झारखण्ड
शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, राँची
वार्षिक
माध्यमिक परीक्षा (2023-2024)
Model
Question Paper
कक्षा-12 |
विषय-
गृह विज्ञान |
समय-
30 घंटा |
पूर्णांक-70 |
सामान्य
निर्देश:-
•
परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में उत्तर दें।
•
सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
•
कुल प्रश्नों की संख्या 48 है।
•
प्रश्न 1 से
25 तक बहुविकल्पिय प्रश्न हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प
दिए गए हैं। सही विकल्प का चयन कीजिये। प्रत्येक प्रश्न के लिए
01 अंक निर्धारित है।
•
प्रश्न संख्या 26 से 34 तक अति लघु उत्तरीय प्रश्न है। जिसमे से किन्ही 7 प्रश्नों
का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान 1 अंक निर्धारित है।
•
प्रश्न संख्या 35 से 42 तक लघु उत्तरीय प्रश्न है। जिसमे से किन्ही 6 प्रश्नों का उत्तर
देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक निर्धारित है।
•
प्रश्न संख्या 43 से 48 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न है। किन्हीं 4 प्रश्नों का उत्तर देना
अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक निर्धारित है।
1. आकार व घनत्व में बढ़ने को क्या कहते हैं?
A. वृद्धि
B.
विकास
C.
वंशानुक्रम
D.
कौशल
2. बालक माता-पिता से प्राप्त करता है-
A. वंशानुगत गुण
B.
वातावरण
C.
कौशल
D.
विकास
3. जन्म के समय शिशु का औसत भार होता है -
A.
2 किलोग्राम
B.
3 किलोग्राम
C.1.5 किलोग्राम
D.
3.5 किलोग्राम
4. 36 माह के बालक की औसत लंबाई होती है-
A.
62 सेंमी
B. 92 - 95 सेंमी
C.
72 से 75 सेंमी
D.
50 सेंमी
5. डिप्थीरिया, काली खांसी और टिटनेस से बचने के लिए शिशु को दिए जाने
वाले टीके का नाम है-
A.
बी.सी.जी
B. डी.पी.टी
C.
एम. एम. आर
D.
खसरा
6. डी.पी.टी का पहला टीका कब लगता है-
A. 1.5 महीने पर
B.
2.5 महीने पर
C.
5 वर्ष पर
D.1
वर्ष पर
7. क्षयरोग तथा कुष्ठ रोग का टिका है-
A.
डी.पी.टी
B.
रुबेला
C.
खसरा
D.बी.सी.जी
8. आयोडीन की कमी से होने वाला रोग है
A. गलकंड
B.
बेरी बेरी
C.
स्कर्वी
D.
सूखा रोग
9. शालापूर्व अवस्था कहते हैं-
A. एक से 6 वर्ष की अवस्था
B.
एक से तीन वर्ष की अवस्था
C.
एक से दो वर्ष की अवस्था
D.
एक से 8 वर्ष की अवस्था
10. मलेरिया तथा टाइफाइड किस प्रकार का ज्वर है-
A.
अल्पकालीन ज्वर
B. दीर्घकालीन ज्वर
C.
अंतर कालीन ज्वर
D.
साधारण ज्वर
11. मनुष्य द्वारा प्रयोग के लिए सुरक्षित जल को कहते हैं -
A.
अशुद्ध जल
B. शुद्ध जल
C.
रंगहीन जल
D.
गंधहीन जल
12. ओ. आर. एस (O.R.S) किस व्यक्ति को दिया जाता है -
A.
हैजा से ग्रस्त व्यक्ति को
B.
मलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को
C. निर्जलीकरण से ग्रस्त व्यक्ति को
D.
टाइफाइड से ग्रस्त व्यक्ति को
13. जीवन रक्षक घोल (ओ. आर. एस) शरीर में किसकी कमी को दूर करता है?
A. जल तथा खाद्य पदार्थ की
B.
प्रोटीन की
C.
कार्बोहाइड्रेट की
D.
वसा की
14. कौन से दाल के अधिक उपयोग से लेथीरिज्म नामक रोग हो जाता है जिसका
मुख्य लक्षण पक्षाघात है-A. चना दाल
B.
अरहर दाल
C. खेसारी दाल
D.
मूंग दाल
15. आय तथा खर्च के अंतर को क्या कहते हैं-
A.
व्यय
B. बचत
C.
विनियोग
D.
हानि
16. प्राप्तकर्ता जिस चेक को अपने खाते या किसी अन्य के खाते में जमा
करवा सकता है वैसे चेक को कहते हैं-
A.
अप्रतिष्ठित चेक
B. रेखांकित चेक
C.
आदेशक चेक
D.
वाहक चेक
17. संरक्षित फलों पर कौन सा मानकीकरण चिन्ह होता है-
A.
एगमार्क
B. एफ.पी.ओ
C.
आई. एस. आई
D.
पी. एफ. ए
18. सर्दी में कैसे रंग के वस्त्र पहनने चाहिए?
A.
हल्के तथा सुती वस्त्र
B. गहरे तथा चटकीले रंग के ऊनी वस्त्र
C.
चमकीले लिनन वस्त्र
D.
सफेद रेश्मि वस्त्र
19. अस्पताल में डाइटिशियन के रूप में रोजगार प्राप्त करने के लिए कौन
सी शिक्षा प्राप्त करनी होगी-
A.
होटल मैनेजमेंट
B. डाइटैटिक्स
C.
पॉलिटेक्निक
D.
आई.सी.डी.एस
20. अस्थाई दांतों की संख्या कितनी होती है -
A.
30
B. 20
C.
14
D.18
21. वे सभी रंग जिसमें लाल पीले या संतरी रंग की प्रधानता हो कौन सा
रंग कहलाते हैं-
A.
प्राथमिक रंग
B.
ठंडे रंग
C. गर्म रंग
D.
तीव्र रंग
22. पोशाक में लंबी लाइन का प्रयोग करने से व्यक्ति दिखे दिखाई पड़ता
है-
A.
मोटा तथा छोटा
B. लंबा व पतला
C.
छोटे कद का
D.
चौड़ा
23. निम्न में से अवशोषक की पहचान कीजिए-
A.
रबर
B. टेलकम पाउडर
C.
लकड़ी के टुकड़े
D.
कांच के टुकड़े
24. सफेद कपड़े बार-बार धोने से पिल्ले पड़ जाते हैं उन्हें फिर से
सफेद व चमकदार बनाने के लिए क्या लगाया जाता है-
A.
गोंद
B. नील
C.
मैदा
D.
मांड
25. आई. एस. आई का चिह्न कहां दिया जाता है?
A.
संरक्षित फलों पर
B.
औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधनों पर
C. बिजली के उपकरणों पर
D.
दुग्ध उत्पादकों पर
अति लघु उत्तरीय प्रश्न :-
26. परिपक्वता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
- जब कोई अपनी आयु के हिसाब से समझदार हो जाए और आयु के अनुसार आचरण करे तो कहा जाएगा
कि वह परिपक्व हो चुका / चुकी है।
27. वृद्धि की परिभाषा दीजिए।
उत्तर
- वृद्धि का तात्पर्य किसी शरीर या अंगों के द्रव्यमान और आकार में वृद्धि से है।
28. शारीरिक विकास की विभिन्न अवस्थाएं लिखिए।
उत्तर
-
1.
प्रसव-पूर्व विकास
2.
शैशव
3.
शिशु अवस्था
4.
बचपन
5.
किशोरावस्था
6.
जवान युवावस्था
7.
माध्यामिक युवावस्था
8.
वृद्धावस्था
29. बालकों में भाषा विकास के चरण बताएं
उत्तर
- बालकों में भाषा विकास के चरणः
•
2-3 महीनेः किलकना
•
3-4 महीनेः अधिक मौखिक ध्वनि
•
4-5 महीनेः पहले ध्वनि पैटर्न का अनुकरण करें
•
5-6 महीनेः बड़बड़ाना
•
6-8 महीनेः ध्वनियों को जोड़ना और विचार करना
•
9-12 महीनेः एक-शब्द मंच / एक सही शब्द बोलते हैं
30. संक्रामक रोगों से बचाव के सामान्य तरीके बताएं।
उत्तर
-संक्रामक रोगों से बचाव के सामान्य तरीके*
1.
हाथ धोएं संक्रमण से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप बार बार साबुन और पानी से
हाथ धोते रहें।
2.
निजी स्वच्छता से जुड़ी अच्छी आदतें अपनाएं
3.
रोगी से जुड़े स्थानों को साफ़ रखें
4.
संपर्क से बचें
5.
टीकाकरण करवाएं
6.
पतले दस्त लगने जैसे लक्षणों का ध्यान रखें
31. विटामिन ए तथा लोह तत्व की आवश्यकता शाला पूर्व अवस्था में अधिक
क्यों होती है?
उत्तर
- विटामिन ए और लोह (आयरन) तत्व की आवश्यकता शाला पूर्व अवस्था में अधिक होती है क्योंकि
इस समय शरीर में विभिन्न परिवर्तन होते हैं जो गर्भावस्था के दौरान माता और शिशु के
स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं।
32. बजट कितने प्रकार का होता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर
- बजट के विभिन्न प्रकार हो सकते हैं, जैसे-
(क)
अवधि के आधार पर
(1)
दैनिक बजट
(2)
साप्ताहिक बजट
(3)
पाक्षिक बजट
(iv)
मासिक बजट
(v)
वार्षिक बजट
(ख)
संस्थागत आधार पर
(ग)
पारिवारिक बजट
(1)
संतुलित बजट
(2)
लाभ का बजट
(3)
घाटे का बजट
33. पास पड़ोस का बालक पर प्रभाव कुछ पंक्तियों में लिखिए?
उत्तर
- पास पड़ोस का बालक हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है। उसका साथ रहकर हम एक
दूसरे के साथ अच्छे संबंध बना सकते हैं और एक-दूसरे का समर्थन कर सकते हैं। यहाँ कुछ
पंक्तियाँ हैं जो पास पड़ोस के बालक के प्रभाव को बयान करती हैं:
साझा
खुशियाँ और दुख: पास पड़ोस का बालक हमारे साथ होकर हमें
अपनी खुशियों और दुखों को साझा करने का अवसर देता है। एक दूसरे के साथ बंधन बनाने से
हम एक समर्थनी और समर्थित भाषी होते हैं।
सामाजिक
समृद्धि: पास पड़ोस का बालक हमें सामाजिक समृद्धि में
भाग लेने का मौका देता है। समुदाय में मिलनसर रहने से हम अपने आस-पास के लोगों के साथ
आपसी सम्बंध बना सकते हैं और सामाजिक नेटवर्क को मजबूत कर सकते हैं।
आपसी
सहारा: पास पड़ोस के बालक हमें कभी-कभी आपसी सहारा
भी प्रदान कर सकते हैं। किसी भी आपत्ति या मुश्किल के समय, हम एक दूसरे का साथी बन
सकते हैं और एक दूसरे की मदद कर सकते हैं।
34. दूध में मिले गए पानी की जांच किस यंत्र द्वारा की जाती है?
उत्तर
- लैक्टोमीटर
लघु उत्तरीय प्रश्न 6x3=18
35. घरेलू हिसाब-किताब रखने के क्या लाभ हैं?
उत्तर-घरेलू
हिसाब-किताब रखने की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से पड़ती है-
(i)
घरेलू हिसाब-किताब प्रतिदिन लिखने से हमें यह ज्ञात रहता है कि हमारे पास कितना पैसा
शेष बचा है जो परिवार की आवश्यकताओं की उचित पूर्ति हेतु अत्यन्त आवश्यक है जिससे पारिवारिक
लक्ष्यों की प्राप्ति हो सके।
(ii)
घरेलू हिसाब-किताब की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि कई बार माह के प्रारम्भ में हाथ
में अधिक पैसा होने के कारण हम बिना सोचे-समझे अनजाने में अधिक व्यय करते रहते हैं
जिससे माह के अन्त में हमारी कई आवश्यकताएँ अपूर्ण रह जाती हैं।
(iii)
घर के कई हिसाब जैसे धोबी को दिए गए कपड़ों अथवा इस्त्री करने के लिए दिए गए कपड़ों
के बारे में लिखना जरूरी होता है जिससे जब कपड़े वापस आएँ तो ध्यान दिया जा सके कि
पूरे कपड़े वापस आ गये हैं अथवा नहीं। कई बार थोड़ी-सी लापरवाही के कारण महँगे कपड़े
खो जाते हैं और परिवार को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
(iv)
घरेलू हिसाब-किताब रखने की उन परिवारों को और आवश्यकता होती है जिन परिवारों में पूरा
सामान उधार लिया जाता है और माह के अन्त में हिसाब करके पैसे दिए जाते हैं। ऐसी स्थिति
में दुकानदार माह के अन्त में बिल बनाते समय वस्तुओं का मूल्य अधिक लिख देते हैं या
फिर जो वस्तुएँ न खरीदी गई हों उन्हें भी लिख देते हैं। यदि गृहिणी ने हिसाब-किताब
लिखा होगा तो वह कौन-सी वस्तु कब और कितनी मात्रा में खरीदी तथा उसका मूल्य क्या था,
तब ही वह दुकानदार के बिलके साथ मिलाकर सरलता से उसका हिसाब करा सकती है।
(v)
माह के अन्त में विभिन्न आवश्यकताओं पर किए गए व्यय को जोड़कर कुल मासिक व्यय निकाल
कर ज्ञात किया जा सकता है कि व्यय हमारी कुल आय के अनुरूप हुआ है अथवा नहीं। किसी भी
परिवार के लिए यह जान लेना बहुत आवश्यक है कि वह अपनी विभिन्न आवश्यकताओं पर कितना
कितना व्यय कर रहा है। हम सभी जानते हैं कि हमारी आय सीमित होती है और हमारी आवश्यकताएँ
असीमित होती हैं तथा इसी सीमित आय द्वारा हमें अपनी असीमित आवश्यकताओं की पूर्ति करनी
पड़ती है। अतः यह जरूरी है कि माह के अन्त में हमें यह ज्ञात हो जाये कि अपनी सीमित
आय के द्वारा हमने अपनी सभी अनिवार्य आवश्यकताओं की पूर्ति कर ली है या नहीं या फिर
अपनी आय का एक मुख्य अंश अपनी आरामदायक अथवा विलासिता सम्बन्धी आवश्यकताओं पर व्यय
कर दिया है और दूसरी ओर हमारी अनिवार्य आवश्यकताएँ अपूर्ण रह गई हैं।
36. मानसिक आय से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
-निकल एवं डार्सी के शब्दों में “मानसिक आय वह संतुष्टि है जो हमारे दैनिक अनुभवों,
धन के उपयोग व वास्तविक आय से प्राप्त होती है।
37. एक अच्छे विज्ञापन से क्या जानकारी मिलनी चाहिए?
उत्तर-
विज्ञापन के प्रमुख गुण या लाभ निम्नलिखित हैं-
(i)
तत्काल प्रदर्शन-समाचार पत्र प्रात: कालीन तथा संध्याकालीन
होते हैं। उनमें दिया गया विज्ञापन बहुत ही कम समय में अधिक-से-अधिक लोगों के पास पहुँच
जाता है क्योंकि इसका प्रचलन बहुत ही तीव्र गति से होता है।
(ii)
विस्तृत क्षेत्र-समाचार पत्र सभी पढ़े-लिखे और जाग्रत लोगों
के दैनिक जीवन का आवश्यक अंग हो गया है। इसमें सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, देश-विदेश
आदि सभी से सम्बन्धित नवीनतम सूचनाएँ रहती हैं। इसका मूल्य भी कम होता है, इसलिए साधारण
स्तर के लोग भी सरलतापूर्वक इसका क्रय कर सकते हैं। इनमें दिए गए विज्ञापनों का क्षेत्र
सर्वाधिक व्यापक है।
(iii)
लोच का होना - परिवर्तन में सरलता जनता की रुचि को
ध्यान में रखते हुए समाचार पत्रों में दिये गए विज्ञापनों में सुविधापूर्वक सरलता से
परिवर्तन किया जाता है। इस प्रकार इसमें पर्याप्त लोच रहती है।
(iv)
प्रकाशन की बारम्बारता - यदि किसी वस्तु का बार-बार
विज्ञापन किया जाये तो वह वस्तु धीरे-धीरे मनुष्य की स्मृति का अंग बन जाती है। समाचार
पत्रीय विज्ञापन जनसामान्य के पास रोज प्रातः ही पहुँच जाता है जो पाठक के मन में धीरे-धीरे
स्थान बना लेता है।
(v)
पाठकों की रुचि - समाचार पत्रों द्वारा पाठकों की रुचि
के अनुकूल विज्ञापन देना सम्भव होता है। रुचि अनुकूल विज्ञापन देने से जनसाधारण उक्त
वस्तु को क्रय करने हेतु तत्पर हो जाता है।
(vi)
विविध उपयोग-समाचार पत्रों का उपयोग व्यावसायिक विज्ञापनों
के अतिरिक्त अन्य प्रकार के विज्ञापनों के लिए भी होता है जैसे- नौकरी, विवाह, शिक्षा
आदि ।
(vii)
मितव्ययिता - समाचार पत्रों का प्रचलन अत्यधिक होने के
कारण इनकी प्रतियाँ हजारों की संख्या में छपती हैं, अत: इकाई विज्ञापन की लागत न्यूनतम
आती है। फलस्वरूप विज्ञापन के इस साधन में भारी मितव्ययिता रहती है।
38. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम क्या है?
उत्तर
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भारत सरकार द्वारा पारित एक उपभोक्ता संरक्षण कानून
है जिसे देश के उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए एवं उनके साथ होने वाली धोखाधड़ी
रोकने के लिए मोदी सरकार ने 2019 पारित किया था। यह अधिनियम 20 जुलाई 2020 से ही प्रभावी
हो गया है।
39. यात्रा के समय पहनने वाले वस्त्र की किन्हीं चार विशेषताओं का वर्णन
करें।
उत्तर
- यात्रा के समय पहनने वाले वस्त्रों का चयन सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए ताकि आपकी
यात्रा सुरक्षित, आरामदायक, और आनंदमयी हो। यहां कुछ विशेषताएं हैं जो यात्रा के समय
के लिए उपयुक्त वस्त्रों की होनी चाहिए:
रहने
वाले स्थान के आधार पर उपयुक्तता: आपकी यात्रा के लक्ष्य
और रहने वाले स्थान के आधार पर वस्त्रों का चयन करें। उदाहरण के लिए, ठंडे स्थानों
के लिए गरम और उच्च अल्टीट्यूड क्षेत्रों के लिए ठंडे वस्त्रों की आवश्यकता हो सकती
है।
सामंजस्यपूर्ण
और सुखद वस्त्र: यात्रा के लिए वस्त्रों को सामंजस्यपूर्ण
और सुखद बनाए रखें। वे आपके लिए आरामदायक हों और लंबी यात्रा के दौरान भी आपको सुखदता
प्रदान करें।
समर्थन
और सुरक्षा: यात्रा के दौरान सुरक्षा को मध्यस्थ रखने
के लिए, सुरक्षात्मक वस्त्रों का चयन करें। इसमें किसी भी आपत्ति या खतरे से बचाव के
लिए बनाए गए जिप्स, बटन, और पॉकेट्स हो सकते हैं।
स्थानीय
धार्मिक अनुपालन: यात्रा करते समय स्थानीय धार्मिक या सांस्कृतिक
अनुपालन का ध्यान रखें। कुछ स्थानों पर विशेष धार्मिक निर्देश होते हैं, जैसे कि मंदिरों
या गुरुद्वारों में कपड़े का विशेष ढंग से धारण किया जाना चाहिए।
यात्रा
के समय सही प्रकार के वस्त्रों का चयन करना आपके अनुकूल अनुभव के लिए महत्वपूर्ण है।
सुखद, सुरक्षित और सामंजस्यपूर्ण वस्त्रों के साथ, आप अपनी यात्रा को अधिक आनंदमय बना
सकते हैं।
40. कपड़े पर दी जाने वाले किन्हीं चार परिसज्जा के बारे में बताए?
उत्तर
- कपड़ों पर दी जाने वाली परिसज्जा (एप्लिकेशन) विभिन्न रूपों में की जाती है ताकि
उन्हें सुंदर और आकर्षक बनाया जा सके। इन परिसज्जाओं से कपड़े को डिज़ाइन और खासियतें
मिलती हैं। यहां कुछ प्रमुख परिसज्जा तकनीकों के बारे में बताया गया है:
एम्ब्रॉयडरी
(कढ़ाई): एम्ब्रॉयडरी कपड़ों पर विभिन्न धागों का उपयोग
करके चित्रों और डिज़ाइन्स को बनाने की एक प्रक्रिया है। यह कपड़ों को आकर्षक बनाने
के लिए बड़ी पसंदीदा तकनीक है और विभिन्न स्टाइल्स में किया जा सकता है, जैसे कि जर्जेट,
सिल्क, और कॉटन।
पैचवर्क:
पैचवर्क एक तकनीक है जिसमें विभिन्न रंगों और रूपों के टुकड़ों को कपड़े पर सुजाया
जाता है ताकि वह एक सुंदर डिज़ाइन बना सके। यह एक रूपरेखात्मक और आकर्षक प्रभाव बनाने
का एक अच्छा तरीका है।
पिंटकारी:
पिंटकारी तकनीक में, विभिन्न रंगों के पेंसिल या पेंस से बनाए जाने वाले डिज़ाइन को
कपड़े पर चित्रित किया जाता है। यह विभिन्न राजस्थानी और गुजराती स्थानीय स्टाइल्स
में अधिक प्रचलित है।
बटीक:
बटीक कला में, विभिन्न रंगों के पिघले हुए मोमबार और रंगीन धाराओं का उपयोग करके डिज़ाइन
बनाया जाता है। इसमें छिद्रित रंगों का आकर्षक और चमकीला प्रभाव होता है।
41. बरसात के मौसम के लिए उपयुक्त कपड़े की चार विशेषताएं बताइए।
उत्तर
- बरसात के मौसम के लिए उपयुक्त कपड़ों का चयन करते समय कुछ विशेषताएं ध्यान में रखना
महत्वपूर्ण है ताकि आप सुरक्षित रह सकें और मौसम की चुनौतियों का सामना कर सकें। यहां
बरसात के मौसम के लिए उपयुक्त कपड़ों की चार विशेषताएं हैं:
विजेटेबल
वॉटरप्रूफ कपड़े: बरसात के दौरान बारिश की वजह से गीला होना
आम बात है। इसलिए, वॉटरप्रूफ या विजेटेबल वॉटरप्रूफ कपड़े बरसात में सुरक्षित रहने
के लिए अच्छे होते हैं। इनके बारे में खासकर बने हुए कोट, रेनजैकेट्स, और पॉन्चो शामिल
हैं जो आपको बारिश से बचाए रख सकते हैं।
फास्ट-ड्राइइंग
कपड़े: बरसात के मौसम में गीले होने की संभावना बनी
रहती है, और इसलिए फास्ट-ड्राइइंग कपड़े एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं। इनका उपयोग करके
आप गीले होने पर जल्दी से सुखा हो सकते हैं और ठंडे मौसम के कारण बिमर्जित नहीं होंगे।
उच्च-कंट्रास्ट
रंग: बरसात के दिनों में, धूप की कमी हो सकती है
और आसमान में बादल हो सकते हैं, जिससे कम दिखाई दे सकता है। इसलिए, अधिक दृश्यता के
लिए उच्च-कंट्रास्ट रंगों के कपड़े चुनना बेहतर होता है, ताकि आप आसानी से दिख सकें
और अन्य लोग आपको पहचान सकें।
लाइटवेट
कपड़े: बरसात के मौसम में अच्छे लाइटवेट कपड़े बरसात
के कारण होने वाली ठंडक के लिए उपयुक्त होते हैं। इनका उपयोग करके आप ठंडक का आनंद
ले सकते हैं, और इन्हें यात्रा के दौरान आसानी से संगठित कर सकते हैं।
42. किशोरों के आहार में आयोडीन का क्या महत्व है?
उत्तर
- एक आवश्यक खनिज, आयोडीन का उपयोग थायरॉयड ग्रंथि द्वारा थायराइड हार्मोन बनाने के
लिए किया जाता है जो वृद्धि और विकास सहित शरीर में कई कार्यों को नियंत्रित करता है।
क्योंकि आपका शरीर आयोडीन का उत्पादन नहीं करता है, इसलिए इसकी आपूर्ति खाद्य पदार्थों
और पेय पदार्थों से की जानी चाहिए। जब आयोडीन का सेवन कम होता है, तो शरीर पर्याप्त
थायराइड हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाता है।
1
से 8 वर्ष की आयु: 90 माइक्रोग्राम
9
से 13 वर्ष की आयु: 120 माइक्रोग्राम
14
वर्ष और उससे अधिक: 150 माइक्रोग्राम
गर्भवती:
220 माइक्रोग्राम
स्तनपान:
290 माइक्रोग्राम
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 4x5=20
43. परिधान खरीदते समय उसकी गुणवत्ता के लिए आप किन बातों का ध्यान
रखेंगी?
उत्तर
- परिधान खरीदने का सही चयन करने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए
ताकि आप उच्च गुणवत्ता और सुस्ती में बेहतरीन वस्त्रों को चुन सकें। निम्नलिखित बातें
आपको सहायक हो सकती हैं:
कपड़े
का प्रकार: सबसे पहली बात यह है कि आपको कौन से प्रकार
के कपड़े चाहिए, इसे सोचना होगा। आपकी आवश्यकताओं और उपयोग के आधार पर, आपको फॉर्मल
वस्त्र, कैज़ुअल वस्त्र, या आउटडोर एक्टिविटी के लिए कपड़े चुनने में मदद करेगा।
कपड़े
की गुणवत्ता: कपड़े की गुणवत्ता को समझने के लिए आपको
उसकी उत्पत्ति, कच्चे सामग्री, और ढंग को ध्यान में रखना चाहिए। उत्पत्ति के अनुसार,
विभिन्न क्षेत्रों के परिधान की विशेषता हो सकती है।
साइज
और फिट: सही साइज और फिट होना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
वस्त्र का उचित साइज और फिट ना केवल स्वास्थ्य और आराम के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि
यह भी आपके आउटफिट को स्टाइलिश बनाए रखता है।
रंग
और डिज़ाइन: आपके व्यक्तिगत पसंद और आपके आउटफिट के
उपयोग के आधार पर रंग और डिज़ाइन का चयन करें। आपको जो रंग और डिज़ाइन पसंद हैं, जो
आपकी व्यक्तिगत स्टाइल को बढ़ाते हैं, वही सही होता है।
मैटीरियल
और देखभाल: वस्त्र के मैटीरियल पर ध्यान दें क्योंकि यह
आपके आराम और वस्त्र की देखभाल पर असर डालता है। दैहिक बिक्री के निर्देशिका भी ध्यान
में रखें ताकि आप वस्त्रों की देखभाल में सुरक्षित रह सकें।
44. मानकीकरण चिन्ह से आप क्या समझते हैं? मानकीकरण चिह्न का क्या महत्व
है ?
उत्तर
- मानकीकरण चिन्ह (ISO) विभिन्न उद्योगों और क्षेत्रों में गुणवत्ता और मानकों को सुनिश्चित
करने के लिए एक संगठन है। यह विश्वसनीयता, गुणवत्ता, और उत्पादों और सेवाओं की समृद्धि
के लिए एक मानक सिरदर्द है।
मुख्यत:
अंतरराष्ट्रीय
समर्थन और विश्वसनीयता: ISO मानकों के माध्यम से,
विभिन्न देशों और उद्योगों के बीच एक सामंजस्य बनाए रखा जा सकता है। इससे व्यापक स्तर
पर उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता को बनाए रखने में सहारा मिलता है।
उद्योग
में संघटन: ISO मानकों के अनुसार चलने से उद्योगों में
संघटन बढ़ता है और व्यवसायी संगठनों के लिए एक आदर्श नैतिक और गुणवत्ता की स्थापना
होती है।
उत्पाद
सुरक्षा और गुणवत्ता की सुरक्षा: ISO मानकों के अनुसार
उत्पादों की सुरक्षा और उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित होती है, जिससे उपभोक्ताओं को विश्वसनीय
और सुरक्षित उत्पादों का लाभ होता है।
प्रबंधन
प्रक्रिया में सुधार: ISO मानकों का पालन करने से
संगठनों में कार्य प्रक्रिया में सुधार होता है, जो उन्हें अधिक सहज और प्रभावी बनाता
है।
विदेशी
बाजार में प्रवेश: ISO मानकों का पालन करने से
उत्पादों और सेवाओं को विदेशी बाजारों में प्रवेश करना आसान होता है, क्योंकि इससे
विश्वसनीयता बढ़ती है और अन्य देशों के निर्माताओं के साथ मेल-जोल होता है।
45. बचत करने का हमारे जीवन में क्या महत्व है?
उत्तर
- बचत करना हमारे जीवन में कई महत्वपूर्ण योजनाओं और लाभों के साथ आता है, जो हमें
वित्तीय स्थिति में सुरक्षित और स्थिर बनाए रखने में मदद करता है। यहां बचत करने के
महत्व कुछ क्षेत्रों में विस्तार से बताया गया है:
आर्थिक
सुरक्षा: बचत से निर्धारित राशि का निर्माण करना हमें
आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। इससे आने वाले अनपेक्षित खर्चों, महंगाई और आर्थिक
संकटों का सामना करना आसान होता है।
लक्षित
लक्ष्यों की प्राप्ति: बचत करने से हम अपने लक्ष्यों
की प्राप्ति के लिए पैसे जमा कर सकते हैं, जैसे कि घर खरीदना, शिक्षा लाभार्थियों के
लिए पैसे जमा करना, या अपने वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए निवेश करना।
अनपेक्षित
समस्याओं का सामना करना: बचत करना हमें आने वाले निराशाजनक
घटनाओं के लिए तैयार रखता है। इससे अचानकी आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना और उनसे
बचना संभव होता है।
निवेश:
बचत से निधि जमा करने का एक तरीका है, जिससे हम विभिन्न निवेश विकल्पों में पैसा लगा
सकते हैं। यह हमें अधिक आय का संभावना प्रदान करता है और समझदारी से पैसा व्यापार करने
की क्षमता प्रदान करता है।
आर्थिक
विकास: बचत करना हमारी आर्थिक विकास में मदद करता है
और हमें आधुनिक जीवनशैली के साथ अधिक संवेदनशील बनाता है। इससे हम अच्छे शिक्षा, स्वास्थ्य
सुविधाएं, और आर्थिक स्थिति प्रदान कर सकते हैं।
आर्थिक
स्वतंत्रता: बचत करने से हम अपनी आर्थिक स्वतंत्रता
प्राप्त कर सकते हैं, जो जीवन को आर्थिक दृष्टि से अधिक स्वतंत्रता और नियंत्रण प्रदान
करता है।
46. किशोरावस्था में आहार आयोजन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना
आवश्यक है?
उत्तर
- किशोरों के लिये आहार आयोजन करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए –
1.
कम उम्र के किशोर-किशोरियों (13 – 15 वर्ष) की आहार व्यवस्था के लिये दोपहर व रात्रि
के भोजन में दी जाने वाली चपातियों की संख्या कम की जा सकती है। या नाश्ते में दिये
जाने वाले व्यंजनों की मात्रा में कुछ कमी की जा सकती है। परन्तु अन्य व्यवस्था लगभग
समान ही रखी जाती है। क्योंकि संतुलित आहार तालिका के अनुसार उम्र व लिंग के कारण केवल
अनाज की उपभोग इकाइयों में ही विशेष परिवर्तन है; अन्य भोजन इकाइयों में नहीं।
2.
किशोरों द्वारा ले जाये जाने वाले टिफिन में नाश्ते की मात्रा में कमी कर सकते हैं।
या फिर दिन का भोजन हल्का ले सकते
3.
जिन किशोरों की खुराक कम होती है तथा वे 3 – 4 चपाती एक बार में न खा सकें तो मुख्य
आहारों के मध्य बिस्कुट, टोस्ट आदि जलपान लेकर उसकी पूर्ति कर सकते हैं।
4.
आहार आयोजन इस प्रकार करना चाहिए जिससे किशोरों की पोषणिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती
हो।
5.
आहार व्यवस्था उनके स्कूल, कालेज एवं अन्य क्रियाकलापों के अनुकूल हो।
6.
आहार में ऐसे व्यंजन सम्मिलित करने चाहिए जो कि शीघ्र बनाये व खाये जा सकें, पौष्टिक
भी हों तथा उनके व्यस्त कार्यक्रमों में बाधा उत्पन्न न कर पायें।
7.
नित्य प्रतिदिन टिफिन में नये-नये पौष्टिक व्यंजन देने चाहिए। जिससे कि वे बाहर का
भोजन न खायें जैसे-इडली, डोसा, चाऊमीन, बर्गर, सैण्डविच आदि।
8.
घर में हमेशा किशोरों की पसन्द के पौष्टिक व कुरकुरे स्नैक्स की व्यवस्था होनी चाहिए
जिन्हें वे भोजन के मध्य खा सकें। इससे उनकी पौष्टिक आवश्यकताओं की पूर्ति भी होगी
तथा समय भी कम लगेगा।
9.
दूध व हरी पत्तेदार सब्जियों के प्रति किशोरों में अरुचि होती है इसके लिये उनका रूप
बदलकर भी उन्हें दिया जा सकता है। दूध को दही, रायता, छाछ, पनीर, खोये की मिठाई आदि
के रूप में दिया जा सकता है। इसी प्रकार हरी सब्जियों को पराठे, सैण्डविच, बर्गर, पकौड़े,
पावभाजी, चाऊमीन आदि में सम्मिलित करके दे सकते हैं।
10.
मौसमी फलों का समावेश दिनभर में अवश्य करना चाहिए।
11.
भोजन को अधिक रुचिकर बनाने के लिये उनके रंग, रूप, बनावट, स्वाद व सुगंध में विविधता
लायी जा सकती है। अत: आहार में उनकी मानसिक स्थिति के अनुसार लचीलापन होना चाहिए।
12.
किशोरों में मित्रों के साथ पार्टी करने का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है अतः घर पर ही
छोटी-छोटी पार्टियों का आयोजन करते रहना चाहिए जिसमें घर के बने व्यंजन पौष्टिक आहार
के रूप में दिया जा सकते हैं।
47. संक्रामक रोगों से बचाव के लिए सामान्य तरीके बताएं? इसका हमारे
जीवन में क्या महत्व है?
उत्तर
- संक्रामक रोगों से बचाव के लिए कई सामान्य तरीके हैं, जो एक स्वस्थ और सुरक्षित जीवनशैली
को प्रोत्साहित करते हैं। ये तरीके निम्नलिखित हैं:
हाथ
धोना: सबसे सामान्य और प्रभावी तरीका है हाथों को
नियमित रूप से साबुन और पानी से धोना। यह बैक्टीरिया और वायरसों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान
करता है और संक्रामक बीमारियों को फैलाने से रोकता है।
मुख
का ध्यान रखना: अपने मुख को ढंकने के लिए एल्बो या टिश्यू
का इस्तेमाल करें जब आप छींकते हैं या खासी करते हैं। यह वायरस के छित्रण को कम करता
है और आपको सुरक्षित रखता है।
सांस
लेने के बाद हाथ धोना: सांस लेने के बाद या नाक मुछने
के बाद हाथों को धोना भी अच्छा होता है। यह बैक्टीरिया और वायरसों को हाथ से दूर रखता
है।
सामाजिक
दूरी बनाए रखना: जब आपको बुरी तरह से बीमारी हो, तो आपको
दूसरों से दूर रहना चाहिए। सामाजिक दूरी बनाए रखना संक्रामक बीमारीयों के प्रसार को
कम करने में मदद कर सकता है।
टीकाकरण:
उपयुक्त टीकाकरण से संक्रामक बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। टीकाकरण का समय-समय
पर अपडेट करना आवश्यक है, और यह बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने में मदद कर
सकता है।
संक्रामक
रोगों से बचाव का हमारे जीवन में महत्व बहुत है, और यह कई तरीकों से हमें स्वास्थ्य
और समृद्धि में मदद करता है। यहां संक्रामक रोगों से बचाव के महत्वपूर्ण कारणों का
एक अधिकृत संक्षेप दिया गया है:
स्वास्थ्य
सुरक्षा: संक्रामक रोगों से बचाव स्वास्थ्य की सुरक्षा
करता है और व्यक्ति को बीमारियों से बचाए रखता है। यह विभिन्न संक्रामक बीमारियों जैसे
कि बुक्स, फ्लू, टीबी, डेंगू, मलेरिया, और कोविड-19 से सुरक्षा प्रदान करता है।
समृद्धि
में सहारा: स्वस्थ रहने से उत्पन्न समृद्धि का सहारा मिलता
है, क्योंकि स्वस्थ व्यक्ति काम करने में अधिक सक्षम होता है और अपने लक्ष्यों की प्राप्ति
में सक्षम होता है।
आर्थिक
स्थिति की सुरक्षा: स्वास्थ्य सुरक्षा का सामर्थ्यिक
तौर पर व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को सुरक्षित रखता है, क्योंकि बीमार होने पर उपचार
और उपकरण की आवश्यकता नहीं होती, जिससे आर्थिक दुखाना कम होता है।
सामाजिक
समृद्धि का सहारा: स्वस्थ व्यक्ति समाज में सक्रिय
भागीदारी कर सकता है और सामाजिक समृद्धि का भागीदार बन सकता है, जिससे समाज को भी लाभ
होता है।
परिवार
और समुदाय की सुरक्षा: स्वस्थ व्यक्ति अपने परिवार
और समुदाय को संक्रामक बीमारियों से सुरक्षित रखता है, क्योंकि उससे बीमारी फैलने की
संभावना कम होती है और उपचार और उपकरण की आवश्यकता कम होती है।
48. समेकित बाल विकास परियोजना क्या है? इसके लक्ष्य समूह कौन-कौन से
हैं?
उत्तर
- समेकित बाल विकास परियोजना (Integrated Child Development Services - ICDS) भारत
सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक सेवा प्रणाली है, जो बच्चों के
सामाजिक और शारीरिक विकास को सुनिश्चित करने का उद्देश्य रखती है।
ICDS
के लक्ष्य:
पूर्णांकित
आहार (Full Immunization): सभी बच्चों को सही समय पर पूर्णांकित आहार प्रदान करना।
सही
आहार- गर्भवती महिलाओं को और 6 माह तक के बच्चों को
सही आहार प्रदान करना।
स्वस्थता
की जांच - नवजात शिशुओं की जांच, पौष्टिक स्थिति की निगरानी,
और बच्चों की स्वस्थता की निगरानी का समर्थन करना।
प्राथमिक
शिक्षा- 3 से 6 वर्षीय बच्चों के लिए प्राथमिक शिक्षा
की प्रदान करना।
मातृत्व
स्वास्थ्य एवं पोषण - गर्भवती महिलाओं की देखभाल,
प्रसव सुरक्षा, और उनके पोषण की सुरक्षा का समर्थन करना।
प्रसूतियों
और शिशुओं के निगरानी - प्रसूतियों और शिशुओं के निगरानी
की प्रदान करना, विशेषकर संबंधित वृद्धि दरें कम करने के लिए।
सामाजिक
और शैक्षिक विकास- बच्चों के सामाजिक और शैक्षिक
विकास का समर्थन करना और माताएं को समृद्धि से जुड़ने में मदद करना।
अनुसंधान और प्रशिक्षण- स्थानीय कर्मचारियों को सहायकता प्रदान करना, और संबंधित अनुसंधान और प्रशिक्षण की प्रदान करना।
2. नैदानिक पोषण और आहारिकी
3. जनपोषण तथा स्वास्थ्य
4. खान-पान व्यवस्था और भोजन सेवा प्रबंधन
5. खाद्य प्रसंस्करण और प्रौद्योगिकी
6. खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा
7. प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा
8. मार्गदर्शन और परामर्श
9. विशेष शिक्षा और सहायक सेवाएँ
10. बच्चों, युवाओं और वृद्धजनों के लिए सहायक सेवाओं, संस्थानों और कार्यक्रमों का प्रबंधन
11. वस्त्र एवं परिधान के लिए डिज़ाइन
12. फ़ैशन डिज़ाइन और व्यापार
13. वस्त्र उद्योग में उत्पादन तथा गणवत्ता नियंत्रण
14. संग्रहालयों में वस्त्र संरक्षण
15. संस्थाओं में वस्त्रों की देख-भाल और रख-रखाव
16. मानव संसाधन प्रबंधन
17. आतिथ्य प्रबंधन
18. श्रम प्रभाविकी तथा भीतरी एवं बाहरी स्थानों की सज्जा
19. समारोह प्रबंधन
20. उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण
21. विकास संचार तथा पत्रकारिता
22. पैरवी
23. जनसंचार माध्यम प्रबंधन, डिज़ाइन एवं उत्पादन
24. निगमित संप्रेषण तथा जनसंपर्क
25. विकास कार्यक्रमों का प्रबंधन