ANNUAL INTERMEDIATE
EXAMINATION - 2024
HINDI - A (CORE) Science
/Commerce (Compulsory)
08.02.2024
Total Time: 3 Hours 15
minute
Full Marks: 80
सामान्य
निर्देश
1. This Question Booklet
has two Parts - Part-A and Part-B. इस प्रश्न-पुस्तिका में दो भाग भाग-A तथा भाग-B
हैं।
2. Part-A is of MCQ Type
having 30 marks and Part-B is of Subjective Type having 50 marks.
भाग-A में 30 अंक के
बहुविकल्पीय प्रश्न तथा भाग-B में 50 अंक के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं।
3. The candidate has to
answer in the Answer Booklet which will be provided separately.
परीक्षार्थी को अलग से
उपलब्ध कराई गई उत्तर-पुस्तिका में उत्तर देना है।
4. Part-A There are 30
Multiple Choice Questions having four (4) options (A, B, C & D). The
candidate has to write the correct option in the Answer Booklet. All questions
are compulsory. Each question carries 1 mark. There is no negative marking for wrong
answer.
भाग-A इसमें 30
बहुविकल्पीय प्रश्न हैं जिनके 4 विकल्प (A, B, C तथा D ) हैं। परीक्षार्थी को
उत्तर-पुस्तिका में सही उत्तर लिखना है। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न
1 अंक का है। गलत उत्तर के लिए कोई अंक काटा नहीं जाएगा।
5. Part-B There are three
sections: Section-A, B & C.
This part is of
Subjective Type having Very Short Answer, Short Answer & Long Answer Type
questions. Total number of questions is 22.
Section-A Question Nos.
31-38 are Very Short Answer Type. Answer any 6 questions. Each question carries
2 marks.
Section-B Question Nos.
39-46 are Short Answer Type. Answer any 6 questions. Each question carries 3
marks. Answer the questions in maximum 150 words each.
Section-C Question Nos.
47-52 are Long Answer Type. Answer any 4 questions. Each question carries 5
marks. Answer the questions in maximum 250 words each.
भाग-B इस भाग में तीन खण्ड
खण्ड-A, B तथा C हैं। इस भाग में अति लघु उत्तरीय, लघु उत्तरीय तथा दीर्घ उत्तरीय
प्रकार के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं। कुल प्रश्नों की संख्या 22 है।
खण्ड-A प्रश्न संख्या
31-38 अति लघु उत्तरीय हैं। किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 2
अंक का है। ।
खण्ड-B प्रश्न संख्या
39-46 लघु उत्तरीय हैं। किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 3 अंक
का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दें।
खण्ड-C प्रश्न संख्या
47-52 दीर्घ उत्तरीय हैं। किन्हीं 4 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 5 अंक
का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दें।
6. Candidates are
required to answer in their own words as far as practicable.
परीक्षार्थी यथासंभव अपने
शब्दों में ही उत्तर दें।
7. Candidate has to hand
over his/her Answer Booklet to the Invigilator compulsorily before leaving the
examination hall.
परीक्षार्थी परीक्षा भवन
छोड़ने के पहले अपनी उत्तर-पुस्तिका वीक्षक को अनिवार्य रूप से लौटा दें।
8. Candidates can take
away the Question Booklet after completion of the Examination.
परीक्षा समाप्त होने के
उपरांत परीक्षार्थी प्रश्न-पुस्तिका अपने साथ लेकर जा सकते हैं।
Part-A
(बहुविकल्पीय प्रश्न)
Question Nos. 1 to 30 are
Multiple Choice Type. Each question has four options. Select the correct option
and write it in the Answer Sheet. Each question carries 1 mark.1x30=30
प्रश्न संख्या 1 से 30 तक
बहुविकल्पीय प्रकार हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प हैं। सही विकल्प चुनकर
उत्तर पुस्तिका में लिखें। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है।
निर्देश : निम्नलिखित पद्यांश
को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 14 तक के लिए सही विकल्प का चयन करें। 1 x 30
= 30
डुबकियाँ
सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा
जाकर खाली हाथ लौट कर आता है।
मिलते
नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता
दूना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी
उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश
करने वालों की कभी हार नहीं होती ।।
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो ।
जब तक न सफल हो नींद-चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम,
कुछ किए बिना ही जय-जयकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।।
1. गोताखोर खाली हाथ लौटने पर क्या करता है ?
(A) प्रयास बंद
(B) पुनः दूने उत्साह से प्रयास
(C) हार स्वीकार
(D) इनमें से कोई नहीं
2. कोशिश करने वालों को क्या मिलता है ?
(A) सफलता
(B) असफलता
(C) विफलता
(D) इनमें से सभी
3. असफल होने पर व्यक्ति को क्या करना चाहिए ?
(A) सो जाना चाहिए
(B) पुनः प्रयास करना चाहिए
(C) कमियाँ देखनी और सुधारनी चाहिए
(D) इनमें से कोई नहीं
4. असफलता क्या है ?
(A) चुनौती
(B) पनौती
(C) जुझौती
(D) इनमें से सभी
निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या
5-8 तक के लिए सही विकल्प का चयन करें।
"आज का मनुष्य अपनी आवश्यकताओं को अधिक बढ़ाकर आय से अधिक खर्च
करके दुख मोल लेता है। दिखावे के चक्कर में अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए अनुचित उपायों
का सहारा लेता है और एक बार इस लालच के दलदल में फँसा तो बस फँसा, फिर निकलना आसान
नहीं होता, इसीलिए समाज में भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी आदि बुराइयाँ पैदा होती हैं । आय
के अनुसार खर्च करने से ही सुख-शांति मिलती है । इसीलिए हमें अपनी इच्छाओं को सीमा
से अधिक नहीं बढ़ाना चाहिए और खर्च बजट बनाकर करना चाहिए ।"
5. आमदनी से अधिक खर्च करने का क्या कारण है ?
(A) दिखावा
(B) झुकावा
(C) पहनावा
(D) इनमें से कोई नहीं
6. आय बढ़ाने के लिए कभी-कभी मनुष्य कहाँ फँस जाता है ?
(A) अनुचित कार्य में
(B) समुचित कार्य में
(C) उपयुक्त कार्य में
(D) इनमें से सभी
7. खर्च कैसे करना चाहिए ?
(A) बजट बनाकर
(B) खुले हाथ से
(C) झुके हाथ से
(D) उठे हाथ से
8. सुख शांति कब मिलती है ?
(A) व्यय के अनुसार खर्च
(B) आय के अनुसार खर्च
(C) शांति से खर्च
(D) इनमें से सभी
9. समाचार पत्र की आय का प्रमुख स्रोत क्या है ?
(A) समाचार पत्र की बिक्री
(B) विज्ञापन
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
10. निम्न में से पत्राचार का कौन-सा प्रकार है ?
(A) व्यावसायिक
(B) सरकारी
(C) पारिवारिक
(D) इनमें से सभी
11. संचार के मुद्रण माध्यम में किसे शामिल किया जाता है ?
(A) पत्रिकाएँ
(B) पैम्फलेट्स
(C) समाचार
(D) इनमें से सभी
12. भारत में हिन्दी का प्रथम समाचार-पत्र कौन-सा माना जाता है ?
(A) उदंत मार्तण्ड
(B) बनारस अखबार
(C) दिग्दर्शन
(D) मालवा समाचार
13. फीचर में तथ्यों की प्रस्तुति का ढंग होता है
(A) नीरस
(B) मनोरंजक
(C) व्यापक
(D) संकुचित
14. मुद्रण की शुरुआत कहाँ से हुई ?
(A) फ्रांस
(B) चीन
(C) इंग्लैण्ड
(D) भारत
निर्देश : निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक
पढ़कर प्रश्न संख्या 15 - 18 तक के लिए सही विकल्प का चयन करें ।
मैं रोया, इसको तुम कहते हो गाना,
मैं फूट पड़ा, तुम कहते छंद बनाना,
क्यों कवि कह कर संसार मुझे अपनाए,
मैं दुनिया का हूँ एक नया दीवाना ।
15. कवि के रोने को संसार क्या कहता है ?
(A) गाना
(B) रोना
(C) सोना
(D) बैठना
16. कवि फूट पड़ा संसार क्या कहता है ?
(A) छंद बनाना
(B) बन्द बनाना
(C) दिखावा करना
(D) इनमें से सभी
17. प्रस्तुत पंक्तियों के रचयिता कौन हैं ?
(A) जयशंकर प्रसाद
(B) महादेवी वर्मा`
(C) हरिवंशराय वच्चन
(D) सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
18. कवि दुनिया का क्या है ?
(A) दिवाना
(B) मस्ताना
(C) परवाना
(D) अफसाना
19. 'आत्म परिचय' कविता किस काव्य-संग्रह से ली गई है ?
(A) निशा निमन्त्रण
(B) बुद्ध और नाच घर
(C) नए पुराने झरोखे
(D) सतरंगिणी
20. 'पतंग' कविता के कवि हैं
(A) आलोक रस्तोगी
(B) आलोक मिश्रा
(C) आलोक धन्वा
(D) आलोक श्रीवास्तव
21. शारीरिक रूप से दुर्बल और पीड़ाग्रस्त कौन है ?
(A) विकलांग
(B) सिपाही
(C) सैनिक
(D) नौकर
22. कविता 'सहर्ष स्वीकारा है' के रचनाकार कौन हैं ?
(A) कुँवर नारायण
(B) रघुवीर सहाय
(C) हरिवंशराय बच्चन
(D) गजानन माधव 'मुक्तिबोध'
23. कवि ने किस खेत की बात की है ?
(A) मन रूपी खेत
(B) प्रेम रूपी खेत
(C) कागज रूपी खेत
(D) हरियाली रूपी खेत
24. भक्तिन का वास्तविक नाम क्या था ?
(A) सोना
(B) मोना
(C) ऊषा
(D) लक्ष्मी
25. 'बाजार दर्शन' पाठ के लेखक का नाम है
(A) जैनेन्द्र कुमार
(B) रेणु
(C) भीष्म साहनी
(D) धर्मवीर भारती
26. लुट्ठन सिंह पहलवान किस उम्र में अनाथ हो गया था ?
(A) नौ
(B) सात
(C) ग्यारह
(D) पाँच
27. 'सिल्वर वैडिंग' पाठ के लेखक कौन हैं ?
(A) मनोहर श्याम जोशी
(B) राधेश्याम जोशी
(C) सीताराम जोशी
(D) घनश्याम जोशी
28. 'जूझ' नामक पाठ मूल रूप से किस भाषा में लिखा गया था ?
(A) ब्रजभाषा
(B) खड़ी बोली हिन्दी
(C) मराठी
(D) अवधी
29. 'अतीत के दबे पांव' के लेखक का नाम है
(A) यशपाल
(B) नागार्जुन
(C) ओम थानवी
(D) रामदास बनर्जी
30. मोहनजोदड़ो का अर्थ है
(A) स्नानागार
(B) कुण्ड
(C) मुर्दों का टीला
(D) सोने का किला
Part-B (विषयनिष्ठ प्रश्न )
Section - A (अति लघु उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं छः प्रश्नों
के उत्तर दें। 2x6-12
निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें :
जैसे दूसरों के दुःख को देखकर दुःख होता है, वैसे ही दूसरों के सुख या भलाई को देखकर भी एक प्रकार का दुःख होता है, जिसे
ईर्ष्या कहते हैं। ईर्ष्या की उत्पत्ति आलस्य, अभिमान तथा निराशा के संयोग से होती
है। यह बात ध्यान देने की है कि ईर्ष्या व्यक्ति विशेष से होती है। ऐसा नहीं होता कि
जिस किसी को ऐश्वर्य, गुण या आन से सम्पन्न देखा, उसी से ईर्ष्या हो गई। ईर्ष्या उनसे
होती है, जिनके विषय में यह धारणा होती है कि लोगों की दृष्टि हमारे साथ-साथ उन पर
भी अवश्य पड़ेगी या पड़ती होगी । प्रायः संबंधियों, बाल-सखाओं, सहपाठियों और पड़ोसियों
के बीच ईर्ष्या का विकास अधिक देखा जाता है।
31. ईर्ष्या किसे कहते हैं ?
उत्तर - दूसरों के सुख या भलाई को देखकर एक
प्रकार का दुःख होता है, जिसे ईर्ष्या कहते हैं।
32. ईर्ष्या की उत्पत्ति के क्या कारण हैं ?
उत्तर - ईर्ष्या की उत्पत्ति आलस्य, अभिमान
तथा निराशा के संयोग से होती है।
33. ईर्ष्या का विकास कहाँ अधिक देखा जाता है
?
उत्तर - संबंधियों, बाल-सखाओं, सहपाठियों और
पड़ोसियों के बीच ईर्ष्या का विकास अधिक देखा जाता है।
34. 'शीतल वाणी' में 'आग' के होने का क्या अभिप्राय
है ?
उत्तर - शीतल वाणी में आग कहकर कवि ने
विरोधाभास की स्थिति पैदा की है। कवि कहता है कि यद्यपि मेरे द्वारा कही हुई बातें
शीतल और सरल हैं। जो कुछ मैं कहता हूँ वह ठंडे दिमाग से कहता हूँ, लेकिन मेरे इस
कहने में बहुत गहरे अर्थ छिपे हुए हैं। मेरे द्वारा कहे गए हर शब्द में संघर्ष
हैं। मैंने जीवन भर जो संघर्ष किए उन्हें जब मैं कविता का रूप देता हूँ तो वह शीतल
वाणी बन जाती है। मेरा जीवन मेरे दुखों के कारण मन ही मन रोता है लेकिन कविता के
द्वारा जो कुछ कहता हूँ उसमें सहजता रूपी शीतलता होती है।
35. 'बादल राग' कविता में किसका चित्रण किया गया
है ?
उत्तर - बादल-राग कविता के माध्यम से निराला
जी ने बादलों के महत्व का वर्णन किया है। वे बादलों को उनके गुणों के कारण
महत्वपूर्ण स्थान देते हैं। उनका मानना है कि बादल मनुष्य जीवन में क्रांतिकारी
परिवर्तन करने का सामर्थ्य रखते हैं। इस धरती को नवजीवन देने का भी सामर्थ्य उनके
अंदर है।
36. पेट की आग का शमन कौन कर सकता है ?
उत्तर - तुलसी ने कहा है कि पेट की आग का शमन
ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है। मनुष्य का जन्म, कर्म, कर्म-फल सब ईश्वर
के अधीन हैं। निष्ठा और पुरुषार्थ से ही मनुष्य के पेट की आग का शमन हो सकता है।
फल प्राप्ति के लिए दोनों में संतुलन होना आवश्यक है। पेट की आग बुझाने के लिए
मेहनत के साथ-साथ ईश्वर कृपा का होना जरूरी है।
37. खुद का परदा खोलने से क्या आशय है ?
उत्तर - ‘खुद का परदा’ खोलने से कवि का आशय
है कि जो व्यक्ति उनकी बुराई करता है वह जाने-अनजाने संसार के सामने अपनी कमज़ोरी
ही प्रकट करता है।
38. भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती
कैसे हो गयीं ?
उत्तर - महादेवी, भक्तिन को नहीं बदल पायी पर
भक्तिन ने महादेवी को बदल दिया। भक्तिन देहाती महिला थी और शहर में आने के बाद भी
उसने अपने-आप में कोई परिवर्तन नहीं किया। भक्तिन देहाती खाना गाढ़ी दाल, मोटी
रोटी, मकई की लपसी, ज्वार के भुने हुए भुट्टे के हरे दाने, बाजरे के तिल वाले पुए
आदि बनाती और महादेवी को वैसे ही खाना पड़ता था। भक्तिन के हाथ का मोटा-देहाती खाना
खाते-खाते महादेवी का स्वाद बदल गया और वे भक्तिन की तरह ही देहाती बन गई।
Section - B (लघु उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों
में दें। 3 x 6 = 18
39. भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी ? भक्तिन को यह नाम किसने
और क्यों
दिया होगा ?
उत्तर - भक्तिन का वास्तविक नाम लछमिन
अर्थात् लक्ष्मी था। यह समृद्धि सूचक नाम उसके भाग्य की रेखाओं से नहीं मिलता था।
भक्तिन समझदार व बुद्धिमान नारी थी जो इस नाम को बताकर उपहास का पात्र बनना नहीं
चाहती थी। शायद व्यावहारिक जीवन और नाम का मेल न मिलने के कारण वह वास्तविक नाम को
गुम रखती थी। ईमानदारी का परिचय देने के लिए लेखिका को तो बता दिया परन्तु उसने
लेखिका से किसी और को न बताने की प्रार्थना की। लेखिका उसे किस नाम से पुकारे। इस
समस्या को हल करने के लिए लेखिका ने लक्ष्मी की कंठी-माला, घुटी चाँद व सफेद
वस्त्र देखकर उसे 'भक्तिन' नाम दे दिया।
40. 'बाजारूपन' से क्या तात्पर्य है ? बाजार की
सार्थकता किसमें है ?
उत्तर - बाजारुपन से तात्पर्य ऊपरी चमक-दमक
से है। जब सामान बेचने वाले बेकार की चीजों को आकर्षक बनाकर बेचने लगते हैं, तब
बाज़ार में बाजारुपन आ जाता है। जो विक्रेता, ग्राहकों का शोषण नहीं करते और
छल-कपट से ग्राहकों को लुभाने का प्रयास नहीं करते साथ ही जो ग्राहक अपनी
आवश्यकताओं की चीजें खरीदते हैं वे बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं। इस प्रकार
विक्रेता और ग्राहक दोनों ही बाज़ार को सार्थकता प्रदान करते हैं। मनुष्य की
आवश्यकताओं की पूर्ति करने में ही बाजार की सार्थकता है।
41. 'पानी दे गुड़धानी दे' मेघों से पानी के साथ-साथ
गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है ?
उत्तर - गुड़धानी अनाज और गुड़ के मिश्रण को
कहते हैं। यहाँ पर गुड़धानी से तात्पर्य अच्छी फसल से है। हमारी अर्थव्यस्था कृषि
पर आधारित होने के कारण जब अच्छी वर्षा होगी तभी अच्छी फसल भी होगी इसलिए पानी के
साथ गुड़धानी की माँग की जा रही है।
42. यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है लेकिन
यशोधर बाबू असफल रहते हैं। ऐसा क्यों ?
उत्तर - यशोधर बाबू बचपन से ही माता-पिता के
देहांत हो जाने की वजह से जिम्मेदारियों के बोझ से लद गए थे। वे सदैव पुराने लोगों
के बीच रहे, पले, बढ़े अतः वे उन परंपराओं को छोड़ नहीं सकते थे। यशोधर बाबू अपने
आदर्श किशनदा से अधिक प्रभावित हैं और आधुनिक परिवेश में बदलते हुए जीवन-मूल्यों
और संस्कारों के विरूद्ध हैं। जबकि उनकी पत्नी अपने बच्चों के साथ खड़ी दिखाई देती
हैं। वह अपने बच्चों के आधुनिक दृष्टिकोण से प्रभावित हैं। वे बेटी के कहे अनुसार
नए कपड़े पहनती हैं और बेटों के किसी मामले में दखल नहीं देती। यशोधर बाबू की पत्नी
समय के साथ परिवर्तित होती है, लेकिन यशोधर बाबू अभी भी किशनदा के संस्कारों और
परंपराओं से चिपके हुए हैं।
43. कविता के प्रति लगाव से पहले और, उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक
की धारणा में क्या बदलाव आया ?
उत्तर - कविता के प्रति लगाव से पहले लेखक
ढोर ले जाते समय, खेत में पानी डालते और अन्य काम करते समय अकेलापन महसूस करता था।
कविता के प्रति लगाव के बाद वह खेतों में पानी देते समय, भैंस चराते समय कविताओं
में खोया रहता था। धीरे-धीरे वह स्वयं तुकबंदी करने लगा। अब उसे अकेलापन अच्छा
लगने लगा था वह अकेले में कविता गाता, अभिनय व नृत्य करता था।
44. पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं बच्चों का उड़ान से कैसा संबन्ध
बनता है ?
उत्तर - जिस तरह पतंग ऊपर और ऊपर उड़ती जाती
है, ठीक उसी तरह बच्चों की आशाएँ भी बढ़ती जाती हैं। पतंगों के साथ साथ उनकी
भावनाएँ भी उड़ती जाती हैं अर्थात् उनके मन में नई-नई इच्छाएँ और उमंगें आती हैं।
वे भी आसमान की अनंत ऊँचाई तक पहुँच जाना चाहते हैं ताकि अपनी हर इच्छा पूरी कर
सकें।
45. कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं ?
उत्तर - कविता और बच्चे दोनों अपने स्वभाव वश
खेलते हैं। खेल-खेल में वे अपनी सीमा, अपने-परायों का भेद भूल जाते हैं। जिस
प्रकार एक शरारती बच्चा किसी की पकड़ में नहीं आता उसी प्रकार कविता में एक उलझा
दी गई बात तमाम कोशिशों के बावजूद समझने के योग्य नहीं रह जाती चाहे उसके लिए
कितने प्रयास किए जाय, वह एक शरारती बच्चे की तरह हाथों से फिसल जाती है।
46. "कैमरे में बंद अपाहिज करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की
कविता है" - विचार कीजिए ।
उत्तर - दूरदर्शन पर एक अपाहिज का
साक्षात्कार‚ व्यावसायिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए दिखाया जाता है। दूरदर्शन
पर एक अपाहिज व्यक्ति को प्रदर्शन की वस्तु मान कर उसके मन की पीड़ा को कुरेदा जाता
है‚ साक्षात्कारकर्ता को उसके निजी सुख दुख से कुछ लेना-देना नहीं होता है। यहाँ
पर कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले इस प्रकार के
अधिकतर कार्यक्रम केवल संवेदनशीलता का दिखावा करते हैं।
Section - C (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250
शब्दों में दें। 5 x 4 = 20
47. निम्नलिखित में से किसी एक का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए :
(क)
दिन जल्दी जल्दी ढलता है
हो जाए न पथ में रात कहीं
मंजिल भी तो है दूर नहीं यह सोच थका दिन का पंथी
भी जल्दी-जल्दी चलता है ।
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है ।
उत्तर - प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश
हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ में संकलित गीत ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!’ से
उद्धृत है। ईसा के रविता हरवंशराय बच्न हैं। इसगत में कवने एक जवना की कुंता तथा
प्रेमा की व्याकुलता क वर्णना किया है।
व्याख्या-कवि जीवन की व्याख्या करता है। वह कहता है
कि शाम होते देखकर यात्री तेजी से चलता है कि कहीं रास्ते में रात न हो जाए। उसकी
मंजिल समीप ही होती है इस कारण वह थकान होने के बावजूद भी जल्दी-जल्दी चलता है।
लक्ष्य-प्राप्ति के लिए उसे दिन जल्दी ढलता प्रतीत होता है। रात होने पर पथिक को
अपनी यात्रा बीच में ही समाप्त करनी पड़ेगी, इसलिए थकित शरीर में भी उसका उल्लसित,
तरंगित और आशान्वित मन उसके पैरों की गति कम नहीं होने देता।
विशेष-
☞ कवि ने जीवन की क्षणभंगुरता व प्रेम की
व्यग्रता को व्यक्त किया है।
☞ ‘जल्दी-जल्दी’ में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार
है।
☞ भाषा सरल, सहज और भावानुकूल है, जिसमें
खड़ी बोली का प्रयोग है।
☞ जीवन को बिंब के रूप में व्यक्त किया है।
☞ वियोग श्रृंगार रस की अनुभूति है।
(ख)
छोटा मेरा खेत चकौना
कागज का एक पन्ना
कोई अंधड़ कहीं से आया
क्षण का बीज वहाँ बोया गया
कल्पना के रसायनों को पी
बीज गल गया निःशेष
शब्द के अंकुर फूटे
पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष ।
उत्तर - प्रसंग- प्रस्तुत काव्यांश
हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ में संकलित कविता ‘छोटा मेरा खेत’ से उद्धृत है।
इसके रचयिता गुजराती कवि उमाशंकर जोशी हैं। इस अंश में कवि ने खेत के माध्यम से
कवि-कर्म का सुंदर चित्रण किया है।
व्याख्या- कवि कहता है कि उसे कागज का पन्ना एक चौकोर
खेत की तरह लगता है। उसके मन में कोई भावनात्मक आवेग उमड़ा और वह उसके खेत में
विचार का बीज बोकर चला गया। यह विचार का बीज कल्पना के सभी सहायक पदार्थों को पी
गया तथा इन पदार्थों से कवि का अहं समाप्त हो गया। जब कवि का अहं हो गया तो उससे
सर्वजनहिताय रचना का उदय हुआ तथा शब्दों के अंकुर फूटने लगे। फिर उस रचना ने एक
संपूर्ण रूप ले लिया। इसी तरह खेती में भी बीज विकसित होकर पौधे का रूप धारण कर
लेता है तथा पत्तों व फूलों से लदकर झुक जाता है।
विशेष-
(i) कवि ने कल्पना के माध्यम से रचना-कर्म को
व्यक्त किया है।
(ii) रूपक अलंकार है। कवि ने खेती व कविता की
तुलना सूक्ष्म ढंग से की है।
(iii) ‘पल्लव-पुष्प’, ‘गल गया’ में अनुप्रास
अलंकार है।
(iv) खड़ी बोली में सुंदर अभिव्यक्ति है।
(v) दृश्य बिंब का सुंदर उदाहरण है।
(vi) प्रतीकात्मकता का समावेश है।
48. 'दैनिक उपयोग में पानी का बचाव' अथवा 'महिलाओं
की शिक्षा' विषय पर निबंध लिखें ।
उत्तर -
'दैनिक उपयोग में पानी का बचाव'
प्रस्तावना : मनुष्य जीवन के लिए जल बहुत ही ज्यादा जरूरी
है। जल हमारे जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण इकाई माना जाता है। पृथ्वी पर यदि जल नहीं
होगा तो जीवन की संभावना करना भी मुश्किल है।
जल के बिना जीवन असंभव है। पृथ्वी पर मौजूद जीव
जंतु और पेड़ पौधे से भी पानी पर निर्भर है। इसीलिए देश में जल बचाओ पृथ्वी बचाओ के
नारे लग रहे हैं। क्योंकि जिस प्रकार से जनसंख्या वृद्धि हो रही है और जल का दुरुपयोग
हो रहा है।
उसी तरीके से आने वाले कुछ ही सालों में यानी
कि हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए जल्द एक मुख्य समस्या के रूप में उभरने वाला है।
पृथ्वी पर जल बचाने की क्या जरूरत है?
अच्छी पर वर्तमान समय में 75% पानी है। उसमें
से 97% पानी समुद्र में स्थित है, जो पीने योग्य नहीं है। सिर्फ 2.4% पानी जो पीने
योग्य पानी है और उसी पानी पर पूरी पृथ्वी निर्भर है। मानव प्रजाति के साथ-साथ
संपूर्ण जीव जंतु और पेड़-पौधे सिर्फ इसी पानी पर निर्भर है।
पृथ्वी पर पानी का संतुलन बनाए रखने के लिए
हमें पानी को बचाना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। क्योंकि वायु प्रदूषण की वजह से
वाष्पीकरण और वर्षा की प्रक्रिया पर काफी ज्यादा असंतुलन देखने को मिल रहा है और
इसी कारण से साफ पानी की कमी भविष्य में एक सबसे बड़ा मुद्दा बनकर सामने आने वाली
है।
अतः हम सभी को पृथ्वी पर जल बचाने की जरूरत
है। आने वाली पीढ़ी के लिए जल की समस्या को कम करने के लिए हमें अभी से ही जल को
बचाने का प्रयास करना चाहिए।
पृथ्वी पर जल बचाने की क्या जरूरत है?
अच्छी पर वर्तमान समय में 75% पानी है। उसमें
से 97% पानी समुद्र में स्थित है, जो पीने योग्य नहीं है। सिर्फ 2.4% पानी जो पीने
योग्य पानी है और उसी पानी पर पूरी पृथ्वी निर्भर है। मानव प्रजाति के साथ-साथ
संपूर्ण जीव जंतु और पेड़-पौधे सिर्फ इसी पानी पर निर्भर है।
पृथ्वी पर पानी का संतुलन बनाए रखने के लिए
हमें पानी को बचाना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। क्योंकि वायु प्रदूषण की वजह से
वाष्पीकरण और वर्षा की प्रक्रिया पर काफी ज्यादा असंतुलन देखने को मिल रहा है और
इसी कारण से साफ पानी की कमी भविष्य में एक सबसे बड़ा मुद्दा बनकर सामने आने वाली
है।
अतः हम सभी को पृथ्वी पर जल बचाने की जरूरत
है। आने वाली पीढ़ी के लिए जल की समस्या को कम करने के लिए हमें अभी से ही जल को
बचाने का प्रयास करना चाहिए।
हमें जल बचाने के लिए क्या करना चाहिए?
वर्षा के समय जितना भी जल पृथ्वी पर आता है,
उसका काफी हिस्सा ऐसे ही व्यर्थ हो जाता है। उस पानी को हमें एकत्रित करना चाहिए
ताकि उस पानी से काफी लोगों की प्यास बुझा सके और एक जगह पानी इकट्ठा होने से पानी
जमीन में भी जाता है, जिसकी वजह से धरती के अंदर जो पानी है, उसका लेवल बढ़ जाता
है।
स्वच्छ पानी को जितना कम हो सके, उतना कम
बर्बाद करें और प्रतिदिन अपनी दिनचर्या में पानी को बिना बर्बाद की पानी का उपयोग
करने का एक संकल्प हम सभी को लेना चाहिए।
पानी की एक बूंद व्यर्थ ना करें और ना ही
पानी को प्रदूषित करें नदियों के प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। हम सभी
अपने निजी स्तर पर संकल्प लेकर इस प्रदूषित पानी को बचा सकते हैं।
प्रदूषण को रोकने के साथ-साथ पानी के बचाव को
लेकर भी कई प्रयास हमें करने होंगे ताकि भविष्य केंद्र आने वाली पीढ़ी को पानी की
समस्या का सामना ना करना पड़े।
उपसंहार
जीवन की मुख्य इकाई पानी है। पानी के बिना
पृथ्वी पर कोई भी जीवित नहीं रह सकता है। इसीलिए भविष्य के लिए यदि आने वाली
पीढ़ियों को पानी की समस्या से बचाना है, तो आज से ही हम सभी को जल संरक्षण के
प्रति कई महत्वपूर्ण संकल्प लेने होंगे।
पानी बचाओ के अभियान में अपनी महत्वपूर्ण
भूमिका निभाते हुए जल प्रदूषण को भी रोकना चाहिए। हम सभी का साथ होगा तो एक दिन जल
प्रदूषण पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
नारी शिक्षा का महत्त्व
प्रस्तावना - शिक्षा का मानव जीवन से अटूट सम्बन्ध है।
इसके अभाव में मानव जीवन की कहानी ही अधूरी है। आधुनिक युग में नारी की शिक्षा
उतनी ही अपेक्षित है जिनती की पुरुष की शिक्षित नारी ही प्रगति की मंजिल पर चरण
बढ़ा सकती है।
नारी शिक्षा का महत्व - आज के व्यस्त एवं संघर्षशील युग में नारी
शिक्षा की अत्यन्त आवश्यकता है। शिक्षित नारी अपनी सन्तानों को सुसंस्कारों से
सम्पन्न कर सकती है। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में समुचित योगदान करने में सहायक हो
सकती है। घर-गृहस्थी के आय-व्यय को भली प्रकार सन्तुलित करके आर्थिक बोझ को बहुत
सीमा तक सन्तुलित कर सकती है। शिक्षित नारी विपत्ति के बादल मँडराने पर नौकरी करके
परिवार को संकट से उबार सकती है।
बच्चों के लिए घर ही नागरिक बनने की प्रथम
पाठशाला होता है। माता ही इस पाठशाला की शिक्षिका होती है। लोरी, पहेली तथा गाना
गुनगुनाते हुए माँ बच्चे को शिक्षा प्रदान करती है। उसका प्रभाव अमिट तथा स्थायी
होता है।
नारी एवं शिक्षा-दीक्षा-वर्तमान में देखें तो नारी के लिए हर प्रकार
की शिक्षा अपेक्षित है। नारी के लिए सबसे प्रथम गृह विज्ञान की शिक्षा देना
परमावश्यक है। नारी का कार्य-क्षेत्र घर होता है। उसे परिवार के कार्यों को
सम्पन्न करने के साथ ही बच्चों को भी देखना तथा सँभालना पड़ता है। गृह विज्ञान की
शिक्षा इस दिशा में बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगी।
आज नारी घर की सीमा से बाहर निकल कर पुरुष के
साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर जीवन संग्राम में आगे कदम बढ़ा रही है। वह सामाजिक तथा
राजनीतिक क्षेत्र में भी पुरुष के साथ सक्रिय भाग ले रही है। शिक्षा, विज्ञान,
चिकित्सा तथा सांस्कृतिक क्रिया-कलापों में भी उसके चरण निरन्तर गतिमान हैं। जीवन
का ऐसा कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं है जिसमें आधुनिक शिक्षित नारी सहभागिनी न हो।
शिक्षा पर ध्यान देना अपेक्षित-दुर्भाग्य का
विषय यह है कि आज भी नारी की शिक्षा का अनुपात उतना नहीं है जितना कि अपेक्षित है।
भारत की जनसंख्या निरन्तर सुरसा के मुख की तरह बढ़ती जा रही है। उसकी तुलना में
भारत में शिक्षित नारियों की संख्या बहुत ही सीमित है। ग्रामीण अंचलों में आज भी
अशिक्षित नारी जीवन के अभिशाप को विवशता की चट्टान के तले हाँफ हाँफ कर जी रही है।
दकियानूसी तथा रूढ़िवादी लोग इस ओर से आँखें बन्द किए हुए हैं। उन्हें जाग्रत करना
आवश्यक है।
उपसंहार- हर्ष का विषय है कि आज हमारे देश में नारी
शिक्षा के महत्व को लोग समझ गए हैं। सरकार इस संदर्भ में आवश्यक कदम भी उठा रही
है। सरकार के साथ-साथ जन सहयोग होना भी समय की माँग है।
49. बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं, किन्तु
कभी-कभी भाषा के चक्कर में सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है, कैसे ?
उत्तर - बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं,
किंतु कभी-कभी कवि आदि अपनी बात को बताने के लिए अपनी भाषा को ज्यादा ही अलंकृत
करना चाहते है या शब्दों के चयन में उलझ जाते है तब भाषा के चक्कर में वे अपनी मूल
बात को प्रकट ही नहीं कर पाते। श्रोता या पाठक उनके शब्द जाल में उलझ के रह जाते
हैं और ‘सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है’।
50. 'विप्लव-रव से छोटे ही है शोभा पाते' पंक्ति
में विप्लव-रव से क्या तात्पर्य है ? 'छोटे ही हैं शोभा पाते' ऐसा क्यों कहा गया है
?
उत्तर - विप्लव-रव से तात्पर्य
है-क्रांति-गर्जन। जब-जब क्रांति होती है तब-तब शोषक वर्ग या सत्ताधारी वर्ग के
सिंहासन डोल जाते हैं। उनकी संपत्ति, प्रभुसत्ता आदि समाप्त हो जाती हैं। कवि ने
कहा है कि क्रांति से छोटे ही शोभा पाते हैं। यहाँ ‘छोटे’ से तात्पर्य है-आम आदमी।
आम आदमी ही शोषण का शिकार होता है। उसका छिनता कुछ नहीं है अपितु उसे कुछ अधिकार
मिलते हैं। उसका शोषण समाप्त हो जाता है।
51. 'इंदर सेना' सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों
बोलती है ? नदियों का भारतीय सामाजिक, सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्त्व है ?
उत्तर- नदियाँ जल का स्रोत हैं। इनसे सिंचाई
होती है, बिजली बनती है, इनके तट पर बड़े-बड़े मेले लगते हैं। मछलियाँ इन्हीं से
प्राप्त होती हैं। इनका रेत (बालू) भवन निर्माण का आधार है। इनके माध्यम से
यातायात भी होता है, माल भी ढोया जाता है।
इनकी इन्हीं विशेषताओं के कारण इन्हें माता
या देवी रूप भी दिया गया है। इस कारण यह हमारी आस्था का केन्द्र हैं। इन्हें पाप
विनाशिनी भी माना जाता है। गंगा भारत की पवित्रतम नदी है, जिसका जल अमृत के समान
है, जिसमें विलक्षण तत्त्व पाये जाते हैं। अतः यह पवित्रतम नदी मानी जाती है,
हरिद्वार और प्रयाग के कुंभ इसी के तट पर आयोजित होते हैं। इसको महादेवी के रूप
में पूजा जाता है, अतः इसकी आराधना से मनोकामना की सिद्धि होती है, यह भी विश्वास
है। अतः गंगा मैया की जय बोलना उस नदी की महत्ता की प्रस्थापना का ही घोतक है।
52. महामारी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय और
सूर्यास्त के दृश्य में क्या अन्तर होता था ?
उत्तर- महामारी ने गाँव को शारीरिक और मानसिक
दोनों रूप से तोड़ दिया था। उस समय की रातें बड़ी भयावह होती थीं। सूर्योदय होने
पर लोग घरों से काँखते-कराहते बाहर आ जाते और पड़ोसियों तथा स्वजनों को ढाँढस
बंधाते, कई प्रकार से उन्हें सांत्वना देते। पर ज्यों ही सूर्यास्त की बेला आती सब
लोग अपनी-अपनी झोंपड़ियों में घुस जाते और चूँ भी नहीं करते। उनकी बोलने की शक्ति
भी लगभग समाप्त हो जाती। समीप ही दम तोड़ते हुए पुत्र को अन्तिम बार 'बेटा' कहकर
पुकारने की भी हिम्मत माताओं की नहीं होती थी।
JCERT/JAC Hindi Core प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
आरोह भाग -2 | |
काव्य - खंड | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | तुलसीदास-कवितावली (उत्तर कांड से),लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप |
9. | |
10. | |
11. | |
गद्य - खंड | |
12. | |
13. | |
14. | |
15. | |
16. | |
17. | |
18. | बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर-श्रम विभाजन और जाति-प्रथा,मेरी कल्पना का आदर्श समाज |
वितान भाग- 2 | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
Solved Paper 2023 |