12th Hindi Elective अभिव्यक्ति और माध्यम 4. संपादकीय लेखन

12th Hindi Elective अभिव्यक्ति और माध्यम 4. संपादकीय लेखन

 12th Hindi Elective अभिव्यक्ति और माध्यम 4. संपादकीय लेखन

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 12

Hindi Elective

4. संपादकीय लेख

प्रश्न 1. संपादकीय लेखन से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- यह समाचार पत्रों या पत्रिकाओं में एक खंड है, जिसमें लेखक या संपादक वर्तमान चर्चित विषयों पर अपनी राय साझा करते हैं। संपादकीय किसी भी समाचार पत्र का अत्यंत महत्वपूर्ण भाग होता है। यह किसी ज्वलंत मुद्दे या घटना पर समाचार पत्र के दृष्टिकोण व विचार को व्यक्त करता है। संपादकीय संक्षेप में तथ्यों और विचारों की ऐसी तर्कसंगत और सुरुचिपूर्ण प्रस्तुति है जिसका उद्देश्य मनोरंजन, विचारों को प्रभावित करना या किसी समाचार का ऐसा भाष्य प्रस्तुत करना है जिससे सामान्य पाठक उसका महत्व समझ सकें। संपादकीय को समाचार पत्रों का दिल और आत्मा माना जाता है।

प्रश्न 2. संपादकीय लेखन का क्या अर्थ है ?

उत्तर- संपादकीय लेखन का शाब्दिक अर्थ समाचार पत्र के संपादक के अपने विचार से है। प्रत्येक समाचार पत्र में संपादक प्रतिदिन ज्वलंत विषयों पर अपने विचार व्यक्त करते हैं। संपादक प्रतिदिन किसी ज्वलंत समस्या या प्रमुख समसामयिक घटनाक्रम पर संपादकीय लेखन करता है। इस लेख में समाचार पत्रों की नीति, सोच और विचारधारा को प्रस्तुत किया जाता है।

प्रश्न 3. संपादकीय लेखन की क्या विशेषताएं हैं?

उत्तर- संपादकीय लेखन की निम्न विशेषताएं हैं-

1. संपादक द्वारा लिखा गया लेख ना अधिक बड़ा ना अधिक छोटा होता है।

2. एक आदर्श संपादकीय लेखन 800 से 1000 शब्दों के बीच में होता है।

3. संपादकीय लेखन संक्षिप्त होते हुए भी अपने आप में पूर्ण होता है।

4. गंभीर विषय का संपादन भी सरल, सहज भाषा शैली में इस प्रकार करना चाहिए कि विषय पाठकों की समझ में आ जाए और वह उस विषय पर अपनी स्पष्ट राय बता सके।

5. लेखन का विषय प्रायः ज्वलंत समस्या या तात्कालिक घटनाक्रम से लिया जाता है।

6. प्रत्येक संपादक की अपनी शैली होती है। अपनी शैली में ही संपादक लेख लिखता है।

8. इसके बाद संपूर्ण समाचार का विस्तार किया जाता है और अंत में अपना विचार निष्कर्ष के रूप में दिया जाता है।

प्रश्न 4. संपादकीय का महत्व बताइए।

उत्तर-

1. संपादकीय किसी भी गंभीर और अरुचिकर विषय को बहस योग्य बनाता है।

2. संपादकीय का स्वभाव आकर्षक होता है।

3. संपादकीय विचारोत्तेजक होते हैं और पाठक के मन में सवाल खड़े करते हैं।

प्रश्न 5. संपादकीय लेखन का कार्य किन रूपों में किया जाता है?

उत्तर- संपादकीय लेखन का कार्य दो रूपों में किया जाता है, एक जो संपादक कहना चाहता है और दूसरा वह उसे कैसे और किस रूप में कहना चाहता है। अतः सर्वप्रथम संपादक को विषय वस्तु का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। उसकी विषय पर गहरी पकड़ होनी चाहिए तथा उसमें विषय के पक्ष-विपक्ष में तर्क करने की क्षमता होनी चाहिए। संपादकीय में प्रस्तुतीकरण का अत्यधिक महत्व होता है। प्रस्तुतीकरण की पहली शर्त है संप्रेषणीयता संप्रेषणीयता के साथ- साथ दूसरा महत्वपूर्ण तत्व है जन भावनाओं का ध्यान रखना। अतः प्रस्तुतीकरण ऐसा हो कि विषय वस्तु को सामान्य पाठक भी समझ जाएं और किसी की भावनाएं भी आहत ना हों।

प्रश्न 6. संपादकीय लेखन की प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए?

उत्तर- संपादकीय लेखन की प्रक्रिया को निम्नलिखित चरणों में बांटा जा सकता है-

(1) विषय का चयन : ज्वलंत व सामाजिक विषय को संपादकीय लेखन के लिए चुना जाता है । विषय प्रादेशिक, राष्ट्रीय या अंतराष्ट्रीय महत्व का हो सकता है।

(2) विषयानुरूप सामग्री का संकलन : विषय निर्धारण के उपरांत सामग्री का संकलन किया जाता है। संपादक दिन-प्रतिदिन के घटनाओं पर पैनी नजर रखते हुए विभिन्न संदर्भ सामग्री के माध्यम से विषय वस्तु का संकलन करता है।

(3) विषय प्रवेश एवं विस्तार : संपादकीय के विषय प्रवेश में समस्या की ओर ध्यानाकर्षण किया जाता है। तदुपरांत तार्किक ढंग से विचारों एवं तर्क को प्रस्तुत करते हुए विषय वस्तु का विस्तार किया जाता है।

(4) विषय का निष्कर्ष : संपादकीय के अंतिम भाग में संपादक विषय, घटना या मुद्दे पर अपनी राय अथवा विचार रखता है। यह राय अथवा विचार पाठक के मस्तिष्क को उद्वेलित करने वाला होता है।

(5) शीर्षक: संपूर्ण लेखन के बाद संपादक अपने लेख के शीर्षक का निर्धारण करता है। शीर्षक निश्चय ही किसी लेख के लिए अति महत्वपूर्ण होता है। अतः संपादकीय का शीर्षक पाठक को प्रभावित करने वाला व विषय समग्रता को अपने आप में समाहित करने वाला होना चाहिए।

प्रश्न 7. संपादकीय के बिना समाचार पत्र का प्रकाशन अधूरा है कैसे ?

उत्तर- संपादकीय संपादक को पाठक के साथ जोड़ने की महत्वपूर्ण कड़ी है। गंभीर व चिंतन योग्य घटनाओं तथा मुद्दों को पाठक के समक्ष तार्किक ढंग से प्रस्तुत कर उसे सोचने के लिए प्रेरित करना संपादकीय का प्रमुख उद्देश्य होता है। संपादकीय के अभाव में समाचार पत्र मात्र सूचनाओं का संवाहक मात्र बनकर रह जाता है। इसलिए कहा जा सकता है कि संपादकीय के बिना समाचार पत्र का प्रकाशन अधूरा है।

प्रश्न 8. किसी समाचार पत्र के लिए संपादकीय का क्या महत्व है?

उत्तर- संपादकीय को किसी समाचार पत्र की आवाज माना जाता है। यह एक निश्चित पृष्ठ पर छपता है, जो समाचार पत्र को पठनीय तथा अविस्मरणीय बनाता है। संपादकीय से ही समाचार पत्र के गुण-दोष व उसकी गुणवत्ता का निर्धारण किया जाता है। किसी समाचार पत्र के लिए इसकी महत्ता सर्वोपरि है।

प्रश्न 9. एक अच्छे संपादकीय में क्या गुण होने चाहिए?

उत्तर- एक अच्छे संपादकीय में निम्नलिखित गुण अवश्य होने चाहिए-

(1) संपादकीय लेख की शैली प्रभावशाली एवं सजीव होनी चाहिए ।

(2) भाषा बिल्कुल स्पष्ट, सशक्त और प्रखर होनी चाहिए।

(3) संपादकीय में समुचित विचार और विश्लेषण होना चाहिए।

प्रश्न 10. संपादकीय पृष्ठ पर क्या-क्या प्रकाशित होता है?

उत्तर- संपादकीय पृष्ठ पर निम्न सामग्री प्रकाशित होती है-

(1) संपादकीय लेख ।

(2) विचारात्मक व विश्लेषणात्मक लेख - टिप्पणियाँ।

(3) स्तंभ लेख।

(4) संपादक के नाम पत्र ।

बहुविकल्पीय प्रश्न

(1) अखबार की आवाज किसे माना जाता है?

1 आलेख

2 फीचर

3 संपादकीय

4 पत्र लेखन

(2) निम्न में से किसे समाचार पत्र की आत्मा कहा जाता है?

1 संपादकीय पृष्ठ

2 प्रथम पृष्ठ

3 बिजनेस पृष्ठ

4 स्थानीय पृष्ठ

(3) " संपादकीय किसी भी समाचार-पत्र या पत्रिका की रीति -नीति का दर्पण होता है।” यह कथन किसका है?

1 डॉ अर्जुन तिवारी

2 डॉ पृथ्वी नाथ पांडेय

3 डॉ विजय कुलश्रेष्ठ

4 डॉ हरिमोहन

(4) संपादक को उसके विविध कार्यों में सहायता प्रदान करना किसका कार्य है?

1 सहायक संपादक का

2 संयुक्त संपादक का

3 उप संपादक का

4 इनमें से कोई नहीं

(5) संपादकीय लेखन का दायित्व किसका होता है?

1 सहायक संपादक का

2 संपादक का

3 1 और 2 दोनों

4 इनमें से कोई नहीं

(6) समाचार-पत्र में किस पृष्ठ पर संपादक के नाम पत्र प्रकाशित किए जाते हैं?

1 आर्थिक पृष्ठ पर

2 मुख्य पृष्ठ पर

3 खेल पृष्ठ पर

4 संपादकीय पृष्ठ पर

JCERT/JAC Hindi Elective प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

अंतरा भाग 2

पाठ

नाम

खंड

कविता खंड

पाठ-1

जयशंकर प्रसाद

(क) देवसेना का गीत

(ख) कार्नेलिया का गीत

पाठ-2

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

(क) गीत गाने दो मुझे

(ख) सरोज - स्मृति

पाठ-3

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय

(क) यह दीप अकेला

(ख) मैंने देखा एक बूँद

पाठ-4

केदारनाथ सिंह

(क) बनारस

(ख) दिशा

पाठ-5

विष्णु खरे

(क) एक कम

(ख) सत्य

पाठ-6

रघुबीर सहाय

(क) बसंत आया

(ख) तोड़ो

पाठ-7

तुलसीदास

(क) भरत - राम का प्रेम

(ख) पद

पाठ-8

मलिक मुहम्मद जायसी

बारहमासा

पाठ-9

विद्यापति

पद

पाठ-10

केशवदास

कवित्त / सवैया

पाठ-11

घनानंद

कवित्त / सवैया

गद्य खंड

पाठ-1

रामचन्द्र शुक्ल

प्रेमधन की छायास्मृति

पाठ-2

पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी

सुमिरनी के मनके

पाठ-3

ब्रजमोहन व्यास

कच्चा चिट्ठा

पाठ-4

फणीश्वरनाथ 'रेणु'

संवदिया

पाठ-5

भीष्म साहनी

गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफत

पाठ-6

असगर वजाहत

शेर, पहचान, चार हाथ, साझा

पाठ-7

निर्मल वर्मा

जहाँ कोई वापसी नहीं

पाठ-8

रामविलास शर्मा

यथास्मै रोचते विश्वम्

पाठ-9

ममता कालिया

दूसरा देवदास

पाठ-10

हजारी प्रसाद द्विवेदी

कुटज

अंतराल भाग - 2

पाठ-1

प्रेमचंद

सूरदास की झोपडी

पाठ-2

संजीव

आरोहण

पाठ-3

विश्वनाथ तिरपाठी

बिस्कोहर की माटी

पाठ-

प्रभाष जोशी

अपना मालवा - खाऊ- उजाडू सभ्यता में

अभिव्यक्ति और माध्यम

1

अनुच्छेद लेखन

2

कार्यालयी पत्र

3

जनसंचार माध्यम

4

संपादकीय लेखन

5

रिपोर्ट (प्रतिवेदन) लेखन

6

आलेख लेखन

7

पुस्तक समीक्षा

8

फीचर लेखन

JAC वार्षिक इंटरमीडिएट परीक्षा, 2023 प्रश्न-सह-उत्तर

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