Class 12 History अध्याय-2 राजा किसान और नगर आरंभिक राज्य और अर्थव्यवस्थाएँ (लगभग 600 ई. पू. से 600 ई.) Question Bank-Cum-Answer Book

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Class 12 History  अध्याय-2 राजा किसान और नगर आरंभिक राज्य और अर्थव्यवस्थाएँ  (लगभग 600 ई. पू. से 600 ई.) Question Bank-Cum-Answer Book

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 12

इतिहास (History)

अध्याय-2 राजा किसान और नगर आरंभिक राज्य और अर्थव्यवस्थाएँ  

(लगभग 600 ई. पू. से 600 ई.)

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Question)

1. अशोक के अभिलेख को सर्वप्रथम किसने पढ़ा ?

A. जॉन मार्शल

B. कनिंघम

C. जेम्स प्रिंसेप

D. अर्नेस्ट मैके

2. अभिलेखों में 'देवनाम पियदस्सी' किस राजा को कहा गया है?

A. अशोक

B. चन्द्रगुप्त मौर्च

C. समुद्रगुप्त

D. बिन्दुसार

3. बौद्ध और जैन ग्रंथों में कितने महाजनद का उल्लेख हैं?

A. 10

B. 12

C. 14

D. 16

4. मगध महाजनपद की प्रारंभिक राजधानी कहाँ थी ?

A. राजगृह

B. पाटलिपुत्र

C. कन्नौज

D. उज्जैन

5. इंडिका किसकी रचना हैं

A. मेगास्थनीज

B. कालीदास 

C. प्लिनी

D. चाणक्प

6. द्वितीय नगरीकरण के नगरों को क्या कहा जाता है ?

A. ताम्र युगीन नगर

B. कांस्ययुगीन नगर

C. लौहयुगीन नगर

D. इनमें से कोई नहीं।

7. समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति की रचना किसने किया हैं?

A. हरिसेन

B. वाणभट्ट

C. कौटिल्य

D. मेगास्थनीज

8. भारत का नेपोलियन किस शासक को कहा गया हैं?

A. चंद्रगुप्त

B. अकबर

C. समुद्रगुप्त

D. अशोक

9. हर्षवर्धन के राजकवि कौन थे?

A. बाणभट्ट

B. कालीदास

C. हरिसेन

D. मेगास्थनीज

10. अशोक के धम्म की लिपि क्या थीं?

A. देवनागरी

B. संस्कृत

C ब्राह्मी

D. प्राकृत

11. फूट डालकर विजय प्राप्त करने का कार्य सर्वप्रथम किस राजा ने किया?

A. अजातशत्रु

B. पुष्यमित्र शुंग

C. अशोक

D. समुद्रगुप्त

12. किसके अभिलेख में भूमि दान का उल्लेख मिलता है?

A. अशोक

B. समुद्रगुप्त

C. प्रभावती गुप्त

D. इन सभी के

13. प्राचीन भारत में अभिलेख की शुरुआत किस शासक ने किया ?

A. चंद्रगुप्त मौर्य

B. अशोक

C. समुद्रगुप्त

D. कुमारगुप्त

14. मुद्राराक्षस किसकी रचना है?

A. कौटिल्य

B. मेगास्थनीज

C. विशाखदत्त

D. इनमें से कोई नहीं

15. अपने स्वयं के खर्चे से सुदर्शन झील की मरम्मत किसने कराई

A. अशोक

B. रुद्रदामन

C कनिष्क

D. स्कंद गुप्त

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

1. मेगास्थनीज भारत में किसके दरबार में आया था?

उत्तरः मेगास्थनीज भारत में चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार मे आया था।

2. पाटलिपुत्र की स्थापना किसने किया था?

उत्तर : पाटलिपुत्र की स्थापना उदयिन ने किया था।

3. चीनी यात्री फाहियान किसके शासन काल में भारत आया था ?

उत्तर: चीनी यात्री फाहियान चन्द्रगुप्त द्वितीय के काल में भारत आया था।

4. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना किसने किया ?

उत्तर : नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त शासक कुमार गुप्त ने किया।

5. मेगास्थनीज कौन था?

उत्तरः मेगास्थनीज यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था।

6. शक संवत का आरंभ किसने किया ?

उत्तर: शक संवत का आरंभ कनिष्क ने किया था।

7. तक्षशिला विश्वविद्यालय वर्तमान में किस देश में स्थित है?

उत्तर: तक्षशिला विश्वविद्यालय वर्तमान पाकिस्तान में स्थित हैं ।

8. भूमिदान अभिलेख चद्रगुप्त द्वितीय के किस पुत्री के नाम से मिला है।

उत्तर : भूमिदान अभिलेख चंद्रगुप्त द्वितीय की पुत्री प्रभावती गुप्त के नाम से है।

9. किन शासको ने अपने नाम के पहले 'देवपुत्र' की उपाधि लगाया

उत्तरः कुषाण शासकों ने अपने नाम के पहले देवपुत्र की उपाधि लगाया।

10. हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति किस भाषा मे लिखा गया है।

उत्तर : हरिषेण रचित प्रयाग प्रशस्ति संस्कृत भाषा में लिखा गया हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. अभिलेख से आप क्या समझते हैं? इनका का क्या महत्व है?

उत्तर : अभिलेख उन्हें कहते हैं जो पत्थर धातु या मिट्टी के बर्तन जैसी कठोर सतह पर खुदे होते हैं। अभिलेखों में इनके निर्माण की तिथि भी खुदी होती है तथा जिन पर तिथि नहीं होती उनका काल निर्धारण लेखन शैली के आधार पर किया जाता है। भारत में प्राचीनतम अभिलेख प्राकृत भाषा में है जिसे सम्राट अशोक ने बनवाया है।

महत्व

1. अभिलेख प्राचीन काल के अध्ययन के लिए अत्यंत प्रमाणिक और विश्वसनीय स्रोत होते हैं क्योंकि ये समकालीन होते हैं।

2. अभिलेख बनवाने वाले के अभिलेखों से शासक के विचार, राज्य विस्तार, उपलब्धियाँ, चरित्र, जन भावना का पता चलता है।

3. अभिलेखों से तत्कालिन धर्म-संस्कृति, रीति-रिवाजों की जानकारी मिलती है।

4. अभिलेखों से तात्कालिन भाषा और लिपि का ज्ञान होता है।

5. शासकों के आदेश, शत्रु-विजय तथा नागरिक अधिकारों की जानकारी मिलती है।

6. अभिलेखों से उस काल समय का ज्ञान होता है।

7. अभिलेख प्राचीन इतिहास के स्थाई प्रमाण होते है।

8. अभिलेख से तात्कालिन अर्थव्यवस्था की भी जानकारी मिलती है।

9. अभिलेख से शासक और प्रजा के बीच का संबंध भी पता चलता है।

10. अभिलेख से कला का भी ज्ञान होता है।

2. महाजनपद से आप क्या समझते हैं? महाजनपदों के विशिष्ट विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर : छठी शताब्दी ई० पू० से महाजनपदों (आरंभिक राज्य) का विकास प्रारम्भ हुआ। बौद्ध और जैन ग्रंथों में 16 महाजनपद का जिक्र है जिनमें 12 राजतंत्रीय और 04 गणतंत्रीय राज्य थे। उक्त महाजनपदों की विशिष्ट अभिलक्षण (विशेषता) निम्नलिखित है-

1. लौहे के बढ़ते प्रयोग और सिक्कों के विकास प्रारंभ हुए।

2. अधिकतर महाजनपदों मे राजा का शासन होता था लेकिन गणतंत्रीय राज्यों में अनेक लोगों का समूह शासन होता था।

3. राजतंत्रीय राज्य में भूमि सहित आर्थिक स्त्रोत राजा के अधीन था वहीं गणतंत्रीय राज्यों में राजाओं का सामूहिक नियंत्रण था।

4. महाजनपदों की एक राजधानी होती थी जो प्रायः किलेबद होती थी।

5. महाजनपदों में ब्राहम्णों ने संस्कृत भाषा मे धर्मशास्त्र नामक ग्रन्थों की रचना करके लोगों के लिए नियमों का निर्धारण किया।

6. महाजनपदों के राजतंत्रीय राज्यों में विचारों की अभिव्यक्ति का अधिकार नही था जबकि गणतंत्रीय राज्यों में अभिव्यक्ति के अधिकार प्राप्त थे। इन्ही गणों में बुद्ध, महावीर आदि विचारकों का जन्म हुआ।

7. राजा किसानो, व्यापारियों, शिल्पकारों से कर तथा भेट वसूलता था तथा पड़ोसी राज्यों पर आक्रमण करके भी धन इकट्ठा करता था।

8. महाजनपदों के आरंभिक दौर मे राजा कृषकों से सेना का कार्य करवाता था किन्तु कुछ राज्यों ने स्थाई सेना और नौकरशाही तंत्र विकसित कर लिया।

3. कलिंग युद्ध का अशोक पर क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर : अशोक अपने शासन के आठवे वर्ष में कलिंग (उड़ीसा) पर आक्रमण किया जिसमे एक लाख व्यक्ति मारे गये, 1.5 लाख बंदी बनाए गए तथा कई गुणा घायल हुए। जिससे अशोक का हृदय परिवर्तन हुआ जिसके फलस्वरूप निम्नलिखित प्रभाव पड़े-

1. उसे युद्ध से घृणा हो गई तथा जीवन भर युद्ध न करने की प्रतिज्ञा की।

2. भीषण रक्तसंहार देखकर बौद्ध भिक्षु उपगुप्त के प्रभाव से बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया।

3. कलिंग युद्ध के बाद अशोक शांतिवादी हो गया तथा राज्य विस्तार की नीति का परित्याग कर दिया उसने दिग्विजय के स्थान पर धर्म विजय अपना लक्ष्य बनाया।

 

4. इस युद्ध के बाद मदिरापान, मांस, बलि आदि बिल्कुल बंद करा दिया गया। संयम, विचारों की पवित्रता, दया, दान, सत्य, सेवा, श्रद्धा आदि पर बल दिया गया।

5. अशोक 'देवनाम पियदस्सी' की उपाधि धारण किया तथा राज्य में युद्धघोष के स्थान पर 'धम्मघोष' प्रारंभ हो गया।

4. अभिलेखशास्त्रीयों की कुछ समस्याओं की सूची बनाइए ।

उत्तर- अभिलेखशास्त्री प्रायः वाक्यों के अर्थ स्पष्ट करते है। यह कार्य बहुत ही सावधानी से करना पड़ता है जिसमे अनेक समस्याएँ सामने आती है जैसे-

1. अभिलेखों की लिपियों को पढ़ने में कठिनाई होती है क्योंकि उन तिथियों को कोई दूसरी समकालीन लिपि के साथ नहीं लिखा होता हैं उदाहरण हड़प्पा सभ्यता की लिपि ।

2. अभिलेखों में एक ही राजा के भिन्न-भिन्न नाम या सिर्फ उपाधि या सम्मानजनक संबोधन होता है जिससे राजा की पहचान स्पष्ट नहीं हो पाता जैसे अशोक के अभिलेखों में अशोक के लिए 'देवनाम पियदस्सी' लिखा हुआ है।

3. अभिलेखों में एक ही राजा के उसी काल में भिन्न-भिन क्षेत्रों में अलग भाषाओं और लिपियों में लेख लिखे होते हैं। जिसे पढ़ने में कठिनाई होती हैं।

4. अभिलेखों में राजा के आदेश जो यातायात मार्ग में पत्थरों में खुदे होते थे। उन आदेशों का प्रजा कैसे पढ़ती होगी? क्योंकि प्रजा निरक्षर थीं फिर राजकीय आदेश का पालन कैसे होता होगा? आदि प्रश्नों के अर्थ स्पष्ट नहीं हो पाते।

5. अभिलेखो मे प्रयोग की गई वाक्यों के अर्थ समझने में कठिनाई होती है जैसे कलिंग विजय के उपरांत अशोक के वेदना को परिलक्षित करने वाले लेख कलिंग में नहीं मिलता बल्कि दूसरे स्थानों में लिखे हुए हैं जबकि अशोक कलिंग को वापस मुक्त नहीं कर रहा है। इस प्रकार के लेख से अभिलेखशास्त्री असमंजस की स्थिति में होते हैं जिससे सटीक अर्थ लगाने में कठिनाई होती हैं।

5. गुप्त साम्राज्य के पतन के क्या कारण थें?

उत्तर : गुप्त साम्राज्य के पतन के निम्नलिखित कारण है-

1. अयोग्य उत्तराधिकारी: स्कन्दगुप्त के पश्चात् प्रायः सभी गुप्त शासक दुर्बल एवं अयोग्य हुए जिससे गुप्त साम्राज्य का पतन क्रमिक रूप से हुआ।

2. उत्तराधिकार के नियम का अभाव : उत्तराधिकार के निश्चित नियम नहीं होने के कारण सदैव गृह युद्ध की स्थिति बनी रही। इससे शासक की स्थिति कमजोर हुई।

3. नई शक्तियों का उदय: केंद्रीय शक्ति के कमजोर होने से स्वतंत्र राज्यों का उदय हुआ जिन्होंने राजा के प्रभुत्व को चुनौती दिया जैसे मालवा का यशोधर्मन आदि।

4. हूण आक्रमण :- गुप्त काल में हूण आक्रमण इसके पतन का एक प्रमुख कारण माना जाता है।

5. धार्मिक कारण :- उत्तरवर्ती गुप्त सम्राट बौद्ध धर्म के प्रति झुके हुए थे जिससे इसकी सैन्य व्यवस्था दुर्बल हुई।

6. सामंती व्यवस्थाः गुप्त प्रशासन सामंती व्यवस्था पर आधारित था। प्रशासकीय पदों का वंशानुगत होना भी पतन का एक कारण बना।

7. आर्थिक कारण: गुप्त काल में कृषि पर अत्यधिक दबाव हो गया, उद्योग, व्यापार और नगरों आदि के पतन होने से आर्थिक सम्पन्नता में कमी आई।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. मगध साम्राज्य के शक्तिशाली होने के क्या कारण थे?

उत्तर : छठी शताब्दी ई० पूर्व से चौथी शताब्दी ई. पूर्व तक एक प्रमुख शक्ति के रूप में मगध महाजनपद के शक्तिशाली होने के निम्नलिखित कारण थे:

1. भौगोलिक स्थिति : मगध की दोनो राजधानियों राजगृह और पाटलिपुत्र - सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित थी। राजगीर पाँच पहाड़ियों से घिरा एक दुर्ग के समान था वही पाटलिपुत्र गंगा, गंडक और सोन नदियों तथा पुनपुन नदी से घिरे होने के कारण एक जलदुर्ग के समान था।

2. लोहे के समृद्ध भंडार : मगध के दक्षिणी क्षेत्र आधुनिक झारखंड में लोहे के भंडार होने के कारण लोहे के हथियार एवं उपकरण आसानी से उपलब्ध थे।

3. उपजाऊ कृषि : मगध का क्षेत्र कृषि की दृष्टि से काफी उर्वर था। यहां के लोग अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर थे।

4. जलमार्ग से यातयात के साधन : गंगा तथा उसकी सहायक नदियों के समीप होने के कारण जलमार्ग से यात्रा सस्ता एवं आसान था।

5. हाथी की उपलब्धता : इस क्षेत्र के घने जंगलो में हाथी काफी संख्या में पाये जाते थे जिनका युद्ध में काफी महत्व था। हाथी से दलदल स्थान तथा दुर्गो को तोड़ने में काफी सहायता मिलती थी।

6. योग्य शासक : मगध के आरंभिक शासक बिंबिसार, अज्ञातशत्रु और महापद्मनंद आदि अत्यधिक योग्य एवं महत्वाकांक्षी थे। इनकी नीतियों ने मगध का विस्तार किया।

2. मौर्य प्रशासन के प्रमुख विशेषताओं की चर्चा कीजिए । अशोक के अभिलेखों में इनमें से कौन-कौन से तत्वों के प्रमाण मिलते हैं।

उत्तर : मौर्य प्रशासन के महत्वपूर्ण विशेषताएं निम्नलिखित हैं :

1. प्रमुख राजनीतिक केन्द्र: मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र और अन्य चार प्रांतीय केंद्र- तक्षशिला, उज्जयिनी, तोसलि और सुवर्णगिरी था। प्रत्येक प्रांत में एक राज्यपाल नियुक्त किए जाते थे। प्रान्तों को निर्देश सीधे राजा से प्राप्त होते थे। प्रांतों में काउंसिल ऑफ मिनिस्टर (मंत्रीपरिषद्) नियुक्त किए जाते थे।

2. अति केन्द्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था : मौर्य साम्राज्य में सारे अधिकार राजा के द्वारा निर्देशित होते थे। कौटिल्य ने राजा को धर्मप्रवर्तक अर्थात सामाजिक व्यवस्था का संचालक कहा है। अशोक ने अपने अभिलेखों में कहा है कि राजा का आदेश अन्य आदेशों से ऊपर है। मौर्य प्रशासन का प्रमुख राजा होता था, जो शासन का केंद्र बिंदु था। राजा कानून बनाने, लागू करने तथा न्यायिक शक्ति अंतिम रूप से अपने पास रखता था। अतः कहा जा सकता है कि मौर्य शासक स्वेच्छाचारी तथा निरंकुश थे।

3. मंत्रिपरिषद् : महत्वपूर्ण मामलों में राजा को परामर्श देने के लिए मंत्रिपरिषद् होती थी। मंत्रिपरिषद के सदस्यों की नियुक्ति रोजा स्वयं करता था जैसे प्रधानमंत्री, पुरोहित, सेनापति आदि। मंत्रिपरिषद वेतनभोगी होते थे। इनके निर्णय सर्वमान्य थे किन्तु राजा को विशेषाधिकार भी था, वह निर्णयों को मानने के लिए बाध्य नहीं था।

4. न्याय व्यवस्था : मौर्यो ने एक न्याय व्यवस्था स्थापित किया था जिसके मूल तत्वों को आज भी भारत में अनुकरण किया जाता है। सम्पूर्ण न्याय व्यवस्था का प्रधान न्यायधीश राजा होता था। नगरों व जनपदों के लिए अलग अलग न्यायधीश होते थे। नगरों के न्यायधीश राजक' कहलाते थे। ग्रामों में भी पंचायत होती थी जो छोटे-छोटे मुकदमों का फैसला करती थी। न्यायालय दो प्रकार के थे दीवानी मुकदमा (धन संबंधी) तथा फौजदारी मुकदमा। जिनके न्यायालय क्रमशः धर्मस्थीय और कंटक शोधन कहलाते थे। निचले न्यायालयों के विरुद्ध अपीलें बडे न्यायालयों में सुनी जाती थी। न्यायालयों द्वारा जुर्माना, अंग भंग तथा मृत्युदण्ड साधारण रूप में दिए जाते थे।

5. सैनिक व्यवस्था: राजा प्रधान सेनापति होता था तथा युद्ध में सेना का संचालन भी करता था। मौर्यो के पास विशाल वेतनभोगी सेना थी। वास्तव में वह युग सैनिक युग था तथा साम्राज्य की आधार सेना थी। मेगास्थनीज ने सैनिक गतिविधियों के संचालन के लिए एक समिति और छः उपसमितियों का जिक्र किया है जिसके अन्तर्गत नौसेना, यातायात व खान पान, पैदल सैनिकों, अश्वारोहियों, रथारोहियों तथा हाथियों का संचालन किया जाता था। यूनानी लेखक प्लिनी ने भी विशाल सेना का विवरण दिया है।

6. प्रशासनिक अधिकारी: सम्राट द्वारा नियुक्त अधिकारी विभिन्न कार्यो का निरक्षण करते थे। शीर्षस्थ अधिकारी तीर्थ कहलाते थे। सम्भव है अधिकारियों को नगद वेतन दिया जाता था। उचतम कोटि के अधिकारी थे- मन्त्री, पुरोहित, सेनापति और युवराज। इन्हें लगभग 48 हजार पण की भारी रकम मिलती थी (पण चाँदी का सिक्का) निचले दर्जे के अधिकारी को 60 पण मिलते थे।

7. गुप्तचर व्यवस्था : मौर्य शासकों ने गुप्तचर व्यवस्था को मजबूती से स्थापित किया था जो राजा को सूचना पहुँचाते थे। गुप्तचरों को चर या गूढपुरुष कहा जाता था। अर्थशास्त्र में दो प्रकार के गुप्तचरों का वर्णन है

1. संस्थाः जो संगठित होकर एक ही स्थान पर कार्य करते थे।

2. संचारः घुमक्कड़ गुप्तचर ।

8. लोक कल्याण की अवधारणा : अर्थशास्त्र लिखता है कि राज्य का खजाना लबालब भरा रहना चाहिए और उतनी ही तेजी से जन कल्याण में खर्च होना चाहिए। अशोक के अभिलेखों में मौर्य प्रशासन के प्रमुख तत्वों की झलक मिलती है-

1. अभिलेखों में प्रशासन के प्रमुख केन्द्र पाटलिपुत्र, तक्षशिला, उज्जैन, सुवर्णगिरी, तोसली आदि का उल्लेख हैं।

2. कलिंग अभिलेख में शासनाध्यक्ष को कुमार वहीं दूसरे अभिलेखों में आर्यपुत्र का जिक्र है।

3. अशोक के वृहत् शिलालेख में धर्म महामात्रों की V नियुक्ति का विवरण है।

4. अशोक स्तंभ लेख vii में धर्म महामात्रों के कर्तव्यों का जिक्र है

5. अभिलेखों में स्त्री अध्यक्ष महामात्रों का भी जिक्र हैं।

6. स्तम्भ लेख iv में राजुक के कार्य निर्देशित हैं।

7. अभिलेखों में गुप्तचरों को 24 घण्टे में कभी भी राजा से मिलने की अनुमति का उल्लेख है।

3. अशोक का धम्म क्या है? इसके मुख्य विशेषताओं को लिखें।

उत्तर : अशोक का धम्म एक सजग नैतिक सामाजिक आचार संहिता थी जिसमे अनेको आदर्श एवं आचार-व्यवहार का समावेश था। पारिवारिक और सामाजिक संबंधों में नैतिकता एवं प्रेम का आग्रह था। इसमें सदाचारी जीवन में जोर था, मध्यम मार्ग का अवलंबन था किंतु इसे मानने के लिए कोई दवाब नहीं था । अतः अशोक के धम्म में नीतियाँ सुझाई जाती थी और विवेक पर छोड़ दिया जाता था । अशोक का धम्म एक नैतिक सिद्धांत था जो समाज के परिपेक्ष्य में व्यक्ति के आचरण को परिभाषित करता था।

अशोक के धम्म की मुख्य विशेषताएँ-

1. सभी धर्मों का सार : अशोक का धम्म तत्कालिन सभी धर्मों का सार था। अशोक ने धम्म का सार अपने अनुभव एवं नैतिक ज्ञान से प्राप्त किया था। सभी धर्मों के मूल तत्व में लोक कल्याण, नैतिकता, आचरण आदि अच्छी बातें सुझाई जाती है। उन सबका सार धम्म में मिलता है।

2. प्रमुख धार्मिक सिद्धांत :

A. प्रत्येक व्यक्ति में सत्य, अहिंसा, करुणा, उदारता, पवित्रता, दानशीलता के गुणों का विकास करना

B. व्यक्ति के अवगुणों का जिसे अशोक पापमय आवेग कहता है जैसे क्रूरता, क्रोध, अहंकार, ईर्ष्या आदि का निषेध

C. सबसे उचित व्यवहार एवं सबका सम्मान विशेषकर दासों के प्रति।

D. व्यक्ति के अंदर पश्चाताप की भावना का विकास करता

E. व्यक्ति एवं संप्रदायों के बीच सहिष्णुता की भावना का विकास करना

3. सद्गुणों पर जोर: विभिन्न धर्मों के सद्गुणों जैसे प्रेम, सहिष्णुता, श्रद्धा, अहिंसा आदि को स्वीकार करने की त कही गई जबकि अवगुणों जैसे क्रोध, अहंकार, ईर्ष्या आदि का दमन करना।

4. अहिंसा पर जोर: अहिंसा धम्म का महत्वपूर्ण अंग था। 'अहिंसा परमो धर्मः' का पालन करने के लिए प्रजा को प्रेरित किया गया।

5. व्यावहारिक धर्म : धम्म में कर्मकांड और अनुष्ठानों पर जोर नहीं दिया गया बल्कि आचरण, कर्म की पवित्रता, ब्राह्मणों श्रमणों के प्रति आदर, पशुओं के प्रति दया आदि व्यावहारिक बातें शामिल थी।

6. विभित्र धर्मों में सहिष्णुता की भावना : किसी दूसरे धर्म एवं मत की निंदा नहीं करना बल्कि आपस में विचार विनिमय एवं आदर भाव रखते हुए आपसी एकता बनाए रखना।

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

भाग - 1

अध्याय क्रमांक

अध्याय का नाम

1.

ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ हड़प्पा सभ्यता

2.

राजा, किसान और नगर आरंभिक, राज्य और अर्थव्यवस्थाएँ ( लगभग 600 ई.पू. 600 ईसवी)

3.

बंधुत्व, जाति तथा वर्ग आरंभिक समाज (लगभग 600 ई.पू. 600 ईसवी)

4.

विचारक, विश्वास और इमारतें सांस्कृतिक विकास (लगभग 600 ई.पू. 600 ईसवी)

भाग - 2

5.

यात्रियों के नजरिए समाज के बारे में उनकी समझ (लगभग दसवीं से 17वीं सदी तक )

6.

भक्ति -सूफी परंपराएँ धार्मिक विश्वासों में बदलाव और श्रद्धा ग्रंथ (लगभग 8वीं से 18वीं सदी तक)

7.

एक साम्राजय की राजधानी : विजयनगर (लगभग 14वीं से 16वीं सदी तक )

8.

किसान, जमींदार और राज्य कृषि समाज और मुगल साम्राज्य (लगभग 16वीं और 17वीं सदी तक)

9.

शासक और विभिन्न इतिवृत : मुगल दरबार (लगभग 16वीं और 17वीं सदी तक )

भाग - 3

10.

उपनिवेशवाद और देहात सरकारी अभिलेखों का अध्ययन

11.

विद्रोही और राज 1857 का आंदोलन और उसके व्याख्यान

12.

औपनिवेशिक शहर नगर-योजना, स्थापत्य

13.

महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन सविनय अवज्ञा और उससे आगे

14.

विभाजन को समझना राजनीति, स्मृति, अनुभव

15.

संविधान का निर्माण एक नए युग की शुरूआत

Solved Paper of JAC Annual Intermediate Examination - 2023

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