प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 12
Hindi Elective
गद्य खंड पाठ-9 दूसरा देवदास
लेखक परिचय
ममता
कालिया का जन्म उत्तर प्रदेश के मथुरा में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से
अंग्रेजी विषय में एम.ए. किया। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज में
अंग्रेजी की प्राध्यापक रहीं तथा उन्होंने अपने जीवन में कई कॉलेजों में अध्यापन
कार्य किया 1973 से 2001 ईस्वी तक वे महिला सेवा सदन डिग्री कॉलेज इलाहाबाद में
प्रिंसिपल रहीं। 2003 से 2006 तक व भारतीय भाषा परिषद कोलकाता की निर्देशिका भी
रहीं। इस समय दिल्ली में रहकर स्वतंत्र लेखन कार्य कर रही हैं।
रचना
- परिचय - प्रेम कहानियां, लड़कियां दौड़ रही हैं, नरक दर नरक, एक पत्नी के नोट्स,
इत्यादि उनके सुप्रसिद्ध उपन्यास हैं। उनके 12 कहानी संग्रह हैं।
पुरस्कार-
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा उन्हें साहित्य भूषण 2004 तथा कहानी सम्मान
1989 में प्रदान किया गया। अभिनव भारती कोलकाता की संस्था के द्वारा उनके समग्र
साहित्य पर रचना पुरस्कार सरस्वती प्रेस और साप्ताहिक हिंदुस्तान के द्वारा उन्हें
श्रेष्ठ कहानी नाम से पुरस्कार प्रदान किए गए।
पाठ-परिचय
दूसरा
देवदास कहानी की लेखिका का नाम ममता कालिया है। इसका नायक संभव और नायिका पारो है।
दोनों के हृदय में बिल्कुल संभावित परिस्थिति में प्रेम का अंकुरण होता है। यह
प्रेम सुखद होता है या दुखद इसका कोई संकेत तो कहानी के अंत में नहीं मिलता परंतु
दीपक के प्रकाश के समान दोनों के हृदय में प्रेम की दीप्ति आलोकित हो उठती है।
संभव
एम. ए. करने के बाद ननिहाल हरिद्वार आया हुआ था नानी के दबाव पर वह सांध्य बेला की
गंगा आरती देखने हर की पौड़ी पहुँचता है। टीका लगवाने के बाद कलावा बंधवाने के लिए
जिस पंडे के पास पहुंचता है वहां पहले से ही गुलाबी साड़ी में एक आकर्षक युवती
खड़ी थी। वह युवती आरती के बाद आई थी। इसलिए उसने पंडित से कहा कि हम कल आरती की
बेला में आएंगे। पंडे ने हम शब्द को युगल अर्थ में लिया और आशीर्वाद दिया- सुखी
रहो फूलों फलो जब भी आओ साथ ही आना गंगा मैया मनोरथ पूरी करें पंडित के आशीर्वाद
से दोनों अकचका गए। दोनों अलग हट गए। दोनों की आंखें फिर टकराई उनकी आंखों का पहला
चकाचौंध अभी मिटा नहीं था। पुजारी की गलतफहमी से दोनों ही झेंप गए। दोनों ही एक
दूसरे को सफाई देना चाहते थे। उन्हें स्पष्टीकरण का मौका नहीं मिला। लड़की जा चुकी
थी। संभव को रात भर नींद नहीं आई। प्रेम का अंकुरण दोनों के हृदय में हो चुका था।
दिन की स्मृति दोनों के मानस में हलचल मचा रही थी। दूसरे दिन वैशाखी की शाम थी
लेकिन संभव आकर्षण की डोर में बंधा हुआ गंगा तट पर आ पहुंचा। उसकी निगाहें लड़की
को ढूंढ रही थी कि अचानक एक बालक के साथ केबिल कार में वह बैठी नजर आ गई। वह उससे
मिलने के लिए बेचैन हो जाता है तथा दोनों का एक दूसरे से परिचय होता है।
इस
कहानी में युवा मन की हलचलों, संवेदना एवं भावना का चित्रण आकर्षक भाषा शैली में
किया गया है। इस कहानी में घटनाओं का संगठन एवं संयोजन इस प्रकार
किया गया है कि अनजाने में प्रेम का प्रथम अंकुरण संभव एवं पारो के हृदय में बड़ी विचित्र
परिस्थितियों में उत्पन्न होता है। इस कहानी से यह बात प्रमाणित होती है कि प्रेम के
लिए व्यक्ति, समय और स्थिति का होना आवश्यक नहीं है। प्रेम कहीं भी किसी भी समय और
स्थिति में उत्पन्न हो सकता है। कथ्य, विषय वस्तु, भाषा और शिल्प की दृष्टि से कहानी
बेजोड़ है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
1 दूसरा देवदास पाठ के आधार पर हर की पौड़ी पर होने वाली गंगा जी की
आरती का भावपूर्ण वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर-
हर की पौड़ी पर संध्या के समय जो गंगा जी की आरती होती है, उसका एक अलग ही रंग होता
है। संध्या के समय गंगा घाट पर भारी भीड़ एकत्र हो जाती है। भक्त फूलों के एक रुपये
वाले दोने भी दो रुपये में खरीद कर खुश होते हैं। गंगा सभा के स्वयंसेवक खाकी वर्दी
में मुस्तैदी से व्यवस्था देखते घूमते रहते हैं। भक्तगण सीढियों पर शांत भाव से बैठते
हैं। आरती शुरू होने का समय होते ही चारों ओर हलचल मच जाती है। लोग अपने मनोरथ सिद्धि
के लिए स्पेशल आरती करवाते हैं। पांच मंजिली पीतल की नीलांजलि (आरती का पात्र) में
हजारों बत्तियां जल उठती हैं। औरतें गंगा में डुबकी लगाकर गीले वस्त्रों में ही आरती
में शामिल होती हैं। स्त्री पुरुष के माथे पर पंडे, पुजारी तिलक लगाते हैं। पंडित हाथ
में अंगोछा लपेटकर नीलांजलि को पकड़कर आरती उतारते हैं। सभी भक्ति भाव में डूब जाते
हैं और गंगा घाट का यह दृश्य अत्यंत मनोहर दिखाई पड़ता है।
2 गंगापुत्र के लिए गंगा मैया ही जीविका और जीवन है इस कथन के आधार
पर गंगा पुत्रों के जीवन परिवेश की चर्चा कीजिए
उत्तर-
गंगा पुत्र वे कहलाते हैं जो गंगा मैया को अर्पण किए गए पैसों को गंगा जी की धाराओं
के बीच से लेकर आते हैं। लोग आस्था में भरकर गंगा नदी पर पैसे चढ़ाते हैं। गंगापुत्र
उन पैसों को गंगा जी के बहते जल से बाहर निकालते हैं। यह कार्य बहुत जोखिम भरा होता
है। गंगा का जल प्रवाह कब इंसान को निगल जाए कहा नहीं जा सकता है। इस काम में जितना
जोखिम होता है, उतनी कमाई नहीं होती है। लेकिन उनके पास कोई चारा नहीं है। उन्हें विवश
होकर यह कार्य करना पड़ता है। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि उनका जीवन परिवेश बहुत
अधिक अच्छा नहीं होगा। दो वक्त की रोटी मिल जाए, यही उनके लिए काफी होगा।
3 पुजारी ने लड़की के 'हम' को युगल अर्थ में लेकर क्या आशीर्वाद दिया
और पुजारी द्वारा आशीर्वाद देने के बाद लड़के और लड़की के व्यवहार में अटपटा पन क्यों
आया?
उत्तर-
पुजारी ने अज्ञानता वश लड़की के 'हम' शब्द से यह अर्थ लिया कि दोनों रिश्ते में पति-पत्नी
हैं। अतः पुजारी ने उन्हें सुखी रहने, फलने-फूलने तथा हमेशा साथ आने का आशीर्वाद दे
दिया। इसका अर्थ था कि उनकी जोड़ी सदा सुखी रहे और आगे चलकर वे अपने परिवार तथा बच्चों
के साथ आए, लेकिन यह सुनकर दोनों असहज हो गए। लड़की को अपनी गलती का एहसास हुआ क्योंकि
इसमें उसके 'हम' शब्द ने कार्य किया था। वह थोड़ा घबरा गई। दूसरी तरफ लड़का भी परेशान
हो गया। उसे लगा कि लड़की कहीं उसे ही इस बात के लिए जिम्मेदार ना मान ले। अब दोनों
एक-दूसरे से नजरें मिलाने से डर रहे थे और दोनों जल्द से जल्द वहां से चले जाना चाहते
थे।
4. उस छोटी-सी मुलाकात ने संभव के मन में क्या हलचल उत्पन्न कर दी
? इसका सूक्ष्म विवेचन कीजिए।
उत्तर-
संभव एक नौजवान था। इससे पहले किसी लड़की ने उसके दिल में दस्तक नहीं दी थी। अचानक
पारो से मुलाकात होने पर उसे किसी लड़की के प्रति प्रेम की भावना महसूस हुई। पारो को
जब उसने भीगी हुई गुलाबी साड़ी में देखा तो, उसके सौंदर्य को एकटक निहारते रह गया।
उसका सौंदर्य अनुपम था। उसने उसके कोमल मन में हलचल मचा दी। वह उसे खोजने के लिए हरिद्वार
की गली-गली में भटका । घर पहुंच कर उसका किसी चीज में मन नहीं लगा। विचारों और ख्वाबों
में बस उसे पारो की ही आकृति नजर आने लगी और उससे मिलने के मंसूबे बनाने लगा। उसका
दिल उसे पाना चाहता था। पारो उस क्षण में ही उसके जीवन का आधार बन गई थी, जिसे पाने
के लिए कुछ भी करने को तैयार था।
5. मनसा देवी जाने के लिए केबल कार में बैठे हुए संभव के मन में जो
कल्पनाएं उठ रही थी, उसका वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मनसा देवी जाने के लिए केबल कार में बैठे हुए संभव के मन में अनेक कल्पनाएं जन्म ले
रही थी। वह घाट में मिली लड़की से मिलना चाहता था। उस लड़की की छवि उसके मस्तिष्क में
बस गई थी। वह उस लड़की को पाने के लिए बेचैन हो गया था। वह उसी केबिल कार में जाकर
बैठा, जिसका रंग गुलाबी था क्योंकि उस लड़की ने गुलाबी साड़ी पहनी थी। वह मनसा देवी
भी इसी उम्मीद से जा रहा था कि शायद वह उस लड़की की एक झलक पा जाए।
6. “पारो बुआ, पारो बुआ इनका नाम है उसे भी मनोकामना का पीला लाल धागा
और उसमें पड़ी गिठान का मधुर स्मरण हो आया।" कथन के आधार पर कहानी के संकेतपूर्ण
आशय पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
संभव ने बालक के पुकारने पर जाना कि उस अज्ञात युवती का नाम 'पारो है। उन दोनों के
हाथों में पुजारी ने कलावा का लाल-पीला धागा बाँधा था और उसमें गाँठे (गिठान) लगायी
थी। इन गाँठों की मधुर स्मृति भी संभव के मन में पुलक जगा रही थी। संभव सोच रहा था
कि पुजारी ने अनजाने में उन दोनों के बीच जन्म-जन्मांतर का बंधन जोड़ दिया है। शायद
उससे मिलन की आकांक्षा पुरी हो इस कथन का भावपूर्ण संकेतार्थ यही है।
7. 'मनोकामना की गांठ भी अद्भुत अनूठी है इधर बांधों उधर लग जाती है'
कथन के आधार पर पारो की मनोदशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
संभव की दशा तो पारो को पहली बार देख कर पता चल जाती है। लेकिन पारो के मन की दशा का
वर्णन उसके द्वारा मन में दोहराई गई इस पंक्ति से होता है। इससे पता चलता है कि संभव
पारो के दिल में पहली ही मुलाकात में जगह पा गया था। वह भी संभव को उतना ही मिलने को
बेचैनी थी, जितना संभव यहां तक कि संभव से मिलने के लिए उसने संभव की भांति ही मनसा
देवी में मन्नत की चुनरी बांधी। संभव को देखकर उसकी मन्नत पूरी हो गई, इससे पता चलता
है कि उसकी मनोदशा भी संभव की भांति पागल प्रेमी जैसी थी, जो अपने प्रियतम को ढूंढने
के लिए यहां वहां मारा मारा फिर रहा था।
8. निम्नलिखित वाक्यों का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) 'तुझे तो तैरना भी ना आवे, कहीं पैर फिसल जाता तो मैं तेरी मां
को कौन मुंह दिखाती।'
उत्तर-
संभव के देर से आने पर चिंता ग्रस्त नानी उसे कहती है तू तैरना नहीं जानता है। यदि
स्नान करते हुए फिसल गया तो सीधे गंगा नदी में गिर जाएगा। फिर तेरा बचना भी संभव नहीं
होगा। यदि ऐसी वैसी कोई अनहोनी हो जाती तो मैं तेरी मां को क्या जवाब देती। मां तो
यही कहती कि मैंने नानी के पास मिलने के लिए बेटे को भेजा था और मुझे मेरा बेटा वापस
नहीं मिला।
(ख) उसके चेहरे पर इतना विभोर विनीत भाव था मानो उसने अपना सारा अहम
त्याग दिया है उसके अंदर स्व से जनित कोई कुंठा शेष नहीं है वह शुद्ध रूप से चेतन स्वरूप
आत्माराम और निर्मलानंद है
उत्तर-
संभव नदी की धारा के मध्य एक व्यक्ति को देखता है, जो मां गंगा में सूर्य को जल अर्पण
कर रहा है। उसके चेहरे के भावों को देखकर संभव उसकी ओर आकर्षित हो जाता है। वह गंगा
मैया के मध्य खड़े होकर प्रार्थना कर रहा है। उसके चेहरे पर प्रसन्नता और विनती का
बहुत सुंदर भाव है। उसके चेहरे पर यह भाव है मानो उसने अपने अंदर व्याप्त अहंकार को
समाप्त कर दिया है। प्रायः मनुष्य अहंकार के कारण परेशान और दुखी होता है, जब मनुष्य
अहंकार के भाव को त्याग देता है उसे फिर किसी बात का दुख परेशानी तथा कुंठा नहीं रहती
है। ऐसा व्यक्ति शुद्ध हो जाता है उसे आत्मज्ञान हो जाता है वह निर्मल आनंद तथा परम
शांति को प्राप्त कर जाता है।
(ग) एकदम अंदर के प्रकोष्ठ में चामुंडा रूप धारिणी मंसादेवी स्थापित
थी। व्यापार यहाँ भी था।
उत्तर-
लेखिका ने मंदिर के दृश्य का चित्रण किया है। वहाँ भीतर के कक्ष में माँ चामुंडा के
रूप में मंसा देवी का मूर्ति विराजमान थी तथा साथ ही पूजा सामग्री की सजी हुई दुकानें
भी थीं। कहीं स्ट्राक्ष, कहीं खाने का सामान मिल रहा था अर्थात् व्यापारिक गतिविधियाँ
चहूँ ओर दिखाई पड़ रही थी।
9. दूसरा देवदास कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए
उत्तर-
इस कहानी का नाम दूसरा देवदास बिल्कुल उचित है। यह शीर्षक कहानी की सार्थकता को स्पष्ट
करता है। जिस प्रकार शरतचंद्र का देवदास अपनी पारो के लिए सारा जीवन मारा मारा फिरता
रहा। वैसे ही संभव रूपी देवदास अपनी पारो के लिए मारा मारा फिरता है। पारो की एक झलक
उसे दीवाना बना देती है वह उसे ढूंढने के लिए बाजार, घाट, यहां तक की मनसा देवी के
मंदिर तक हो आता है। उससे एक मुलाकात हो जाए इसके लिए वह मन्त्रत तक मांगता है। जब
वह मिलती है तो, लड़की का नाम पारो सुनकर जैसे उसकी खोज सार्थक हो जाती है। इसलिए वह
अपने नाम के बाद देवदास लगाकर इसका संकेत भी दे देता है। दोनों के मध्य छोटी-सी मुलाकात
प्रेम के बीज अंकुरित कर देती है यह मुलाकात उनके अंदर प्रेम के प्रति ललक तथा रुमानियत
को दर्शा देती है। देवदास वह नाम है जो प्यार में पागल प्रेमी के लिए प्रयुक्त किया
जाता है। दूसरा देवदास शीर्षक संभव की स्थिति को भली प्रकार से स्पष्ट कर देता है।
यही कारण है कि यह शीर्षक कहानी को सार्थकता देता है।
10. हे ईश्वर ! उसने कब सोचा था की मनोकामना का मौन उद्गार इतना शीघ्र
शुभ परिणाम दिखाएगा आशय स्पष्ट कीजिए-
उत्तर-
पारो को अपने सामने देखकर उसके मन में यह वाक्य उत्पन्न हुआ। जिस लड़की को पाने के
लिए उसने कुछ देर पहले ही मनसा देवी में धागा बांधा था, वह देवी के मंदिर के बाहर ही
मिल गयी। वह पारो को देखकर प्रसन्न हो उठा आज उसकी मनोकामना इतनी जल्दी पूरी हो गई,
यह सोचकर वह बहुत खुश था।
परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. दूसरा देवदास कहानी की मूल संवेदना पर प्रकाश डालिए । दूसरा देवदास
कहानी में लेखिका ममता कालिया ने हर की
उत्तर-
पौड़ी, हरिद्वार की पृष्ठभूमि में युवा मन की भावुकता, संवेदना तथा वैचारिक चेतना को
अभिव्यक्त किया है। इस कहानी का नायक संभव दिल्ली का रहने वाला एम.ए. पास युवक है।
माता-पिता ने उसे नानी के घर हरिद्वार इस उद्देश्य से भेजा है। कि वहां जाकर गंगा मैया
के दर्शन कर ले, जिससे वह अपने प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर ले। इसी उद्देश्य
से वह हर की पौड़ी पर स्नान करता है तथा तिलक लगाते समय उसकी भेंट पारो नामक युवती
से होती है। पुजारी भ्रमवश दोनों को पति- पत्नी समझकर उसे फलने-फूलने तथा मनोकामनाएं
पूर्ण होने के ढेरों आशीर्वाद दे देती है। लड़की यह सुनकर छिटक कर उससे दूर खड़ी हो
जाती है। वह भी झेंप जाता है। दूसरे दिन उस लड़की से मिलने के लिए वह पुन: घाट पर जाता
है, क्योंकि दोनों के हृदय में प्रेम का प्रस्फुटन हो चुका है। घाट पर उसकी भेंट युवती
के भतीजे मनु से होती है। लौटते समय उसकी भेंट पारो से भी होती है तथा दोनों एक दूसरे
का मधुर परिचय प्राप्त करते हैं। जब उसे युवती का नाम पता चलता है, तब वह स्वयं को
देवदास कहता है। संभव देवदास प्रस्तुत कहानी में लेखिका ने सच्चे सरल और सहज प्रेम
का चित्रण किया है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. लेखिका ने गंगा पुत्र किसे कहा है और क्यों?
उत्तर-
भक्तों द्वारा दोनों में डालकर गंगा को अर्पित किए गए पैसों को तैराक डूबकर बटोर लेते
हैं। गंगा ही इनकी जीविका का साधन है। इसी क्षेत्र में पलने बढ़ने के कारण वे कुशल
गोताखोर हो गए हैं। गंगा के आश्रय में रहने के कारण इन्हें गंगा पुत्र कहा गया है।
2. रुद्राक्ष की मालाओं वाली गुमटी पर क्या लिखा हुआ था?
उत्तर-
स्ट्राक्ष की मालाओं की अनेक गुमटियां थी जहां दस रुपये से लेकर तीन हजार तक की मालाओं
पर लिखा था 'असली रुद्राक्ष नकली साबित करने वाले को पांच सौ रुपये इनामा'
3. स्पेशल आरती से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
लेखिका यह बताना चाहती है कि हमारे धर्म स्थलों पर भी अब व्यापार होने लगा है। पंडित
पुरोहित भक्तों की जरूरतों और विवशताओं का पूरा फायदा उठाते हैं। साधारण और सामान्य
आरती प्रत्येक शाम को गंगा घाट पर होती है, जिसमें सामान्य जन भाग लेते हैं। वहीं दूसरी
ओर जो धनवान भक्त होते हैं, वह अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर एक सौ एक या एक सौ इक्यावन
रुपये वाली आरती करवाते हैं।
4. नीलांजलि क्या है ?
उत्तर-
नीलांजलि पांच मंजिला पीतल का यंत्र हैं जो आरती के काम आता है। इसमें हजारों बत्तियां
घी में भिगोकर रखी रहती हैं। सायंकाल जब इन्हें जलाया जाता है, तो अनेक बत्तियों के
जल उठने से भव्य दृश्य उपस्थित हो जाता है। पंडित जी जब आरती करते हैं, तब अपने हाथों
में गीला अंगोछा लपेटे रहते हैं ताकि अपने हाथ को अग्नि के ताप से बचाया जा सके। नीलांजलि
कई स्तरों वाली बड़ी आरती को कहते हैं।
5. 'नानी उवाच के बीच सपने नौ दो ग्यारह हो गए वाक्प पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-
संभव को हर की पौड़ी पर स्नान के बाद एक लड़की मिली थी जो पुजारी के सामने संभव के
काफी नजदीक खड़ी थी । दोनों को अत्यंत निकट खड़े देखकर पुजारी ने उन्हें पति पत्नी
समझा और उसके दांपत्य जीवन के फलने फूलने से संबंधित ढेरों आशीर्वाद दिए। उनकी बातों
से दोनों अचकचा गए। दोनों की नजरें मिली और प्रथम प्रेम का प्रस्फुटन उनके हृदय में
हुआ। घर आकर संभव लेट गया उसे नींद नहीं आ रही थी। वह उसी लड़की के विषय में सोचने
लगा। उसकी मधुर कल्पनाओं में खो गया। वह सोचता है। कि कल वह उस लड़की से उसका नाम पूछेगा।
उसका परिचय प्राप्त करेगा और उसे अपने विषय में बताएगा। वह शायद बी.ए. में पढ़ रही
होगी या एम.ए. में। तभी नानी गंगा नान करके लौट आई। नानी ने कहा तू अभी सपने ही देख
रहा है, वहां लाखों लोग गंगा में स्नान भी कर चुके हैं। नानी के इस कथन से संभव की
विचारधारा टूट गई तथा उसकी कल्पनाएं समाप्त हो गयी।
अति लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. हर की पौड़ी के पूरे वातावरण में किस की दिव्य सुगंध फैल रही थी?
उत्तर.
हर की पौड़ी के पूरे वातावरण में अगरबत्ती और चंदन की सुगंध फैल रही थी।
2. आरती के बाद किसकी बारी आती थी ?
उत्तर.
आरती के बाद संकल्प और मंत्रोच्चार की बारी आती थी।
3. स्पेशल आरती कौन सी थी ?
उत्तर-
एक सौ एक या एक सौ इक्यावन वाली स्पेशल आरती होती थी।
4. ब्यालू का क्या अर्थ होता हैं ?
उत्तर-
ब्यालू का अर्थ रात्रि का भोजन होता है।
5. संक्षिप्त में लड़की का चरित्र चित्रण कीजिए ।
उत्तर-
दुबली पतली तथा भीगी भीगी, श्याम सलोनी आंखों वाली लड़की का नाम पारो था जो गुलाबी
साड़ी में बहुत आकर्षक लग रही थी।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. दूसरा देवदास किसकी रचना है?
(1)
हजारी प्रसाद द्विवेदी
(2) ममता कालिया
(3)
प्रेमचंद
(4)
जयशंकर प्रसाद
2. दूसरा देवदास किस विधा में लिखा गया है?
(1)
नाटक
(2) कहानी
(3)
उपन्यास
(4)
संस्मरण
3. पाठ के नायक का क्या नाम है?
(1)
पारो
(2)
रमेश
(3) देवदास
(4)
संभव
4. ममता कालिया का जन्म कब हुआ था?
(1) 1940
(2)
1930
(3)
1936
(4)
1941
5. ममता कालिया का जन्म स्थान कहां है?
(1)
काशी
(2) मथुरा
(3)
दिल्ली
(4)
आगरा
6. कहानी की मुख्य घटना किस घाट पर घटित हुई है?
(1) हर की पौड़ी
(2)
दशाश्वमेध घाट
(3)
सूर्य पूर्व घाट
(4)
ऋषिकेश घाट
7. मनोकामना की गांठ कहां बांधी गई थी?
(1) मनसा देवी के मंदिर में
(2)
काली मंदिर में
(3)
चामुंडा देवी के मंदिर में
(4)
भैरव मंदिर में
8. गंगा पुत्र किसे कहा गया है?
(1) गोताखोर को
(2)
गंगा के सफाई कर्मी को
(3)
नगर निगम को
(4)
मंदिर के पुजारी को
9. गोधूलि बेला का क्या अर्थ है?
(1)
सुबह का समय
(2) शाम का समय
(3)
दोपहर का समय
(4)
स्रान का समय
10. नीलांजलि का क्या अर्थ है?
(1)
हवन
(2)
पूजा
(3) आरती
(4)
सूर्य
11. युगल का अर्थ है?
(1)
आशीर्वाद
(2)
लड़का
(3)
युवक
(4) जोड़ा
12. मन्नू कौन है?
(1)
संभव का बेटा
(2)
पारो का बेटा
(3)
संभव का भाई
(4) पारो का भतीजा
13. मनोकामना हेतु लाल पीले धागे कितने रुपए में बिक रहे थे?
(1) सवा रुपए में
(2)
₹1 में
(3)
₹2 में
(4)
एक अठन्नी में
14. लाउडस्पीकर में किसका स्वर गूंजा करता था?
(1) लता मंगेशकर का
(2)
आशा भोंसले का
(3)
नेहा कक्कड़ का
(4)
सोनू निगम का
15. पारो के साथ कौन था?
(1)
भाई
(2)
पिता
(3)
बेटा
(4) भतीजा
JCERT/JAC Hindi Elective प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
अंतरा भाग 2 | ||
पाठ | नाम | खंड |
कविता खंड | ||
पाठ-1 | जयशंकर प्रसाद | |
पाठ-2 | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला | |
पाठ-3 | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय | |
पाठ-4 | केदारनाथ सिंह | |
पाठ-5 | विष्णु खरे | |
पाठ-6 | रघुबीर सहाय | |
पाठ-7 | तुलसीदास | |
पाठ-8 | मलिक मुहम्मद जायसी | |
पाठ-9 | विद्यापति | |
पाठ-10 | केशवदास | |
पाठ-11 | घनानंद | |
गद्य खंड | ||
पाठ-1 | रामचन्द्र शुक्ल | |
पाठ-2 | पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी | |
पाठ-3 | ब्रजमोहन व्यास | |
पाठ-4 | फणीश्वरनाथ 'रेणु' | |
पाठ-5 | भीष्म साहनी | |
पाठ-6 | असगर वजाहत | |
पाठ-7 | निर्मल वर्मा | |
पाठ-8 | रामविलास शर्मा | |
पाठ-9 | ममता कालिया | |
पाठ-10 | हजारी प्रसाद द्विवेदी | |
अंतराल भाग - 2 | ||
पाठ-1 | प्रेमचंद | |
पाठ-2 | संजीव | |
पाठ-3 | विश्वनाथ तिरपाठी | |
पाठ- | प्रभाष जोशी | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | ||
1 | ||
2 | ||
3 | ||
4 | ||
5 | ||
6 | ||
7 | ||
8 | ||