12th Hindi Elective अंतरा भाग 2 पाठ - 1 (क) देवसेना का गीत

12th Hindi Elective अंतरा भाग 2 पाठ - 1 (क) देवसेना का गीत
12th Hindi Elective अंतरा भाग 2 पाठ - 1 (क) देवसेना का गीत

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Class - 12

Hindi Elective

पाठ - 1 (क) देवसेना का गीत

कवि परिचय

जयशंकर प्रसाद का जन्म काशी के सुप्रसिद्ध परिवार सुंघनीसाहू के घर में हुआ था। उनकी शिक्षा आठवीं तक हुई, परंतु उन्होंने स्वाध्याय के बल पर संस्कृत, पालि, उर्दू और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वह इतिहास, पुराण, धर्म शास्त्र, दर्शन आदि विषयों के जानकार और प्रकांड विद्वान थे।

प्रसाद जी ने अपना आरंभिक लेखन ब्रजभाषा में किया। बाद में वे हिंदी में लिखने लगे। उनकी उल्लेखनीय काव्य कृतियां आंसू, लहर, 'झरना' और 'कामायनी' है। 'कामायनी' छायावादी युग का एकमात्र महाकाव्य है। इनकी रचनाओं में भारतीय प्रकृति और संस्कृति का गौरव गान मिलता है। वे छायावाद के शिखर कवि हैं। उनकी भाषा शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली है।

पाठ परिचय

'देवसेना का गीत' जयशंकर प्रसाद के नाटक स्कंदगुप्त के द्वितीय अंक में संकलित है। इस गीत को एक नारी पात्र देवसेना ने गाया है। देवसेना मालव नरेश बंधु वर्मा की बहन है। बंधु वर्मा हूणों के आक्रमण में युद्ध करते हुए सपरिवार वीरगति को प्राप्त हो गए। देवसेना राजपरिवार में अकेली बच गई। उसने अपने राष्ट्र की सेवा का प्रण लिया। वह स्कंद गुप्त से प्रेम करती थी परंतु स्कंद गुप्त धन कुबेर की पुत्री विजया से प्रेम करता था। उसने देवसेना के प्रणय निवेदन को ठुकरा दिया। देवसेना अत्यंत आहत हो जाती है। जीवन के अंतिम क्षणों में विजया के ना मिल पाने पर स्कंद गुप्त देवसेना को पाना चाहता है, परंतु आहत देवसेना उसे ठुकरा देती है। यौवन की ढलती बेला में इन बातों से उसकी पीड़ा अत्यंत सघन हो जाती है तथा उसे लगता है कि अंतिम समय में भी वह अपने आंचल में वेदना को लेकर ही विदा होगी। उसके इन्हीं मार्मिक भावों की अभिव्यंजना यह गीत है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. “मैंने भ्रमवश जीवन संचित मधुकरियों की भीख लुटाई"- पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- देवसेना स्कन्द गुप्त से प्रेम करती थी तथा उसे पाना चाहती थी, परंतु स्कन्दगुप्त देवसेना की ओर आकृष्ट ना हो सका, तब वह विजया को पाने के लिए लालार्पित था। देवसेना स्कंद गुप्त के प्रति प्रेम का भ्रम पाले हुए थी। देव सेना को जीवन में जो कुछ भी मिला, वह उसे संभाल नहीं पाई। देव सेना ने अनुभव किया कि उसने जीवन भर की संचित पूंजी को लुटा दिया है। जीवन की सांध्य बेला में उसे अपनी भूल का एहसास हुआ। वह अपनी इस भ्रम भरी भूल का प्रायश्चित करती है ।

प्रश्न 2. कवि ने आशा को बावली क्यों कहां है?

उत्तर- प्रायः हर व्यक्ति किसी भी विशेष आशा के सहारे जीवन बिताता है। हर व्यक्ति अपने जीवन में कुछ सपने देखता है। प्रेम की आशा में व्यक्ति अपने मोहक सपनों को बुनता है। भले ही उसे असफलता क्यों ना मिले। यहां तक कि व्यक्ति धुन का पक्का होने की हालत में पागलपन की स्थिति तक पहुँच जाता है। आशा ही व्यक्ति को बावला बनाए रखती है।

प्रश्न 3. मैंने निज दुर्बल... होड़ लगाई' इन पंक्तियों में 'दुर्बल पद बल' और 'हारी होड़ में निहित व्यंजना स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- कवि ने इस पंक्ति में व्यंजनार्थ प्रस्तुत किया है। कवि इस पंक्ति के माध्यम से व्यक्त करता है कि देवसेना को ज्ञात है। कि वह असमर्थ एवं शक्ति हीन है। वह जानती है कि उसके पैर कमजोर हैं। यानी वह परिस्थितियों के सम्मुख कमजोर है फिर भी वह परिस्थितियों से टकराती है। 'दुर्बल पद बल' में यही व्यंजना व्याप्त है। हारी होड़ में कवि व्यक्त करता है कि देवसेना को अपने प्रेम के हारने का ज्ञान है इसके बावजूद वह प्रलय से लोहा लेती है। देवसेना इन बातों से अपनी लगन शीलता का परिचय देती हैं।

प्रश्न 4. काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

(क) श्रमित स्वप्न की मधुमाया...तान उठाई।

उत्तर- जयशंकर जी ने इन पंक्तियों में स्मृति बिंब को साकार कर दिया है। देवसेना अपने असफल प्रेम की मधुर कल्पना में डूबी हुई है। तभी उसे प्रेम की तान-सी सुनाई पड़ती है, वह उसे सुनकर चौंक उठती है श्रमित स्वप्न कहने में कवि ने व्यंजना शक्ति का सहारा लिया है। 'विहाग' एक ऐसा राग है जो अर्द्ध रात्रि में गाया जाता है, देवसेना को यह अपने जीवन के संध्याकाल में सुनाई देता है। 'गहन विपिन' तथा 'तरु छाया' जैसे सामासिक शब्द प्रयोग से कविता में आकर्षण पैदा हुआ है।

(ख) लौटा लो ........ लाज गंवाई।

उत्तर- जयशंकर प्रसाद जी ने अपनी कविता 'देवसेना का गीत में देवसेना के निराशा एवं हताशा पूर्ण मनोस्थिति का वर्णन किया है। देवसेना ने स्कंदगुप्त के प्रति जो प्रेम हृदय में संभाल कर रखा था उसने उसे बहुत पीड़ा दी है। अब वह वेदना के कारण उस प्रेम को संभाल कर रखने में स्वयं को असमर्थ पाती है। अतः वह अपनी धरोहर को स्कन्दगुप्त को वापस लौटा देना चाहती है। उसकी यही वेदना कविता की 'करुणा हा हा खाती में उभरकर परिलक्षित हुई है। देवसेना कहती है कि उसने स्कंदगुप्त के प्रेम को संभालते संभालते अपने मन की लज्जा तक को गवाँ दिया है। 'हा-हा में पुनरुत्तिप्रकाश अलंकार है।

प्रश्न 5. देवसेना की हार या निराशा के क्या कारण हैं?

उत्तर- देवसेना की हार या निराशा के पीछे अनेक कारण रहे हैं, जैसे- हूणों का आक्रमण में देवसेना के भाई व परिवार के अन्य सभी सदस्यों का वीरगति को प्राप्त हो जाना। पूरे परिवार में वह अकेली ही बची थी। वह अपने भाई के स्वप्न को साकार होते देखना चाहती थी, लेकिन वह चाहकर भी कोई विशेष प्रयत्न नहीं कर पाई। देवसेना स्कंदगुप्त से प्रेम करती थी, जबकि स्कंदगुप्त स्वयं धनकुबेर की पुत्री विजया पर आसक्त था। इस तरह देवसेना को प्रेम में भी असफलता ही हाथ लगी। देवसेना स्वयं को उपेक्षित जानकर निराशा से भर उठी। देवसेना को वृद्ध पर्णदत्त के आश्रम में गीत गा कर भिक्षा तक मांगने को विवश होना पड़ा।

परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 'देवसेना का गीत' कविता का सारांश लिखिए।

उत्तर- देवसेना का गीत जयशंकर प्रसाद के नाटक स्कंदगुप्त के द्वितीय अंक में संकलित है। इस गीत को नाटक की एक नारी पात्रा देवसेना ने गाया हैं। देवसेना मालवा नरेश बंधुवर्मा की बहन है। आर्यावर्त पर हूणों के आक्रमण के फलस्वरुप बंधुवर्मा वीरगति को प्राप्त कर जाता है। देवसेना का पूरा परिवार देश के लिए उत्सर्ग हो जाता है, तथा वह अकेली जीवित बच जाती है। असहाय देवसेना वृद्ध पर्णदत्त के आश्रम के सामने गाना गाकर भीख मांगती है तथा महादेवी की समाधि को परिष्कृत करती है। देवसेना वेदना से भर जाती है, तथा अपने भाई के स्वप्न को पूरा करना चाहती है। चूँकि वह राज परिवार से है, इसीलिए वह स्कंदनगुप्त के प्रति आकृष्ट हो जाती है, परंतु वह मालवा के धनकुबेर की पुत्री विजया पर अनुरक्त था। विजया उसे नहीं मिल पाती तथा वह जीवन की संध्या बेला में देव सेना को पाना चाहता है। किंतु एक बार स्कंदगुप्त के द्वारा ठुकराए जाने की बात से आहत देवसेना उसके अनुरोध को अस्वीकार कर देती है। यौवन की ढलती बेला में उसका दुख अत्यंत सघन हो जाता है। उसने अपने जीवन में अपने भाई, परिवार और राज्य को खो दिया था। वह स्कंदगुप्त का प्रेम पाना चाहती थी, उसे मन-ही-मन अपना सर्वस्व मान लिया था किंतु प्रतिदान स्वरूप उसे केवल वेदना ही मिली। वह अत्यंत दुखी हैं। वह सोचती है कि जीवन के अंतिम क्षणों में वह अपने आंचल में वेदना को लेकर ही विदा लेगी। उसके इन्हीं मार्मिक भावों की अभिव्यंजना इस गीत में है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. देवसेना का गीत में विषय क्या है?

उत्तर. देवसेना अपने जीवन के अंतिम दिनों में एक गीत के माध्यम से अपनी वेदना को प्रकट करती है तथा अपने प्रेम की अभिलाषा पर अफसोस जाहिर करती है। देवसेना जीवन- भर स्कंदगुप्त से प्रेम करती रही, किंतु स्कंदगुप्त मालवा की कन्या (विजया) का सपना देखता रहा। अब जीवन के आखिरी दिनों में स्कंदगुप्त उससे विवाह करना चाहता है, जिसे वह ठुकरा देती हैं।

प्रश्न 2. 'वेदना मिली विदाई में कौन सा रस विद्यमान हैं?

उत्तर इस पंक्ति में देवसेना की भावुक अभिव्यक्ति हुई है। इन पंक्तियों में उनकी हृदय की मार्मिकता परिलक्षित हो रही हैं। इसमें प्रसाद गुण हैं। शैली पांचाली रीति हैं, और रस की दृष्टि से वियोग श्रृंगार हैं।

प्रश्न 3. देवसेना ने अपने जीवन के अंतिम क्षण कहां व्यतीत किए?

उत्तर. देवसेना जीवन के अंतिम समय में वृद्ध पर्णदत्त के साथ आश्रम में गाना गाकर भीख मांगती थी और महादेवी की समाधि को परिष्कृत किया करती थी।

प्रश्न 4. स्कंदगुप्त आजीवन कुँवारा रहने की प्रतिज्ञा क्यों लेता है?

उत्तर. जीवन के अंतिम समय में वह देवसेना का प्रेम पाना चाहता है जबकि वह उसके प्रेम को अपने यौवनकाल में ठुकरा चुका हैं। देवसेना उसके इस व्यवहार से अत्यंत दुखी होती है तथा बहुत मनाने के बाद भी उसके पास नहीं जाती है। इसलिए स्कंदगुप्त आजीवन कुंवारा रहने की प्रतिज्ञा करता है।

अति लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. देवसेना किसकी बहन थी?

उत्तर. देवसेना बंधु बर्मा की बहन थी।

प्रश्न 2. देवसेना के भाई की मृत्यु कैसे हुई?

उत्तर. देवसेना का भाई मालवा नरेश बंधुवर्मा था, जिसकी मृत्यु हूणों के आक्रमण के फलस्वरुप हुईं।

प्रश्न 3. देवसेना ने क्या प्रतिज्ञा की?

उत्तर. भाई की मृत्यु के पश्चात देवसेना ने भाई के सपनों को पूरा करने के लिए राष्ट्र सेवा की प्रतिज्ञा ली थी।

प्रश्न 4. 'देवसेना का गीत जयशंकर प्रसाद के कौन से नाटक से लिया गया है?

उत्तर. देवसेना का गीत प्रसाद के स्कंदगुप्त नाटक से लिया गया है।

प्रश्न 5. देवसेना किससे प्रेम करती थी?

उत्तर. देवसेना स्कंदगुप्त से प्रेम करती थी।

प्रश्न 6. आर्यवर्त पर किसने आक्रमण किया?

उत्तर. हूणों ने आर्यवर्त पर आक्रमण किया था।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1. देवसेना का गीत कविता प्रसाद जी के किस नाटक से संबंधित है?

(1) चंद्रगुप्त

(2) स्कंदगुप्त

(3) ध्रुवस्वामिनी

(4) अजातशत्रु

प्रश्न 2. देवसेना कौन थी?

(1) राजा बंधु वर्मा की बहन

(2) धनकुबेर की बहन

(3) बंधु वर्मा की पुत्री

(4) धन कुबेर की पुत्री

प्रश्न 3. "मेरी यात्रा पर लेती थी नीरवता अनंत अगड़ाई" का आशय बताएं।

(1) देवसेना यात्रा करती थी

(2) देवसेना एकाकी जीवन जीती रही

(3) देवसेना रोती रही

(4) देवसेना भटकती रहती

प्रश्न 4. देवसेना की हार या निराशा के क्या कारण थे?

(1) स्वजनों की मृत्यु

(2) संघर्ष भरा जीवन

(3) स्कंदगुप्त द्वारा उसके प्रेम को अस्वीकार कर देना

(4) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 5. देवसेना आश्रम में किसके साथ रहती थी?

(1) पर्णदत्त के साथ

(3) चंद्रगुप्त के हाथ

(2) स्कंद गुप्त के साथ

(4) बंधु वर्मा के साथ

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विषय सूची

अंतरा भाग 2

पाठ

नाम

खंड

कविता खंड

पाठ-1

जयशंकर प्रसाद

(क) देवसेना का गीत

(ख) कार्नेलिया का गीत

पाठ-2

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

(क) गीत गाने दो मुझे

(ख) सरोज - स्मृति

पाठ-3

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय

(क) यह दीप अकेला

(ख) मैंने देखा एक बूँद

पाठ-4

केदारनाथ सिंह

(क) बनारस

(ख) दिशा

पाठ-5

विष्णु खरे

(क) एक कम

(ख) सत्य

पाठ-6

रघुबीर सहाय

(क) बसंत आया

(ख) तोड़ो

पाठ-7

तुलसीदास

(क) भरत - राम का प्रेम

(ख) पद

पाठ-8

मलिक मुहम्मद जायसी

बारहमासा

पाठ-9

विद्यापति

पद

पाठ-10

केशवदास

कवित्त / सवैया

पाठ-11

घनानंद

कवित्त / सवैया

गद्य खंड

पाठ-1

रामचन्द्र शुक्ल

प्रेमधन की छायास्मृति

पाठ-2

पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी

सुमिरनी के मनके

पाठ-3

ब्रजमोहन व्यास

कच्चा चिट्ठा

पाठ-4

फणीश्वरनाथ 'रेणु'

संवदिया

पाठ-5

भीष्म साहनी

गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफत

पाठ-6

असगर वजाहत

शेर, पहचान, चार हाथ, साझा

पाठ-7

निर्मल वर्मा

जहाँ कोई वापसी नहीं

पाठ-8

रामविलास शर्मा

यथास्मै रोचते विश्वम्

पाठ-9

ममता कालिया

दूसरा देवदास

पाठ-10

हजारी प्रसाद द्विवेदी

कुटज

अंतराल भाग - 2

पाठ-1

प्रेमचंद

सूरदास की झोपडी

पाठ-2

संजीव

आरोहण

पाठ-3

विश्वनाथ तिरपाठी

बिस्कोहर की माटी

पाठ-

प्रभाष जोशी

अपना मालवा - खाऊ- उजाडू सभ्यता में

अभिव्यक्ति और माध्यम

1

अनुच्छेद लेखन

2

कार्यालयी पत्र

3

जनसंचार माध्यम

4

संपादकीय लेखन

5

रिपोर्ट (प्रतिवेदन) लेखन

6

आलेख लेखन

7

पुस्तक समीक्षा

8

फीचर लेखन

JAC वार्षिक इंटरमीडिएट परीक्षा, 2023 प्रश्न-सह-उत्तर

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