Class 12 History अध्याय-12 औपनिवेशिक शहर नगरीकरण, नगर योजना, स्थापत्य Question Bank-Cum-Answer Book

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प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 12

इतिहास (History)

अध्याय-12 औपनिवेशिक शहर नगरीकरण, नगर योजना, स्थापत्य

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Question)

1. 1661 ईस्वी में ब्रिटेन के राजा चार्ल्स द्वितीय को दहेज के रूप में पुर्तगाल के शासक से कौन सा शहर मिला?

(A) मद्रास

(B) बम्बई

(C) कलकत्ता

(D) गोवा

2. औपनिवेशिक काल में उत्तर भारत में कौन सा अधिकारी होता था जो नगर में आंतरिक मामलों पर नजर रखता था और कानून व्यवस्था बनाय रखता था-

(A) पुरवाल

(B) कोतवाल

(C) प्रधान

(D) नागरक

3. गंज क्या है?

(A) छोटे स्थायी बाजार

(B) बड़े स्थायी बाजार

(C) छोटे नगर

(D) बड़े नगर

4. अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी के एजेंट 1639ई. में कहां बस गए थे?

(A) मछलीपट्टनम में

(B) मद्रास में

(C) पांडिचेरी में

(D) कलकता में

5. प्लासी का युद्ध कब हुआ था?

(A) 1757

(B) 1857

(C) 1764

(D) इनमें से कोई नहीं।

6. अखिल भारतीय जनगणना का पहला प्रयास कब किया गया?

(A) 1872

(B) 1881

(C) 1890

(D) 1672

7. कब से भारत में दशकीय जनगणना एक नियमित व्यवस्था बन गई-

(A) 1872

(B) 1881

(C) 1890

(D) 1672

8. भारतीय रेलवे की शुरुआत कब से हुई-

(A) 1850

(B) 1853

(C) 1860

(D) 1861

9. कलकत्ता में अंग्रेजों की किलेबंदी का क्या नाम था?

(A) फोर्ट सेंट जॉर्ज

(B) फोर्ट विलियम

(C) फोर्ट सेंट डेविड

(D) इनमें से कोई नहीं ।

10. "फोर्ट सेंट जॉर्ज' की स्थापना कहां की गई थी?

(A) कलकत्ता

(B) मद्रास

(C) बंम्बई

(D) दिल्ली

11. औपनिवेशिक भारत में स्टील उत्पादन कहां किया जाता था?

(A) कानपुर

(B) जमशेदपुर

(C) कलकत्ता

(D) मद्रास

12. औपनिवेशिक भारत के किस शहर में चमड़े की चीजें, ऊनी और सूती कपड़े बनते थे?

(A) जमशेदपुर

(B) कानपुर

(C) कलकत्ता

(D) मद्रास

13. अंग्रेज लोग किस मौसम को बीमारियां पैदा करने वाला मानते थे?

(A) ठंडा मौसम

(B) गर्म मौसम

(C) वर्षा का मौसम

(D) इनमें से कोई नहीं।

14. 'कलकत्ता' शहर की निर्माण की गई है-

(A) सुतानती में

(B) कोलकाता में

(C) गोविंदपुर में

(D) तीनों गांव को मिलाकर ।

15. लॉर्ड वेलेज्ली भारत का गवर्नर जनरल कब बना?

(A) 1797

(B) 1799

(C) 1798

(D) 1800

16. 'गेटवे ऑफ इंडिया' का निर्माण कब किया गया?

(A) 1911 ई

(B) 1910 ई.

(C) 1912 ई.

(D) 1913 ई.

17. ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम और उसकी पत्नी मेरी के स्वागत के लिए बनाया गया?

(A) गेटवे ऑफ इंडिया

(B) इंडिया गेट

(C) Aएवं B दोनों

(D) इनमें से कोई नहीं।

18. कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना कब की गई थी?

(A) 1771 ई.

(B) 1772 ई.

(C) 1773 ई.

(D) 1770 ई.

19. कलकत्ता की जगह दिल्ली को राजधानी कब बनाया गया ?

(A) 1910

(B) 1911

(C) 1912

(D) 1913

20. किस वर्ष वास्कोडिगामा भारत पहुंचा?

(A) 1998

(B) 1498

(C) 1598

(D) 1398

अति लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1. 17वीं शताब्दी में विकसित तीन शहरों के नाम बताएं? जो 18 वीं शताब्दी में पतनोन्मुख हो गए। इनका स्थान किन तीन नगरों ने ले लिया?

उत्तर- पतनोन्मुख नगर:- सूरत, मछलीपट्टनम एवं ढाका।

नए नगर:- बम्बई, कलकत्ता एवं मद्रास ।

प्रश्न 2. बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला ने 1756 ई० में कहां आक्रमण किया था?

उत्तर:- 1756 0 में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला ने कलकत्ता पर हमला किया और अंग्रेज अधिकारियों द्वारा बनाए गए माल गोदाम (छोटे किले पर कब्जा कर लिया।

प्रश्न 3. हिल स्टेशनों के आरंभिक उद्देश्य क्या थे?

उत्तरः- हिल स्टेशनों की स्थापना का आरंभिक उद्देश्य ब्रिटिश सेना की जरूरतों से जुड़ा था। यह सैनिकों को ठहराने, सीमा की निगरानी करने तथा शत्रु पर हमला बोलने के लिए महत्वपूर्ण स्थान थे।

प्रश्न 4. आमार कथा (मेरी कहानी) आत्मकथा किसकी है?

उत्तर:- विनोदिनी दासी। यह बंगाली रंगमंच में 19वीं सदी के आखिर और बीसवीं सदी के शुरुआती दशकों की जानी-मानी हस्ती थी।

प्रश्न 5. कलकत्ता की लॉटरी कमेटी क्या थी?

उत्तर:- कलकत्ता की लॉटरी कॉमेटी लॉटरी बेचकर नगर नियोजन के लिए पैसा इकट्ठा करती थी। लॉर्ड वेलेजली के जाने के बाद कलकता के नगर नियोजन का काम सरकार की सहायता से इसी कमेटी ने किया।

प्रश्न 6. मद्रास, कलकत्ता तथा बम्बई मूलतः कैसे शहर थे ?

उत्तर:- मद्रास, कलकत्ता तथा बम्बई मूल रूप से मत्स्य ग्रहण तथा बुनाई के गांव थे। वे अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी की व्यापारिक गतिविधियों के परिणाम स्वरूप व्यापार के महत्वपूर्ण केंद्र बन गए।

प्रश्न 7. कंपनी के एजेंट मद्रास तथा कलकत्ता में कब-कब बसे? बम्बई कंपनी को कैसे प्राप्त हुई?

उत्तर:- कंपनी के एजेंट 1639 ई० में मद्रास तथा 1690 ई० में कलकत्ता में बसे। ब्रिटेन के राजा चार्ल्स द्वितीय को दहेज के रूप में पुर्तगाल के राजा से 1661 ईस्वी को मिला, फिर चार्ल्स द्वितीय ने ईस्ट इंडिया कंपनी को 1668 ई० में बेच दिया। इस प्रकार बम्बई कंपनी को प्राप्त हुई।

प्रश्न 8. औपनिवेशिक काल में बम्बई, कलकत्ता तथा मद्रास में जनसंख्या वृद्धि के तीन कारण बताइए?

उत्तर:-

1 ये नगर प्रशासन और सत्ता के केंद्र थे।

2 इनमें नए भवनों तथा संस्थानों का विकास हुआ।

3 यहां रोजगार के नए नए अवसर विकसित हुए। जिसके कारण लोग बड़ी संख्या में इन शहरों की ओर आकर्षित हुए।

प्रश्न 9. 1857 के विद्रोह के बाद औपनिवेशिक शहरों के भवनों का स्वरूप किस प्रकार बदल गया? कोई दो उदाहरण दीजिए।

उत्तर:- 1857 के विद्रोह के बाद औपनिवेशिक शहरों का स्वरूप-

1 बड़े-बड़े बंगले बनाए जाने लगे जो बगीचा में बनाए गए।

2 भवनों के निर्माण में यूरोपीय वास्तु शैलियों को अपनाया गया।

प्रश्न 10. अखिल भारतीय जनगणना का सर्वप्रथम प्रयास कब किया गया? इसकी प्रारंभिक दो उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए?

उत्तर:- अखिल भारतीय जनगणना का सर्वप्रथम प्रयास 1872 ई० में किया गया।

इसकी आरंभिक दो उद्देश्य:-

1. लोगों के लिंग जाति तथा व्यवसायों के आंकड़े प्राप्त करना।

2. बीमारियों से होने वाली मौतों की जानकारी प्राप्त करना।

लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1. औपनिवेशिक शहरों में रिकॉर्ड्स संभाल कर क्यों रखे जाते थे?

उत्तर- औपनिवेशिक शहरों में रिकॉर्ड शहरीकरण के विकास की गति को जानने के लिए संभाल कर रखे जाते थे। इनसे निम्नलिखित बातों का पता चलता था-

(a) शहरों की जनसंख्या के उतार-चढ़ाव का पता लगाया जा सकता था।

(b) शहरों में हो रही व्यापारिक गतिविधियों का पता चलता था।

(c) सामाजिक जीवन का पता लगाया जा सकता था।

(d) शहरों के विकास के लिए और क्या किया जाना चाहिए, का पता लगाया जाता था।

(e) बढ़ते हुए शहरों में जीवन की गति और दिशा को नियंत्रण किया जा सकता था।

प्रश्न 2. औपनिवेशिक संदर्भ में शहरीकरण की रुझानों को समझने के लिए जनगणना संबंधी आंकड़े किस हद तक उपयोगी होते हैं?

उत्तर:- औपनिवेशिक संदर्भ में शहरीकरण के रुझानों को समझने के लिए जनसंख्या के आंकड़े बहुत ही उपयोगी सिद्ध होते हैं:-

(क) ये आंकडे शहरीकरण की गति को दर्शाते हैं। हमें पता चलता है कि 1800 ई० के बाद शहरीकरण की गति धीमी रही। पूरी 19वीं शताब्दी तथा बीसवीं शताब्दी के पहले दो दशकों में शहरी जनसंख्या का अनुपात लगभग स्थिर रहा।

(ख) ये हमें उस समय के लोगों के व्यवसायों के बारे में बताते हैं।

(ग) ये लोगों के लिंग, जाति, धर्म, शिक्षा के स्तर आदि की जानकारी देते हैं।

(घ) ये उस समय के रंगभेद के प्रतीक है। उदाहरण के लिए गोरे 'व्हाइट टाउन' में रहते थे, जबकि भारतीय 'ब्लैक टाउन में अस्वास्थ्यकर वातावरण में रहते थे।

(ङ) जनसंख्या के आंकड़े, मृत्यु दर तथा बीमारियों से मरने वाले लोगों की संख्या बताते हैं।

(च) ये आंकड़े स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव को दर्शाते हैं।

प्रश्न 3. व्हाइट और ब्लैक टाउन शब्दों का क्या महत्व था?

उत्तरः-व्हाइट और ब्लैक टाउन' भारतीयों पर अंग्रेजों की जातीय श्रेष्ठता के प्रतीक थे। अंग्रेज गोरी चमड़ी वाले थे और उन्हें व्हाइट कहा जाता था, जबकि भारतीयों को काले अर्थात ब्लैक लोग माना जाता था।

व्हाइट टाउन औपनिवेशिक शहरों के भाग थे, जहां केवल गोरे लोग रहते थे। छावनियों को भी सुरक्षित स्थानों पर विकसित किया गया तथा छावनियों में यूरोपियों के अधीन भारतीय सैनिक तैनात किए जाते थे। ये इलाके मुख्य शहर

अलग परंतु जुड़े हुए होते थे। चौड़ी सड़कों, बड़े बगीचों में बने बंगलों, परेड मैदान और चर्च आदि से लैस यह छावनियां यूरोपीय लोगों के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल थी। व्हाइट टाउन व्यवस्थित शहरी जीवन का प्रतीक था। ब्लैक टाउन में भारतीय लोग रहते थे। ये अव्यवस्थित थे तथा गंदगी और बीमारी का स्रोत थे। इन्हें अराजकता एवं उपद्रव का केंद्र माना जाता था।

प्रश्न 4. प्रमुख भारतीय व्यापारियों ने औपनिवेशिक शहरों में खुद को किस तरह स्थापित किया?

उत्तरः- प्रमुख भारतीय व्यापारी काफी धनी थे। वे पढ़े-लिखे भी थे। वे चाहते थे कि वह भी अंग्रेजों की तरह व्हाइट टाउन जैसे साफ-सुथरे इलाकों में रहे और उन्हें भी समाज में उचित सम्मान प्राप्त हो। इस उद्देश्य से उन्होंने निम्नलिखित कदम उठाए-

1 उन्होंने औपनिवेशिक शहरों अर्थात बम्बई कलकता और मद्रास में एजेंटों तथा बिचौलियों के रूप में काम करना शुरू कर दिया।

2. उन्होंने ब्लैक टाउन में बाजारों के आसपास परंपरागत ढंग के ढलानी मकान बनवाए। उन्होंने भविष्य में पैसा लगाने के लिए शहर के अंदर बड़ी-बड़ी जमीनें भी खरीद ली थी।

3. अपने अंग्रेज स्वामियों को प्रभावित करने के लिए त्योहारों पर रंगीन भोजों का आयोजन करते थे।

4. समाज में अपनी उच्च स्थिति को दर्शाने के लिए उन्होंने मंदिर बनवाए।

5. मद्रास में कुछ द्विभाषी व्यापारी ऐसे भारतीय थे जो स्थानीय भाषा और अंग्रेजी दोनों ही बोलने जानते थे। पर भारतीय समाज तथा गौरव के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाते थे।

6. संपत्ति इकट्ठा करने के लिए वे सरकार में अपनी पहुंच का प्रयोग करते थे।

7. ब्लैक टाउन में परोपकारी कार्यों और मंदिरों को संरक्षण प्रदान करने के कारण समाज में उनकी स्थिति काफी मजबूत थी।

प्रश्न 5 औपनिवेशिक मद्रास में शहरी और ग्रामीण तत्व किस हद तक घुल मिल गए थे?

उत्तर:- मद्रास को बहुत से गाँवों को मिलाकर विकसित किया गया था। धीरे-धीरे भिन्न भिन्न प्रकार के आर्थिक कार्य करने वाले कई समुदाय आकर मद्रास में बस गए। यूरोपवासी 'व्हाइट टाउन' मैं रहते थे, जिसका केंद्र फोर्ट सेंट जॉर्ज अथवा सेंट जॉर्ज किला था। अंग्रेजों की सत्ता मजबूत होने के साथ-साथ यूरोपीय निवासी किले से बाहर जाने लगे। गार्डन हाउसेस अथवा बगीचों वाले मकान सबसे पहले माउंट रोड और पूनावाली रोड़ पर बनने शुरू हुए। ये सड़कें किले से छावनी तक जाती थी। इस दौरान संपत्र भारतीय भी अंग्रेजों की तरह रहने लगे थे। परिणाम स्वरूप मद्रास के इर्द-गिर्द स्थित गांव का स्थान बहुत से नए उपशहरी प्रदेशों ने ले लिया। इसलिए भी संभव हो सका क्योंकि संपन्न लोग परिवहन सुविधाओं की लागत वहन कर सकते थे। परंतु गरीब लोग अपने काम की जगह के निकट स्थित गांव में ही रहते थे। मद्रास के बढ़ते शहरीकरण का परिणाम यह हुआ कि इन गांव के बीच वाले प्रदेश शहर में समा गए। इस प्रकार मद्रास में शहरी तथा ग्रामीण तत्व आपस में घुल मिल गए और मद्रास दूर दूर तक फैली एक अल्प सघन आबादी वाला अर्ध ग्रामीण शहर बन गया।

प्रश्न 6. शैलवासों की स्थापना के प्रमुख कारण क्या थे?

अथवा

ब्रिटिश शासकों के लिए हिल स्टेशन क्यों महत्वपूर्ण थे?

अथवा

पर्वतीय सैरगाहों (हिल स्टेशनों) के विकास की प्रक्रिया को समझाइये।

उत्तर:- छावनियों की तरह पर्वतीय सैरगाह (हिल स्टेशन) भी औपनिवेशिक शहरी विकास का एक महत्वपूर्ण अंग थी। हिल स्टेशनों की स्थापना और बसावट का संबंध सबसे पहले ब्रिटिश सेना की जरूरतों से था। सिमला (वर्तमान शिमला) की स्थापना गोरखा युद्ध (1815 1816) के दौरान की गई थी। आंग्ल-मराठा युद्ध (1818) के कारण अंग्रेजों की दिलचस्पी माउंट आबू में बढ़ने लगी। 1835 ई० में उन्होंने सिक्किम के राजाओं से दार्जिलिंग को प्राप्त किया था। यह हिल स्टेशन फौजियों को ठहराने, सीमा की देखभाल करने और दुश्मन के खिलाफ हमला बोलने के लिए महत्वपूर्ण स्थान थे।

अंग्रेजों के मतानुसार भारतीय पहाड़ों की मृदु और ठंडी जलवायु विशेष रुप से स्वास्थ्यवर्धक थी। वे गर्म मौसम को बीमारियां पैदा करने वाला मानते थे। उन्हें गर्मियों के कारण हैजा और मलेरिया की सबसे ज्यादा आशंका रहती थी। वे फौजियों को इन बीमारियों से दूर रखने की पूरी कोशिश करते थे। सेना की भारी-भरकम मौजूदगी के कारण यह स्थान पहाड़ियों में एक नई तरह की छावनी बन गए। इन हिल स्टेशनों को सेनेटोरियम के रूप में भी विकसित किया गया और सिपाहियों को यहां विश्राम करने एवं इलाज कराने के लिए भेजा जाने लगा। हिल स्टेशनों की जलवायु यूरोप की ठंडी जलवायु से मिलती-जुलती थी इसलिए नए शासकों को यहां की आबोहवा काफी लुभाने लगी। यही कारण था कि वायसराय प्रत्येक वर्ष गर्मियों में अपने दल बल के साथ हिल स्टेशनों पर पहुंच जाते थे। 1864 ईस्वी में वायसराय जॉन लॉरेंस ने आधिकारिक रूप से अपने काउंसिल शिमला में स्थानांतरित कर दी और इस तरह गर्म मौसम में राजधानियां बदलने के सिलसिले पर विराम लगा दिया। शिमला भारतीय सेना के कमांडर इन चीफ (प्रधान सेनापति का भी अधिकृत आवास बन गया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 19वीं शताब्दी में नगर नियोजन को प्रभावित करने वाली चिंताएं कौन सी थी?

उत्तर:- 19वीं शताब्दी में नगर नियोजन को प्रभावित करने वाली प्रमुख चिंताएं निम्नलिखित थीं-

(1) नगर को समुद्र के निकट बसाना नगर नियोजन की एक प्रमुख चिंता थी। कंपनी सरकार नगरों को समुद्र के निकट विकसित करना चाहती थी, ताकि यूरोपियों के व्यापारिक उद्देश्यों की पूर्ति भली-भांति की जा सके। यूरोपीय माल बिना किसी कठिनाई के भारत लाया जा सके और भारत का माल आसानी से यूरोप में भेजा जा सके।

(2.) दूसरी महत्वपूर्ण चिंता सुरक्षा से संबंधित थी । 1857 ई० के विद्रोह ने भारत में औपनिवेशिक अधिकारियों को इतना अधिक भयभीत कर दिया था की उन्हें हमेशा विद्रोह की आशंका बनी रहती थी। इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से वे भारतीयों के खतरे से दूर अलग एवं पूर्ण रूप से सुरक्षित बस्तियों में रहना चाहते थे। इसी उद्देश्य से पुराने बस्तियों के आसपास स्थित चरागाहों एवं खेतों को साफ करवा दिया गया। 'सिविल लाइंस नाम से एक नए शहरी क्षेत्र विकसित किए गए, जिनमें केवल यूरोपीय लोग ही निवास कर सकते थे।

(3) नगर नियोजन के लिए शहरों के नक्शे बनवाना एक आवश्यक चिंता थी। किसी भी स्थान की बनावट अथवा भू-संरचना को समझने के लिए मानचित्रों की आवश्यकता होती थी।

(4) औपनिवेशिक सरकार भारतीय लोगों के साथ रंगभेद और जातिभेद की भावना रखती थी। यूरोपियों की दृष्टि में भारतीय असभ्य लोग थे। वे अपने क्लबों और सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग करने की अनुमति नहीं देना चाहते थे। अतः वे अपना नगर हिंदुस्तानी कस्बों से अलग स्थान पर बनाना चाहते थे।

(5) यूरोपीय कंपनियां अपनी बस्ती अधिक हरियाली, गंदे तालाबों, बदबू और नालियों की खस्ता हालत जैसे स्थानों पर नहीं बनाना चाहते थे। उनका मानना था कि ऐसे स्थानों पर बीमारियां फैलती है। अतः शहर को अधिक स्वास्थ्यकर बनाने का एक उपाय शहर में खुले स्थान छोड़े जाने के रूप में ढूंढ निकाला ।

( 6 ) नगर नियोजन के कार्य को देखने के लिए अनेक प्रकार की कमेटियों का गठन करना, इसकी एक प्रमुख चिंता थी, जो शहर को साफ सुथरा बनाने के लिए बाजारों, घाटों, कब्रिस्तानों और चर्म शोधन वाले स्थान को साफ रखें।

(7) नगरों के रख-रखाव के लिए पर्याप्त धन की आवश्यकता थी। अतः धन जुटाना एक प्रमुख चिंता थी। इसके लिए कलकता जैसे शहर की रख रखाव के लिए लॉटरी कमेटी का गठन किया गया था, जो जनता के बीच लॉटरी बेचकर धन इकट्ठा करती थी।

प्रश्न 2. कलकत्ता के एक आधुनिक नगर बनने की प्रक्रिया का विस्तार से वर्णन कीजिए।

उत्तरः कलकत्ता का एक आधुनिक नगर के रूप में उद्भव तथा विकास:- कलकत्ता औपनिवेशिक काल में एक प्रमुख नगर था। हुगली नदी के किनारे एक छोटे से गांव से विकसित होकर ब्रिटेन के भारतीय साम्राज्य की राजधानी बना। यह 1911 ई० तक अंग्रेजों के अधीन भारत की राजधानी बना रहा। इसलिए इस नगर का अत्यधिक महत्व है। कलकता के आधुनिक नगर के रूप में उभरने की प्रक्रिया तथा कलकता में नगरीकरण व नगर नियोजन की निम्नलिखित बिंदुओं में वर्णन किया जा सकता है:-

1. कलकता नगर का इतिहास सर्वप्रथम 1690 0 में एक अंग्रेज व्यापारी जॉब चारनॉक (Job Charnock) ने हुगली नदी के किनारे सुतानाती नामक गांव में एक व्यापारिक कोठी स्थापित की थी। इसी से आगे चलकर कोलकाता नगर के मार्ग प्रशस्त हुआ ।

1698 ई० में जॉब चारनाक को सुतानाती, कलकत्ता और गोविंदपुर नामक तीनों गांव की जमींदारी प्राप्त हो गई। उनकी नवीन किलेबंद बस्ती फोर्ट विलियम कहलाने लगी। यहां एक प्रेसिडेंट और कौंसिल की स्थापना की गई।

2. नगर का प्रारंभिक नियोजन- अंग्रेजों ने बंगाल में अपने शासन के शुरू से ही नगर नियोजन का कार्यभार अपने हाथों में ले लिया था। इसका मुख्य कारण सुरक्षा संबंधी उद्देश्य थे। 1756 ई० में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला ने कोलकाता पर हमला किया और अंग्रेज व्यापारियों द्वारा माल गोदाम के तौर पर बनाए गए छोटे किले पर कब्जा कर लिया। कुछ समय बाद 1757 में प्लासी के युद्ध में जब सिराजुद्दौला को परास्त कर दिया गया तो उसके पश्चात कंपनी ने किले को मजबूत बनाने का निर्णय लिया, जिससे कि उस पर आसानी से अधिकार न किया जा सके। कंपनी ने इन तीनों गांवों में सबसे दक्षिण में पड़ने वाले गोविंदपुर गांव की जमीन को साफ करने के लिए वहां के व्यापारियों और बुनकरों को हटने का आदेश जारी कर दिया। नवनिर्मित फोर्ट विलियम के इर्द-गिर्द एक विशाल जगह खाली छोड़ दी गई जिसे स्थानीय लोग मैदान या गारेर मठ कहने लगे थे। खाली मैदान रखने मकसद था कि अगर दुश्मन की सेना किले की तरफ बढ़े तो उस पर किले से बेरोक-टोक गोलीबारी की जा सके।

अंग्रेजों को जब कलकता में अपने स्थायी निवास के विषय में विश्वास जागृत होने लगा तो उन्होंने किले से बाहर मैदान की परिधि में अपने निवास के लिए इमारते बनवाने प्रारंभ कर दी। इस प्रकार कोलकाता में नगर नियोजन का प्रारंभ हुआ। किले के चारों और बनाया गया खाली मैदान जिसका अस्तित्व वर्तमान में भी है, कोलकाता के प्रथम महत्वपूर्ण नगर नियोजन का प्रतीक चिन्ह है।

3. नगर को स्वास्थ्यपरक बनाने के उपाय- 1798 में जब लॉर्ड वेलेजली भारत के गवर्नर जनरल बनकर आए तो उन्होंने गवर्नमेंट हाउस के नाम से अपने लिए एक विशाल इमारत का निर्माण करवाया। लार्ड वेलेजली नगर के भारतीय आबादी वाले भाग की अव्यवस्थाओं से चिंतित हुए। नगर के इस भाग में प्रमुख समस्याएं थी- आवश्यकता से अधिक हरियाली, गंदे तालब, तथा गंदे पानी के निकास की समुचित व्यवस्था का अभाव। उनका मानना था कि रुके हुए पानी के इन गंदे तालाबों तथा दलदली भूमि से जहरीली गैस निकलती है जो कि अधिकांश बीमारियों का कारण है। शहर को ज्यादा स्वास्थ्य परक बनाने का एक तरीका यह ढूंढा गया कि शहर में खुले स्थान छोड़े जाए। लॉर्ड वेलेज्ली ने 1803 ई० में नगर नियोजन की आवश्यकता पर एक प्रशासकीय आदेश जारी किया और इस विषय में कई कमेटियों का गठन किया। बहुत सारे बाजारों, घाटों, कब्रिस्तानों और चर्म शोधन इकाइयों को साफ किया गया या हटा दिया गया। इसके बाद जन स्वास्थ्य एक ऐसा विचार बन गया जिसकी शहरों की सफाई और नगर नियोजन परियोजनाओं में बार-बार बल दी जाने लगी।

नगर नियोजन में नस्लीय भेदभाव से भारतीयों में असंतोष तथा राष्ट्रवादी भावनाओं का उदय- 19वीं सदी आते आते शहर में सरकारी दखलअंदाजी और ज्यादा सख्त हो चुकी थी। वो जमाना अब बीत चुका था, जब नगर नियोजन को सरकार और निवासियों, दोनों की साझा जिम्मेदारी माना जाता था। अब सरकार ने धन की व्यवस्था समेत नगर नियोजन के समस्त कार्य अपने हाथ में ले लिए थे। इस आधार पर और ज्यादा तेजी से झोपड़ियों को हटाया जाने लगा और दूसरे इलाकों की कीमत पर ब्रिटिश आबादी वाले हिस्सों को तेजी से विकसित किया जाने लगा। "स्वास्थ्यकर " और "अस्वास्थ्यकर" के नए विभेद के सहारे "व्हाइट" और "ब्लैकटाउन' वाले नस्ली विभाजन को और बल मिला। नगर पालिका में भारतीय प्रतिनिधियों ने कई बार इस प्रकार के पूर्वाग्रहों तथा बस्तियों के विध्वंस के विरुद्ध आवाज उठाई। जनता ने भी सरकार की नीतियों का विरोध किया और इस प्रकार इससे भारतीयों में उपनिवेशवाद विरोधी तथा राष्ट्रवादी भावनाओं का उदय हुआ।

जैसे-जैसे ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार होता गया, अंग्रेज कलकता, बम्बई, मद्रास जैसे शहरों को शानदार शाही राजधानियों में तब्दील करने की कोशिश करने लगे। उनकी सोच से ऐसा लगता था मानो शहरों की भव्यता से ही शाही सत्ता की ताकत प्रतिबिंबित होती है। आधुनिक नगर नियोजन में किसी हर चीज को शामिल किया गया जिसके प्रति अंग्रेज अपनेपन का दावा करते थे: तर्कसंगत क्रम व्यवस्था, सटीक क्रियान्वयन, पश्चिमी सौंदर्यात्मक आदर्श, शहरों का साफ और व्यवस्थित, नियोजित और सुंदर होना जरूरी था।

प्रश्न: 3. औपनिवेशिक शहर में सामने आने वाले नए तरह के सार्वजनिक स्थान कौन से थे? उनके क्या उद्देश्य थे?

उत्तरः- औपनिवेशिक शहर नए शासकों की वाणिज्यिक संस्कृति को प्रतिबिंबित करते थे। राजनीतिक सत्ता और संरक्षण भारतीय शासकों के स्थान पर ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारियों के हाथ में जाने लगा। दुभाषिए, बिचौलिए, व्यापारी और माल आपूर्तिकर्ता के रूप में काम करने वाले भारतीयों का भी इन नए शहरों में एक महत्वपूर्ण स्थान था । नदी या समुद्र के किनारे आर्थिक गतिविधियों से गोदियों और घाटियों का विकास हुआ। समुद्र किनारे गोदाम, वाणिज्यिक कार्यालय, जहाजरानी उद्योग के लिए बीमा एजेंसियां, यातायात डिपों और बैंकिंग संस्थानों की स्थापना होने लगी। कंपनी के मुख्य प्रशासकीय कार्यालय समुद्र तट से दूर बनाए गए। कलकता में स्थित रायटर्स बिल्डिंग इसी तरह का एक कार्यालय हुआ करती थी। यहां राइटर्स का मतलब क्लकों से था। ब्रिटिश शासन में नौकरशाही के बढ़ते कद का संकेत था । किले की चारदीवारी के आस- पास यूरोपीय व्यापारियों और एजेंटों ने यूरोपीय शैली के महलनुमा मकान बना लिए थे। कुछ ने शहर की सीमा से सटे उपशहरी इलाकों में बगीचा घर बना लिए थे। शासक वर्ग के लिए नस्ली विभेद पर आधारित क्लब रेसकोर्स और रंगमंच भी बनाए गए।

अमीर भारतीय एजेंटों और बिचौलियों ने बाजारों के आसपास ब्लैक टाउन में परंपरागत ढंग के दलानी मकान बनवाएं। उन्होंने भविष्य में पैसा लगाने के लिए शहर के भीतर बड़ी-बड़ी जमीनें भी खरीद ली थी। अपने अंग्रेज स्वामियों को प्रभावित करने के लिए वे त्योहारों के समय रंगीन दावतों का आयोजन करते थे। समाज में अपनी हैसियत साबित करने के लिए उन्होंने मंदिर भी बनवाए। मजदूर वर्ग के लोग अपने यूरोपीय और भारतीय स्वामियों के लिए खानसामा, पालक वाहक, गाड़ीवान, चौकीदार, पोर्टर और निर्माण व गोदी मजदूर के रूप में विभिन्न सेवाएं उपलब्ध कराते थे। वह शहर के विभिन्न इलाकों में कच्ची झोपड़ियों में रहते थे।

प्रश्न 4. नए शहरों में सामाजिक संबंध किस हद तक बदल गए?

उत्तर:- नए शहरों के विकास ने सामाजिक संबंधों को अनेक रूपों में प्रभावित किया। नए शहरों का वातावरण अनेक रूपों में पुराने शहरों के वातावरण से भिन्न था। पुराने शहरों में विद्यमान सामंजस्य एवं जान-पहचान का नए शहरों में अभाव था। इन शहरों में लोग अत्यधिक व्यस्त रहते थे और यहाँ जीवन सदैव दौड़ता भागता सा प्रतीत होता था। इन शहरों में यदि एक ओर अत्यधिक संपन्नता थी तो दूसरी ओर अत्यधिक दरिद्रता। यहाँ अत्यधिक धनी व्यक्ति भी रहते थे और अत्यधिक दरिद्र व्यक्ति भी । परिणामस्वरूप लोगों का परस्पर मिलना-जुलना सीमित हो गया । किन्तु नए शहरों में टाउन हॉल, सार्वजनिक पार्को और बीसवीं शताब्दी में सिनेमा हॉलों जैसे सार्वजनिक स्थानों के निर्माण से शहरों में भी लोगों को परस्पर मिलने-जुलने के अवसर उपलब्ध होने लगे थे।

शहरों में नवीन सामाजिक समूह विकसित हो जाने के परिणामस्वरूप पुरानी पहचानें अपना महत्त्व खोने लगीं। लगभग सभी वर्गों के सम्पन्न लोग शहरों की तरफ उमड़ने लगे। नए-नए व्यवसायों के विकसित होने के कारण शहरों में क्लर्कों, शिक्षकों, वकीलों, डॉक्टरों, इंजीनियरों और अकाउंटेंट्स आदि की माँग में निरन्तर वृद्धि होने लगी। इस प्रकार मध्यवर्ग' का विस्तार होने लगा। यह वर्ग बौदधिक एवं आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न वर्ग था। इस वर्ग के लोगों की स्कूलों, कॉलेजों एवं पुस्तकालयों जैसे नए शिक्षा संस्थानों तक पहुँच थी। शिक्षित होने के कारण उनका समाज में महत्त्व बढ़ने लगा। वे अख़बारों, पत्रिकाओं एवं सार्वजनिक सभाओं में अपनी राय व्यक्त करने लगे। इस प्रकार, बहस एवं चर्चा का एक नया सार्वजनिक दायरा विकसित होने लगा। सामान्य जागरूकता का विकास होने लगा और सामाजिक रीति-रिवाजों, कायदे-कानूनों एवं तौर-तरीकों की उपयोगिता पर अनेक प्रश्नचिह्न लगाए जाने लगे।

नवीन शहरों के विकास ने महिलाओं के सामाजिक जीवन को अनेक रूपों में प्रभावित किया। उल्लेखनीय है कि नए शहरों में महिलाओं को अनेक नए अवसर उपलब्ध थे। मध्यवर्ग की महिलाओं ने पत्र-पत्रिकाओं, आत्मकथाओं एवं पुस्तकों के माध्यम से समाज में अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने के प्रयास प्रारंभ कर दिए थे। किन्तु पितृसत्तात्मक भारतीय समाज ऐसे प्रयासों का स्वागत करने के लिए तैयार नहीं था। परम्परागत भारतीय समाज में महिलाओं का स्थान घर की चारदीवारी के अन्दर था। अतः शिक्षित महिलाओं के ऐसे प्रयासों को अनेक लोगों ने परम्परागत पितृसत्तात्मक कायदे-कानूनों को बदलने के प्रयास समझा। रूढ़िवादियों को भय था कि शिक्षित महिलाएँ सामाजिक रीति-रिवाजों को उलट-पुलट कर रख देंगी जिसके परिणामस्वरूप सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था का आधार ही डावांडोल हो जाएगा।

उल्लेखनीय है कि महिलाओं की शिक्षा की पुरजोर वकालत करने वाले सुधारक भी महिलाओं को केवल माँ और पत्नी की परम्परागत भूमिकाओं में ही देखना चाहते थे। किन्तु शिक्षा के प्रसार ने महिलाओं में जागरूकता को उत्पन्न किया और धीरे-धीरे सार्वजनिक स्थानों में महिलाओं की उपस्थिति में वृद्धि होने लगी। महिलाएँ सेविकाओं, फैक्ट्री मजदूरों, शिक्षिकाओं, रंगकर्मियों और फिल्म कलाकारों के रूप में शहर के नए व्यवसायों में भाग ने लगीं। किन्तु घर से बाहर सार्वजनिक स्थानों में जाने वाली महिलाओं को पर्याप्त समय तक सामाजिक दृष्टि से सम्मानित नहीं समझा जाता था। नए-नए व्यवसायों के अस्तित्व में आने के परिणामस्वरूप शहरों में शारीरिक श्रम करने वाले गरीब मजदूरों अथवा कामगारों का एक नया वर्ग अस्तित्व में आने लगा। कुछ लोग रोजगार के नए अवसरों की खोज में शहर की ओर भागने लगे, तो कुछ एक भिन्न जीवन-शैली के आकर्षण से प्रभावित होकर शहर की ओर उमड़ने लगे। मजदूरों एवं कामगारों के लिए शहर का जीवन अनेक संघर्षों से परिपूर्ण था। वस्तुएँ महँगी होने के कारण यहाँ रहने का खर्च उठाना सरल नहीं था और फिर नौकरी पक्की न होने के कारण सदा काम मिलने की गारंटी भी नहीं होती थी। इसलिए रोजगार की खोज में गाँवों से शहर में आने वाले अधिकांश पुरुष अपने परिवारों को ग्रामों में ही छोड़कर आते थे। उल्लेखनीय है कि शहरों में रहने वाले गरीबों ने वहाँ अपनी एक पृथक संस्कृति की रचना कर ली थी जो जीवन से परिपूर्ण थी। वे उत्साहपूर्वक धार्मिक उत्सवों, तमाशों और स्वांग आदि में भाग लेते थे। तमाशों और स्वांगों में वे प्रायः अपने भारतीय एवं यूरोपीय स्वामियों का मजाक उड़ाते थे। इस प्रकार निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि नए शहरों में सामाजिक संबंध पर्याप्त सीमा तक परिवर्तित हो गए।

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

भाग - 1

अध्याय क्रमांक

अध्याय का नाम

1.

ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ हड़प्पा सभ्यता

2.

राजा, किसान और नगर आरंभिक, राज्य और अर्थव्यवस्थाएँ ( लगभग 600 ई.पू. 600 ईसवी)

3.

बंधुत्व, जाति तथा वर्ग आरंभिक समाज (लगभग 600 ई.पू. 600 ईसवी)

4.

विचारक, विश्वास और इमारतें सांस्कृतिक विकास (लगभग 600 ई.पू. 600 ईसवी)

भाग - 2

5.

यात्रियों के नजरिए समाज के बारे में उनकी समझ (लगभग दसवीं से 17वीं सदी तक )

6.

भक्ति -सूफी परंपराएँ धार्मिक विश्वासों में बदलाव और श्रद्धा ग्रंथ (लगभग 8वीं से 18वीं सदी तक)

7.

एक साम्राजय की राजधानी : विजयनगर (लगभग 14वीं से 16वीं सदी तक )

8.

किसान, जमींदार और राज्य कृषि समाज और मुगल साम्राज्य (लगभग 16वीं और 17वीं सदी तक)

9.

शासक और विभिन्न इतिवृत : मुगल दरबार (लगभग 16वीं और 17वीं सदी तक )

भाग - 3

10.

उपनिवेशवाद और देहात सरकारी अभिलेखों का अध्ययन

11.

विद्रोही और राज 1857 का आंदोलन और उसके व्याख्यान

12.

औपनिवेशिक शहर नगर-योजना, स्थापत्य

13.

महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन सविनय अवज्ञा और उससे आगे

14.

विभाजन को समझना राजनीति, स्मृति, अनुभव

15.

संविधान का निर्माण एक नए युग की शुरूआत

Solved Paper of JAC Annual Intermediate Examination - 2023

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