प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
Class - 12
Hindi Elective
1. अनुच्छेद-लेखन
1. अनुच्छेद किसे कहते हैं? अनुच्छेद लेखन में
किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर- किसी एक भाव या विचार को व्यक्त करने के लिए लिखे गए सम्बद्ध एवं लघु
वाक्य समूह को अनुच्छेद लेखन कहते हैं।
दूसरे
शब्दों में किसी घटना दृश्य अथवा विषय को संक्षिप्त किंतु सारगर्भित ढंग से जिस
लेखन शैली में प्रस्तुत किया जाता है उसे अनुच्छेद लेखन कहते हैं। यह अंग्रेजी
भाषा के पैराग्राफ' शब्द का हिंदी पर्याय है। अनुच्छेद निबंध का संक्षिप्त रूप
होता है। इसमें किसी विषय के किसी एक पक्ष पर 80 या 100 शब्दों में अपने विचार
व्यक्त किए जाते हैं। अनुच्छेद में हर वाक्य अपने मूल विषय से जुड़ा रहता है।
अनुच्छेद अपने आप में स्वतंत्र और पूर्ण होते हैं। अनुच्छेद के सभी वाक्य एक दूसरे
से जुड़े रहते हैं। उसमें एक भी वाक्य बेकार और अनावश्यक नहीं होता।
अनुच्छेद
लिखते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए-
1.
अनुच्छेद लिखने से पहले रूपरेखा, संकेत-बिंदु आदि तैयार करना चाहिए।
2.
अनुच्छेद में विषय के किसी एक ही पक्ष का वर्णन होना चाहिए।
3.
भाषा सरल स्पष्ट और प्रभावशाली होनी चाहिए।
4.
बातों का दोहराव नहीं होना चाहिए।
5.
अनावश्यक विस्तार नहीं होना चाहिए।
6.
शब्द सीमा का ध्यान रखना चाहिए।
7.
पूरे अनुच्छेद में एकरूपता होनी चाहिए।
8.
विषय से संबंधित सूक्ति अथवा कविता की पंक्तियों का प्रयोग करना
चाहिए ।
2. निबंध और अनुच्छेद में क्या अंतर है?
उत्तर-
जहां निबंध में प्रत्येक बिंदु को अलग-अलग अनुच्छेद में लिखा जाता है, वहीं
अनुच्छेद लेखन में एक ही परिच्छेद या पैराग्राफ में प्रस्तुत विषय को सीमित शब्दों
में प्रस्तुत किया जाता है। इसके अतिरिक्त निबंध की तरह भूमिका, मध्य भाग एवं
उपसंहार जैसा विभाजन अनुच्छेद में करने की आवश्यकता नहीं होती। अनुच्छेद अपने आप
में स्वतंत्र और पूर्ण होते हैं। अनुच्छेद का मुख्य विचार या भाव की कुंजी या तो
आरंभ में रहती है या अंत में जिस अनुच्छेद मैं मुख्य विचार या भाव अंत में होता
है, वह उच्च कोटि का माना जाता है।
3. निम्नलिखित विषयों पर अनुच्छेद लिखिए-
क.
कंप्यूटर आज की जरूरत'
कंप्यूटर
की उपयोगिता सर्वविदित है। जीवन के हर क्षेत्र में यह अत्यंत महत्वपूर्ण उपकरण
प्रमाणित हो चुका है। कृषि, चिकित्सा, व्यवसाय, शिक्षा, बैंक, रेलवे, हवाई सेवा,
डाक सेवा
हर जगह इसने अपना अभूतपूर्व स्थान बना लिया है। आश्चर्य की बात तो यह है कि बस बटन
दबाओ और काम बन गया।
सेकेंडों
में कीजिए, घंटे भर का काम।
कहीं
भी, कभी भी, सुबह हो या शाम ।।
एक
समय विज्ञान ने कंप्यूटर को बनाया था किंतु आज विज्ञान के कार्यभार को कंप्यूटर ने
संभाल रखा है। पृथ्वी के एक छोर पर बैठकर हम दूसरे छोर की जानकारी मिनट में हासिल कर
लेते हैं। ब्रह्मांड की जानकारी भी प्राप्त कर रहे हैं। चांद पर पहुंच गए हैं। ज्योतिष
शास्त्र की गणना, चिकित्सा के क्षेत्र में नए अनुसंधान एवं शोध पुलिस विभाग को रहस्यमय
गुत्थियाँ सुलझाने में मदद आदि न जाने कितने कार्य हैं। जो कंप्यूटर के आने से अत्यंत
शीघ्र और सुलभ हो गए हैं। फाइलों का झंझट अब लगभग खत्म हो गया है। बैंक, विद्यालय इत्यादि
संस्था अपनी जानकारी कंप्यूटर पर अपलोड करके पासवर्ड डालकर रख लेते हैं। जरूरत पड़ने
पर पल भर में देख लेते हैं। छात्रों के लिए ज्ञानवर्धक किताबें भी हैं। फिल्म भी है,
गेम और मनोरंजन के विभिन्न साधन भी हैं तथा साथ ही साथ समाज को बर्बादी के रास्ते पर
ले जाने वाला अश्लील साइट भी है। यह हमारे लिए अभिशाप और वरदान दोनों है। यह हमारे
विवेक और बुद्धि की बात है कि हम इसका सदुपयोग करते हैं या दुरुपयोग ।
ख.
काल करे सो आज कर
समय
सर्वश्रेष्ठ धन है। जिसने समय के महत्व को नहीं जाना, पहचाना, समझा उसका जीवन अभिशाप
से भर गया। वह जीवन में कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकता। एक अंग्रेजी कहावत हैं
"टाइम एंड टाइड वेट फॉर नना" अवसर और समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करते। बीता
समय वापस नहीं लौटता। संत तुलसीदास जी ने कहा है-
समय
चूकी क्या पछितानी ।
का
वर्षा जब कृषि सुखानी ।।
खेती
का समय बीत जाने पर होने वाली वर्षा का क्या उपयोग? अवसर को पीछे से कभी भी नहीं पकड़ा
जा सकता। नदी उलट कर बह सकती है, हवा विपरीत दिशा मैं चल सकती है, लेकिन समय का प्रवाह
कभी भी उलटी दिशा में नहीं जाता। समय की ओर से विमुख करने वाला हमारा सबसे बड़ा शत्रु
आलस्य है अतः समय को जीतने के लिए आलस्य को जीतना आवश्यक है। जिन्होंने समय के मूल्य
को पहचाना उन्होंने इतिहास के पन्नों पर अपने नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित करवाएं।
सिकंदर महान, नेपोलियन, वीर शिवाजी, रानी लक्ष्मीबाई, डॉ राजेंद्र प्रसाद अनगिनत उदाहरण
हमारे लिए प्रेरणा स्रोत हैं। अंत में हम कह सकते हैं कि समय ईश्वर का सबसे बड़ा उपहार
है। यदि आप समय बर्बाद करते हैं तो समय आपको बर्बाद कर देगा। अतः हमें समय के महत्व
को समझ कर इसका सदैव सदुपयोग करना चाहिए।
ग.
कर्म ही पूजा है
गीता
में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है- "कर्मण्य वाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन ।"
मनुष्य
का अधिकार कर्म मात्र पर है। परिश्रम ही मनुष्य का आभूषण है। परिश्रम से ही मनुष्य
का प्रत्येक सपना साकार होता है । दृढ़ संकल्प लेकर बढ़ता हुआ मनुष्य पत्थर को भी पानी
बना देता है। पर्वतों को भी चकनाचूर कर देता है। महर्षि भगीरथ ने अगर घोर परिश्रम ना
किया होता. तो भागीरथी गंगा स्वर्ग से धरती पर नहीं उतरती । धरती हरियाली से नहीं लहराती
। परिश्रम से ही सब कुछ मिलता है। श्रम से ही कार्य की सिद्धि होती है। केवल दिवास्वप्न
देखना और बड़े-बड़े संकल्पों को लेने से कुछ नहीं होता, अपितु परिश्रम करने से ही जीवन
में सब कुछ प्राप्त होता है। जो मेहनती होते हैं, उन पर लक्ष्मी और सरस्वती दोनों की
कृपा बरसती है। जीवन को सुख सुविधा पूर्ण बनाने के लिए कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती
है। सागर में डुबकी लगाने पर मोती हाथ लगता है। लहरों से भयभीत हो जाने वाला कभी भी
मोती नहीं पा सकता। परिश्रम में ही आनंद है, परिश्रम तन और मन दोनों को स्वस्थ रखता
है। सुंदर स्वस्थ एवं सफल जीवन की प्राप्ति के लिए हमें सदा परिश्रम करते रहना चाहिए।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. निबंध ...... साहित्य की एक विद्या है।
1. गद्य
2.
पद्य
3.
महाकाव्य
4.
काव्य
2. निबन्ध का अंतिम भाग कहलाता है-
1.
परिचय
2. निष्कर्ष
3.
विषय-विस्तार
4.
प्रस्तावना
3. अनुच्छेद किस विद्या का संक्षिप्त रुप है?
1.
यात्रावृत्तांत
2. निबंध
3.
डायरी
4.
कहानी
4. अनुच्छेद लिखते समय क्या आवश्यक है?
1.
अनावश्यक विषय-विस्तार
2. शब्द सीमा का ध्यान
3.
बातों का दोहराव
4. अनेक पक्षों का वर्णन
JCERT/JAC Hindi Elective प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
अंतरा भाग 2 | ||
पाठ | नाम | खंड |
कविता खंड | ||
पाठ-1 | जयशंकर प्रसाद | |
पाठ-2 | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला | |
पाठ-3 | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय | |
पाठ-4 | केदारनाथ सिंह | |
पाठ-5 | विष्णु खरे | |
पाठ-6 | रघुबीर सहाय | |
पाठ-7 | तुलसीदास | |
पाठ-8 | मलिक मुहम्मद जायसी | |
पाठ-9 | विद्यापति | |
पाठ-10 | केशवदास | |
पाठ-11 | घनानंद | |
गद्य खंड | ||
पाठ-1 | रामचन्द्र शुक्ल | |
पाठ-2 | पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी | |
पाठ-3 | ब्रजमोहन व्यास | |
पाठ-4 | फणीश्वरनाथ 'रेणु' | |
पाठ-5 | भीष्म साहनी | |
पाठ-6 | असगर वजाहत | |
पाठ-7 | निर्मल वर्मा | |
पाठ-8 | रामविलास शर्मा | |
पाठ-9 | ममता कालिया | |
पाठ-10 | हजारी प्रसाद द्विवेदी | |
अंतराल भाग - 2 | ||
पाठ-1 | प्रेमचंद | |
पाठ-2 | संजीव | |
पाठ-3 | विश्वनाथ तिरपाठी | |
पाठ- | प्रभाष जोशी | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | ||
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