प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 12
Hindi Elective
पाठ- 7 (क) भरत राम का प्रेम
कवि परिचय
तुलसीदास
लोकमंगल की साधना के कवि हैं। उन्हें समन्वय का कवि भी कहा जाता है। तुलसीदास का भावजगत
धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से बहुत व्यापक है। उनमें मानव प्रकृति और जीवन
जगत संबंधी गहरी अंतर्दृष्टि और व्यापक जीवन अनुभव था, जिसके कारण उनकी रचना में लोक
जीवन के विभिन्न पक्षों का उद्घाटन संभव हो सका। तुलसी के काव्य में विश्व बोध और आत्मबोध
का अद्वितीय समन्वय हुआ है।
तुलसीदास
की रचनाओं में भाव, विचार, काव्यरुप, छंद- विवेचन और भाषा की विविधता मिलती है। ब्रज
और अवधी दोनों ही भाषाओं पर तुलसी का असाधारण अधिकार था। इनकी रचना 'रामचरितमानस' को
हिंदी का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य माना जाता है। इसकी भाषा अवधि है तथा इसमें मुख्यतः
दोहा और चौपाई छंद का प्रयोग हुआ है। कवितावली कवित्त और सवैया छंद में रचित उत्कृष्ट
रचना है। तुलसीदास द्वारा ब्रज भाषा में रचित 'विनय पत्रिका' आध्यात्मिक जीवन को परिलक्षित
करती है।
पाठ परिचय
प्रस्तुत
चौपाई और दोहे रामचरितमानस के 'अयोध्या कांड' से ली गई हैं। इन छंदों में राम वन गमन
के पश्चात भरत की मनोदशा का वर्णन किया गया है। भरत भावुक हृदय से बताते हैं कि राम
का उनके प्रति अत्यधिक प्रेम भाव है। वे बचपन से ही भरत को खेल में सहयोग देते रहते
थे और उनका मन कभी नहीं तोड़ते थे। वह कहते हैं कि इस प्रेम भाव को भाग्य सहन नहीं
कर सका और माता के रूप में उसने व्यवधान उपस्थित कर दिया। राम के वन गमन से अन्य माताएं
और अयोध्या के सभी नगरवासी अत्यंत दुखी हैं।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. 'हारेहुं खेल जितावहिं मोंही' भरत के इस कथन का क्या आशय
है?
उत्तर-
तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के इस प्रसंग में प्रभु श्री राम के छोटे भाई भरत का श्रीराम
के प्रति गहन विश्वास प्रकट किया है। भरत भ्राता राम के प्रति विश्वास एवं प्रेम व्यक्त
करते हुए कहते हैं कि भ्राता राम का मुझ पर विशेष सेह रहा है। बचपन में जब खेल में
मैं हार जाता था, तो मुझे ही विजयी घोषित करते थे। भरत का ऐसा कहने का तात्पर्य यह
है कि भ्राता राम खेल में भी कभी अपने अनुजों का हृदय व्यथित नहीं कर सकते।
प्रश्न 2. 'भरत -राम प्रेम कविता में तुलसी ने राम के स्वभाव की किन
विशेषताओं का वर्णन किया है?
उत्तर-
तुलसी भरत के माध्यम से राम के स्वभाव की विशेषताओं का वर्णन करते हुए कहते हैं कि
भ्राता राम अपराध करने वालों पर भी क्रोधित नहीं होते। राम खेल में भी कभी अप्रसन्न
नहीं होते। भरत का कहना है कि उनके प्रति राम का विशेष स्रेह रहा है। बचपन में खेलते
समय जीतने पर भी राम हारने का स्वांग करते थे ताकि अनुज को दुख ना हो। श्रीराम स्वभाव
से सरल है तथा सदैव सभी के प्रति निश्चल प्रेम भावना रखते हैं।
प्रश्न 3. भरत का आत्म परिताप उनके चरित्र के किस उज्ज्वल पक्ष की ओर
संकेत करता है?
उत्तर-
भरत का आत्म परिताप प्रभु श्री राम के प्रति हुए अन्याय के कारण व्यक्त हुआ है। उन्हें
यह संताप दुखी कर देता है कि उनकी माता कैकयी के द्वारा जो कष्ट राम को मिला है, उसमें
उनका कोई हाथ नहीं है। भरत का यह आत्म परिताप उनके भ्रातृ प्रेम एवं निष्कपट व्यवहार
को दर्शाता है।
प्रश्न 4 राम के प्रति अपने श्रद्धा भाव को भरत किस प्रकार प्रकट करते
हैं, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
रामचरितमानस के 'अयोध्या कांड' से उद्धृत इस अंक में भरत अपने भ्राता श्री राम के प्रति
गहन आस्था विश्वास और प्रेम प्रकट करते हुए कहते हैं कि मैं भ्राता राम के सरल स्वभाव
को भली-भांति जानता हूं। वे किसी के द्वारा अपराध किए जाने पर भी कभी क्रोधित नहीं
होते हैं। उनका तो मेरे प्रति विशेष स्रेह हैं। इसलिए बचपन में उन्होंने खेल में भी
मेरा कभी मन नहीं दुखाया।
प्रश्न 5. महीं सकल अनरथ कर मूला' पंक्ति द्वारा भरत के विचारों-भावों
का स्पष्टीकरण कीजिए।
उत्तर-
महीं सकल अनरथ कर मूला पंक्ति द्वारा भरत स्पष्ट करना चाहते हैं कि- मैं ही सारे अनर्थों
का मूल हूं।' राम के वन जाने में अन्य किसी का कोई विशेष दोष नहीं है। वास्तव में,
विधाता से हम दो भाइयों का प्रेम सहा नहीं गया। उसने माता के बहाने हम दोनों के बीच
भेद उत्पन्न करने का प्रयत्न किया है। भरत अपने दुर्भाग्य को कोसते हैं और अपने जीवन
की निरर्थकता पर विलाप करते हैं।
प्रश्न 6 फरै कि कोदव बालि सुसाली मुकुता प्रसव कि संबुक 'काली' पंक्ति
में छिपे भाव और शिल्प सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
फरै कि कोदव बालि सुसाली। मुकुता प्रसव कि संबुक काली। इस पंक्ति में भरत जी स्वयं
को दोषी मान रहे हैं। वे मानते हैं कि कोदों की बाली उत्तम धान पैदा नहीं कर सकती।
इसी तरह काली घोंघी मोती पैदा करने में असमर्थ होती है। इसलिए सपने में भी अन्य को
दोष देना न्यायोचित नहीं है। उसने तो अपने पापों का परिणाम जाने बिना ही माता का मन
दुखाया है। तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में सहज अभिव्यक्ति की है। चौपाई छंद में रचित
पद नीतिपरक है। उदाहरण अलंकार का श्रेष्ठ चित्रण है।
परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न-1. निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
पुलकि
सरीर सभा भए ठाढ़े। नीरज- नयन नेह जल बाढ़े।।
कहा
मोर मुनिनाथ निबाहा। एहि तें अधिक कहाँ मैं कहा ।।
उत्तर-
संदर्भ प्रस्तुत काव्यांश भरत राम का प्रेम शीर्षक पद से उद्धृत है। यह पद तुलसीदास
के द्वारा रचित ग्रंथ 'रामचरितमानस' के 'अयोध्या कांड का अंश है।
प्रसंग-
प्रस्तुत काव्यांश में राम के वन गमन के बाद भरत की मानसिक दशा का वर्णन किया गया है
वह अपने प्रति राम के अनन्य प्रेम को याद करते हुए अपने हृदय के भावों को प्रकट कर
रहे हैं।
व्याख्या-
भरत राम के वन गमन से उद्विग्न हैं। वे राम को मनाने चित्रकूट गए। वहां मुनि वशिष्ठ
के कहने पर वह सभा में बोलने के लिए उठे तो उनका शरीर रोमांचित हो गया और उनके कमल
के समान नेत्रों से प्रेम के आंसू बहने लगे। उन्होंने कहा कि मेरी भावना तो मुनि वशिष्ठ
के कथन में ही व्यक्त हो गई है। इससे अधिक मैं और क्या कहूं। भरत कहते हैं कि मैं अपने
भाई के स्वभाव को अच्छी तरह जानता हूं अर्थात उनका स्वभाव अत्यंत ही है। इन पंक्तियों
में भरत का राम के प्रति गहरा प्रेम और श्रद्धा भाव की अभिव्यक्ति हुई है।
विशेष
(1) भरत का राम के प्रति अनन्य प्रेम प्रकट हुआ है।
(2)
काव्यांश अवधी भाषा में रचित है।
(3)
काव्यांश में भक्ति तथा शांत रस का अन्यतम रूप मिलता है।
(4)
नीरज-नयन तथा नेह जल में रूपक अलंकार है
(5)
काव्यांश में संगीतात्मकता के गुण उपस्थित हैं।
(6)
शैली प्रबंधात्मक है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न-1. रामचरितमानस में कितने कांड हैं? उनके नाम लिखिए
उत्तर-
रामचरितमानस में सात कांड हैं। ये निम्नलिखित हैं-
(i)
बालकांड ii) अयोध्याकांड
(iii)
अरण्यकांड (iv) किष्किंधाकांड
(v)
सुंदरकांड (vi) लंकाकांड
(vii)
उत्तरकांड
प्रश्न-2. भरत और राम के प्रेम को वर्तमान के लिए आप कितना प्रासंगिक
मानते हैं
उत्तर-
भरत और राम का प्रेम वर्तमान के लिए प्रासंगिक है और आवश्यक भी। आज रिश्तों का महत्व
समाप्त होता जा रहा है, या यूं कहें कि सारे रिश्ते खोखले होते जा रहे हैं। बाहर से
दिखावा और अंदर से नाम मात्र की भी मजबूती नहीं। भौतिकता के पीछे भागते भागते मनुष्य
वास्तविक सुख और आनंद से वंचित होता जा रहा है। वास्तव में सच्चा सुख और आनंद आपसी
प्रेम से ही मिलता है। समाज में यदि भरत और राम के समान भाइयों में प्रेम व्यवहार हो
तो जीवन की अनेक समस्याएं एवं बुराइयां स्वयं समाप्त हो जाएंगी।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. तुलसीदास का जन्म स्थान कहां था?
1.
वृंदावन, उत्तर प्रदेश
2. बाँदा, उत्तर प्रदेश
3.
अमेठी, उत्तर प्रदेश
4.
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
प्रश्न 2. तुलसीदास की माता का नाम क्या था?
1.
तुलसी
2. हुलसी
3.
चंद्रावती
4.
इरावती
प्रश्न 3. तुलसीदास किस शाखा के कवि हैं?
1. राम भक्त
2.
कृष्ण भक्त
3.
शिव भक्त
4.
उपर्युक्त सभी
प्रश्न 4. तुलसीदास की पत्नी का क्या नाम था?
1. रत्नावली
2.
अपराजिता
3.
सुलोचना
4.
प्रभावती
प्रश्न 5 तुलसीदास की भाषा कौन सी है?
1.
अवधी
2.
ब्रज
3. उपर्युक्त दोनों
4.
इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 6. तुलसी के राम स्वभाव से कैसे हैं?
1.
कठोर
2.
चंचल
3.
क्रोधी
4. अति कृपालु
प्रश्न 7. भरत राम का प्रेम रामचरितमानस के किस कांड से संबंधित है?
1.
बालकांड
2. अयोध्याकांड
3.
अरण्यकांड
4.
सुंदरकांड
प्रश्न 8. भरत राम को मनाने किस प्रसिद्ध स्थल पर गए थे?
1. चित्रकूट
2.
ऋषि मुख पर्वत
3.
लंका
4.
कैकई देश
प्रश्न 9. भरत, वन में राम के पास क्यों गए थे?
1.
राज्य अभिषेक के लिए
2. राम को मनाने के लिए
3.
वन घूमने के लिए
4.
राम की रक्षा के लिए
प्रश्न 10. सभा किस स्थल पर लगाई गई थी?
1.
अयोध्या
2.
किष्किंधा
3.
लंका
4. चित्रकूट
प्रश्न 11. भरत ने सब अनर्थ का मूल किसको माना है?
1.
राम को
2.
कैकई को
3.
राजा दशरथ को
4. स्वयं को
JCERT/JAC Hindi Elective प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
अंतरा भाग 2 | ||
पाठ | नाम | खंड |
कविता खंड | ||
पाठ-1 | जयशंकर प्रसाद | |
पाठ-2 | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला | |
पाठ-3 | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय | |
पाठ-4 | केदारनाथ सिंह | |
पाठ-5 | विष्णु खरे | |
पाठ-6 | रघुबीर सहाय | |
पाठ-7 | तुलसीदास | |
पाठ-8 | मलिक मुहम्मद जायसी | |
पाठ-9 | विद्यापति | |
पाठ-10 | केशवदास | |
पाठ-11 | घनानंद | |
गद्य खंड | ||
पाठ-1 | रामचन्द्र शुक्ल | |
पाठ-2 | पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी | |
पाठ-3 | ब्रजमोहन व्यास | |
पाठ-4 | फणीश्वरनाथ 'रेणु' | |
पाठ-5 | भीष्म साहनी | |
पाठ-6 | असगर वजाहत | |
पाठ-7 | निर्मल वर्मा | |
पाठ-8 | रामविलास शर्मा | |
पाठ-9 | ममता कालिया | |
पाठ-10 | हजारी प्रसाद द्विवेदी | |
अंतराल भाग - 2 | ||
पाठ-1 | प्रेमचंद | |
पाठ-2 | संजीव | |
पाठ-3 | विश्वनाथ तिरपाठी | |
पाठ- | प्रभाष जोशी | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | ||
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