट प्रतिस्थापन
वस्तु हैं। इसलिए इनकी माँग की लोच ऊँची होती है।
(b)
वस्तु के वैकल्पिक प्रयोग-जिस वस्तु को जितने अधिक उपयोगों
में के प्रयोग किया जा सकता है उसकी माँग उतनी ज्यादा लोचदार होती है उदाहरण के लिए
दूध व बिजली के प्रयोगों की संख्या ज्यादा होती है इसलिए इनकी माँग लोचदार होती है।
दूसरी ओर जिन वस्तुओं के उपयोगों की संख्या कम होती है उनकी मांग बेलोचदार होती है।
48. पैमाने का प्रतिफल से आप क्या समझते हैं? एक उदाहरण से स्पष्ट कीजिए
कि एक उत्पादन फलन पैमाने का स्थिर प्रतिफल तथा पैमाने का वर्धमान प्रतिफल को कब संतुष्ट
करता है?
उत्तर-
पैमाने का प्रतिफल
दीर्घकालीन
उत्पादन
फलन
को
प्रदर्शित
करता
है।साधनों
के
पैमाने
में
परिवर्तन
के
फलस्वरुप
उत्पादन
में
जो
परिवर्तन
होता
है
उसे
पैमाने
का
प्रतिफल
कहते
हैं।
उत्पादन
के
साधनों
के
निरपेक्ष
इकाई में
इस
प्रकार
वृद्धि
की
जाए
कि
साधनों
का
अनुपात
स्थिर
रहे
तो
इसका
अर्थ
होता
है
कि
पैमाने
में
वृद्धि
की
गई
है।
इस
रेखा
चित्र
में OR उत्पादन
की
रेखा
है।
यह बताता
है
कि
इसके
प्रत्येक
बिंदु
पर
साधन
का
अनुपात
स्थिर
रहता
है।
`\frac{AK_1}{OK_1}=\frac{BK_2}{OK_2}`
पैमाने के प्रतिफल के नियम
(1) पैमाने का वृद्धिमान प्रतिफल :- उत्पादन
के
सभी
साधनों
को
जिस
अनुपात
में
बढ़ाया
जाता
है
उत्पादन
में
अगर
उससे
अधिक
अनुपात
में
वृद्धि
हो
तो
उसे
पैमाने
का
विद्धिमान
प्रतिफल
कहा
जाता
है।
Y = f ( a, b, c.........)
जहां , Y = उत्पादन f = फलन a,b,c............= साधन
Xα.y = f(na,nb,nc...........)
अगर वस्तु α >1 हो तो
यह पैमाने का वृद्धिमान प्रतिफल प्रदर्शित करेगा। रेखा चित्र में हर अगले सम उत्पाद वक्र (IQ) के बीच की दूरी क्रमशः घटती जाती है जो दर्शाता है कि साधन जिस अनुपात में बढ़ता है उत्पादन उससे अधिक
अनुपात में बढ़ता है।
BC < AB < OA
पैमाने के वृद्धिमान प्रतिफल के कारण :-
a. तकनीकी बचत
b. श्रम संबंधी बचत
c. वित्तीय बचत
d. विपणन मितव्ययिता
e. शोध,प्रयोग एवं विज्ञापन से लाभ
(2) पैमाने के स्थिर प्रतिफल :- जिस अनुपात में साधनों को बढ़ाया जाता है ठीक उसी अनुपात में उत्पादन में वृद्धि होती है तो इसे पैमाने का स्थिर प्रतिफल करते हैं।
Xα.y = f(na,nb,nc...........)
अगर वस्तु α =1 हो तो यह पैमाने का स्थिर प्रतिफल प्रदर्शित करेगा।
चित्र में हर अगले सम उत्पाद वक्र की दूरी समान रहती है जो दर्शाता है कि जिस अनुपात में साधन लगता है उत्पादन उसी अनुपात में होता है।
OA=AB=BC
पैमाने के स्थिर प्रतिफल के कारण :-
A. आंतरिक एवं बाह्य बचत आंतरिक एवं बाह्य हानियों के बराबर होता है।
B. एक फार्म के विस्तार से कुछ सीमा तक पैमाने के बढ़ते प्रतिफल की अवस्था के बाद पैमाने के स्थिर प्रतिफल की एक लम्बी अवस्था होती है।
C. कॉब-डग्लस उत्पादन फलन :-
कॉब-डग्लस के अनुसार अधिकांश उद्योगों पर लंबे समय तक पैमाने के स्थिर प्रतिफल लागू होता है।
Q = K La C1-a
= K (gL)a (gC)1-a
= K gaLa g1-aC1-a
= ga+1-a K La C1-a
= g (KLa C1-a)
= g (Q)
इस प्रकार साधनों को g गुणा बढ़ाने से उत्पादन भी g गुणा बढ़ता है जो पैमाने के स्थिर प्रतिफल को दर्शाता है।
(3) पैमाने का ह्रासमान प्रतिफल :- जिस अनुपात में साधनों में वृद्धि की जाती है उसे कम अनुपात में जब उत्पादन में वृद्धि होती है तो उसे पैमाने का ह्रासमान प्रतिफल कहते हैं।
Xα.y = f(na,nb,nc...........)
अगर वस्तु α < 1 हो तो यह पैमाने का स्थिर प्रतिफल प्रदर्शित करेगा।
चित्र में हर अगले सम उत्पाद वक्रो की दूरी क्रमशः बढ़ती जाती है। जो दर्शाता है कि जिस अनुपात में साधनों को लगाया जाता है उत्पादन उससे कम अनुपात में बढ़ता है
OA<AB<BC
ह्रासमान
प्रतिफल के कारण :-
A. पैमाने का घटता हुआ प्रतिफल
B. प्राकृतिक साधनों की स्थिर मात्रा
C. आंतरिक एवं बाह्य हानियां
49. मान लीजिए एक बाज़ार में दो फ़र्मे हैं। फर्म 1 का पूर्ति वक्र
S1 =-3+P (P ≥ 3) =0 (P<3) तथा फर्म 2 का पूर्ति वक्र S2=-10+2P(P
≥
5)=0(P<5); तो बाजार पूर्ति वक्र ज्ञात कीजिए।
उत्तर
- फर्म 1 का पूर्ति वक्र (S1) के लिए : =-3+P (P ≥ 3) =0 (P<3)
इसका
मतलब है कि फर्म (S1) 3 रू और
3 रू से कम पर पूर्ति नहीं कर सकती है।
फर्म
2 का पूर्ति वक्र (S2) के लिए :
=-10+2P (P ≥ 5) =0 (P<5)
इसका
मतलब है कि फर्म (S2) 5 रू और
5 रू से कम पर पूर्ति नहीं कर सकती है।
बाजार
पूर्ति दोनों फार्मो का संयुक्त पूर्ति होती है
S1
+ S2
-3
+ P - 10 +2P
-13
+ 3P (P ≥ 5)
यह
बाजार पूर्ति वक्र है।
5
रू से अधिक का मूल्य दोनों फर्मो को पूर्ति करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
50. क्या GDP कल्याण का सूचक है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
- हम किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद के उच्चतर स्तर को उस देश के लोगों के उच्च कल्याण
के सूचकांक के रूप में समझने का लालच कर सकते हैं, किंतु यह सही नहीं हो सकता। इसमें
कम से कम तीन कारण हैं।
1.
सकल घरेलू उत्पाद का वितरण यदि देश के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हो रही है, तो कल्याण
में उसके अनुसार वृद्धि नहीं हो सकती है। इस स्थिति में संपूर्ण देश के कल्याण में
वृद्धि नहीं हो सकती। यदि हम देश के कल्याण में उन्नत समृद्ध लोगों के प्रतिशत से करें,
तो निश्चित रूप से सकल घरेलू उत्पाद का एक अच्छा सूचकांक नहीं है।
2.
गैर- मौद्रिक विनिमय अर्थव्यवस्था के अनेक कार्यकलापों का मूल्यांकन मौद्रिक रूप में
नहीं होता। उदाहरणार्थ, महिलाएं जो अपने घरों में घरेलू सेवाओं का निष्पादन करती हैं,
उसके लिए उसे कोई पारिश्रमिक नहीं मिलता। मुद्रा की सहायता के बिना अनौपचारिक क्षेत्रक
में जो विनिमय होते हैं, उसे वस्तु विनिमय कहते हैं।
अतः
सकल घरेलू उत्पाद का मूल्यांकन मानक तरीके से करने पर हमें उत्पादक कार्यकलाप और किसी
देश के कल्याण का स्पष्ट संगत नहीं मिलता है।
3.
बाह्य कारण बाह्य कारणों से तात्पर्य किसी फर्म या व्यक्ति के लाभ (हानि) से हैं, जिससे
दूसरा पक्ष प्रभावित होता है जिसे भुगतान नहीं किया जाता है। बाह्य कारणों का कोई बाजार
नहीं होता है, जिसमें उनको खरीदा या बेचा जा सके। यदि हम सकल घरेलू उत्पाद को अर्थव्यवस्था
के कल्याण की माप के रूप में लें, तो हमें वास्तविक कल्याण का अति मूल्यांकन प्राप्त
होगा। यह ऋणात्मक बाह्य कारण का उदाहरण था। यह धनात्मक बाह्य कारण की स्थितियां भी
हो सकती है। ऐसी स्थितियों में सकल घरेलू उत्पाद से अर्थव्यवस्था के वास्तविक कल्याण
का अल्प मूल्यांकन होगा।
51. समग्र माँग से आप क्या समझते हैं? समग्र माँग के विभिन्न घटकों
की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- कुल ( समग्र) मांग, वह कुल व्यय है जो लोग एक वित्तीय वर्ष की अवधि के दौरान वस्तुओं और सेवाओं के खरीदने पर खर्च करने की योजना बनाते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि समग्र मांग (AD) को मापने समय हम सदा लोगों द्वारा किए जाने वाले आयोजित व्यय या प्रत्याशित व्यय के संदर्भ में बात करते हैं।
कुल मांग के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं -
1. निजी उपभोग व्यय (C) :- इसमें देश के गृहस्थो/परिवारो द्वारा एक लेखा वर्ष में, सभी वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए की गई मांग को शामिल किया जाता है।
2. निजी निवेश मांग (I) :- इससे अभिप्राय निजी निवेशकर्ताओं द्वारा पूंजी पदार्थों की खरीद पर करने वाले व्यय से है।
3 सरकारी व्यय (G) :- इसमें सरकारी उपभोग में व्यय तथा सरकारी निवेश व्यय दोनों शामिल होते हैं। सरकारी उपभोग व्यय से अभिप्राय है सैन्य/सुरक्षा प्रयोग के लिए वस्तुओं के उपभोग की खरीद पर खर्च/सरकारी निवेश व्यय से अभिप्राय है सड़कों,डैमो तथा पुलो के निर्माण पर किया जाने वाला व्यय।
4. शुद्ध निर्यात (X - M ) :- विदेशियों द्वारा हमारी वस्तु के लिए किए गए व्यय को अर्थव्यवस्था में कुल व्यय (समग्र मांग) मे जोड़ा जाता है, जबकि आयात पर किए जाने वाले व्यय को घटाया जाता है। अतः X - M (शुद्ध निर्यात) को समग्र मांग (AD) में जोड़ा जाता है।
अतः समग्र मांग के प्रमुख तत्त्व है -
AD = C + I + G + ( X- M) [ खुली अर्थव्यवस्था में ]
or, AD = C + I [ बन्द अर्थव्यवस्था में ]
जहां , AD = समग्र मांग , C = निजी उपभोग व्यय , I = निजी निवेश व्यय ,
G = सरकारी व्यय, X - M = शुद्ध निर्यात
चित्र में, AD वक्र का बारे से दाये ऊपर की ओर बढ़ना इस बात को दर्शाता हैं कि जैसे-जैसे आय / रोजगार की मात्रा बढ़ती जाती है, कुल मांग भी बढ़ती जाती है।
52. केन्द्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में साख पर नियंत्रण किस प्रकार करता
है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर- साख नियंत्रण की प्रमुख विधियां निम्नलिखित हैं -
(1) आरक्षित जमा कोष
में परिवर्तन- सभी अनुसूचित
व्यवसायिक बैंको को अपनी कुल जमा की एक निश्चित नियंत्रण राशी आरक्षित कोष के रूप मे केंद्रीय बैंक के पास जमा करनी पड़ती है। यह आरक्षित कोष जितना अधिक होता है, व्यवसायिक बैंकों के पास नकदी जमा उतनी ही कम हो जाती है और उसी अनुपात में साख का सृजन
कम होता है। इसके विपरीत आरक्षित कोष में कमी से साख का सृजन अधिक होता है।
(2) बैंक दर में
परिवर्तन- बैंक दर में परिवर्तन करके भी साख पर नियंत्रण किया जा सकता है। बैंक दर वह दर है जिस पर केन्द्रिय बैंक व्यवसायिक बैंको को ऋण
देता है। बैंक दर से ब्याज दर प्रभावित होता है। बैंक दर में वृद्धि करके साख की
मात्रा को कम किया जा सकता है और बैंक दर में कमी करके साख की मात्रा को बढ़ाया जा
सकता है।
(3) खुले बाजार की
क्रियाएं- खुले बाजार की क्रियाओ से अभिप्राय केन्द्रीय बैंक के द्वारा बाजार में प्रतिभूतियों का क्रय - विक्रय करना है। प्रतिभूतियों
का क्रय कर साख की मात्रा को बढ़ाया जा सकता
है और विक्रय करके साख की मात्रा को घटाया जा सकता है।
(4) सीमांत कटौती में
परिवर्तन- व्यापारी लोग अपनी वस्तुओं
को व्यापारिक बैंकों के पास प्रतिभूतियों के रूप में रखते हैं और उसके बदले ऋण लेते हैं। बैंक पूरी प्रतिभूति अथवा जमानत
मूल्य के बराबर ऋण नहीं देते हैं। उसमें कुछ कटौती करते हैं। इसे सीमांत कटौती कहते हैं। सीमांत कटौती में परिवर्तन करके साख पर नियंत्रण करने का प्रयास किया
जाता है।
(5) नैतिक दबाव- नैतिक दबाव के अंतर्गत केंद्रीय बैंक साख संस्थाओं पर नैतिक दबाव डालकर उन्हें संबंधित नीति अपनाने के लिए बाध्य कर सकता है।
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
अध्याय
व्यष्टि अर्थशास्त्र
समष्टि अर्थशास्त्र
अध्याय 1
अध्याय 2
अध्याय 3
अध्याय 4
अध्याय 5
अध्याय 6
Solved Paper 2023
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