झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्,राँची
वार्षिक इन्टरमीडिएट परीक्षा - 2024
मॉडल प्रश्न पत्र
पूर्णाकः
80 कुल
समय : 3 घंटे
हिंदी कोर
सामान्य
निर्देश:-
•
परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में उत्तर दें।
•
सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
•
कुल प्रश्नों की संख्या 52 है।
•
प्रश्न 1 से 30 तक बहुविकल्पिय प्रश्न हैं। प्रत्येक
प्रश्न के चार विकल्प दिए गए हैं। सही विकल्प का चयन कीजिये। प्रत्येक प्रश्न के
लिए एक अंक निर्धारित है।
•
प्रश्न संख्या 31 से 38 तक अति लघु उत्तरीय प्रश्न है। जिसमे से किन्ही 6 प्रश्नों
का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक निर्धारित है।
•
प्रश्न संख्या 39 से 46 तक लघु उत्तरीय प्रश्न है। जिसमे से किन्ही 6 प्रश्नों का उत्तर
देना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक निर्धारित है।
•
प्रश्न संख्या 47 से 52 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न है। किन्हीं 4 प्रश्नों का उत्तर देना
अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक निर्धारित है।
अपठित बोध
1.
निम्नलिखित पद्द्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें -
है
शौक यही अरमान यही,
हम
कुछ करके दिखलाएँगे।
मरने
वाली दुनिया में हम,
अमरों
में नाम लिखाएँगे।
जो
लोग गरीब भिखारी हैं,
जिन
पर न किसी की छाया है।
हम
उनको गले लगाएँगे।
हम
उनको सुखी बनाएँगे।
जो
लोग अँधेरे घर में हैं।
अपनी
ही नहीं नज़र में हैं।
हम
उनके कोने-कोने में
उद्यम
का दीप जलाएँगे।
1. कवि की क्या अभिलाषा है?
A.
सेना में भर्ती होकर देश सेवा करने की।
B. गरीबों और वंचितों की मदद करने की।
C.
जीवन में आर्थिक सम्पन्नता प्राप्त करने की।
D.
मरने से पूर्व ओजस्वी कविता लिखने की
2. पद्द्यांश में किन लोगों को सुखी बनाने का संकल्प लिया गया है?
A.
जो लोग गरीब एवं भिखारी हैं।
B.
जो लोग असहाय हैं।
C.
जिन पर किसी की छाया नहीं है।
D. ये सभी
3. पद्द्यांश में 'हम' शब्द किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है?
A. देश वासियों के लिए
B.
कवि वर्ग के लिए
C.
बच्चों के लिए
D.
समाज सेवकों के लिए
4. प्रस्तुत पंक्तियों में किस प्रकार का भाव निहित है?
A.
धार्मिक
B.
वेदनामय
C. देशभक्ति
D.
प्रेम एवं शृंगार
निम्नलिखित
गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें -
शिक्षा
से मनुष्य अपने परिवेश के प्रति जाग्रत होकर कर्तव्याभिमुख हो जाता है। 'स्व' से 'पर'
की ओर अग्रसर होने लगता है। निर्बल की सहायता करना, दुखियों के दुःख दूर करने का प्रयास
करना, दूसरों के दुःख से दुःखी हो जाना और दूसरों के सुख से स्वयं सुख का अनुभव करना
जैसी बातें एक शिक्षित मानव में सरलता से देखने को मिल जाती हैं। इतिहास, साहित्य,
राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र इत्यादि पढ़कर विद्यार्थी विद्वान ही नहीं
बनता, वरन् उसमें एक विशिष्ट जीवन दृष्टि, रचनात्मकता और परिपक्वता का सृजन भी होता
है। शिक्षित सामाजिक परिवेश में व्यक्ति अशिक्षित सामाजिक परिवेश की तुलना में सदैव
ही उच्च स्तर का जीवन-यापन करता है।
5. 'स्व' से 'पर' की ओर अग्रसर होने का क्या अर्थ है?
A.
स्वार्थी हो जाना
B.
स्वयं को भूल जाना
C.
स्वयं से पराया हो जाना
D. परोपकारी हो जाना
6. एक शिक्षित व्यक्ति में समाज कल्याण के लिए निम्न में से क्या होना
अत्यावश्यक है?
A. निर्बल की सहायता करना
B.
स्वार्थी होना
C.
दूसरों के दुःख से प्रसन्न होना
D.
ये सभी
7. शिक्षा से विद्यार्थी में किस गुण का विकास होता है?
A.
स्वार्थपूर्ति की
B. रचनात्मकता का
C.
अनुशासनहीनता की
D.
इनमें से कोई नहीं
8. प्रस्तुत गद्यांश किस विषय पर आधारित है?
A.
व्यावसायिक शिक्षा
B.
इतिहास और भूगोल
C. शिक्षा का महत्त्व
D.
रोजगार
रचनात्मक लेखन तथा अभिव्यक्ति और माध्यम
निम्नलिखित
प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीजिए -
9. आलेख का अभिप्राय है -
A.
किसी विषय पर सर्वांगपूर्ण जानकारी जो तथ्यात्मक, विश्लेषणात्मक अथवा विचारात्मक हो
B.
गंभीर अध्ययन पर आधारित प्रामाणिक रचना
C.
जिसमें विचार या तथ्य की पुनरावृत्ति न हो
D. उपरोक्त सभी
10. फ़ीचर में तथ्यों की प्रस्तुति का ढंग कैसा होता है?
A.
नीरस
B.
व्यापक
C. मनोरंजक
D.
संकुचित
11. संपादकीय किसे कहते हैं?
A.
समस्या की रिपोर्ट को
B. संपादक द्वारा लिखा गया विचारात्मक लेख को
C.
सरकार और जनता के बीच की कड़ी को
D.
संवाददाता से मिली जानकारी को
12. विश्व में इंटरनेट पत्रकारिता का पहला दौर था?
A.
1950 से 1960
B. 1982 से 1992
C.
1993 से 2001
D.
2002 से अबतक
13. 'लोकतंत्र का स्तंभ' कहा जाता है?
A.
न्यायपालिका को
B.
कार्यपालिका को
C.
विधायिका को
D. मीडिया को
14. फ्रीलांसर पत्रकार का अर्थ है
A.
पूर्णकालिक पत्रकार
B.
अंशकालिक पत्रकार
C. स्वतंत्र पत्रकार
D.
इनमें से कोई नहीं
15. मुद्रित माध्यमों की सबसे बड़ी सीमा क्या है?
A.
मनोरंजन का अभाव
B. तुरंत घटी घटनाओं की प्रस्तुति का अभाव
C.
प्रामाणिकता का अभाव
D.
वितरण का अभाव
16. पी.टी.आई क्या है?
A.
गुप्तचर विभाग
B.
पुलिस विभाग
C.
पत्रकार समूह
D. समाचार एजेंसी
पाठ्यपुस्तक
निम्नलिखित
पद्द्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें -
मुझसे
मिलने को कौन विकल?
मैं
होऊँ किसके हित चंचल?
यह
प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है!
दिन
जल्दी-जल्दी ढलता है!
17. उपर्युक्त पंक्तियों के रचयिता हैं
A. हरिवंशराय बच्चन
B.
आलोक धन्वा
C.
कुँवर नारायण
D.
रघुवीर सहाय
18. 'दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!' में कौन-सा अलंकार है?
A.
रूपक
B.
उपमा
C. पुनरुक्तिप्रकाश
D.
यमक
19. यहाँ 'मुझसे' कौन है?
A.
पंथी
B.
चिड़िया
C.
बच्चे
D. कवि
20. यहाँ किस प्रकार के व्यक्ति की बात की जा रही है?
A.
पारिवारिक जीवन बिताने वाले व्यक्ति
B. एकाकी जीवन बिताने वाले व्यक्ति
C.
सन्यासी जीवन बिताने वाले व्यक्ति
D.
इनमें से कोई नहीं
निम्नलिखित
गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें -
"जिठानियाँ
बैठकर लोक-चर्चा करतीं और उनके कलूटे लड़के धूल उड़ाते; वह मट्ठा फेरती, कुटती, पीसती,
राँधती और उसकी नन्हीं लड़कियाँ गोबर उठातीं, कंडे पाथती। जिठानियाँ अपने भात पर सफेद
राब रखकर गाढ़ा दूध डालती और अपने लड़कों को औटते हुए दूध पर से मलाई उतारकर खिलाती।
वह काले गुड़ की डली के साथ कठौती में मट्ठा पाती और उसकी लड़कियाँ चने-बाजरे की घुघरी
चबातीं।"
21. यहाँ कौन-सा सामाजिक मुद्दा दिखलाई पड़ता है?
A.
मानवाधिकार
B.
छुआ-छूत
C. लिंग भेद
D.
जाति भेद
22. प्रस्तुत पंक्तियाँ किस पाठ से ली गयी हैं?
A. भक्तिन
B.
बाजार दर्शन
C.
काले मेघा पानी दे
D.
पहलवान की ढोलक
23. 'उसकी लड़कियाँ चने-बाजरे की घुघरी चबातीं।' यहाँ किसकी लड़कियों
के बारे में कहा गया है?
A.
जिठानियाँ
B.
कवयित्री
C. भक्तिन
D.
इनमें से कोई नहीं
24. 'कलूटे लड़के' में 'कलूटे' शब्द है?
A.
संज्ञा
B.
सर्वनाम
C.
क्रिया
D. विशेषण
निम्नलिखित
प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीजिए -
25. 'इन्तज़ार करते हैं आप भी उसके रो पड़ने का यहाँ किसके इंतज़ार
की बात कही गई है?
A. दर्शक
B.
अपाहिज
C.
पाठक
D.
स्रोता
26. 'लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप' प्रसंग 'रामचरितमानस' के किस
कांड में वर्णित है?
A.
किष्किंधाकांड
B.
अरण्यकांड
C. लंकाकांड
D.
सुंदरकांड
27. 'चट्-धा, गिड़-धा, चट्-धा, गिड़-धा' का 'पहलवान की ढोलक' शीर्षक
अध्याय में क्या अर्थ लगाया जाता है?
A. आ जा भिड़ जा
B.
जा जा भिड़ जा
C.
वाह पट्टे वाह पट्टे
D.
मत डरना मत डरना
28. समाज के विकास के लिए श्रम का विभाजन किस प्रकार होना चाहिए?
A. रूचि के आधार पर
B.
जाति के आधार पर
C.
जन्म के आधार पर
D.
समाज के आधार पर
29. कहानी के मुख्य पात्र यशोधर बाबू के चरित्र का मुख्य वंदव क्या
है?
A.
सुदृढ़ संस्कार
B.
पाश्चात्य जीवन शैली
C. अनिर्णय की स्थिति
D.
पारिवारिक तिरस्कार
30. 'जूझ' किस शैली की रचना है?
A. आत्मकथा
B.
जीवनी
C.
कहानी
D.
एकांकी
निम्नलिखित में से किन्ही छह प्रश्नों के उत्तर दें- 2X6= 12
(31) शीतल वाणी में आग होने का क्या अभिप्राय है?
उत्तर
- 'शीतल वाणी में आग' होने का अभिप्राय यह है कि उसकी वाणी में शीतलता भले ही दिखाई
देती हो, पर उसमें आग जैसे जोशीले विचार भरे रहते हैं। उसके दिल में इस जग के प्रति
विद्रोह की भावना है पर वह जोश में होश नहीं खोता। वह अपनी वाणी में शीतलता बनाए रखता
है। यहाँ आग से अभिप्राय कवि की आंतरिक पीड़ा से है।
(32) 'कविता के बहाने के आधार पर बताएं कि 'सब घर एक कर देने के मानें
क्या है?
उत्तर
- इसका अर्थ है-भेदभाव, अंतर व अलगाववाद को समाप्त करके सभी को एक जैसा समझना। जिस
प्रकार बच्चे खेलते समय धर्म, जाति, संप्रदाय, छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब आदि का भेद नहीं
करते, उसी प्रकार कविता को भी किसी एक वाद या सिद्धांत या वर्ग विशेष की अभिव्यक्ति
नहीं करनी चाहिए। कविता शब्दों का खेल है। कविता का कार्य समाज में एकता लाना है।
(33) तुलसी ने अपने को 'गुलाम है राम कौं' क्यों कहा है?
उत्तर
- तुलसी मुलत: भक्त हैं। कविता तो आराध्य के गुणगान का माध्यम है । भक्ति के नौ भेद
हैं। जिनसे से एक दास्यभाव की भक्ति होती है। दास्यभाव की भक्ति में भक्त अपने को दिन,
हीन, नीच, पतित मानता है और अपने आराध्य के सम्मुख अपनी हीनता का वर्णन करता है। तुलसी
लिखते हैं-
राम
सौ बड़ौ कौन, मोसौ कौन छोटौ ।
राम
सौ खरौ है कौन, मोसौ कौन खोटौ ।।
इस
भावना से भावित होकर तुलसी अपने को राम का गुलाम कहते हैं |
(34) आलोक धन्वा अथवा धर्मवीर भारती की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
- आलोक धन्वा = भागी हुई लड़कियाँ, सफ़ेद रात
धर्मवीर
भारती = गुनाहों का देवती, सूरज का सातवाँ घोड़ा।
(35) किस तरह का बाजार आदमी को ज्यादा आकर्षित करता है?
उत्तर
- चकाचौंध और सजावट से भरपूर बाजार आदमी को ज्यादा आकर्षित करता है।
(36) द्विवेदी जी ने शिरीष को कालजयी अवधूत (संन्यासी) क्यों माना है?
उत्तर
- द्विवेदी जी शिरीष को अवधूत इसलिए मानते है क्योंकि, शिरीष का फूल भी एक संन्यासी
की तरह सुख और दुःख की परवाह नहीं करता और एक शास्त्रीय अवधूत की तरह जीवन की अजेयता
के मंत्र की घोषणा करता है।
(37) खेतों पर आनंदा क्या काम करता था?
उत्तर
- खेतों पर आनंदा सारे दिन निराई-गुड़ाई का काम करता था। वह फसलों की रक्षा भी करता
था। ईख पेरने के लिए वह कोल्हू भी चलाता था। इसके अलावा उसे भैंसें भी चरानी पड़ती थीं।
इसके बावजूद उसे पिता का गुस्सा भी झेलना पड़ता था।
(38) भूषण के बारे में बताइए।
उत्तर
- रीतिकाल के तीन प्रमुख हिन्दी कवियों में से एक हैं, अन्य दो कवि हैं बिहारी तथा
शृंगार रस में रचना कर रहे थे, वीर रस में प्रमुखता से रचना कर भूषण ने अपने को सबसे
अलग साबित किया। 'भूषण' की उपाधि उन्हें चित्रकूट के राजा हृदयराम के पुत्र रुद्रशाह
ने प्रदान की थी।
निम्नलिखित में से किन्ही छह प्रश्नों के उत्तर दें- 3X6= 18
(39) 'कैमरे में बंद अपाहिज' करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता
है। विचार कीजिए।
उत्तर
- यह कविता मानवीय करुणा तो प्रस्तुत करती ही है साथ ही इस कविता में उन लोगों की बनावटी
करुणा का वर्णन भी मिलता है जो दुख दरिद्रता को बेचकर यश प्राप्त करना चाहते हैं। एक
अपाहिज व्यक्ति के साथ झूठी सहानुभूति जताकर उसकी करुणा का सौदा करना चाहते हैं। एक
अपाहिज की करुणा को पैसे के लिए टी.वी. पर दर्शाना वास्तव में क्रूरता की चरमसीमा है।
(40) भाषा को सहूलियत से बरतने का क्या अभिप्राय है?
उत्तर
- भाषा को सहूलियत से बरतने का अर्थ यह है कि रचनाकार भावों के अनुरूप ही सरल सहज एवं
सग्राह्य शब्दावली का प्रयोग करें। अनावश्यक आडम्बरपूर्ण गूढ़ शब्दावली कथ्य के प्रभाव
को कम करती है और इससे कविता अपने उद्देश्य से भटक जाती है। क्लिष्ट भाषा के दुष्चक्र
में फंसे बिना कवि को सरलतम शब्दों में अपनी बात अपने श्रोताओं एवं पाठकों तक पहुँचानी
चाहिए।
(41) 'कवितावली' के छंदों के आधार पर बताइए कि तुलसीदास को अपने युग
की आर्थिक विषमता की अच्छी समझ है?
उत्तर
- 'कवितावली’ में उद्धृत छंदों के अध्ययन से पता चलता है कि तुलसीदास को अपने युग की
आर्थिक विषमता की अच्छी समझ है। उन्होंने समकालीन समाज का यथार्थपरक चित्रण किया है।
वे समाज के विभिन्न वगों का वर्णन करते हैं जो कई तरह के कार्य करके अपना निर्वाह करते
हैं। तुलसी दास तो यहाँ तक बताते हैं कि पेट भरने के लिए लोग गलत-सही सभी कार्य करते
हैं। उनके समय में भयंकर गरीबी व बेरोजगारी थी। गरीबी के कारण लोग अपनी संतानों तक
को बेच देते थे। बेरोजगारी इतनी अधिक थी कि लोगों को भीख तक नहीं मिलती थी। दरिद्रता
रूपी रावण ने हर तरफ हाहाकार मचा रखा था।
(42) बाजार-दर्शन से क्या अभिप्राय है? पठित पाठ के आधार पर उत्तर लिखिए।
उत्तर
- बाजार दर्शन’ जैनेन्द्र का विचारप्रधान निबन्ध है। विचार प्रधान होने के साथ ही व्यंग्य
का भी पुट है। उसमें बाजार की उपयोगिता बताई गई है। उपभोक्तावादी युग में बाजार का
रूप बदल चुका है। वह प्रदर्शन और ठगी का जाल बन चुका है। वह उपभोक्ता के शोषण का माध्यम
बन गया है।
(43) ढोलक की आवाज का पूरे गाँव पर क्या असर होता था?
उत्तर
- महामारी की त्रासदी से जूझते हुए ग्रामीणों को ढोलक की आवाज संजीवनी शक्ति की तरह
मौत से लड़ने की प्रेरणा देती थी। यह आवाज बूढ़े-बच्चों व जवानों की शक्तिहीन आँखों
के आगे दंगल का दृश्य उपस्थित कर देती थी। उनकी स्पंदन शक्ति से शून्य स्नायुओं में
भी बिजली दौड़ जाती थी। ठीक है कि ढोलक की आवाज में बुखार को दूर करने की ताकत न थी,
पर उसे सुनकर मरते हुए प्राणियों को अपनी आँखें मूंदते समय कोई तकलीफ़ नहीं होती थी।
उस समय वे मृत्यु से नहीं डरते थे। इस प्रकार ढोलक की आवाज गाँव वालों को मृत्यु से
लड़ने की प्रेरणा देती थी।
(44) लेखक के मत से दासता की व्यापक परिभाषा क्या है?
उत्तर
- लेखक के मत से ‘दासता’ से अभिप्राय केवल कानूनी पराधीनता नहीं है। दासता की व्यापक
परिभाषा है-किसी व्यक्ति को अपना व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता न देना। इसका सीधा अर्थ
है-उसे दासता में जकड़कर रखना। इसमें कुछ व्यक्तियों को दूसरे लोगों द्वारा निर्धारित
व्यवहार व कर्तव्यों का पालन करने के लिए विवश होना पड़ता है।
(45) 'सिल्वर वैडिंग' कहानी के माध्यम से लेखक ने क्या संदेश देने का
प्रयास किया है?
उत्तर
- इस कहानी के माध्यम से लेखक ने यह संदेश देने का प्रयत्न किया है कि दो पीढ़ियों
के बीच विचारों में काफी अंतर होता है और पीढ़ी को अपने विचारों के टकराव को टालना
चाहिए। पुरानी पीढ़ी को नई परंपराओं और नए परिवर्तन से सामंजस्य को सहज रूप से लेना
चाहिए और उनके साथ सामंजस्य बना कर रखना चाहिए। वही नई पीढ़ी को भी पुरानी पीढ़ी के
संस्कारों और उनकी परंपराओं को सम्मान देना चाहिए। दोनों पीढ़ियां आपस में सामंजस्य
कर विचारों के टकराव से बच सकती हैं। हर नया अच्छा नहीं होता और पुराना बुरा नही होता।
उसी तरह हर पुराना अच्छा नहीं होता और हर नया बुरा नहीं होता, यह सिद्धांत दोनों पीढ़ियों
को अपनाना चाहिए।
(46) सिंधु सभ्यता साधन-संपन्न थी, पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था।
कैसे?
उत्तर
- सिन्धु सभ्यता, एक साधन-सम्पन्न सभ्यता थी परन्तु उसमें राजसत्ता या धर्मसत्ता के
चिह्न नहीं मिलते। वहाँ की नगर योजना, वास्तुकला, मुहरों, ठप्पों, जल-व्यवस्था, साफ-सफाई
और सामाजिक व्यवस्था आदि की एकरूपता द्वारा उनमें अनुशासन देखा जा सकता है। यहाँ पर
सब कुछ आवश्यकताओं से ही जुड़ा हुआ है, भव्यता का प्रदर्शन कहीं नहीं मिलता। अन्य सभ्यताओं
में राजतंत्र और धर्मतंत्र की ताकत को दिखाते हुए भव्य महल, मंदिर ओर मूर्तियाँ बनाई
गईं किंतु सिन्धु घाटी सभ्यता की खुदाई में छोटी-छोटी मूर्तियाँ, खिलौने, मृद-भांड,
नावें मिली हैं। 'नरेश' के सर पर रखा मुकुट भी छोटा है। इसमें प्रभुत्व या दिखावे के
तेवर कहीं दिखाई नहीं देते।
निम्नलिखित में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 5X3=15
(47) 'झारखंड और पर्यटन' अथवा 'प्रदूषण की समस्या' पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर
-
'झारखंड
और पर्यटन'
भूमिका
झारखंड
क्षेत्र पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए भारत के किसी भी अन्य पर्यटन स्थलों की तुलना
में कम नहीं है। यहाँ एक साथ जैविक उद्यान , झील , झरने ,पर्वत-पहाड़ , जंगल आदि विभिन्न
प्रकार के दर्शनीय स्थल मौजूद हैं। इनमें महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल , मंदिर , पिकनिक
स्थल , दर्शनीय प्राकृतिक स्थल है जो मनोरम छटाओं के साथ विद्यमान है। झारखंड के महत्वपूर्ण
पर्यटन स्थल का यहाँ वर्णन किया जा रहा है।
हुंडरू
जलप्रपात
राँची
शहर से लगभग 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह जलप्रपात पर्यटकों के लिए अब भी आकर्षण
का सबसे बड़ा केंद्र है। जंगलों के बीच स्वर्णरेखा नदी पर स्थित इस जलप्रपात के पास
ही सिकिदरी परियोजना है। यह जलप्रपात 243 फुट ऊँचा झरने का निर्माण करता है। भूवैज्ञानिकों
का कहना है कि इस प्रपात का निर्माण राँची स्कार्प के निर्माण के साथ ही हुआ होगा।
इसे भ्रंश रेखा पर निर्मित प्रपात भी कहा जा सकता है।
जॉन्हा
जलप्रपात
हुंडरू
के जैसी ही इस जलप्रपात की भी लोकप्रियता है। यह सिल्ली-मुरी मार्ग पर स्थित है। यह
राँची शहर से 40 किलोमीटर दूर जोन्हा नामक गाँव के पास स्थित है। यह प्रपात राढू नदी
पर स्थित है तथा हुंडरू की तरह यह भी स्कार्प एवं भ्रंश रेखा पर निर्मित है। यहाँ
150 फीट ऊँचा जलप्रपात का निर्माण हुआ है। इसे गौतम धारा के नाम से भी जाना जाता है।
क्योंकि यहाँ एक गौतम बुध के मंदिर का भी निर्माण किया गया है। इसके पास ही सीताधारा
नामक एक छोटा जलप्रपात स्थित है।
दशम
जलप्रपात
यह
राँची शहर से 40 किलोमीटर की दूरी पर राँची – टाटा मार्ग पर स्थित है। यह तैमारा के
निकट काँची नदी द्वारा निर्मित प्रपात है। यह 144 फीट ऊँचे झरने का निर्माण करता है।
यहाँ पानी की बौछार में स्नान करने का प्रचलन बहुत पहले से है। किन्तु पर्यटकों को
यहाँ स्नान करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
पंचघाघ
खूँटी
से करीब 14 किलोमीटर आगे किंतु हिरणी प्रपात से पहले स्थित है। इसका सरकार के द्वारा
सुंदरीकरण किया गया है। जिसके कारण यहाँ का प्रपात दर्शनीय और मनोरम स्थल बन गया है।
लोक कथा है कि यहाँ पाँच बहने किसी एक ही पुरुष से प्रेम करती थी जो शरीर त्यागने के
बाद 5 धाराओं में बदल गई है। तब से इसका नाम पंचघाघ रखा गया है।
बिरसा
जैविक उद्यान
राँची
– रामगढ़ मार्ग पर राँची शहर से 18 किलोमीटर की दूरी पर ओरमांझी के निकट यह उद्यान
स्थित है। यह एक “ए ओपन जू” है। यहाँ कई किस्मों के वन्य प्राणी खुले घेरों में रखे
गए हैं। शहर के करीब होने की वजह से छुट्टियों के दिन यहाँ काफी भीड़ होती है।
टैगोर
हिल
मोरहाबादी
पहाड़ी को इसी नाम से जाना जाता है। मोरहाबादी मैदान के उत्तर में स्थित यह पहाड़ी
कविगुरु रवींद्रनाथ ठाकुर के परिवार से जुड़ा हुआ है। इसलिए इसका नाम टैगोर हिल पड़ा
है। कहा जाता है कि रवींद्रनाथ ठाकुर के बड़े भाई ज्योतिरींद्रनाथ ठाकुर ने इसे अपने
विश्राम स्थल के रूप में विकसित करने के लिए इस पहाड़ी के साथ 15 एकड़ 80 डिसमिल जमीन
हरिहर सिंह जमींदार से 23 अक्टूबर 1908 में बंदोबस्त करायी थी। यह जमीन इन्होंने अपने
छोटे भाई सोतेन्द्रनाथ ठाकुर के पुत्र सुरेंद्रनाथ ठाकुर के नाम कराई थी।
इससे
पूर्व अंग्रेज प्रशासक ले० के० असाले ने सन 1942 में अपने लिए यहाँ एक विश्राम गृह
बनवाया था । लेकिन उसके भाई ने आत्महत्या कर ली थी । जिससे उसने इसे छोड़ दिया था।
बाद में ठाकुर परिवार ने इस में मरम्मत कराई थी। ठाकुर परिवार ने इसमें सीढ़ियों का
निर्माण भी कराया था। इसकी ऊँचाई समुद्र तल से 2128 फीट है। लेकिन आधार से शीर्ष तक
की ऊँचाई 61 मीटर है। इसके ठीक नीचे रामकृष्ण मिशन आश्रम स्थापित है। जहाँ दिव्यायन
नामक प्रशिक्षण केंद्र में स्थित है।
गोंदा
पहाड़ी
काँके
मार्ग पर यह पहाड़ी एक जलागार के रूप में काम आती है। यहाँ इन दिनों रॉक गार्डेन बनाया
गया है, जो आज की तारीख में राँची शहर का सबसे चर्चित और भीड़-भाड़ वाला पर्यटन स्थल
है। यह काँके डैम के ठीक बगल में स्थित है। जिसके कारण यहाँ का दृश्य काफी मनोरम हो
जाता है।
राँची
झील
यह
शहर का सबसे बड़ा जलागार है। इसे 1942 में कर्नल औस्ले ने बनवाया था। बीच-बीच में इसके
सुंदरीकरण के कई प्रयास हुए। पर्यटकों के लिए यहाँ नौका विहार की भी व्यवस्था की गई
है। झील के बीचों-बीच स्वामी विवेकानंद की भव्य प्रतिमा स्थापित है,जो पर्यटकों के
लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
पतरातू
घाटी
राँची
शहर से 42 किलोमीटर की दूरी पर यह घाटी स्थित है। अपने टेढ़े – मेढ़े सड़क मार्ग के
कारण यह घाटी काफी प्रसिद्ध है। आजकल पर्यटन स्थल के रूप में यह घाटी काफी लोकप्रिय
है। इस घाटी के नीचे पतरातू डैम भी है। जहाँ नौका-विहार का विशेष आनंद उठाया जा सकता
है। पूरे परिवार के साथ घूमने के लिए यह एक अच्छा पर्यटन स्थल है।
क्रोकोडाइल
पार्क
राँची
से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर ओरमांझी के एक छोटे से गाँव मुटा में यह स्थित है।
यह मुख्य रूप से मगरमच्छ प्रजनन केंद्र के लिए प्रसिद्ध है। अतः यह मगरमच्छों के दर्शन
का मुख्य केंद्र है।
पहाड़ी
मंदिर
राँची
शहर के पश्चिमी भाग में स्थित इस पहाड़ी पर भगवान शिव का मंदिर है। सावन के महीने में
यहाँ श्रद्धालु जल चढ़ाते आते हैं। इससे शहर के लगभग सभी हिस्सों का नजारा देखा जा
सकता है। इसकी ऊँचाई समुद्र तल से 2140 फीट है। आधार से शीर्ष तक की ऊँचाई 61 मीटर
है। इसे राँची हिल के नाम से भी जाना जाता है।
देवड़ी
मंदिर
यह
राँची-टाटा मार्ग पर करीब 56 किलोमीटर की दूरी पर तमाड़ के निकट स्थित है,जो एक बहुत
ही प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर के बारे में कई किंवदंतियाँ भी है किंतु अधिकतर लोग
इसे अष्टभुजी माँ दुर्गा का मंदिर बताते हैं। महेंद्र सिंह धौनी को इस मंदिर के प्रति
गहरी आस्था है। इन्हें जब भी अवसर मिलता है ,वे इसके दर्शन को अवश्य जाते है।
जगन्नाथपुर
मंदिर
इस
क्षेत्र में जगन्नाथ जी का यह एकमात्र मंदिर है। जिसकी स्थापना 1619 ई० में स्वामी
जगन्नाथ मंदिर पुरी की शैली में की गई है। आषाढ़ महीने में यहाँ पुरी की तरह रथ का
निर्माण कर रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। रथ यात्रा के दौरान यहाँ एक विशाल मेला
भी लगता है। इस पहाड़ी से राँची के अलावा एच० ई० सी० का क्षेत्र भी साफ- साफ नजर आता
है।
सूर्य
मंदिर
राँची
से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर राँची-टाटा मार्ग पर बुंडू के निकट यह मंदिर स्थित
है। यह मंदिर सूर्य के रथ की आकृति में बनाया गया है। इसका निर्माण संस्कृति विहार
राँची के द्वारा कराया गया है। सूर्य मंदिर की खूबसूरती के संबंध में स्थानीय साहित्यकारों
ने इसे ” पत्थर पर लिखी कविता ” कहा है।
रजरप्पा
मंदिर
यह
राँची – बोकारो मार्ग पर राँची से 68 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। राँची- बोकारो
मार्ग पर गोला नामक स्थान से 10 किलोमीटर और चितरपुर नामक स्थान से 8 किलोमीटर की दूरी
पर उत्तर में अवस्थित है। यहाँ माँ छिन्नमस्तिका का प्रसिद्ध मंदिर है। शादी -विवाह
एवं मुण्डन जैसे कार्यक्रम यहाँ आयोजित होते रहते है। इस स्थान की प्रसिद्धि शक्तिपीठ
के रूप में है। यह स्थान दामोदर और भैरवी नदी के संगम स्थल पर स्थित है। जिसके कारण
तांत्रिकों के लिए यह एक सिद्धपीठ के रूप में जाना जाता है।
इस
संगम स्थल पर भैरवी नदी (भेड़ा नदी) 23 फीट का प्रपात बनाती है। मुख्य मंदिर के चारों
तरफ महाविद्या के मंदिर बनाए गए हैं। जैसे- तारा , षोडषी, भैरवी, बागला, कमला , मातंगी,
घूमावती इत्यादि। भौगोलिक दृष्टि से दामोदर नदी एक दरार घाटी से प्रभावित होती हुई
बतायी जाती है। यहाँ की पहाड़ियों में भ्रंश दरार की अनेक रेखाएँ देखी जा सकती है।
यह एक सुंदर पिकनिक स्थल भी है।
बैद्यनाथ
धाम (बाबा धाम)
झारखंड
का यह एक अंतरराष्ट्रीय सुपरिचित और ख्याति प्राप्त धार्मिक स्थल है। यहाँ भगवान शिव
जी का मंदिर स्थित है। सावन के महीने में विभिन्न क्षेत्रों से लोग पूजा के लिए यहाँ
आते है। इसके अलावा यहाँ नंदन पहाड़ ,ठाकुर अनुकूल चंद्र का आश्रम सत्संग नगर, रामकृष्ण
मिशन स्कूल, बासुकीनाथ जैसे अन्य पर्यटन स्थल मौजूद है।
भद्रकाली
मंदिर
यह
मंदिर चतरा जिले के इटखोरी गाँव में स्थित है। इस मंदिर में माँ काली की एक विशाल मूर्ति
है। स्थानीय लोग इस जगह को “भदली” भी कहते हैं। चतरा जिले के जोरी ग्राम से 20 किलोमीटर
उत्तर में कलुआ पहाड़ है। जिसपर माँ कोलेश्वरी का मंदिर उपस्थित है। यहाँ बुद्ध कालीन
प्रतिमाएँ और शिलालेख खुदाई से प्राप्त हुए हैं। वर्तमान में यह पर्यटकों के लिए आकर्षण
का केंद्र बना हुआ है।
नगर
मंदिर
गढ़वा
से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर यह एक कस्बानुमा स्थान है। इस मंदिर में राधा-कृष्ण
की मूर्ति स्थापित है। इसमें भगवान कृष्ण की 32 मन सोने की मूर्ति है। पहले सिर्फ इसमें
कृष्ण की ही मूर्ति थी। राधा की मूर्ति बाद में स्थापित की गई थी। (Jharkhand ke
Paryatan sthal)
बिरसा
मृग विहार
राँची
– खूंटी मार्ग पर हटिया से आगे यह मृग विहार खासतौर पर हिरणों की आश्रय स्थली है। यहाँ
आने वालों के लिए पैदल पूरा क्षेत्र टहलने की व्यवस्था है। पगडंडियों के रास्ते से
घूमते हुए वे खुले आकाश में हिरणों को विचरण करते देख सकते हैं। यह राँची शहर से लगभग
20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह काँची नदी के किनारे स्थित है।
अंगराबाडी
यह
राँची के निकट खूँटी के पास स्थित है। यहाँ एक मंदिर है जिसमें भगवान गणेश, राम-सीता
, हनुमान तथा शिव की मूर्तियाँ विद्यमान है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती
ने इस मंदिर का नाम आग्रेश्वर धाम कर दिया है।
नेतरहाट
राँची
से पश्चिम में लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर यह पाट क्षेत्र में अवस्थित है। मुख्यतः
सूर्योदय और सूर्यास्त के दर्शन हेतु लोग यहाँ पर आते हैं। इसकी प्रसिद्धि यहाँ के
आवासीय विद्यालय के कारण भी है किंतु समुद्र तल से 3622 फीट की ऊँचाई पर उपस्थित होने
के कारण यहाँ का प्राकृतिक वातावरण स्वाभाविक रूप से पर्यटन स्थल के रूप में बदल गया
है। यहाँ ऊपरी घागरी एवं निचली घागरी नामक दो छोटे-छोटे जलप्रपात भी है।
पारसनाथ
झारखंड
का सबसे ऊँचा पहाड़ है। इस पहाड़ की ऊँचाई 4441 फीट है। इस पहाड़ पर जैन धर्मावलंबियों
का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल है। ऐसा कहा जाता है कि जैनियों के 20 वें से 24 वें तीर्थकरों
ने यहाँ निर्वाण प्राप्त किया था। जैनियों के श्वेतांबर और दिगंबर दोनों ही पंथों के
मंदिर यहाँ बने हुए हैं। यह स्थान मधुवन के नाम से भी प्रसिद्ध है।
बेतला
राष्ट्रीय उद्यान
यह
वन विभाग का एक अभयारण्य है। घने जंगलों के बीच इस विशाल अभयारण्य में जंगली जीवों
को देखने के दूरदराज से पर्यटक आते हैं। यहाँ जीव जंतु खुले आकाश में विचरण करते हैं।
रांची-डाल्टेनगंज मार्ग से केवल 25 किलोमीटर भीतर यह स्थित है। यह वन 250 वर्ग किलोमीटर
क्षेत्र में फैला हुआ है। राँची से इसकी दूरी लगभग 156 किलोमीटर है।
हजारीबाग
नेशनल पार्क
हजारीबाग-पटना
मार्ग से 13 किलोमीटर की दूरी पर यह पार्क स्थित है। यह बेतला नेशनल पार्क की तरह पर्यटकों
को आकर्षित करता है। यहाँ पर्यटकों के लिए सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
जुबली
पार्क
जमशेदपुर
का यह प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। इस पार्क का निर्माण जमशेद जी टाटा के समय हुआ था।
प्रतिवर्ष 3 मार्च को यहाँ टाटा जी के जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर विद्युत साज-सज्जा
से पार्क को सजा दिया जाता है। इस समय यहाँ घूमने का विशेष आनंद लिया जा सकता है। इसके
अतिरिक्त यहाँ दलमा अभयारण्य , डिमनालेक पर्यटन स्थल है। इसके अतिरिक्त जादूगोड़ा का
यूरेनियम खान, मुसाबनी की ताँबा खान , नोआमुंडी की लोहा खान , घाटशिला की ताँबा खान
भी दर्शनीय है। ये सभी क्षेत्र जमशेदपुर से लगभग 40 से 50 किलोमीटर के घेरे में स्थित
है।
रामरेखा
यह
कैरबेरा गाँव का एक टोला है जो सिमडेगा से 27 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। इस जिला
का एक धार्मिक केंद्र के रूप में प्रसिद्ध यह स्थल अब राम रेखा धाम कहा जाने लगा है।
यहाँ कार्तिक पूर्णिमा के दिन मेला लगता है। जहाँ विशाल जनसमूह एकत्रित होता है। यहाँ
राम का मंदिर है। ऐसा कहा जाता है कि अपने वनवास के समय राम यहाँ कुछ दिनों के लिए
ठहरे थे।
सारंडा
वन
यह
पश्चिमी सिंहभूम में एक विशाल वन क्षेत्र है। इस वन के बारे में यह कहा जाता है कि
यह वन इतना सघन है कि सूर्य की रोशनी भी धरती तक नहीं पहुँच पाती है। यह वन भारत का
सबसे बड़ा सघन वन क्षेत्र है, जो झारखंड से लेकर उड़ीसा राज्य तक फैला है। यह राँची शहर
से लगभग 170 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
धनबाद
इस
जिले में पर्यटकों को आकर्षित करते हुए कई स्थल हैं। जैसे – मैथन डैम , पंचेत डैम
, तोपचांची झील , कोयला खदान आदि। मैथन के पास कल्याणेश्वरी मंदिर स्थित है। यह पश्चिम
बंगाल की सीमा क्षेत्र में आता है। उसरी फॉल भी इसी जिले में है। यह जलप्रपात बहुत
लोकप्रिय है और बंगाल के अनेक जिलों के पर्यटक लगातार यहाँ भ्रमण को आते रहते हैं।
बोकारो
यहाँ
बोकारो इस्पात संयंत्र स्थित है। यह राँची से 110 किलोमीटर पूर्व राँची – धनबाद मार्ग
में स्थित है। यहाँ सिटी पार्क और नेहरू पार्क स्थित है। सिटी पार्क विविध प्रकार के
फूलों के लिए दर्शनीय है तथा नेहरू पार्क जैविक उद्यान की तरह स्थापित है। इसी जिला
क्षेत्र में ‘मृगी खोह’ नामक एक स्थान है। यह जैनामोड़- कसमार- खैराचातर मार्ग में स्थित
है। खैराचातर से पश्चिम- दक्षिण दिशा में 5 किलोमीटर पर स्थित है। कहा जाता है कि श्री
राम भगवान ने इसी मार्ग से हिरण का पीछा किया था। इसी जिले में तेनुघाट डैम भी उपस्थित
है। जो बिजली उत्पादन का प्रमुख केंद्र है।
प्रदूषण
एक समस्या
प्रस्तावना
: विज्ञान के इस युग में मानव को जहां कुछ वरदान मिले है, वहां कुछ अभिशाप भी मिले
हैं। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप हैं जो विज्ञान की कोख में से जन्मा हैं और जिसे सहने के
लिए अधिकांश जनता मजबूर हैं।
प्रदूषण
का अर्थ : प्रदूषण का अर्थ है -प्राकृतिक संतुलन में
दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत
वातावरण मिलना।
प्रदूषण
कई प्रकार का होता है! प्रमुख प्रदूषण हैं - वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण
।
वायु-प्रदूषण
: महानगरों में यह प्रदूषण अधिक फैला है। वहां चौबीसों घंटे कल-कारखानों का धुआं, मोटर-वाहनों
का काला धुआं इस तरह फैल गया है कि स्वस्थ वायु में सांस लेना दूभर हो गया है। मुंबई
की महिलाएं धोए हुए वस्त्र छत से उतारने जाती है तो उन पर काले-काले कण जमे हुए पाती
है। ये कण सांस के साथ मनुष्य के फेफड़ों में चले जाते हैं और असाध्य रोगों को जन्म
देते हैं! यह समस्या वहां अधिक होती हैं जहां सघन आबादी होती है, वृक्षों का अभाव होता
है और वातावरण तंग होता है।
जल-प्रदूषण
: कल-कारखानों का दूषित जल नदी-नालों में मिलकर भयंकर जल-प्रदूषण पैदा करता है। बाढ़
के समय तो कारखानों का दुर्गंधित जल सब नाली-नालों में घुल मिल जाता है। इससे अनेक
बीमारियां पैदा होती है।
ध्वनि-प्रदूषण
: मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए। परन्तु आजकल कल-कारखानों का शोर, यातायात
का शोर, मोटर-गाड़ियों की चिल्ल-पों, लाउड स्पीकरों की कर्णभेदक ध्वनि ने बहरेपन और
तनाव को जन्म दिया है।
प्रदूषणों
के दुष्परिणाम: उपर्युक्त प्रदूषणों के कारण मानव के
स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लम्बी सांस लेने तक को तरस गया है
आदमी। गंदे जल के कारण कई बीमारियां फसलों में चली जाती हैं जो मनुष्य के शरीर में
पहुंचकर घातक बीमारियां पैदा करती हैं। भोपाल गैस कारखाने से रिसी गैस के कारण हजारों
लोग मर गए, कितने ही अपंग हो गए। पर्यावरण-प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है,
न सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक चलता है। सुखा, बाढ़, ओला आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण
भी प्रदूषण है।
प्रदूषण
के कारण : प्रदूषण को बढ़ाने में कल-कारखाने, वैज्ञानिक
साधनों का अधिक उपयोग, फ्रिज, कूलर, वातानुकूलन, ऊर्जा संयंत्र आदि दोषी हैं। प्राकृतिक
संतुलन का बिगड़ना भी मुख्य कारण है। वृक्षों को अंधा-धुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा
है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है।
सुधार के उपाय
: विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं,
हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले
हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए
और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए।
(48) 'तंबाकू निषेध कार्यक्रम' के सकारात्मक प्रभावों को रेखांकित करते
हुए किसी दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
उत्तर
-
सेवा
में,
संपादक
महोदय,
प्रभात
खबर, रांची।,
महाशय,
आपके
सजग एवं लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से 'तंबाकू निषेध कार्यक्रम' के सकारात्मक
प्रभावों की जानकारी लोगों तक पहुंचाना चाहता हूं। तम्बाकू-नियंत्रण कार्यक्रम तम्बाकू
मुक्त इनडोर और आउटडोर क्षेत्रों का निर्माण करके, तम्बाकू उत्पादों तक युवा लोगों
की पहुंच को प्रतिबंधित करके, तम्बाकू विज्ञापन को सीमित करके, निरंतर प्रतिविज्ञापन
अभियान चलाकर, तम्बाकू उत्पादों की लागत में वृद्धि करके और आसानी से सुलभ तम्बाकू
प्रदान ना करके जनसंख्या स्तर पर तम्बाकू के उपयोग को कम कर सकते हैं।
अतएव,
आपसे निवेदन है कि अपने माध्यम से जिला-प्रशासन को हमारे क्रार्यक्रम से अवगत कराकर
इसका निदान कराने की कृपा करें। इसके लिए इस क्षेत्र के नागरिकगण आपके आभारी होंगे।
सधन्यवाद,
तिथि------
भवदीय
एक
प्रबुद्ध नागरिक
मो./गाँव------
जिला-----
(49) अपने मोहल्ले की सफाई के लिए नगरपालिका अध्यक्ष को एक पत्र लिखिए।
उत्तर
-
सेवा
में,
श्रीमान्
अध्यक्ष महोदय,
नगरपालिका,
हजारीबाग ।
विषय
: मुहल्ले की सफाई के संबंध में।
महाशय,
मैं इस पत्र द्वारा वार्ड न० 8 में फैली
गंदगी से आपको अवगत कराना चाहता हूँ। हमारे वार्ड के लोग कूड़े-कचरों और मरे हुए जानवरों
की दुर्गंध से परेशान हैं, लेकिन इस ओर ध्यान देनेवाला कोई नहीं है। ऐसी स्थिति में
यहाँ महामारी फैलने की आशंका है।
अतः,
आपसे अनुरोध कि जल्द-से-जल्द इस वार्ड की सफाई की अवस्था कर वार्ड के निवासियों को
राहत दिलाने की कृपा करें।
तिथि
.........
विश्वासभाजन
संतोष
सिंह
वार्ड
न. 8
(50) पत्रकारिता की परिभाषा एवं उसके प्रमुख प्रकारों को लिखें?
उत्तर
- सी. जी. मूलर :- “पत्रकारिता सामूहिक ज्ञान का व्यवसाय है । इसमें तथ्यों की प्राप्ति,
मूल्यांकन एवं ठीक-ठीक प्रस्तुतीकरण होता है ।”
पत्रकारिता
के प्रकार
मानव
जीवन के हर क्षेत्र से पत्रकारिता का संबंध रहा है। पत्रकारिता का क्षेत्र विशाल बनने
से उसकी व्यापकता बढ़ गई है। उसके अनेक रूप एवं प्रकार सामने आए हैं, जिनमें से कुछ
प्रकार हैं-
1.
आर्थिक पत्रकारिता - आर्थिक समाचारों को महत्ता
मिलने से भारत की सभी भाषाओं में आर्थिक पत्रों का प्रकाशन शुरू हुआ, जिनमें बिजनेस
इंडिया, बिजनेस टुडे, बिजनेस वर्ड, बिजनेस टाईम्स, फायनान्शियल एक्सप्रेस, रिसाला बाजार,
उद्योग भारती, कारोबार, व्यापार आदि प्रमुख हैं ।
2.
ग्रामीण पत्रकारिता - भारत गाँवों का देश होने
से देश की 70 प्रतिशत आबादी गाँवों में है । ग्रामीण जनता की समस्याओं का निवारण, कुप्रथाओं
का पर्दाफाश, खेती के बारे में नवीन खोजों की जानकारी, ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा
आदि ग्रामीण पत्रकारिता के महत्त्वपूर्ण काम हैं। जिस पत्र से लघु उद्योग, नारी शिक्षा,
पशुपालन, खेती, खाद्य, बीज, प्रौढ शिक्षा, परिवार कल्याण, परिवार नियोजन आदि से संबंधित
जानकारी प्रकाशित होती है, उसे ‘ग्रामीण पत्र’ कहा जाएगा ।
3.
कृषि पत्रकारिता- भारत कृषि प्रधान देश होने से 80 प्रतिशत
जनता कृषि पर निर्भर है । इसमें कृषि अर्थशास्त्र, मृदा एवं कृषि रसायन, कीट शास्त्र,
जीव विज्ञान, कृषि प्रसार, पशुपालन, दुग्ध व्यवसाय, भूमि संरक्षण, उद्यानशास्त्र, बाजारभाव,
फसल रिपोर्ट, मंडी की ताजा खबरें, मौसम समाचार आदि का समावेश होता है ।
4.
अन्वेषणात्मक पत्रकारिता- जब किसी व्यक्ति, संस्था,
संघटन अथवा अधिकारी से तथ्य छिपाने की कोशिश की जाती है, तब पत्रकार जासूस, वकील अथवा
जज की भूमिका निभाकर अन्वेषण करता है । अमरिका का ‘वाटरगेट कांड’ खोजी पत्रकारिता से
सामने आया । इसे ‘खोजी पत्रकारिता’ भी कहते
हैं ।
5.
व्याख्यात्मक पत्रकारिता - केवल जानकारी से श्रोता
संतुष्ट नहीं होता । इसलिए संवाददाता घटना की गहराइयों में जाकर खोज करता है और विवेचन
एवं विश्लेषण से घटना से जुड़े मुद्दों को प्रस्तुत करता है ।
6.
विकास पत्रकारिता - आर्थिक विकास, समाज राष्ट्र एवं विश्व
की उन्नति के बारे में नई तकनीकें अपनाकर विकास पत्रकारिता काम करती है । केंद्रीय
सरकार की पत्रिका ‘योजना’ विकास पत्रकारिता का उदाहरण है ।
7.
संदर्भ पत्रकारिता - संपादक, स्तंभलेखक, संवाददाता,
प्रशासनिक अधिकारी इनके लिए लेख लिखते समय पत्र-पत्रिका में पहले प्रकाशित सामग्री
की आवश्यकता होती है । तब संदर्भ विभाग, पुरानी कतरनों, इन्हीं से सहायता ली जाती है
।
8.
संसदीय पत्रकारिता - संसद की कार्यवाही प्रकाशन
के नियम 1956 के अंतर्गत रहकर संसद के राज्यसभा, लोकसभा तथा प्रादेशिक विधानसभाओं और
विधानपरिषदों की कार्यवाही की रिपोर्टिंग की जाती है। सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक आदि
गतिविधियों की रिपोर्टिंग करते वक्त पत्रकारों को विशेष सावधानी बरतनी पडती है ।
9.
विज्ञान पत्रकारिता - विज्ञान की उपलब्धियों से
उद्योग कृषि, चिकित्सा, अभियांत्रिकी आदि से मानव जीवन सुख-सुविधा से संपन्न बनाने
के लिए विज्ञान पत्रकारिता काम कर रही है । ‘विज्ञान प्रगति’, ‘विज्ञान कला’, ‘विज्ञान
कीर्ति’, ‘विज्ञान जगत्’ आदि पत्रिकाएँ इस क्षेत्र में काम कर रही हैं ।
10.
रेडियो पत्रकारिता - रेडियो देश का सशक्त संचार
माध्यम है । रेडियो की भाषा संक्षिप्त, स्पष्ट और सारगर्भित होती है और उससे जानकारी
तीव्र गति से प्रसारित होती है । इससे प्रसारित समाचार विश्वसनीय एवं उपयोगी होते हैं।
11.
दूरदर्शन पत्रकारिता - भारत में 15-9- 1959 को
दिल्ली में दूरदर्शन का प्रारंभ हुआ । समाचारों की अधिकता और प्रामाणिकता तथा मनोरंजन
के साथ सांस्कृतिक, साहित्यिक, ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों का प्रसारण इससे होता है । देश
की एकता, अखंडता और जीवन मूल्यों का पोषण दूरदर्शन से हो रहा है । इसके संप्रेषण से
देखने और सुनने का आनंद मिलता है।
12.
फिल्मी पत्रकारिता - फिल्मों की समीक्षा, फिल्म
उद्योग, फिल्म समाचार पत्र-पत्रिकाओं से प्रकाशित होते हैं। फिल्मी पत्रकारिता का आरंभ
1931 में कलाकारों की लोकप्रियता बढने से उनके निजी जीवन के किस्से, रोमांस, रोचक सामग्री
लोग पढ़ना चाहते हैं ।
13.
बाल पत्रकारिता - देश प्रेम का बीजारोपण, कार्टून से मनोरंजन,
कोमल भावनाओं का विकास आदि के लिए ‘बालसखा’, ‘शिशु’, ‘बालकं’, ‘चंदामामा’ आदि पत्रिकाएँ
काम कर रही हैं।
14.
फोटो पत्रकारिता - घटना की विश्वसनीयता फोटो से बढ़ती है
। वैज्ञानिक उपकरण, प्राकृतिक दृश्य, , फैशन शो आदि के फोटो सच्चाई को ज्यों का त्यों
प्रस्तुत करते हैं । इसके लिए कुशल फोटोग्राफर की आवश्यकता होती है। चीनी लोकोक्ति
के अनुसार, “दस हजार शब्दों वाले विस्तृत विवरणों की अपेक्षा एक आकर्षक और प्रतिभाशाली
चित्र अधिक उपयुक्त होता है । “
15.
महिला पत्रकारिता - शिक्षा, विज्ञान, खेलकूद आदि में महिलाएँ
आगे बढ़ रही है। आज महिलाएँ पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर कार्यरत हैं ।
16.
खेल पत्रकारिता - स्थानीय खेल से विश्व प्रतियोगिताओं
तक के समाचार खेल पत्रकारिता से प्राप्त होते हैं । स्वयं मैदान में जाकर जो समाचार
इकट्ठे किए जाते हैं, वे महत्त्वपूर्ण होते हैं। खेल पत्रकारिता का क्षेत्र विशाल बना
है ।
17.
आध्यात्मिक पत्रकारिता - भारत देश धर्मपरायण ऋषियों
और दार्शनिकों का माना जाता है । जीवन के रहस्यों को जानने का मूलमंत्र आध्यात्मिक
पत्रकारिता से मिलता है ।
18.
सर्वोदय पत्रकारिता - सर्वोदय पत्रकार व्यक्तिगत
राग द्वेष का त्याग करता है । महात्मा गांधी जी ने ‘मेरी जिंदगी मेरा संदेश है’ में
अपना पत्रकार व्यक्तित्व सामने लाया था। ‘हरिजन’, ‘नवजीवन’, ‘खादी-जगत्’, ‘ग्रामराज’,
‘हरिजन सेवा’ आदि पत्रिकाएँ इस क्षेत्र में योगदान निभा रही हैं।
19.
वृत्तान्त पत्रकारिता - आकाशवाणी और दूरदर्शन के
माध्यम से लोकसभा, विधानसभा, मेला, उत्सव आदि का आँखों देखा हाल प्रसारित किया जाता
है । इसके लिए आवाज की गुणवत्ता, निष्पक्षता, घटना का ज्ञान और उत्तरदायित्व बोध आवश्यक
रहता है ।
20.
साहित्यिक पत्रकारिता - पत्रकारिता साहित्य संप्रेषण
का उत्कृष्ट माध्यम है। साहित्यिक पत्रकारिता एक रोचक क्षेत्र है । साहित्यिक क्षेत्र
की गतिविधियाँ, नए प्रकाशन, आलोचना, संक्रमण, साहित्यकारों से भेंटवार्ता, जुल्म के
विरुद्ध जोखिम आदि इस पत्रकारिता में आते हैं । कवि वचन सुधा, पीयूष, प्रवाह, विशाल
भारत, कादंबिनी, आदि पत्र-पत्रिकाओं ने इस क्षेत्र में विशिष्ट भूमिका निभाई है ।
21.
शैक्षिक पत्रकारिता- शैक्षिक पत्रकारिता शैक्षिक
प्रवृत्तियों, शिक्षा जगत् की घटनाओं तथा शैक्षिक समस्याओं को जनसंचार माध्यम से जनता
तक पहुँचाती है ।
22.
हास्य-व्यंग्य पत्रकारिता - मनुष्य के जीवन में हास्य-व्यंग्य
का होना अत्यंत आवश्यक है । इसलिए भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हास्य व्यंग्य पत्रकारिता
की शुरूआत ‘हरिश्चंद्र चंद्रिका’ से की। आज अनेक पत्र पत्रिकाओं में हास्य-व्यंग्य
का स्तंभ रहता है । ‘होली’ पर व्यंग्य विनोद विशेषांक अधिक मात्रा में निकलते हैं।
23.
ब्रेल पत्रकारिता - अंध व्यक्तियों के लिए लुई ब्रेल ने
विशेष लिपि का निर्माण किया है। ठाकुर विश्वनारायण सिंह ने भारत में ब्रेल पत्रकारिता
का प्रचार-प्रसार किया । आज अनेकानेक ब्रेल पत्रिकाएँ प्रकाशित हो रही हैं।
24.
भित्ति पत्रकारिता - रूस, चीन, ऑस्ट्रेलिया में
इसका प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है । स्कूल तथा कालेजों में भित्ति पत्रक सुवाच्च अक्षरों
में लिखे जाते हैं। भित्ति पत्र में स्थानीय शिकायतें, सूचना, आंदोलन आदि के विशेष
समाचार होते हैं ।
25.
अंतरिक्ष पत्रकारिता - विज्ञान युग में सूचना की
क्रांति आकाश स्थित ग्रहों और उपग्रहों पर आधारित है। अंतरिक्ष यान धरती की परिक्रमा
लगाते हुए धरती की आँख और कान बने हुए हैं। इनकी सहायता से लेख, समाचार, फोटो, विज्ञापन,
एक राष्ट्र से दूसरे राष्ट्र में तुरंत भेजने में सहायता मिलती है। संचार क्रांति के
युग में अंतरिक्ष पत्रकारिता महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है ।
26.
पीत पत्रकारिता - अमेरिका के जोसेफ पुलित्जर पीत पत्रकारिता
के जनक माने जाते हैं। उत्तेजनात्मक, हिंसात्मक और विस्मयकारी समाचारों को इसमें महत्ता
मिलने से यह पत्रकारिता पत्रकारिता जगत् को कलंकित करती है। सस्ती लोकप्रियता इसका
उद्देश्य रहा है ।
27.
सांस्कृतिक पत्रकारिता - भारतीय जनता की सांस्कृतिक,
अभिरूचि, सांस्कृतिक गतिविधियाँ, परंपराएँ इन्हीं का समावेश इसमें होता है । संगीत,
नृत्य, क्रीडा, रंगमंच आदि का समावेश इसमें होता है । संस्कृति को बनाए रखना और समाज
में सात्विक सुधार लाना इसका उद्देश्य रहा है । विभिन्न क्षेत्रों में और प्रदेशों
में स्थित परंपराएँ, प्रवृत्तियाँ, उनका सांस्कृतिक विवरण इनका लेखा-जोखा इस पत्रकारिता
से प्रस्तुत किया जाता है ।
28.
वीडियो पत्रकारिता - वीडियो पत्रकारिता में सच्चाई
की अधिकाधिक खबरें, एवं सनसनीखेज खबरें प्रकाशित होती हैं। फिल्म, राजनीति, खेल आदि
के अंतर्गत वीडियो पत्रकारिता ने सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त की है ।
29.
इंटरनेट पत्रकारिता - ‘गूगल- न्यूज’ ने एक साथ
अनेक समाचार पोर्टल्स को जोडकर दुनिया की घटनाओं को कुछ ही पलों में दर्शाने का उपक्रम
किया है । इंटरनेट पत्रकारिता सशक्त रूप में सामने आ रही है । अनेक समाचार पत्र अपनी
इंटरनेट आवृत्तियाँ निकाल रहे हैं, जिनसे वे केवल अपने प्रदेशों में ही स्थित न रहकर
पूरी दुनिया पर छाए हुए हैं ।
30.
शिक्षा पत्रकारिता - प्रत्येक राज्य का शिक्षा
विभाग पत्रिकाएँ प्रकाशित करता है। ज्ञान की एक शाखा से दूसरी शाखा में मनुष्य की स्वतंत्र
गतिशीलता बढ़ाने में शिक्षा पत्रकारिता महत्त्वपूर्ण योगदान निभाती है । ‘नया शिक्षक
और शिक्षा’, ‘नई तालीम’, ‘भारतीय शिक्षा’, ‘भारती’, ‘शिक्षक बंधु’ आदि शिक्षा पत्रिकाएँ
स्तरीय शिक्षा – पत्रिकाएँ रही हैं।
31.
पर्यावरण पत्रकारिता - पेड-पौधें, जीव जंतु, दवा-पानी,
नदी पहाड़, सागर इन्हीं प्राकृतिक साधनों के साथ संतुलन रखकर पर्यावरण की रक्षा करना
चाहता है । पर्यावरण पत्रकारिता का काम केवल वायु, जल, भूमि, ध्वनि आदि प्रदूषणों की
जानकारी देना नहीं है, बल्कि गंभीर संकट से अवगत करके मानव को पर्यावरण की सुरक्षा
और संरक्षण के लिए प्रेरित करना है ।
32.
अपराध पत्रकारिता - जनता भी अपराध संबंधी समाचार जानने में
उत्सुक रहती है । पत्रकारिता का कर्तव्य है कि वह आपराधिक घटनाओं की छानबीन करके वास्तव
रूप सामने लाए और कर्तव्य पालन की सीख समाज को दे, जिससे समाज सामाजिक मूल्यों का रक्षण
कर सके ।
33.
साक्षात्कार पत्रकारिता - साक्षात्कार पत्रकारिता
के लिए संवेदनशीलता, अनुभूति की गहराई, भाषा का तीखापन, शैली की सजीवता, आत्मीयता,
वास्तवता की आवश्यकता होती है । आज हिंदी पत्रकारिता ने अनेक महत्त्वपूर्ण साक्षात्कार
प्रकाशित किए हैं।
34.
फीचर पत्रकारिता - इसमें कल्पना जगत् की अपेक्षा घटना का
शोध परक और गहराई से अध्ययन करके विस्तार के साथ उसे प्रस्तुत किया जाता है । विषय
का रोचक और विस्तृत परिचय फीचर का प्रमुख तत्त्व है । लक्ष्य का स्पष्ट निर्धारण और
तथ्यों का स्पष्ट संकलन फीचर में होना चाहिए । मेला, मनोरंजन, सभा, खेल, सांस्कृतिक
कार्यक्रम, विशेष घटना आदि पर फीचर लिखे जाते हैं ।
35.
कार्टून पत्रकारिता - कार्टून मनोरंजन के साथ
बहस का मुद्दा भी बनते हैं। बुद्धिजीवी, अशिक्षित, कम पढ़े लिखे लोगों को भी कार्टून
आकर्षित करते हैं। शब्दों की अपेक्षा ये चित्र लोगों को सर्वाधिक प्रभावित करते हैं
। आज प्राय: सभी समाचार-पत्रों में कार्टून प्रकाशित हो रहे हैं ।
निम्नलिखित में से किसी एक का काव्य-सौंदर्य लिखिए-05
(51) जीर्ण बाहु, है शीर्ण शरीर तुझे बुलाता कृषक अधीर ऐ विप्लव के
वीर! चूस लिया है उसका सार हाड़-मात्र ही है आधार ऐ जीवन के पारावार !
उत्तर
- बादल राग कविता का प्रसंग – पूर्ववत् ! इन पंक्तियों में 'निराला' जी निर्धन किसान
की दयनीय व दुःखद स्थिति का वर्णन करते हैं और जमींदार व साहूकार वर्ग केअत्याचारों
को दूर करने के लिए किसानों द्वारा क्रान्ति का आहवान करवाते हैं।
बादल
राग कविता का काव्य सौन्दर्य
(क)
भावनात्मक पक्ष
1.
निराला ने इस (कविता) पद्यांश में किसानों की दीन-हीन दशा का चित्रण भी किया है। यह
शोषित कृषक 'विप्लव के बादलों' को आमन्त्रित करता है।
2.
अभिधा शब्द शक्ति का भरपूर योग्यता से प्रयोग है।
(ख)
कला पक्ष
1.
मुक्तक छन्द में प्रस्तुत पंक्तियों में शब्द चयन पर विशेष बल दिया गया है।
2.
अनुप्रास अलंकार के प्रयोग से भावाभिव्यक्ति में वृद्धि हुई है।
3.
प्रार्थना परक, करूण रस की शोभा पद्यांश की सुन्दरता में वृद्धि करती है।
4.
नाद सौन्दर्य ने शिल्प को अद्वितीय रूप प्रदान किया है।
(52) आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी हाथों पे झूलाती है उसे गोद-भरी
रह-रह के हवा में जो लोका देती है गूँज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी।
उत्तर
- शब्दार्थ-चाँद का टुकड़ा-बहुत प्यारा। गोद-भरी-गोद में भरकर, आँचल में लेकर।
लोका देती हैं-उछाल देती है।
प्रसंग-प्रस्तुत
काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ में संकलित ‘रुबाइयाँ’ से उद्धृत है। इसके
रचयिता उर्दू-फ़ारसी के प्रमुख शायर फिराक गोरखपुरी हैं। इस रुबाई में कवि ने माँ के
स्नेह का वर्णन किया है।
व्याख्या-शायर
कहता है कि एक माँ चाँद के टुकड़े अर्थात अपने बेटे को अपने घर के आँगन में लिए खड़ी
है। वहीं अपने चाँद के टुकड़े को अपने हाथों पर झुलाने लगती है। बीच-बीच में वह उसे
हवा में उछाल भी देती है। इस प्रक्रिया से बच्चा प्रसन्न हो उठता है तथा बच्चे की खिलखिलाहट-भरी
हँसी गूँजने लगती है।
विशेष–
1.
माँ द्वारा बच्चे को झुलाना, बच्चे का हँसना आदि स्वाभाविक क्रियाएँ हैं। स्वभावोक्ति
अलंकार है।
2.
वात्सल्य रस है।
3.
दृश्य बिंब है-
‘आँगन
में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी’, ‘गोद-भरी’, ‘हाथों पे झुलाती’, ‘हवा में जो लोका
देती है’।
4.
अंतिम पंक्ति में श्रव्य बिंब है।
5.
‘चाँद के टुकड़े’ मुहावरे का सुंदर प्रयोग है।
6.
‘रह-रह’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
7.
‘लोका देना’ देशज भाषा का प्रयोग है।
8. उर्दू-हिंदी मिश्रित शब्दावली है।
JCERT/JAC Hindi Core प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
आरोह भाग -2 | |
काव्य - खंड | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | तुलसीदास-कवितावली (उत्तर कांड से),लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप |
9. | |
10. | |
11. | |
गद्य - खंड | |
12. | |
13. | |
14. | |
15. | |
16. | |
17. | |
18. | बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर-श्रम विभाजन और जाति-प्रथा,मेरी कल्पना का आदर्श समाज |
वितान भाग- 2 | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
Solved Paper 2023 |