12th Hindi Elective अंतरा भाग 2 पाठ - 2 (ख) सरोज स्मृति

12th Hindi Elective अंतरा भाग 2 पाठ - 2 (ख) सरोज स्मृति

 12th Hindi Elective अंतरा भाग 2 पाठ - 2 (ख) सरोज स्मृति

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 12

Hindi Elective

पाठ - 2(ख) सरोज स्मृति

पाठ परिचय

सरोज स्मृति कविता निराला की दिवंगत पुत्री सरोज पर केंद्रित है। यह कविता बेटी के दिवंगत होने पर पिता का विलाप है। पिता के इस विलाप में कवि को कभी शकुंतला की याद आती है। कभी अपनी स्वर्गीय पत्नी की बेटी के रूप-रंग में पत्नी का रूप-रंग दिखाई पड़ता है, जिसका चित्रण निराला ने किया है। इस कविता में एक भाग्यहीन पिता का संघर्ष, समाज से उसके संबंध, पुत्री के प्रति बहुत कुछ न कर पाने का अकर्मण्यता बोध प्रकट हुआ है। कवि का जीवन संघर्ष भी इस कविता के माध्यम से प्रकट हुआ है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. सरोज के नव-वधू रूप का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर- नव वधू के रूप में सरोज अत्यधिक सुंदर दिखाई दे रही थी। उस पर कलश का पवित्र जल छिड़का गया। उसके होठों पर मंद हंसी बिजली के समान प्रतीत होती थी। उसके हृदय में पति की सुंदर छवि विद्यमान थी। अपने दांपत्य जीवन की सुखद कल्पना में उसका अंग-अंग खिल रहा था। सरोज की आंखें लज्जा और संकोच के कारण झुकी थीं जिनमें एक अद्भुत चमक विद्यमान थी। उसके अधर कांप रहे थे। उसके सौंदर्य में रति का साकार रूप दिखाई दे रहा था।

प्रश्न 2. कवि को अपनी स्वर्गीया पत्नी की याद क्यों आई?

उत्तर- संतान के विवाह के अवसर पर यदि माता-पिता में से किसी एक का अभाव है तो उनका स्मरण आना स्वाभाविक बात है । कवि निराला ने अपनी पुत्री सरोज को माता-पिता दोनों का प्यार दिया। अपनी पुत्री के विवाह आयोजन पर अपनी पत्नी की याद आना स्वाभाविक था। साथ ही सरोज में उन्हें अपनी पत्नी की ही प्रतिमूर्ति दिखलाई पड़ती है। सरोज के वधू रूप को देखकर उन्हें अपने यौवन की प्रथम गीति याद आ गई, जिसे उन्होंने अपनी प्रिया के साथ गाया था।

प्रश्न 3. 'आकाश बदल कर बना मही' में 'आकाश' और 'मही' शब्द किनकी ओर संकेत करते हैं।

उत्तर- 'आकाश' का रूप निराकार है तथा मही साकार रूप में है। 'आकाश' शब्द से कवि निराला अपनी दिवंगत पत्नी के निराकार रूप तथा मही शब्द से पुत्री सरोज के साकार रूप की ओर संकेत कर रहे हैं।

कवि निराला अपनी पत्नी की छवि सरोज में देखते हैं। एक निराकार है तथा दूसरा साकार स्वर्गीया पत्नी आकाश की तरह निराकार है, तो पुत्री धरती की तरह साकार 'आकाश' उनकी पत्नी और भही उनकी पुत्री की ओर संकेत है।

प्रश्न 4. सरोज का विवाह अन्य विवाहों से किस प्रकार भित्र था ?

उत्तर- सरोज का विवाह अत्यंत सादगी पूर्ण तरीके से हुआ था। इसमें किसी भी प्रकार का प्रदर्शन या दिखावा नहीं था। विवाह का निमंत्रण पत्र किसी को नहीं भेजा गया, केवल कुछ स्वजन ही विवाह के अवसर पर उपस्थित थे। कवि

निराला ने माता-पिता दोनों के द्वारा की जाने वाली सभी वैवाहिक रस्मों को स्वयं निभाया। ना तो कोई संगीत था और ना ही रात्रि जागरण मौन के बीच विवाह बड़ी सादगी तथा शांति के साथ संपन्न हुआ। विवाह के बाद पुत्री को दी जाने वाली कुल शिक्षा स्वयं पिता निराला ने दी तथा पुत्री के लिए पुष्प-सेज भी पिता ने ही तैयार की। वास्तव में सरोज का विवाह अन्य विवाहों से भिन्न था।

प्रश्न 5. 'शकुंतला' के प्रसंग के माध्यम से कवि क्या संकेत करना चाहता है?

उत्तर- 'शकुंतला' कालिदास कृत 'अभिज्ञान शाकुंतलम् नाटक की नायिका है, जिसका लालन-पालन कण्व ऋषि ने अपने आश्रम में किया था। मातृहीना शकुंतला का विवाह कण्व ऋषि के हाथों बड़े ही सादगी से संपन्न हुआ था। कवि ने भी अपनी पुत्री सरोज के विवाह में माता-पिता दोनों का दायित्व स्वयं निभाया था। शकुंतला के प्रसंग के माध्यम से कवि मातृहीना पुत्री सरोज की ओर संकेत करना चाहता है।

प्रश्न 6. 'वह लता वहीं की, जहां कली तू खिली पंक्ति के द्वारा किस प्रसंग को उद्घाटित किया गया है?

उत्तर- सरोज की माता की मृत्यु के बाद उसका लालन-पालन ननिहाल में हुआ। सरोज ने वहीं अपना होश संभाला और वहीं की मिट्टी में पलकर बड़ी हुई। कवि ने सरोज की माता को लता तथा सरोज को 'कली कहा है। वह कली सरोज वहीं पर खिली, जहां की लता उसकी मां थी।

प्रश्न 7. कवि ने अपनी पुत्री का तर्पण किस प्रकार किया?

उत्तर- भारतीय संस्कृति में दिवंगत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए विधिवत तर्पण करने का विधान है। तर्पण वस्तुतः धन-धान्य का अर्पण होता है। कवि अपनी पुत्री को सामान्य तर्पण नहीं देता। वह उसे अपने समस्त सद्कर्मों का तर्पण देता है।

प्रश्न : निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए-

(क) नत नयनों से आलोक उत्तर

(ख) श्रृंगार, रहा जो निराकार

(ग) पर पाठ अन्य यह, अन्य कला

(घ) यदि धर्म, रहे नत सदा माथ

उत्तर-

(क) विवाह के अवसर पर लज्जावश सरोज की झुकी हुई आंखों से दिव्य प्रकाश आलोकित हो रहा था। मानो दांपत्य जीवन की भावी सुखद कल्पनाओं की ज्योति उसके नेत्रों में जगमगा रही हो।

(ख) कवि सरोज के वधू रूप में उस सिंगार का दर्शन करता है, जो आर्कारहीन होकर भी उसके काव्य रस की उमड़ती हुई धारा के समान प्रस्फुटित हो रहा था। कवि अपनी पुत्री को देखकर अपने यौवन काल के दिनों को स्मरण करता है।

(ग) कवि निराला पुत्री सरोज को उसी प्रकार शिक्षा दे रहे हैं जैसे कण्व ऋषि ने शकुंतला के विदाई के अवसर पर दी थी, परंतु उसे स्मरण हो आता है कि उसके द्वारा दी जाने वाली शिक्षा कण्व ऋषि से भिन्न है, क्योंकि उसकी पुत्री सरोज की स्थिति शकुंतला से भिन्न है।

परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

दीर्घ उत्तरीय प्रनोत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-

(क) देखा मैंने, वह मूर्ति धीति

      मेरे वसंत की प्रथम- गीति-

      श्रृंगार, रहा जो निराकार,

      रस कविता में उच्छवसित-धार।

उत्तर- संदर्भ प्रस्तुत काव्यांश सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता सरोज स्मृति से उद्धृत है। यह कविता 'अनामिका' काव्य संग्रह में संकलित है।

प्रसंग- प्रस्तुत काव्यांश में कवि निराला अपनी दिवंगत पुत्री सरोज के आडंबरविहीन विवाह के क्षणों को याद कर रहे हैं। उन्हें अपनी मृत पत्नी का निराकार रूप पुत्री में साकार होता दिख रहा है।

व्याख्या- कवि निराला को पुत्री सरोज के विवाह के समय वधू रूप में सज्जित पुत्री में अपनी पत्नी की छवि दिखाई पड़ती है। पुत्री में पत्नी की प्रतिबिंबित छवि को देखकर उन्हें जीवन वसंत का प्रथम गीत स्मरण हो आता है। कवि को लगता है कि जो श्रृंगार रस उनकी कविताओं में वेग से प्रवाहित होता रहा था, निराकार रूप में, वही सरोज के रूप में साकार हो गया था। वास्तव में निराला जिस सौंदर्य का दर्शन सरोज में कर रहे थे, वह उनकी स्वर्गीया पत्नी के निराकार रूप को साकार कर रहा था।

विशेष-

1. कविता आत्मकथात्मक है जिसमें स्मृतियों के माध्यम से जीवन गाथा प्रस्तुत किया गया है।

2. कविता की भाषा संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली हिंदी है।

3. कविता मुक्त छंद में लिखी गई है।

(ख) हो इसी कर्म पर वज्रपात

    यदि धर्म, रहे नत सदा माथ

    इस पथ पर, मेरे कार्य सकल

    हों भ्रष्ट शीत के से शतदल ।

    कन्ये, गत कर्मों का अर्पण

    कर करता मैं तेरा तर्पण।

संदर्भ-पूर्ववत्

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियां सरोज स्मृति का अंतिम अंश है। यहां कवि ने अपने हृदय की संपूर्ण करुणा अपनी पुत्री के प्रति अर्पित की है। शोक संतप्तं पिता अपने समस्त पुण्य कर्मों से पुत्री का तर्पण करता है।

व्याख्या- सरोज कवि निराला के जीवन की एक मात्र सहारा थी। उसके मृत्यु ने कवि को झंझोड़ दिया। कर्मवादी निराला को नियति से हारना पड़ा। पितृ धर्म का पालन न कर पाने की पीड़ा से कवि व्याकुल हो उठे हैं। निराला आजीवन कविकर्म का पालन करते रहें, परंतु अपनी पुत्री के लिए ना तो समय दे सके ना ही धन की उचित व्यवस्था कर सके। बीमार पुत्री का इलाज और देखभाल न कर पाने की विवशता पर उन्हें पश्चाताप है। वे अपने समस्त रचना कर्म पर वज्रपात की बात करते हैं। जिस कवि कर्म के कारण पितृधर्म के समक्ष उन्हें नतमस्तक होना पड़ा वैसे कर्म नष्ट हो जाएं यही कवि की कामना है। वे कहते हैं, उनके सारे कार्य नष्ट हो जाएं, जैसे तुषारपात से शीत ऋतु में कमल नष्ट हो जाता है। निराला का मानना है कि वह कवि-कर्म किस काम का जो पिता धर्म के पालन में बाधा बन जाए। कवि सरोज को कन्ये कहकर संबोधित करते हुए कहते हैं कि गत कर्मों का अर्पण कर मैं तुम्हारा तर्पण करता हूं। कवि को अपने गत कर्मों के पुण्यफल में गहरी आस्था है क्योंकि उनके गतकर्म जातीय जीवन के उद्धार के लिए समर्पित रहे हैं अतः वे पवित्र कर्म थे। कवि की वही जमापूंजी है। उसी कर्म को अर्पित कर वे पुत्री सरोज का तर्पण करते हैं।

विशेष-

1. सरोज स्मृति कविता एक आत्माभिव्यक्तिमूलक प्रगीतात्मक रचना है।

2. करुण रस की सृष्टि के साथ कथा का विस्तार हुआ है।

अति लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता सरोज स्मृति' की मूल संवेदना क्या है?

उत्तर- सरोज स्मृति कविता कवि की दिवंगता पुत्री सरोज की स्मृतियों पर आधारित है। यह एक शोकगीत है जिसमें कवि निराला ने अपनी पुत्री की असामयिक मृत्यु से उत्पन्न पीड़ा एवं एक पिता के हृदय का प्रलाप व्यक्त किया है। इस कविता में कवि निराला की वेदना, जीवन संघर्ष और आत्म चिंतन झलकता है।

प्रश्न 2. मुझ भाग्यहीन की तू संबल' पंक्ति में निराला की वेदना व्यक्त हुई है, स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- निराला कर्मवादी थे, भाग्य को महत्व नहीं देते थे। जीवन भर संघर्ष किया, कभी हार नहीं मानी, परंतु एकमात्र पुत्री सरोज की आकस्मिक और अकाल मृत्यु ने उन्हें घायल कर दिया। भाग्य को महत्त्व न देने वाले निराला पुत्री की मृत्यु के पश्चात अपने को भाग्यहीन मान बैठे। इस शब्द में निराला की गहरी पीड़ा व्यक्त हुई है।

प्रश्न 3. 'सरोज स्मृति' एक शोक गीत है। शोकगीत से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- शोकगीत अर्थात किसी आत्मीय जन के मृत्यु पर किया गया प्रलाप सरोज स्मृति कविता हिंदी में अपने ढंग का एकमात्र शोकगीत है। यह कवि निराला की दिवंगत पुत्री सरोज पर केंद्रित है। इस गीत को उन्होंने सरोज की अकाल मृत्यु के शोक में लिखा था।

प्रश्न 4. कविता में शकुंतला का प्रसंग कवि ने उठाया है। शकुंतला कौन है?

उत्तर- शकुंतला मेनका और विश्वामित्र की पुत्री है जिसका लालन-पालन कण्व ऋषि के आश्रम में होता है। कवि ने मातृहीना पुत्री सरोज की तुलना मातृस्नेह से वंचित कन्या शकुंतला से की है।

प्रश्न 5. कवि निराला मुक्त छंद के प्रवर्तक माने जाते हैं। मुक्त छंद से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- जिस छंद में वर्णों और मात्राओं का बंधन नहीं होता है, उसे मुक्त छंद कहते हैं। चरणों की अनियमित, असमान, स्वच्छंद गति तथा भाव के अनुकूल पति विधान ही मुक्त छंद की विशेषताएं हैं। हिंदी में मुक्त छंद की परंपरा सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने आरंभ की थी।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1. 'सरोज-स्मृति' कविता की रचना किस वर्ष हुई?

1. 1935

2. 1936

3. 1937

4. 1938

प्रश्न 2. सरोज का विवाह आमूल नवल क्यों है?

1. सादगी के कारण

2. पिता द्वारा पुष्प सेज तैयार करने के कारण

3. आत्मीय जनों की अनुपस्थिति के कारण

4. ये सभी

प्रश्न 3. सरोज के सौंदर्य में किसका रूप नजर आता है?

1. कवि की पत्नी का

2. कवि की माता का

3. किसी अप्सरा का

4. इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 4. सरोज के विवाह पर कौन आमंत्रित थे?

1. समाज

2. मित्र बंधु

3. आत्मीय जन

4. कोई नहीं

प्रश्न 5. शकुंतला कौन थी?

1. कविता की नायिका

2. अभिज्ञान शाकुंतलम् की नायिका

3. कवि की पत्नी

4. सरोज की नानी

प्रश्न 6. सरोज का पालन पोषण कहां हुआ था?

1. पिता के घर में

2. ननिहाल में

3. दादी के पास

4.अनाथ आश्रम में

प्रश्न 7. 'जलद' शब्द का पर्यायवाची क्या होगा?

1. जल

2. जलना

3. बादल

4. जहाज

प्रश्न 8. 'उर' शब्द का क्या अर्थ है?

1. उड़ना

2. उतरना

3. ऊंचाई

4. हृदय

प्रश्न 9. 'भर जलद धरा को ज्यों अपार में कौन-सा अलंकार है?

 1. पुनरुक्तिप्रकाश

 2. रूपक

3. उत्प्रेक्षा

4. इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 10. कांपा अधरों पर पर घर पर में कौन-सा अलंकार है?

1. पुनरुक्तिप्रकाश

2. रूपक

3. उत्प्रेक्षा

4. अतिशयोक्ति

JCERT/JAC Hindi Elective प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

अंतरा भाग 2

पाठ

नाम

खंड

कविता खंड

पाठ-1

जयशंकर प्रसाद

(क) देवसेना का गीत

(ख) कार्नेलिया का गीत

पाठ-2

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

(क) गीत गाने दो मुझे

(ख) सरोज - स्मृति

पाठ-3

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय

(क) यह दीप अकेला

(ख) मैंने देखा एक बूँद

पाठ-4

केदारनाथ सिंह

(क) बनारस

(ख) दिशा

पाठ-5

विष्णु खरे

(क) एक कम

(ख) सत्य

पाठ-6

रघुबीर सहाय

(क) बसंत आया

(ख) तोड़ो

पाठ-7

तुलसीदास

(क) भरत - राम का प्रेम

(ख) पद

पाठ-8

मलिक मुहम्मद जायसी

बारहमासा

पाठ-9

विद्यापति

पद

पाठ-10

केशवदास

कवित्त / सवैया

पाठ-11

घनानंद

कवित्त / सवैया

गद्य खंड

पाठ-1

रामचन्द्र शुक्ल

प्रेमधन की छायास्मृति

पाठ-2

पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी

सुमिरनी के मनके

पाठ-3

ब्रजमोहन व्यास

कच्चा चिट्ठा

पाठ-4

फणीश्वरनाथ 'रेणु'

संवदिया

पाठ-5

भीष्म साहनी

गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफत

पाठ-6

असगर वजाहत

शेर, पहचान, चार हाथ, साझा

पाठ-7

निर्मल वर्मा

जहाँ कोई वापसी नहीं

पाठ-8

रामविलास शर्मा

यथास्मै रोचते विश्वम्

पाठ-9

ममता कालिया

दूसरा देवदास

पाठ-10

हजारी प्रसाद द्विवेदी

कुटज

अंतराल भाग - 2

पाठ-1

प्रेमचंद

सूरदास की झोपडी

पाठ-2

संजीव

आरोहण

पाठ-3

विश्वनाथ तिरपाठी

बिस्कोहर की माटी

पाठ-

प्रभाष जोशी

अपना मालवा - खाऊ- उजाडू सभ्यता में

अभिव्यक्ति और माध्यम

1

अनुच्छेद लेखन

2

कार्यालयी पत्र

3

जनसंचार माध्यम

4

संपादकीय लेखन

5

रिपोर्ट (प्रतिवेदन) लेखन

6

आलेख लेखन

7

पुस्तक समीक्षा

8

फीचर लेखन

JAC वार्षिक इंटरमीडिएट परीक्षा, 2023 प्रश्न-सह-उत्तर

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