Class 12 History अध्याय-13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन सविनय अवज्ञा और उससे आगे Question Bank-Cum-Answer Book

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प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 12

इतिहास (History)

अध्याय-13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन सविनय अवज्ञा और उससे आगे

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Question)

1. महात्मा गाँधी के राजनीतिक गुरु कौन थे?

A. फिरोजशाह

B. लाजपत राय

C. गोपाल कृष्ण गौखले

D. चितरंजन दास

2. महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस कब आए?

A. 1893

B. 1915

C. 1908

D. 1914

3. बंगाल के विभाजन की घोषणा किस वर्ष हुई?

A. 1905

B. 1906

C. 1911

D. 1914

4. काला कानून किसे कहा गया है ?

A. शिक्षा बिल

B. इलवर्ट बिल

C. रालेट बिल

D. इनमें से कोई नहीं

5. चम्पारण सत्याग्रह का सम्बन्ध किस राज्य से है?

A. गुजरात

B. बिहार

C. मध्य प्रदेश

D. महाराष्ट्र

6. चौरीचौरा काण्ड कब हुआ?

A. 5 जनवरी, 1922

B. 4 फरवरी, 1922

C. 16 मार्च,1922

D. इनमे से कोई नहीं

7. 1920 में किस महान नेता की मृत्यु हुई?

A. महात्मा गाँधी

B. फिरोजशाह मेहता

C. बालगंगाधर तिलक

D. लाजपत राय

8. गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन किस वर्ष आरम्भ किया?

A. 1920

B. 1922

C. 1930

D. 1942

9. भारत छोड़ो आंदोलन कब शुरू हुआ?

A. 1945

B. 1942

C. 1930

D. 1920

10. करो या मरो का नारा किसने दिया?

A. जवाहर लाल नेहरू

B. महात्मा गांधी

C. सुभाष चंद्र बोस

D. बाल गंगाधर

11. तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा किसका कथन है?

A. भगत सिंह

B. चंद्रशेखर आजाद

C. महात्मा गांधी

D. सुभाष चंद्र बोस

12. स्वराज पार्टी के संस्थापक कौन थे?

A. दादा भाई नौरोजी

B. रामकृष्ण गोखले

C. चितरंजन दास

D. महात्मा गांधी

13. क्रिप्स प्रस्ताव को किसने पोस्ट डेटेड चेक कहा?

A. राजेंद्र प्रसाद

B. महात्मा गांधी

C. जवाहरलाल नेहरू

D. सुभाष चंद्र बोस

14. सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रारंभ किसने किया?

A. गांधीजी

B. जवाहरलाल नेहरू

C. अबुल कलाम आजाद

D. सुभाष चंद्र बोस

15. गांधी इरविन समझौता कब हुआ

A. 1928

B. 1931

C. 1935

D. 1938

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

1. दांडी यात्रा किसके द्वारा शुरू किया गया?

उत्तरः दांडी यात्रा महात्मा गांधी के द्वारा शुरू किया गया।

2. दांडी यात्रा कब और कहां से शुरू किया गया?

उत्तरः दांडी यात्रा 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से शुरू किया गया।

3. महात्मा गांधी ने नमक कानून कब बंद किया?

उत्तरः महात्मा गांधी ने नमक कानून 6 अप्रैल 1930 ई. को भंग किया।

4. भारत छोड़ो आंदोलन कब शुरू किया गया?

उत्तरः भारत छोड़ो आंदोलन अगस्त 1942 ई. में शुरू किया गया।

5. अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी की स्थापना किसने किया था?

उत्तरः अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी की स्थापना ए० ओ० ह्यूम० ने किया था।

6. अप्रैल 1919 में जालियांवाला बाग हत्याकांड कहां हुआ था?

उत्तर: अप्रैल 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड अमृतसर में हुआ था।

7. गांधी जी ने असहयोग आंदोलन किस वर्ष शुरू किया था?

उत्तर : गांधी जी ने असहयोग आंदोलन 1920 ई. में शुरू किया था।

8. पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव कांग्रेस के किस अधिवेशन में और कब पास किया गया?

उत्तरः पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव लाहौर अधिवेशन, 1929 ई० में पास किया गया।

9. "My experiments with truth 'किसकी आत्मकथा है?

उत्तर: 'My experiments with truth' महात्मा गांधी की आत्मकथा है।

10. खिलाफत आंदोलन किसके द्वारा शुरू किया गया था?

उत्तरः खिलाफत आंदोलन मोहम्मद अली और शौकत अली के द्वारा शुरू किया गया था।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. चंपारण सत्याग्रह और खेड़ा सत्याग्रह पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर: भारत वापस लौटने पर गाँधी जी का साक्षात्कार चंपारण और खेड़ा के किसानों की दयनीय दशा से हुआ। गाँधी जी ने इन दोनों स्थानों पर अपने विचारों पर आधारित सत्याग्रह का प्रयोग किया जिसके सकारात्मक परिणाम निकले। यह गाँधी जी के द्वारा सत्याग्रह का भारत में पहला प्रयोग था, जिसमें उन्हें अपेक्षित सफलता मिली।

(i) चंपारण सत्याग्रह - 1917 ई. : बिहार के चंपारण में "तीन कठिया प्रथा प्रचलित थी जिसके अन्तर्गत किसानों को अपनी 3 / 20 भाग भूमि में नील की खेती करनी पड़ती थी तथा उसे अंग्रेजों द्वारा निर्धारित सस्ते दामों पर बेचना पड़ता था।

चंपारण की जनता ने गाँधी जी को चंपारण आने का निमंत्रण दिया। गाँधी जी ने चंपारण जाकर किसानों की दुर्दशा देखी। सरकार ने उन्हें चंपारण छोड़ने का आदेश दिया, लेकिन गाँधी जी ने आदेश मानने से इंकार कर दिया तथा सत्याग्रह के लिए तैयार हो गए। सरकार ने किसानों की दशा में सुधार हेतु एक जांच समिति बनाई तथा उसमें गाँधी जी को भी शामिल किया। जांच समिति की अनुशंशाओं पर किसानों के पक्ष में सरकार द्वारा कदम उठाए गए।

(ii) खेड़ा सत्याग्रह- 1918 ई. गुजरात के खेड़ा जिले में खराब फसल के बावजूद किसानों से लगान की मांग की गई। इससे किसानों में व्यापक तनाव ने जन्म लिया।

गाँधी जी ने सरदार बल्लभ भाई पटेल की सहायता से किसानों के दुःख को दूर किया । अन्ततः सरकार ने सिर्फ उन्हीं किसानों से राजस्व की माँग की जो इसे देने में सक्षम थे।

इन दोनों सत्याग्रहों में गाँधी जी को व्यापक सफलता मिली। वे भारत के विभिन्न भागों की परिस्थितियों से अवगत हुए तथा उन्हें लगा कि भारत में सत्याग्रह का सफल प्रयोग किया जा सकता है। इन दोनों आंदोलनों की सफलता ने गाँधी जी को असहयोग आंदोलन प्रारंभ करने का आधार प्रदान किया।

2. खिलाफत आन्दोलन से आप क्या समझते हैं?

उत्तरः ख़िलाफ़त आंदोलन (1919-1920) मुहम्मद अली और शौकत अली के नेतृत्व में भारतीय मुसलमानों का एक आंदोलन था।

तुर्की के सुल्तान को मुस्लिम संसार के खलीफा अर्थात् धार्मिक प्रमुख का पद प्राप्त था। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटेन ने यह घोषणा की कि युद्ध के बाद तुर्की का विभाजन तथा खलीफा के पदे को समाप्त कर दिया जाएगा।

ब्रिटेन की इस घोषणा से भारतीय मुसलमानों को ठेस पहुँचा। अतः उन्होंने ब्रिटेन के खिलाफ आंदोलन चलाने का निश्चय किया जो खिलाफत आंदोलन के रूप में सामने आया। चूँकि यह खलीफा पद के संरक्षण के पक्ष में किया गया आंदोलन था। अतः इसे खिलाफत आंदोलन कहा गया।

कांग्रेस ने इस आंदोलन का समर्थन किया और गाँधी जी ने इसे असहयोग आंदोलन के साथ विलय करा लिया।

3. दांडी यात्रा से आप क्या समझते हैं? संक्षेप में लिखिए। अथवा सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या था? यह क्यों शुरू किया गया।

उत्तर: देश में अराजक व्यवस्था के बीच ब्रिटिश सरकार ने नमक कानून लाकर भारतीयों को आक्रोशित किया । गाँधी जी सरकार पर दबाव बनाने के उद्देश्य से दांडी यात्रा के द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। यह 1930 से 1934 ई. तक चला। सविनय अवज्ञा आंदोलन गाँधीवादी प्रतिरोध का एक रूप था।

सविनय अवज्ञा से गाँधी जी का अभिप्राय ब्रिटिश कानूनों का विनम्रता पूर्वक शांति से अवज्ञा करना अथवा उनके आदेशों की अवहेलना करना था। उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रारंभ दांडी के समुद्रतट पर एक मुट्ठी नमक बनाकर कानून का उल्लंघन किया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन से इस अर्थ में भिन्न था कि जहाँ असहयोग आंदोलन में लोगों को अंग्रेजों के साथ सहयोग करने से मना किया गया था वहीं सविनय अवज्ञा आन्दोलन में लोगों को अंग्रेजी सरकार के कानूनों का उल्लंघन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत देश के विभिन्न भागों में नमक कानून का उल्लंघन किया गया, सरकारी नमक के कारखानों के सामने प्रदर्शन किया गया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गयी, विदेशी वस्त्रों की होली जलायी गयी, किसानों ने लगान चुकाने से इन्कार कर दिया, गाँवों में तैनात कर्मचारी इस्तीफे देने लगे तथा लोगों ने लकड़ी तथा अन्य वनोत्पादों को तथा मवेशियों को चराने के लिए आरक्षित वनों में घुसकर वन कानूनों का उल्लंघन करना प्रारंभ कर दिया। इस प्रकार डांडी मार्च से शुरू हुए सविनय अवज्ञा आंदोलन ने ब्रिटिश साम्राज्य की जड़े हिला दी।

4. विरोध के प्रतीक के रूप में नमक का चुनाव क्यों किया गया और आन्दोलन पर इसका क्या प्रभाव पड़ा।

अथवा,

गाँधीजी के अनुसार नमक विरोध का प्रतीक क्यों था? व्याख्या कीजिए।

उत्तरः नमक प्रत्येक व्यक्ति के जीवन से जुड़ा था और नमक के कारणों से जनता को यह समझाना आसान था कि किस प्रकार विदेशी सरकार उनके मूलभूत अधिकार अर्थात भोजन के अधिकार को बाधित कर रही है। इस कानून में ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों के नमक बनाने में रोक लगाई तथा नमक बनाने और विक्रय का अधिकार अपने पास रखा | नमक कानून एक कलंक के समान था। आम भारतीय को ऊँचे दामों पर नमक खरीदना पड़ता था।

गाँधीजी के अनुसार नमक विरोध का प्रतीक था, क्योंकि

(i) अँग्रेज़ी सरकार नमक उत्पादन में एकाधिकार रखी हुई थी।

(ii) सरकार नमक पर कर लगाकर मूल्य से चौदह गुना अधिक कीमत वसूलती थी।

(iii) जनता को इसके उत्पादन से रोकती थी जबकि जनता आसानी से नमक बनाया करती थी।

(iv) भारत में नमक प्राकृतिक रूप से उपलब्ध था।

(v) भारतीयों द्वारा बनाए गए नमक को नष्ट कर दिया जाता था तथा दंडित भी किया जाता था।

(vi) नमक बनाने से रोकना एक सुलभ ग्राम उद्योग से वंचित करने के समान था

उपर्युक्त कारणों से नमक कानून स्वतंत्रता संघर्ष का महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया। गांधी जी ने नमक को विरोध का प्रतीक मानते हुए नमक कानून तोड़ने का फैसला किया। गांधीजी साबरमती आश्रम से 12 मार्च 1930 को दांडी की 240 मील की यात्रा प्रारंभ किये और 6 अप्रैल 1930 को दांडी के समुद्रतट पर एक मुट्ठी नमक बनाकर सविनय अवज्ञा आंदोलन का शुरुआत किये।

5. गांधीजी के प्रारंभिक जीवन का परिचय दें।

उत्तर : महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 ई. को गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान में हुआ था गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। उनके पिता करमचंद गाँधी राजकोट में दीवान के पद पर थे। गाँधीजी की माता का नाम पुतलीबाई था। तेरह वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से हुआ। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा राजकोट के अल्फ्रेड हाईस्कूल में हुई। 4 सितम्बर, 1888 ई. में वे इंग्लैण्ड गये। जहाँ उन्होंने वकालत की पढ़ाई की। 1891 ई. में बैरिस्टर बन कर भारत वापस आए।

एक मुकदमे के सिलसिले में, 1893 ई. महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रिका गये। दक्षिण अफ्रीका में भी अंग्रेजों के भेदभाव पूर्ण नीति का विरोध किया। 1915 ई. में गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे। प्रारंभ में गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार की सहायता किये। प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजों की सहायता करने के कारण भर्ती कराने वाला सार्जेंट कहलाए। युद्ध के पश्चात ब्रिटिश शासन से विश्वास उठ गया। उसके बाद भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में सक्रिय हो गए। इनके राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले थें । एक वर्ष पूरे भारत भ्रमण करने के बाद अपना पहला विद्रोह 1917 ई. में चंपारण (बिहार) में किये जिसमे सफलता मिली।

महात्मा गाँधी ने भारतीय जनता को राजनीतिक रूप से प्रशिक्षित किया। उन्होंने 'सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह' की नीति के द्वारा ब्रिटिश शासन का विरोध किया। गांधीजी अपने विशिष्ट रणनीतियों से राष्ट्रीय आंदोलन को एक नई दिशा प्रदान किये जैसे:

1. अहिंसा की नीति के द्वारा गाँधीजी ने स्वतंत्रता आंदोलन को हिंसात्मक होने से बचाया।

2. सत्याग्रह, असहयोग, सविनय अवज्ञा, हड़ताल, शांतिपूर्ण प्रदर्शन आदि के माध्यम से जनता की व्यापक भागीदारी राष्ट्रीय आंदोलन में हुई।

राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने के कारण गांधीजी को कई वर्ष जेल में भी बिताना पड़ा। अंततः ब्रिटिश सत्ता को भारत को स्वतंत्र करने के लिए विवश होना पड़ा।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में गाँधीजी की भूमिका का वर्णन करें।

अथवा,

भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को गाँधीजी ने जन आन्दोलन कैसे बना दिया?

उत्तर: गाँधी जी ने राष्ट्रीय आंदोलन को जन आंदोलन बनाया। इसके लिए उनके द्वारा निम्नलिखित रणनीतियां अपनाई गई जो विनाशक हथियारों से भी ज्यादा कारगर साबित हुई-

(i) अहिंसा : गाँधी जी कहते है की "अहिंसा कायर का कवच नही हैं अपितु यह बहादुरी का उच्चतम गुण है। अहिंसा का सामान्य अर्थ हैं किसी की हिंसा न करना, किसी भी प्राणी को मानसिक या शारीरिक चोट न पहुंचाना आदि। गांधीजी ने स्वतंत्रता आंदोलन में अहिंसा का सफल प्रयोग किया।

(ii) सत्याग्रह का प्रयोग : सत्य के प्रश्न पर संघर्ष करने की रणनीति सत्याग्रह है। सत्याग्रह के प्रारंभिक प्रयोग गाँधी जी ने चंपारण और खेड़ा में किसानों की दशा में सुधार हेतु आंदोलन करके किया।

(iii) हड़ताल का सफल प्रयोग: गांधी जी ने अहमदाबाद मिल मजदूरों के संघर्ष में हड़ताल का सफल प्रयोग किया। जिसके फलस्वरूप मजदूरों के वेतन में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

(iv) असहयोग इस आंदोलन की रणनीति में प्रत्येक स्तर पर सरकार का विरोध एवं बहिष्कार करना था। गांधीजी ने 1920 ई. में असहयोग आंदोलन प्रारंभ किये जिसमे जनता ने बढ़-चढ़कर पूर्ण उत्साह से भाग लिया।

(v) सविनय अवज्ञा आंदोलन सरकार के कानून को विनम्रता पूर्वक मानने से मना करना। 1930 ई में गांधीजी ने नमक कानून को भंग करके सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत किया।

(vi) 'स्वदेशी' और 'बहिष्कार' : उन्होंने स्वदेशी को अपनाया तथा स्वयं चरखा चलाया तथा खादी वस्त्र पहने और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया।

(vii) संघर्ष तैयारी संघर्ष की रणनीति जन आंदोलन को और अधिक व्यापक तथा नियंत्रित करने के लिए गांधी जी ने "संघर्ष - तैयारी - संघर्ष" की रणनीति का आविष्कार किया। जब सक्रिय संघर्ष नहीं चल रहा हो तब रचनात्मक कार्य द्वारा लोगों को आंदोलन से जोड़े रखना जैसे-

1. हिंदू मुस्लिम एकता को बनाए रखने का प्रयास करना।

2. छुआछूत के खिलाफ लोगों को जागरूक करना ।

3. आंदोलन में स्त्रियों की भागीदारी सुनिश्चित करना।

4. देशी हस्तशिल्प को पुनर्जीवित करने का प्रयास करना।

इस प्रकार गाँधी जी ने सभी वर्गों के लोगों को स्वतंत्रता आन्दोलन में शामिल कर स्वतंत्रता आंदोलन को जन आंदोलन बना दिया।

2. असहयोग आन्दोलन के बारे में क्या जानते हैं? वर्णन करें।

उत्तर: अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के विरोध में गांधीजी ने अगस्त 1920 ई. को असहयोग आन्दोलन प्रारंभ करने की घोषणा की। 1920 ई. के कलकत्ता के विशेष अधिवेशन तथा नागपुर अधिवेशन में गांधी जी की घोषणा का कांग्रेस ने समर्थन किया ।

असहयोग आंदोलन के कार्यक्रम :

A. उपाधियों और अवैतनिक पदों का बहिष्कार ।

B. सरकारी सभाओं का बहिष्कार ।

C. स्वदेशी का प्रयोग |

D. सरकारी स्कूलों व कॉलेजों का परित्याग ।

E. वकीलों द्वारा सरकारी न्यायालय का परित्याग ।

F. राष्ट्रीय न्यायालयों की स्थापना ।

G. हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल ।

H. अस्पृश्यता की समाप्ति ।

गांधीजी तथा अन्य व्यक्तियों द्वारा उपाधियों के परित्याग से इस आंदोलन की शुरुआत हुई। कांग्रेस ने विधानमंडल के चुनाव का बहिष्कार किया । स्वदेशी शिक्षण संस्थान स्थापित किए गए जैसे काशी विद्यापीठ, बिहार विद्यापीठ, जामिया मिलिया इस्लामिया आदि, विदेशी वस्त्रों की होली जलाई गई । चरखे का प्रचलन बढ़ा 'तिलक स्वराज फंड' की स्थापना हुई और शीघ्र ही इसमें 1 करोड़ रुपये जमा हो गए। स्वशासन के स्थान पर स्वराज को अंतिम लक्ष्य घोषित किया गया।

आंदोलन के दौरान हिन्दू मुस्लिम एकता का भी प्रस्फुटन हुआ। असहयोग आंदोलन का प्रारंभ शहरी मध्यम वर्ग की हिस्सेदारी से प्रारंभ हुआ। विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिये, शिक्षकों ने त्यागपत्र दे दिया, वकीलों ने मुकदमे लड़ने बंद कर दिये तथा मद्रास के अतिरिक्त प्रायः सभी प्रांतों में परिषद् चुनावों का बहिष्कार किया गया । विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गयी । व्यापारियों ने विदेशी व्यापार में पैसा लगाने से इन्कार कर दिया। देश में खादी का प्रचलन और उत्पादन बढ़ा। सरकार ने इस आंदोलन को सख्ती से दबाया।

असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला 5 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश की चोरीचौरा नामक स्थान में आंदोलनकारियों और पुलिस में झड़प हो गई जिसमें 22 पुलिस वाले मारे गए। इस घटना से गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। अंततः 12 फरवरी 1922 को असहयोग आंदोलन की समाप्ति कर दी गई।

असहयोग आंदोलन के प्रभाव :

(i) आंदोलन ने राष्ट्रीय भावना का विकास किया, अंग्रेजो के प्रति विरोध का वातावरण बनाया।

(ii) स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल में वृद्धि हुई और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार हुआ।

(iii) देशी शिक्षण संस्थाओं का विकास हुआ।

(iv) कांग्रेसी पार्टी भी अपनी नीतियों एवं कार्यक्रमों में बदलाव किया।

(v) हिंदी को राष्ट्रभाषा का महत्त्व दिया गया तथा अंग्रेजी के प्रयोग में कमी आई।

(vi) खादी का प्रचलन प्रारंभ हुआ। चरखा राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक बन गया।

(vii) आंदोलन जनसाधारण तक पहुंची।

(viii) आंदोलन की असफलता ने कांतिकारी गतिविधियों को प्रेरणा दी।

3. 'भारत छोड़ो आंदोलन के कारण और प्रभाव बताइए। अथवा स्पष्ट कीजिए कि 1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन सही मायने में एक जन आन्दोलन था?

उत्तर : भारत छोड़ो आंदोलन के कारण :

1. मार्च 1942 में क्रिप्स मिशन की असफलता से यह बात स्पष्ट हो गई थी कि विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन भारतीयों को किसी भी प्रकार के शासन का अधिकार देना नहीं चाहता था।

2. विश्व युद्ध के कारण कीमतों में वृद्धि तथा रोजाना की वस्तुओं के अभाव के कारण जनता में असंतोष बढ़ रहा था।

3. जनता ब्रिटिश विरोधी भावना और पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की समर्थक बन गई थी।

4. द्वितीय विश्व युद्ध में भारत का ब्रिटिश को बिना शर्त सहयोग से इनकार करना।

5. कांग्रेस से जुड़े विभिन्न निकाय जैसे अखिल भारतीय किसान सभा, फॉरवर्ड ब्लॉक आदि ने दो दशकों से अधिक समय से आंदोलन करके इस आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार कर रखी थी।

14 जुलाई 1942 को वर्धा अधिवेशन में कांग्रेस कार्यसमिति ने भारत छोड़ो आंदोलन के निर्णय को स्वीकृति दी। 08 अगस्त मुंबई में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ जिसमे महात्मा गाँधी ने 'अँगरेजो भारत छोड़ो' (Quit India) का प्रस्ताव रखा। अँगरेजों के भारत छोड़ देने अर्थात् उनके द्वारा अपनी सत्ता हटा लेने के उपरांत भारत की शासन व्यवस्था और सरकार के निर्माण के संबंध में भी एक व्यापक रूपरेखा भी प्रस्तुत की गयी।

आंदोलन में महात्मा गांधी ने 'करो या मरो' (Do or Die) का नारा जनता को दिया।

8 अगस्त 1942 को समस्त शीर्ष नेता गिरफ्तार कर लिए गए आंदोलन की शुरुआत 9 अगस्त 1942 से हुई। काँग्रेस को अवैध संगठन घोषित कर दिया गया। सभाओं और प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। सरकार ने आंदोलन का दमन पूरी बर्बरता और कठोरता के साथ किया था। समूचा देश सैन्य शिविरों में बदल गया था। सेना और पुलिस का राज्य स्थापित हो गया था। जनता का विद्रोह अहिंसात्मक सत्याग्रह से हटकर ब्रिटिश सत्ता के समस्त प्रतीकों पर हमले के रूप में आया जैसे डाकघरों को जलाना, रेल की पटरी को उखाड़ना, तिरंगा झंडा फहराना आदि।

भारत छोड़ो आंदोलन के प्रभाव :

(1) सरकार की दमनकारी कार्यवाहियों से जनता नाराज हो उठी। भारतीय जनता पूरी तरह से अंग्रेजों के विरुद्ध हो गई थी।

(2) हड़ताल, प्रदर्शन, तोड़-फोड़ और हिंसा की अनिगिनत घटनाएँ हुई। सरकारी सम्पत्तियों को नुकसान पहुँचाया गया। रेलवे स्टेशन, थाने, डाकघर जला दिये गये। रेल की पटरियाँ उखाड़ कर, पुल क्षतिग्रस्त कर आवागमन के सारे मार्ग बंद कर दिये गये।

(3) किसानों, मजदूरों, छात्रों, स्त्रियों आदि समाज के सभी वर्गों के विशाल जनसमूह ने इस आंदोलन में भाग लेकर इसे जन आंदोलन बनाया।

(4) इस आंदोलन द्वारा जनसमर्थन और समांतर सरकार ने यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय जनता में ब्रिटिश शासन के प्रति कितना गहरा असंतोष व नफरत है।

(5) इस आंदोलन के बाद ब्रिटिश शासन को यह अहसास हो गया कि भारत को और अधिक दिनों तक अपने अधीन नहीं रखा जा सकता हैं।

(6) अंतरराष्ट्रीय स्तर में भी भारतीय जनता के गहरे असंतोष एवं दमनकारी कार्रवाई की जानकारी मिल गयी। फलतः उन्होंने भी ब्रिटिश सरकार पर भारत को स्वतंत्र करने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया। इस प्रकार कहा जा सकता है कि भारत छोड़ो आन्दोलन सही मायने में एक जन आन्दोलन था।

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

भाग - 1

अध्याय क्रमांक

अध्याय का नाम

1.

ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ हड़प्पा सभ्यता

2.

राजा, किसान और नगर आरंभिक, राज्य और अर्थव्यवस्थाएँ ( लगभग 600 ई.पू. 600 ईसवी)

3.

बंधुत्व, जाति तथा वर्ग आरंभिक समाज (लगभग 600 ई.पू. 600 ईसवी)

4.

विचारक, विश्वास और इमारतें सांस्कृतिक विकास (लगभग 600 ई.पू. 600 ईसवी)

भाग - 2

5.

यात्रियों के नजरिए समाज के बारे में उनकी समझ (लगभग दसवीं से 17वीं सदी तक )

6.

भक्ति -सूफी परंपराएँ धार्मिक विश्वासों में बदलाव और श्रद्धा ग्रंथ (लगभग 8वीं से 18वीं सदी तक)

7.

एक साम्राजय की राजधानी : विजयनगर (लगभग 14वीं से 16वीं सदी तक )

8.

किसान, जमींदार और राज्य कृषि समाज और मुगल साम्राज्य (लगभग 16वीं और 17वीं सदी तक)

9.

शासक और विभिन्न इतिवृत : मुगल दरबार (लगभग 16वीं और 17वीं सदी तक )

भाग - 3

10.

उपनिवेशवाद और देहात सरकारी अभिलेखों का अध्ययन

11.

विद्रोही और राज 1857 का आंदोलन और उसके व्याख्यान

12.

औपनिवेशिक शहर नगर-योजना, स्थापत्य

13.

महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन सविनय अवज्ञा और उससे आगे

14.

विभाजन को समझना राजनीति, स्मृति, अनुभव

15.

संविधान का निर्माण एक नए युग की शुरूआत

Solved Paper of JAC Annual Intermediate Examination - 2023

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