प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 12
Hindi Elective
पाठ-1 सूरदास की झोंपड़ी
लेखक परिचय
प्रेमचंद
का जन्म वाराणसी जिले के लमही ग्राम में हुआ था। उनका मूल नाम धनपतराय था।
प्रेमचंद ने अपने लेखन की शुरुआत पहले उर्दू में नवावराय के नाम से की, बाद में
हिन्दी में लिखने लगे। उन्होंने अपने साहित्य में किसानों, दलितों, नारियों की
वेदना और वर्ण-व्यवस्था की कुरीतियों का मार्मिक चित्रण किया है। उन्होंने समाज
सुधार और राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत अनेक उपन्यासों एवं कहानियों की रचना की।
हिन्दी भाषा को लोकप्रिय बनाने में उनका विशेष योगदान है। संस्कृत के प्रचलित शब्दों
के साथ-साथ उर्दू की खानी इनकी विशेषता है। इनकी प्रमुख रचनाएँ- मानसरोवर (आठ भाग)
गुप्त धन (दो भाग) (कहानी संग्रह) निर्मला. सेवासदन, रंगभूमि, कर्मभूमि, गबन,
गोदान (उपन्यास) कर्बला, संग्राम, प्रेम की वेदी (नाटक) कुछ विचार (साहित्यिक
निबंध) है।
पाठ परिचय
सूरदास
की झोंपड़ी प्रेमचंद के उपन्यास रंगभूमि का एक अंश है। एक दृष्टिहीन व्यक्ति जितना
बेबस और लाचार जीवन जीने को अभिशप्त होता है। सूरदास का चरित्र ठीक इसके विपरीत
है। भैरों की पत्नी सुभागी भैरों की मार के डर से सूरदास की झोंपड़ी में छिप जाती
है और सुभागी को मारने भैरों सूरदास की झोंपड़ी में घुस जाता है किंतु सूरदास के
हस्तक्षेप से वह उसे मार नहीं पाता। भैरों को उकसाने और भड़काने का काम जगधर करता
है। सूरदास और सुभागी के संबंधों की चर्चा पूरे मुहल्ले में इतनी हुई कि भैरों
अपने अपमान और बदनामी का बदला लेने की सोचता है और सूरदास की झोपड़ी में आग लगा
देता है। सूरदास के रुपयों की थैली भी उठा ले जाता है। लेकिन सूरदास के चरित्र की
विशेषता यह है कि वह प्रतिशोध लेने में विश्वास नहीं करता बल्कि पुनर्निर्माण में
विश्वास करता है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न. चूल्हा ठंडा किया होता, तो दुश्मनों का कलेजा कैसे ठंडा
होता ? नायकराम के इस कथन में निहित भाव को स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर:-
यह कथन नायकराम ने कहा था। इस कथन में निहित भाव इस प्रकार है कि सूरदास के जल रहे
घर से उसके शत्रुओं को प्रसन्नता हो रही होगी। जगधर के पूछने पर कि आज चूल्हा ठंडा
नहीं किया था? इसके उत्तर में नायकराम ने यह उत्तर दिया था कि चूल्हा ठंडा किया होता
तो दुश्मनों का कलेजा कैसे ठंडा होता। नायकराम कहना चाहता है कि इस घटना से उसके शत्रुओं
को प्रसन्न होने का अवसर मिल रहा है। लोगों ने सोचा कि सूरदास के चूल्हे में जो अंगारे
थे, उनकी हवा से शायद यह आग लगी थी परन्तु सच यह नहीं था। भैरों ने सूरदास की झोंपड़ी
में जान बूझकर ऑग लगाई थी नायकराम जानता था कि आग चूल्हे की वजह से नहीं लगी है। किसी
ने लगाई है।
प्रश्न 2. भैरों ने सूरदास की झोंपड़ी क्यों
जलाई ?
उत्तर:-
भैरों सूरदास से बहुत नाराज था जब भैरों तथा उसकी पत्नी के बीच लड़ाई हुई तो नाराज
सुभागी सूरदास के घर चली गई। भैरों को यह बात अच्छी नहीं लगी कि सूरदास ने सुभागी को
अपने घर में रहने दिया। भैरों को सूरदास का यह करना अपना अपमान लगा। उसी दिन से उसने
सूरदास से बदला लेने की ठान ली। वह सूरदास को सबक सिखाना चाहता था। जिस घर के दम पर
उसने सुभागी को साथ रखा था, उसने उसी को जला दिया और अपना बदला ले लिया।
प्रश्न 3. यह फूस की राख न थी, उसकी अभिलाषाओं की राख थी"
संदर्भ सहित विवेचन कीजिए।
उत्तर:-
सूरदास एक अंधा भिखारी था। उसकी संपत्ति में एक झोपड़ी. जमीन का छोटा सा टुकड़ा और जीवन
भर जमा की गई पूजी थी। झोंपड़ी जल गई पर वह दोबारा भी बनाई जा सकती थी लेकिन उस आग
में उसकी जीवनभर की जमापूंजी जलकर राख हो गई थी। उसे दोबारा इतनी जल्दी जमा कर पाना
संभव नहीं था उसमे 500 सौ रुपये थे। उस पूंजी से उसे बहुत सी अभिलाषा थीं। वह कुआं
बनवाना चाहता था. मिठुआ का विवाह कराना चाहता था तथा अपने पितरों का पिंडदान करवाना
चाहता था। झोंपड़ी के साथ ही पूंजी के जल जाने से अब उसकी कोई भी अभिलाषा पूरी नहीं
हो सकती थी। उसे लगा कि यह फूस की राख नहीं है बल्कि उसकी अभिलाषाओं की राख है। अब
उसके पास दुख और पछतावा था। वह गर्म राख में अपनी अभिलाषाओं की राख को ढूंढ रहा था।
प्रश्न 4. जगधर के मन में किस तरह का ईर्ष्या भाव जगा और क्यों ?
उत्तर:-जगधर
जब भैरों के घर यह पता करने पहुँचा कि सूरदास के घर आग किसने लगाई है तो उसे पता लगा
कि भैरों ने ही सूरदास के घर आग लगाई थी। इसके साथ ही उसने सूरदास के पूरे जीवन भर
की जमापूंजी भी चुरा ली थी। यह जमापूंजी 500 से अधिक थी। जगधर जानता था कि यह इतना
रुपया है जिससे भैरों की जिन्दगी की सारी कठिनाई पलभर में दूर हो सकती है। भैरों की
चांदी होते देख, जगधर के मन में ईर्ष्या का भाव जगा।
प्रश्न 5. सूरदास जगधर से अपनी आर्थिक हानि को गुप्त क्यों रखना चाहता
था ?
उत्तर:-
सूरदास एक अंधा भिखारी था। वह लोगों के दान पर ही जीता था। एक अंधे भिखारी के पास इतना
धन होना लोगों के लिए हैरानी की बात हो सकती थी। इस धन का पता चलने पर लोग उसपर संदेह
कर सकते थे कि इसके पास इतना धन कहाँ से आया? लोग उसके प्रति तरह-तरह की बात कर सकते
थे। अतः जब जगधर ने उससे उन रुपयों के बारे में पूछा जो अब भैरों के पास थे तो सूरदास
सकपका गया और उन रुपयों को अपना मानने से इंकार कर दिया। वह स्वयं को समाज के आगे लज्जित
नहीं करना चाहता था। अतः वह जगधर से अपनी आर्थिक हानि को गुप्त रखना चाहता था।
प्रश्न 6. 'सूरदास उठ खड़ा हुआ और विजय गर्व की तरंग में राख के ढेर
को दोनों हाथों में उड़ाने लगा। इस कथन के संदर्भ में सूरदास की मनोदशा का वर्णन लीजिए।
उत्तर:-
सूरदास अपने रुपये की चोरी की बात से दुखी हो चुका था। उसके मन में परेशानी, दुख, तथा
ग्लानि के भाव थे। अचानक उसने धीसू तथा मिठुआ को यह कहते हुए सुना कि खेल में रोते
हो। इन कथन ने सूरदास की मनोदशा पर चमत्कारी परिवर्तन कर दिया। दुखी और निराश सूरदास
जैसे जी उठा । उसे अहसास हुआ कि जीवन संघर्षो का नाम है। इसमें हार जीत लगा रहता है।
इंसान को जीवन संघर्षो का डटकर सामना करना चाहिए। जो मनुष्य जीवन रूपी खेल में हार
मान लेता है। उसे दुख और निराशा के अलावा कुछ भी नहीं मिलता। धीसू के वचनों को सुन
वह जाग उठा और राख के ढेर को प्रसन्नता से दोनों हाथों से उड़ाने लगा। यह ऐसे मनुष्य
की मनोदशा है जिसने हार का मुँह तो देखा परंतु जो हारा नहीं बल्कि अपनी हार को भी जीत
में बदल दिया।
प्रश्न 7. "तो हम सौ लाख बार बनाएँगे" इस कथन के संदर्भ में
सूरदास के चरित्र का विवेचन कीजिए।
उत्तर:-
दृढ़ निश्चयी और संकल्पवान रुपये के जल जाने की बात ने सूरदास को कुछ समय के लिए दुखी
तो किया परंतु बच्चों की बातों ने जैसे उसे दोबारा खड़ा कर दिया। उसने दृढ़ निश्चय से
मुसीबतों का सामना करने की कसम खा ली।
कर्मठ
व परिश्रमी सूरदास भाग्य के भरोसे रहने वाला नहीं था। - उसे स्वयं पर विश्वास था। अतः
वह उठ खड़ा हुआ और परिश्रम के लिए तत्पर हो गया।
सहनशील
सबकुछ जल जाने के बाद भी वह जीवन को एक खेल मानते हुए सहनशील बना रहता है।
पुनर्निर्माण
में विश्वास सूरदास पुनर्निर्माण में आस्था रखता है। मिठुआ के इस प्रश्न पर कि कोई
सौ लाख बार आग लगा दें तो सूरदास कहता है कि हम सौ लाख बार बनाएँगे।
परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सूरदास की झोंपड़ी पाठ की वर्तमान समय में प्रासंगिकता क्या
है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:-
प्रस्तुत पाठ सूरदास की झोंपड़ी प्रेमचंद के प्रसिद्ध उपन्यास 'रंगभूमि का एक अंश है।
सूरदास उसका मुख्य पात्र और नायक है। उपन्यासकार ने उसके चरित्र के माध्यम से अपने
पाठकों को जीवन का सर्वोतम संदेश देने का प्रयास किया है। मानव जीवन संघर्षपूर्ण होता
है। मनुष्य के सामने अनेक समस्याएँ आती-जाती हैं। उसे अनेक विघ्न बाधाओं से होकर जीवन
की नौका खेनी होती है। समाज में अनेक लोगों को अकारण ईर्ष्या, द्वेष और दुश्मनी सहनी
होती है। सुरदास अंधा है, भिखारी है। वह अपना गुजारा भीख मांगकर करता है। वह फूस की
झोंपड़ी में शांति से रहता है। वह अपने दयालु स्वभाव के कारण भैरों की पत्नी सुभागी
को उसके पति की पिटाई से बचाता है। इस कारण वह भैरों का दुश्मन बन जाता है। भैरों उसकी
झोंपड़ी जला देता है और उसके रुपये चुरा लेता है। भैरों सूरदास को रोता हुआ देखना चाहता
है। फिर भी सूरदास उसके प्रति दुर्भावना नहीं रखता है। सूरदास के माध्यम से प्रेमचंद्र
संदेश देना चाहते हैं कि मनुष्य को निराशा, अवसाद और ग्लानि से बचना चाहिए। उसे दूसरों
पर दोषारोपण न कर स्वयं अपनी शक्ति और सामर्थ्य पर भरोसा रखना चाहिए। जीवन संघर्षो
का दृढ निश्चयी बनकर आत्मविश्वास से सामना करना चाहिए।
प्रश्न 2. सूरदास की झोंपड़ी के आधार पर भैरों का चरित्र-चित्रण कीजिए
?
उत्तर:-
'सूरदास की झोंपड़ी में भैरों को खलनायक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। उसमें प्रेम,
करुणा, उदारता, धैर्य, संतोष, ईमानदारी, सच्चाई जैसे सद्गुणों का अभाव है। वह अपनी
पत्नी सुभागी पर अत्याचार करता है और सूरदास से ईर्ष्या भाव रखकर उसकी झोंपड़ी जला
देता है। भैरों की चारित्रिक कमियों को निम्न रूपों में देखा जा सकता है।
1
क्रूरता एवं संवेदनशून्यता भैरों क्रूर संवेदनशून्य एवं निर्लज व्यक्ति
था। वह अपनी पत्नी को दासी समझकर पीटता है। पड़ोसी के घर जाकर पत्नी पर हाथ उठाने में
भी उसे तनिक शर्म नहीं आती।
2.
अविश्वास एवं संदेह करना भैरों शक्की किस्म का इंसान - है।
सुभागी के सूरदास के घर चले जाने और सूरदास के द्वारा उसे बचाने की बात का गलत अर्थ
लगाकर वह उन दोनों के चरित्र पर संदेह करने लगता है।
3.
बदले की भावना - भैरों बदले की भावना से ग्रसित व्यक्ति है
जब मुहल्ले वाले उसकी पत्नी सुभागी और सूरदास के बारे में उल्टी-सीधी बातें करते हैं,
जिससे उसकी भी बदनामी होती है तो वह सूरदास को सबक सिखाने के लिए उसकी झोपड़ी में आग
लगा देता है। इससे उसके बदले की आग ठंडी हो जाती है। जिसका उल्लेख वह जगधर से भी करता
है।
4.
चोरी करना भैरों उम्दा दर्जे का चोर भी है। पाठ में इसका प्रमाण तब
मिलता है जब वह सूरदास की झोंपड़ी में आग लगाने के बाद धरन के ऊपर रखी रुपयों की पोटली
चुरा कर चुपचाप अपने घर ले आता है।
5.
ईर्ष्यालु भैरों में ईर्ष्या की भावना कूट-कूट कर भरी थी। सूरदास के
रुपये चुरा लाने के बाद जगधर के सामने अपने मन के भाव उजागर करता हुआ उसके बारे में
कहता है कि उसे इन्हीं पैसों की गर्मी थी जो अब निकल जाएगी। अब मैं देखता हूँ किसके
बल पर उछलता है। उसका यह कथन उसके चरित्र की ईष्यालु प्रवृत्ति को उजागर करता है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. झोंपड़ी में लगी आग में सब कुछ जलकर राख हो गया था लेकिन
फिर भी सूरदास राख में रुपये क्यों खोजता है ?
उत्तर:-
झोंपड़ी में लगी आग में सब कुछ जलकर राख हो गया था लेकिन फिर भी सूरदास राख में रुपये
खोजता है क्योंकि उसे आशा थी कि रुपये भले ही जल गए हो, चाँदी तो बची होगी। ये रुपये
उसके समस्त जीवन की पूँजी थी।
प्रश्न 2. जो कुछ होना था, हो चुका यह कथन सूरदास के चरित्र की किन
विशेषताओं को उजागर करता है ?
उत्तर:-
जो कुछ होना था, हो चुका। यह कथन सूरदास को भाग्यवादी होने तथा व्यर्थ में बात न बढ़ाने
वाले व्यक्ति के रूप में प्रकट करता है।
प्रश्न 3. सुरदास झोंपड़ी जल जाने के बाद रुपये एकत्रित करने के विषय
मैं क्या विचार करता है?
उत्तर:-
सूरदास झोंपड़ी जल जाने के बाद रुपये एकत्रित करने के विषय विचार करता है कि पैसे किसी
और के पास रख देता। इससे अच्छा तो धन संचय ही न करता या अपने ऊपर खर्च करता, एक- एक
काम पूरा करता जाता। मेरी ही गलती थी कि सारे काम एक साथ निपटाने की सोचता रहा।
अति लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. रात में कितने बजे अकस्मात् सूरदास की झोंपड़ी में आग की ज्वाला
भड़क उठी ?
उत्तर:-
रात में दो बच्चे अकस्मात् सूरदास की झोंपड़ी में आग की ज्वाला भड़क उठी।
प्रश्न 2. जब जगधर भैरों से मिलने पहुंचा तब भैरों क्या कर रहा था
?
उत्तर:-
जब जगधर भैरों से मिलने पहुंचा तब भैरों चुपचाप बैठकर नारियल का हुक्का पी रहा था।
प्रश्न 3. जगधर तेल की मिठाई को क्या कहकर बेचता है?
उत्तर:-
जगधर तेल की मिठाई को घी की मिठाई कहकर बेचा था।
प्रश्न 4. छाती पर साँप लोटना' मुहावरे का क्या अर्थ है?
उत्तर:-
छाती पर साँप लोटना मुहावरे का अर्थ है - ईर्ष्या करना ।
प्रश्न 5. सूरदास ने अपने पैसों की पोटली कहाँ रखी थी?
उत्तर:-
सूरदास ने अपने पैसों की पोटली झोंपड़ी में धरन के ऊपर रखी थी।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. 'सूरदास की झोंपड़ी के लेखक है ?
1 प्रेमचंद
2
फणीश्वरनाथ रेणु
3
संजीव
4
विश्वनाथ त्रिपाठी
प्रश्न 2. 'सूरदास की झोंपड़ी' किस उपन्यास का अंश है ?
1
कर्मभूमि
2
गबन
3 रंगभूमि
4
सेवा सदन
प्रश्न 3. सुभागी किसकी पत्नी थी ?
1
सूरदास
2 भैरों
3
जगधर
4
उपरोक्त में कोई नहीं
प्रश्न 4. सूरदास की झोंपड़ी किसके द्वारा जलाई गई ?
1 भैरों
2
जगधर
3
सुभागी
4
उपरोक्त सभी
प्रश्न 5. सूरदास की पोटली किसने चुराई थी ?
1
जगधर
2 भैरों
3
मिठुआ
4
नायकराम
प्रश्न 6. चूल्हा ठंडा किया होता तो दुश्मनों का कलेजा कैसे ठंडा होता'
यह कथन किसका है ?
1
भैंरो
2
जगधर
3
सुभागी
4 नायकराम
प्रश्न 7. सूरदास की पोटली में कितने पैसे थे ?
1
हजार रुपये
2 पाँच सौ रूपये से ऊपर
3
सौ रुपये
4
पचास रुपये
प्रश्न 8. भैरों को सूरदास के प्रति उकसाने का कार्य किसने किया?
1
मोहल्ला वालों ने
2 जगधर ने
3
मिठुआ ने
4
सुभागी ने
प्रश्न 9. सूरदास को किसके जल जाने का ज्यादा दुःख था ?
1
झोंपड़ी के जल जाने का
2
बर्तनों के जल जाने का
3 पोटली के जल जाने का
4
उपरोक्त सभी
प्रश्न 10. --------से ज्यादा दीर्घजीवी और कोई वस्तु नहीं होती।
1
क्रोध
2
दुःख
3 आशा
4
सुख
प्रश्न 11. सूरदास ने पैसे कैसे जमा किये थे?
1
मेहनत करके
2 भीख मांगकर
3
खेती करके
4.
उपरोक्त सभी
प्रश्न 12. अंधे भिखारी के लिए दरिद्रता इतनी शर्म की बात नहीं जितना?
1
बर्तन
2
घर
3
इज्जत
4 धन
प्रश्न 13. सूरदास अपने पुत्र और उसके मित्रों की बात सुनकर इस जीवन
को क्या मान लेता है ?
1 खेल
2
संगीत
3
युद्ध
4
परिश्रम
प्रश्न 14. 'तो हम सौ लाख कर बनाएंगे इस कथन से सूरदास के किस चरित्र
का पता चलता है ?
1
आलस्य
2 हार न मानने की
3
अहंकारी
4
निराशावादी
प्रश्न 15. 'तुम खेल में रोते हो यह बात किसने किससे कहीं?
1 घीसू ने मिठुआ से
2
मिठुआ ने सूरदास से
3
सूरदास ते जगधर से
4
सुभागी ने भैरो से
प्रश्न 16. सूरदास की अभिलाषाएँ क्या थी?
1
पितरों का पिंडदान करना
2
मिठुआ का व्याह करना
3
एक कुआं बनवाना
4 उपरोक्त सभी
प्रश्न 17. जगधर की छाती पर साँप क्यों लोट रहे थे ?
1
क्योंकि उससे सूरदास की स्थिति नहीं देखी जा रही थी।
2 क्योंकि भैरों ने पोटली के सभी पैसे अपने पास रख लिये थे।
3
क्योंकि भैरों ने सूरदास की पोटली चुराई थी।
4
इनमें से कोई नहीं ।
प्रश्न 18. जगधर कैसा व्यक्ति था ?
1
धनी व्यक्ति
2
निर्धन व्यक्ति
3 लालची व्यक्ति
4
सामान्य व्यक्ति
प्रश्न 19. सूरदास अपनी आर्थिक हानि को जगधर से गुप्त क्यों रखना चाहता
था ?
1 क्योंकि एक गरीब के पास इतने पैसे होना लज्जा की बात है।
2
क्योंकि वह सभी से पोटली की बात गुप्त रखना चाहता था।
3
क्योंकि वह जगधर को पोटली के बारे नहीं बताना चाहता था।
4
उपरोक्त में कोई नहीं ।
प्रश्न 20. झोंपड़ी की आग को किस आग के समान बताया गया है ?
1
प्रेम की आग के समान
2
विरह की आग के समान
3
विजय की आग के समान
4 ईर्ष्या की आग के समान
JCERT/JAC Hindi Elective प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
अंतरा भाग 2 | ||
पाठ | नाम | खंड |
कविता खंड | ||
पाठ-1 | जयशंकर प्रसाद | |
पाठ-2 | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला | |
पाठ-3 | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय | |
पाठ-4 | केदारनाथ सिंह | |
पाठ-5 | विष्णु खरे | |
पाठ-6 | रघुबीर सहाय | |
पाठ-7 | तुलसीदास | |
पाठ-8 | मलिक मुहम्मद जायसी | |
पाठ-9 | विद्यापति | |
पाठ-10 | केशवदास | |
पाठ-11 | घनानंद | |
गद्य खंड | ||
पाठ-1 | रामचन्द्र शुक्ल | |
पाठ-2 | पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी | |
पाठ-3 | ब्रजमोहन व्यास | |
पाठ-4 | फणीश्वरनाथ 'रेणु' | |
पाठ-5 | भीष्म साहनी | |
पाठ-6 | असगर वजाहत | |
पाठ-7 | निर्मल वर्मा | |
पाठ-8 | रामविलास शर्मा | |
पाठ-9 | ममता कालिया | |
पाठ-10 | हजारी प्रसाद द्विवेदी | |
अंतराल भाग - 2 | ||
पाठ-1 | प्रेमचंद | |
पाठ-2 | संजीव | |
पाठ-3 | विश्वनाथ तिरपाठी | |
पाठ- | प्रभाष जोशी | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | ||
1 | ||
2 | ||
3 | ||
4 | ||
5 | ||
6 | ||
7 | ||
8 | ||