प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 12
इतिहास (History)
अध्याय-11 विद्रोही और राज 1857 का आंदोलन और उसके व्याख्यान
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Question)
1. 1857 के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर
जनरल कौन था?
(A) लॉर्ड वेलेजली
(B) लॉर्ड विलियम बेंटिक
(C) लॉर्ड डलहौजी
(D) लॉर्ड कैनिंग
2. 1857 का विद्रोह कब प्रारंभ हुआ?
(A) 10 मई 1857
(B) 14 जून 1857
(C) 15 अगस्त 1857
(D) 31 मई 1857
3. 1857 की विद्रोह का प्रमुख कारण क्या था?
(A) हड़प नीति
(B) ईसाई धर्म का प्रचार
(C) सती प्रथा की समाप्ति
(D) चर्बी वाला कारतूस
4. 1857 के विद्रोह में शहीद होने वाला पहला
व्यक्ति कौन था?
(A) बहादुर शाह जफर
(B) तात्या तोपे
(C) मंगल पांडे
(D) नाना साहेब
5. 1857 के विद्रोह का नेतृत्व किसने किया
था?
(A) वीर कुंवर सिंह
(B) रानी लक्ष्मीबाई
(C) नाना साहब
(D) बहादुर शाह जफर
6. मंगल पांडे को फांसी
कब दी गई थी?
(A) 29 मार्च 1857
(B) 8 मार्च 1857
(C) 8 अप्रैल 1857
(D) 10 मई 1857
7. "द ग्रेट रिवॉल्ट' नामक पुस्तक किसने
लिखी?
(A) जेम्स आईटम
(B) अशोक मेहता
(C) वी डी सावरकर
(D) विलियम स्मिथ
8. रानी लक्ष्मीबाई को
और किस नाम से जाना जाता है?
(A) छबीली
(B) मनु
(C) मणिकर्णिका
(D) इनमें से सभी
9. 1857 के विद्रोह में बिहार का नेतृत्व किसने
किया था?
(A) नाना साहिब
(B) वीर कुंवर सिंह
(C) रानी लक्ष्मीबाई
(D) दिलीप सिंह
10. क्रांति के दमन के बाद कौन क्रांतिकारी
नेता नेपाल भाग गया?
(A) नाना साहेब
(B) बेगम हजरत म
(C) A और B दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
11. पील कमीशन का गठन किस उद्देश्य से किया
गया था?
(A) सेना के पुनर्गठन के लिए
(B) विद्रोहियों को सजा देने के लिए
(C) शिक्षा के प्रसार के लिए
(D) लगान व्यवस्था में सुधार के लिए
12. मुगल बादशाह को अपदस्थ कर कहां भेज दिया
गया था?
(A) इंग्लैंड
(B) कलकत्ता
(C) रंगून
(D) काबुल
13. रानी लक्ष्मी बाई किस स्थान से विद्रोह
का नेतृत्व कर रही थी?
(A) बिहार
(B) कानपुर
(C) दिल्ली
(D) झांसी
14. "सहायक संधि" की व्यवस्था किसने
की?
(A) लॉर्ड क्लाइव ने
(B) वारेन हेस्टिंग्स ने
(C) लॉर्ड हेस्टिंग्स ने
(D) लॉर्ड वेलेजली ने
15. अवध में 1857 की क्रांति का नेतृत्व किसने
किया?
(A) रानी लक्ष्मी बाई
(B) बेगम हजरत महल
(C) बेगम जीनत महल
(D) तात्या टोपे
16. “हड़प नीति" किसने लागू की थी?
(A) लॉर्ड डलहौजी
(B) लॉर्ड क्लाइव
(C) लॉर्ड कर्जन
(D) वारेन हेस्टिंग
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. 1857 के विद्रोह में भाग लेने वाले पुरुष
नेताओं के नाम बताएं।
उत्तर- नाना साहेब, तात्या टोपे, वीर कुंवर सिंह, बहादुर
शाह जफर
2. 1857 की क्रांति का प्रतीक चिन्ह क्या था?
उत्तर- 1857 की क्रांति का चिह्न- रोटी और कमल का फूल।
3. “खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी
थी" यह पंक्ती किस के विषय में कही गई है?
उत्तर- यह पंक्ति रानी लक्ष्मी बाई के विषय में कही गई है।
4. मंगल पांडे कौन थे?
उत्तर- मंगल पांडे बैरकपुर में 34वीं रेजिमेंट के सिपाही
थे। जिन्होंने 1857 के क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
5. 1857 का विद्रोह सबसे पहले कब और कहां से
शुरू हुई?
उत्तर- 1857 का विद्रोह सबसे पहले 10 मई 1857 को मेरठ में
शुरू हुई।
6. 1857 के विद्रोह को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम
क्यों कहा जाता है?
उत्तर- 1857 के विद्रोह को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम इसलिए
कहा जाता है क्योंकि अंग्रेजों के शोषण के विरुद्ध यह पहला जन आंदोलन था।
7. 1857 के विद्रोह में मुख्य भूमिका निभाने
वाली चार महिलाओं के नाम बताएं।
उत्तर- रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हजरत महल महारानी बैजाबाई सिंधिया,
वीरांगना ताईबाई ।
8. लॉर्ड डलहौजी ने हड़प नीति के तहत किन-
किन राज्यों को अपने अधीन किया था?
उत्तर- सतारा, झांसी, नागपुर, जौनपुर, संबलपुर, उदयपुर आदि
।
9. अवध के अंतिम नवाब कौन थे जिन्हें अंग्रेजों
ने पेंशन देकर कोलकाता भेज दिया था?
उत्तर- अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह थे जिन्हें अंग्रेजों
ने 12 लाख रुपए वार्षिक पेंशन देकर कोलकाता भेज दिया था।
10. 1857 के विद्रोह के प्रमुख केंद्रों के
नाम बताएं।
उत्तर- 1857 के विद्रोह के प्रमुख केंद्रों के नाम- मेरठ,
दिल्ली, बनारस, अवध, कानपुर, झांसी, इलाहाबाद।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. 1857 की क्रांति का तत्कालीन कारण क्या
था?
उत्तर- गवर्नर जनरल हाडिग ने सैनिकों के हथियारों में परिवर्तन
लाने का प्रयास किया। 1856 ईसवी में उसने सैनिको की पुरानी बंदूक "ब्राउन बैस"
के स्थान पर "एनफील्ड राइफल " नामक नई बंदूकें देने का निश्चय किया। इन राइफलो
का प्रयोग करने के लिए कारतूसो को राइफल में भरने से पूर्व मुंह से खोलना पड़ता था।
जनवरी 1857 ई. में बंगाल के बैरकपुर छावनी में यह समाचार फैल गई कि इन कारतूसों में
गाय और सुअर की चर्बी लगी हुई थी जिससे हिंदू और मुस्लिम सैनिकों में आक्रोश उत्पन्न
हो गया। 29 मार्च 1857 ईस्वी को मंगल पांडे नामक एक ब्राह्मण ने बैरकपुर छावनी में
अपने अफसरों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। इस प्रकार चर्बी वाले कारतूस 1857 के विद्रोह
का तात्कालिक कारण बना।
2. 1857 के घटनाक्रम को निर्धारित करने में
धार्मिक विश्वासों की किस हद तकभूमिका थी?
उत्तर- इसमें कोई संदेह नहीं था कि 1857 के घटनाक्रम को निर्धारित
करने में धार्मिक विश्वासों की महत्वपूर्ण भूमिका थी जो इस प्रकार थी-
1. ईसाई धर्मप्रचारक अपने धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहे थे
साथ ही वे हिन्दू और इस्लाम धर्म की आलोचना करते थे।
2. परंपरागत भारतीय शिक्षा को कमजोर करने के लिए देशी शिक्षा
देनेवाली शिक्षण संस्थाओं के अनुदान बंद कर दिए गए। छात्रवृत्तियाँ भी समाप्त कर दी
गईं। अँगरेजी शिक्षा और ईसाई धर्म की शिक्षा को बढ़ावा दिया गया।
3. मंदिरों-मस्जिदों की संपत्ति का अधिग्रहण कर लिया गया।
इससे लोगों में यह धारणा बैठ गई कि अंग्रेज उनके धर्म और संस्कृति को नष्ट कर रहे हैं।
फरायजी और वहाबी आंदोलनों ने मुसलमानों में अंग्रेजों के प्रति कटुता की भावना बढ़ा
दी। इसी प्रकार, पंडित, संन्यासी भी अंग्रेज विरोधी प्रचार कर रहे थे।
3. 1857 के विद्रोह में अफवाहों की क्या भूमिका
थी?
उत्तर- 1857 के विद्रोह में अफवाहों ने महत्वपूर्ण भूमिका
निभाई थी जो इस प्रकार है-
(क) 1857 की सबसे महत्वपूर्ण अफवाह यह थी कि एनफील्ड राइफल
की कारतूस में गाय और सुअर की चर्बी लगी हुई थी।
(ख) ऐसी अफवाह फैली की कंपनी सरकार हिंदू- मुसलमानों की जाति
और धर्म को नष्ट करने का षड्यंत्र कर रही है और इसके लिए सरकार ने आटा में गाय और सुअर
की हड्डियों का मिश्रण किया है
(ग) यह अफवाह फैल चुकी थी कि 23 जून 1857 को कंपनी शासन के
100 वर्ष पूरे होते ही अंग्रेजों की सत्ता समाप्त हो जाएगी। और इसका जनमानस पर गहरा
प्रभाव पड़ा।
4. विद्रोहियों के बीच एकता स्थापित करने के
क्या तरीके अपनाए गए?
उत्तर- विद्रोहियों के बीच एकता स्थापित करने के लिए अनेक
तरीकों का अनुसरण किया गया जो इस प्रकार है-
(1) गाय और सूअर की चर्बी वाले कारतूस, आटे में गाय और सूअर
की हड्डियों के पाउडर और प्लासी के युद्ध के सौ वर्ष पूरे होते ही भारत से अंग्रेज
शासन के समाप्त हो जाने जैसे विचारों के प्रसार से हिन्दू- मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं
को समान रूप से उत्तेजित करके उन्हें एकजुट किया गया।
(2) हिन्दू-मुसलमानों ने मिलकर मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर
को विद्रोह का नेतृत्व संभालने का आग्रह किया ।
(3) विद्रोह के समय लोगों की जाति और धर्म को स्थान नहीं
दिया। विद्रोहियों द्वारा जारी की गई घोषणाओं में जाति और धर्म का भेदभाव किए बिना
समाज के सभी वर्गों का आह्वान किया गया।
(4) मुस्लिम शहजादों अथवा नवाबों की ओर से अथवा उनके नाम
पर जारी की गई घोषणाओं में हिन्दुओं की भावनाओं का भी ध्यान दिया गया।
(5) मुगल सम्राट बहादुर शाह के नाम से जारी की गई घोषणा में
मुहम्मद और महावीर दोनों के नाम पर जनता को इस संघर्ष में भाग लेने का अनुरोध किया
गया।
5. अंग्रेजों ने विद्रोह को कुचलने के लिए
क्या कदम उठाए?
उत्तर- अंग्रेजों ने इस विद्रोह को कुचलने के लिए कूटनीति
एवं अनेक कठोर उपायों का अनुसरण किया-
(1) उत्तर भारत पर पुनः अधिकार स्थापित करने के लिए सैनिक
टुकड़ियाँ भेजने से पहले अंग्रेजों ने सैनिकों को सहायता के लिए अनेक कानूनों को पारित
किया।
(2) मई और जून 1857 ई. में अनेक कानूनों को पास किया गया।
इनके अनुसार सम्पूर्ण उत्तर भारत में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया। इसके अन्तर्गत केवल
फौजी अधिकारियों को ही नहीं अपितु सामान्यतः अंग्रेजों को भी यह अधिकार दे दिया गया
कि वे केवल सन्देह के आधार पर ही भारतीयों पर मुकदमा चला सकते थे और उन्हें सजा दे
सकते थे।
(3) विद्रोह की अवधि में कानून एवं मुकदमे की सामान्य प्रक्रिया
को समाप्त कर दिया गया। यह भली-भाँति स्पष्ट कर दिया गया था कि विद्रोहियों की एकमात्र
सजा सजा-ए-मौत' थी।
(4) नए कानूनों और ब्रिटेन से आने वाली नई सैनिक टुकड़ियों
से लैस होकर ब्रिटिश शासन ने विद्रोह को कुचलने का कार्य प्रारम्भ कर दिया। विद्रोह
का दमन करने के लिए सर्वप्रथम दिल्ली पर अधिकार करना परमावश्यक था। अतः जून 1857 में
अंग्रेजों ने दिल्ली पर दो दिशाओं से आक्रमण किया। 5 दिन के कड़े संघर्ष के बाद 14
सितंबर 1857 को अंग्रेजी सेना ने दिल्ली में प्रवेश कर लिया और कैप्टन हडसन मुगल सम्राट
बहादुर शाह द्वितीय एवं बेगम जीनत महल को बंदी बना लिया।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. 1857 के विद्रोह के प्रमुख कारणों की विवेचना
करें।
उत्तर- 1857 के विद्रोह को सिपाही विद्रोह के नाम से भी जाना
जाता है इस विद्रोह को भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम भी कहा जाता है क्योंकि अंग्रेजी
सत्ता के खिलाफ यह पहला जन विद्रोह था जो काफी बड़े पैमाने पर हुआ था ।
1857 के विद्रोह के निम्नलिखित कारण थे-
(1) राजनीतिक कारण- राजनीतिक कारणों में
सबसे महत्वपूर्ण कारण डलहौजी की गोद निषेध तथा राज्य हड़प नीति को माना जाता है उसने
इस नीति के तहत सातारा, नागपुर, झांसी, उदयपुर, संबलपुर, जौनपुर और बघाट आदि अनेक राज्यों
को ब्रिटिश साम्राज्य का अंग बना लिया इसके अलावा उसने कुशासन के आधार पर अवध पर अधिकार
किया।
डलहौजी ने पेंशन तथा उपाधियां भी समाप्त कर दी साथ ही साथ
उन्होंने बहादुर शाह के बाद के मुगलों की बादशाहत को समाप्त कर दिया तथा लाल किले को
खाली करने का आदेश दिया। जिससे लोग अंग्रेज विरोधी हो गए। उन्होंने देशी राज्यों को
हड़प कर उनकी सेना को भंग कर दिया जिससे सैनिकों का रोजगार छिन जाने से उनमें असंतोष
फैल गया।
(2) सामाजिक कारण- लॉर्ड विलियम बेंटिक
ने समाज सुधार के नाम पर भारतीय समाज की अनेक कुरीतियों जैसे सती प्रथा बाल हत्या,
नरबलि जैसे प्रथाओं को बंद करने का प्रयास किया तथा विधवा विवाह का समर्थन कर विधवा
पुनर्विवाह कानून लागू किया। भारतीयों ने अपनी सभ्यता के नष्ट हो जाने के डर से इसका
विरोध किया। अंग्रेजों ने रेल, सड़क डाक, तार एवं अंग्रेजी शिक्षा का प्रसार किया और
इसे भारतीय ईसाई धर्म के प्रचार का माध्यम मानने लगी और भारतीयों के मन में विद्रोह
की भावना भड़क उठी।
(3) धार्मिक कारण- 1813 ईसवी के चार्टर
एक्ट ने इसाई पादरियों को भारत आने की अनुमति दी। 1850 में एक अधिनियम पारित किया गया
जिसके अनुसार यह कानून बना कि धर्म परिवर्तन करने वालों को उनकी पैतृक संपत्ति से वंचित
नहीं किया जाएगा। ईसाई मिशनरियों द्वारा स्थापित स्कूलों में बाइबिल का अध्ययन अनिवार्य
था जिलों में ईसाई धर्म का प्रचार किया जाने लगा तथा सेना में भी सरकारी खर्च पर ईसाई
पादरी नियुक्त किए जाने लगे।
(4) सैनिक कारण- भारतीय सैनिकों को सभी सुविधाएं
प्राप्त नहीं थी जो अंग्रेजी सैनिकों को प्राप्त थी। जैसे अंग्रेज सैनिकों की अपेक्षा
बहुत कम वेतन, अपमानजनक बर्ताव, शारीरिक हिंसा आदि इसके अलावा भारत में अंग्रेज और
भारतीय सैनिकों की संख्या में असमानता ने भी विद्रोह को प्रेरित किया।
(5) तात्कालिक कारण- विद्रोह का तात्कालिक
कारण 1857 में नई एनफील्ड राइफल में लगाई जाने वाली कारतूस को माना जाता है इसका व्यवहार
करने के पूर्व इसे दांतो से काटना पड़ता था और उस समय यह अफवाह फैल गई थी कि कारतूस
में गाय और सुअर की चर्बी मिली हुई है 29 मार्च 1857 को बैरकपुर छावनी के एक सैनिक
मंगल पांडे ने कारतूस का प्रयोग करने से इनकार कर दिया उसने दो अंग्रेज अधिकारियों
की हत्या कर दी और 8 अप्रैल को मंगल पांडे को फांसी की सजा दी गई और सेना की टुकड़ी
को भंग कर दिया गया। 10 मई को विद्रोह प्रारंभ हो गया।
2. 1857 के विद्रोह की विफलता के कारणों का
उल्लेख करें।
उत्तर- 1857 के विद्रोह में विद्रोहियों को आरंभिक सफलता
तो मिली, परंतु शीघ्र ही वे पराजित होने लगे। दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, झाँसी, कालपी और
अन्य स्थानों पर अँगरेजों ने कब्जा जमा लिया। दिसंबर 1858 तक विद्रोह को पूरी तरह दबा
दिया गया। इस तरह विद्रोह असफल हो गया जिसके कारण इस प्रकार है-
(i) योग्य नेतृत्व का अभाव विद्रोह मुगल बादशाह
- बहादुरशाह के नेतृत्व में हुआ, परंतु उसमें नेतृत्व करने की क्षमता नहीं थी। विद्रोह
के अन्य नेताओं में भी आपसी तालमेल नहीं था, वे एक साथ योजना बनाकर युद्ध नहीं करते
थे तथा उनमें कुशल सेनापति के गुणों का अभाव था। अतः वे अँगरेज सेनापतियों का सामना
नहीं कर सके।
(ii) समय से पूर्व विद्रोह आरंभ-
बिना किसी निश्चित योजना के निर्धारित समय के पूर्व ही विद्रोह शुरू हो गया। इससे विद्रोह
योजनाबद्ध रूप से नहीं हो सका। एक अंग्रेज इतिहासकार ने लिखा कि "यदि पूर्व निश्चय
के अनुसार एक तारीख को सारे भारत मैं स्वाधीनता का युद्ध शुरू होता तो भारत में एक
भी अंग्रेज जीवित न बचता।”
(iii) विद्रोह का अनुपयुक्त समय-
विद्रोह का समय क्रांतिकारियों के लिए अनुपयुक्त था। उस समय तक लगभग पूरा भारत अँगरेजी
सत्ता के अधीन हो चुका था। अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति भी अँगरेजों के अनुकूल थी। अतः,
अंग्रेजों ने अपनी सारी शक्ति विद्रोह के दमन में लगा दी।
(iv) विद्रोह का निश्चित उद्देश्य नहीं-
विद्रोह में भाग लेनेवाले नायकों का एकसमान उद्देश्य नहीं था। अपने व्यक्तिगत स्वार्थों
की पूर्ति के लिए वे इसमें भाग ले रहे थे। यह निश्चित नहीं किया गया था कि क्रांति
की सफलता के बाद क्या व्यवस्था होगी। अतः, विद्रोही पूरे मनोयोग से विद्रोह में भाग
नहीं ले सके।
(v) संगठन एवं योजना का अभाव-
विद्रोहियों में संगठनात्मक दुर्बलता थी। विभिन्न क्षेत्रों के क्रांतिकारी एवं उनके
नेता अपनी-अपनी योजनानुसार अलग- अलग कार्य करते रहे। इसके विपरीत अँगरेजों ने योजनाबद्ध
रूप से विद्रोह का दमन किया।
(vi) विद्रोहियों के सीमित साधन-
अँगरेजों की तुलना में विद्रोहियों के साधन अत्यंत सीमित थे। उनके पास पर्याप्त धन,
रसद, गोला-बारूद और प्रशिक्षित सैनिकों का सर्वथा अभाव था। उनके पास आवागमन के साधनों
एवं गुप्तचर व्यवस्था का भी अभाव था।
(vii) विद्रोह का सीमित स्वरूप-
विद्रोह के स्थानीय एवं सीमित स्वरूप ने भी इसकी विफलता में योगदान दिया। क्रांति का
केंद्रबिंदु उत्तरी और मध्य भारत के कुछ भाग ही थे। बंगाल, पूर्वोत्तर भारत, पंजाब,
कश्मीर, उड़ीसा, पश्चिम और दक्षिण भारत में इसका व्यापक प्रभाव नहीं था। दिल्ली को
केंद्र बनाने से विद्रोह उतना अधिक नहीं फैल सका जितना फैल सकता था। फलतः विद्रोहों
की अत्यधिक, स्थानबद्ध प्रकृति के कारण अँगरेज उनसे एक-एक कर निबटने में कामयाब रहे।
3. 1857 के विद्रोह के लिए डलहौजी कहां तक
उत्तरदायी था?
उत्तर- लॉर्ड डलहौजी 1848 ई. में भारत का गवर्नर जनरल बनकर
आया और यहां आते ही उन्होंने अपनी साम्राज्यवादी नीति का प्रसार किया और यह कहना सही
होगा कि उसने अपने साम्राज्यवादी नीति का अनुसरण के लिए जिन नीतियों का पालन किया वो
1857 के विद्रोह के लिए उत्तरदाई साबित हुआ। जो इस प्रकार है-
(क) अपहरण या गोद निषेध नीति-
डलहौजी ने ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार के लिए एक कूटनीतिक सिद्धांत का निर्माण किया
जो राज्य अपहरण या गोद निषेध नीति के नाम से जाना जाता है। इस नीति के तहत उसने वैसे
राजाओं को जो निसंतान थे और अपने उत्तराधिकारी के रूप में किसी बालक को गोद लेना चाहते
थे वैसी परंपरा को डलहौजी ने समाप्त कर दिया और उनके राज्य को कंपनी में मिला लिया
जाता था इस नीति के तहत उसने सातारा, जयपुर, संबलपुर, नागपुर, उदयपुर तथा झांसी का
विलय किया।
(ख) कुशासन की नीति - लॉर्ड डलहौजी ने
हड़प नीति के अलावा कुशासन के आधार पर 13 फरवरी 1856 ई. को अवध का अधिग्रहण किया। डलहौजी
ने प्रशासनिक कुशासन का बहाना बनाकर अवध के नवाब वाजिद अली शाह को गद्दी से हटाकर राज्य
पर अधिकार कर लिया और नवाब पर अलोकप्रिय होने का आरोप लगाकर उसे 12 लाख रुपए वार्षिक
पेंशन देकर कोलकाता भेज दिया।
(ग) पेंशन तथा उपाधियों की समाप्ति-
लॉर्ड डलहौजी ने अनेक देशी नरेशों के पेंशनो तथा उपाधियों को समाप्त कर दिया। उसने
कर्नाटक और तंजौर के शासकों की मृत्यु के बाद उनकी उपाधियां समाप्त कर दी और अंतिम
पेशवा बाजीराव द्वितीय की मृत्यु के बाद उनके दत्तक पुत्र नाना साहब की पेंशन बंद कर
दी। इसके परिणाम स्वरूप नाना साहब ब्रिटिश सरकार के घोर विरोधी बन गए।
(घ) मुगल सम्राट के प्रति असम्मानजनक व्यवहार-
डलहौजी ने 1849 ई० में घोषणा की कि बहादुर शाह जफर के बाद के मुगलों को लाल किला छोड़कर
कहीं और रहना पड़ेगा। 1856 ई० में लॉर्ड कैनिंग ने घोषणा की कि बहादुर शाह जफर के बाद
के मुगल "बादशाह" की उपाधि धारण नहीं कर सकेंगे। इन घोषणाओं के द्वारा कंपनी
के अधिकारी मुगल शासन को समाप्त करना चाहते थे।
4. 1857 के विद्रोह के क्या परिणाम हुए?
उत्तर- 1857 का विद्रोह भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना
थी यद्यपि 1857 का विद्रोह असफल रहा किंतु इसके परिणाम अभूतपूर्व, व्यापक और स्थायी
सिद्ध हुए साथ ही साथ इस विद्रोह ने भारतीयों के मन में राष्ट्रवादी चेतना का विकास
किया।
1857 के विद्रोह के परिणाम इस प्रकार है-
(1) संवैधानिक परिवर्तन-
2 अगस्त 1858 ई. को ब्रिटिश संसद ने भारत अधिनियम पारित कर भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी
की शासन को समाप्त कर दिया गया। भारत का शासन ब्रिटिश ताज के हाथों में चला गया और
भारत के प्रशासन के लिए भारत सचिव की नियुक्ति की गई।
(2) महारानी विक्टोरिया का घोषणा पत्र-
भारतीयों में अंग्रेजों के प्रति असंतोष को दूर करने के लिए महारानी विक्टोरिया ने
घोषणा की कि राजाओं को दत्तक पुत्र अर्थात गोद लेने का अधिकार होगा और अब देसी राज्यों
को अंग्रेजी राज्य में विलय नहीं किया जाएगा साथ ही साथ भारतीयों के सामाजिक रीति-
रिवाजों में हस्तक्षेप भी नहीं किया जाएगा।
(3) मुगल सत्ता का अंत
- 1526 में बाबर द्वारा स्थापित मुगल सत्ता का अंत 1857 के विद्रोह में हो गया। मुगल
बादशाह और उनकी बेगम को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाकर तथा
गद्दी से हटाकर उसे निर्वासित कर रंगून भेज दिया गया और वही कैद खाने में 1862 ई० में
बादशाह की मृत्यु हो गई और बादशाह के गद्दी से हटाए जाने के साथ ही भारत में मुगल सत्ता
समाप्त हो गई।
(4) गवर्नर जनरल की स्थिति में परिवर्तन-
1858 के अधिनियम द्वारा गवर्नर जनरल की स्थिति में परिवर्तन लाया गया अब गवर्नर जनरल
को वायसराय या सम्राट का प्रतिनिधि कहा जाने लगा।
(5) सैनिक संगठन में परिवर्तन विद्रोह के बाद सैन्य व्यवस्था में काफी बदलाव किया गया। पील कमीशन 1858 की सिफारिशों के अनुसार सेना में यूरोपीय सिपाहियों की संख्या में बढ़ोतरी की गई जबकि भारतीय सैनिकों की संख्या घटा दी गई तथा सेना और तोपखाना के महत्वपूर्ण पदों से भारतीयों को अलग रखा गया और आंतरिक सुरक्षा का दायित्व अंग्रेजी सैनिकों को सौंप दिया गया।