12th 1. परिचय Macro Economics JCERT/JAC Reference Book

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अर्थशास्त्र एक वृहत विषय है। जो उत्पादन, बचत, विनियोग, मुद्रास्फीति, रोजगार, बेरोजगारी, राष्ट्रीय आय, प्रतिव्यक्ति आय, मौद्रिक नीति, राजकोषीय नीति आदि से संबंधित विषयों का अध्ययन करता है। इसकी विषय सूची अनंत है। इन विषयों की जानकारी और आर्थिक समस्या के समाधान के लिए यह जानना आवश्यक है कि किसी भी आर्थिक तथ्य का स्वभाव क्या है और संबंधित समस्या का क्षेत्र या शाखा क्या है।

"अर्थशास्त्र" शब्द दो ग्रीक शब्दों 'ओकोस' और 'नेमीन' से लिया गया है। जिसका अर्थ- गृहस्थ का नियम अथवा कानून है। 'अर्थशास्त्र अध्ययन की वह तकनीक है जिसमे सीमित संसाधनो का कैसे प्रयोग किया जाए की उपभोक्ता को अधिकतम संतुष्टि, उत्पादक को अधिकतम लाभ और समाज को अधिकतम कल्याण की प्राप्ती हो आदि का अध्ययन ही अर्थशास्त्र है। इसलिए सामान्य अर्थों में आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन ही अर्थशास्त्र है। ये वे क्रियाएँ होती है जहाँ उत्पादन, उपभोग, विनिमय वितरण और राजस्व की क्रियाएँ सम्पादित होती है।

सर्वप्रथम अर्थशास्त्र की अवधारणा 14वीं-15वीं शताब्दी में वर्णिक वादियों ने दी थी। इसमें थामसन प्रमुख थे।

अर्थशास्त्र को 18वीं शताब्दी में एडम स्मिथ ने आर्थिक क्रियाओं के अध्ययन के रूप में प्रस्तुत किया।

• एडम स्मिथ के अनुसार अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है। यह विचार इन्होंनें अपनी पुस्तक 'वेल्थ ऑफ नेशन' में 1776 में दिया।

रेगनर फ्रिश ने 1933 में पहली बार आर्थिक सिद्धांतों की दो शाखाओं को दर्शाने के लिए व्यष्टि एवं समष्टि शब्दों का प्रयोग किया।

एडम स्मिथ को आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक के रूप में जाना जाता है। (उस समय यह विषय राजनीतिक अर्थशास्त्र के रूप में जाना जाता था)। वे स्कॉटलैंड के निवासी थे एवं ग्लासगो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। उन्हें दर्शन शास्त्र में प्रशिक्षण प्राप्त हुआ था। उनकी प्रकाशित पुस्तक एन इन्क्वायरी इन्टू द नेचर एंड काउसेस ऑफ द वेल्थ ऑफ नेशंस (1776) विषय की मुख्य व्याख्यात्मक पुस्तक के रूप में जाना जाता है पुस्तक के अनुच्छेद से कसाई, किण्वक एवं नानबाई के परोपकारिता की भावना से हम भोजन की उम्मीद नहीं करते हैं। बल्कि वे भी स्वयं को स्वार्थ की पूर्ति के लिए ऐसा करते हैं। हम अपनी जरूरतों की बात करते हैं। न कि मानवता की। यहाँ तक कि उनके स्व प्रेम और उनकी आवश्यकता के लिए भी चर्चा नहीं करते लेकिन उनकी सुविधा के लिये स्वतंत्र बाजार अर्थव्यवस्था की वकालत जरूर करते हैं। 'स्मिथ से पहले फ्रांस के फिजियोक्रेट्स राजनीतिक अर्थशास्त्र के महान विचारक थे।

समष्टि अर्थशास्त्र का अर्थ तथा क्षेत्र (Meaning and Scope of Microeconomics):

MACRO शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द (MAKROS) मेक्रोस से हुई है, जिसका अर्थ है बड़ा या विशाल। बड़ा से तात्पर्य संपूर्ण अर्थव्यवस्था से है। समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन करता है। उदाहरण के लिए समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय बचत, पूर्ण रोजगार, कुल उत्पादन, राष्ट्रीय निवेश, उपभोग, बचत, सामान्य कीमत स्तर आदि का अध्ययन किया जाता है।

समष्टी अर्थशास्त्र के चर, समग्र अर्थव्यवस्था के स्तर पर आर्थिक चर होते हैं। जैसे समग्र पूर्ति, समग्र मांग, सामान्य कीमत स्तर, राष्ट्रीय आय आदि।

प्रो. शुल्ज के अनुसार "व्यापक अर्थशास्त्र का मुख्य यन्त्र राष्ट्रीय आय विश्लेषण करता है। प्रो. चेम्बरलिन (Chamberlin) के अनुसार "व्यापक अर्थशास्त्र समग्र सम्बन्धों का अध्ययन करता है। ब्रेन हिलियट के अनुसार समष्टि अर्थशास्त्र प्रमुख आर्थिक समग्रों जैसे उत्पादन, बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, भुगतान शेष आदि के व्यवहार का अध्ययन है।

1.1.2 समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र :

1. राष्ट्रीय आय की अवधारणा तथा मापः समष्टि अर्थशास्त्र राष्ट्रीय आय की अवधारणा से आरंभ होती है। यह राष्ट्रीय आय की परिभाष एवं माप तथा इससे संबंधित राशियां जैसे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और (एनडीपी) शुद्ध घरेलू उत्पाद करता है।

2. आय एवं रोजगार का सिद्धांतः इसके अंतर्गत अर्थव्यवस्था में आय एवं रोजगार से संबंधित सिद्धांतों का अध्ययन किया जाता है। इस संदर्भ में, कीन्स का रोजगार सिद्धांत प्रमुख है।

3. मुद्रा तथा बैंकिंगः व्यापारिक या व्यावसायिक बैंकों द्वारा साख का सूजन समष्टि अर्थशास्त्र का एक महत्वपूर्ण क्रिया है। भारत का केंद्रीय बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा अर्थव्यवस्था में मुद्रा की पूर्ति को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

4. सरकारी बजट तथा अर्थव्यवस्थाः सरकारी बजट अर्थव्यवस्था के आर्थिक क्रियाओं को कैसे प्रभावित करता है, समष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत इसका अध्ययन महत्वपूर्ण है।

5. विदेशी विनिमय दर तथा भुगतान संतुलन का निर्धारणः विदेशी विनिमय दर का निर्धारण तथा भुगतान शेष को किस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है। इसका अध्ययन हम अर्थशास्त्र के अंतर्गत करते हैं।

1.1.3 समष्टि अर्थशास्त्र का उद्भव :

समष्टि अर्थशास्त्र का एक अलग शाखा के रूप में उद्भव ब्रिटिश अर्थशास्त्री जान मेनार्ड कींस (John Maynard Keynes) की प्रसिद्ध पुस्तक "द जनरल थ्योरी ऑफ इंप्लॉयमेंट, इंटरेस्ट एंड मनी" के 1936 ईस्वी में प्रकाशित होने के पश्चात् हुआ।

समष्टि अर्थशास्त्र की दो मुख्य विचारधारा निम्नलिखित हैं:

1. क्लासिक या प्रतिष्ठित विचारधारा

2. कींस / केंजियन विचारधारा

1. क्लासिक या प्रतिष्ठित विचारधाराः एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का जनक कहा जाता है। एडम स्मिथ के सिद्धांत को प्रतिष्ठित सिद्धांत या क्लासिक सिद्धांत कहा जाता है। प्रतिष्ठित सिद्धांत के प्रवर्तक एडम स्मिथ तथा उनके समर्थक रिकार्डो, माल्थस जे. बी. से, जे एडमिन, सीनियर, ए. सी. पीगू, जे.एस. मिल, वाकर आदि थे।

1.2 प्रतिष्ठित सिद्धांत की मान्यताएं :

1. दीर्घकाल में लागू होता है।

2. पूर्ण रोजगार पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की एक सामान्य विशेषता है। यदि इसमें कहीं बेरोजगारी उत्पन्न होती है, तो वह अपने आप ही अदृश्य हो जाती है।

3. कीमत स्थिर कीमत में कोई परिवर्तन नहीं (पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में)

4. I = S (विनियोग = बचत) अर्थात, पूर्ति अपनी मांग का सृजन स्वयं करती है। (जे.बी. से)

5. स्वतंत्र अथवा पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में सरकार की कोई भूमिका नहीं होती अर्थात अर्थव्यवस्था में सरकारी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया गया। (सरकार केवल देश के कानून व्यवस्था तथा सुरक्षा पर ध्यान देती है)

6. संसाधनों का पूर्व तथा कुशलता उपयोग।

अभ्यास प्रश्न

1. कींस के पुस्तक का नाम लिखें?

2. अर्थशास्त्र के जनक कौन हैं?

3. दो प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों के नाम लिखें?

4. समष्टि अर्थशास्त्र की परिभाषा क्या है?

5. समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र की व्याख्या करें?

6. विश्वव्यापी आर्थिक महामंदी कब आई?

बताइए निम्न कथन सत्य / असत्य हैं:

1. व्यष्टि अर्थशास्त्र में अर्थव्यवस्था के समुच्ययों का अध्ययन होता है?

2. समष्टि अर्थशास्त्र आंशिक संतुलन विश्लेषण का अध्ययन करता है?

3. समष्टि अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी के तथ्य को संबोधित करता है?

4. व्यष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक नीतियों का अध्ययन किया जाता है?

1.3. 1930 की महामंदी :

1929 की महामंदी ने पूरे विश्व के साथ-साथ यूरोप तथा अमेरिका की अर्थव्यवस्था के विकास को प्रभावित किया। महामंदी का कुप्रभाव लगातार 10 वर्षों तक जारी रहा। आय में कमी के कारण समग्र मांग में कमी आई. जिससे गरीबी का दुष्चक्र प्रारंभ हो गया।

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संयुक्त राज्य अमेरिका मैं 1929 से 3:30 तक बेरोजगारी की दर 3% से 25% तक बढ़ गई तथा कुल उत्पादन में लगभग 33% की गिरावट आई इन परिस्थितियों में क्लासिक सिद्धांत टूट कर बिखर गया अर्थशास्त्रियों ने अर्थव्यवस्था की कार्यप्रणाली को नए ढंग से अध्ययन करना प्रारंभ कर दिया। केन्स की पुस्तक इसी दिशा में किया गया एक प्रयास था। जिसे केन्सियन विचारधारा का जन्म हुआ।

1.4 केन्सियन विचारधारा (Keyenesin School of Thought)

1. अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी सदैव उपस्थित होती है तथा पूर्ण रोजगार की स्थिति असंभव है।

2. अर्थव्यवस्था में सरकार का हस्तक्षेप आवश्यक है तथा रोजगार के अवसर उत्पन्न कराने चाहिए।

ब्रिटिश अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स का जन्म 1883 में हुआ था। उनकी शिक्षा किंग्स कॉलेज, कैंब्रिज यूनाइटेड किंगडम में हुई थी और बाद में 'विशेषज्ञ' के रूप में नियुक्त हुए। प्रथम विश्व युद्ध के वर्षों में वे तीक्ष्ण विद्वता के अलावा सक्रिय अंतर्राष्ट्रीय राजनायिक के रूप में भी जुड़े रहे। अपनी पुस्तक 'इकोनॉमिक कंसीक्वेसेज अफ द पीस' (1919) में युद्ध की शांति समझौते के भंग होने की भविष्याणी इन्होंने कर दी थी। उनकी पुस्तक 'जनरल थ्योरी ऑफ इंप्लायमेंट, इंटरेस्ट एंड मनी' (1936) बीसवीं सदी की अर्थशास्त्र की महत्वपूर्ण पुस्तकों में से एक है। कीन्स विदेशी मुद्रा के समझदार सट्टेबाज थे।

1.5.1 व्यष्टि एवं समष्टि अर्थशास्त्र में अंतर :

व्यष्टि (Micro)

समष्टि (Macro)

1. व्यक्तिगत व्यवहारों से संबंधित विश्लेषण एवं समस्या का अध्ययन किया जाता है। जैसे- एक फार्म, एक उपभोक्ता, एक उत्पादक आदि।

1. आर्थिक क्रियाओं के समग्र पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। राष्ट्रीय आय, बेरोजगारी, पूर्ण रोजगार, राष्ट्रीय बचत आदि।

2. व्यष्टि अर्थशास्त्र को कीमत सिद्धांत कहते हैं।

2. इसे सामान्य कीमत सिद्धांत कहते हैं

3. व्यष्टि अर्थशास्त्र की केंद्रीय समस्या संसाधनों का आवंटन है।

3. समष्टि अर्थशास्त्र की केंद्रीय समस्या उत्पादन एवं रोजगार के संपूर्ण स्तर का निर्धारण है।

4. व्यष्टि अर्थशास्त्र में अध्ययन की विधि को 'आशिंक संतुलन विश्लेषक' कहा जाता है।

4. समष्टि अर्थशास्त्र में अध्ययन विधि को सामान्य संतुलन विश्लेषण'कहा जाता है।

5. व्यष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक निर्णय मुख्यता व्यक्तिगत आर्थिक एजेंटों द्वारा दिया जाता है।

5. समष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक निर्णय लेने में संस्थागत एजेंट की मुख्य भूमिका निभाते हैं।

6. व्यष्टि कीमत विश्लेषण है।

6. समष्टि को आय विश्लेषण कहते हैं।

एड्म स्मिथ (Adam Smith) ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक अदृश्य हाथ में कहा है कि यदि प्रत्येक बाजार में क्रेता तथा विक्रेता अपने निर्णय स्वयं के हित के लिए लें, तो अर्थशास्त्रियों को सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के धन तथा कल्याण के विषय में सोचने की आवश्यकता नहीं होगी, परंतु धीरे-धीरे अर्थशास्त्रियों ने पाया कि उन्हें इसके विषय में सोचना होगा।

1.5.2 समष्टि और व्यष्टि अर्थशास्त्र का महत्व

आर्थिक विश्लेषण की दोनों शाखाएं एक-दूसरे की संपूरक और पूरक हैं। इनके व्यवहारिक पक्ष का संबंध अर्थशास्त्र और वाणिज्य से है। व्यष्टि अर्थशास्त्र विश्लेषण के महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं कृषि अर्थशास्त्र, श्रम अर्थशास्त्र, अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र, उपभोग अर्थशास्त्र, तुलनात्मक अर्थशास्त्र, कल्याणकारी अर्थशास्त्र, क्षेत्रीय अर्थशास्त्र, लोकवित्त के पहलू तथा अन्य क्षेत्र। समष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक नीतियों और कार्यान्वयन, व्यष्टि अर्थशास्त्र की जानकारी, आर्थिक विकास का अध्ययन, कल्याण संबंधित अध्ययन, मुद्रा स्फीति और मुद्रा संकुचन का अध्ययन और अंतर्राष्ट्रीय तुलनात्मक अध्ययन भी शामिल हैं।

1.5.3 समष्टि अर्थशास्त्र के आधारभूत धारणाएं:

1. उपभोक्ता वस्तुएंः उपभोग या उपभोक्ता वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उपभोक्ता अपनी संतुष्टि के लिए अंतिम उपभोग के लिए खरीदता है और आगे किसी उत्पादन प्रक्रिया में वस्तु का प्रयोग नहीं किया जाता।

• टिकाऊ वस्तुः लंबे समय तक चलने वाले तथा लंबी अवधि तक लगातार उपभोग की जाने वाली वस्तुओं को टिकाऊ वस्तु कहा जाता है। जैसे टीवी, फ्रिज, कार, स्कूटर, कुर्सी, टेबल आदि।

• गैर टिकाऊ वस्तुः गैर टिकाऊ वस्तु मे वस्तुएं हैं जो अल्प काल में नष्ट हो जाते हैं। फल, सब्जी, खा। सामग्री, पेस्ट, साबुन आदि।

2. उत्पादक वस्तुएं- उत्पादक वस्तुएं मानवीय आवश्यकताओं को प्रत्यक्ष रूप से संतुष्ट नहीं करती। यह वस्तुएं उत्पादक द्वारा अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है।

मध्यवर्ती वस्तु- अर्ध निर्मित वस्तुओं को मध्यवर्ती वस्तु कहा जाता है। एक फर्म का ऐसा उत्पाद जिसका अंतिम उपयोग ना होकर किसी दूसरी उत्पादन प्रक्रिया में कच्चे माल के रूप में प्रयोग होता है, मध्यवर्ती वस्तु कहलाती है।

• पूंजीगत वस्तुएं- पूंजीगत वस्तु वह वस्तु है जिनका उपयोग उत्पादन प्रक्रिया में कई वर्षों तक किया जाता है। जैसे मशीनरी, प्लांट आदि।

3. अंतिम वस्तुएं- अंतिम वस्तु है वह वस्तु है जो उत्पादन की सीमाओं को पार कर चुकी है और अपने अंतिम उपभोक्ता द्वारा प्रयोग के लिए तैयार हैं।

अंतिम उपभोक्ता वस्तुः- अंतिम उपभोक्ता वस्तु वह वस्तु है जिनका अंतिम उपभोक्ता द्वारा प्रयोग के लिए तैयार होते हैं। जैसे मक्खन तथा डबल रोटी।

• अंतिम उत्पादक वस्तुएंः- अंतिम उत्पादक वस्तु वह वस्तु है जिनका उपयोग उत्पादक द्वारा किया जाता है। अंतिम उत्पादक वस्तु कहलाती है। जैसे- टैक्टर, मशीनरी आदि।

वास्तविक बनाम आदर्श अर्थशास्त्र

आर्थिक परिस्थितियों से संबंधित मुद्दों की विवेचन एवं आर्थिक समस्याओं के निदान हल ढूंढ़ने की चर्चा करते समय अर्थशास्त्री बहुधा वास्तविक और आदर्श अर्थशास्त्र की बात करते हैं। वास्तविक अर्थशास्त्र आर्थिक विश्लेषण का अध्ययन करता है, जो तथ्यों और सांख्यिकीय आंकड़ों पर आधारित हैं। जब किसी आर्थिक तथ्य का सांख्यिकीय आंकड़ों की सहायता से विवेचन किया जाता है तो इसे हम वास्तविक अर्थशास्त्र कहते हैं। इस प्रकार वास्तविक अर्थशास्त्र का संबंध क्या है' से है। दूसरी तरफ आदर्श अर्थशास्त्र 'क्या होना चाहिए' की व्याख्या करता है। आदर्श अर्थशास्त्र मूल्यगत निर्णयों पर आधारित है, जो किसी निर्णय पर पहुंचने के लिए आवश्यक है।

समाज के लिए नीति-निर्धारण संबंधी बातें अधिकांशतः आदर्श अर्थशास्त्र के अंतर्गत आते हैं। भारत की वर्ष 2011 की जनसंख्या का उदाहरण लें। यह एक तथ्य है कि 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 121 करोड़ के आसपास थी। चूंकि यह तथ्य आंकड़ों पर आधारित है, इस कारण यह विवरण वास्तविक अर्थशास्त्र से संबंधित है, लेकिन जब हम जनसंख्या वृद्धि से संबंधित समस्याओं की अध्ययन करें तो अर्थशास्त्री और नीति-निर्माता अनेक हल सामने रखते हैं, जैसे- भारत को जनसंख्या वृद्धि पर, परिवार नियोजन आदि अपनाकर नियंत्रित करना चाहिए। ये बातें आदर्श अर्थशास्त्र के अंतर्गत आती हैं, क्योंकि इन नीतियों पर बहस हो सकती हैं। नागरिकों और अर्थव्यवस्था द्वारा कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जब इनको आंकड़ों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है तो यह वास्तविक अर्थशास्त्र कहलाता है। जब समस्याओं का समाधान चाहते हैं तो मूल्यगत निर्णय लिए जाते हैं और चर्चा होती है। यह आदर्श अर्थशास्त्र के अंतर्गत आता है।


1.6 अभ्यास प्रश्न

1. समष्टि अर्थशास्त्र को परिभाषित कीजिए?

2. व्यष्टि अर्थशास्त्र को परिभाषित कीजिए ?

3. व्यष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन की क्या उपयोगिता है?

4. समष्टि अर्थशास्त्र और व्यष्टि अर्थशास्त्र में अंतर समझाइए?

5. समष्टि अर्थशास्त्र और व्यष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन के क्षेत्र बताइए?

6. समष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन की क्या उपयोगिता है?

7. वास्तविक तथा आदर्श अर्थशास्त्र में उदाहरणों सहित अंतर समझाइए?

प्रश्न 1. 1936 में प्रकाशित कीन्स के पुस्तक या ग्रन्थ का क्या नाम है ?

उत्तर : "The General Theory of Employment, Interest and Money.

प्रश्न 2. आर्थिक विश्लेषण की दो विधियों कौन सी है ?

उत्तर : व्यष्टि और समष्टि ।

प्रश्न 3. एक अर्थव्यवस्था के तीन क्षेत्रक क्या है ?

उत्तर :

1. धरेलू क्षेत्रक

2. विदेशी क्षेत्रक

3. सरकारी क्षेत्रक

प्रश्न 4. भारत में कौन सी अर्थव्यवस्था है ?

उत्तर : मिश्रित

प्रश्न 5. प्रवाह किसे कहते है ?

उत्तर : वे आर्थिक चक्र जिनका सम्बन्ध एक समय काल से होता है उसे प्रवाह कहते है।

प्रश्न 6. पूँजीवाद स्टॉक किसे कहते है ?

उत्तर : एक लेखा वर्ष के अन्त में उत्पादकों के पास टिकाऊ और गैर-टिकाऊ वस्तुओं का स्टॉक पूँजीगत स्टॉक कहलाता है। जैसे फल, केला, दूध आदि।

प्रश्न 7. आय का चक्रीय या वास्तविक प्रवाह किसे कहते ?

उत्तर : परिवार फर्मों को सेवाएं प्रदान करते है और फर्मों परिवारों को वस्तुएँ प्रदान करती है। जिनका प्रवाह निरन्तर चलता रहता है। इसी को ही आय का चक्रीय या वास्तविक प्रवाह कहते है। जो कभी समाप्त नहीं होता है।

प्रश्न 8. व्यष्टि तथा समष्टि शब्द का प्रयोग अर्थशास्त्र में सर्वप्रथम किसने किया था?

उत्तर : रैगनर फ्रिश ने

प्रश्न 9. समष्टि अर्थशास्त्र का जनक किसे कहा जाता है?

उत्तर : प्रो. किन्स

प्रश्न 10. एक अर्थव्यवस्था के तीन क्षेत्र क्या है?

उत्तर :

1. धरेलू क्षेत्रक

2. सरकारी क्षेत्रक

3. विदेशी क्षेत्रक

प्रश्न 11. बचत किसे कहते है ?

उत्तर : आय का वह भाग जो उपभोग पर व्यय नहीं किया जाता, बचत कहलाता है।

प्रश्न 12. विश्वव्यापी मन्दी की अवधि क्या थी?

उत्तर : 1929-33

लघु तथा विस्तृत महत्वपूर्ण उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. समष्टि अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हो?

उत्तर : समष्टि अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र का वह भाग होता है जिसका सम्बन्ध बड़े समूहो जैसे कुल माँग, कुल आय, कुल रोजगार, बचत आदि से होता है।

प्रश्न 2. समष्टि अर्थशास्त्र का अर्थ एवं महत्व बताईये।

उत्तर : समष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक व्यवस्था का सम्पूर्ण रूप में अध्ययन किया जाता है। इसमें हम राष्ट्रीय आय, कुल आय, कुल उत्पादन, कुल रोजगार, कुल बचत, कुल माँग, कुल पूर्ति, सामान्य मूल्य आदि का अध्ययन समूहों या योगों में करता है।

समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व

समष्टि अर्थशास्त्र का अध्ययन सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को समझने के लिए बहुत उपयोगी हैं।

यह सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के कार्य प्रणाली को समझने में सहायक है।

यह व्यष्टि अर्थशास्त्र के विकास में सहायक है।

यह किसी भी देश की आर्थिक नीतियों क निमार्ण में सहायक है।

यह भौतिक कल्याण व आर्थिक प्रगति के निमार्ण में सहायक है।

यह मुद्रा के मूल्य के निर्धारण में सहायक है।

यह विभिन्न देशों के मध्य आर्थिक प्रगति की तुलना करने में सहायक है।

प्रश्न 3. पूँजीवाद किसे कहते है? इसकी महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ क्या है ?

उत्तर : पूँजीवाद का अर्थ एक ऐसे आर्थिक संगठन से है, जिसमें उत्पादन के साधनों पर व्यक्ति का निजी अधिकार होता है तथा वह उत्पादन के साधनों का प्रयोग लाभ कमाने के लिए करता है।

पूँजीवाद की विशेषताएँ

1. पूँजीवाद अर्थव्यवस्था में प्रत्येक व्यक्ति को सम्पत्ति तथा उत्तराधिकार रखने का अधिकार होता है।

2. पूँजीवाद अर्थव्यवस्था में प्रत्येक उत्पादक का लक्ष्य लाभ कमाना होता है

3. इसमें केन्द्रीय आर्थिक योजना का अभाव होता है।

4. यह अर्थव्यवस्था कीमत यन्त्र द्वारा स्वय नियंत्रण होती है।

5. उत्पादक और उपभोक्ता दोनों पूर्णरूप से स्वतन्त्र होते है।

6. पूँजीवाद अर्थव्यवस्था में वर्ग संघर्ष, धनी तथा निर्धन के बीच होता रहता है।

7. पूँजीवाद अर्थव्यवस्था में सरकार लोगों की आर्थिक क्रियाओं में हस्तक्षेप नहीं करती है।

8. सामाजिक व आर्थिक असमानताएँ अधिक होती है।

प्रश्न 4. व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में क्या अंतर है?

उत्तर :

व्यष्टि अर्थशास्त्र

समष्टि अर्थशास्त्र

1. व्यष्टि अर्थशास्त्र व्यक्तिगत स्तर पर आर्थिक संबंधों अथवा आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करता है।

1. समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर आर्थिक संबंधों अथवा आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करता है।

2. व्यष्टि अर्थशास्त्र मुख्यतः एक व्यक्तिगत फर्म अथवा उद्योग में उत्पादन तथा कीमत के निर्धारण से संबंधित है।

2. समष्टि अर्थशास्त्र का संबंध मुख्यतः संपूर्ण अर्थव्यवस्था में कुल उत्पादन तथा सामान्य कीमत स्तर के निर्धारण से है।

3. इसके मुख्य उपकरण माँग और पूर्ति है।

3. इसके मुख्य उपकरण समग्र माँग व समग्र पूर्ति है।

4. व्यष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन की यह मान्यता है कि समष्टि पर स्थिर रहते हैं। उदाहरणार्थ, जब हम फर्म या उद्योग से उत्पादन तथा कीमत के निर्धारण का अध्ययन करते हैं तो यह मान लिया जाता है कि बिल्कुल राष्ट्रीय उत्पादन स्थिर रहता है।

4. समष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन की यह मान्यता है कि व्यष्टि पर स्थिर रहते हैं। उदाहरणार्थ, जब हम कुल राष्ट्रीय उत्पादन स्तर का अध्ययन करते हैं तो यह मान लिया जाता है कि आय का विवरण स्थिर रहता है।

प्रश्न 5. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर : पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. यहाँ एक बाजार संपन्न होता है जो क्रेताओं तथा विक्रेताओं को जोड़ता है। यह बाजार स्वतंत्र माँग और पूर्ति के बलों से कार्यान्वित होता है।

2. वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतें माँग तथा पूर्ति की बाजार शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है।

3. सरकार उत्पादकों तथा परिवारों के निर्णयों में कोई हस्तक्षेप नहीं करती है। अथवा हम कह सकते हैं कि सरकार माँग तथा पूर्ति की बाजार शक्तियों की स्वतंत्र अंतक्रिया में कोई हस्तक्षेप नहीं करती है। यह देश की कानून एवं व्यवस्था तथा प्रतिरक्षा के रख-रखाव पर अपना ध्यान केंद्रित करती है।

4. अधिकारों के कारण पूँजी के संचय की अनुमति दी गई है। पूँजी उत्पादन के एक मुख्य साधन के रूप में उभरती है।

5. उपभोक्ता (परिवार) प्रभुत्व होता है। वे अपनी आदतों एवं प्राथमिकताओं के अनुसार क्रय करते हैं तथा अपनी संतुष्टि को अधिकतम करते हैं उत्पादक उपभोक्ताओं द्वारा माँगी जाने वाली वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के द्वारा अपने लाभों को अधिकतम करते हैं।

प्रश्न 6. समष्टि अर्थशास्त्र की दृष्टि से अर्थव्यवस्था के चार प्रमुख क्षेत्रकों का वर्णन करें।

उत्तर :

1. परिवार क्षेत्र-इसमें वस्तुओं तथा सेवाओं के उपभोक्ताओं को सम्मिलित किया जाता है। परिवार या गृहस्थ क्षेत्र उत्पादन के कारकों का स्वामी भी होता है।

2. उत्पादक क्षेत्र-इनमें उन सबको सम्मिलित किया जाता है जो उत्पादन की क्रिया में लगे होते हैं। अर्थव्यवस्था की सभी उत्पादन करने वाली इकाइयाँ (या फेर्ने) क्षेत्र में सम्मिलित होती हैं। वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन हेतु फर्मे उत्पादन के कारकों (भूमि, श्रम, पूँजी तथा उद्यमशील कौशल) की सेवाओं को परिवार क्षेत्र से भाड़े पर प्राप्त करती हैं।

3. सरकारी क्षेत्र-कल्याणकारी एजेंसी के रूप में कार्य करता है जैसे-न्याय तथा कानून व्यवस्था को बनाए । रखना, सुरक्षा तथा अन्य सार्वजनिक कल्याण संबंधी सेवाएँ। सरकार एक उत्पादक के रूप में भी कार्य करती है (जैसे-सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पाद ।)

4. विदेशी क्षेत्र-इसे शेष विश्व क्षेत्र भी कहा जाता है। इस क्षेत्र का कार्य वस्तुओं का निर्यात एवं आयात करना तथा घरेलू अर्थव्यवस्था एवं विश्व के अन्य देशों के बीच पूँजी का प्रवाह करना है।

प्रश्न 7. 1929 की महामंदी का वर्णन करें।

उत्तर : 1929 में महामंदी ने जन्म लिया जो 1933 तक बनी रही इस महामंदी ने विश्व के विकसित देशों को चूर-चूर कर दिया। इस महामंदी में उत्पादन था परन्तु खरीदने वाले नहीं थे। 1929-33 के दौरान संयुक्त राष्ट्र अमेरिका और यूरोपीय देशों के कुल उत्पादन तथा रोजगार के स्तरों में भारी गिरावट आई। इसका प्रभाव दुनिया के अन्य। देशों पर भी पड़ा।

1. कई कारखाने बंद हो गए तथा श्रमिकों को निकाल दिया गया।

2. बेरोजगारी की दर 1929 से 1933 तक 3% से बढ़कर 25% तक हो गई।

3. 1929-33 के दौरान संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में समग्र निर्गत में लगभग 33% की गिरावट आई।

इन परिस्थितियों में केन्ज की पुस्तक 'रोजगार, ब्याज एवं मुद्रा का सामान्य सिद्धान्त' 1936 में प्रकाशित हुई जिससे समष्टि अर्थशास्त्र जैसे विषय का उद्भव हुआ।

[MORE QUESTIONS SOLVED] (अन्य हल प्रश्न)

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

1. परिवार क्षेत्रक की मुख्य भूमिका क्या है?

(क) उपभोग

(ख) निवेश

(ग) उत्पादन

(घ) आयात

2. विदेशी क्षेत्र का अन्य नाम क्या है?

(क) बाह्य क्षेत्र

(ख) उत्पादन क्षेत्र

(ग) विश्व क्षेत्र

(घ) (क) और (ख) दोनों

3. समष्टि अर्थशास्त्र का जन्मदाता किसे कहा जाता है?

(क) एड्म स्मिथ

(ख) जे एम केन्स

(ग) मार्शल

(घ) रोबिन्स

4 पूँजीवादी अर्थव्यवस्था को भी कहा जाता है।

(क) समाजवादी अर्थव्यवस्था

(ख) मिश्रित अर्थव्यवस्था

(ग) बाजार अर्थव्यवस्था

(घ) उपरोक्त सभी

5. आर्थिक महामंदी किस वर्ष में उत्पन्न हुई?

(क) 1929

(ख) 1932

(ग) 1936

(घ) 1945

6. जे. एम. केन्स की किताब 'रोजगार एवं मुद्रा का सामान्य सिद्धान्त' कब प्रकाशित हुई?

(क) 1929

(ख) 1932

(ग) 1936

(घ) 1945

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JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

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