Jac Board Class 12 Hindi Core Arts 2025 Answer key

Jac Board Class 12 Hindi Core Arts 2025 Answer key

 Jac Board Class 12 Hindi Core Arts 2025 Answer key

झारखण्ड अधिविद्य परिषद्

ANNUAL INTERMEDIATE EXAMINATION - 2025

HINDI - A (CORE) Arts (Compulsory) 13.02.2025

Total Time: 3 Hours 15 minute

Full Marks: 80

सामान्य निर्देश

1. This Question Booklet has two Parts - Part-A and Part-B. इस प्रश्न-पुस्तिका में दो भाग भाग-A तथा भाग-B हैं।

2. Part-A is of MCQ Type having 30 marks and Part-B is of Subjective Type having 50 marks.

भाग-A में 30 अंक के बहुविकल्पीय प्रश्न तथा भाग-B में 50 अंक के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं।

3. The candidate has to answer in the Answer Booklet which will be provided separately.

परीक्षार्थी को अलग से उपलब्ध कराई गई उत्तर-पुस्तिका में उत्तर देना है।

4. Part-A There are 30 Multiple Choice Questions having four (4) options (A, B, C & D). The candidate has to write the correct option in the Answer Booklet. All questions are compulsory. Each question carries 1 mark. There is no negative marking for wrong answer.

भाग-A इसमें 30 बहुविकल्पीय प्रश्न हैं जिनके 4 विकल्प (A, B, C तथा D ) हैं। परीक्षार्थी को उत्तर-पुस्तिका में सही उत्तर लिखना है। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है। गलत उत्तर के लिए कोई अंक काटा नहीं जाएगा।

5. Part-B There are three sections: Section-A, B & C.

This part is of Subjective Type having Very Short Answer, Short Answer & Long Answer Type questions. Total number of questions is 22.

Section-A Question Nos. 31-38 are Very Short Answer Type. Answer any 6 questions. Each question carries 2 marks.

Section-B Question Nos. 39-46 are Short Answer Type. Answer any 6 questions. Each question carries 3 marks. Answer the questions in maximum 150 words each.

Section-C Question Nos. 47-52 are Long Answer Type. Answer any 4 questions. Each question carries 5 marks. Answer the questions in maximum 250 words each.

भाग-B इस भाग में तीन खण्ड खण्ड-A, B तथा C हैं। इस भाग में अति लघु उत्तरीय, लघु उत्तरीय तथा दीर्घ उत्तरीय प्रकार के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं। कुल प्रश्नों की संख्या 22 है।

खण्ड-A प्रश्न संख्या 31-38 अति लघु उत्तरीय हैं। किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का है। ।

खण्ड-B प्रश्न संख्या 39-46 लघु उत्तरीय हैं। किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दें।

खण्ड-C प्रश्न संख्या 47-52 दीर्घ उत्तरीय हैं। किन्हीं 4 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 5 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दें।

6. Candidates are required to answer in their own words as far as practicable.

परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में ही उत्तर दें।

7. Candidate has to hand over his/her Answer Booklet to the Invigilator compulsorily before leaving the examination hall.

परीक्षार्थी परीक्षा भवन छोड़ने के पहले अपनी उत्तर-पुस्तिका वीक्षक को अनिवार्य रूप से लौटा दें।

8. Candidates can take away the Question Booklet after completion of the Examination.

परीक्षा समाप्त होने के उपरांत परीक्षार्थी प्रश्न-पुस्तिका अपने साथ लेकर जा सकते हैं।

Part-A (बहुविकल्पीय प्रश्न)

Question Nos. 1 to 30 are Multiple Choice Type. Each question has four options. Select the correct option and write it in the Answer Sheet. Each question carries 1 mark.1x30=30

प्रश्न संख्या 1 से 30 तक बहुविकल्पीय प्रकार हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प हैं। सही विकल्प चुनकर उत्तर पुस्तिका में लिखें। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है।

निर्देश : निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 14 तक के लिए सही विकल्प का चयन करें।

रोटी उसकी, जिसका अनाज, जिसकी जमीन, जिसका

अब कौन उलट सकता स्वतन्त्रता का सुसिद्ध सीधा क्रम है

श्रम है; आजादी है अधिकार परिश्रम का पुनीत फल पाने का,

आजादी है अधिकार शोषणों की धज्जियाँ उड़ाने का

गौरव की भाषा नई सीख, भिखमंगों की आवाज बदल,

सिमटी बाँहों को खोल गरूड़ उड़ने का अब अंदाज बदल

स्वाधीन मनुज की इच्छा में आगे पहाड़ हिल सकते हैं,

रोटी क्या ? ये अंबरवाले सारे सिंगार मिल सकते हैं ?

1. प्रस्तुत काव्यांश किससे संबन्धित है ?

(A) स्वाधीनता से

(B) आराम से

(C) विश्राम से

(D) इनमें से कोई नहीं

2. 'सुसिद्ध' शब्द का अर्थ है

(A) प्रसिद्ध

(B) स्वयंसिद्ध

(C) परोपकारी

(D) इनमें से कोई नहीं

3. बाँहें कैसी हैं ?

(A) फैली

(B) सिमटी

(C) मुड़ी

(D) इनमें से कोई नहीं

4. स्वाधीन मनुष्य के आगे कौन हिल सकता है ?

(A) दुकान

(B) मकान

(C) पहाड़

(D) परेशान

निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 58 के लिए सही विकल्प का चयन करें ।

प्रकृति ईश्वर की देन है। प्रकृति और मनुष्य आदिकाल से ही एक-दूसरे पर आश्रित रहे हैं। प्रकृति ने ही मनुष्य को संरक्षण प्रदान किया। वह प्रकृति की सुरम्य गोद में पला-बढ़ा और इसी पर आश्रित हो गया। आदिकाल से ही मनुष्य के जीवन में वन अत्यंत महत्त्वपूर्ण रह रहे हैं, परन्तु ज्यों-ज्यों सभ्यता का विकास हुआ त्यों-त्यों मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं एवं सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए इनका दोहन करना शुरू कर दिया। इस प्रकार वनों की लगातार कटाई होती गई, जिससे आज पर्यावरण-प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है।

आदिकाल में ही मनुष्य ने वनों की महत्ता को जान लिया था । सम्पूर्ण प्राचीन भारतीय कला, साहित्य, संस्कृति में पर्यावरण के प्रति विशद दृष्टि मिलती है। पंचतंत्र, जातक कथाएँ, पौराणिक साहित्य आदि पर्यावरण और मानव के संबंध के गंभीर ज्ञान का सागर है।

5. मनुष्य कब से एक-दूसरे पर आश्रित है ?

(A) भक्तिकाल

(B) रीतिकाल

(C) आदिकाल

(D) समृद्धिकाल

6. वनों की महत्ता कब पता चला है ?

(A) रीतिकाल

(B) भक्तिकाल

(C) आदिकाल

(D) इनमें से कोई नहीं

7. पर्यावरण से सम्बन्धित ज्ञान कहाँ भरा पड़ा है ?

(A) वेद में

(B) पुराण में

(C) जातक कथाओं तथा पंचतन्त्र में

(D) इनमें से कोई नहीं

8. प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या होगा ?

(A) वनों का महत्त्व

(B) पर्यावरण

(C) आबोहवा

(D) इनमें से सभी

(रचनात्मक लेखन तथा अभिव्यक्ति और माध्यम)

9. रचनात्मकता को किससे पोषित किया जा सकता है ?

(A) शिक्षा से

(B) प्रशिक्षण से

(C) (A) और (B) दोनों से

(D) इनमें से सभी

10. सर्वप्रथम मुद्रण की शुरुआत कहाँ हुई ?

(A) चीन

(B) भारत

(C) जापान

(D) मलेशिया

11. नयी संचार भाषा को किसने जन्म दिया ?

(A) विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने

(B) सिनेमा ने

(C) कम्प्यूटर ने

(D) इन्टरनेट ने

12. विचारों के आदान-प्रदान का सबसे प्राचीन तरीका कौन है ?

(A) एस एम एस

(B) इन्टरनेट

(C) फैक्स

(D) पत्राचार

13. पत्रकारिता के विकास में कौन-कौन से मूल भाव सक्रिय रहते हैं ?

(A) संवेदना

(B) प्रतिस्पर्धा

(C) आर्थिक तंगी

(D) जिज्ञासा

14. फीचर में तथ्यों की प्रस्तुति का ढंग होता है

(A) मनोरंजक

(B) नीरस

(C) व्यापक

(D) संकुचित

15. अपने से बड़ों के सम्बोधन पत्र में क्या लिखा जाता है ?

(A) पूजनीय

(B) चिरंजीवी

(C) महोदय

(D) महाशय

16. समाचार पत्र की आत्मा कहाँ होती है ?

(A) संपादकीय पृष्ठ में

(B) राष्ट्रीय पृष्ठ में

(C) स्थानीय पृष्ठ में

(D) इनमें से कोई नहीं

17. रिपोर्ट प्रस्तुतिकरण की प्रक्रिया क्या कहलाती है ?

(A) समाचार

(B) रिपोर्टिंग

(C) संपादकीय

(D) संवाद

18. कम्प्यूटर के लिए सबसे सुसंगत भाषा कौन-सी है ?

(A) खोरठा

(B) हो

(C) संस्कृत

(D) मुण्डारी

निर्देशः निम्नलिखित पद्यांश को। ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 19 - 22 तक के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए ।

तिरती है समीर सागर पर

अस्थिर सुख पर दुख की छाया –

जग के दग्ध हृदय पर

निर्दय विप्लव की प्लावित माया

यह तेरी रण-तरी

भरी आकांक्षाओं से,

धन, भेरी-गर्जन से सजग सुप्त अंकुर

उर में पृथ्वी की आशाओं से

नंवजीवन की, ऊँचा कर सिर,

ताक रहे हैं, ऐ विप्लव के बादल ।

19. सुख पर दुःख की क्या तैरती है ?

(A) माया

(B) छाया

(C) गाया

(D) काया

20. किसके बारे में चित्रण किया जाता है ?

(A) पानी

(B) बादल

(C) समीर

(D) इनमें से कोई नहीं

21. जग का हृदय कैसा है ?

(A) मग्ध

(B) दग्ध

(C) सर्प

(D) इनमें से सभी

22. ऊँचा सिर कर किसको ताक रहे हैं ?

(A) विप्लव के बादल

(B) संस्कार के दिन

(C) ध्यान से

(D) इनमें से सभी

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 23 विकल्प का चयन करें: - 26 तक के लिए सही विकल्प का चयन करें ।

"जीवन के दूसरे परिच्छेद में भी सुख की अपेक्षा दुख ही अधिक है। जब उसने गेहुँए रंग और बटिया जैसे मुख बाली पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले तब सास और जिठानियों ने ओठ बिचकाकर उपेक्षा प्रकट की। उचित भी था, क्योंकि सास तीन-तीन कमाऊ वीरों की विधात्री बनकर मचिया के ऊपर विराजमान पुरखिन के पद पर अभिषिक्त हो चुकी थी और दोनों जिठानियों काक-भुरांडी जैसे काले लालों की क्रमबद्ध सृष्टि करके इस पद के लिए उम्मीदवार थी। छोटी बहू के लीक छोड़कर चलने के कारण उसे दण्ड मिलना आवश्यक हो गया।"

23. कुल कितनी कन्याओं का जन्म हुआ ?

(A) दो

(B) तीन

(C) चार

(D) पाँच

24. सास और जिठानियाँ क्या बिचका रहीं थीं ?

(A) मुँह

(B) कान

(C) नाक

(D) इनमें से कोई नहीं

25. सास कितने कमाऊँ बीरों की विधात्री थी ?

(A) पाँच

(B) सात

(C) आठ

(D) तीन

26. छोटी बहू को दण्ड क्यों मिला ?

(A) सही रास्ते पर चलने के कारण

(B) लीक से हट कर

(C) (A) और (B) दोनों

(D) इनमें से कोई नहीं

27. 'सिल्वर वैडिंग' पाठ में लेखक कौन है ?

(A) आनंद यादव

(B) ओम थानवी

(C) मनोहर श्याम जोशी

(D) इनमें से कोई नहीं

28. मनोहर श्याम जोशी का जन्म कहाँ हुआ था ?

(A) हरिद्वार

(B) कुमाऊँ

(C) बरेली

(D) सोनपुर

29. 'जूझ' पाठ का कथानायक कौन है ?

(A) आनंदा

(B) दत्ताजी राव

(C) ब्रह्मजी राव

(D) इनमें से कोई नहीं

30. मोहनजोदड़ो का अर्थ क्या है ?

(A) सोने का किला

(B) मुद्दों का टीला

(C) कुंड

(D) स्नानागार

भाग-B (विषयनिष्ठ प्रश्न)

खण्ड – A (अति लघु उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दें। 2x6-12

31. बच्चे किस बात की आशा में नीड़ों से झाँक होंगे ?

उत्तर - बच्चे इस बात की आशा में नीड़ों से झांक रहे होंगे कि उनके माता-पिता उनके लिए दाना-चुग्गा (भोजन), लेकर आ रहे होंगे। बच्चों को खाने की प्रतीक्षा होगी, साथ ही उनसे ढेर सारा प्यार भी मिलने के लिए वे उत्सुक होंगे।

32. रोमांचित शरीर का संगीत का जीवन के लय से क्या संबंध है ?

उत्तर – जब कोई व्यक्ति किसी काम में पूरी तरह निमग्न हो जाता है, तब उससे उत्पन्न खुशी और उत्साह रोमांच में बदल जाता है और उस रोमांच के कारण उस काम में एक लय आ जाती है। उस रोमांचित क्षण में वह लय एक संगीत की तरह अतीव आनन्ददायक लगती है। अतएव शरीर का संगीत रोमांच से सम्बन्ध रखता है।

33. दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने का क्या तात्पर्य है ?

उत्तर – बच्चे पतंग उड़ाते हुए जब छतों पर उछल-कूद करते हैं, दीवारों से छतों पर कूदते हैं, तो उनके पदचापों से लगातार जो मनोरम ध्वनि निकलती है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि बच्चे आसपास सब ओर मृदंग बजा रहे हैं।

34. बाजार का जादू चढ़ाने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या असर पड़ता है ?

उत्तर – बाजार का जादू चढ़ने पर व्यक्ति अधिक से अधिक वस्तु खरीदना चाहता है। तब वह सोचता है कि बाजार में बहुत कुछ है और उसके पास कम चीजें हैं। वह लालच में आकर गैर-जरूरी चीजों को भी खरीद लेता है। परन्तु जब बाजार का जादू उतर जाता है, तो उसे वे वस्तुएँ अर्थात् अपने द्वारा खरीदी गई वस्तुएँ अनावश्यक, निरर्थक एवं आराम में खलल डालने वाली लगती हैं। '

35. जीजी ने इंदरसेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया ?

उत्तर – जीजी ने लेखक को बताया कि देवता से कुछ माँगे जाने से पहले उसे कुछ चढ़ाना पड़ता है। किसान भी तीस-चालीस मन गेहूँ पाने के लिए पहले पाँच-छ: सेर गेहूँ की बुवाई करता है। इन्द्र सेना पर भी यही बात लागू होती है। इन्द्र वर्षा के देवता हैं। इन्द्र सेना को पानी देने से इन्द्र देवता प्रसन्न होते हैं और बदले में झमाझम वर्षा करते हैं। एक प्रकार से इन्द्र सेना पर पानी फेंकना वर्षा-जल की बुवाई है। इस तरह पहले कुछ त्याग करो, फिर उसका फल पाने की आशा करो।

36. कहानी के किस-किस मोड़ पर लुट्टन के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आए ?

उत्तर – कहानी में लुट्टन के जीवन में निम्नलिखित परिवर्तन आये -

बचपन में माता-पिता की मृत्यु हो गई, तब उसका पालन-पोषण विधवा सास ने किया। शादी बचपन में हो गई थी।

श्यामनगर के दंगल में पंजाब के नामी पहलवान चाँदसिंह को पछाड़कर राज-दरबार क्ला आश्रय पाया।

लुट्टन के दोनों बेटे भी पहलवानी के क्षेत्र में उतरे।

राजा की मृत्यु के बाद राजकुमार ने लुट्टन को राज-दरबार से हटा दिया। तब वह अपने गाँव लौट आया।

गाँव में महामारी फैलने पर दोनों पुत्रों की मृत्यु हो गई।

कुछ दिनों पश्चात् लुट्टन की भी मृत्यु हो गई।

37. शिरीष के पुष्प को शीत पुष्प क्यों कहा जाता है ?

उत्तर – शिरीष का पुष्प ज्येष्ठ मास में भयंकर धूप, गर्मी और लू आदि की स्थिति होने पर भी फूलता रहता है। वह अत्यन्त कोमल, मुलायम होता है। भयंकर गर्मी में अन्य पुष्प-पत्र सूख जाते हैं, परन्तु शिरीष पुष्प लहलहाता रहता है तथा तपन में भी ठण्डा रहता है। इसी से इसे शीतपुष्प नाम दिया गया है।

38. लेखक के मत से 'दासता' की व्यापक परिभाषा क्या है ?

उत्तर - लेखक के अनुसार दासता केवल कानूनी पराधीनता को ही नहीं कहा जा सकता। दासता में कुछ व्यक्तियों को दूसरे लोगों के द्वारा निर्धारित व्यवहार एवं कर्तव्यों का पालन करने के लिए विवश होना पड़ता है। इसमें कुछ लोगों को अपनी इच्छा के विरुद्ध पेशा अपनाना पड़ता है तथा व्यवसाय-चयन की स्वतन्त्रता नहीं रहती है।

खण्ड - B (लघु उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दें। 3x6-18

39. भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है?

उत्तर - शास्त्र के प्रश्नों को भी भक्तिन अपनी सुविधानुसार सुलझा लेती है। वह सिर मंडाए रखती थी, यह लेखिका को अच्छा नहीं लगता था। जब लेखिका भक्तिन को ऐसा करने से रोका तो उसने अपनी बात ऊपर रखते हुए कहा कि शास्त्र में यही लिखा है। जब लेखिका ने पूछा कि क्या लिखा है? उसने तुरंत उत्तर दिया तीरथ गए मुंडाए सिध। यह बात किस शास्त्र में लिखी गई है, इसका ज्ञान भक्तिन को नहीं था जबकि लेखिका जानती थी कि यह कथन किसी व्यक्ति का नहीं है न ही किसी शास्त्र का है। अतः वह भक्तिन का चूडाकर्म हर बृहस्पतिवार को होने से लेखिका नहीं रोक सकी और यथाविधि निष्पत्र होता रहा।

40. कवि बादलों को किस रूप में देखता है ?

उत्तर - कवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' ने 'बादल राग' कविता के अंतर्गत बादल को क्रांति के प्रतिनिधि के रूप में रखा है। बादल नवजीवन के प्रतीक हैं। ग्रीष्म के भीषण ताप जैसी निरंकुशता को बादल समाप्त कर धरती के नीचे सोये अंकुर के मन में आकांक्षाओं को गति प्रदान करता है। बादल का यह रूप परंपरागत काव्य-प्रवृत्ति से पूर्णतः अलग है।

41. 'पानी दे गुड़धानी दे' मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है

उत्तर - गुडधानी अनाज और गुड के मिश्रण को कहते हैं। यहाँ पर गुडधानी से तात्पर्य अच्छी फसल से है। हमारी अर्थव्यस्था कृषि पर आधारित है, इस कारण जब अच्छी वर्षा होगी तभी अच्छी फसल भी होगी इसलिए पानी के साथ गुडधानी की माँग की जा रही है। यहाँ गुडधानी प्रसन्नता ओर खुशहाली का प्रतीक भी है।

42. लुट्न पहलवान ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है?

उत्तर - लुट्न ने किसी गुरु से कुश्ती के दांव पेंच नहीं सीखे थे उसे प्रेरणा मिलती थी तो केवल ढोलक की आवाज से ढोलक की हर ताल पर उसकी नसें उत्तेजित हो उठती थी और तन बदन कुश्ती के लिए मचल उठता था। श्यामनगर के मेले में भी उसने चांद सिंह को ढोलक की आवाज से ही हराया था। इसलिए कुश्ती जीतने के बाद उसने ढोल को प्रणाम किया और वह ढोल को ही अपना गुरु मानने लगा।

43. यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं। ऐसा क्यों ?

उत्तर - यशोधर बाबू एक दफ्तर में सेक्शन ऑफिसर के पद पर कार्यरत थे। बचपन में ही माता-पिता के देहांत हो जाने की वजह से यशोधर बाबू जिम्मेदारियों के बोझ से दब गए थे। यशोधर बाबू ने मैट्रिक पास करने के बाद नौकरी की खोज में किशन दा के यहां रहते हुए मेस का रसोईया बनकर काम किया। यशोधर बाबू घोर संस्कारी किशन दा को अपना आदर्श मानते थे। यही कारण है कि उनके विचारों में किशन दा के विचारों की गहरी छाप थी। वे सदैव पुराने ख्यालों वाले लोगों के बीच रहे, पले बढ़े, जिसके कारण उन्हें आधुनिकता के विचार बड़े ही असहनीय लगते थे। अतः वे उन परंपराओं को चाह कर भी नहीं छोड़ पाए। उन्होंने कभी भी आधुनिक संपन्न जीवन नहीं जिया था इसी के कारण परिवार के सदस्यों से उनका मतभेद बना रहता था जबकि यशोधर बाबू की पत्नी अपने मूल संस्कारों में आधुनिक नहीं थी किंतु अपने बच्चों की तरफदारी करने की मातृसुलभ मजबूरी के चलते स्वयं को मॉड (आधुनिक) बना लेती है। विवाह के बाद उसे संयुक्त परिवार के कठोर नियमों का निर्वाह करना पड़ा इसलिए वह अपने बच्चों के आधुनिक दृष्टिकोण से जल्दी ही प्रभावित हो गईं। वे बेटी के कहने के अनुसार नए कपड़े पहनती हैं और बेटों के किसी भी मामले में दखल नहीं देती। यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ परिवर्तित हो जाती है, लेकिन यशोधर बाबू किशनदा के संस्कारों और परंपराओं से जुड़े होने के कारण स्वर्य को कभी भी समय के साथ बदलने की चेष्टा नहीं किये। वे बदलते समय को समझते तो हैं किंतु पूरे मन से स्वीकार न कर पाने के कारण असफल रहते हैं।

44. 'जूझ' शीर्षक के औचित्य पर विचार करते हुए यह स्पष्ट करें कि क्या यह शीर्षक कथा नायक की किसी केन्द्रीय चारित्रिक विशेषता को उजागर करता है ?

उत्तर - शीर्षक किसी भी रचना की मूल भाव को प्रकट करता है। इस पाठ का शीर्षक जूझ संपूर्ण अध्याय में फैला हुआ है। 'जूझ का अर्थ है - जूझना अथवा संघर्ष करना। इसमें कथानायक आनंद ने विद्यालय जाने के लिए अतिशय संघर्ष किया है। इस कहानी के कथानायक आनंद में संघर्ष का भाव भरा है। उसके पिता उसे विद्यालय जाने से मना कर देते है। इसके बाद भी कथानायक मां को अपने पक्ष में लेकर दत्ता जी राव देसाई सरकार की सहायता लेता है। वह देसाई सरकार व अपने पिता के सामने अपना पक्ष रखता है तथा अपने ऊपर लगे आरोपों का उत्तर देता है। आगे बढ़ने के लिए वह हर कठिन शर्त मानता है। विद्यालय में भी वह नए माहौल में ढलने कविता रचने आदि के लिए संघर्ष करता है। अतः यह शीर्षक सर्वथा उचित है तथा कथानायक की केंद्रीय चारित्रिक विशेषता को उजागर करता है।

45. रस का अक्षयपात्र से कवि ने रचनाकर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है

उत्तर- कृषि कर्म का आधार लेकर कवि ने काव्य के विकसित होने, पल्लवित पुष्पित होने, रसात्मक रूप धारण करने की प्रक्रिया की ओर संकेत किया है। कृषि द्वारा उत्पादित पदार्थ भी रसपूर्ण होते हैं पर उनमें लौकिक रस की स्थिति होती है, साथ ही वह रस स्थायी नहीं होता क्योंकि पदार्थ ही स्थायी नहीं होते हैं। साहित्यिक प्रकृति से अलौकिक रस धारा फूटती है और यह रस धारा शाश्वत, चिरस्थायी होती है। अनन्त काल तक सतत् प्रवाहित होती रहती है। क्योंकि साहित्य भी तो शाश्वत और चिरस्थायी होता है। जिससे अलौकिक आनन्द की प्राप्ति होती है। अतः कागज रूपी खेत पर पनपी काव्य रूपी फसल रस की अक्षय निधि है, जिसका जन्म चौकोना कागज रूपी खेत से हुआ है। अतः वह सदा से रस का अक्षय पात्र रहा है और रहेगा।

46. पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है तुलसी का यह कथ्य-सत्य क्या इस समय का भी युग-सत्य है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए ।

उत्तर- तुलसीदास ने कहा है कि पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति रूपी मेघ ही कर सकता है। मनुष्य का जन्म, कर्म, कर्म-फल सब ईश्वर के अधीन हैं। निष्ठा और पुरुषार्थ से मनुष्य के पेट की आग का शमन तभी हो सकता है जब ईश्वर की कृपा हो अर्थात् फल प्राप्ति के लिए दोनों में संतुलन का होना अति आवश्यक है। पेट की आग बुझाने के लिए की गई मेहनत के साथ - साथ ईश्वर की कृपा का होना बेहद जरूरी है।

खण्ड - C (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दें। 5x4-20

47. निम्नलिखित में से किसी एक का काव्य सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।

(क) मैं निज उर के उद्‌गार लिए फिरता है,

मैं निज उर के उपहार लिए फिरता हूँ,

है यह अपूर्ण संसार न मुझको भाता

मैं स्वप्नों का संसार लिए फिरता हूँ।

उत्तर - कठिन शब्दार्थ- निज = अपने। उर = हृदय। उद्गार = भावनाएँ, विचार। उपहार = प्रेमभाव, सद्भावनाएँ। अपूर्ण = अधूरा, मधुर भावनाओं से रहित। न भाता = अच्छा नहीं लगता। स्वप्नों का संसार = मन को सुहाने वाली भावनाएँ। जला हृदय में अग्नि = सांसारिक दुखों से त्रस्त मन। दहा करता हूँ = दुखी हुआ करता हूँ। मग्न = एक भाव से, अप्रभावित। भव-सागर = संसार रूपी सागर, जन्म-मरण का चक्र। तरने को = उद्धार पाने को। नाव = पुण्य कार्य। भव मौजों पर = सांसारिक जीवन की मस्ती॥

संदर्भ तथा प्रसंग- प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित कवि हरिवंश राय बच्चन की कविता ‘आत्मपरिचय से लिया गया है। इसे अंश में कवि कह रहा है कि वह अपनी कविता द्वारा सभी के कल्याण की कामना करता रहता है। वह अपने सपनों के संसार में मग्न रहता है, वह सुख-दुख को समान भाव से ग्रहण करते हुए मस्ती के साथ जीवन बिताया करता है।

व्याख्या- कवि कहता है कि मैं अपने हृदय के भावों को अपनी कविता द्वारा व्यक्त करता रहता हूँ। मेरी कविता में सारे संसार के कल्याण की कामना रहती है। यही संसार को मेरा प्रेम-उपहार है। मेरी दृष्टि में यह संसार अधूरा है, जो मुझे प्रिय नहीं है। इसीलिए मैं अपने सपनों के संसार में मग्न रहता हूँ जहाँ कोई चिन्ता और अभाव नहीं है।

यद्यपि संसार के कष्ट, अभाव और दुख-दर्द उसके मन को निरन्तर जलाते हैं, परन्तु उसके लिए सुख-दुख दोनों समान हैं। लोग इस संसार को माया और भ्रम मानकर इस संसाररूपी सागार से पार होने के उपाय किया करते हैं। वे पुण्य-कार्यों को नाव बनाकर संसार से मुक्ति चाहा करते हैं लेकिन कवि मस्ती के साथ संसार-सागर की लहरों पर बहता रहता है। आशय यह है कि कवि संसार की कठिनाइयों से विचलित न होकर प्रसन्नतापूर्वक उनके बीच से होकर अपनी मार्ग तलाशता है।

विशेष-

(i) यह संसार अपूर्ण है। इसमें प्रेम नहीं है। यह स्थायी नहीं है। इसमें अभाव, चिन्ताएँ और ईर्ष्या-द्वेष हैं। अत: कवि को यह संसार अच्छा नहीं लगता। वह अपने सपनों के प्रेम से भरे हुए संसार में जीना चाहता है।

(ii) भाषा सरल, प्रवाहपूर्ण तथा परिमार्जित खड़ी बोली है। कवि ने परिचयात्मक शैली में अपने मनोभाव व्यक्त किए हैं।

(iii) ‘मन-मौजों पर मस्तमें अनुप्रास तथा भवसागर में रूपक अलंकार है।

(iv) काव्यांश शांत रस की अनुभूति कराता है।

(ख) नभ में पाँती बँधे बगुलों के पंख

चुराये लिए जाती वे मेरी आँखें ।

कजरारे बादलों की छाई नभ छाया

तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया ।

उत्तर - प्रसंग-आलोच्य पंक्तियां गुजराती कवि उमाशंकर जोशी द्वारा रचित बगुले के पंख से उद्धृत है।

संदर्भः इस कविता में सौंदर्य की नई परिभाषा प्रस्तुत की गई है तथा मानव मन पर इसके प्रभाव को बताया गया है।

व्याख्या- कवि आकाश में छाए काले काले बादलों में पंक्ति बनाकर उड़ते हुए बगुले के सुंदर-सुंदर पंखों को देखता है। वह कहता है कि मैं आकाश में पंक्तिबद्ध बगुले को उड़ते हुए एकटक देखता रहता हूं। सांयकाल चमकीली सफेद काया नभ पर तैरती हुई प्रतीत होती है।

विशेष- कवि ने आकाश के प्राकृतिक सौंदर्य को अभिव्यक्त किया है। खड़ी बोली है। बिंब योजना है। आँखें चुराना मुहावरे का प्रयोग है। भाषा सरल व सहज है।

48. 'दैनिक उपयोग में बिजली का बचाव' अथवा 'महिलाओं की सुरक्षा' विषय पर एक निबंध लिखिए ।

उत्तर

'दैनिक उपयोग में बिजली का बचाव'

परिचय:

बिजली मनुष्य के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक है। खासकर अब जब हम 21 वीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं, तो शायद ही कोई ऐसी चीज हो जो बिजली से न चलती हो। हालाँकि, दुनिया भर में बिजली की भारी माँग के कारण, बिजली का उत्पादन करना और उसे सभी को उपलब्ध कराना मुश्किल हो गया है। हालाँकि, अगर बिजली बचाने के लिए उचित कदम और उपाय किए जाएँ तो यह संभव है कि आने वाली मानव जाति और वर्तमान में मौजूद मानव जाति दोनों ही इसका उपयोग कर सकें। यहाँ एक गाइड है कि आप वेदान्तु के माध्यम से बिजली बचाओ निबंध कैसे लिख सकते हैं और उस पर अपने सभी विचार व्यक्त कर सकते हैं। यह निबंध लेखन न केवल उच्च कक्षाओं के बच्चों बल्कि निचली कक्षाओं में मौजूद छात्रों की भी मदद करता है।

बिजली की आवश्यकता

बिजली के बिना आधुनिक दुनिया अब असंभव है और जीवन के हर क्षेत्र में इसकी आवश्यकता है। बिजली तकनीकी उन्नति को सुगम बनाती है और उत्पादों और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला का समर्थन करती है जो हमारे जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाती है और आर्थिक उत्पादकता को बढ़ावा देती है। इस प्रकार, बिजली की मांग सीधे जनसंख्या और आर्थिक विकास से संबंधित है।

घर, सड़कें, पार्क, कार्यालय, दुकानें, मॉल आदि बिजली से रोशन होते हैं। मोबाइल फोन, इंटरनेट, इलेक्ट्रिक ट्रेन, ट्राम और मोटर के आने से आधुनिक संचार और परिवहन सुरक्षित, तेज़ और अधिक आरामदायक हो गए हैं।

बिजली के उपकरणों के आने से घर, दफ्तर और फैक्ट्री में हर तरह के काम आसान हो गए हैं। घरेलू सेवाओं में, हर तरह के उपकरण बिजली से ज़्यादा सस्ते और कुशलता से काम करते हैं। घर और दफ्तर में होने वाले काम को कम करने के लिए बिजली से चलने वाले कई श्रम-बचत और समय-बचत वाले उपकरण पेश किए गए हैं।

रेडियो, टेलीविजन, कूलर, हीटर, वॉशिंग मशीन, एयर कंडीशनर, सभी बिजली पर निर्भर हैं। बिजली के बिना त्योहारों और समारोहों में कोई भव्यता नहीं है।

बिजली ने चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति ला दी है। इलेक्ट्रोथेरेपी द्वारा रोगों के उपचार में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

बिजली ने खेती के तरीके को बदल दिया है। दरअसल, इसने खेती को मशीनीकृत कर दिया है। इसने नदियों के पानी को नहरों में बांटने और सूखी और बंजर जमीनों की सिंचाई करने में हमारी मदद की है। बिजली के बिना हम औद्योगिक विकास की कल्पना नहीं कर सकते। सभी तरह के उद्योगों को काम करने के लिए बिजली की जरूरत होती है।

बिजली कैसे बचाएं?

बिजली उत्पादन मुख्य रूप से गैर-प्रतिस्थापनीय संसाधनों पर निर्भर करता है। थर्मल पावर को बिजली पैदा करने के लिए कोयले और अन्य जीवाश्म ईंधन की आवश्यकता होती है। इस ईंधन के भंडार सीमित हैं और इन भंडारों को फिर से भरने में लाखों साल लगेंगे।

ऐसे कई अलग-अलग तरीके हैं जिनसे हम बिजली बचा सकते हैं और इस तरह ऊर्जा का संरक्षण कर सकते हैं। घर पर, बिजली की खपत को कम करने के लिए कंप्यूटर को अनप्लग करना, टीवी बंद करना जैसे बुनियादी कदम उठाए जाने चाहिए, जिससे ऊर्जा की बचत होगी। आप अपने घर में थर्मोस्टेट तकनीक स्थापित कर सकते हैं और विभिन्न उपकरणों और गैजेट को कनेक्ट कर सकते हैं जो उन सभी आउटलेट से बिजली खींचते हैं जो उपयोग में भी नहीं हैं। बिजली की खपत को कम करने के लिए सौर पैनल लगाए जा सकते हैं।

इसके अलावा, हम ज़्यादा प्राकृतिक रोशनी का इस्तेमाल कर सकते हैं। दिन के समय लाइट और पंखे चालू करने के बजाय, हम प्राकृतिक रोशनी और हवा पाने के लिए अपनी खिड़कियाँ खुली रख सकते हैं।

हम अपनी बाहरी गतिविधियों को और बढ़ा सकते हैं जैसे खेलना, बागवानी करना, पढ़ना आदि ताकि टीवी देखने का समय कम हो सके। हम अपने ऑफिस के काम और अन्य संबंधित कार्यों को डेस्कटॉप से ​​लैपटॉप पर स्विच कर सकते हैं क्योंकि लैपटॉप डेस्कटॉप की तुलना में कम ऊर्जा की खपत करते हैं।

निष्कर्ष

बिजली आधुनिक समाज की रीढ़ है। बिजली के बिना हमारा जीवन आदिम युग में वापस चला जाएगा। बिजली के तर्कसंगत उपयोग की आवश्यकता है, क्योंकि यह बड़े पैमाने पर कोयले और पानी जैसे गैर-नवीकरणीय स्रोतों से उत्पन्न होती है। इसकी मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को पूरा करने के लिए बिजली के वैकल्पिक स्रोतों की खोज की जानी चाहिए। हमें भविष्य की पीढ़ियों के लिए बिजली के स्रोतों के संरक्षण के लिए हर कदम उठाना चाहिए।

'महिलाओं की सुरक्षा'

इस देश में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ी चिंता का विषय है और इसलिए इस पर जितना संभव हो सके बात की जानी चाहिए। वे मजबूत हैं, इस देश में उनकी पूजा की जाती है। वे एक माँ हैं, वे एक बहन हैं, एक दादी हैं, एक पत्नी हैं। वे कई भूमिकाएँ निभाती हैं और फिर भी, वे सुरक्षित नहीं हैं। वे आतंक और डर में रहती हैं। वे रात में अपने घर से पास की दुकान पर जाने से डरती हैं। महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ी चिंता है जिसे हमारे जैसे देश में संबोधित किया जाना चाहिए। भारत निश्चित रूप से हमारी महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित देश नहीं है। एक ऐसे देश के लिए जो दुर्गा, लक्ष्मी और काली जैसे देवताओं की पूजा करने के लिए जाना जाता है, हमें स्पष्ट रूप से इस मुद्दे पर चिंता करने की ज़रूरत है कि देश में महिलाएँ कितनी असुरक्षित हो गई हैं। सभी उम्र की महिलाएँ वर्तमान में अपने अधिकारों के खिलाफ किसी न किसी तरह के अपराध का सामना कर रही हैं और सबसे बुरे तरीके से पीड़ित हैं। जितना अधिक हम ऐसी चीजों को होने देंगे, उतना ही वे बढ़ती रहेंगी। हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हमारे देश में महिलाओं की सुरक्षा एक ऐसी चीज है जिसके बारे में हम हर समय बात करते हैं। जब हम अपने देश में महिलाओं के लिए रोजमर्रा की गतिविधियों को सुरक्षित बनाने की योजना बनाएंगे, तभी हम अपने आप को एक सफल राष्ट्र कह सकेंगे।

हिंसा और भेदभाव के कारण महिलाओं का जीवन खतरे में है और उन्हें किसी भी सामाजिक गतिविधि में भाग लेने से दूर रखा गया है। भारत में, दुर्गा, सती, साबित्री के माध्यम से महिला हिंसा के अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई है, लोग उन्हें देवी मानते हैं। महिलाओं को पहले घरों में बंद कर दिया जाता था, लेकिन शहरीकरण उन्हें इन जेलों को तोड़ने और पुरुषों के बराबर दुनिया को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए मजबूर करता है। महिलाओं ने टैक्सी ड्राइवर से लेकर बहुराष्ट्रीय कॉर्पोरेट कंपनियों के सीईओ तक हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखाई। लोगों को यह सोच छोड़ देनी चाहिए कि महिलाएं घर से बाहर जाकर कुछ नहीं कर सकतीं। उन्हें यह स्वीकार करना चाहिए कि उन्होंने चाँद पर भी कदम रखा है। चाँद पर कदम रखने वाली पहली भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला न केवल दुनिया भर की महिलाओं के लिए बल्कि अंतरिक्ष यात्री बनने की इच्छा रखने वाले अन्य सभी पुरुषों के लिए भी एक आदर्श बन गईं। वह पूरी दुनिया के सामने एक प्रेरणा बन गईं।

भारत में घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न और हत्या महिलाओं के खिलाफ हिंसा के सामान्य रूप हैं। दहेज हत्या हत्या का एक अंतिम रूप है। भारतीय अभी भी इस मनोविज्ञान के साथ हैं कि दहेज एक परंपरा है और लड़कियों के पिता इसे चुकाने के लिए अपना सब कुछ खो देते हैं। घरेलू हिंसा या घरेलू दुर्व्यवहार एक साथी द्वारा दूसरे साथी के साथ रिश्ते में किया जाता है। भारत में घरेलू हिंसा की दर बढ़ रही है। 70% महिलाएँ घरेलू हिंसा की शिकार हैं। इससे अवसाद और आत्महत्याएँ होती हैं। यह सीधे तौर पर हत्या नहीं है, लेकिन यह निश्चित रूप से हत्या का कारण है। इसके अलावा, लड़कियों को कम उम्र में शादी के लिए मजबूर किया जाता है। ये बाल वधू अपनी ज़िम्मेदारी को समझने के लिए भी पर्याप्त परिपक्व नहीं होती हैं। एसिड फेंकना हिंसक हमले का एक रूप है जो खूबसूरत लड़की की ज़िंदगी बर्बाद कर देता है। 'रिश्ते में धोखा' महिलाओं के खिलाफ़ एक और आम अपराध है। एक आदमी आसानी से रिश्ता तोड़ देता है 

वह अपनी पत्नी को छोड़ देता है और दूसरी दुल्हन के साथ नया जीवन शुरू करता है। 

देश में कई जगहें ऐसी हैं जहाँ महिलाओं को अभी भी कुछ सबसे बुनियादी अधिकारों के बारे में पता नहीं है जिनका लाभ उठाकर वे खुद को सशक्त बना सकती हैं। यह हमें अगली बात की ओर ले जाता है जिस पर हमारे देश में रहने वाले लोगों को ध्यान देने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है कि देश में महिलाएँ सुरक्षित रहें, यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें हर रोज़ सशक्त बनाया जाए। सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े इलाकों में रहने वाली कई महिलाएँ घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं, उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि ऐसा होने से रोकने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए और ऐसा होने के बाद खुद के लिए खड़े होने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए, महिलाएँ अपने खिलाफ इस भयानक व्यवहार को सहती रहती हैं। इसलिए, उन्हें सशक्त बनाना और उन्हें इस बात से अवगत कराना कि उन्हें क्या करना चाहिए, उन्हें किससे संपर्क करना चाहिए और चुप न रहना क्यों महत्वपूर्ण है, कुछ सबसे महत्वपूर्ण चीजें हैं जिन पर हमें अपना ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

भारत में महिलाओं की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है और निर्भया मामले के बाद कई संगठनों ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है। महिलाओं को कुछ आत्मरक्षा युक्तियाँ और तरकीबें अपनानी चाहिए ताकि यह उनके लिए सबसे बुरे हालातों में मददगार साबित हो। महिलाओं की सुरक्षा के बारे में शिक्षित करने के लिए ऐसी रक्षात्मक तकनीकों के बारे में अनगिनत वीडियो और जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध हैं। महिलाओं के लिए प्राथमिक और सबसे महत्वपूर्ण सलाह यह है कि अगर आपको लगता है कि आप थोड़ी भी असुरक्षित जगह पर हैं तो तुरंत उस जगह से निकल जाना बेहतर है। 

सार्वजनिक परिवहन में हिंसा व्यापक रूप से देखी जाती है, इसलिए उसे रात में सार्वजनिक परिवहन से यात्रा करने से बचना चाहिए, और यदि यह संभव नहीं है, तो सुनिश्चित करें कि आप पर्याप्त भीड़ के साथ यात्रा करें। यदि वह अकेली गाड़ी चला रही है, तो अजनबियों को लिफ्ट न दें, क्योंकि हमें उनके इरादों के बारे में पता नहीं है। स्मार्टफोन का समझदारी से इस्तेमाल करना आपात स्थिति में एक अंगरक्षक की तरह काम आ सकता है। बाजार में ऐसे बहुत से उपयोगी उपकरण उपलब्ध हैं जो आपात स्थिति के समय सहायता प्रदान करेंगे। पर्स में ऐसे उपकरण, स्प्रे और छोटे ब्लेड रखना उपयोगी हो सकता है, अगर चीजें गलत हो जाएं। सावधानी हमेशा इलाज से बेहतर होती है! महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए 'भारत की संसद' ने 'घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005' पारित किया।

निष्कर्ष

जिस दिन भारत में महिलाएं बिना किसी डर के पास की दुकानों पर जाने जैसी सबसे बुनियादी चीजें करने में सुरक्षित महसूस करेंगी, तभी हम एक देश के रूप में वास्तव में सफल होंगे। जिस क्षण हर नागरिक समझ जाएगा कि सहमति क्या है और अपने आस-पास की महिलाओं का सम्मान करना शुरू कर देगा, तभी हम वास्तव में उस सपने को पूरा कर सकते हैं जिसका सपना हमारे पूर्वजों ने देखा था। लेकिन अभी, एक राष्ट्र के रूप में हमें अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है

49, कवितावली में उद्धव छंदों के आधार पर स्पष्ट करें कि तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमता की अच्छी समझ है।

उत्तर- 'कवितावली' में वर्णित छंदों के आधार पर हम यह कह सकते हैं। कि तुलसीदास जी को अपने युग की आर्थिक विषमता की गहरी समझ थी, क्योंकि उन्होंने तत्कालीन समाज का यथार्थपरक चित्रण किया है। उन्होंने तत्कालीन सामाजिक विषमता से उत्पन्न गरीबी एवं बेकारी को दारिद-दसानन के समान बताया है। तुलसीदास के अनुसार उनके समय में लोग बेरोजगारी और भुखमरी की समस्या से परेशान थे। मजदूर, किसान, नौकर, भिखारी आदि सभी दुखी थे । तुलसीदास ने तो यहां तक कहा है कि पेट भरने के लिए लोग गलत सही सभी कार्य करते थे। गरीबी के कारण लोग अपनी संतान तक को बेचने के लिए तैयार थे। दरिद्रता रूपी रावण ने चारों तरफ हाहाकार मचा रखा था।

50. 'जहाँ पर दाना रहता है, वहीं नादान भी होते हैं,' कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा ?

उत्तर - इसमें 'दाना' स्वार्थपरता, लोभ-लालच, सांसारिकता एवं चेतना का प्रतीक है। संसार में ज्ञानी और अज्ञानी दोनों ही तरह के लोग सत्य को खोज रहे हैं, परन्तु स्वार्थ की चिन्ता करने वाले लोग अज्ञानी हैं। जो दाने के लोभ में फँस , जाते हैं वे स्वाभाविक रूप से नादान व सांसारिक षड्यंत्र के प्रति भोले होते हैं।

51. 'उड़ने और खिलने' का कविता से क्या संबंध बनता है ?

उत्तर - पक्षी आकाश में उड़ते हैं तथा फूल जगह-जगह खिलते हैं। कविता में पक्षियों के समान उड़ने की तथा फूल के समान खिलने की विशेषता होती है। लेकिन ये विशेषताएँ उसे किसी सीमा में नहीं बाँधती। ये विशेषताएँ उसे गहराई तथा व्यापकता देती है। पक्षी एक समय तक ही उड़ सकते हैं तथा फूल खिलकर समाप्त हो जाते हैं लेकिन कविता में ऐसा नहीं होता है। वह अपने निर्माण के साथ ही उड़ान भरती है और सदियों तक इस उड़ान को कायम रखती है, वह फूल के समान स्वरूप पाकर खिलती है। उसका खिलना एक समय के लिए नहीं होता बल्कि वह भी सदियों तक खिलकर लोगों के हृदय को आनंदित करती है। इसलिए 'उड़ने' और 'खिलने' का कविता से गहरा संबंध बनता है।

52. हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार की कठोरता भी कभी-कभी जरूरी हो जाती है ?

उत्तर - हृदय की कोमलता को बचाने के लिए कभी-कभी व्यवहार की कठोरता जरूरी हो जाती है। शिरीष के फूल अतीव कोमल होते हैं, परन्तु वे अपने वृन्त से इतने मजबूत जुड़े रहते हैं कि नये फूलों के आ जाने पर भी अपना स्थान नहीं छोड़ते हैं। वे अपने अन्दर की कोमलता को बचाने के लिए ऐसे कठोर बन जाते हैं। 

JCERT/JAC Hindi Core प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

आरोह भाग -2

काव्य - खंड

1.

हरिवंशराय बच्चन -आत्मपरिचय ,एक गीत

2.

आलोक धन्वा-पतंग

3.

कुँवर नारायण-कविता के बहाने,बात सीधी थी पर

4.

रघुवीर सहाय-कैमरे में बंद अपाहिज

5.

गजानन माधव मुक्तिबोध-सहर्ष स्वीकारा है

6.

शमशेर बहादुर सिंह-उषा

7.

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'-बादल राग

8.

तुलसीदास-कवितावली (उत्तर कांड से),लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप

9.

फिराक गोरखपुरी-रुबाइयाँ,गज़ल

10.

उमाशंकर जोशी-छोटा मेरा खेत,बगुलों के पंख

11.

महादेवी वर्मा-भक्तिन

गद्य - खंड

12.

जैनेन्द्र कुमार-बाज़ार दर्शन

13.

धर्मवीर भारती-काले मेघा पानी दे

14.

फणीश्वरनाथ रेणु-पहलवान की ढोलक

15.

विष्णु खरे-चार्ली चैप्लिन यानी हम सब

16.

रज़िया सज्जाद ज़हीर-नमक

17.

हजारी प्रसाद द्विवेदी-शिरीष के फूल

18.

बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर-श्रम विभाजन और जाति-प्रथा,मेरी कल्पना का आदर्श समाज

वितान भाग- 2

1.

मनोहर श्याम जोशी -सिल्वर वैडिंग

2.

आनंद यादव- जूझ

3.

ओम थानवी- अतीत में दबे पाँव

4.

ऐन फ्रैंक- डायरी के पन्ने

अभिव्यक्ति और माध्यम

1.

अनुच्छेद लेखन

2.

कार्यालयी पत्र

3.

जनसंचार माध्यम

4.

संपादकीय लेखन

5.

रिपोर्ट लेखन

6.

आलेख लेखन

7.

पुस्तक समीक्षा

8.

फीचर लेखन

Solved Paper 2023

Arts Paper,

Science/Commerce Paper

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