प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 10
Social Science (Economics)
5. उपभोक्ता अधिकार
वस्तुनिष्ठ प्रश्न-
निम्न में से सही विकल्पों का चुनाव करें।
1. उपभोक्ता आंदोलन कब प्रारम्भ हुआ?
A.
1950
B.
1951
C.
1960
D.
1965
उत्तर:
C. 1960
2. सूचना का अधिकार अधिनियम कब पारित किया गया?
A.
अक्टूबर 2005
B.
जनवरी 2006
C.
मार्च 2006
D.
जुलाई 2007
उत्तरः
A. अक्टूबर 2005
3 खाद्य पदार्थों कि गुणवत्ता हेतु किस निशान का प्रयोग किया जाता है?
A.
WCF
B.
ISI
C.
ISO
D.
एगमार्क
उत्तरः
D. एगमार्क
4. MRP का पूर्ण अर्थ है?
A.
न्यूनतम खुदरा मूल्य
B.
अधिकतम खुदरा मूल्य
C.
A और Bदोनों
D.
इनमें से कोई नहीं
उत्तरः
B. अधिकतम खुदरा मूल्य
5 उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम COPRA कब बनाया गया?
A.
1985
B.
1986
C.
1987
D.
1990
उत्तर:
B. 1986
6. राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस कब मनाया जाता है?
A.
24 जनवरी
B.
15 जुलाई
C.
24 दिसम्बर
D.
इनमें से कोई नहीं
उत्तर
= C. 24 दिसम्बर
7. जिलास्तर कि अदालतों में कितनी राशि तक के मुकदमों कि सुनवाई होती
है?
A.
10 लाख रूपये
B.
20 लाख रूपये
C.
50 लाख रूपये
D.
इनमें से कोई नहीं
उत्तरः
B. 20 लाख रूपये
8. एक मेडिकल शॉप ने रमेश
को एक्सपायरी डेट कि दवा बेच दी जिसके तहत वह उपभोक्ता अदालत मे संपर्क कर सकता
है?
A.
सुरक्षा का अधिकार
B.
शिक्षा का अधिकार
C.
समानता का अधिकार
D.
निवारण का अधिकार
उत्तरः
A. सुरक्षा का अधिकार
9. सामान खरीदने समय हमें प्राप्त करना है?
A.
गारंटी कार्ड
B.
वारंटी कार्ड
C.
रसीद
D.
उपरोक्त तीनो
उत्तरः
D. उपरोक्त तीनो
10. जागो ग्राहक जागो एक नारा है?
A.
उपभोक्ता जागरण
B.
व्यवसाय जागरण
C.
कृषि जागरण
D.
इनमें से कोई नहीं
उत्तरः
A. उपभोक्ता जागरण
11. उपभोक्ता को जानकारी लेना चाहिए किसी वस्तु के....
A.
गुण का
B.
मात्रा का
C.
निर्माण सामग्री का
D.
उपरोक्त तीनों
उत्तरः
D. उपरोक्त तीनों
12. राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग से असंतुष्ट उपभोक्ता आदेश के कितने दिनों
के अंदर उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकता है?
A.
10 दिन
B.
20 दिन
C.
30 दिन
D.
45 दिन
उत्तरः
C. 30 दिन
13 उपभोक्ता अधिकारों की घोषणा सर्वप्रथम किस देश में हुई?
A.
जर्मनी
B.
रूस
C.
इंग्लैंड
D.
संयुक्त राज्य अमेरिका
उत्तरः
D. संयुक्त राज्य अमेरिका
14 उपभोक्ता द्वारा शिकायत करने के लिए आवेदन शुल्क कितना लगता है?
A.
50
B.
70
C.
10
D.
शुल्क नहीं लगता
उत्तर
: D. शुल्क नहीं लगता
15 वह प्रक्रिया जिसमें किसी खाद्यपदार्थ की गुणवत्ता को किसी अन्य
पदार्थ की मिलावट के माध्यम से कम किया जाता है?
A.
मिलावट
B.
दो पदार्थों का मिश्रण
C.
A और B दोनों
D.
इनमें से कोई नहीं
उत्तरः
A. मिलावट
16. बाजार में उपभोक्ता का शोषण किन रूप में होता है?
A.
अनुचित व्यापार
B.
कम वजन
C.
शुल्कों का जोड़
D.
उपरोक्त सभी
उतर:
D. उपरोक्त सभी
17 क्या बिल प्राप्त करना उपभोक्ता का अधिकार है?
A.
हां
B.
नहीं
C.
कोई नहीं
D.
उपरोक्त दोनों
उत्तर:
A. हां
18. उपभोक्ता संरक्षण में क्या नहीं आता है?
A.
काला बाजार
B.
मिलावट
C.
अधिक मूल वसूलना
D.
कम मूल्य वसूलना
उत्तरः
D. कम मूल्य वसूलना
19 अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सामग्री के मानक निर्धारक संस्था की स्थापना
कब हुई?
A.
1963
B.
1960
C.
1986
D.
1954
उत्तर:
A. 1963
20. हॉलमार्क लोगो किस वस्तु पर लगाया जाता है?
A.
सोने का आभूषण
B.
खाद्य वस्तुएं
C.
पेट्रोलियम पदार्थ
D.
इनमें से कोई नहीं
उत्तरः
A सोने का आभूषण
21. निम्नलिखित में से कौन सा भारत में मानकीकरण प्रमाण पत्र प्रदान
नहीं करता है?
A.
आई एस आई
B.
एगमार्क
C.
हॉलमार्क
D.
कोपरा
उतर:
D. कोपरा
22. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत कौन शिकायत कर सकता है?
A.
उपभोक्ता
B.
विक्रेता
C.
विदेशी व्यक्ति
D.
इनमें से कोई नहीं
उत्तरः
A. उपभोक्ता
23. क्या उपभोक्ता को आयोग में अपने मामले का प्रतिनिधित्व करने के
लिए एक वकील की आवश्यकता है?
A.
नहीं
B.
हां
C.
शायद
D.
इनमें से कोई नहीं
उत्तरः
A. नहीं
24 निम्नलिखित में से कौन सी उपभोक्ता विवाद निवारण एजेंसियां है?
A.
पंचायत आयोग
B.
नगर पंचायत
C.
राज्य आयोग
D.
इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
C. राज्य आयोग
25. हमारे देश में कितने उपभोक्ता संगठन है?
A.
700 से अधिक
B.
500 से अधिक
C.
300 से कम
D.
400 से कम
उत्तर:
A. 700 से अधिक
26. उपभोक्ता आंदोलन से क्या अभिप्राय है?
A.
समझदार उपभोक्ता के रूप में जागरूक होना
B.
नई दिशा प्रदान करना
C.
सक्रिय भागीदारी
D.
यह सभी
उत्तर:
D. यह सभी
27. जागरूक उपभोक्ता बनने के लिए किन बातों की आवश्यकता होती है?
A.
सक्षम होना
B.
निपुणता
C.
ज्ञान व सचेत
D.
उपरोक्त सभी
उत्तर:
D. उपरोक्त सभी
28 निम्नलिखित में से कौन सार्वजनिक सेवाओं के अंतर्गत आता है?
A.
डाक सेवाएं
B.
मोबाइल सेवाएं
C
वाशिंग मशीन के बिक्री के बाद सेवाएं
D.
इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
A. डाक सेवाएं
29 पैकेट पर दी गई जानकारी किस प्रकार कीहोती है?
A.
निर्माण की तिथि
B.
एक्सपायरी डेट
C.
मूल्य
D.
यह सभी
उत्तरः
D. यह सभी
30. उपभोक्ता अधिकार क्या है?
A.
अपने अधिकार प्राप्त करना
B.
अन्याय को रोकना
C.
सुरक्षा
D.
व्यापारियों की मनमानी को रोकना
उत्तरः
A. अपना अधिकार प्राप्त करना
निम्न प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दें।
31. रेजी मैथ्यू ने उपभोक्ता निवारण समिति मैं कितनी मुआवजे की राशि
का दावा की?
उत्तर
- 500000
32. प्रकाश ने अपनी शिकायत कहां दर्ज कराया?
उत्तर-
प्रकाश ने अपनी शिकायत उपभोक्ता फोरम में दर्ज कराया
33. उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए कौन सा नारा दिया गया।
उत्तर
- जागो ग्राहक जागो।
34. भारत सरकार ने उपभोक्ताओं को न्याय दिलाने के लिए किस प्रणाली का
गठन किया?
उत्तर
- त्रिस्तरीय प्रणाली का जिला मंच राज्य आयोग और राष्ट्रीय आयोग।
35. बाजार में नियम एवं विनियम क्यों बनाया गया?
उत्तर-
बाजार में नियम एवं विनियम उपभोक्ता की सुरक्षा के लिए बनाया गया।
36. RTI का पूर्ण रूप क्या है?
उत्तर
- RIGHT TO INFORMATION
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
37. उपभोक्ता किसे कहते हैं?
उत्तरः
कोई भी व्यक्ति जो अंतिम वस्तुओं का उपयोग करता हैउसे उपभोक्ता कहते हैं।
38. उपभोक्ता के शोषण के दो मुख्य कारण बताएं?
उत्तरः
उपभोक्ताओं को सूचना का अभाव।
उपभोक्ता
वर्ग का अशिक्षित होना।
39. बाजार का क्या अर्थ है?
उत्तर-
किसी भी स्थान पर विक्रेता एवं क्रेता के द्वारा क्रय विक्रय किया जाता है उसे बाजार
कहते हैं।
40. उपभोक्ता सुरक्षा कानून 1986 क्यों बनाया गया?
उतर
उपभोक्ताओं को संरक्षण उपभोक्ताओं को जागरूक करने एवं शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए
उपभोक्ता सुरक्षा कानून 1986 बनाया गया।
41. वस्तुओं की गुणवत्ता का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर
- भारत में वस्तुओं की गुणवत्ता का निर्धारण विभिन्न वस्तुओं में विभिन्न प्रकार के
मार्क का प्रयोग करके किया जाता है जैसे आई एस आई, एगमार्क, हॉलमार्क इत्यादि।
42. रेजी मैथ्यू ने अपनी शिकायत कहां दर्ज कराई?
उत्तरः
रेजी मैथ्यू ने अपनी शिकायत उपभोक्ता शिकायत केंद्र में दर्ज कराई और अपना अधिकार लिया।
43. रमेश एक बिस्किट का पैकेट खरीदता है रमेश को क्या ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर
रमेश जब बिस्किट का पैकेट खरीदेगा तो वह निर्माण की तिथि, एक्सपायरी डेट, एवं एग्मार्क
का चिन्ह पर ध्यान देगा।
लघु उत्तरीय प्रश्न
44. सूचना के अधिकार से आप क्या समझते है?
उत्तर-
सूचना के अधिकार का अर्थ है कोई भी व्यक्ति अभिलेख, ईमेल द्वारा निर्गत आदेश, दस्तावेज,
नमूने और इलेक्ट्रॉनिक आंकड़ों, इत्यादि के रूप में ऐसी सूचना प्राप्त कर सकता है जिसकी
उसे आवश्यकता है यह वर्ष 2005 में एक कानून के तहत पूरे देश में लागू किया गया।
सूचना
अधिकार के तहत कोई भी व्यक्ति अपना आवेदन दे सकता है और आवेदन के 30 दिनों के अंदर
व्यक्ति को सूचना उपलब्ध कराई जाती है।
यह
आम जनता के हाथों में एक बड़ी शक्ति है।
45. आप उपभोक्ता के रूप में अपने कुछ कर्तव्य का वर्णन करें ?
उत्तरः
उपभोक्ता अपने कर्तव्यों का निर्वहन जागरूक होकर एवं वस्तुओं के बारे में सही सूचना
प्राप्त कर अपने कर्तव्यों का पालन कर सकता है जो निम्न है:-
उपभोक्ताओं
को वस्तु खरीदते समय रसीद जरूर लेने चाहिए।
उपभोक्ताओं
को वस्तु खरीदते समय वस्तु की गुणवत्ता एवं मात्रा की जांच कर लेनी चाहिए।
वस्तु
की गुणवत्ता का चिन्ह जैसे आई एस आई, एगमार्क की जांच कर लेनी चाहिए।
वस्तु
की गारंटी एवं वारंटी के साथ एक्सपायरी डेट की जांच कर लेनी चाहिए।
उपभोक्ताओं
कोउपभोक्ता संगठन बनाना चाहिएजिससे उपभोक्ता अपने अधिकार की मांगकर सकते हैं।
हमें
उपभोक्ता के रूप मेंअपने अधिकारों कीजानकारी रखनी चाहिए और समय आने परमांग भी करनी
चाहिए।
इस
प्रकार हम उपभोक्ता के रूप में अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सकते हैं।
46. उपभोक्ता का शोषण किन- किन कारणों के द्वारा होता है?
उत्तर
- आज के इस आधुनिक बाजार में उपभोक्ताओं का शोषण कई प्रकार से किया जाता है जिनमें
से कुछ कारण निम्न हैः-
(i)
दुकानदार के द्वारामिलावटी वस्तुओं की आपूर्ति करके।
(ii)
नकली वस्तुओं का उत्पादन ।
(iii)
एमआरपी से अधिक कीमत वसूल करके।
(iv)
विक्रेता द्वारावस्तुओं कामाप-तोल में कमी करके।
(v)
विक्रेताओं द्वारा वस्तुओं का विक्रेताओं को सही जानकारी नहीं देना।
(vi)
वस्तुओं में सुरक्षा उपकरण की कमी करके।
इन
प्रक्रियाओं के द्वारा उपभोक्ताओं का शोषण लगातार बढ़ता ही जा रहा है जिससे कम करने
की आवश्यकता है।
47. भारत में किन कारणों से उपभोक्ता जागरूकता आंदोलन का प्रारंभ हुआ?
संक्षेप में वर्णन करें?
उत्तरः
आधुनिक भारत में उपभोक्ताओं के शोषण एक पुरानी समस्या है भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण
और व्यापार के विस्तार के साथ समस्या और भी बढ़ गई है उत्पादन प्रक्रिया से सरकार ने
अपना नियंत्रण लगभग हटा दिया है।
भारत
में उपभोक्ता शोषण और भी गंभीर होती जा रही है जिसके कारण उपभोक्ता जागरुकता आंदोलन
प्रारंभ हुआ भारतीय संसद में 24 दिसंबर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पारित किया
जिसे उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है और उपभोक्ता जागरूकता को विस्तार करने
का प्रयास किया जा रहा है।
(i)
भारत में उदारीकरण के कारण उत्पादन प्रक्रिया में अत्याधिक विस्तार हुआ इसके कारण नकली
वस्तुओं का निर्माण होने लगा
(ii)
भारत में सूचना तकनीकी की कमी के कारण उपभोक्ता तक सही सूचना नहीं पहुंच पाती है और
शोषण होता है।
(iii)
विक्रेताओं द्वारा उपभोक्ताओं को वस्तुओं के बारे में सही जानकारी नहीं दिया जाता जिससे
उपभोक्ता गलत चुनाव कर लेते हैं।
(iv)
भारत में विक्रेताओं द्वारा वस्तु बिक्री के बाद की सेवाएं प्रदान नहीं की जाती है।
(v)
भारत में बहुतसे उपभोक्ता उपभोक्ता शिकायत केंद्र तक नहीं पहुंच पाते हैं और शोषण का
शिकार होते हैं।
इन
सब कारणों के कारण भारत में उपभोक्ता जागरूकता आंदोलन की शुरुआत हुई और यह आंदोलन धीरे-धीरे
पूरे भारत में फैल रही है जिससे उपभोक्ताओं में जागरूकता का विस्तार हो रहा है।
48. उपभोक्ता सुरक्षा कानून 1986 में उपभोक्ताओं के अधिकारों का वर्णन
करें?
उत्तरः
भारत में उपभोक्ता सुरक्षा कानून 24 दिसंबर 1986 को भारतीय संसद के द्वारा पारित किया
गया जिसके अंतर्गत उपभोक्ताओं को कई प्रकार के अधिकार दिए गए जो निम्न
(i)
चुनने का अधिकार- उपभोक्ता विभिन्न वस्तुओं की जांच परख कर खरीदने हेतु स्वतंत्र है
वे किसी भी वस्तु का चुनाव कर सकते हैं।
(ii)
सूचना का अधिकारः उपभोक्ता सूचना के अधिकार के अंतर्गत वस्तुओं की गुणवत्ता, मात्रा,
एवं शुद्धता का स्तर और मूल्य की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
(iii)
स्रक्षा का अधिकार- उपभोक्ताओं को यह अधिकार है कि कि वे उन वस्तुओं के बिक्री से अपना
बचाव कर सकते हैं जो उनके जीवन और संपत्ति के लिए खतरनाक है
(iv)
शिकायतें निपटाने का अधिकार उपभोक्ताओं के शोषण एवं अनुि अनुचित व्यापारिक क्रियाओं
के विरुद्ध निदान और शिकायतों को सही प्रकार से निपटाए जाने का अधिकार प्राप्त है।
(v)
सुनवाई का अधिकार -भारत में लगभग 700 से अधिक उपभोक्ता शिकायत केंद्र हैं जहां उपभोक्ता
के हितों से जुड़े शिकायतों का निवारण किया जाता है।
(vi)
उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार 1986 के कानून में प्रावधान है कि उपभोक्ताओं को शिक्षित
एवं जागरूक करने के लिए अधिकार दिए गए हैं।
इस
प्रकार से उपभोक्ता सुरक्षा कानून 1986 में उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रकार के अधिकार
दिए गए हैं जिसके अंतर्गत उपभोक्ताओं को बहुत हद तक सुरक्षा प्रदान हो रहा है
49. उपभोक्ता जागरूकता क्यों आवश्यक है?
उत्तर
- वैश्वीकरण एवं उदारीकरण देश के इस युग में उपभोक्ता जागरूकता की विशेष आवश्यकता है
क्योंकि उत्पादन की होड़ में वस्तुओं की गुणवत्ता मात्रा एवं मूल्य से संबंधित दोष
उत्पन्न हो रहे हैं जिसका सीधा प्रभाव उपभोक्ता पर पड़ रहा है।
(i)
उपभोक्ता की सुरक्षा के लिए नियम एवं विनियम का निर्माण काफी नहीं है इन नियमों के
प्रति उपभोक्ता को जागरूक रहना चाहिए जिससे उसकी सुरक्षा हो सकती है।
(ii)
उपभोक्ता जागरूकता से उत्पादकों एवं विक्रेताओं द्वारा उपभोक्ताओं के शोषण पर लगाम
लगाई जा सकती है। माप तौल में गड़बड़ी गलत सामान या गलत सूचना देकर सामान बेचने पर
उपभोक्ता अपने यथोचित अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं।
(iii)
उपभोक्ताओं के जागरूक होने से उपभोक्ता सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा तथा विक्रेताओं के
अनैतिक एवं अनुचित व्यवस्थापर रोक लगेगी।
(iv)
उपभोक्ता जागरूक होने से वह गुणवत्तापूर्ण वस्तु एवं उचित मूल्य पर क्रय कर सकता है।
(v)
जागरूकता ही बचाव का उपाय है।
इस
प्रकार से उपभोक्ता जागरूक होकर अपने जीवन शैली को सुधार सकता है इसलिए उपभोक्ता जागरूकता
आवश्यक है।
50. उपभोक्ता अदालत एवं उपभोक्ता संरक्षण परिषद में अंतर स्पष्ट करें?
उत्तर-
उपभोक्ता अदालत एवं उपभोक्ता संरक्षण परिषद में अंतर निम्न हैः-
उपभोक्ता
अदालत- भारत सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत त्रिस्तरीय न्याय तंत्र
स्थापित किया है जिन्हें जिला मंच, राज्य आयोग, एवं राष्ट्रीय आयोग अदालतों का निर्माण
किया गया है जहां उपभोक्ता की शिकायतों का निवारण होता है एवं उपभोक्ताओं को न्याय
प्राप्त होता है।
उपभोक्ता
संरक्षण परिषद भारत में लगभग 700 से अधिक उपभोक्ता संगठन है भारत में उपभोक्ता आंदोलन
ने विभिन्न ऐच्छिक संगठनों का निर्माण हुआ है जिन्हें उपभोक्ता फोरम या उपभोक्ता संरक्षण
परिषद के नाम से जाना जाता है यह एक प्रकार का कानूनी उपाय है जो भारत सरकार के
1986 अधिनियम के द्वारा अपनाया गया है।
51. उपभोक्ता अपने एकजुटता का प्रदर्शन कैसे करते हैं?
उत्तर
- उपभोक्ता अपनी एकजुटता को दर्शाने के लिए निम्न माध्यमों को अपनाते हैं:-
आपसी
सहयोग उपभोक्ता संगठन उपभोक्ताओं को अदालत में मुकदमा दायर करने के संबंध में दिशा
निर्देश देते हैं और सहायता करते हैं यह संगठन व्यक्तिगत उपभोक्ता के लिये उपभोक्ता
अदालत में प्रतिनिधित्व भी करते हैं और न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
संगठन
निर्माण के द्वारा उपभोक्ताओं के द्वारा आपस में मिलकर एक संगठन का निर्माण किया जाता
हैं जिसमें अध्यक्ष, सदस्य, एवं अन्य व्यक्ति सम्मिलित होते हैं जब भी कोई आंदोलन करना
होता है तो ये संगठन आम व्यक्तियों का नेतृत्व करते हैं इन्हें उपभोक्ता मंच या उपभोक्ता
संरक्षण परिषद के नाम से भी जाना जाता है इस तरह से संगठन का निर्माण करते हैं
उपरोक्त
माध्यम के द्वारा उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन करते हैं।
52. बाजार में नियम एवं विनियम की आवश्यकता क्यों पड़ती है ? कुछ उदाहरण
देकर समझाएं।
उत्तर-
बाजार में विभिन्न प्रकार की वस्तुएं बिक्री के लिए होती हैं जैसे खाने की वस्तुएं,
कपड़े, जूते, इलेक्ट्रॉनिक सामान, रसोई के सामान इत्यादि।
विभिन्न
प्रकार के सामान की जानकारी उपभोक्ताओं को पूरी तरह से नहीं मिल पाती है इसलिए बाजार
में सुरक्षा अति आवश्यक है इन कारणों से बाजार में नियम एवं विनियम की आवश्यकता पड़ती
है।
(i)
सीमित सूचना सीमितसूचना ने बाजार में उपभोक्ताओं की सुरक्षा को आवश्यक बना दिया है।
सीमित
सूचना- आधुनिक युग में सूचना के माध्यम बहुत है जैसे -रेडियो, टेलीविजन, समाचार, पत्र
के द्वारा कंपनियां वस्तुओं की गुणों को अति बढ़ा चढ़ाकर उपभोक्ताओं को बताते हैं जिससे
उपभोक्ता उस वस्तु की ओर आकर्षित हो जाते हैं और कंपनियां मनमाने मूल्य वसूलते है इस
प्रकार उपभोक्ता ठगे जाते हैं कहावत है "हर चमकने वाली वस्तु सोना नहीं होती।
(ii)
सीमित प्रतिस्पर्धा- प्राय देखा जाता है कि कि कुछ वस्तुओं के उत्पादन में कोई प्रतिस्पर्धा
नहीं होती यदि होती है तो बहुत कम ऐसे में एक उत्पादक वस्तु के उत्पादन एवं वितरण में
अपना एकाधिकार स्थापित कर लेता है जैसे- दवाइयां डॉक्टर उपकरण वाहन, मकान इत्यादि जिनके
वितरण में उत्पादक एवं विक्रेता अपनी मनमानी करने लगते हैं और उपभोक्ताओं को ऊंचे मूल्य
चुकाने पड़ते हैं कभी- कभी ऐसी भी संभावना होती हैं कि उन्हें उत्तम प्रकार की सामग्री
या वस्तु ना मिले इन सभी कारणों के कारण बाजार में नियम एवं विनियम की आवश्यकता पड़ती
है।
निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए?
1
एक उत्पाद के घटकों का विवरण
2
एगमार्क
3.
स्कूटर में खराब इंजन के कारण हुई दुर्घटना
4.
जिला उपभोक्ता अदालत विकसित करने वाली एजेंसी
5.
उपभोक्ता इंटरनेशनल
6.
भारतीय मानक ब्यूरो
(क)
सुरक्षा का अधिकार
(ख)
उपभोक्ता मामलों से संबंध
(ग)
अनाजों और खाद्य तेल का प्रमाण
(घ)
उपभोक्ता कल्याण संगठन की अंतर्राष्ट्रीय संस्था
(ड)
सूचना का अधिकार
(च)
वस्तुओं और सेवाओं के लिए
उत्तर- (1)-(5), (2)-(ग), (3)-(क), (4)-(ख), (5)-(घ), (6)-(च)
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
54. उपभोक्ता दलों द्वारा कौन-कौन से उपाय अपनाए जा सकते हैं समझाएं?
उत्तर-भारत
में उपभोक्ता दलों द्वारा विभिन्न प्रकार के उपाय अपनाकर उपभोक्ताओं को जागरूक करते
हैं जिससे उनका संरक्षण हो सके बाजार में मूल्य नियंत्रण हो सके गुणवत्तापूर्ण वस्तुओं
का उत्पादन हो सके जागरूकता फैलाकर -उपभोक्ता जब कोई सामान खरीदता है तो उसे वस्तुओं
की गुणवत्ता पर, मूल्यपर ध्यान देना चाहिए।
नाटक
का प्रयोग - उपभोक्ता दलों द्वारा जगह जगह पर नाटकों का प्रयोग करके उपभोक्ताओं को
जागरूक करने का कारण किया जाता है।
कानूनों
का पालन - उपभोक्ता संगठनों द्वारा उपभोक्ताओं के हितों के लिए अनुचित व्यवस्थाको सुधारने
के लिए व्यवसायिक कंपनियों और सरकार पर दबाव बनाते हैं।
मीडिया
का प्रयोग- उपभोक्ता दोनों द्वारा मीडिया का प्रयोग करके उपभोक्ताओं को जागरूक करते
हैं उत्पादकों की कार्यशैली पर प्रश्न करते हैं सरकार पर दबाव बनाते हैं एवं समाचार
पत्रों के द्वारा उपभोक्ताओं के कर्तव्य का प्रकाशन करते हैं जिससे जागरूकता में वृद्धि
होती हैं और उपभोक्ता सुरक्षित होते हैं।
संचार
माध्यमों का प्रयोग उपभोक्ता संगठन संचार के माध्यमों का प्रयोग करके उपभोक्ताओं को
जागरूक करते हैं उनके कर्तव्य को दर्शाते हैं जिससे उपभोक्ता जागरूक होते हैं जैसे
"जागो ग्राहक जागो" इत्यादि।
बाजार
नियमों का पालन उपभोक्तादल का मुख्य कार्य है कि यह देखा जाए कि बाजार में क्रय विक्रय
में बाजार नियमों का पालन किया जा रहा है या नहीं जैसे स्टॉक रजिस्टर वस्तुओं की गुणवत्ता
की जांच वस्तुओं के क्रय के बाद की सेवाएं उपभोक्ताओं को दी जा रही है या नहीं।
इस
प्रकार से उपभोक्ता संगठन उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए उपयुक्त कार्यशैली को अपनाकर
उत्पादक वर्गों पर दबाव बनाते हैं सरकार पर दबाव बनाते हैं जिससे उत्पादित वस्तुओं
की गुणवत्ता में वृद्धि होती है और उपभोक्ताओं तक शुद्ध वस्तुएं पहुंच पाती है।
55 उपभोक्ताओं के सशक्तिकरण लिए भारत सरकार के द्वारा किन कानूनी मापदंडों
को लागू किया गया है। समझाएं?
उत्तर
- वैश्वीकरण एवं उदारीकरण के इस युग में उपभोक्ताओं को समर्थ बनाने के लिए भारत सरकार
ने कई मापदंडों को लागू किया जैसे कानूनी प्रशासनिक एवं तकनीक मापदंड।
(i)
उपभोक्ता के अधिकारों संबंधी कानून- भारत सरकार ने 24 दिसंबर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण
अधिनियम लागू किया जिसमें उपभोक्ता के संरक्षण के लिए कई प्रावधान है।
सर्वप्रथम
राष्ट्रीय राज्य एवं जिला स्तर पर तीन स्तरीय उपभोक्ता अदालतों का निर्माण किया गया
है राष्ट्रीय स्तर पर इसे राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग कहा जाता है राज्य स्तर पर राज्य
आयोग और जिला स्तर पर जिला मंच कहा जाता है इन संस्थाओं पर उपभोक्ता के द्वारा शिकायत
करने पर जल्द कार्यवाही शुरू कर दी जाती है यदि शिकायत सही है तो उपभोक्ता को क्षतिपूर्ति
भी प्रदान की जाती है।
(क)
विक्रेता को निर्देश दिया जाता है की वस्तु में पाए जाने वाले त्रुटि को ठीक करें।
(ख)
खराब वस्तु के बदले नई वस्तु ग्राहक को दिया जाए (ग) विक्रेता के द्वारा उपभोक्ता को
होने वाली हानि की पूर्ति की जाए।
(घ)
भविष्य में खराब वस्तु नहीं बेचने की हिदायत दी जाती है
(ड)
कंपनी पर जुर्माना भी लगाया जाता है।
(ii)
प्रशासनिक मापदंड सरकार ने कालाबाजारी एवं अधिक मूल्य वसूली को रोकने के लिए सार्वजनिक
वितरण प्रणाली की दुकान के द्वारा रोक लगाने का प्रयास किया गया है।
(iii)
तकनीकी मापदंड तकनीकी मापदंड के अंतर्गत विभिन्न वस्तुओं का मानकीकरण करना है वस्तुओं
की गुणवत्ता की जांच करके एगमार्क, आई एस आई इत्यादि की मुहर लगाई जाती है खाद्य वस्तुओं
के लिए एगमार्क चिन्हका प्रयोग किया जाता है यह चिन्ह प्रमाण देते हैं की वस्तु शुद्ध
है।
इस
प्रकार से भारत सरकार के द्वारा उपभोक्ताओं को समर्थ बनाने के लिए विशेष मापदंड अपनाए
गए जिनसे उपभोक्ता सुरक्षा में बहुत सुधार हुआ है।
56 उपभोक्ता शोषण का क्या अर्थ है, उपभोक्ताओं के शोषण के उत्तरदायी
कारणों का वर्णन करें?
उत्तर
- उपभोक्ता शोषण का अर्थ है कि किसी उपभोक्ता को विक्रेता द्वारा वस्तु की मात्रा में
कमी, नकली वस्तु, मिलावटी वस्तुएं, एवं वस्तुओं के बारे में गलत जानकारी देने से है।
अर्थात
जब कोई क्रेता विक्रेता से कोई सामान खरीदता है तो विक्रेता के द्वारा गलत सम्मान दिया
जाना उपभोक्ताओं का शोषण कहलाता है।
उपभोक्ता
का शोषण कई प्रकार से किया जाता है जिनमें से कुछ निम्न है:-
(i)
आकर्षक विज्ञापन संचार के माध्यमों से कंपनियां अपनी वस्तुओं की गुणवत्ता को बढ़ा चढ़ा
कर बताते हैं जिससे उपभोक्ता आकर्षित हो जाते हैं औरशोषण का शिकार हो जाते हैं।
(ii)
सूचना का अभाव उपभोक्ताओं तक सही सूचना नहीं पहुंच पाती है उपभोक्ताओं को क्रय संबंधी
नियम की जानकारी नहीं हो पाती है औरगलत वस्तुओं का क्रय कर लेते हैं।
(iii)
वस्तु की आपूर्ति में कमी- विक्रेताओं द्वारा कभी-कभी कालाबाजारी एवं जमाखोरी की जाती
है जिसके कारण बाजार में वस्तुओं में कमी आ जाती है और विक्रेता मनमाना मूल्य वसूली
करते हैं।
(iv)
अशिक्षा -आज भी भारत में एक बड़ी जनसंख्या अशिक्षित है अशिक्षित व्यक्ति क्रय के नियमको
नहीं जान पाते हैं वे दुकानदार के कहे अनुसार वस्तु का क्रय करते हैं।
(v)
एकाधिकार की स्थिति-कभी देखा जाता है की कुछ वस्तुओं में किसी कंपनी का एकाधिकार हो
जाता है और वह वस्तुओं का मूल्य अपने अनुसार तय करता है जिससे वस्तुओं का मूल्य में
वृदधि हो जाती है जैसे दवाइयां, मेडिकल उपकरण इत्यादि।
उपरोक्त
कारण के द्वारा भारत में आज भी उपभोक्ताओं का शोषण किया जा रहा है भारत सरकार ने उपभोक्ता
संरक्षण अधिनियम 1986 के द्वारा एवं उपभोक्ता जागरण के द्वारा उपभोक्ताओं का शोषण में
कमी नजर आ रही है।
57 नियम एवं कानून होने के बावजूद उनका अनुपालन नहीं होता है क्यों
वर्णन कीजिए?
उत्तर-
भारत में उपभोक्ता की सुरक्षा के लिए नियम एवं कानून बने हुए हैं जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 है नियम एवं कानून होने के बावजूद भी उनका अनुपालन सही
ढंग से नहीं हो पा रहा है जिसके कुछ कारण निम्न है।
(i)
कर्मचारियों का नैतिक पतन - नियम एवं कानून का लागू होने के बावजूद अनुपालन नहीं होना
अर्थात इसमें कर्मचारियों का नैतिक पतनशामिल है क्योंकि वह भ्रष्ट व्यापारियों एवं
दुकानदारों से मिले हुए होते हैं और उन्हें बच निकलने का अवसर प्रदान करते हैं।
(ii)
राजनीतिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार -बड़े व्यापारियों, राजनेता एवं प्रशासनिक
अधिकारी भी मिले हुए होते हैं जिससे नियमों का अनुपालन नहीं हो पाता है।
(iii)
उपभोक्ता की अज्ञानता अर्थशास्त्र में उपभोक्ता को विवेकशील माना जाता है परंतु हमारे
देश में आज भी एक बड़ी जनसंख्या अशिक्षित है जिसके कारण उन्हें नियमों का पता नहीं
होता है।
(iv)
मांग एवं पूर्ति में असंतुलन - अर्थशास्त्र में मांग एवं पूर्ति में संतुलन करके कीमत
का निर्धारण किया जाता है परंतु व्यापारियों द्वारा मांग एवं पूर्ति को असंतुलित कर
दिया जाता है और वस्तुओं की कीमत को बढ़ा दिया जाता है जिससे उत्पादक को लाभ प्राप्त
होता है।
(v)
प्रतियोगिता -कभी-कभी बाजार में प्रतियोगिता का अभाव पाया जाता है किसी वस्तु में किसी
व्यापारी के द्वारा एकाधिकार प्राप्त कर लिया जाता है और नियमों को ताक में रखकर वस्तु
का मूल्य निर्धारण किया जाता है जिसमें व्यापारियों के साथ-साथ अधिकारियों की भी मिलीभगत
होती है।
उपरोक्त
तथ्यों के द्वारा नियम एवं विनियम के होते हुए भीउनका अनुपालननहीं किया जाता हैऔर उपभोक्ताओं
को शोषण का शिकार बनाया जाता हैजिसे सरकार के द्वारा रोकने के लिए उपभोक्ता संरक्षण
अधिनियम 1986 बनाया गया जिससे काफी हद तक सुधार हुआ है
58 भारत में उपभोक्ता आंदोलन की प्रगति का वर्णन करें?
उत्तर
-भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात खाधान की अत्यधिक कमी होने के कारण जमाखोरी
और कालाबाजारी बहुत बढ़ गई थी।
अत्यधिक
लाभ कमाने के लालच में उत्पादक एवं विक्रेता खाद्य पदार्थों की एवं खाद्य तेल जैसी
वस्तुओं में मिलावट करने लगे थे इसके विरोध में हमारे देश में उपभोक्ता आंदोलन एक संगठित
रूप में प्रारंभ हुआ हमारे देश में उपभोक्ता आंदोलन 1960 ईस्वी के दशक में प्रारंभ
हुआ उस समय सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन बहुत दोषपूर्ण था राशन दुकानों के विक्रेता
प्रायउपभोक्ताओं को निर्धारित मात्रा में तथा उचित समय पर वस्तुओं की पूर्ति नहीं करते
थे, और मनमानी करते थे उपभोक्ता संगठनों ने इन पर निगरानी रखना शुरू किया और अधिकारियों
के पास शिकायत दर्ज कराने लगे यह संगठन सार्वजनिक सेवाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार का
विरोध करने लगे उपभोक्ता संगठनों में वृद्धि होने लगी और उपभोक्ता जागरूक होने लगे।
उपभोक्ता
आंदोलन को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने कई उपाय किए सरकार द्वारा 1986 में उपभोक्ता
संरक्षण अधिनियम पारित किया गया या एक अत्यंत प्रगतिशील एवं व्यापक कानून है जहां उपभोक्ताओं
की हितों की रक्षा के लिए उपभोक्ता फोरम से लेकर न्यायालय तक स्थापित किए गए अभी देश
में 700 से भी अधिक और सरकारी एवं गैर सरकारी उपभोक्ता संगठन है सरकार इन्हें संगठित
करने में प्रयासरत है।
इस
प्रकार से भारत में उपभोक्ता आंदोलन के प्रयास से उपभोक्ता जागरूक होने लगे और अपने
अधिकार के प्रति सचेत होनेलगे जिससे भारत में कालाबाजारी एवं जमाखोरी में कमी होने
लगी आज भारत में उपभोक्ता आंदोलन को जन जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। भारत में उपभोक्ताओं
के बीच जागरूकता जोर शोर से विकास पर है।
59. उपभोक्ता संरक्षण हेतु सरकार द्वारा गठित न्यापिक प्रणाली (त्रिस्तरीय)
को विस्तार से समझाएं?
उत्तर-
भारत में उपभोक्ता संरक्षण हेतु सरकार ने 24 दिसंबर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
पारित किया जिसमें सरकार के द्वारा न्यायिक प्रणाली को तीन स्तरों में बाटा गया जिसका
वर्णन निम्न है
(i)
राष्ट्रीय आयोग यह राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करती है अर्थात पूरे देश के लिए कार्य करते
हैं उन मामलों पर सीधी सुनवाई करती है जो एक करोड़ से अधिक का हो राष्ट्रीय आयोग में
पूरे देश के लोग अपने शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
(ii)
राज्य स्तरीय आयोग यह प्रत्येक राज्य में स्थित होता है इस आयोग के अंतर्गत
2000000 से एक करोड़ तक की राशि के दावा की सीधी सुनवाई करती है राज्य स्तरीय आयोग
पूरे राज्य के लिए कार्य करते हैं।
(iii)
जिला स्तर पर जिला मंच फोरम इसकी प्रत्येक व्यवस्था प्रत्येक जिले में की गई है या
2000000 रुपए से कम मामलों की सुनवाई करती है। जिला फोरम पूरे जिले के लिए कार्य करते
हैं उस जिले के कोई भी व्यक्ति अपनी शिकायत यहां दर्ज करा सकता है यदि किसी स्थिति
में कोई उपभोक्ता राष्ट्रीय फोरम के फैसले से असंतुष्ट होता है तो वह राष्ट्रीय आयोग
के फैसले के 30 दिनों के भीतर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है।
भारत
सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण के लिए जिला स्तर पर राज्य स्तर पर एवं राष्ट्रीय स्तर पर
अर्थात त्रिस्तरीय न्यायिक प्रणाली का गठन किया है जिससे उपभोक्ता संरक्षण में उपभोक्ताओं
की शिकायतों का निवारण किया जाता है।
60. एक उपभोक्ता अपने शिकायत किस प्रकार दर्ज करा सकता है समझाएं?
उत्तर-
भारत में उपभोक्ता के शिकायत के लिए त्रिस्तरीय न्याय प्रणाली गठित की गई है जिसमें
उपभोक्ता अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है प्रत्येक उपभोक्ता को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
1986 के अंतर्गत अपनी शिकायत को उपभोक्ता फोरम मे रखने का अधिकार प्रदान किया गया है
इसके
अनुसार उपभोक्ता अपनी शिकायत को एक सादे कागज पर विस्तृत विवरण जिनमें निम्नलिखित बातों
का उल्लेख प्रस्तुत करना होता है।
(i)
शिकायतकर्ता एवं विपरीत पार्टी का नाम तथा पता
(ii)
शिकायत से संबंधित कारण एवं विवरण
(iii)
शिकायत हेतु आरोपों के समर्थन में दस्तावेज
(iv)
शिकायत पर आवेदक अथवा उसके प्राधिकृत एजेंट के हस्ताक्षर
शिकायतकर्ता
उपयुक्त तथ्यों के आधार पर उपभोक्ता शिकायत केंद्र पर जाकर आवेदन दे सकता है
उपभोक्ता
के पास शिकायत हेतु दस्तावेज में जैसे रसीद और वस्तुओं का गारंटी या वारंटी कार्ड और
दुकानदार का पूरा पता दोषपूर्ण वस्तुओं का साक्ष्य होना चाहिए उपभोक्ता अपने केस की
पैरवी के लिए सक्षम हो तो खुद या कोई वकील भी रख सकता है और शिकायतकर्ता विपरीत पार्टी
के खिलाफ अपनी बातों को साक्ष्य के साथ फोरम में रख सकता है यदि उसके साक्ष्य सही पाए
जाते हैं तो शिकायतकर्ता को विपरीत पार्टी से क्षतिपूर्ति प्रदान कराई जाती है एवं
विपरीत पार्टी को आदेश दिया जाता है कि वह भविष्य में उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी ना
करें।
उपभोक्ता शिकायत केंद्र में शिकायत दर्ज कराने की बहुत ही आसान प्रक्रिया को अपनाया गया है जिससे अधिक से अधिक उपभोक्ता अपनी शिकायत दर्ज करा सके शिकायत दर्ज कराने के पश्चात सुनवाई की प्रक्रिया को भी आसान बनाया गया है
विषय-सूची
इतिहास | भारत और समकालीन विश्व- 2 |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
भूगोल | समकालीन भारत- 2 |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
नागरिक शास्त्र | लोकतांत्रिक राजनीति-2 |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
अर्थशास्त्र | आर्थिक विकास की समझ |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5 | |